साई व्हाइब्रियोनिक्स पत्रिका

" जब आप किसी हतोत्साहित, निराष या रोग ग्रस्त व्यक्ति को देखते हो, वहीं आपका सेवा क्षेत्र है " Sri Sathya Sai Baba
Hands Reaching Out

अतिरिक्त

Vol 11 अंक 4
जुलाई/अगस्त 2020


1. स्वास्थ्य सुझाव

आंखें बहुमूल्य हैं: इनका अच्छी तरह से ध्यान रखना चाहिए।

" कुछ भी बुरा मत देखो; जो अच्छा है वही देखो। तभी तुम्हारी आंखें शक्ति प्राप्त कर सकेंगी जिससे कि वह दिव्य लौकिक रूप को देख सकें।"… Sathya Sai Baba1

सभी इन्द्रियों में दृष्टि सबसे आनंदमई होती है... अंधे होने से बदतर एकमात्र चीज है कि दृष्टि होते हुये भी कुछ दिखाई ना देना।"…Helen Keller (Deaf-Blind American Author & Activist)

1.  अपनी आँखों को जानें

1.1 सबसे नाजुक, जटिल और संवेदनशील शरीर का अंग है आंखें। आंखें हमें बहुमूल्य दृष्टि प्रदान करती है, प्रकाश की भावना,रंग, रूप और गति के बारे में बताती हैं। इसके अतिरिक्त यह शरीर की जैविक घड़ी को सही रखती है। आंखों की दोनों गोल पुतलियां हड्डीदार साकेट में रहती हैं और बाहर से यह पलकों और भौहों से सुरक्षित रहती हैं। आंखों पर आंसुओं की परत भी इनकी सुरक्षा में अपना योगदान करती है। प्रत्येक आंख की गतिशीलता 6 मांसपेशियों द्वारा नियंत्रित होती है जो कि पुतलियों के चारों ओर स्थित होती है। प्रकाश की किरणें पुतली में से होकर गुजरती है जिनको कॉर्निया और लेंस के द्वारा फोकस किया जाता है और रेटिना पर छवि का अंकन हो जाता है।

रेटिना में लाखों प्रकाश संवेदनशील कोशिकाएं होती हैं जो छवि को नसों के आवेग में परिवर्तित कर देती हैं। यह आवेग आप्टिक नर्व के साथ दिमाग तक पहुंचती है जहां यह संसाधित होकर आकृति में बदल जाती हैं।2-4

1.2 सामान्य दृष्टि क्या होती है?:एक “20/20” (फीट में) या “6/6” (मीटर में) की दृष्टि सामान्यत: सामान्य दृष्टि कहलाती है यद्यपि यह पूर्णतया दोष रहित नहीं है।ऊपर वाला नंबर दर्शाता है आंख की जांच के समय कितनी दूरी से परीक्षण किया गया है। इसके लिए स्नलन चार्ट का उपयोग किया जाता है। नीचे वाला नंबर दर्शाता है कि व्यक्ति कितनी अच्छी तरह से चार्ट को 6 मीटर की दूरी से पढ़ सकता है। यदि किसी व्यक्ति की दृष्टि 6/9 है तो इसका यह तात्पर्य है कि वह व्यक्ति 6 मीटर की दूरी से जितना स्पष्ट पढ़ सकता है, एक स्वस्थ व सामान्य दृष्टि वाला व्यक्ति 9 मीटर की दूरी से उसी स्पष्टता से पड़ सकता है।5,6
1.3 नार्मल आई प्रेशर क्या होता है?: आई प्रेशर को इंट्राऑकुलर प्रेशर या IOP भी कहते हैं। यह आंख में उपस्थित तरल पदार्थ का प्रैशर होता है।जबकि औसत IOP 15 mmHg होता है जबकि सामान्य प्रैशर कहीं अधिक होता है 10 से 21 के मध्य। 90% व्यक्तियों में प्रैशर इसी सीमा में रहता है। यह कई कारकों पर निर्भर होता है जैसे कि आयु, रक्तचाप, पल्स रेट और अप्रवर्तक त्रुटिI IOP यदि 21 से अधिक होता है तो इसे जोखिम भरा माना जाता है।7,8

1.4 आंखों की समस्याओं का कारण संक्रमण, अनुवांशिक विकास या जन्म से, उपेक्षा, दुर्घटना या आंखों का दुरुपयोग भी हो सकता है।

2. आंखों का संक्रमण

2.1 संक्रमण तब होता है जब हानिकारक सूक्ष्मजीव (बैक्टीरिया, कवक या वायरस) या बाहरी कण आंख या उसके ऊतकों के किसी भी हिस्से पर आक्रमण करते हैं।9-13 

2.2 संक्रामक संक्रमण: सबसे सामान्य है आंख आना (आंखों में ललाई): आमतौर पर यह वायरल संक्रमण होता है लेकिन कीटाणु जनित भी हो सकता है। सामान्य लक्षण जो यकायक ही दृष्टिगोचर होने लगते हैं वे हैं आंखों का लाल हो जाना, खुजली प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता, जलन, कीचड़ का होना, किसी वस्तु के होने का एहसास (जैसे की रेत, ग्रेन आदि), पलकों पर सूजन (कभी-कभी दर्द भी होता है), देखने में धुंधलापनI ट्रेकोमा एक अन्य बहुत ही अधिक संक्रामक संक्रमण है जो कीटाणु जनित होता है। यह कहीं कहीं ही होता है।9-12

2.3 असंक्रामक संक्रमण यह एलर्जी पैदा करने वाले पदार्थों या किसी रसायन के आंखों में पड़ जाने से होता है। विषाक्त वाष्प इसका कारण हो सकती है। कोई भी जलन पैदा करने वाला पदार्थ, लगातार कांटेक्ट लेंस का उपयोग करनाI किसी भी कारण से आंखों का लाल हो जाना, सूजन, खुजली होना, अत्यधिक पानी का आना साथ ही जुकाम और नाक से पानी बहना। यह सभी कारक इस प्रकार की श्रेणी में आते हैं। फफूंद का संक्रमण बहुत कम होता है। संक्रमण के लिए अन्य कारक हैं जैसे कि कैरेटाइटिस (बैक्टीरिया द्वारा कॉर्निया में सूजन या फिर वायरस के द्वारा या पानी में पैरासाइट्स की उपस्थिति); युवाइटिस (वायरस द्वारा उत्पन्न जैसे कि हर्पिस लेकिन सामान्यतया यह ऑटोइम्यून डिसऑर्डर के द्वारा होता है जैसे कि गठिया या लुपस)I आंखों की पलकों या त्वचा पर गुहेरी या पलक की ग्रंथि में गांठ (फुंसी के समान एक दर्दनाक गांठ) और chalazion  (स्त्राव के एकत्रित हो जाने पर दर्द वाली गांठ); तथा कार्निया संबंधी अल्सर जो कि बैक्टीरिया या वायरस या फंगल संक्रमण के कारण हो सकते हैं।9,10,13

3. आंखों की समस्याएं/ दोष

3.1 सामान्य दुराग्रही दोष: मायोपिया - दूरस्थ वस्तुओं को देखने की अक्षमता जो बचपन से ही शुरू हो जाती है।
हाइपर मेट्रोपिया (दीर्घ दृष्टि) की वस्तुओं को देखने की असमर्थताI यह पुतलियों के छोटे आकार के कारण होता हैI ऐस्टिंगमैटिस्म (दृष्टि वैषम्य) इससे दूर और पास की वस्तुएं विकृत नजर आती हैं इसका कारण है कार्निया का अनियमित होना। जरा दूर दृष्टि - 40 वर्ष की आयु के पश्चात एक हाथ की दूरी की वस्तुओं को देखने, पढ़ने मैं असमर्थता ।14,15

3.2 मोतियाबिंद - आंख के पर्दे पर धीरे-धीरे एक परत का चढ़ना जिसकी वजह से आंख के लचीलेपन में कमी आ जाती है, पारदर्शिता कम हो जाती है और उम्र के बढ़ने के साथ हावी हो जाती है। इसके कारण आंख से( एक या दोनों) देखने की क्षमता में कमी हो जाती है। लक्षण - रंगों का फीका पड़ना या पीला पड़ना, धुंधलापन, दोहरी दृष्टि, चश्मे का बार-बार बदलना, प्रकाश के चारों ओर खाली-खाली दिखाई देना, तेज प्रकाश से परेशानी, पढ़ने में परेशानी, गाड़ी चलाने में परेशानी, रात्रि में देखने में परेशानी। उम्र के आलावा, पोषक तत्वों में कमी,आनुवांशिक विकार, कुछ चिकित्सा स्थितियां जैसे मधुमेह या आंख की पूर्व चोट के कारण शल्यक्रिया। विकिरण के संपर्क में आना,अधिक समय तक स्टेरॉयड का सेवन, लोगों की उपस्थिति जैसे कि मधुमेह या रेडिएशन से संसर्ग, ट्रामा या व्यसनों के कारण भी यह हो जाता है।16

3.3 ग्लूकोमा (आंख का रोग) - यह एक ऐसा रोग है जिसमें आप्टिक नर्व बिगड़ती जाती है और उस को नुकसान पहुंचता है या तो इसकी संवेदनशीलता के कारण या फिर इसमें रक्त की पूर्ति कम होने के कारण। इसके बहुत से लक्षण हैं, अधिकतर आंख में दबाव के बढ़ जाने से सामने की तरफ का तरल पदार्थ बहुत अधिक बन जाता है या जाम होने के कारण वह बाहर निकल नहीं पाता है। यह प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है और इसके कोई लक्षण भी दिखाई नहीं देते हैं। सामान्य लक्षण प्रकट होता है उसमें काले धब्बे कभी-कभी प्रकट होते हैं दोनों आंखों में तथा टनल विजन काफी बढ़ चुकी होती है। कुछ अवस्थाओं में धुंधलापन नजर आने लगता है और देखने में धुंधलापन रहता है। तेज़ प्रकाश में ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि गोलाकार इंद्रधनुष दिखाई दे रहा हो। आंखों में तेज दर्द होता है और  सिर दर्द होता है, आंखें लाल हो जाती हैं, उल्टी का आभास होता है और यकायक दृष्टि गायब हो जाती है I दृष्टि के चले जाना प्रतिवर्ती प्रक्रिया नहीं होती है किसी भी उपचार से। अतः 60 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों में यह अंधेपन का एक कारण है ।17,18

3.4 रेटिनल डिसऑर्डर: रेटिनल समस्याओं में मुख्य समस्या है मैकुलर डिजनरेशन( चक्षु अध:पतन) और रेटिनल आंसू या अलगावI इसके लक्षण हैं - बहुत से नए फ्लोटर (धागे के सामान काले धब्बे), दृश्य क्षेत्र के किनारों पर चमकती रोशनी, विकृत दृश्य, कभी ऐसा लगता है कि एक भूरा पर्दा आंखों के सामने आ गया। रेटिनल डिटैचमेंट दर्द रहित होता है जब तक कि उसमें कोई चोट ना लगी हो और यह अचानक ही हो जाती है कुछ ही घंटों या दिनों में। जिन लोगों के रक्त में ग्लूकोज का स्तर अनियंत्रित होता है या बहुत अधिक होता है उनको डायबीटिक रेटिनोपैथी की संभावना अधिक हो जाती है।19,20

3.5 अन्य नेत्र विकार: कुछ बहुत कम/ अनुवांशिक विकारों में है रात्रि का अंधापन या कलर का अंधापन जब कोई व्यक्ति लाल-हरे और कभी-कभी नीला-पीला रंग में भेद नहीं कर पाता है।19,21

भेंगापन आंख का एक और विकार है जिसमें आंख की पुतली का संरेखन ठीक से नहीं होता है और अलग-अलग दिशाओं में इंगित करती हैं, एक ही समय पर एक ही बिंदु पर देखने में असमर्थता होती है। इसका सही कारण ज्ञात नहीं है। इस से आंख में आलसीपन आ जाता है क्योंकि इस प्रकार की आंख से प्राप्त सूचनाओं का दिमाग अवहेलना कर देता है।22

“सूखी आंख” का रोग उस वक्त उत्पन्न हो जाता है जब आंसू आंखों को ठीक प्रकार से चिकना नहीं कर पाते हैं। उम्र बढ़ने के साथ यह बीमारी बढ़ने लगती है। इसका अन्य कारण है ऑटोइम्यून बीमारी या कुछ औषधियां जैसे कि एंटी हिस्टामिन या धुयें या वायु का वातावरण। विशिष्ट लक्षण हैं, चुभन-जलन, आंखों का गुलाबी होना, आंख में लगातार असहजता या आंखों से पानी आना।23

“आंखों से पानी आना” चिंता का विषय बन जाता है जब आंसू लगातार बहते रहते हैं और थोड़ा दर्द भी होता है I दृष्टि में परिवर्तन के साथ ऐसा प्रतीत होता है कि आंख में कुछ चला गया है जो बाहर नहीं निकलता है।24

कुछ समस्याएं जैसे कि आंखों की पलकों का हिलना, फूली हुई आंखें और काले घेरों का होना यह बताता है कि पर्याप्त आराम, तनाव या अनुचित भोजन और जीवनशैली सही नहीं है।25,26

3.6 डिजिटल आई स्ट्रेन - एक उभरता स्वास्थ्य मुद्दा: डिजिटल उपकरणों का उपयोग करने वाले 90% से अधिक लोग आंखों के तनाव का अनुभव करते हैं। ज्यादातर आंखों के लक्षणों हैं - थकी हुई आंखें, सूखी आंखें, धुंधलापन, जलन, आंखों में ललाई तथा दोहरी दृष्टि है। सामान्य गैर-ओकुलर लक्षणों में गर्दन में जकड़न, थकान, सिर दर्द, पीठ में दर्द शामिल है। पलकों के झपकने की गति कम होकर 5-9 प्रति मिनट रह जाती है जबकि सामान्य गति 10 से 16 प्रति मिनट होती है।27-29

4. अपनी आंखों को चोट से बचाएं

4.1 आंख की चोट: सामान्य चोटें हैं: आंख का छिलना (कॉर्निया का घर्षण) किसी औजार  या पालतू जानवर के द्वारा, बाहरी वस्तु का आंख में प्रवेश, रसायनिक चोट अम्ल या क्षार के द्वारा या वाष्प द्वारा आंखों पर प्रभाव, अन्य वाष्पो का प्रभाव या रेडिएशन; काली आंखें या किसी चोट या कटने से सूजनI जिनके सामान्य लक्षण है, आंख में या उसके पीछे दर्द, पलकों में ऐंठन, एक आंख से अविरल रूप से आंसू का बहना, दृष्टि में बदलाव या दृष्टिहीनता, आंखों में रक्त का दिखना या आंखों से रक्त स्त्रावI30

4.2 प्राथमिक उपचार एवं चिकित्सीय देखभाल: तुरंत ही किसी “आंखों के आपातकालीन” हॉस्पिटल में उपचार के लिए जाएं परंतु उसके पूर्व कुछ साधारण उपाय कर लेना उचित होता है।31-33

·        बार-बार पलको को झपकाने से रेत आदि पदार्थ बाहर आ जाते हैं।

·        धीरे से अपनी पलकों को खोले और किसी बाहरी वस्तु को बाहर निकालने के लिए साफ पानी से आंखों को धोयें। धीरे से किसी भी बाहरी कण को दूर करने के लिए ऊपरी पलक को निचली पलक पर खींचें।

·        यदि आंख में कोई रसायन चला गया हो तो, तुरंत संपर्क लेंस हटा दें। प्रभावित आंख को नीचे करने के लिए सिर को आँख की तरफ झुकाएं, ताकि आंखों पर पानी के छींटे मारते समय पतला रासायनिक तरल चेहरे की दूसरी आंख की तरफ न चला जाये। 15-20 मिनट तक धोने के पश्चात्, रोगी को अस्पताल ले जाते समय आंख के ऊपर एक साफ पैड रख दें।

·        यदि घाव या पंचर हुआ है तो पानी से ना धोएं इसके बजाए आंख के ऊपर सुरक्षा कवर रखें जैसे कि साफ आईपैड या घाव पर तिमारदारी वाली पट्टी रखें बिना आंख में किसी दबाव के डालें।

·        अगर आंख पर कोई आघात लगा हो तो उस पर सावधानीपूर्वक ठंडी पट्टी रखें या उसे हल्के से दबाए बिना जो़र लगाए जिससे कि दर्द और सूजन में राहत मिल सकेI

4.3 चोट के पश्चात् जो नहीं करना चाहिए: सिर को इधर उधर ना हिलाएं, आंखों को इधर उधर ना घुमाएं, उन्हें मसले नहीं और ना ही उंगलियों या कपड़े से छुएं। अपने आप उपचार ना करें।31-33

5. स्वस्थ आंखों के लिए उपचार के तरीके

5.1 अच्छी स्वच्छता जैसे हाथों को अक्सर धोते रहना, आंखों को ना मसलना तथा साफ तोलिए का उपयोग संक्रमण से बचाता है।10-13

5.2 अपनी आंखों को सुदृढ़ बनाएं: आंखों को आराम देने के कुछ उपाय निम्न है:26,34-40

·        पामिंग, हथेली के खाली भाग को आंखों पर सावधानी से रखें (बंद आंखों पर)। सभी प्रकार के प्रकाश को बंद कर दें, आराम से बैठ जाएं और अपना ध्यान श्वांस प्रक्रिया पर केंद्रित करें और आंखों को 5-10 मिनट तक आराम दें, दिन में दो बार करें। अधिक बार करने पर 1-2 मिनट का समय काफी होता है।34,36-38

·        चारों उंगलियों को एक साथ रखते हुए उनसे आंखों को हल्के से दबाए। कुछ देर तक दबाए रखें फिर हटा ले। कुछ सेकंड के लिए आंखों को खोलो और बंद करें, इसको 5 बार दोहराएं। भौहों को हाथ से मसाज करने से भी लाभ होता है। 36-38

·        सुबह जल्दी उठकर धूप में, 5 -10 मिनट के लिए, आंखें बंद करके बैठने से भी लाभ होता है। यह क्रिया शाम के समय भी की जा सकती है जब धूप अधिक ना हो।34,36,37

·        आंखों को इधर-उधर और ऊपर-नीचे करना, दाएं-बाएं पुतली को घुमाना, फोकस कम या अधिक करना, आंखों को जल्दी-जल्दी झपकाना, खाली दीवार को देखते हुए आंखों को धीरे-धीरे झपकाना ऐसी क्रियाएं हैं जिन से आंखें सुदृढ़ होती हैं।36-39

·        सोने से पूर्व किसी वनस्पति तेल या बादाम के तेल से काले घेरों पर कोमलता से मालिश करें।26

·        आंखों के व्यायाम के बाद या जब कोई तनाव महसूस होता है तो कोल्ड कंप्रेस करें। एक ककड़ी या कच्चे आलू या चाय की थैली के ठंडे स्लाइस का उपयोग कर सकते हैं।40

·        किसी के मार्गदर्शन में,तैराकी करना, पैदल चलना,योगासन और गर्दन और कंधे के व्यायाम करने से परिसंचरण में सुधार होगा और आंखों को पोषण मिलेगा। 

5.3 आंखों के अनुकूल आहार: एक संतुलित आहार जिसमें विटामिन A, C, D और E तथा ओमेगा-3 फैटी एसिड प्रचुर मात्रा में हों तथा कुछ मात्रा में खनिज जिंक आंखों को स्वस्थ रखते हैं। यह सब प्रचुरता से ताजे फलों, वनस्पतियों विशेषकर हरी पत्ती वाली और मेवों और बीजों में उपलब्ध होते हैं।35,41-43

6. आंखों की देखभाल हेतु सुझाव: हम कभी भी किसी भी आयु में अपनी दृष्टि में सुधार ला सकते हैं

6.1        सक्रिय जीवन शैली, पर्याप्त आराम, संतुलित आहार, पर्याप्त पानी का सेवन, बैठने का सही तरीका सीधी स्थिति विशेषकर जब डिजिटल उपकरणों का उपयोग कर रहे हों, नियमित व्यायाम, निजी स्वच्छता, ताजी हवा और सबसे ऊपर आरामदेह शरीर और दिमाग की स्थिति, यह सब आंखों की समस्याओं को दूर रखती है।17,34-40,44-45

6.2       कुछ सालों पश्चात् आंखों की पूर्ण जांच करवानी चाहियेI बच्चों की 6 माह और 3 वर्ष की आयु में जांच करवानी चाहिये। इसके उपरांत 6-17 वर्ष के बीच हर वर्ष जांच करानी चाहिए। व्यसकों को 40 से कम आयु तक हर 5 से 10 वर्ष में जांच करानी चाहिए। 54 वर्ष वालों को 2-4 वर्ष के अंतराल पर और अधिक उम्र होने पर अक्सर जांच कराते रहना चाहिए। जल्दी निदान करने से अंधेपन की स्थिति से मुक्ति मिल जाती है।17, 44-45

6.3      अपने परिवार के इतिहास के बारे में जानकारी रखो, जोखिमों के बारे में जानकारी लेना बहुत आवश्यक है। जहां भी आवश्यकता हो चश्मे का उपयोग करो। यदि दृष्टि में कोई परिवर्तन नजर आए तो तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करो। जो लोग मायोपिया, मधुमेह, हृदय संबंधी रोग या जिन को दिल का दौरा पड़ चुका है, कांटेक्ट लेंस का उपयोग करते हैं, ऐसे लोगों को विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।17-44

6.4        20-20-20 नियम का पालन करना उन व्यक्तियों के लिए बहुत आवश्यक है जो डिजिटल उपकरणों का उपयोग करते हैं: इससे आंखों पर अधिक जोर नहीं पड़ता है। हर 20 मिनट के बाद ब्रेक ले लेना चाहिए और किसी वस्तु की ओर देखना चाहिए जो 20 फीट की दूरी पर हो, 20 सेकंड तक। आंखों की देखभाल की ऐप को डाउनलोड करके रखें जो आपको याद दिलाता रहेगा। प्रकाश का भी ध्यान रखना आवश्यक है, अधिक चमक नहीं होनी चाहिए। डिजिटल उपकरणों की डिस्प्ले सेटिंग को भलीभांति समायोजित करें।46-48

References and Links:

1.      Sathya Sai Baba, Divine Discourse on “I and You are One”, Guru Purnima day, 5 July 2001, SSS volume 34, chapter 13, page 182 http://www.sssbpt.info/ssspeaks/volume34/sss34-13.pdf

2.      https://www.merckmanuals.com/home/eye-disorders/biology-of-the-eyes/structure-and-function-of-the-eyes

3.      Structure of eye : https://byjus.com/biology/structure-of-eye/

4.      https://kidshealth.org/en/kids/eyes.html

5.      20/20 vision: https://www.allaboutvision.com/en-in/eye-exam/2020-vision/

6.      20/10 vision: https://www.nvisioncenters.com/lasik/20-10-vision/

7.      Normal eye pressure: https://www.brightfocus.org/glaucoma/question/what-considered-normal-eye-pressure

8.      Study on intraocular pressure: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5957383/

9.      Eye infections: https://www.allaboutvision.com/en-in/conditions/eye-infections/

10.  Conjunctivitis & Prevention: https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/pink-eye/symptoms-causes/syc-20376355

11.  Pink eye & prevention: https://www.allaboutvision.com/en-in/conditions/conjunctivitis/

12.  Trachoma: https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/trachoma

13.  All eye infections & Prevention: https://www.healthline.com/health/infected-eye;  https://www.healthline.com/health/eye-health/home-remedies-for-eye-infection#overview

14.  Refractive errors: https://www.nei.nih.gov/learn-about-eye-health/eye-conditions-and-diseases/refractive-errors

15.  https://www.who.int/news-room/q-a-detail/what-is-a-refractive-error

16.  Cataract: https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/cataracts/symptoms-causes/syc-20353790

17.  Glaucoma: https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/glaucoma/symptoms-causes/syc-20372839

18.  https://www.glaucoma.org/gleams/what-are-the-symptoms-of-glaucoma.php

19.  Retinal disorders: https://www.ccteyes.com/retina-problems-warning-signs-you-may-have-a-retinal-disease/

20.  Floaters: https://www.brightfocus.org/macular/article/what-causes-eye-floaters

21.  Colour blindness: https://www.aoa.org/patients-and-public/eye-and-vision-problems/glossary-of-eye-and-vision-conditions/color-deficiency

22.  Squint & lazy eye: https://www.medicalnewstoday.com/articles/220429

23.  Dry eye: https://www.aoa.org/patients-and-public/eye-and-vision-problems/glossary-of-eye-and-vision-conditions/dry-eye

24.  Watering eyes: https://www.health.com/condition/eye-health/watery-eyes?slide=6f6f7ac5-f902-4822-ab25-fce2aad58c5a#6f6f7ac5-f902-4822-ab25-fce2aad58c5a

25.  Twitching: https://www.allaboutvision.com/en-in/conditions/eye-twitching/

26.  Dark circles: https://www.healthline.com/health/how-to-get-rid-of-dark-circles-permanently#remedieshttps://www.mapsofindia.com/my-india/health/30-best-home-remedies-to-remove-dark-circles-naturally-and-permanently

27.  Coles-Brennan, C., Sulley, A., & Young, G. (2019), Management of digital eye strain, Clinical and Experimental Optometry, 102, 18-29.

28.  Muniraju, N. M.,  Amarnath, H. K., &  Ashwini, M. J.  (2018), A review on effects of electronic Gadgets on eye, Journal of Ayurveda Physicians & Surgeons, 5(1). 

29.  Digital eye strain: https://medpharm.co.za/eye-strain-the-new-affliction-of-the-digital-generation/

30.  Eye injuries: https://www.allaboutvision.com/en-in/conditions/eye-injuries/

31.  First aid tips: https://www.aao.org/eye-health/tips-prevention/injuries

32.  First aid tips: https://www.stjohn.org.nz/first-aid/first-aid-library/eye-injuries/

33.  Washing chemical in eye: https://www.mayoclinic.org/first-aid/first-aid-eye-emergency/basics/art-20056647

34.  Guide to eye exercises & Bates method: https://seeing.org/techniques/

35.  https://www.bateseyeexercises.com/basicInformation.php

36.  Eye exercises for perfect eyesight: https://eyecare.sriaurobindoashram.org/resources/School_For_Perfect_Eyesight.pdf

37.  Dr Agarwal eye care exercises: https://www.slideshare.net/elsavonlicy/agarwal-the-complete-book-of-eye-care

38.  Rejuvenating eye exercises: https://www.lenspure.com/articles/eye-exercises-alleviate-eye-strain

39.  Prevent eye strain:  https://www.healthline.com/health/eye-health/eye-exercises

40.  Splash eyes along with mouthful water: https://www.youtube.com/watch?v=gs-x4tNIGbw

41.  Nutritive diet for eyes: https://www.aoa.org/patients-and-public/caring-for-your-vision/diet-and-nutrition

42.  Eye friendly diet: https://www.allaboutvision.com/nutrition/nutrition_summary.htmhttps://www.allaboutvision.com/en-in/conditions/cataracts/

43.  Importance of Zinc for vision: https://www.aoa.org/patients-and-public/caring-for-your-vision/diet-and-nutrition/zinc

44.  Protect eyes: https://www.allaboutvision.com/en-in/vision-by-age/ways-to-protect/

45.  Prevent blindness & care for infants: https://www.healthline.com/health/blindness

46.  Prevent digital eye strain: Follow 20-20-20 rule says a study; https://www.medicalnewstoday.com/articles/321536

47.  How to prevent eye strain from gadgets: https://gadgets.ndtv.com/laptops/features/how-to-prevent-eye-strain-when-using-a-computer-575879

48.  Prevent digital eye strain: https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/eyestrain/diagnosis-treatment/drc-20372403

 

2. कोविड-19 की घटना का विवरण

#1.चिकित्सक के रोगी का एक प्रेरक अनुभव00512स्लोवेनिया

मैं एक नर्स हूं और स्लोवेनिया के वृद्ध आश्रम में कार्य करती हूं तथा कोविड-19 का उपचार लेती हूं। 27 मार्च को आश्रम में यह वायरस नजर आया और तीव्रता से फैल गया। इससे 53 लोग प्रभावित हुए जिनमें से 30 लोगों ने कुछ सप्ताह में ही घुटने टेक दिए। अब वहां मेरे अलावा कोई दूसरी नर्स नहीं थी जो मेरे साथ कार्य कर सके। वृद्ध आश्रम पूर्णतया पतनावस्था में आ गया थाI स्लोवेनिया के 5 हेल्थ सेंटर और 3 अस्पताल बचाव के लिए आगे आए। यहां तक कि मेडिकल और नर्सिंग कॉलेज के छात्र 2 शहरों से बचाव के कार्य में मदद के लिए आए। दुर्भाग्यवश उनमें से कुछ इस वायरस से संक्रमित थे। मैंने उनको इम्यूनिटी बूस्टर की औषधि जो मैं सेवन कर रही थी, उनको दी। मेरे कुछ साथियों ने उसे स्वीकार करके सेवन करना शुरू कर दिया, वे सभी जल्द ही संक्रमण मुक्त हो गए। वहां के अधिकारी वर्ग के व्यक्तियों ने उस भयानक स्थिति में इसका सेवन करने से इंकार कर दिया। चूंकि मैं इस महामारी के केंद्र पर रह रही थी तो मैंने अपनी बेटी, सहयोगियों और रिश्तेदारों से दूरी बना ली और पास के होटल में ही रहने लगी। यह बहुत मुश्किल था परंतु मैं उन सब से केवल फोन पर ही मुलाकात 8 हफ्तों तक करती रही। मुझे डॉक्टर के साथ सभी निवासियों के पास जाना पड़ता था। शाम को मैं अपने होटल से ही आने वाले स्टाफ को फोन, टेक्स्ट या वीडियो कॉल पर मार्गदर्शन देती थी। मुझे उनके रहने और खाने की व्यवस्था की देखरेख करनी पड़ती थी। यह कार्य बहुत ही मुश्किल, तनावपूर्ण और थकाने वाला था। कार्य करने की समय-सारिणी भी बहुत चुनौतीपूर्ण थीI

प्रमुख बात यह है कि इस कठिन समय में जिस को भुला देना असंभव है लेकिन मैं पूर्णतया सुरक्षित रही जिसका पूरा श्रेय इम्यूनिटी बूस्टर को है जिसने मुझे बचाए रखा और मेरे स्वास्थ्य की रक्षा भी की। जैसा कि मैं अब लिख रही हूं कि मैं चिकित्सक के प्रति बहुत आभारी हूं जिसको, अपनी मदद के लिए, कभी भी बुला सकती थी। ‘धन्यवाद’ शब्द आपके सहयोग के लिए काफी नहीं है “जो कुछ भी आपने मेरे लिए किया! मैं आपसे बहुत प्रेम करती हूं”।

#2. एक अमेरिकन बुजुर्ग व्यक्ति से प्राप्त ईमेल द्वारा प्रतिक्रिया

कोविड-19 के लिये नयी वाइब्रोनिक्स बूस्टर की पहली खुराक लेते ही मैं इसके अद्भुत प्रभाव से चकित हो गया। मैंने, विभिन्न स्थानों (अंगों) पर अपने शरीर में, पिछले 5 वर्षों में, जहां भी चोट लगी थी जैसे कि मूत्राशय, कूल्हे, छोटी आंतें और सिर की गंभीर चोट, जो कि प्रमुख है, लगातार संवेदना महसूस की। मैं स्पष्ट रूप से औषधि के प्रभाव को महसूस कर रहा था। व्यक्तिगत रूप से हर स्थान पर कई मिनटों तक उसके प्रभाव को महसूस करता रहा। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि इसका प्रभाव मेरी मानसिकता और दिमाग पर भी पड़ा था। मैंने दो शक्तिशाली और हार्दिक भावनात्मक संवेदनाओं को महसूस किया और आशा करने लगा कि पुराने आघातों से छुटकारा मिल जाएगा जो कि बहुत दर्द भरे अनुभव थे। केवल समय ही बताएगा वास्तविक उपचार की स्थिति को, लेकिन कॉम्बो ने एक प्रभावशाली ढंग से कार्य किया जिसने मेरी सभी स्वास्थ्य समस्याओं का पता लगाया हैI

3. वर्चुअल रिफ्रेशर कार्यशाला 8-12 मई, 2020 - दिल्ली-एनसीआर वाइब्रोनिक्स टीम की एक पहल

इस आयोजित कार्यशाला में 40 चिकित्सकों ने भाग लिया जो एक बड़ी सफलता थी।

कार्यशाला के प्रथम दिवस पर पूरे वाइब्रॉनिक्स कोर्स के आधार पर एक मनोरंजक प्रश्नोत्तरी का आयोजन एक शिक्षक11422 द्वारा किया गया। इसमें भाग लेने वाले चिकित्सकों को समाचार पत्रों को पढ़ना था तथा नवीनतम समाचार पत्रों के क्षेत्र में होने वाली प्रगतियों के बारे में सूचना देनी थी। दूसरे दिन उपचार द्वारा मिली सफलता के बारे में अध्यापक और दिल्ली एनसीआर के समन्वयक02859 के मार्ग निर्देशन में विचार विमर्श किया गया। जितने भी चिकित्सक वहां थे, उन्होंने वाइब्रॉनिक्स के प्रति आभार प्रदर्शित किया। उन लोगों ने इस बात पर भी बल दिया कि सफल केसों को एक फॉर्मेट में लिखा जाए, रोगियों के उन अंगों का साथ में फोटो भी रखा जाए जो रोग से ग्रसित था, जहां कहीं भी यह संभव हो और रेमेडी को कम करने की प्रक्रिया पालन करेंI तीसरे दिन चिकित्सक11964 ने कार्य का संचालन किया तथा चिकित्सकों ने अपने अपने विचारों द्वारा सब को बतलाया कि किस प्रकार वाईब्रिओनिक्स ने उनके जीवन को रूपांतरित किया है। जैसे-जैसे कार्यशाला आगे बढ़ती गई, एक चिकित्सक इस बात का साक्षी है कि उसने इस प्रणाली का हिस्सा होने के नाते कितने ही लोगों के दिलों को विनम्रता, और सामाजिक जिम्मेदारी से सेवा के लिए प्रेरित कर दिया है। चौथे दिन वाईब्रिओनिक्स की संगठनात्मक संरचना और आगे के लिए रास्ता अपनाने के बारे में चर्चा की गई। सभी को IASVP की सदस्यता लेने के लिए प्रेरित किया गयाI यह अब सभी के लिए आवश्यक है।

श्रीमती हेम और डॉ. अग्रवाल पांचवें दिन कार्यशाला में पहुंच कर बहुत प्रसन्न हुए। श्रीमती हेम ने कोविड-19 से संबंधित प्रश्नों के उत्तर दिए। उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर कुछ सुझाव भी दिए। इसके अतिरिक्त उन्होंने केस हिस्ट्री लिखने के लिए एक जांच सूची भी प्रदान की जिसके आधार पर उस केस हिस्ट्री को प्रकाशित करने के लिए भेजा जा सके, अंतिम संस्करण तैयार करने के पहले। स्वामी की सतर्क नजरों के समक्ष डॉक्टर अग्रवाल ने वाईब्रिओनिक्स के विकास के बारे में चर्चा की। उन्होंने वाईब्रिओनिक्स के रिसर्च कार्यक्रम के बारे में भी एक विहंगम दृश्य प्रस्तुत किया । एक रिसर्च और वैलनेस सेंटर की पुट्टपर्थी में स्थापना,जो कि अगले 2 वर्षों में तैयार हो जाएगा, के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने चिकित्सकों से आग्रह किया कि उन्हें नियमित रूप से समाचार पत्रों, कोर्स की पुस्तकों और कान्फ्रेंस की पुस्तक को पढ़ते रहना चाहिए। उन्होंने बार-बार दोहराया कि हमें स्वामी पर अपना ध्यान केंद्रित रखना चाहिए जिससे कि चिकित्सक उपचार में अपना पूरा ध्यान लगा सके। स्वामी के आशीर्वाद के फलस्वरुप यह कार्यशाला अनुभव प्राप्त करने के लिए एक अच्छा मंच साबित हुआ।

कार्यशाला के प्रथम दिवस पर पूरे वाइब्रॉनिक्स कोर्स के आधार पर एक मनोरंजक प्रश्नोत्तरी का आयोजन एक शिक्षक11422 द्वारा किया गया। इसमें भाग लेने वाले चिकित्सकों को समाचार पत्रों को पढ़ना था तथा नवीनतम समाचार पत्रों के क्षेत्र में होने वाली प्रगतियों के बारे में सूचना देनी थी। दूसरे दिन उपचार द्वारा मिली सफलता के बारे में अध्यापक और दिल्ली एनसीआर के समन्वयक02859 के मार्ग निर्देशन में विचार विमर्श किया गया। जितने भी चिकित्सक वहां थे, उन्होंने वाइब्रॉनिक्स के प्रति आभार प्रदर्शित किया। उन लोगों ने इस बात पर भी बल दिया कि सफल केसों को एक फॉर्मेट में लिखा जाए, रोगियों के उन अंगों का साथ में फोटो भी रखा जाए जो रोग से ग्रसित था, जहां कहीं भी यह संभव हो और रेमेडी को कम करने की प्रक्रिया पालन करेंI तीसरे दिन चिकित्सक11964 ने कार्य का संचालन किया तथा चिकित्सकों ने अपने अपने विचारों द्वारा सब को बतलाया कि किस प्रकार वाईब्रिओनिक्स ने उनके जीवन को रूपांतरित किया है। जैसे-जैसे कार्यशाला आगे बढ़ती गई, एक चिकित्सक इस बात का साक्षी है कि उसने इस प्रणाली का हिस्सा होने के नाते कितने ही लोगों के दिलों को विनम्रता, और सामाजिक जिम्मेदारी से सेवा के लिए प्रेरित कर दिया है। चौथे दिन वाईब्रिओनिक्स की संगठनात्मक संरचना और आगे के लिए रास्ता अपनाने के बारे में चर्चा की गई। सभी को IASVP की सदस्यता लेने के लिए प्रेरित किया गयाI यह अब सभी के लिए आवश्यक है।

श्रीमती हेम और डॉ. अग्रवाल पांचवें दिन कार्यशाला में पहुंच कर बहुत प्रसन्न हुए। श्रीमती हेम ने कोविड-19 से संबंधित प्रश्नों के उत्तर दिए। उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर कुछ सुझाव भी दिए। इसके अतिरिक्त उन्होंने केस हिस्ट्री लिखने के लिए एक जांच सूची भी प्रदान की जिसके आधार पर उस केस हिस्ट्री को प्रकाशित करने के लिए भेजा जा सके, अंतिम संस्करण तैयार करने के पहले। स्वामी की सतर्क नजरों के समक्ष डॉक्टर अग्रवाल ने वाईब्रिओनिक्स के विकास के बारे में चर्चा की। उन्होंने वाईब्रिओनिक्स के रिसर्च कार्यक्रम के बारे में भी एक विहंगम दृश्य प्रस्तुत किया । एक रिसर्च और वैलनेस सेंटर की पुट्टपर्थी में स्थापना,जो कि अगले 2 वर्षों में तैयार हो जाएगा, के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने चिकित्सकों से आग्रह किया कि उन्हें नियमित रूप से समाचार पत्रों, कोर्स की पुस्तकों और कान्फ्रेंस की पुस्तक को पढ़ते रहना चाहिए। उन्होंने बार-बार दोहराया कि हमें स्वामी पर अपना ध्यान केंद्रित रखना चाहिए जिससे कि चिकित्सक उपचार में अपना पूरा ध्यान लगा सके। स्वामी के आशीर्वाद के फलस्वरुप यह कार्यशाला अनुभव प्राप्त करने के लिए एक अच्छा मंच साबित हुआ।