दैवीय चिकित्सक का दिव्य सन्देश
Vol 14 अंक 6
नवम्बर/दिसम्बर 2023
“लोग अपने आप को इतनी अधिक मात्रा में भोजन से भर लेते हैं कि उन्हें खाने की थाली से उठना मुश्किल हो जाता है। भारी, गरिष्ठ भोजन खाकर अपने पाचन तंत्र को बर्बाद करके, अमीर लोग महंगे भोज का आयोजन करके गर्व महसूस करते हैं। जो लोग जानते हैं कि शारीरिक स्वास्थ्य सबसे बड़ा खजाना है, वे केवल सात्विक भोजन करने का बहुत ध्यान रखते हैं। कच्चा भोजन, मेवे और फल, अंकुरित दालें सर्वोत्तम हैं। इन्हें कम से कम एक बार के भोजन में, मान लीजिए, रात के खाने में उपयोग करें; इससे दीर्घ जीवन सुनिश्चित होगा।”
…Sri Sathya Speaks, Divine Discourse, Good health and goodness, vol 15, Chapter 21, 30 Sept 1981
https:sssbpt.info/ssspeaks/volume15/sss15-21.pdf
“सेवा में हनुमान को अपने उदाहरण के रूप में लें। उन्होंने सभी प्रकार की बाधाओं की परवाह किए बिना, धर्म के राजकुमार राम की सेवा की। यद्यपि वह बलवान, विद्वान तथा गुणी थे, तथापि उनमें लेशमात्र भी अभिमान नहीं था। जब लंका में राक्षसों (राक्षसों) ने उनसे पूछा कि वह कौन है, और लंका में इतने साहसपूर्वक प्रवेश कैसे किया, तो उन्होंने पूरी विनम्रता से स्वयं को 'राम का सेवक' बताया। यह अहंकार को मिटाने का एक अच्छा उदाहरण है जिसे सेवा द्वारा हमें भी अपने अंदर के अहंकार को मिटान चाहिए। कोई भी व्यक्ति दूसरे की तब तक सेवा नहीं कर सकता जब तक उसका अहंकार प्रबल हो। पारस्परिक सहायता और निःस्वार्थ सेवा का दृष्टिकोण मनुष्य की 'मानवता' को विकसित करता है और उसमें छिपी दिव्यता को प्रकट करने में मदद करता है।
...Sri Sathya Speaks, Divine Discourse in Seva http://Dal Conference, “Lessons on Seva sadhana , vol 15, Chapter 31, 19 Nov 1981
http://sssbpt.info/ssspeaks/volume15/sss15-31.pdf