अतिरिक्त
Vol 10 अंक 3
मई/जून 2019
1. ताजा फलों से स्वास्थय व प्रसन्नता का स्वाद लें।
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शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिये तुम को हर प्रकार के प्रोटीन और विटामिन्स की आवश्यकता होती है फल खाओ - और सब्जियाँ खाओ जो तुम्हें शक्ति प्रदान कर सकती हैं।’’…Sri Sathya Sai Baba1
1. फल क्या है?
माँ धरती के मूल्यवान उपहारों में से एक उपहार फल, किसी पौधे या पेड़ का गूदेदार उत्पाद है जिसमें बीज भी होते हैं। फल का प्राथमिक उद्देश्य बीजो की सुरक्षा और फिर उनका प्रसारण करना होता है जिससे कि प्रकृति का संतुलन बना रह सके। अनुग्रह के कारण यह मनुष्यों की भूख और प्यास भी मिटाता है जिससे कि वह प्रकृति के अनुरूप जीवन यापन कर सकें। 2-4
फल अधिकतर मीठे या खट्टे होते हैं जिन्हें कच्चा ही खाया जा सकता है जैसा कि बोल चाल में समझा जाता है, इनमें शामिल हैं - केला, आम, चीकू, पपीता, सेब, नाशपाती, अमरूद, अनार, तरबूज, अंगूर, अनानास, संतरा, चकोतरा, आडू, बेर, चेरी, कीवी, अंजीर, खुबानी और बेरीज। विज्ञान के अनुसार सर्व विदित सब्जियाँ जैसे कि ककड़ी, टमाटर, शिमला मिर्च, कद्दू, बैंगन भी फल हैं। फलियाँ, कुछ मसाले यहाँ तक कि साबुत अनाज जो वास्तव में बीज होते है जिनमें एक फल की एक दीवार होती है। मेवे भी फल हैं जिनका खोल कड़ा होता है। वर्ष 1893 में अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने फल और सब्जियों के बारे में निर्णय देकर इस बहस का अन्त कर दिया। उनके अनुसार टमाटर एक सब्जी है क्योंकि लोग ऐसा ही सोचते हैं और इसी तरह उपयोग करते हैं न कि फल के रूप में या मिठाई के रूप में। 5-7
2. फलों के लाभ
आदर्श रूप से हमारे भोजन में पानी की मात्रा हमारे शरीर की मात्रा से अधिक होनी चाहिये। फलों में 90% पानी होता है और शरीर को जलयोजित रखता है और शक्ति प्रदान करता है। एक अध्ययन के अनुसार पुरानी भारतीय कहावतों के अनुसार पानी को फलों के द्वारा खाना अधिक लाभप्रद होता है। यदि हमारे खाने में 30% भाग स्थानीय तौर पर उगाये गये फलों का सेवन करते हैं तो हम कभी भी बीमार ही नहीं पड़ेगे। 8-9
प्रत्येक फल अपने आप सम्पूर्ण आहार होता है, बहुत पौष्टिक और आसानी से पच जाने वाला होता है और हमारे शरीर पर किसी प्रकार का दबाब देने वाला नहीं होता है। यह कम कैलोरी युक्त, अत्याधिक खनिज पदार्थों युक्त और विटामिन युक्त होता है। यह शरीर की प्रोटीन आवश्यकता को 10% तक पूर्ण कर देता है। 5,8,9,10
सभी फल हमारे लिये हितकर होते हैं क्योंकि ये हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को चुस्त बनाते है तथा मधुमेह जैसे रोगों, हृदय संबंधी बीमारियों और पाचन तंत्र की समस्या, प्रोस्टेट के बढ़ने की समस्या, गुर्दे में पथरी, कैन्सर, हार्मोन संतुलन, उम्र के साथ,हड्डी को नुकसान होने की समस्या, को रोक देते हैं, रक्त दाब को नियमित रखने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का कार्य भी करते हैं। प्रत्येक फल में कुछ विशेष होता है जिसे वह हमें प्रदान कर देते हैं। अतः हमें भिन्न-भिन्न प्रकार के ताज़ा फलों को स्थानीय बाजार से लेकर सेवन करना चाहिये। फ्रोजन, डिब्बा बंद तथा संसाधित (प्रोसेस्ड) फलों का सेवन नहीं करना चाहिये। मौसमी फलों के सेवन से मौसमी बिमारियों से बचने में मदद मिलती है। हमारी आस पास की जमीन में उगने वाले फलों का जब हम सेवन करते हैं तो हमें यह अहसास होता है कि मौसम के अनुकूल फल हमें प्राप्त हो रहा है। तरबूज और आम का सेवन गर्मियों में करना चाहिये। जहाँ तक संभव हो,यदि फलों को उनके प्राकृतिक स्वरूप में ही सेवन किया जाये, छिलके और बीज को बिना फेंके तो वह हमारे लिये अत्यधिक लाभप्रद होता है, फलों को रस के रूप में न लें। 5,9,11
मधुमेह के रोगी को मौसमी फलों का सेवन उसी रूप में करना चाहिये न कि जूस के रूप में। जूस को लेने से रक्त में शुगर की मात्रा तेजी से बढ़ जाती है। वह फल जिनका ग्लाईसेमिक इन्डेक्स (GI) कम होता है वह मधुमेह के रोगियों के लिए अधिक सुरक्षित रहता है। जामुन या काले बेर या स्ट्राबेरी में मधुमेहरोधी गुण होते हैं। बुद्धिमानी इसी में है कि मधुमेह के रोगी खान-पान संबंधी दिशा निर्देशों का पालन करें। 12-15
ग्रह के अनुकूलः पका कर खाने की अपेक्षा कच्चा खाने से कार्बन का उत्सर्जन कम होता है तथा यह वातावरण को शुद्ध रखने में, मदद करता है। फल पेड़ो पर लगते हैं। इनकी खेती नहीं होती है,फलों के सेवन से प्राकृतिक नज़र से विश्व में बहुत बड़ा परिवर्तन हो जायेगा। अतः फलों के सेवन से हम अपने ग्रह की सेवा करते हैं! 10,16
3. फलों को कब और कैसे खाना चाहिये
फलों को स्वच्छ करना : फल को पानी से अच्छी तरह धोकर एक बाऊल में रखे, जो पानी से आधा भरा हो जिसमें एक चम्मच नमक व दो चम्मच सिरका मिला हुआ हो। 20 मिनिट तक उसी पानी में रखकर फिर से पानी से धोलें जहाँ तक हो सके नल के निकलते पानी से, जिससे कि उस पर चिपकी हुई गन्दगी साफ हो जाये। या फिर, एक बूंद CC17.2 Cleansing या NM72 Cleansing को स्वच्छ जल में डाल कर फल को उसमें डुबो दो।17
फल के छिलके या खोल उसमें उपस्थित एन्टी-ऑक्सीडेन्ट विटामिन की सुरक्षा करते हैं। एक बार फल को काटने के बाद उसे तुरंत ही या 30 मिनट के अन्दर ही खा लेना चाहिये। यदि यह संभव न हो तो उसे तुरंत ही फ्रिज में रख देना चाहिये। ऐसा न करने से उसमें उपस्थित विटामिन्स आक्सीकृत हो जाते हैं और किसी काम के नहीं रहते है। 18
फल खाने का उचित समय : घड़ी की सटीकता पर न जाइये। फल को भूखे पेट पर खाइये जिससे कि पेट पौष्टिक तत्वों को आसानी से अवशोषित कर सके और तंत्र को आसानी से डिटौक्सीफाई कर सके। दिन का प्रारंभ फलों से करने से बेहतर कुछ भी नहीं है! 19-22
फलों को पचाने के लिये पेट द्वारा उत्पन्न अम्ल की आवश्यकता नहीं होती है, वह सीधे ही पेट से होकर आंतो में चले जाते हैं। इसीलिये फलों को अलग से खाना चाहिये बिना किसी मिलावट के, एक बार में एक ही फल का सेवन करें। तार्किक रूप से, भोजन के 30 मिनट पूर्व या 1 घंटा पूर्व फल का सेवन करना चाहिये। खाने के बाद मिठाई के रूप में कभी न खायें। 19,20
मुँह में पहला कौर रखते ही पाचन क्रिया आरंभ हो जाती है। यह भोजन समाप्त हो जाने की प्रतीक्षा नहीं करती है। फलों और सब्जियों को छोड़ कर सामान्य शाकाहारी भोजन को पचाने में पेट को दो से ढ़ाई घंटे का समय लगता है, उसके बाद भोजन छोटी आंतों में चला जाता है। अतः फल खाने का समय भोजन करने के 2 घंटे बाद है अन्यथा फल अवशोषित होने के बजाय किण्वित (फर्मन्ट) हो जायेगा। 19-22
एक अध्ययन के अनुसार खट्टे फलों का सेवन प्रातः 10 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच में करना उत्तम होता है लेकिन खाली पेट नहीं। मीठे फल जैसे कि केला और आम का सेवन सोने से पहले नहीं करना चाहिये। इनके सेवन से ऊर्जा स्तर बढ़ जाता है और ठीक से नींद नहीं आती है।19,22
फलों की आदर्श मात्रा : यदि प्रतिदिन के आहार में सब्जियाँ और साबुत अनाज हों तो दो बार फलों का सेवन पर्याप्त है। 150gm हर बार यदि फलों पर व्रत हो तो सेवन तीन बार करें, यदि आहार सामान्य हो। उदाहरण के लिए सामान्य नियम है, ‘कुछ भी अधिक नहीं’ जैसे कि 2 केले मदद करेंगे लेकिन 4 केले नुकसान करेंगे।एक अध्ययन के अनुसार खट्टे फलों का सेवन प्रातः 10 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच में करना उत्तम होता है लेकिन खाली पेट नहीं। मीठे फल जैसे कि केला और आम का सेवन सोने से पहले नहीं करना चाहिये। इनके सेवन से ऊर्जा स्तर बढ़ जाता है और ठीक से नींद नहीं आती है। 23,24
फलों का संयोजन25-27 : मुख्य रूप से हम फलों को तीन श्रेणियों में रख सकते हैं - मीठे, खट्टे (अम्लीय) तथा मीठे/खट्टे (अर्ध अम्लीय)। इसका कारण है फल में उपस्थित फ्रक्टोस, अम्ल, विटामिन्स, प्रोटीन, सैल्यूलोस और स्टार्च की भिन्न-भिन्न मात्रायें जो उन्हें एक विशेष स्वाद प्रदान करते हैं और उनकी श्रेणी का निर्धारण करते हैं।
केला, नाशपाती, अमरूद, अंगूर, खजूर तथा सभी प्रकार के तरबूज-खरबूजा (जिनमें पानी बहुत मात्रा में होता है। ऐसे कुछ फल हैं जो स्वाद में मीठे होते हैं। खट्टे फलों की अपेक्षा इनमें फ्रक्टोस की मात्रा अधिक होती है। ब्लैक करंट (काले बेर) रसभरी, कीवी ये फल खट्टे होते हैं। खट्टे फल जैसे कि नींबू, लाईम और अंगूर भी खट्टे होते हैं पर कभी-कभी कड़वे भी हो सकते हैं। इनमें अम्ल की मात्रा अधिक होती है।
सभी फल मीठे या खट्टे नहीं होते हैं। कुछ फल जैसे कि संतरे, अनार, अनानास, सेब, आम, नाशपाती, पपीता, स्ट्राबेरी, ब्लैक बेरी में अम्ल और फ्रकटोस की मात्रा बराबर होती है इसलिये इनका स्वाद खट्टा-मीठा होता है।
एक ही श्रेणी के फलों का पाचन समान गति से होता है अतः उनका संयोजन किया जा सकता है। मीठे फलों को खट्टे फलों के साथ नहीं मिलाना चाहिये। हालांकि, मीठे/खट्टे फलों को मीठे या खट्टे फलों के साथ मिलाया जा सकता है।25-27
4. सवधानियाँ एवं सुझाव
आयुर्वेद विज्ञान के अनुसार जो भोजन हम करते हैं वह अच्छे स्वस्थ्य के लिये हमारे अन्दर विद्यमान पांचों तत्वों- ईथर, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी के अनुकूल होना चाहिये। असंगत भोजन पदार्थों का संयोजन हमारे अन्दर पाचक अग्नि को भ्रमित कर देता है तथा असंतुलन पैदा हो जाता है। तदनुसार :19
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केवल एक फल का ही सेवन करें उसे किसी अन्य पदार्थ से न मिलायें लेकिन तब जब पेट भरा हुआ नहीं हो।
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फल का सेवन करने से पहले कम से कम आधा या एक घंटे पूर्व पानी पीले। फल खाने के तुरंत बाद पानी न पीयें ऐसा करने से पाचन तंत्र में गड़बड़ी होती है तथा डायरिया एवं पेट फूलता है।
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ताजा फलों का संयोजन कच्ची या पक्की हुई सब्जियों के साथ न करें।
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मीठे फलों को भी दूध के साथ सेवन न करें क्योंकि हमारे शरीर में 2 से 5 वर्ष की आयु के बाद पर्याप्त जीवणु (लैक्टेस) का उत्पादन नहीं होता है जो दूध के प्रोटीन को पचाने के लिये आवश्यक है।28 जब हम फल के साथ दूध का सेवन करते हैं तो फल के खाने से लाभ मिलने के स्थान पर बिमारियों को आमंत्रण दे देते हैं, यह हमारे पाचनतंत्र पर अधिक भार डालने वाला हो जाता है।29
5. अंतिम सुझाव!
कभी-कभी सामान्य निर्देश कुछ व्यक्तियों के अनुकूल नहीं होते हैं, क्योंकि शरीर रचना भिन्न-भिन्न होती है और प्रत्येक व्यक्ति अपने आप में विशिष्ट होता है। जो कुछ भी हम खाते हैं उस पर हमें ध्यान देना चाहिये और इस बात की जानकारी होनी चाहिये उससे हमें कैसा महसूस होता है। शरीर हमें जो संकेत देता है उसके प्रति यदि हम सावधान रहेंगे तो हम यह जान सकेंगे कि हमारे लिये क्या अच्छा है, कब और कितना खाना चाहिये।
References and Links:
- Health, Food, and Spiritual Disciplines, Divine Discourse 8 October 1983, Sathya Sai Baba Speaks on Food, Sri Sathya Sai Sadhana Trust, Publications Division, First edition, 2014, page 56.
- What is a fruit: https://www.organicfacts.net/health-benefits/fruit
- https://www.cropsreview.com/functions-of-fruits.html
- http://www.uky.edu/hort/Ecological-importance-of-fruits
- Types of fruit: https://www.nutritionadvance.com/healthy-foods/types-of-fruit/
- Tomato is vegetable: https://www.livescience.com/33991-difference-fruits-vegetables.html
- https://en.wikipedia.org/wiki/Nix_v._Hedden
- Eat water through fruits: https://www.youtube.com/watch?v=gSYsI3GCbLM
- https://isha.sadhguru.org/us/en/wisdom/article/fruit-diet-good-for-you-planet
- Fruits have protein: https://www.myfooddata.com/articles/fruits-high-in-protein.php
- https://www.healthline.com/nutrition/20-healthiest-fruits
- For diabetics: https://www.everydayhealth.com/type-2-diabetes/diet/fruit-for-diabetes-diet/
- https://diabetes-glucose.com/fruit-diabetes-diet/
- https://www.onlymyhealth.com/health-slideshow/best-fruits-diabetics-eat-1271667125.html
- https://drmohans.com/dos-and-donts-in-diabetes/
- Impact on planet: https://www.independent.co.uk/life-style/health-and-families/veganism-environmental-impact-planet-reduced-plant-based-diet-humans-study-a8378631.html
- Washing fruits: Manual for Senior Vibrionic Practitioners, 2018, chapter 9, A.6, page86; Newsletter, vol.8, # 5, Sept-Oct 2017, Health Tips, Enjoying food the healthy way, para 6, https://news.vibrionics.org/en/articles/228
- Cut fruits: https://www.verywellfit.com/fruits-vegetables-cut-nutrients-lost-2506106
- Healthy Fruit eating: http://www.muditainstitute.com/articles/ayurvedicnutrition/secrettohealthyfruiteating.html
- https://www.quora.com/Do-fruits-need-stomach-acids-to-get-digested
- http://www.ibdclinic.ca/what-is-ibd/digestive-system-and-its-function/how-it-works-animation/
- https://www.ayurvedabansko.com/fruits-and-vegetables-in-ayurveda/
- How much to eat: https://www.eatforhealth.gov.au/food-essentials/how-much-do-we-need-each-day/serve-sizes
- How much Satvic food: http://www.saibaba.ws/teachings/foodforhealthy.htm
- Food combinations: https://lifespa.com/fruit-ayurvedic-food-combining-guidelines/
- https://www.ehow.com/info_10056003_sweet-vs-sour-fruits.html
- http://www.raw-food-health.net/listoffruits.html#axzz5mXlWmuVw
- Inadequate lactase in adult to digest milk: https://healthyeating.sfgate.com/milk-digestible-4441.html
- Science of nutrition-yogic view: https://www.kriyayoga-yogisatyam.org/science-of-nutrition
2. AVP कार्यशाला, पुट्टपर्थी, भारत, 6-10 मार्च 2019
इस 5-दिवसीय कार्यशाला में कुल आठ व्यक्तियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। इनमें से 6 व्यक्ति (2 डाक्टर्स भी थे, व अब पुट्टपर्थी के जनरल हॉस्पिटल में स्वैच्छिक सेवायें दें रहे हैं) इनमें से एक व्यक्ति फ्रांस का और एक व्यक्ति क्रोशिया का था। इस प्रशिक्षण के दौरान दो कोर्स अध्यापको10375&11422 ने कृत्रिम चिकित्सालय का भी आयोजन किया। इस प्रशिक्षण में 4 अन्य चिकित्सकों ने भी ज्ञान वर्धन हेतु भाग लिया। दो डॉक्टर्स के सहयोग ने इस कार्यशाला को और अधिक समृद्ध बना दिया जिससे यह कार्यशाला जीवंत और परस्पर संवादात्मक हो गई। प्रशिक्षणार्थियों ने कोर्स की सामग्री और अधिक व्यावहारिक बनाने के बारे में सुझाव दिये यह उपलब्धि और अधिक मॉक/फील्ड क्लिनिक के आवंटन से संभव हो सकती है। एक सत्र, केस हिस्ट्री लिखने के लिये समर्पित किया गया जिसमें प्रायोगिक उदाहरण दिये गये, रोगी से संबंधित सूक्ष्म जानकारी के लाभ भी बताये गये।
प्रतिभागियों को डा० अग्रवाल ने संबोधन से ज्ञानवर्धन किया तथा उन्हें यह भी बतलाया कि कैसे इस शक्तिशाली उपचार का प्रादुर्भाव हुआ और स्वामी ने किस प्रकार हर चरण पर मार्ग दर्शन किया, उनका मार्ग दर्शन अभी भी मिल रहा है और वाईब्रोनिक्स से किस प्रकार चिकित्सकों का रूपांतरण हो रहा है।
3. जागरूकता और पुनश्चर्य गोष्ठी-कैम्बरै, फ्रांस, 9 मार्च 2019
चिकित्सकों के डाटा के अपडेट करने के प्रयास में फ्रैंच की र्कोडिनेटर01620 की मुलाकात बहुत से पुराने चिकित्सकों से हो गई जिनके पास SRHVP थी और वे इस प्रणाली में पुनः प्रशिक्षण लेना चाहते थे विशेषकर 108CC बॉक्स के उपयोग में। उन्होंने इस जागरूकता अभियान आयोजन को एक चिकित्सक के घर पर किया था। इसमें भाग लेने वाले चिकित्सकों की संख्या 9 थी। उनको बतलाया गया कि किस प्रकार वाइब्रोनिक्स का उत्थान हुआ और अभी भी हो रहा है और किस प्रकार से वे अपना योगदान कर सकते हैं। उसने वाइब्रोनिक्स का साहित्य उनके समक्ष रखा जो अब आसानी से पुस्तकों के रूप में उपलब्ध है। प्रथम अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेन्स का साहित्य भी पुस्तक के रूप में उपलब्ध है। हमारी मुख्य साईट पर भी पुस्तक के रूप में उपलब्ध है।
उन सभी में एक साथ सीखने का उत्साह था और इस मिशन में सक्रिय कार्य करने के लिये उत्सुक थे। वे अपने मित्रों को भी इस मिशन में शामिल करने के लिये भी तैयार थे। कुछ चिकित्सकों के पास 108CC बॉक्स भी था, उन्होंने अपने अनुभवों का आदान प्रदान करने के लिये इस अवसर का उपयोग किया तथा अपने-अपने 108CC बॉक्स को रिचार्ज भी किया।
4. SVP कार्यशाला और रिफ्रेशर, पैरीगिक्स, फ्रांस 16.20 मार्च 2019
फ्रांसीसी समन्वयक और प्रशिक्षक01620 द्वारा उनके निवास पर पांच-दिवसीय SVP पाठ्यक्रम संचालित किया गया था। उन्होंने SVP बनने की भूमिका और जिम्मेदारियों पर प्रकाश डालते हुए सारगर्भित वक्तव्य दिया जिसे सभी प्रतिभागियों ने स्वागत किया। VP जिसने मॉरीशस से आने के लिए सभी तरह के प्रयास किए और शानदार प्रदर्शन किया और SVP के रूप में योग्यता हासिल की और फिर SRHVP में अपने सह-प्रतिभागी के लिए एक उपाय किया।
दो SVP जिन्होंने एक साल पहले योग्यता प्राप्त की थी, ने अपने अनुभव और केस इतिहास साझा करके सक्रिय भाग लिया। उन्होंने गहन 5-दिवसीय कार्यशाला को अमूल्य पाया। यह पाठ्यक्रम स्काइप पर डॉ. अग्रवाल के साथ एक सूचनात्मक प्रश्न और उत्तर सत्र के साथ संपन्न हुआ।
5. नई दिल्ली, भारत में रिफ्रेशर कार्यशाला, 23 मार्च 2019
नई दिल्ली के समन्वयक और अध्यापक02059 ने एक बहुत ही प्रेरणादायक कार्यशाला का आयोजन साई अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र पर किया जिसमें 19 प्रतिभागियों ने भाग लिया। उन्होंने बहुत ही जटिल रोगों के बारे में सफलतापूर्वक अपने विचारों का आदान-प्रदान किया। डा० अग्रवाल ने चिकित्सकों से आग्रह किया कि उन्हें वाइब्रोनिक्स उपचार का निरंतर निस्वार्थ भाव और स्वामी के प्रति आभार और समर्पण के साथ जैसा कि उन्होंने स्वामी के समक्ष शपथ ग्रहण के समय किया था, करते रहें। अपने ज्ञान को उच्च स्तर तक ले जाने के लिये प्रयासरत रहें, टीम वर्क में विश्वास रखें और प्रशासनिक कार्यों में अपने योगदान के लिये आगे आयें जिससे कि वाइब्रोनिक्स का विकास सही दिशा में होता रहे।
हाल में समाचार पत्रों में वर्णित कुछ महत्वपूर्ण वाइब्रोनिक्स पहलुओ के बारे में विस्तार से चर्चाये हुई, उनमें से कुछ निम्न रूप से वर्णित हैं-
- यदि चिकित्सक 2 सप्ताह से अधिक समय के लिये बाहर जाता है तो उसके स्थान पर उपचार की समुचित व्यवस्था करना आवश्यक है।
- कुछ रेमेडीज़ को तैयार करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है जैसे कि आँख में डालने की दवा बनाते समय पानी को उबाल कर उसे ठंडा करना आवश्यक है, कान में डालने की औषधि को शुद्ध घी या तेल में ही बनायें, चर्म रोगों के लिये पानी में बनाई औषधि अधिक प्रभावशाली होती है, बजाय तेल, क्रीम या जैल के।
- निर्देशानुसार फोटो को लेने के लिये कोण, दूरी और प्रभावित भाग का ध्यान रखना तथा 108CC बॉक्स को हर 2 साल के बाद रिचार्ज करना।
- प्रत्येक रोगी को उचित भोजन, निद्रा, व्यायाम तथा स्वच्छ हवा में गहरी सांस लेने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये जिससे कि वे स्वस्थ जीवन जी सकें।
- जिस समय आप औषधि बनाते हैं उस समय रोगी को हमारे समाचार पत्रों, सेमिनार की पुस्तकों को पढ़ने के लिये दें, इससे उनका वाइब्रोनिक्स के प्रति विश्वास बढ़ेगा।
- लक्षण समाप्त हो जाने के बाद औषधि की खुराक को धीरे-धीरे कम करें तत्पश्चात् रोगी की रोग विरोधी क्षमता को बढ़ाने के लिये उसे क्लींसिंग और इन्यूनिटी बढ़ाने बाली औषधि का वैकल्पिक रूप में उपयोग करायें जिससे कि रोग दुबारा आक्रमण न कर सके। तत्पश्चात् मियाज्म से उपचारित करें जिससे कि रोग जड़ से ही समाप्त हो जाये।
- मन से दूषित विचारों को निष्कासित करने हेतु क्षमाशीलता के सिद्धान्त को अपनाये।