साई व्हाइब्रियोनिक्स पत्रिका

" जब आप किसी हतोत्साहित, निराष या रोग ग्रस्त व्यक्ति को देखते हो, वहीं आपका सेवा क्षेत्र है " Sri Sathya Sai Baba
Hands Reaching Out

Vol 10 अंक 2
मार्च/एप्रैल 2019
मुद्रणीय संस्करण


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डॉ० जीत के अग्रवाल की कलम से

प्रिय चिकित्सकों,

महाशिवरात्रि के इस पावन अवसर पर तुम्हें संदेश लिखते हुये मुझे अपार हर्ष की अनुभूति हो रही है। हमारे प्रिय स्वामी साईं बाबा शिव और शक्ति के स्वरूप हैं, उन्होंने कहा है कि ’’सदैव प्रयास करते रहो। यही मुख्य बात है जो मनुष्यों के लिए अनिवार्य है। यहाँ तक कि जो लोग आज ईश्वर में विश्वास नही करते हैं और जब उन्हें इस पवित्र मार्ग पर चलना है तो उन्हें हृदय विदारक कष्टों का सामना करना पड़ता है। यदि तुम मुक्ति के लिए थोड़ा सा भी प्रयास करते हो तो ईश्वर तुम्हारी सौगुनी मदद करते हैं। शिवरात्रि तुम्हें इसी आशा का सन्देश देती है।’’… Discourse by Sathya Sai Baba, Maha Shivaratri, Prashanthi Nilayam, 4 March 1962. मैं सभी प्रैक्टिशनर्स से आग्रह करता हूँ कि वे इस संदेश को अपने हृदयों में धारण कर लें और जीवन के हर क्षेत्र में, पूरे जोर और सार्मथ्य के अनुसार, इसका पालन करें। इससे तुम्हें अपनी वाइब्रो सेवा में सफलता मिलना अवश्यम्भावी है।

हमने वाइब्रो प्रैक्टिश्नर्स की गुणवत्ता में काफी प्रगति की है इसी प्रकार संगठनात्मक क्षमताओं में भी वृद्धि की है। मुझे खुशी है कि हमारे प्रयास सफल हो रहे हैं, मैं उनमें से कुछ का वर्णन कर रहा हूँ।

हमने अपने प्रशासनिक आधार को काफी सुदृ़ढ़ बना लिया है, हमने कई नये समन्वयक बनाये हैं जिसकी वजह से रिपोर्ट मिलने में आसानी हो गई है। दर असल कुछ समन्वयक तो अपने स्तर पर चिकित्सकों से सम्पर्क करके रिपोर्ट तैयार कर लेते हैं। बहुत से चिकित्सक ऐसे हैं जो अपनी मासिक रिपोर्ट भेजने में पिछड़ जाते हैं, वे उनसे फोन पर सारी जानकारी ले लेते हैं, इसके साथ ही वे चिकित्सकों को प्रोत्साहित भी करते हैं कि वे अपनी सेवा के घंटो का समय पर निष्पादन कर सकें। मुझे खुशी है कि इस कार्य में 100% सफलता प्राप्त हुई है।

हमारा रिफ्रेशर कार्यक्रम भी गति पकड़ रहा है। इस कार्य में टैक्नोलॉजी का भी बड़ा योगदान है। स्काइप व अन्य इन्टरनेट आधारित वीडियो के द्वारा हम दूर बैठे लोगों से संपर्क करने में सक्षम हुये हैं। हम उनसे विभिन्न विषयों पर आसानी से अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। अमेरिका में हमारे समन्वयक01339 पिछले 5 वर्षों से हर माह टैलीफोन के माध्यम से सम्मेलन करते रहते हैं। यह विद्या बहुत लोक प्रिय और सफल सिद्ध हुई है।

यह अत्यंत प्रसन्नता की बात है कि हमारी कार्यशालाओं को आवृत्ति और प्रकार में बढ़ोतरी के साथ-साथ चिकित्सको के उत्साह में भी वृद्धि हो रही है। अभी हॉल में ही आयोजित मुंबई में रिफ्रेशर कार्यशाला से कुछ समन्वयक इतने अधिक प्रभावित हो गये (अतिरिक्त में देखें #3) कि उन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में भी इसी प्रकार की कार्यशालाओं को आयोजित करने का मानस बना लिया।  मैं सभी समन्वयकों से आग्रह करता हूँ कि वे आगे आयें और अपने-अपने क्षेत्रों के चिकित्सकों से सम्पर्क करें ताकि इस प्रकार के स्थानीय स्तर पर सम्मेलनों का आयोजन किया जा सके। इस प्रकार की गतिविधियों के संचालन हेतु हम हर प्रकार की मदद करने को तैयार हैं। इस प्रकार की परिणाम देने वाली सुसंगत अधिवेशनों को आयोजित करने से पूर्व यह आवश्यक है कि उसके लिये पहले से ही कार्य-सूची तैयार कर ली जाये और सभी चिकित्सकों को, मेल के द्वारा, उससे अवगत करा दिया जाये। प्रत्येक सम्मेलन में किसी एक विषय के एक पहलू पर विचार किया जाना चाहिये, उसे किस प्रकार से प्रैक्टिस में लाना चाहिये, उसके सिद्धान्त के परिप्रेक्ष्य में आपसी विचारों का आदान-प्रदान होना चाहिये, समाचार पत्रों के अनुसार उसे आधुनिकतम बनाये, और उसमें कमियों को दूर करने का प्रयास करना चाहिये। विचार विमर्श में उस विषयसे सम्बधित सफल उपचारों पर चर्चा की जानी चाहिये चाहे वह प्रकाशित किये जा चुके हों या प्रकाशन की तैयारी में हों, ऐसे जीर्ण रोग जो चुनौती पूर्ण हो उन पर भी विचार विमर्श किया जाना आवश्यक है।

विवरणों का प्रकट हो जाना भी एक ज्वलन्त समस्या है। इसीलिये हमारे लिये यह आवश्यक है कि हम नवीनतम नियमों का पालन करें। इस संबंध में हमने कई कदम उठाये हैं जिन्हे चिकित्सको की वेबसाइट पर देखा जा सकता है। Visit https://practitioners.vibrionics.org, पर बायी तरफ नीचे की ओर मेन्यु को देखें GDPR क्लिक करें, फार्म को पूरा करें और अपनी पसंद के अनुसार प्रस्तुत करें। यह सभी चिकित्सकों के लिये अनिवार्य है जिससे कि निजी विवरण सुरक्षित रह सके।

 

सभी को यह शिवरात्रि पर्व आनन्दमय हो!

साईं की प्रेममयी सेवा में

जीत के अग्रवाल

 

 

 

कैंसर 11585...भारत

एक 91 वर्षीय वृद्धा जो बिस्तर पर ही रहती थी उसकी दायीं किडनी पर एक बड़ी गांठ थी। 6 माह पूर्व उसको कैंसर ग्रस्त पाया गया था (नवम्बर 2016)। उसके पेट के दायें भाग में नीचे की ओर भयंकर दर्द था, पेल्विक क्षेत्र में भी दर्द था, यह परेशानी उसे दो माह से थी। वाइब्रो चिकित्सक से मिलने से एक सप्ताह पूर्व, उन्हें डाक्टर्स ने कहा था कि अब जीवन एक सप्ताह का ही बचा है। रोगी ने सभी ऐलोपैथिक दवाओं का उपयोग करना बन्द कर दिया था क्योंकि इनसे उसको कोई आराम नहीं मिल रहा था। फिर भी वह अपनी गैस की समस्या और उच्च रक्त चाप के लिये ऐलोपैथिक दवायें ले रही थी। 28 अप्रैल 2017 उसके परिवार वालो ने चिकित्सक को रोगी से मिलने की प्रार्थना की। पिछले एक सप्ताह से रोगी ने गले में सूजन के कारण कुछ भी नहीं खाया था। गले में उसके नीबू के आकार की गाठ थी। एक सप्ताह से वह शौच के लिये भी नहीं गई थी। उसकी दायीं आँख लाली लिये हुये सूजी हुई थी, उसमें 2 सप्ताह से मवाद भी निकल रहा था।

उसको निम्न उपचार दिया गया जिसे उसने उसे बड़ी श्रद्धा के साथ ग्रहण किया :
#1. CC2.1 Cancers - all + CC2.2 Cancer pain + CC2.3 Tumours & Growths + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic…TDS

#2. CC4.4 Constipation + CC7.3 Eye infections + CC13.2 Kidney & Bladder infections…TDS

रोगी को एक सप्ताह में ही कब्ज से 100% मुक्ति मिल गई, वह मुलायम भोजन को आराम से खाने लगी थी। दूसरे लक्षणों में उसे मामूली सा अन्तर हुआ था। एक सप्ताह बाद 14 जून 2017 को चिकित्सक रोगी से मिलने के लिये गया, उसने देखा कि रोगी सामान्य भोजन कर रहा था, उसके गले का दर्द और सूजन ठीक हो गये थे, आँख भी बिलकुल ठीक थी तथा वह शरीर में कहीं भी दर्द का अहसास नहीं कर रही थी। उसने औषधियों का सेवन जारी रखा और शांतिपूर्वक 3 माह के बाद, 21 सितम्बर 2017 को, देवलोक गमन कर गई।

सम्पादकीय टिप्पणी- यह खुशी की बात है कि चिकित्सक ने शिक्षण प्राप्त करने के तुरंत बाद ही ऐसे जटिल केस को बड़े प्रेम और दया के भाव से वृद्धा की सेवा की जिससे वह अंतिम तीन मास का समय आराम के साथ जी सकी। आदर्श रूप में सभी कॉम्बोज़ को एक ही बॉटल में दिया जा सकता था क्योंकि दोनों की खुराक समान थी। जाहिर तौर पर सभी समस्यायें एक दूसरे से संबंधित नहीं थी। सारे लक्षण कैंसर के कारण ही उभरे प्रतीत होते हैं।

 

 

गर्भाश्य में गाँठ 11585...भारत

एक 37-वर्षीय महिला को 3 माह से पेशाब के साथ रक्त आने की शिकायत थी। मेडीकल परीक्षण से ज्ञात हुआ कि उसके गर्भाशय में 7cm लम्बी गांठ है। उसको बताया गया कि शल्य क्रिया से गांठ को निकाल देने के बाद भी उसको यह शिकायत हो सकती है। उसने 3 माह तक ऐलोपैथिक और होम्योपैथिक उपचार करवाया परन्तु कोई लाभ नहीं हुआ। उसके पति ने फोन के द्वारा वाइब्रोचिकित्सक से परामर्श किया।

उनको कूरियर द्वारा निम्न औषधि तुरंत ही भेज दी गई जिसका उपयोग उन्होंने 19 जून 2017 से शुरू कर दिया:

 #1. CC2.3 Tumours & Growths + CC3.7 Circulation + CC8.4 Ovaries & Uterus + CC12.1 Adult tonic…TDS

रोगी ने पहले से ही अन्य औषधियों का उपयोग बन्द कर दिया था। एक माह तक औषधि का सेवन करने के बाद भी रक्त स्त्राव में कमी नहीं हुई थी। यद्यपि उसमें मामूली अंतर आया था। उनको वरिष्ठ चिकित्सक11562 से संपर्क करने के लिये कहा गया जो SRHVP मदद से विशिष्ट औषधि बना कर दे सकते थे।

चिकित्सक ने वरिष्ठ चिकित्सक को रोगी के संबंध में सारी बाते विस्तार से बता दी थी। उन्होंने औषधि #1को बदल कर 24 अगस्त 2017 को निम्न औषधि दी :

#2. CC2.1 Cancers - all + CC8.4 Ovaries & Uterus + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic…6TD  एक सप्ताह तक तदुपरान्त TDS

#3. SR249 Medorrhinum - 1खुराक हर तीसरे दिन 1 माह तक।

उपचार से कोई लाभ न होने के कारण वे सब निराश और मायूस थे अतः उन्होंने 26 सितम्बर 2017 को बुलाकर उन्हें अपनी पीड़ा के बारे में बतलाया। चिकित्सक ने उन्हें बहुत ही शांत तरीके से समझाया और औषधि #2 को विश्वास के साथ लेते रहने के लिये कहा तथा स्वामी से प्रार्थना करने के लिये भी कहा चिकित्सक ने अन्य चिकित्सक11592 के साथ मिलकर स्वामी से प्रार्थना की।

28 सितम्बर को वरिष्ठ चिकित्सक ने औषधि #2 को बन्द कर दिया और रोगी के उपस्थित मानसिक दृष्टि को ध्यान में रखते हुये निम्न औषधि को दिया :

#4. SR249 Medorrhinum + SR274 Aurum Mur Nat 200C + SR318 Thuja 200C…OD

#5. CC2.3 Tumours & Growths + CC8.1 Female tonic + CC10.1 Emergencies + CC12.4 Autoimmune diseases + CC15.2 Psychiatric disorders + CC17.2 Cleansing + #2…6TD for 1 week तदुपरान्त TDS

चार दिन के अन्दर ही 2 अक्टूबर को चिकित्सक के पास महिला के पति का वाॅटस एप मैसेज प्राप्त हुआ कि एक बड़ी गाँठ और कुछ छोटे टुकड़े उसके गर्भाशय से निकल गये हैं(तस्वीर देखें)।

रक्त स्त्राव भी दूसरे दिन से बंद हो गया है। इसके तुरंत बाद ही अल्ट्रासाऊन्ड टैस्ट करवाया गया। उसके गायनेकलोजिस्ट ने पुष्टि की कि गर्भाशय अब बिलकुल साफ हो गया है। रोगी ने औषधि 2 सप्ताह तक #5 TDS जारी रखा और उसके पश्चात् एक माह तक  OD रूप में लेती रही। 4 नवम्बर 2017 को उसने औषधि लेना बन्द कर दिया। फरवरी 2019 तक वह बिलकुल स्वस्थ्य थी।  

इस घटना से उसका पति इतना प्रभावित हुआ कि स्वामी के प्रति आभार प्रकट करते हुये इस प्रशिक्षण के लिये तुरंत ही आवेदन कर दिया तथा फरवरी 2018 में AVP बन गया उसके पश्चात् वह VP11593बन गया। उसकी इस विद्या के प्रति इतनी प्रतिबद्धता थी कि वह अपने गृह स्थान पर कैम्प में भाग लेने के लिये 250 कि॰मीटर का रास्ता तय करता था।

सम्पादकीय टिप्पणी- चिकित्सक के निर्देषानुसार 15 फरवरी 2019 से रोगी ने अपने पति से औषधि लेना शुरू कर दिया उसे CC17.2Cleansing…TDS एक महीने के लिये CC12.1 Adult tonic के साथ वैकल्पिक रूप में एक वर्ष तक दिया जाने लगा जिससे कि उसकी इम्युनिटी बरकरार रहे।

यदि 108CC  बॉक्स का उपयोग किया जाता तो औषधि #4 को छोड़ा जा सकता था। केवल औषधि #5 में CC8.4 Ovaries & Uterus मिला कर दिया जा सकता था।

गर्दन पर गाँठ 11585...भारत

एक  66-वर्षीय पुरूष की गर्दन पर 4 सालों से एक गांठ थी, उसमें किसी भी प्रकार का दर्द नहीं था और वह उसके लिये कोई उपचार नहीं लेता था। एक युवती के गले पर स्थित गाँठ को एक माह में ठीक हो जाने से, उसने चिकित्सक से 19जुलाई 2018 को संपर्क किया।

उसको निम्न औषधि दी गई :  
#1. CC2.3 Tumours & Growths + CC3.7 Circulation…TDS  

एक माह पश्चात् रोगी चिकित्सक के यहाँ भजनों में शामिल होने के लिये गया, उसने चिकित्सक को बताया कि अभी तक उसे कोई लाभ नहीं हुआ है। चिकित्सक ने उसे भरोसा दिलाया कि वह उसकी बिमारी के बारे में पुनः सोचेगा और आवश्यक हुआ तो औषधि को बदल देगा। भजनों के समाप्त होते ही रोगी ने चिकित्सक को अपनी गाँठ दिखलाई। चिकित्सक ने गाँठ को दबाया और कहा कि ’’हाँ गाँठ में कोई अन्तर नहीं पड़ा हैं’’। अगले ही क्षण सबको आश्चर्यचकित करने वाली घटना हुई, गाँठ फूट गई और उसमें से मवाद बाहर आने लगा। आश्चर्य मिश्रित भय से भरे हुये रोगी ने अपनी औषधि को उठाया और चला गया। एक सप्ताह में ही गाँठ पूरी तरह गायब हो गई और घाव भी ठीक होने लगा था। खुराक को OD दिया गया था। एक माह तक औषधि लेने के बाद 21 सितम्बर, 2018 को उसने औषधि का सेवन बन्द कर दिया।

फरवरी 2019 तक वह बिल्कुल स्वस्थ्य था, चिकित्सक ने बचाब की दृिष्ट से निम्न औषधियों के सेवन करने की सलाह दी #1…OW बचाव हेतु।

#2. CC12.1 Adult tonic + CC17.2 Cleansing…TDS सामान्य स्वास्थ्य के लिये।

 

 

त्वचा की ऐलर्जी 11587...भारत

एक  72-वर्षीय वृद्ध जो कि झुग्गी बस्ती में, खराब स्वास्थयकर स्थिति में रहती थी, उसके दायें पाँव में फफूदीय संक्रमण था। वह 12 वर्षों से इस रोग से पीड़ित था। उसकी त्वचा की हालत दयनीय थी, जिस पर काले रंग का 3 इंच का एक धब्बा था, जिससे मवाद निकल रहा था। उसको अत्यधिक जलन और दर्द था जिसके कारण वह ठीक से चल भी नहीं पाता था। वह अपने कार्य पर भी नहीं जा पाता था और अक्सर छुट्टी पर रहता था। जब कभी भी वह हॉस्पिटल में भर्ती हो जाता था तो उसे थोड़ा आराम मिल जाता था। वह त्वचा पर एक मल्हम लगा लेता था परन्तु किसी भी प्रकार का उपचार नहीं लेता था। 19 जुलाई 2017 को वाइब्रोचिकित्सक के पास पहुँचा।

उसे निम्न औषधि दी गई:
#1. CC10.1 Emergencies + CC12.1 Adult tonic + CC21.7 Fungus + CC21.11 Wounds & Abrasions…QDS

#2. CC21.2 Skin infections + #1BD विभूति में मिलाकर त्वचा पर लगाने के लिये।

एक सप्ताह में ही मवाद आना बन्द हो गया। अगले 10 दिनों में जलन और दर्द भी ठीक हो गये। वह अब आराम से चल सकता था अतः उसने अपनी डयूटी शुरू कर दी। पाँव का काला धब्बा अभी भी बना हुआ था। 6 सप्ताह बाद जब रोगी वापस आया तो उसका काला धब्बा भी ठीक हो गया था अतः औषधि #1 की खुराक को TDS कर दिया गया और #2 को BD रूप में चलते रहने दिया। एक माह बाद उसने सूचना दी कि वह अब बिलकुल स्वस्थ्य हो गया है और वापस दवाई लेने भी नहीं आया अतः खुराक को OW तक कम नहीं किया जा सका जैसा कि चिकित्सक चाहते थे। रोगी चिकित्सक के घर के पास ही रहता था, चिकित्सक ने देखा कि उसे कोई परेशानी नहीं है। फरवरी 2019 तक उसे कोई परेशानी नहीं हुई थी।

 

पेट का फूलना (सूजन) 11587...भारत

एक 49 वर्षीय युवक को गत 6 वर्षों से पेट में भारीपन, दर्द व पेट के फूलने की बिमारी थी। वह रैस्टोरैन्ट में अक्सर खाने के लिये जाना पसंद करता था, अधिक खाने का शौकीन था और डिब्बा बंद खाने को वह बहुत पसंद करता था। उसने बहुत से डाक्टरों से संपर्क किया, आयुर्वेदिक व होम्योपैथिक उपचार भी कराया परन्तु किसी से कोई लाभ नहीं मिला। उसको बड़ा आघात लगा कि वह किसी भी उपचार से ठीक नहीं हो रहा है।

1 फरवरी 2018 को उसे निम्न उपचार दिया गया :

CC4.2 Liver & Gallbladder tonic + CC4.6 Diarrhoea + CC4.8 Gastroenteritis + CC4.10 Indigestion + CC10.1 Emergencies + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC15.4 Eating disorders…एक खुराक प्रति दस मिनट पर 2 घंटो तक तदुपरान्त 6TD.

2 सप्ताह में ही पेट का फूलना बंद हो गया, भारीपन भी कॉफी हद तक कम हो गया था, दर्द बिलकुल भी न था। खुराक को कम करके TDS कर दिया गया। अगले  6  सप्ताह पश्चात् सभी लक्षण समाप्त हो गये थे। रोगी ने उपचार को अगले  3  माह तक  TDS रूप में लेने की इच्छा प्रकट की। उसको अपनी खाने की आदतों को सुधारने की अनुशंसा की गई। इसके बाद उसने औषधि को OD में लेना शुरू कर दिया। चिकित्सक के यू.एस से भारत लौटने तक रोगी को दूसरे चिकित्सक से संपर्क करा दिया गया था। दिसम्बर  2018  तक रोगी औषधि का बचाव की दृष्टि से सेवन कर रहा था OD रूप में। उसको यह समस्या दुबारा नहीं हुई।

 

कब्ज, कमर दर्द 11587...भारत

अमेरिका में एक 63-वर्षीय महिला की 7 वर्ष पूर्व कमर के निचले भाग में दर्द के लिये शल्य क्रिया की गई थी,शल्य क्रिया के बाद भी दर्द होता रहा अतः उसको दर्द निवारक गोलियों का सेवन करने की सलाह दी गई लेकिन उससे केवल अस्थायी तौर पर ही आराम मिल पाता था। उसको अब कब्ज भी रहने लगा था। डाक्टर्स का कहना था कि कब्ज का शल्य क्रिया से कोई संबन्ध नहीं है। उसने कब्ज के लिये घरेलु चिकित्सा का सहारा लिया परन्तु उससे भी कोई लाभ नहीं हुआ।

उसने वाइब्रोचिकित्सक से मिलने का निश्चय कर लिया और 22 मार्च 2018 को वह चिकित्सक से मिली। चिकित्सक ने उसे निम्न औषधि दी :
 CC4.4 Constipation + CC10.1 Emergencies + CC12.1 Adult tonic + CC20.5 Spine + CC20.7 Fracturesएक खुराक प्रति दस मिनट पर 2 घंटे के लिये उसके पश्चात् ~6TD.

उसकी पुत्र वधू ने सूचना दी कि कब्ज और दर्द में आश्चर्यजनक रूप से 80% तक का लाभ हो गया है। खुराक को कम करके TDS कर दिया गया। खुराक को TDS करने के दस दिनों में ही उसे100% लाभ मिल गया था अतः खुराक को OD कर दिया गया जिसे उसने  6  माह तक लिया। नवीनतम सूचना के अनुसार अक्टूबर 2018 तक उसे कोई समस्या नहीं हुई थी।

 

अंडाषय पुटिका 03524...यूएसए

एक 23-वर्षीय महिला  10  वर्षों से अत्यधिक रक्तस्त्राव और मासिक धर्म के समय अत्यधिक दर्द से पीड़ित थी। जून 2015 में उसके बांये अंडाषय में 2mm की पुटिका की पुष्टि की गई थी। उसने दो माह तक ऐलोपैथिक दवाओं का सेवन किया परन्तु कोई लाभ न होने के कारण उसने उपचार बन्द कर दिया था दिसम्बर में उसके अंडाषय के दूसरी ओर भी समान आकार की पुटिका का निदान किया गया।

16फरवरी  2016 में अपनी माँ के कहने पर उसने वाइब्रो उपचार करवाने का निर्णय लिया। चिकित्सक ने उसे निम्न औषधि दी :
CC8.1 Female tonic + CC8.4 Ovaries & Uterus + CC8.7 Menses frequent + CC10.1 Emergencies + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC18.1 Brain disabilities…TDS

दो सप्ताह में ही माँ ने चिकित्सक को सूचित किया कि पुत्री अब पहले की अपेक्षा अधिक आराम महसूस कर रही है। उसमें आत्म विश्वास भी बढ़ा है और उपचार को लेते रहने की भी इच्छा बतलाई है। 6 सप्ताह बाद अलट्रासाऊन्ड परीक्षण करवाया गया और पता चला कि दोनों अंडाषय बिलकुल सामान्य है उनमें कोई पुटिका नहीं है। मासिक धर्म के दर्द और रक्त स्त्राव में भी 50% की कमी हो गई है। हर मासिक धर्म के बाद उसके स्वास्थ्य में उन्नति हो रही थी। जुलाई तक उसे 75% तक लाभ हो गया था। अगले  3  माह के पश्चात् वह पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गई थी। खुराक को तब दो सप्ताह के लिये OD कर दिया गया। उसके पश्चात् अगले दो सप्ताह के लिये 3TW और अगले एक सप्ताह के लिये 2TW कर दिया गया और अंत में खुराक को OW कर दिया गया दिसम्बर 2016 के अंत तक उपचार बन्द कर दिया गया। फरवरी 2018 में मुलाकात होने पर उसने बतलाया कि पुटिका फिर नहीं बनी है तथा मासिक धर्म भी अब सामान्य हो गया ।

 

राईनाईटिस (नासिका-प्रदाह) 03572...गैबॉन

एक 29-वर्षीय महिला को सिर दर्द (माह में 2 बार), मसूड़ों में दर्द और प्रातः काल में छींके आने की समस्या थी। दर असल उसे यह समस्या बचपन से ही थी लेकिन दो वर्ष पहले ही उसके ई.एन.टी. डाक्टर ने इसे जीर्ण राईनाईटिस के रूप में निदान किया था। सामान्य तौर पर इसके लिये ऐलोपैथिक दवाई का सेवन कर लेती थी,  परन्तु इससे 2-3 दिन तक ही आराम मिलता था, उसके बाद फिर रोग बढ़ जाता था। अतः उसने वाइब्रोचिकित्सक से संपर्क करने का मानस बना लिया।  31 अगस्त 2018 को उसने चिकित्सक से संपर्क किया, उस समय वह तीव्र सिर दर्द और मसूड़ों में दर्द से पीड़ित थी, यह तकलीफ उसे 3  दिन पूर्व शुरू हुई थी (उसे 7 वर्ष की आयु से कम दिखने की समस्या थी जिसे वह सुधारना चाहती थी।

चिकित्सक ने उसे निम्न औषधि दी :
CC7.1 Eye tonic + CC7.2 Partial Vision + CC10.1 Emergencies + CC11.3 Headaches + CC11.4 Migraines + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC19.2 Respiratory allergies... प्रति दस मिनट पर 1 घंटे तक तदुपरान्त 6TD

इस बार उसने ऐलोपैथिक दवा का सेवन नहीं किया। दस दिनों तक उपचार लेने के बाद पुल आऊट हुआ, सिर दर्द बढ़ गया, छीकें भी अधिक आने लगीं लेकिन उसने औषधि का सेवन 6TD रूप में जारी रखा जिससे कि पुल आऊट तेजी से हो जाये। पुल आऊट 2 दिन तक रहा उसके पश्चात् उसकी तबियत में सुधार होने लगा। तीन दिनों के बाद उसकी स्थिति में 90% का सुधार हो गया था और  17  सितम्बर तक सभी लक्षण समाप्त हो गये थे। खुराक को तब कम करके TDS कर दिया गया, एक सप्ताह के लिये। उसके पश्चात् 1 सप्ताह तक खुराक को OD कर दिया तथा 30 सितम्बर को उपचार को बन्द कर दिया गया। आँखों के लिये अलग कॉम्बो दिया गया। फरवरी 2019 तक उसे राईनाईटिस की शिकायत नहीं हुई थी।

 

माइग्रेन, मौरेजिया 11602...भारत

26 जुलाई 2018 को एक 32 वर्षीय महिला कई प्रकार की बिमारियों से ग्रस्त थी, चिकित्सक के पास पहुँची। उसके सिर में दर्द था, जी मिचलाने की शिकायत थी। पिछले पाँच वर्षों से उसे यह शिकायत माह में एक या दो बार हो जाती थी। सिर के बायीं ओर टीस चलती थी, तनाव व धूप से यह और बढ़ जाती थी। मासिक धर्म के दौरान कभी-कभी तेज दर्द होता था, रक्त स्त्राव भी बहुत अधिक होता था, यह शिकायत उसे 3 वर्षों से थी, यद्यपि माहवारी समय पर होती थी। पिछले 2 वर्षों से वह थकान और कमजोरी महसूस करती थी। परन्तु पिछले दो माह से यह बहुत बढ़ गई थी। उसका रंग पीला पड़ गया था। उसे डॉक्टर के पास या हॉस्पिटल जाने में डर लगता था।

उसे निम्न औषधि दी गई :
CC3.1 Heart tonic + CC8.7 Menses frequent + CC11.4 Migraines + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic…TDS

चिकित्सक की सलाह के अनुसार उसने पानी की मात्रा बढ़ा दी थी तथा भोजन में प्रोटीन और हरी पत्तेदार सब्जियों की मात्रा बढ़ा दी थी। एक सप्ताह में ही वह स्फूर्ति और खुशी का अहसास करने लगी। दूसरे सप्ताह में ही उसकी ऊर्जा स्तर में 90% तक का सुधार हो गया था। एक माह के बाद 10 सितम्बर 2018 को वह चिकित्सक के पास पहुँची, उस रोज उसको सुबह से ही सिर दर्द हो रहा था। उसने बताया कि उसका सिर दर्द ठीक हो गया था अतः वह2½ सप्ताह से औषधि का सेवन नहीं कर रहीं थी। उसको औषधि को TDS के रूप में लेने की सलाह दी गई। एक सप्ताह बाद 17 सितम्बर को उसने सूचना दी कि अब वह पहले की अपेक्षा अधिक स्फूर्तिवान महसूस कर रही है, सिर दर्द भी नहीं है और माहवारी में भी अधिक रक्त नहीं जा रहा है। वह अपने कार्यों में खुशी महसूस करती है और बच्चों के साथ सभी गतिविधियों में रूचि लेने लगी है। खुराक को OD कर दिया गया, उसके दो सप्ताह बाद खुराक को OW कर दिया। 21 फरवरी 2019 तक वह बिलकुल स्वस्थ्य और प्रसन्न थी। उसको किसी भी प्रकार की शिकायत दुबारा नहीं हुई थी। वह औषधि को, बचाव की दृष्टि से, OW ले रही है।

 

प्लांटर फासाइटिस 11601...भारत

एक 42 वर्षीय महिला के तलवे में 4 साल से दर्द रहता था, उसमें गहरी दरारे भी थी। पिछले 4 माह से दर्द इतना अधिक था कि वह ठीक से न तो खड़ी रह सकती थी और न ही ठीक से चल पाती थी। उसने ऐलोपैथिक उपचार लिया परन्तु कोई लाभ नहीं हुआ बल्कि तलवे में जलन शुरू हो गई थी अतः उसने उपचार बन्द कर दिया था।

7 अक्टूबर 2018 को उसका पति उसको वाइब्रो चिकित्सक के पास ले गया। चिकित्सक ने उसे निम्न औषधि दी :
#1. CC3.7 Circulation + CC12.1 Adult tonic + CC20.4 Muscles & Supportive tissue + CC21.5 Dry Sores…एक खुराक प्रति घण्टे एक सप्ताह तक तदुपरान्त 6TD

#2. CC21.5 Dry Sores…OD ऑलिव आयल में मिलाकर बाहरी उपयोग के लिये।

2 सप्ताह के बाद रोगी ने बताया कि दर्द और जलन में अभी कोई कमी नहीं आई है। चिकित्सक ने महसूस किया कि रोगी परिवारिक समस्याओं के कारण, विशेषकर अपने निशक्त पुत्र के कारण, काफी तनावयुक्त रहती है।

23 अक्टूवर 2018 को चिकित्सक ने कॉम्बो क्योरीज़ से सलाह ले कर औषधि #1#2 को बदल कर निम्न औषधि दी :
#3. CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC20.1 SMJ tonic + CC20.4 Muscles & Supportive tissue + CC21.5 Dry Sores…6TD

#4. CC20.1 SMJ tonic + CC20.4 Muscle & Supportive tissue + CC21.5 Dry Sores…OD ऑलिव आयल में बाहरी उपयोग के लिये।

2 माह में दर्द धीरे-धीरे कम हो गया और अब वह आराम से चलने लगी थी। अगले 2 सप्ताह के बाद 10  जनवरी 2019 को रोगी ने सूचना दी कि दर्द अब बिलकुल ठीक हो गया है और तलवे की जलन भी समाप्त हो गई है, तलवे में अब कोई दर्द भी नहीं है। औषधि #3 की खुराक को कम करके TDS कर दिया। 1 माह के बाद खुराक को OD कर दिया। 24 फरवरी 2019 तक वह बिलकुल स्वस्थ्य थी औषधि #3 #4...को OD के रूप में ले रही है जिससे कि बिमारी दुबारा न हो जाये। रोगी के आराम की स्थिति को देख कर ही दवा को बन्द किया जायेगा।

चिकित्सक की टिप्पणी- SMJ tonic और Mental & Emotional tonic का योग इस रोग के लिये बहुत ही उपयुक्त सिद्ध हुआ।

 

 

घुटने में दर्द, फ्लोराइड विषाक्तता 11578...भारत

एक 50-वर्षीय महिला को पिछले दो सालों से प्रति दिन दायें घुटने में तेज दर्द होता था। घुटने के चारों ओर सूजन भी थी। चिकित्सक ने सोचा कि यह समस्या फ्लोराइड विषाक्तता के कारण हो सकती है क्योंकि जिस गाँव में वह रहती है वहाँ के पानी में फ्लोराइड अधिक था। उसके दाँतों का रंग भी फीका पड़ गया था।

अतः 10 दिसम्बर 2018 को उसको निम्न औषधि दी गई :
#1. SR253 Calc Flour...6TD

#2. CC3.7 Circulation + CC20.1 SMJ tonic + CC20.6 Osteoporosis...6TD

दो दिन में ही दर्द और सूजन ठीक हो गये। चौथे दिन खुराक को TDS कर दिया गया। औषधि 3 सप्ताह में समाप्त हो गई लेकिन वह दुबारा औषधि लेने के लिये नहीं आई, उसे किसी अत्यावश्यक कार्य से दूसरे गाँव जाना पड़ गया था। सात सप्ताह बाद 18 फरवरी 2019 को उसने सूचित किया कि वह बिलकुल स्वस्थ्य है। पिछले 2 माह में उसे कोई समस्या नहीं हुई है। औषधि #1#2 को फिर से शुरू कर दिया गया OD खुराक में चिकित्सक इस खुराक को चालू रखना चाहता है क्योंकि उसे दुबारा फिर यह रोग न लग जाये। वह सदैव अत्यधिक फ्लोराइडयुक्त पानी के संसर्ग में रहती है।

सम्पादकीय टिप्पणीः यह एक प्रेरित करने वाली घटना है जब कि कारण को पहचान लिया गया, जिससे उसे दो दिनों में ही आराम मिल गया। यह वाइब्रोनिक्स की शक्ति का अहसास कराती है।

अगर 108CC बॉक्स का उपयोग कर रहे हैं, तो केवल #2 दें क्योंकि इसमें SR253 कैल्क आटा SR253 Calc Flourशामिल है

 

 

बैड वैटिंग/ऐन्यूरेसिस 11568...भारत

एक तेरह वर्षीय डरपोक प्रकृति के बालक के दस वर्षों से बिस्तर गीला कर देने की आदत थी। सोने के 3 घंटे बाद लगभग 1 बजे यह घटना हो जाती थी यद्यपि उसकी माँ उसे सोने से पहले मूत्र विसर्जन करा देती थी। सर्दी के दिनों में वह खास तौर इस बात का ध्यान रखती थी कि शाम के समय अधिक जल का सेवन न करे जिसका कि उसे शौक था। दो माह तक उसे ऐलोपैथिक उपचार भी दिया गया परन्तु कोई लाभ नहीं हुआ अतः उपचार को बन्द कर दिया गया। इसके कारण बालक व्यथित रहता था और उसका आत्मविश्वास भी कम हो रहा था। वह अपने स्कूल के बच्चों के साथ भी नहीं जा पाता था जहाँ रात को रूकना पड़ता था। वह छुट्टियों में अपने रिश्तेदारों के यहाँ भी नहीं जाता था।

29 सितम्बर 2018 को वह चिकित्सक के पास पहुँचा जिसने उसे निम्न औषधि दी :
CC13.3 Incontinence + CC15.1 Mental & Emotional tonic…TDS

उसको हिदायत दी गई कि सोने के 1 घंटा पूर्व पानी न पीये। 2 सप्ताह में ही उसकी बिस्तर गीला करने की आदत में 50% की कमी हो गई थी। अगले पन्द्रह दिनों में सप्ताह में एक बार ऐसा हो जाता था। खुराक को TDS रूप में ही जारी रखा गया दो माह तक। अब उसकी आदत पन्द्रह दिनों में एक बार रह गई थी। 5 जनवरी 2019 को खुराक को BD  कर दिया गया। इसके बाद यह घटना लगभग बन्द हो गई थी। सूचना मिली कि बालक अब पहले की अपेक्षा अधिक आत्म-विश्वासी और खुश रहने लगा है। 5 फरवरी को खुराक को OD कर दिया जिसको धीरे-धीरे कम करके OW कर दिया गया। 23 फरवरी 2019 तक बिस्तर गीला करने की कोई घटना नहीं।

सम्पादकीय टिप्पणीः वरिष्ठ चिकित्सक NM65 Bedwetting कार्डस का उपयोग कर सकते है, इससे परिणाम शीध्र मिलते हैं।

 

चिकित्सकों की रूप-रेखा 11585...India

चिकित्सक 11585---भारत व्यवसायिक दृष्टि से गणित के प्राध्यापक हैं। वे स्वामी के सम्पर्क में 1990 में आये थे, शीघ्र ही वे साई संगठन के सक्रिय सदस्य बन गये। अभी वे जिला समन्वयक हैं। वे स्वामी की पुस्तकों तथा आध्यात्मिक पुस्तकों, सनातन सारथी आदि का अनुवाद करते रहते हैं। सितम्बर 2016 में वे एक वरिष्ठ वाइब्रो चिकित्सक के संपर्क में आये तो उन्हें उपचार की इस विद्या का ज्ञान हुआ। उन्होंने तुरंत ही इस विद्या को सीखने के लिये आवेदन कर दिया। मार्च 2017 में वे AVP बन गये और तुरंत ही वाइब्रो सेवा करने लगे। स्कूल के समय के पश्चात् और छुट्टियों में वे सेवा कार्य करने लगे। सितम्बर 2017 में VP बन गये तथा नवम्बर 2018 में SVP बन गये।

जब वह SVP  कार्यशाला में भाग लेने के लिये पुट्टापर्थी जा रहे थे तो उस समय उन्हें ट्रेन में एक सपना आया कि वे 108CC बॉक्स में से कोई रेमेडी का सेवन कर रहे हैं, उन्होंने देखा कि स्वामी उसके साथ ही खड़े हैं अतः भय के कारण वह वहीं खड़े हो गये। स्वामी ने मोहित करने वाली एक मुस्कान के साथ उसे गले से लगा लिया और तेलगु में कहा, ”तुम मेरा कार्य कर रहे हो”। इस स्वप्न ने उसे बहुत प्रभावित किया, उसमें जोश और प्रतिबद्धता की भावना जागृत हो गई जिसके कारण उसने वाइब्रोनिक्स के कार्य को स्वामी का कार्य समझ कर सेवा करने का व्रत ले लिया।

वह अन्य चिकित्सकों के साथ मिलकर साप्ताहिक कैम्पों का आयोजन करने लगा। वह उपचार देने के साथ-साथ लोगों में वाइब्रोनिक्स के बारे में भी जानकारियाँ देने का कार्य भी करने लगा। इस हेतु वह दृश्य-श्रव्य उपकरणों का भी उपयोग करते हैं। उन्होंने जिले की सातों साई केन्द्रों पर इन कैम्प का आयोजन किया है। उन्हें राज्य-स्तरीय सम्मेलन में भी बोलने का अवसर प्राप्त हुआ है, जिसे सभी ने सराहा था।    

उन्होंने लगभग 1100 रोगियों का उपचार सफलतापूर्वक किया है, उपचार के साथ उन्हें ऐसा प्रतीत होता था कि स्वामी का अदृश्य हाथ रोगियों को ठीक कर रहा है। इस संबन्ध में उन्हें एक अविस्मिय घटना याद आती है जिसके अनुसार एक 50-वर्षीय महिला जो 4 माह से भी अधिक समय से गले के कैन्सर और गांठ से पीड़ित थी, कीमोथेरेपी के बाद डॉक्टर के पास नहीं गई थी। उसने सभी प्रकार की ऐलोपेथिक दवायें लेना बन्द कर दिया था। अक्टूबर 2017 में उसने वाइब्रो चिकित्सक से संपर्क किया, चिकित्सक ने उसे निम्न उपचार दिया: CC2.1 Cancers - all + CC2.2 Cancer pain + CC2.3 Tumours & Growths + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic...TDS.  4 माह के अन्दर ही गाँठ पूरी तरह ठीक हो गई। पिछले 10 माह से वह प्रति दिन एक खुराक ले रही है और उसे किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हुई है। चिकित्सक उपचार की खुराक को सप्ताह में एक बार करने का निश्चय कर चुका है1

SVP का e-course करते समय उसे एक अनोखा अनुभव हुआ। दो अलग-अलग घटनाओं में उसे रोगी के लक्षण स्वतः ही ज्ञात हो गये, रोगी को पहली पिल देने के आधा घंटे बाद जब रोगी वहाँ से चला गया। SVP कार्यशाला के दौरान डा॰ अग्रवाल ने बताया कि कुछ चिकित्सकों को रोगी के आने के पूर्व ही दर्द व अन्य लक्षण महसूस हो जाते हैं चिकित्सक को इस बात पर विश्वास हो गया कि इस प्रकार का अनुभव भी हो सकता है। इससे चकित्सक को स्वामी का दिव्य संदेश स्मरण हो आया कि सब समान हैं। उनका कहना है कि AVP रूप में वह एक अनुभवहीन मनुष्य की तरह थे और वाइब्रोनिक्स की मूल बातों पर ही सारा ध्यान केन्द्रित था कि किस प्रकार अपने आप का रूपान्तरण कर सकूँ। SVP बनने के बाद वह अपनी जिम्मेदारी का अहसास करते हैं कि वाइब्रोनिक्स के मिशन को आगे बढ़ाना है और स्वामी के शब्दों को साकार करना है कि ‘‘भविष्य की औषधि वाइब्रोनिक्स है’’।

वाइब्रोनिक्स उनके लिये जुनून है और इसके प्रति उनकी प्रतिबद्धता अनुसरणयोग्य है। उन्होंने 27 वाइब्रो समाचार पत्रों को अंग्रेजी से तेलगु में अनुवाद किया है। वह 108CC पुस्तक का 2019 में अनुवाद कर रहे हैं और इस वर्ष उनका यह कार्य पूर्ण हो जायेगा इससे AVP कार्यशालाओं तथा ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करने में आसानी हो जावेगी। उनका कहना है कि अब समय आ गया है जब “प्रत्येक चिकित्सक को एक नयी क्षमता प्राप्त करनी होगी’’ जो प्रेम की ज्योति को बाइब्रोनिक्स के माध्यम से फैला सके। स्वामी के कथन का हमें पालन करना होगा यदि हम एक दृढ़ कदम आगे बढ़ायेंगे तो वह सौ कदम हमारी ओर बढ़ायेंगे। हमारे सभी महान सपने साकार हो जायेंगे। चिकित्सक ने स्वामी के प्रति आभार प्रकट करने के लिये एक प्रार्थना की रचना की है :

परम प्रिय स्वामी

आपने हमें अपने उदार स्वरूप से आप से प्रेम करने की राह दिखाई है,

आपने हमें अपने व्यापक कार्यों से हमें आपकी सेवा का मार्ग दिखाया है

प्रिय स्वामी

मेरी चाह है कि बच्चों से प्रेम करके आपसे प्रेम कर सकूँ

मेरे हाथ तेरे बच्चों की सेवा करके आपकी सेवा करने योग्य बन सके

तेरे बच्चों के दुःख दर्द दूर करते हुए मेरे आँसू सूख जायें

प्रिय स्वामी

मेरे अन्दर मैं की लेशमात्र भी कामना न रहें, मुझे अपने चरण कमलों में समर्पण करने दे

अनुसरण योग्य उपचार:

 

Practitioner Profile 11587...India

चिकित्सक11587…भारत  श्रम कल्याण और मानव संसाधन प्रबन्धन में स्नात्तकोत्तर हैं। उनका जन्म आध्यात्मिक विचार वाले परिवार में हुआ था। वे बचपन से ही सामाजिक सेवा कार्यों से जुड़े रहे हैं। उनके निवास स्थान के पड़ोस में होने वाले भजनो के कारण से 1974 में स्वामी की ओर आकर्षित हुये। 1979 में बैंगलोर में स्थानान्तरित होने के बाद उन्हें स्वामी के मंत्रमुग्ध करने वाले दर्शन पुट्टापर्थी और व्हाइट फील्ड में हुये। धीरे-धीरे छुट्टियों में और विशेष पर्वों पर साई संगठन के कार्यों में भाग लेने लग गये। 2001 में सेवा निवृति के पश्चात् वे पूर्णतया साई सेवा में डूब गये।

चिकित्सक गत 30 वर्षों से ज्योतिष का कार्य कर रहे हैं और सभी को निशुल्क सलाह देते हैं। उन्होंने इस विद्या को अपने पिता से सीखा था जिन्हें उन्होंने बचपन में ही खो दिया था। उनकी इच्छा थी कि जिस किसी को भी अपनी समस्याओं से मुक्ति पानी हो, उसको वे निःशुल्क मदद करें। उन्होंने रेकी की भी शिक्षा प्राप्त की थी, उसके पश्चात् 1993-94 में होम्योपेथी की शिक्षा प्राप्त की परन्तु पारिवारिक कारणों से वे परीक्षा नहीं दे पाये। उनके दामद द्वारा वाइब्रोनिक्स की जानकारी मिलने पर उन्होंने तुरंत ही इसके लिये आवेदन कर दिया। उनके दामाद को मार्च 2017 में कार्यशाला में भाग लेना था परन्तु दुर्भाग्यवश उनका देहावसान हो गया। इस भावनात्मक दुर्धटना के बावजूद वाइब्रोकोर्स करते रहे और जुलाई 2017 में AVP बन गये, फरवरी 2018 में वे VP बन गये। वह अन्य किसी भी प्रकार की उपचार विधि का उपयोग नहीं करते हैं लेकिन ज्योतिष विद्या से वह लोगों की मदद करते रहते हैं।

VP बनने के बाद वह एक वर्ष तक अपने पुत्र के पास अमेरिका में रहे जहाँ वह हर 2 वर्ष में जाते हैं। शुरू-शुरू में वहाँ के स्थानीय लोगों और भारतीय परिचितो को वाइब्रोनिक्स के प्रति विश्वास दिलाने में कठिनाई का सामना करना पड़ा फिर भी वहाँ पर उनके रहने के समय में उन्होंने 120 रोगियों का उपचार किया इस कार्य में वहाँ के सलाहकार10375 तथा अमेरिका और कनाडा के समन्वयक01339 ने उनकी पूरी मदद की।

जून 2018 में भारत में आने के बाद उनके पास आने वाले रोगियों के उपचार के साथ ही वह दूरस्थ स्थानों पर रहने वाले रोगियों को डाक द्वारा दवाई भेजने लगे। वह अपने निवास स्थान के पास स्थित दो आध्यात्मिक केन्द्रों पर सेवा हेतु जाने लगे। एक अन्य गाँव जो उनके निवास के समीप था वहाँ साप्ताहिक रूप से जाकर रोगियों का उपचार करते हैं। उनके द्वारा उपचारित रोगियों में अधिकतर पाचन संबंधी रोग, त्वचा की एलर्जी, संक्रमण, दाँत दर्द और जोड़ों के दर्द से पीड़ित व्यक्ति होते हैं। एक रोगी जो दस दिन से टिनिटस रोग से ग्रस्त था वह चार दिनों में ही बिलकुल ठीक हो गया। उसको उन्होंने 30ml ऑलिव आइॅल में CC5.3 Meniere’s disease की बूँद डालकर कान में दो बार डालने के लिये दी थी। वह कैंसर के रोगियों को दर्द कम करने के लिये,अस्थमा और माइग्रेन रोगो के लिये भी उपचार देते रहते हैं। उनका मानना है कि कुछ रोगी बिलकुल स्वस्थ हो सकते है यदि वे दो बार उपचार को लेकर पूर्ण कर लें। वे इस बात से दुःखी है कि अधिकत्तर रोगी थोड़ा आराम मिलते ही उपचार बन्द कर देते है। भारत आने के बाद उन्होंने लगभग 275 रोगियों का उपचार किया है।

चिकित्सक जहाँ कहीं भी जाते है, कार्यशाला में दिये गये निर्देषों के अनुसार, वे सदैव अपने साथ वैलनैस किट रखते हैं, । इससे उनमें आत्म-विश्वास बढ़ जाता है और वह आवश्यकतानुसार मदद करने के लिये तैयार रहते हैं। वह समाचार पत्रों से अपने आप को नवीनतम जानकारियों का ज्ञान रखते है। चिकित्सकों के डाटा-बेस को नवीनतम बनाये रखने वाली टीम के सक्रिय सदस्य हैं। वह स्वामी को आभार प्रकट करते हैं कि स्वामी ने उन्हें सेवा करने हेतु वाइब्रोनिक्स के माध्यम से सुनहरा अवसर प्रदान किया है। वह हर कदम पर स्वामी के मार्गदर्शन में कार्य करते हैं। वह अपनी उन्नति के लिये समय पर मेन्टर के उत्साहित करने को मानते हैं। वह महसूस करते हैं कि वाइब्रोनिक्स ने उनके जीवन के हर पहलू को रूपान्तरित कर दिया है। वह रोगी को उपचार देने से पूर्व प्रार्थना करते हैं और रोगी के साथ बड़े धैर्य और प्रेम से वार्तालाप करते हैं। वह कहते हैं कि प्रेम और दया के भाव से रोगियों से बात करने से ही आधी बिमारी ठीक हो जाती है। वह अपने रोगियों को समय पर भोजन करने, पर्याप्त मात्रा में पानी पीने और अच्छी नींद लेने की हिदायते देना कभी नहीं भूलते हैं।

अनुसरण योग्य उपचार:

 

प्रश्नोत्तर

1.प्रश्नः हम पिल्स की बॉटल को “8” के आकार में 9 बार क्यों हिलाते हैं?

उत्तर :  8 का आकार अनंत को दर्शाता है, यह अनंत काल तक अपनी शक्ति को बनाये रखने में सक्षम होता है। यह बाईबिल के अनुसार पुनरूत्थान और उत्थान का प्रतीक है। यह हिलाने की प्रक्रिया को आध्यात्मिकता से जोड़ता है।

जब पिल्स को गोलाकार रूप में घुमाते हैं तो बॉटल में सैन्टी्रफ्यूगल फोर्स पैदा हो जाता है जिससे कि पिल्स आपस में अच्छी तरह मिल जाती है। रिमैडी में रोग को ठीक करने की शक्ति प्रत्येक पिल में आ जाती है। बॉटल को सदैव क्षितिज के समानान्तर हिलाना चाहिये। ऐसा नहीं करने पर पिल्स नीचे के भाग में एकत्रित हो जाती हैं और दवा सभी पिल्स में अच्छी तरह से नहीं मिल पाती हैं और उनका प्रभाव कम हो जाता है। नौ बार में पिल्स आपस में अच्छी तरह मिल जाती है। वैसे भी 9 नम्बर दिव्य है, यह कभी कम नहीं होता है!  

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2. प्रश्नःचिकित्सक को पहली पिल रोगी के मुँह में क्यों रखनी चाहिये?

उत्तरः एक चिकित्सक को वाइब्रोनिक्स में 100% विश्वास होता है और वह रोगी का उपचार पूर्ण दया और प्रेम के भाव से करता है। एक रोगी को वाइब्रोनिक्स में विश्वास हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है। जब पहली गोली रोगी के मुख में रखी जाती है, उपचार तुरंत ही शुरू हो जाता है। एक त्रिभुज का निर्माण होता है जिससे रोगी, चिकित्सक और दिव्य शक्ति जुड़े होते हैं। चिकित्सीय ऊर्जा चिकित्सक के माध्यम से रोगी तक पहुँचती है। यदि रोगी पिल को स्वंय ही लेना चाहता है तो बॉटल में से पिल ढ़क्कन में निकाल कर रोगी को दे दें। रोगी को किसमें अधिक आराम मिलता है, इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है। यदि पिल्स को डाक से भेजा गया है तो रोगी को फोन करना चाहिये, चिकित्सक प्रार्थना करते हुये रोगी को पिल लेने के लिये कहेगा। इस दौरान फोन से संपर्क बना रहना चाहिये।

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3. प्रश्नः मैं रोगी को किस प्रकार समझाऊँ कि रिमैडी को रैडियेशन से दूर रखना है जिससे कि उसके दिमाग में कोई भय पैदा न हो जाये?

उत्तरः निसन्देह यह आवश्यक है कि रोगी को इस बात की सूचना दे देनी चाहिये कि रिमैडी को रेडियेशन से दूर रखना आवश्यक है, रेडियेशन से दवा का प्रभाव समाप्त हो जाता है लेकिन इस बात को बहुत ही नम्रता के साथ दोस्ताना भाव से समझा देना चाहिये। रिमैडी बॉटल का सीधा संपर्क रेडियेशन से नहीं होना चाहिये। उनमें कुछ दूरी (30cm या 12 इंच) अवश्य होनी चाहिये। शब्द समाप्तके स्थान पर कहना चाहिये प्रभावको कम कर देता है। कुछ आसान तरीके अपनाये जा सकते हैं जैसे कि यदि एक जेब में मोबाइल है तो दूसरी जेब में पिल्स की बॉटल को रखा जाये। घर पर उन्हें कुछ दूरी पर रखें।

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4. प्रश्नः जब मुझे एक ही बॉटल में 108CC बॉक्स से कई रिमैडीज की बूँदे डालनी होती हैं तो मुझे पिल्स को गीला न होने के लिये क्या करना चाहिये?

उत्तरः पिल्स को गीला होने से बचाने के लिये हर बूँद को डालने के बाद बॉटल को अच्छी तरह हिलाना चाहिये। आखिरी बूंद डालने के बाद बॉटल 8 के आकार में घुमाना चाहिये। अन्य तरीके में एक खाली बॉटल में सभी रेमिडीज की बूंदे डालकर उसकी एक बूंद पिल्स में डाल देना चाहिये।

जैसा कि हमारे अनुसंधान दल ने कहा है कि कम से कम कॉम्बो को उपचार के लिये मिलाना चाहिये। नम्बर को कम करके केवल वो कॉम्बो मिलाये जायें जो लक्षणों के अनुरूप हो तो बिमारी के मुख्य कारण का जल्दी प्रमाण मिलता है। अधिक कॉम्बोज़ को यह सोचकर मिलाने से कि उससे कॅाम्बोज़ का प्रभाव बढ़ जायेगा गलत है बल्कि यह उपचार की गति को मन्द कर देगा क्योंकि इससे प्रभावी कॉम्बो की शक्ति कम हो जाती है। 

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5. प्रश्नः मैं एक 10 ml बॉटल में कॅाम्बों की एक बूंद डालता हूँ, क्या 20 ml की बॉटल में कॉम्बो की दो बूँद डालना चाहिये?

उत्तरः  20 ml बॉटल में एक बूँद ही काफी है। वाइब्रेशन, शुद्ध ऊर्जा है और यह गुणात्मक स्तर पर कार्य करती है। अगर गलती से एक से अधिक बूँद गिर जाती है तो  रेमेडी पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। बॉटल को हिलाना बहुत आवश्यक है। इससे सभी पिल्स में आवश्यक कम्पन आ जाते है।

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6.  प्रश्नः क्या SRHVP  से ब्रॉडकास्ट करने से पूर्व रोगी की स्वीकृति लेना आवश्यक है?

उत्तरः हम स्वीकृति लेने में विश्वास नहीं करते हैं क्योंकि हम जिस पोटेन्टाईजर का उपयोग कर रहे हैं उसको स्वामी का आशीर्वाद प्राप्त है जो सिर्फ दिव्य वाइब्रेशन्स ही पैदा कर सकता है (सदैव सकारात्मक)। ब्रॉडकास्ट करने का तरीका शुद्ध हृदय से प्रार्थना को भेजना है। यह चिकित्सक की इच्छा है कि रोगी जल्द से जल्द ठीक हो जाये, यही महत्वपूर्ण है। ये आदर्श बात होगी यदि रोगी (या उसकी देखभाल करने वाला) अपने उपचार से अवगत है जिससे कि वह उन वाइब्रेशन्स को ग्रहण कर सके।

 

दैवीय चिकित्सक का संदेश

‘‘मनुष्य दो प्रकार के रोगों से पीड़ित होता है, शारीरिक और मानसिक जो कि तीन प्रकार की प्रकृति के असंतुलन के कारण होता है वे हैं, वात, पित्त और कफ तथा दूसरा कारण है तीन गुणों में असामनता - शुद्ध, जुनून और कुंठा। इन दोनो प्रकार की बिमारियों के पीछे मुख्य बात  है  गुणों का अभाव। यदि हम गुणों को अपना लें तो दोनो प्रकार की बिमारियाँ ठीक हो जावेंगी। मानसिक स्वास्थ्य के लिये शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा होना चाहिये और शारीरिक स्वास्थ्य के लिये मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होना चाहिये। दुःख और हानि में धैर्य और उदारता का व्यवहार रखना बहुत आवश्यक है, अपनी सामर्थ के अनुसार किसी का भला करने का उत्साह, ऐसे गुण हैं जो शरीर और मन दोनो को स्वस्थ्य रखते हैं। सेवा करने से जो प्रसन्नता प्राप्त होती है वह शरीर को रोगों से मुक्त रखने में सहायक होती है।” ...Sathya Sai Baba, “The Temple» Discourse 9 September 1959

http://www.sssbpt.info/ssspeaks/volume01/sss01-23.pdf

 

‘‘प्रत्येक व्यक्ति की प्रतिबद्धता होनी चाहिये कि वह जहाँ कहीं भी किसी की भी सेवा करे कि वह ईश्वर की सेवा कर रहा है क्योंकि ईश्वर सर्वत्र व्याप्त हैं। ऐसी सेवा ही सच्ची साधना है।’’... Sathya Sai Baba, “The Yoga of Selfless Service” Discourse 24November1990
http://www.sssbpt.info/ssspeaks/volume23/sss23-35.pdf

 

उद्धघोषणायें

आगामी कार्यशालायें

  • भारत पुट्टपर्थी: AVP कार्यशाला 6-10 मार्च 2019, संपर्क सूत्रः Lalitha at [email protected] or by telephone at 8500.676 092
  • फ्रांस Dordogne: SVP कार्यशाला & रिफ्रेशर सेमिनार 16.20 मार्च 2019, संपर्क सूत्रः% Danielle at [email protected]  
  • भारत दिल्ली-NCR: AVP/VP/SVP के लिये रिफ्रेशर सेमिनार-23 मार्च 2019, संपर्क सूत्रः Dr Sangeeta Srivastava at [email protected]or by telephone at 9811-298-552
  • भारत भीलवाड़ा राजस्थान:  VPs के लिये रिफ्रेशर  13-14 एप्रैल 2019, संपर्क सूत्रः Manish Gupta by telephone at 8209-370-500
  • USA Richmond VA: AVP कार्यशाला  26-28 एप्रैल 2019, संपर्क सूत्रः Susan at [email protected]
  • भारत पुट्टपर्थी: AVP कार्यशाला 17-21 जुलाई 2019, संपर्क सूत्रः Lalitha at [email protected] or by telephone at 8500-676 092
  • भारत पुट्टपर्थी: AVP कार्यशाला 18-22 नवम्बर 2019, संपर्क सूत्रः Lalitha at [email protected] or by telephone at 8500-676-092
  • भारत पुट्टपर्थी: SVP कार्यशाला 24-28 नवम्बर 2019, संपर्क सूत्रः Hem at [email protected]

 

 

अतिरिक्त

1. स्वास्थ्य सुझाव 

कफ से बचाव व रोक थाम

“शरीर के हर अवयव और अंगो की संतुलन बनाये रखने की एक सीमा होती है। अपर्याप्त और अनुचित भोजन इस संतुलन को बनाये रखने में सक्षम नहीं होते हैं। कभी-कभी खांसी का आना फेफड़ों को शक्ति प्रदान करता है, इससे फेफड़ो में उपस्थित गंदगी बाहर निकल जाती है लेकिन खांसी के दौरे पड़ना बिमारी का लक्षण है। खाने में संयम रखो और र्दीघायु बनो।” …Sri Sathya Sai Baba.1

1.  कफ क्या है?

कफ हमारे शरीर का प्राकृतिक पदार्थ है जो हमारे गले और श्वास नलिका को स्वच्छ करता है और संक्रमण से बचाव करता है। कभी-कभी होने वाला कफ को सामान्य माना जाता है और स्वास्थ्य के लिये अच्छा होता है। यह कष्टप्रद हो सकता है परन्तु हमारे शरीर की रक्षा करता है और स्वंय ठीक भी हो जाता है, लेकिन यह बना रहता है तो इसका तुरंत ही उपचार किया जाना चाहिये। 2,3,4 

2.  प्रकृति, कारण और कफ के प्रकार

कफ तीव्र और जीर्ण दो प्रकार का होता है। तीव्र कफ वह होता है जब वह अचानक से हो जाये और 2-3 सप्ताह तक चलता रहे। कुछ मामलों में तो यह 8 सप्ताह तक भी चलता रहता है। इसे जीर्ण तब कहते है जब यह 8 सप्ताह से अधिक चलता रहे (व्यस्को में), बच्चों में 4 सप्ताह से अधिक समय तक रहने से यह जीर्ण हो जाता है। 4

तीव्र कफ के कारणः    धुँआ, ऐलर्जन्स जैसे कि पराग, फंगस, फफूंदी जो कि घरों में और गीले स्थानों पर होती है, धूल ये सभी श्वास नलिका की नसों के अंतिम छोरों को उत्तेजित करती हैं और कफ उत्पन्न हो जाता है।2 यह सामान्य जुकाम के कारण भी हो सकता है या फिर श्वास नलिका में संक्रमण के कारण भी हो सकता है जो कि फ्लू के वायरस के कारण या  फिर जीवाणुओं द्वारा भी हो जाता है।2-7

जीर्ण कफ के कारणः गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स (GERD) के कारण, साइनस संक्रमण के कारण, एलर्जी के कारण या फिर फेफड़ों के जीर्ण दशा के कारण जैसे कि अस्थमा और ब्रोंकाटिस या जीर्ण पलमोनरी डिज़ीज (COPD) कफ के लिये उत्तरदायी हैं। वृद्ध अवस्था में इसका मुख्य कारण ऐसिड रिफ्लक्स होता है।2 एक अन्य कारण दवाओं के सेवन से भी है। 2-7

जिद्दी कफ जिसे जीर्ण रिफरेक्ट्री कफ भी कहते हैं वह मानसिक कारणों जैसे कि अवसाद, बिमारी के बारे में नकारात्मक विचार और थकान से भी संबंधित होता है।8

मोटे तौर पर यह कहा जा सकता है कि कफ दो प्रकार6,7का होता है-सूखा और गीलाः

सूखा कफ उत्तेजकों जैसे कि धुआँ, दवाइयों के कारण होता है, श्वसन संक्रमण प्रारंभिक स्तर पर या फिर बढ़ी हुई फेफड़ों की बिमारी जैसे कि पलमोनिरी फाइब्रोसिस में भी सूखा कफ हो जाता है और बलगम नहीं निकलता है।6,7

गीला कफ या छाती का कफ, जिसे उत्पादन कफ भी कहते है,यह अक्सर जुकाम और गले के संक्रमण के कारण होता है। अन्य कारण हैं संक्रमित ब्रोंकाईटिस, निमोनिया, तपेदिक, फेफड़ों में पानी के कारण हृदय फेल। इसमें म्यूकस का निष्कासन होता है। म्यूकस प्रतिदिन म्यूकस ग्रंथी द्वारा बनता है यह ग्रंथी म्यूकस मैमब्रेन पर होती है। मैमब्रेन कई अंगो जैसे कि नाक, साइनस, मुँह, गला, फेफड़े और गैस्ट्रोइंटसटीनल ट्रैक पर होती है तथा श्वसन मार्ग को स्वच्छ रखती है जिससे कि यह अंग सूखने न पायें। यह उत्तेजक पदार्थों को रोक लेती है, यह अपने अन्दर एण्टीबॉडीज़ और एन्जाइम भी रखती है जो संक्रमण से बचाव करती है। इसक पता बिमार होने पर ही हो पाता है। बिमारी की स्थिति में श्वसन तंत्र के निचले वायु मार्ग से रिसाव होता है, जब इसे थूका जाता है तो इसे बलगम कहते हैं। थूक और बलगम दोनो ही शब्दों का उपयोग किया जाता है परन्तु मैडिकल भाषा में जब इसे टैस्ट के लिये ले जाया जाता है तो इसे थूक कहा जाता है। गाढ़ा, चिपचिपा म्यूकस या बलगम का आशय है कि र्निजलीकरण या संक्रमण बढ़ रहा है। इसका रंग बिमारी की स्थिति को बतलाता है। रंग एक दिन में भी बदल सकता है। 6,7,9-11  

बलगम के रंग : स्वच्छ और पतला कफ हमारे स्वास्थ्य के लिये अच्छा होता है परन्तु यह सामान्य रूप का होना चाहिये और हमारे दिन प्रतिदिन के कार्य में बाधा नहीं पड़नी चाहिये। स्वच्छ कफ नासिका में ऐलर्जी, हे फीवर, वायरल ब्रांकाईटिस या फिर वायरल निमोनिया के कारण बनता है। जुकाम फ्लू, साइनोसाईटिस, ब्रांकाईटिस या निमोनिया होने पर बलगम का रंग पीला हो जाता है जो बढ़कर हरा हो जाता है इससे पता चलता है कि संक्रमण

बढ़ रहा है। सफेद बलगम के कारण है ऐलर्जी, अस्थमा या COPD जीवाणु संक्रमण, GERD या कंजैस्टिव हॉर्ट फेलयोर ग्रे या चारकोल बलगम का कारण है फंगल इन्फैक्शन और फेफड़े को पिछले भाग की बिमारी, यह उन लोगों को होती है जो धूम्रपान करते हैं या कोयले की खदान में या उसके आसपास कार्य करते हैं। जंग के समान रंग वाला बलगम फेफड़े की जीर्ण बीमारी को दर्शाता है। लाल रंग का बलगम रक्त स्त्राव के कारण होता है जो संक्रमण और कैंसर की संभावना जताता है। 12,13

कुछ संक्रमणीय कफः

क्रूप जीवाणु-जनित गले का संक्रमण है, यह पाँच वर्ष से छोटे बच्चे को होती है। इसमें भौंकने जैसी आवाज होती है सांस लेने में भी आवाज होती है यह स्वर यंत्र, श्वास नलिका और वायुमार्ग में सूजन के कारण हो जाता है। रात्रि में अधिक तकलीफ देय होता है, यह 2-5  दिनों में ठीक हो जाता है। कभी-कभी यह लम्बे समय तक भी परेशान कर सकता है।14,15

काली खाँसी एक जीर्ण और संक्रामक रोग है, इसमें श्वसन मार्ग में जीवाणुओं द्वारा संक्रमण फैल जाता है। यह6-8  सप्ताह तक रहता है और इसके लक्षण फ्लू के समान होते हैं। वैक्सीनेशन द्वारा इसकी रोक थाम की जा सकती है। यह अक्सर बच्चों को जिनका वैक्सीनेशन नहीं होता है प्रभावित करती है। इसके अलावा जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है या वृद्धावस्था के कारण कमजोर हो जाती है वह भी इसकी चपेट में आ जाते है ।16,17 

3. खाँसी का उपचार

खाँसी स्वंय में कोई बिमारी नहीं है बल्कि यह निम्न परिस्थितियों का लक्षण मात्र है। यह श्वसन तंत्र में अव्यवस्था का सबसे बड़ा लक्षण है।18 तेज खाँसी से पसलियों में दर्द, सीने में दर्द, अनिद्रा, सिर दर्द, उल्टी, असंयमितता हो सकती है। यदि खाँसी बहुत तीव्र है या 3 सप्ताह से अधिक पुरानी हो जाये तो तुरंत ही डाक्टर से संपर्क करना चाहिये। इसी प्रकार यदि बलगम में रक्त आये, साँसे छोटी हो जाये, सीने में जकड़न या लगातार दर्द रहे या साँस लेने में परेशानी होने पर डाक्टर से संपर्क करना आवश्यक है।4-6 खाँसी का उपचार शुरू करने से पहले चिकित्सक को रोगी से पूर्ण विवरण प्राप्त कर लेना चाहिये।18

कुछ घरेलु नुस्खे :

  • गीली खाँसी में भाप लेना, नमक के पानी से कुल्ले करके गले की पीड़ा को कम करना, जिससे कि छाती की जकड़न कम हो जाये।21
  • तुलसी, अदरक और शहद की चाय पीना, पूरे दिन तुलसी की पत्ती को चबाते रहने से भी जल्दी आराम मिलता है।19
  • अज्वाईन और आइवी के पत्तों से बना हर्बल कफ सिरप, तीव्र ब्रांकइटिस के लिए एक प्लेसबो सिरप की तुलना में अधिक तेज़ी से तुरन्त राहत देता है।21 अज्वाईन जर्मनी में अधिकारिक तौर पर अनुमोदित खांसी का ईलाज़ और उपाय है।22 एक अध्ययन के अनुसार, मार्शमेल्लो की जड़ को सिरप में मिलाने से यह अति प्रभावी बन जाता है और इससे खांसी में राहत मिलती है, हालांकि जड़ के मिलाने से पेट में हल्की गड़बड़ हो सकती है। यह अधिक तरल पदार्थ लेने से ठीक की जा सकती है।21
  • काली मिर्च (½ छोटा चम्मच) घी के साथ (स्पष्ट मक्खन), खाना खाने के बाद, दिन में 2-3 बार, छाती की बलगम साफ करने के लिए।20
  • तुलसी, अदरक और शहद की चाय पीना, पुरे दिन तुलसी की पत्ती को चबाते रहने से भी जल्दी आराम मिलता है।19
  • गर्म चाय जिसे (¼ छोटा चम्मच मुलैठी, दाल चीनी और लौंग के पाऊडर से बनाया गया हो, में शहद मिलाकर दिन में दो बार पिये, इससे आश्चर्यजनक लाभ मिलता है।20
  • अलसी की चाय बनाकर उसमें नीबू का रस और शहद मिला कर पीये।22
  • शहद सभी दवाइयों के मुकाबले सबसे अधिक असरकारक होता है। पैन स्टेट कॉलेज ऑफ मेडिसिन में हुये एक शोध के अनुसार202007 में बताया गया कि कच्चा शहद खाँसी के लिये सबसे अच्छी दवाई है। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिये कि शहद को हल्के गर्म द्रव के साथ ही मिलायें न कि उबलते हुये पानी या दूध में।23

बच्चों के लिये विशेष ध्यान : बच्चों में खांसी एक आम समस्या है, इसका विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। बच्चों के लिये खांसी में दवाई की कोई आवश्यकता नहीं होती है, 6 वर्ष तक की उम्र के लिये ऐण्टीबायोटिक्स का वायरल संक्रमण पर कोई प्रभाव नहीं होता है बल्कि यह अन्य दुष्प्रभाव पैदा कर देती हैं जो खांसी के ठीक होने में बाधा उत्पन्न कर देती है। सही निदान अत्यावश्यक है। 18,24,25

बच्चों के लिये कुछ विशेष उपाय :

  • भाप लेना और आराम करना सबसे अच्छा उपाय है।27
  • आधा कप अनार का रस में बड़ी पीपल अदरक और काली मिर्च का पाउडर मिला कर बच्चों को देने से आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त होते है।20
  • ऐपल साइडर विनेगर में पिसी हुई अदरक खाँसी में बहुत लाभदायक है। नीबू को चूसने से भी बहुत आराम मिलता है।2
  • बच्चा जब सो रहा हो तो गद्दे या तकिये के एक सिरे को थोड़ा सा उठा दें लेकिन डेढवर्ष से छोटे बच्चे के लिये तकिये का उपयोग न करें।28
  • एक वर्ष से बड़े बच्चे के लिये एक खुराक में सोने के समय 2.5 ml से अधिक शहद का प्रयोग न करें।26 एक वर्ष से कम आयु के बच्चे को शहद न खिलायें क्योंकि यह जीवाणु संक्रमण फैलाने वाला होता है जिसे बोटुलिज़्म कहते हैं।27,28

4. बचाव और सावधानियाँ

यदि किसी व्यक्ति को आसानी से सर्दी जुकाम खांसी की शिकायत हो जाती हो तो उसे नियमित रूप से किसी घरेलू नुस्खे को ले लेना चाहिये जिससे कि यह रोग न हो या फिर रोग तीव्र न हो जाये।

  • सोते समय दूध/पानी में हल्दी का पाउडर लेना एक प्राकृतिक ऐण्टीबायोटिक का कार्य करता है। एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर को शहद में मिलाकर दिन में तीन बार भी ले सकते हैं।19  
  • गिलोय का रस प्रत्येक दिन प्रातः काल में लें। दो चम्मच रस को पानी में मिलाकर प्रतिदिन तीन बार पीने से, आयुर्वेद के अनुसार, शरीर के तीनो दोषों वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहता है।20

पूर्व के समाचार पत्र में दिये गये उपायों से भी सामान्य सर्दी और खांसी से जल्दी राहत मिल सकती है।29 युवाओं में अम्लता का रोग एक सामान्य बात हो गई है जिसको व्यवस्थित जीवन शैली अपनाकर दूर किया जा सकता है, विशेषतः खान-पान और व्यायाम। 30

संक्रमण को फैलने से रोकें खांसी और जुकाम होने पर नाक को साफ करने के लिये मोटे टिश्यू कपड़े का उपयोग करें तथा हाथों को अच्छी तरह धो लें। टिश्यू कपड़े को फेंक दे और फिर से उपयोग में लिये जाने वाले कपड़े को अच्छी तरह से धो लें।29 यह बहुत आवश्यक है क्योंकि छीकों की बूंदों से संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है। सर्दी और खांसी हमारी असावधानियों के कारण बहुत तेजी से फैलते हैं।

सावधानी के तौर पर  बीमार व्यक्ति से संपर्क न करें, बिमारी के दौरान घर पर ही रहें। नाक और मुँह को ढ़का हुआ रखे। आँख, नाक और मुँह को छूने से बचें। धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को धूम्रपान छोड़ देना चाहिये, इसके लिये वह अपने साथियों या नेटवर्क की मदद ले सकते हैं।

सांई वाइब्रोनिक्सः सर्दी-जुकाम  खांसी की रोकथाम के लिये वाइब्रो उपचार ले : CC4.10 Indigestion, CC9.2 Infections acute,  CC19.1 Chest tonic, CC19.2 Respiratory allergies, CC19.6 Cough chronic, CC19.7 Throat chronic, या फिर कोई अन्य उपयुक्त कॉम्बो108CC बॉक्स से। NM8 Chest, NM9 Chest TS,  NM37 Acidity, NM46 Allergy-2, NM54 Spasm, NM62 Allergy-B, NM70 CB9, NM71 CCA, NM73 Croup, NM76 Dyspnoea, NM92 Post Nasal Drip, या फिर कोई अन्य उपयुक्त योग, 576 कार्डस का उपयोग करते हुये।31

References and Links:

  1. http://www.sssbpt.info/ssspeaks/volume15/sss15-21.pdf Sathya Sai Speaks,vol.15,21 Good health and goodness, 30 Sept.1981
  2. What is cough & its nature: https://www.nhlbi.nih.gov/health-topics/cough;https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2532915/
  3. https://medlineplus.gov/cough.html     
  4. https://www.mayoclinic.org/symptoms/cough/basics/definition/SYM-20050846https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/chronic-cough/symptoms-causes/syc-20351575?p=1
  5. Causes of cough: https://www.health.com/health/gallery/0,,20358279,00.html
  6. Types of cough: https://www.health24.com/Medical/Cough/Overview/Types-of-cough-20120721
  7. https://www.nhsinform.scot/illnesses-and-conditions/lungs-and-airways/cough
  8. Psychological cause of cough: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5357770/
  9. Mucus, phlegm, sputum:  https://www.medicinenet.com/what_is_mucus/article.htm
  10. https://www.everydayhealth.com/cold-flu/everything-you-ever-wondered-about-mucus-and-phlegm.aspx
  11. https://en.wikipedia.org/wiki/Phlegm
  12. Colour of phlegm: https://www.healthline.com/health/green-phlegm
  13. https://wexnermedical.osu.edu/blog/what-does-the-color-of-your-phlegm-mean
  14. Croup cough in children: https://www.healthline.com/health/croup#symptoms  
  15. https://www.mydr.com.au/respiratory-health/croup-symptoms-and-treatments
  16. Whooping cough: https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/whooping-cough/symptoms-causes/syc-20378973
  17. https://www.nhs.uk/conditions/whooping-cough/
  18. Pertinent questions on cough: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK359/
  19. Home remedies for dry cough from online information guide launched by the Government of India:http://vikaspedia.in/health/ayush/ayurveda-1/ayurveda-for-common-disease-conditions/is-dry-cough-keeping-you-awake-find-relief-through-ayurveda
  20. Home remedies: https://food.ndtv.com/health/6-best-home-remedies-for-cough-to-give-you-instant-relief-1445513
  21. https://www.medicalnewstoday.com/articles/322394.php
  22. https://www.rd.com/health/wellness/natural-cough-remedies/
  23. https://www.slideshare.net/BhimUpadhyaya/food-body-by-sadhguru
  24. 2011 study on Handling cough of children: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3056681/
  25. 2017 study on chronic cough in children: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5427690/
  26. Honey for cough in children:  https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4264806/
  27. Specific home care for children: https://parenting.firstcry.com/articles/35-safe-home-remedies-for-cough-in-children/
  28. https://www.healthline.com/health/parenting/toddler-cough-remedy#home-remedies
  29. Sai Vibrionics Newsletter, Precautions and Home remedies for Combating Common Cold, paras 4 & 5, Vol 9 Issue 6
  30. Sai Vibrionics Newsletter, Health Tips on Acidity – Nip it in the bud, Vol 8 Issue 4.
  31. Soham Series of Natural Healing, Volume 5, The Diseases, Coughs, p.79. Also refer to volume 3, and Vibrionics 2018, p.116

 

2. रिफ्रेशर सेमिनारए वेस्ट लन्दनए UK, 6 जनवरी 2019

15 प्रतिभागियों सहित इस सेमिनार का शुभारंभ एक छोटे ध्यान योग के साथ हुआ जिससे कि सभी प्रतिभागियों का ध्यान केन्द्रित रह सके। चिकित्सक02799 ने सेमिनार इस लहजे में शुरू किया कि सभी प्रतिभागियों का ध्यान सकारात्मक सोच पर केन्द्रित रहे और सभी स्वामी के समक्ष समर्पण के भाव रखते हुये अपने जीवन में अच्छे विचारों को उत्पन्न कर सकें। उन्होंने  SVP  कोर्स की रूप रेखा द्वारा समझाया कि किस प्रकार यह विद्या उपचार के अन्य तरीके अपना कर उपचार के नये सिद्धान्तों के द्वार खोल देगा। उदाहरण के तौर पर शरीर के द्रव से नोसोड और एलर्जन्स बनाकर व्यक्ति के अनुरूप रिमैडी तैयार की जा सकती है। ऐलोपैथिक दवाओं के दुष्प्रभावों को दूर करने के लिये उसकी अन्तर्निहित शक्ति को बढ़ाया जा सकता है। फिर भी SVP प्रतिभागियों को वाइब्रोनिक्स के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को उजागर करना होगा, इसके लिये उन्हें प्रशासनिक कार्यों में सहयोग करना होगा। जीर्ण समस्याओं के समाधान के लिये एक बार में केवल एक समस्या पर ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया गया। सफल उपचारों के बारे में बताने के लिये पूरे विवरण की आवश्यकता होती है। कुछ लोगो के अनुसार 108CC बॉक्स  में कुछ शीशियाँ धुंधली हो जाती हैं शायद ठंडे मौसम के कारण उनमें संघनन की क्रिया हो जाती है। इस बात को नोट कर लिया गया और भविष्य में उसे दूर करने की अनुशंसा की गई।

प्रतिभागियों ने अपने स्वंय के भोजन के बारे में भी विचार विमर्श का आदान प्रदान किया जिससे कि वह रोगी को उचित मार्ग बतला सके। इस बात की भी अनुशंसा की गई कि हमको ताजा फलों और सब्जियों और उनके रस पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। ड्रमस्टिक की हरी पत्तियों का सेवन भी लाभकारी होता है। मांसाहारी भोजन को और श्वेत सामग्रियों जैसे कि श्वेत चीनी, दूध, परिशुद्ध नमक, चावल और आटा के स्थान पर अन्य विकल्पों को अपना कर अपच, दर्द और यहाँ तक कैन्सर से अपना बचाव कर सकते हैं। चिकित्सक03541 ने अपने स्वयं के अनुभव के आधार पर बतलाया कि चीनी को छोड़ देने से न केवल उसके दांत का दर्द ठीक हो गया परन्तु उसकी पाचन क्रिया में सुधार हो गया और कमर दर्द बिलकुल ठीक हो गया।

यह भी निर्णय लिया गया कि 108CC बॉक्स को चार्ज करने के बाद उस पर एक स्टिकर लगा दिया जाना चाहिये जिस पर चार्ज करने की तिथि अंकित हो। स्वामी की आरती के साथ सेमिनार का समापन हो गया।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

1. रिफ्रेशर कार्यशाला, धर्मक्षेत्र, मुम्बई,भारत, 9 फरवरी 2019

वरिष्ठ चिकित्सक10375 ने एक अत्यंत जानकारी पूर्ण और परस्पर संवादात्मक रिफ्रेशर कोर्स का आयोजन किया जिसमें 36 प्रतिभागियों ने भाग लिया। उन्होंने । AVP के मैंन्युल के नवीनतम संस्करण में हुये बदलावों पर विशेष चर्चा की। उन्होंने चिकित्सकों को विभिन्न उपक्रमों के बारे में जानकारी दी जिसमें नये चिकित्सकों के मेन्टर के कार्य के बारे में भी बतलाया और कुछ विशेष बिन्दुओं को स्मरण रखने का आग्रह किया- प्रतिज्ञायें कम करो, कार्य अधिक करो, स्वामी को दिये गये वचनों पर कायम रहो, कम से कम परन्तु उपयुक्त कॉम्बो से उपचार करो क्योंकि वाइब्रोनिक्स बहुत ही शक्तिशाली औषधि है जिससे कि रोगी को तुरंत लाभ मिल सके। रोगी के ठीक हो जाने के बाद औषधि को धीरे-धीरे व्यवस्थित तरीके से कम करो। रोगी के शरीर की शुद्धि और इम्यूनिटी बढ़ाने के लिये, (चिकित्सक पहले इसका स्वयं पालन करें) भविष्य में रोग से बचाने के लिये रिमैड़ीज का व्यवस्थित तरीके से उपयोग करें। सभी सफल रोगों का अभिलेख व्यवस्थित तरीके से रखें और उसे तुरंत ही प्रकाशन हेतु भेज दें। उन्होंने आहृवान किया कि चिकित्सकों को प्रशासनिक कार्यों का भी जिम्मा लेना चाहिये जिससे कि वाइब्रोनिक्स को प्रणालीबद्ध किया जा सके।

डा० अग्रवाल ने पुट्टपर्थी से अपने वाटसऐप के माध्यम से बताया कि उन्होंने वाइब्रोनिक्स की उन्नति के लिये किस प्रकार से पुट्टपर्थी से अपना कार्य किया है और बताया कि किस प्रकार स्वामी ने उन्हें प्रेरित और मार्ग दर्शन किया है नये चिकित्सकों के प्रशिक्षण के लिये  जो लोग पुट्टपर्थी से बाहर रहते हैं। इसका शुभारंभ वर्ष 2007 में महाराष्ट्र से किया गया। उन्हों ने सेवा कार्य को प्रेम और दया के भाव से करने के लिये कहा यह दो खम्भे हैं सेवा के जिस पर चलकर रोगी को जल्द राहत दिला सकते हैं।

वाइब्रोनिक्स के लिये यह बहुत ही सम्मान की बात है कि वाइब्रोनिक्स के लोगों में भाई-चारे की भावना है और इसे महाराष्ट्र के पुराने और नये राज्याध्यक्षों का पूर्ण सहयोग प्राप्त है। यह प्रशंसा की बात है कि राज्य में चिकित्सक वाइब्रोनिक्स के कार्य को आगे बढ़ाने में रूचि लेने लगे हैं। इससे नये चिकित्सकों को वाइब्रो सेवा के लिये जोश से भर दिया है।

 

 

 

 

 

 

ओम् साईं राम