कैंसर 11585...भारत
एक 91 वर्षीय वृद्धा जो बिस्तर पर ही रहती थी उसकी दायीं किडनी पर एक बड़ी गांठ थी। 6 माह पूर्व उसको कैंसर ग्रस्त पाया गया था (नवम्बर 2016)। उसके पेट के दायें भाग में नीचे की ओर भयंकर दर्द था, पेल्विक क्षेत्र में भी दर्द था, यह परेशानी उसे दो माह से थी। वाइब्रो चिकित्सक से मिलने से एक सप्ताह पूर्व, उन्हें डाक्टर्स ने कहा था कि अब जीवन एक सप्ताह का ही बचा है। रोगी ने सभी ऐलोपैथिक दवाओं का उपयोग करना बन्द कर दिया था क्योंकि इनसे उसको कोई आराम नहीं मिल रहा था। फिर भी वह अपनी गैस की समस्या और उच्च रक्त चाप के लिये ऐलोपैथिक दवायें ले रही थी। 28 अप्रैल 2017 उसके परिवार वालो ने चिकित्सक को रोगी से मिलने की प्रार्थना की। पिछले एक सप्ताह से रोगी ने गले में सूजन के कारण कुछ भी नहीं खाया था। गले में उसके नीबू के आकार की गाठ थी। एक सप्ताह से वह शौच के लिये भी नहीं गई थी। उसकी दायीं आँख लाली लिये हुये सूजी हुई थी, उसमें 2 सप्ताह से मवाद भी निकल रहा था।
उसको निम्न उपचार दिया गया जिसे उसने उसे बड़ी श्रद्धा के साथ ग्रहण किया :
#1. CC2.1 Cancers - all + CC2.2 Cancer pain + CC2.3 Tumours & Growths + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic…TDS
#2. CC4.4 Constipation + CC7.3 Eye infections + CC13.2 Kidney & Bladder infections…TDS
रोगी को एक सप्ताह में ही कब्ज से 100% मुक्ति मिल गई, वह मुलायम भोजन को आराम से खाने लगी थी। दूसरे लक्षणों में उसे मामूली सा अन्तर हुआ था। एक सप्ताह बाद 14 जून 2017 को चिकित्सक रोगी से मिलने के लिये गया, उसने देखा कि रोगी सामान्य भोजन कर रहा था, उसके गले का दर्द और सूजन ठीक हो गये थे, आँख भी बिलकुल ठीक थी तथा वह शरीर में कहीं भी दर्द का अहसास नहीं कर रही थी। उसने औषधियों का सेवन जारी रखा और शांतिपूर्वक 3 माह के बाद, 21 सितम्बर 2017 को, देवलोक गमन कर गई।
सम्पादकीय टिप्पणी- यह खुशी की बात है कि चिकित्सक ने शिक्षण प्राप्त करने के तुरंत बाद ही ऐसे जटिल केस को बड़े प्रेम और दया के भाव से वृद्धा की सेवा की जिससे वह अंतिम तीन मास का समय आराम के साथ जी सकी। आदर्श रूप में सभी कॉम्बोज़ को एक ही बॉटल में दिया जा सकता था क्योंकि दोनों की खुराक समान थी। जाहिर तौर पर सभी समस्यायें एक दूसरे से संबंधित नहीं थी। सारे लक्षण कैंसर के कारण ही उभरे प्रतीत होते हैं।