साई व्हाइब्रियोनिक्स पत्रिका

" जब आप किसी हतोत्साहित, निराष या रोग ग्रस्त व्यक्ति को देखते हो, वहीं आपका सेवा क्षेत्र है " Sri Sathya Sai Baba
Hands Reaching Out

अतिरिक्त

Vol 10 अंक 2
मार्च/एप्रैल 2019


1. स्वास्थ्य सुझाव 

कफ से बचाव व रोक थाम

“शरीर के हर अवयव और अंगो की संतुलन बनाये रखने की एक सीमा होती है। अपर्याप्त और अनुचित भोजन इस संतुलन को बनाये रखने में सक्षम नहीं होते हैं। कभी-कभी खांसी का आना फेफड़ों को शक्ति प्रदान करता है, इससे फेफड़ो में उपस्थित गंदगी बाहर निकल जाती है लेकिन खांसी के दौरे पड़ना बिमारी का लक्षण है। खाने में संयम रखो और र्दीघायु बनो।” …Sri Sathya Sai Baba.1

1.  कफ क्या है?

कफ हमारे शरीर का प्राकृतिक पदार्थ है जो हमारे गले और श्वास नलिका को स्वच्छ करता है और संक्रमण से बचाव करता है। कभी-कभी होने वाला कफ को सामान्य माना जाता है और स्वास्थ्य के लिये अच्छा होता है। यह कष्टप्रद हो सकता है परन्तु हमारे शरीर की रक्षा करता है और स्वंय ठीक भी हो जाता है, लेकिन यह बना रहता है तो इसका तुरंत ही उपचार किया जाना चाहिये। 2,3,4 

2.  प्रकृति, कारण और कफ के प्रकार

कफ तीव्र और जीर्ण दो प्रकार का होता है। तीव्र कफ वह होता है जब वह अचानक से हो जाये और 2-3 सप्ताह तक चलता रहे। कुछ मामलों में तो यह 8 सप्ताह तक भी चलता रहता है। इसे जीर्ण तब कहते है जब यह 8 सप्ताह से अधिक चलता रहे (व्यस्को में), बच्चों में 4 सप्ताह से अधिक समय तक रहने से यह जीर्ण हो जाता है। 4

तीव्र कफ के कारणः    धुँआ, ऐलर्जन्स जैसे कि पराग, फंगस, फफूंदी जो कि घरों में और गीले स्थानों पर होती है, धूल ये सभी श्वास नलिका की नसों के अंतिम छोरों को उत्तेजित करती हैं और कफ उत्पन्न हो जाता है।2 यह सामान्य जुकाम के कारण भी हो सकता है या फिर श्वास नलिका में संक्रमण के कारण भी हो सकता है जो कि फ्लू के वायरस के कारण या  फिर जीवाणुओं द्वारा भी हो जाता है।2-7

जीर्ण कफ के कारणः गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स (GERD) के कारण, साइनस संक्रमण के कारण, एलर्जी के कारण या फिर फेफड़ों के जीर्ण दशा के कारण जैसे कि अस्थमा और ब्रोंकाटिस या जीर्ण पलमोनरी डिज़ीज (COPD) कफ के लिये उत्तरदायी हैं। वृद्ध अवस्था में इसका मुख्य कारण ऐसिड रिफ्लक्स होता है।2 एक अन्य कारण दवाओं के सेवन से भी है। 2-7

जिद्दी कफ जिसे जीर्ण रिफरेक्ट्री कफ भी कहते हैं वह मानसिक कारणों जैसे कि अवसाद, बिमारी के बारे में नकारात्मक विचार और थकान से भी संबंधित होता है।8

मोटे तौर पर यह कहा जा सकता है कि कफ दो प्रकार6,7का होता है-सूखा और गीलाः

सूखा कफ उत्तेजकों जैसे कि धुआँ, दवाइयों के कारण होता है, श्वसन संक्रमण प्रारंभिक स्तर पर या फिर बढ़ी हुई फेफड़ों की बिमारी जैसे कि पलमोनिरी फाइब्रोसिस में भी सूखा कफ हो जाता है और बलगम नहीं निकलता है।6,7

गीला कफ या छाती का कफ, जिसे उत्पादन कफ भी कहते है,यह अक्सर जुकाम और गले के संक्रमण के कारण होता है। अन्य कारण हैं संक्रमित ब्रोंकाईटिस, निमोनिया, तपेदिक, फेफड़ों में पानी के कारण हृदय फेल। इसमें म्यूकस का निष्कासन होता है। म्यूकस प्रतिदिन म्यूकस ग्रंथी द्वारा बनता है यह ग्रंथी म्यूकस मैमब्रेन पर होती है। मैमब्रेन कई अंगो जैसे कि नाक, साइनस, मुँह, गला, फेफड़े और गैस्ट्रोइंटसटीनल ट्रैक पर होती है तथा श्वसन मार्ग को स्वच्छ रखती है जिससे कि यह अंग सूखने न पायें। यह उत्तेजक पदार्थों को रोक लेती है, यह अपने अन्दर एण्टीबॉडीज़ और एन्जाइम भी रखती है जो संक्रमण से बचाव करती है। इसक पता बिमार होने पर ही हो पाता है। बिमारी की स्थिति में श्वसन तंत्र के निचले वायु मार्ग से रिसाव होता है, जब इसे थूका जाता है तो इसे बलगम कहते हैं। थूक और बलगम दोनो ही शब्दों का उपयोग किया जाता है परन्तु मैडिकल भाषा में जब इसे टैस्ट के लिये ले जाया जाता है तो इसे थूक कहा जाता है। गाढ़ा, चिपचिपा म्यूकस या बलगम का आशय है कि र्निजलीकरण या संक्रमण बढ़ रहा है। इसका रंग बिमारी की स्थिति को बतलाता है। रंग एक दिन में भी बदल सकता है। 6,7,9-11  

बलगम के रंग : स्वच्छ और पतला कफ हमारे स्वास्थ्य के लिये अच्छा होता है परन्तु यह सामान्य रूप का होना चाहिये और हमारे दिन प्रतिदिन के कार्य में बाधा नहीं पड़नी चाहिये। स्वच्छ कफ नासिका में ऐलर्जी, हे फीवर, वायरल ब्रांकाईटिस या फिर वायरल निमोनिया के कारण बनता है। जुकाम फ्लू, साइनोसाईटिस, ब्रांकाईटिस या निमोनिया होने पर बलगम का रंग पीला हो जाता है जो बढ़कर हरा हो जाता है इससे पता चलता है कि संक्रमण

बढ़ रहा है। सफेद बलगम के कारण है ऐलर्जी, अस्थमा या COPD जीवाणु संक्रमण, GERD या कंजैस्टिव हॉर्ट फेलयोर ग्रे या चारकोल बलगम का कारण है फंगल इन्फैक्शन और फेफड़े को पिछले भाग की बिमारी, यह उन लोगों को होती है जो धूम्रपान करते हैं या कोयले की खदान में या उसके आसपास कार्य करते हैं। जंग के समान रंग वाला बलगम फेफड़े की जीर्ण बीमारी को दर्शाता है। लाल रंग का बलगम रक्त स्त्राव के कारण होता है जो संक्रमण और कैंसर की संभावना जताता है। 12,13

कुछ संक्रमणीय कफः

क्रूप जीवाणु-जनित गले का संक्रमण है, यह पाँच वर्ष से छोटे बच्चे को होती है। इसमें भौंकने जैसी आवाज होती है सांस लेने में भी आवाज होती है यह स्वर यंत्र, श्वास नलिका और वायुमार्ग में सूजन के कारण हो जाता है। रात्रि में अधिक तकलीफ देय होता है, यह 2-5  दिनों में ठीक हो जाता है। कभी-कभी यह लम्बे समय तक भी परेशान कर सकता है।14,15

काली खाँसी एक जीर्ण और संक्रामक रोग है, इसमें श्वसन मार्ग में जीवाणुओं द्वारा संक्रमण फैल जाता है। यह6-8  सप्ताह तक रहता है और इसके लक्षण फ्लू के समान होते हैं। वैक्सीनेशन द्वारा इसकी रोक थाम की जा सकती है। यह अक्सर बच्चों को जिनका वैक्सीनेशन नहीं होता है प्रभावित करती है। इसके अलावा जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है या वृद्धावस्था के कारण कमजोर हो जाती है वह भी इसकी चपेट में आ जाते है ।16,17 

3. खाँसी का उपचार

खाँसी स्वंय में कोई बिमारी नहीं है बल्कि यह निम्न परिस्थितियों का लक्षण मात्र है। यह श्वसन तंत्र में अव्यवस्था का सबसे बड़ा लक्षण है।18 तेज खाँसी से पसलियों में दर्द, सीने में दर्द, अनिद्रा, सिर दर्द, उल्टी, असंयमितता हो सकती है। यदि खाँसी बहुत तीव्र है या 3 सप्ताह से अधिक पुरानी हो जाये तो तुरंत ही डाक्टर से संपर्क करना चाहिये। इसी प्रकार यदि बलगम में रक्त आये, साँसे छोटी हो जाये, सीने में जकड़न या लगातार दर्द रहे या साँस लेने में परेशानी होने पर डाक्टर से संपर्क करना आवश्यक है।4-6 खाँसी का उपचार शुरू करने से पहले चिकित्सक को रोगी से पूर्ण विवरण प्राप्त कर लेना चाहिये।18

कुछ घरेलु नुस्खे :

बच्चों के लिये विशेष ध्यान : बच्चों में खांसी एक आम समस्या है, इसका विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। बच्चों के लिये खांसी में दवाई की कोई आवश्यकता नहीं होती है, 6 वर्ष तक की उम्र के लिये ऐण्टीबायोटिक्स का वायरल संक्रमण पर कोई प्रभाव नहीं होता है बल्कि यह अन्य दुष्प्रभाव पैदा कर देती हैं जो खांसी के ठीक होने में बाधा उत्पन्न कर देती है। सही निदान अत्यावश्यक है। 18,24,25

बच्चों के लिये कुछ विशेष उपाय :

4. बचाव और सावधानियाँ

यदि किसी व्यक्ति को आसानी से सर्दी जुकाम खांसी की शिकायत हो जाती हो तो उसे नियमित रूप से किसी घरेलू नुस्खे को ले लेना चाहिये जिससे कि यह रोग न हो या फिर रोग तीव्र न हो जाये।

पूर्व के समाचार पत्र में दिये गये उपायों से भी सामान्य सर्दी और खांसी से जल्दी राहत मिल सकती है।29 युवाओं में अम्लता का रोग एक सामान्य बात हो गई है जिसको व्यवस्थित जीवन शैली अपनाकर दूर किया जा सकता है, विशेषतः खान-पान और व्यायाम। 30

संक्रमण को फैलने से रोकें खांसी और जुकाम होने पर नाक को साफ करने के लिये मोटे टिश्यू कपड़े का उपयोग करें तथा हाथों को अच्छी तरह धो लें। टिश्यू कपड़े को फेंक दे और फिर से उपयोग में लिये जाने वाले कपड़े को अच्छी तरह से धो लें।29 यह बहुत आवश्यक है क्योंकि छीकों की बूंदों से संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है। सर्दी और खांसी हमारी असावधानियों के कारण बहुत तेजी से फैलते हैं।

सावधानी के तौर पर  बीमार व्यक्ति से संपर्क न करें, बिमारी के दौरान घर पर ही रहें। नाक और मुँह को ढ़का हुआ रखे। आँख, नाक और मुँह को छूने से बचें। धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को धूम्रपान छोड़ देना चाहिये, इसके लिये वह अपने साथियों या नेटवर्क की मदद ले सकते हैं।

सांई वाइब्रोनिक्सः सर्दी-जुकाम  खांसी की रोकथाम के लिये वाइब्रो उपचार ले : CC4.10 Indigestion, CC9.2 Infections acute,  CC19.1 Chest tonic, CC19.2 Respiratory allergies, CC19.6 Cough chronic, CC19.7 Throat chronic, या फिर कोई अन्य उपयुक्त कॉम्बो108CC बॉक्स से। NM8 Chest, NM9 Chest TS,  NM37 Acidity, NM46 Allergy-2, NM54 Spasm, NM62 Allergy-B, NM70 CB9, NM71 CCA, NM73 Croup, NM76 Dyspnoea, NM92 Post Nasal Drip, या फिर कोई अन्य उपयुक्त योग, 576 कार्डस का उपयोग करते हुये।31

References and Links:

  1. http://www.sssbpt.info/ssspeaks/volume15/sss15-21.pdf Sathya Sai Speaks,vol.15,21 Good health and goodness, 30 Sept.1981
  2. What is cough & its nature: https://www.nhlbi.nih.gov/health-topics/cough;https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2532915/
  3. https://medlineplus.gov/cough.html     
  4. https://www.mayoclinic.org/symptoms/cough/basics/definition/SYM-20050846https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/chronic-cough/symptoms-causes/syc-20351575?p=1
  5. Causes of cough: https://www.health.com/health/gallery/0,,20358279,00.html
  6. Types of cough: https://www.health24.com/Medical/Cough/Overview/Types-of-cough-20120721
  7. https://www.nhsinform.scot/illnesses-and-conditions/lungs-and-airways/cough
  8. Psychological cause of cough: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5357770/
  9. Mucus, phlegm, sputum:  https://www.medicinenet.com/what_is_mucus/article.htm
  10. https://www.everydayhealth.com/cold-flu/everything-you-ever-wondered-about-mucus-and-phlegm.aspx
  11. https://en.wikipedia.org/wiki/Phlegm
  12. Colour of phlegm: https://www.healthline.com/health/green-phlegm
  13. https://wexnermedical.osu.edu/blog/what-does-the-color-of-your-phlegm-mean
  14. Croup cough in children: https://www.healthline.com/health/croup#symptoms  
  15. https://www.mydr.com.au/respiratory-health/croup-symptoms-and-treatments
  16. Whooping cough: https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/whooping-cough/symptoms-causes/syc-20378973
  17. https://www.nhs.uk/conditions/whooping-cough/
  18. Pertinent questions on cough: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK359/
  19. Home remedies for dry cough from online information guide launched by the Government of India:http://vikaspedia.in/health/ayush/ayurveda-1/ayurveda-for-common-disease-conditions/is-dry-cough-keeping-you-awake-find-relief-through-ayurveda
  20. Home remedies: https://food.ndtv.com/health/6-best-home-remedies-for-cough-to-give-you-instant-relief-1445513
  21. https://www.medicalnewstoday.com/articles/322394.php
  22. https://www.rd.com/health/wellness/natural-cough-remedies/
  23. https://www.slideshare.net/BhimUpadhyaya/food-body-by-sadhguru
  24. 2011 study on Handling cough of children: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3056681/
  25. 2017 study on chronic cough in children: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5427690/
  26. Honey for cough in children:  https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4264806/
  27. Specific home care for children: https://parenting.firstcry.com/articles/35-safe-home-remedies-for-cough-in-children/
  28. https://www.healthline.com/health/parenting/toddler-cough-remedy#home-remedies
  29. Sai Vibrionics Newsletter, Precautions and Home remedies for Combating Common Cold, paras 4 & 5, Vol 9 Issue 6
  30. Sai Vibrionics Newsletter, Health Tips on Acidity – Nip it in the bud, Vol 8 Issue 4.
  31. Soham Series of Natural Healing, Volume 5, The Diseases, Coughs, p.79. Also refer to volume 3, and Vibrionics 2018, p.116

 

2. रिफ्रेशर सेमिनारए वेस्ट लन्दनए UK, 6 जनवरी 2019

15 प्रतिभागियों सहित इस सेमिनार का शुभारंभ एक छोटे ध्यान योग के साथ हुआ जिससे कि सभी प्रतिभागियों का ध्यान केन्द्रित रह सके। चिकित्सक02799 ने सेमिनार इस लहजे में शुरू किया कि सभी प्रतिभागियों का ध्यान सकारात्मक सोच पर केन्द्रित रहे और सभी स्वामी के समक्ष समर्पण के भाव रखते हुये अपने जीवन में अच्छे विचारों को उत्पन्न कर सकें। उन्होंने  SVP  कोर्स की रूप रेखा द्वारा समझाया कि किस प्रकार यह विद्या उपचार के अन्य तरीके अपना कर उपचार के नये सिद्धान्तों के द्वार खोल देगा। उदाहरण के तौर पर शरीर के द्रव से नोसोड और एलर्जन्स बनाकर व्यक्ति के अनुरूप रिमैडी तैयार की जा सकती है। ऐलोपैथिक दवाओं के दुष्प्रभावों को दूर करने के लिये उसकी अन्तर्निहित शक्ति को बढ़ाया जा सकता है। फिर भी SVP प्रतिभागियों को वाइब्रोनिक्स के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को उजागर करना होगा, इसके लिये उन्हें प्रशासनिक कार्यों में सहयोग करना होगा। जीर्ण समस्याओं के समाधान के लिये एक बार में केवल एक समस्या पर ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया गया। सफल उपचारों के बारे में बताने के लिये पूरे विवरण की आवश्यकता होती है। कुछ लोगो के अनुसार 108CC बॉक्स  में कुछ शीशियाँ धुंधली हो जाती हैं शायद ठंडे मौसम के कारण उनमें संघनन की क्रिया हो जाती है। इस बात को नोट कर लिया गया और भविष्य में उसे दूर करने की अनुशंसा की गई।

प्रतिभागियों ने अपने स्वंय के भोजन के बारे में भी विचार विमर्श का आदान प्रदान किया जिससे कि वह रोगी को उचित मार्ग बतला सके। इस बात की भी अनुशंसा की गई कि हमको ताजा फलों और सब्जियों और उनके रस पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। ड्रमस्टिक की हरी पत्तियों का सेवन भी लाभकारी होता है। मांसाहारी भोजन को और श्वेत सामग्रियों जैसे कि श्वेत चीनी, दूध, परिशुद्ध नमक, चावल और आटा के स्थान पर अन्य विकल्पों को अपना कर अपच, दर्द और यहाँ तक कैन्सर से अपना बचाव कर सकते हैं। चिकित्सक03541 ने अपने स्वयं के अनुभव के आधार पर बतलाया कि चीनी को छोड़ देने से न केवल उसके दांत का दर्द ठीक हो गया परन्तु उसकी पाचन क्रिया में सुधार हो गया और कमर दर्द बिलकुल ठीक हो गया।

यह भी निर्णय लिया गया कि 108CC बॉक्स को चार्ज करने के बाद उस पर एक स्टिकर लगा दिया जाना चाहिये जिस पर चार्ज करने की तिथि अंकित हो। स्वामी की आरती के साथ सेमिनार का समापन हो गया।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

1. रिफ्रेशर कार्यशाला, धर्मक्षेत्र, मुम्बई,भारत, 9 फरवरी 2019

वरिष्ठ चिकित्सक10375 ने एक अत्यंत जानकारी पूर्ण और परस्पर संवादात्मक रिफ्रेशर कोर्स का आयोजन किया जिसमें 36 प्रतिभागियों ने भाग लिया। उन्होंने । AVP के मैंन्युल के नवीनतम संस्करण में हुये बदलावों पर विशेष चर्चा की। उन्होंने चिकित्सकों को विभिन्न उपक्रमों के बारे में जानकारी दी जिसमें नये चिकित्सकों के मेन्टर के कार्य के बारे में भी बतलाया और कुछ विशेष बिन्दुओं को स्मरण रखने का आग्रह किया- प्रतिज्ञायें कम करो, कार्य अधिक करो, स्वामी को दिये गये वचनों पर कायम रहो, कम से कम परन्तु उपयुक्त कॉम्बो से उपचार करो क्योंकि वाइब्रोनिक्स बहुत ही शक्तिशाली औषधि है जिससे कि रोगी को तुरंत लाभ मिल सके। रोगी के ठीक हो जाने के बाद औषधि को धीरे-धीरे व्यवस्थित तरीके से कम करो। रोगी के शरीर की शुद्धि और इम्यूनिटी बढ़ाने के लिये, (चिकित्सक पहले इसका स्वयं पालन करें) भविष्य में रोग से बचाने के लिये रिमैड़ीज का व्यवस्थित तरीके से उपयोग करें। सभी सफल रोगों का अभिलेख व्यवस्थित तरीके से रखें और उसे तुरंत ही प्रकाशन हेतु भेज दें। उन्होंने आहृवान किया कि चिकित्सकों को प्रशासनिक कार्यों का भी जिम्मा लेना चाहिये जिससे कि वाइब्रोनिक्स को प्रणालीबद्ध किया जा सके।

डा० अग्रवाल ने पुट्टपर्थी से अपने वाटसऐप के माध्यम से बताया कि उन्होंने वाइब्रोनिक्स की उन्नति के लिये किस प्रकार से पुट्टपर्थी से अपना कार्य किया है और बताया कि किस प्रकार स्वामी ने उन्हें प्रेरित और मार्ग दर्शन किया है नये चिकित्सकों के प्रशिक्षण के लिये  जो लोग पुट्टपर्थी से बाहर रहते हैं। इसका शुभारंभ वर्ष 2007 में महाराष्ट्र से किया गया। उन्हों ने सेवा कार्य को प्रेम और दया के भाव से करने के लिये कहा यह दो खम्भे हैं सेवा के जिस पर चलकर रोगी को जल्द राहत दिला सकते हैं।

वाइब्रोनिक्स के लिये यह बहुत ही सम्मान की बात है कि वाइब्रोनिक्स के लोगों में भाई-चारे की भावना है और इसे महाराष्ट्र के पुराने और नये राज्याध्यक्षों का पूर्ण सहयोग प्राप्त है। यह प्रशंसा की बात है कि राज्य में चिकित्सक वाइब्रोनिक्स के कार्य को आगे बढ़ाने में रूचि लेने लगे हैं। इससे नये चिकित्सकों को वाइब्रो सेवा के लिये जोश से भर दिया है।

 

 

 

 

 

 

ओम् साईं राम