Vol 11 अंक 4
जुलाई/अगस्त 2020
मुद्रणीय संस्करण
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डॉ० जीत के अग्रवाल की कलम से
प्रिय चिकित्सकों,
सभी साईं भक्तों के लिए गुरु पूर्णिमा एक बहुत ही पावन दिवस है और इस अवसर पर तुम्हें संबोधित करते हुए अत्यंत प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है। यह वाईब्रिओनिक्स मिशन के व्यक्तियों लिए एक उदासीन दिवस है। जब स्वामी अपने दैहिक रूप में थे तो हम उनको अपनी वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते थे और एक केक भी प्रस्तुत करते थे जिसको वे काटकर सभी भक्तों में वितरित करने के लिए दे देते थे। जिसको सभी भक्त प्रसाद के रूप में ग्रहण करते थे। सामाजिक दूरी बनाए रखने का प्रशांति निलयम में कड़ाई से पालन किया जाता है, लेकिन इसके बावजूद प्रार्थना करने की तीव्रता यहां अत्यधिक हो गई है। संसार के सभी स्थानों से यहां भक्त आकर प्रार्थनाएं करते हैं और आपसी विचार विमर्श ऑनलाइन माध्यम से करने में संलग्न रहते हैं। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। स्वामी ने कहा है, "ईश्वर के नाम का जप करते रहो, यही कार्य तुम्हें सभी प्रकार की विपत्तियों से बचाकर रखेगी। जिस प्रकार वायु हर स्थान पर मौजूद रहती है, उसी प्रकार ईश्वर भी हर स्थान पर मौजूद रहते हैं, वह तुम्हारे अंदर, तुम्हारे साथ तुम्हारे चारों ओर ऊपर और नीचे उपस्थित रहते हैं। इसलिए तुम्हें सदैव दिव्यता के साथ समन्वय बनाए रखना चाहिए।” …Sathya Sai Baba, Guru Poornima Discourse, 21-7-2005, Prasanthi Nilayam.यह बात सभी चिकित्सकों और रोगियों के लिए बहुत उपयोगी है विशेषकर इस अभूतपूर्व समय में।
जैसा कि तुम सभी को विदित है कि कोविड-19 ने पूरे विश्व में विनाश का तांडव मचा रखा है, यह लीला सभी व्यक्तिगत, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर प्रभावी है। दुर्भाग्यवश इस महामारी का प्रभाव आम जनता पर सबसे अधिक है जिनके पास पर्याप्त बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाएं नहीं है। जबकि चिकित्सक के लिए यह संभव नहीं है कि वह रोगी से मिल सके और उसका उपचार कर सके फिर भी मुझे यह सूचना देते हुए हर्ष हो रहा है कि हमारे SVPs ने आगे बढ़कर ब्रॉडकास्टिंग के जरिए से विश्व को और कोविड-19 से ग्रस्त रोगियों को उपचार देने का कार्य किया है। हमारे अन्य चिकित्सक भी पोस्ट के द्वारा उपचार की औषधि भेज रहे हैं।
मुझे आपके साथ साझा करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि इस परिस्थिति में बहुत से चिकित्सकों को घर से सुविधा देने के कार्य में बाधा पड़ी है, परंतु इसके कारण आभासी बैठकों की गति में तीव्रता आई है। कर्नाटक का उदाहरण लें, जहां चिकित्सक पहले 15 दिनों में ऑनलाइन विधि से अपने ज्ञान की वृद्धि करते थे, वे अब हमारे पुराने समाचार पत्रों के आधार पर और 108CC पुस्तक में दी गई उपचार विधि पर विचार विमर्श करने लगे हैं। समन्वयक12051 के अनुसार इस प्रकार की ऑनलाइन बैठको से चिकित्सकों को सभी कोणों से अपनी ज्ञान वृद्धि के लिए अवसर प्राप्त हुआ है। वह सभी विषयों का गहनता के साथ अध्ययन करने लगे हैं और उसी दृष्टिकोण से प्रश्न करने लगे हैं।
मैं तहे दिल से कामना करता हूँ कि चिकित्सक मिलकर पूलिंग और पेयरिंग करके एक ऐसी रणनीति बनाएं जो इस आपातकालीन स्थिति में उनकी मदद कर सके और आपसी ज्ञान को बढ़ाने और लागू करने में एक दूसरे की मदद कर सके। उदाहरण के लिए फ्रांसीसी भाषा बोलने वाले जो फ्रांस और गाबोन में रहते हैं वे उन लोगों के साथ पेयरिंग कर रहे हैं जिनका संचार कौशल तो अच्छा है परंतु दूसरों की तुलना में उनका भाषा ज्ञान/ प्रशासनिक ज्ञान कम हैI फ्रांस के समन्वयकों ने ऑनलाइन बैठकों की आवृति बढ़ा दी है, 3 माह के बजाय 1 माह कर दी हैI
विश्व भर से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर यह दिल को खुश कर देने वाली बात है कि जिन व्यक्तियों को कोविड-19 जैसे लक्षण थे या जो इस रोग के पॉजिटिव थे उन्हें हमारी औषधि को 2-3 दिन तक लेने में ही लाभ हो गया था। मैं उन सभी चिकित्सकों के प्रति आभार प्रकट करता हूँ जिनके अथक समर्पण और प्रयासों से इस बूस्टर औषधि का वितरण व उपचार किया गया है। चिकित्सकों के इस सक्रिय दृष्टिकोण और श्री सत्य साईं सेवा संगठन के सहयोग से ही हम यह उपलब्धि प्राप्त कर सके हैंI भारत में हमने 34500 इम्यूनिटी बूस्टर औषधि का वितरण पिछले माह के अंत तक कर दिया था और लगभग 103500 लोगों को लाभ हुआ, पिछले दो महीनों में 40% की वृद्धि हुई। चिकित्सक11604 इस औषधि को तैयार करते हैं तथा उसको सेवादल, आश्रम में शेड्स में रह रहे व्यक्तियों और आश्रम में रह रहे व्यक्तियों तक इसे पहुंचाते हैं। वह अपने पिता चिकित्सक00759 के पद चिन्हों, जो 27 मई 2020 को, 98 वर्ष की आयु में, स्वामी में समा गए थे,सेवा कार्य कर रही है। वह एक बहुत ही समर्पित चिकित्सक थे और जीवन के अंतिम समय तक सक्रिय रहे थे। उनकी खुशनुमा यादें हमारे दिलों में सदैव बनी रहेगी। पिछले 20 वर्षों में पुट्टापर्थी में बहुत सारे लोगों का उपचार किया था।
मैंने सुना है कि अगले 2 माह भी संकटपूर्ण रहने वाले हैं क्योंकि यह वायरस परिवर्तनशील है और ऊपरी केंद्र बदलता रहता है । हमें सदैव सचेत रहने की आवश्यकता है जिससे कि यह अधिक प्रसार नहीं कर सके और उन लोगों का उपचार भी करना है जो लोग इस महामारी से त्रस्त है। लेकिन हमारी अनुसंधान टीम लगातार इस पर नजर रखे हुए हैं तथा इसके परिवर्तनशील व्यवहार और प्रसार पर रोक लगाने के लिए प्रयत्नशील है। हमारी अनुसंधान टीम ऐसा करने में सक्षम है क्योंकि वे लोग निरंतर केस हिस्ट्री और प्राप्त सूचनाओं का अध्ययन करते रहते हैं। यह सूचनाएं समस्त विश्व से प्राप्त होती रहती हैं। मेरा सभी चिकित्सकों से अनुरोध है कि वे लगातार सूचनाएं प्रेषित करते रहें तथा परिणामों से भी सूचित करें चाहे वह कितने भी साधारण हों।
मैं तुम्हें यह सूचना भी देना चाहता हूं कि 5 जुलाई की इस पावन बेला के अवसर पर हम अपनी नई वेबसाइट http://vibrionics.org को एक नए रूप में प्रस्तुत करने जा रहे हैं। हम अपने चिकित्सक03518 के प्रति आभार प्रकट करते हैं जिनके अथक समर्पण, रचनात्मकता और कठोर परिश्रम के फलस्वरूप उपलब्धि प्राप्त हो रही है। इनके साथ ही सहयोगी चिकित्सकों11964,03560 & 03531 के प्रति भी हम इनके प्रयासों की सराहना करते हैं और अपना आभार प्रकट करते हैं।
साईं की प्रेममयी सेवा में रत
जीत के. अग्रवाल
बांझपन 11975...India
17 मई 2018 को एक 32-वर्षीय महिला अपने 35-वर्षीय पति के साथ चिकित्सक के पास पहुंची। वह बहुत व्यथित थी उनके विवाह को 8 वर्ष हो गए थे परंतु अभी तक वह संतान सुख से वंचित थे। 20 वर्ष की आयु में उस महिला को मासिक धर्म अनियमित होता था जो बढ़कर 1 वर्ष हो गया था। 4 वर्ष पूर्व उन्होंने डॉक्टर से सलाह लेने का मानस बनाया। उस महिला की जांच करने पर डॉक्टर ने उसे PCOD की समस्या से त्रस्त बताया। उसके पति के वीर्य में भी स्पर्म काउंट कम थे। दोनों ने डॉक्टर द्वारा दी गई औषधि का 4 वर्ष तक उपचार लिया परंतु कोई लाभ नहीं हुआ। 1 वर्ष पूर्व 2017 में उसका पति बहुत आलस्य में रहने लगा था, डॉक्टर से निदान करवाने पर पता चला कि वह हाइपोथायराइड रोग से ग्रस्त है। (उसका TSH मान 12 mlU/L था जो कि सामान्य मान 0.4 से 4.0 से बहुत अधिक था।) उसने कोई उपचार नहीं लिया। वह किसी वैकल्पिक उपचार की तलाश में था। अब उसको वाइब्रॉनिक्स उपचार के बारे में मालूम हुआ । उस समय भी उसके TSH का मान 12 ही था। उनको निम्न उपचार दिए गए :
पत्नी के लिये:
#1. CC8.1 Female tonic + CC8.4 Ovaries & Uterus + CC8.8 Menses irregular + CC10.1 Emergencies + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic…6TD
पति के लिये:
#2. CC6.2 Hypothyroid + CC10.1 Emergencies + CC12.1 Adult tonic + CC14.3 Male infertility + CC15.1 Mental & Emotional tonic…6TD
3 दिन में ही पत्नी को मासिक धर्म शुरू हो गया (1 वर्ष के अंतराल पर) जो अगले दो माह तक नियमित रहा। 20 जुलाई को, दंपति चिकित्सक से मिलने पहुंचे, सुरक्षित गर्भधारण की संभावना को सुनिश्चित करने के लिए। अतः #1 को बदलकर निम्न उपचार दिया गया:
#3. CC8.2 Pregnancy tonic + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic…QDS
उसके पति के थायराइड का मान भी (TSH 3 mlU/L) सामान्य हो गया था, एक माह में ही, तथा वह पहले की अपेक्षा अधिक ऊर्जावान हो गया था अतः #2 की खुराक को QDS कर दिया गया।
अगस्त 2018 में गर्भावस्था की पुष्टि हो गई और 15 अप्रैल 2019 को एक कन्या का जन्म हो गया। #3 को 2 माह के बाद बंद कर दिया गया। जैसे कि पति की TSH अभी भी सामान्य है, 20 जून 2019 को #2 की खुराक को धीरे-धीरे कम करते हुए बंद कर दिया गया। जून 2020 तक, महिला चिकित्सक के संपर्क में रही और अभी वह बाल गिरने के लिए उपचार ले रही है।
मुहं का कैंसर 11975...India
2013 में एक 40-वर्षीय पुरुष के मुंह में कैंसर था, की कीमोथेरेपी व शल्यक्रिया (तीसरी स्टेज ) 24 अप्रैल 2013 को की गई थी। चूंकि उसका कैंसर अधिक स्टेज का था। अतः उसे यह चेतावनी दी गई थी कि वह 6 माह से अधिक नहीं जी सकेगा। बीमारी से त्रस्त हार ना मानने की ठान ली थी क्योंकि उसके तीन बच्चे थे और आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं थी। वह वाइब्रो चिकित्सक के पास 23 अगस्त 2013 को पहुंचा। यह चिकित्सक का पहला कैंसर रोगी था। यह उसके AVP के प्रशिक्षण के 6 माह बाद की घटना है। चिकित्सक ने महसूस किया कि रोगी को बहुत अधिक दर्द हो रहा है, उसको रात में नींद भी नहीं आती थी, मुंह से पस निकल रहा था वह साफ-साफ बोलने में भी असमर्थ थाI वह उसकी इस अवस्था से बहुत द्रवित हो गई थी कि वह 4 साल पहले एक दुर्घटना में अपना एक पैर खो चुका था और एक कृत्रिम अंग के साथ काम कर रहा था। उसने व्यक्ति को सांत्वना देते हुए उसे औषधि प्रदान की और ईश्वर से उसकी मंगल कामना के लिए दिल से प्रार्थना की।
#1. CC2.1 Cancers-all + CC2.2 Cancer pain + CC2.3 Tumours & Growths + CC10.1 Emergencies + CC11.5 Mouth infections + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic…6TD
#2. CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC15.6 Sleep disorders…OD रात को सोने से पूर्वI
उसने सभी एलोपैथिक औषधियों को बंद कर दिया केवल वाइब्रो औषधि का सेवन शुरू कर दिया। 48 घंटों के अंदर ही उसकी पत्नी ने सूचित किया कि मुंह से पस आना बंद हो गया है और दर्द भी अब सहनीय है। वह रात्रि को सोने लगा है। तीन सप्ताह बाद, उसका दर्द समाप्त हो गया था और अब वह साफ-साफ बोलने लगा था तथा कहने लगा था कि उसका ईश्वर में विशवास और अधिक गहरा हो गया हैI वह अच्छी तरह सो पा रहा था। अतः औषधि #2 को बंद कर दिया गया, 23 अक्टूबर 2013 को, लेकिन रोगी #1 उपचार को 6TD पर जारी रखना चाहता था। 6 माह बाद 30 अप्रैल 2014 को औषधि की खुराक को QDS कर दिया गया।1 वर्ष बाद जुलाई 2015 को खुराक को TDS कर दिया गया। जब उसका कैंसर का परीक्षण किया गया तो वह कैंसर मुक्त हो चुका था। 20 दिसंबर 2018 को छूट की अवधि समाप्त होने पर उसके वार्षिक परीक्षण पर उसे कैंसर मुक्त पाया गया। अतः खुराक को कम करके OD कर दिया गया तथा अप्रैल 2019 में उपचार बंद कर दिया गया। 24 जून 2020 को जब उससे संपर्क किया गया तो उसने बताया कि वह बिल्कुल स्वस्थ है तथा रोग दुबारा नहीं हुआ है। स्वामी के प्रति आभार स्वरूप घर पर साईं भजन करता रहता है। चिकित्सक की सलाह के अनुसार, वह #1 औषधि का सेवन OW रूप में बचाव की दृष्टि से कर रहा है।
एच्.आई.वी 11975...India
एक 55 वर्षीय महिला 4 माह से बिस्तर पर रहने को मजबूर थी। उसका इस समय में वजन आधा हो गया था 80kg से 40kgI 25 नवंबर 2016 को उसे हॉस्पिटल ले जाया गया उसके भाई के द्वारा क्योंकि उसे खांसी, तेज बुखार, अत्यंत कमजोरी, जिसके कारण चलने में असमर्थता थी। वहां उसकी जांच होने पर मालूम हुआ कि वह एचआईवी पॉजिटिव है। उसका CD4 count* केवल 77 थाI उसको बीमारी उसके पति से मिली थी जो एचआईवी के कारण 6 नवंबर, 2016 को स्वर्ग सिधार गया थे। हॉस्पिटल में उसका उपचार एंटीबायोटिक औषधियों से किया जा रहा था। उसकी खांसी तो ठीक हो गई थी परंतु एचआईवी नाम से वह महिला अत्यधिक विचलित हो गई थी। औषधियों का सेवन करने के बावजूद उसको उल्टी, पेचिश, मुंह में छाले, फ्लू और गले में संक्रमण से हर हफ्ते जूझना पड़ता था। निराशा के वशीभूत होकर उसने औषधियों का सेवन बंद कर दिया और सभी जांचो के कागजों को फाड़ दिया जिससे कि अन्य लोग यह ना जान सके कि वह एचआईवी से ग्रसित है। रोगी के भाई को वाइब्रॉनिक्स उपचार पर बहुत विश्वास था। उसने अपना व अपनी पत्नी का बांझपन के लिए उपचार करवाया थाI गोपनीयता का विश्वास दिलाते हुए वाइब्रॉनिक्स उपचार लेने के लिए मना लिया गया परंतु उसने चिकित्सक के पास जाने से इंकार कर दिया।
अतः 16 जनवरी 2017 को उसका भाई निम्न औषधि चिकित्सक से लेकर आया :
CC8.1 Female tonic + CC10.1 Emergencies + CC12.1 Adult tonic + CC12.3 AIDS - HIV + CC15.1 Mental & Emotional tonic…6TD
15 दिनों में ही रोगी में इतनी शक्ति आ गई थी कि वह घर में इधर-उधर घूमने लग गई थीI उसका एक सगा संबंधी जो पेशे से डॉक्टर था और जिस पर महिला को पूर्ण विश्वास था उसका नियमित रूप से CD4 का टेस्ट करता रहता था जिससे कि वाइब्रो औषधि की प्रभावशीलता जानी जा सके जिससे कि उस महिला की आशाओं को जिंदा रखा जा सके।
धीरे-धीरे उसके सभी लक्षणों में सुधार होने लगा। अक्टूबर 2018 में उसके संबंधी डॉक्टर ने उसे बताया कि उसका CD4 count बढ़ने लगा है लेकिन अभी 200 से कम है। इस समाचार से उस महिलाओं को बहुत राहत मिली। जनवरी 2019 तक वह सभी लक्षणों से मुक्त हो गई थी। उसका CD4 count भी 200 से अधिक हो गया था। जिसका आशय यह था कि वह अब खतरे से बाहर आ गई है। उसका वजन भी बढ़कर 69 kg. हो गया था। उसके बाद से उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। जनवरी 2020 तक वह बिल्कुल सामान्य हो गई थी। 20 मार्च 2020 को उसको बता दिया गया कि अब वह शत-प्रतिशत ठीक हो गई है क्योंकि उसका CD4 Count अब 375 हो गया है। लेकिन रोगी खुराक को कम करने के लिए सहमत नहीं थी। वह अब चिकित्सक से फोन पर बात करने लगी थी, उसको धन्यवाद दे दिया परंतु वह चिकित्सक से मिलना नहीं चाहती थी और ना ही किसी भी प्रकार के सवालों का उत्तर देना चाहती थी। उसका भाई हर माह चिकित्सक से औषधि लेकर उसे दे देता था। जून 2020 में लॉक डाउन के कारण वह टेस्ट कराने नहीं जा सकी। लेकिन उसके भाई के अनुसार, वह बिल्कुल स्वस्थ और प्रसन्न है, स्फूर्ति भी उसमें आ गई है और चेहरे पर आत्मविश्वास दिखाई देता है।
* CD4 count मनुष्य में इम्यूनिटी की स्थिति को प्रदर्शित करता है। एक स्वस्थ व्यस्क के लिए CD4 का मान 500 से 1,200 cells/mm3 रक्त का होता है। यदि यह मान 200 से कम होता है तो व्यक्ति AIDS से ग्रसित होता है।
बाईलेटरल कैलसिफाइड टेनडोनाईटिस, एक्नेरोसैशिया, फेशियल बर्न 03508...France
एक 47-वर्षीय महिला अपने दोनों हाथों में अत्यधिक दर्द से परेशान थी। यह दर्द गर्दन से शुरू होकर कलाई तक आता थाI 2011 में, इसका निदान बाईलेटरल टेंडइनाइटिस के रूप में किया गया था। उसको उपचार में पेरासिटामोल और ट्रामाडोल औषधियां दी गई। दिसंबर 2014 में, उसके दोनों घुटनों में भी दर्द शुरू हो गया। यह शायद उसके लंबे समय तक खड़े रहने के कारण हुआ था। फरवरी 2015 तक उसकी तबीयत बहुत अधिक खराब हो गई थी। वह करवट के बल सो नहीं पाती थी और ना ही अपने हाथों को उठा सकने में समर्थ थी। इस कारण उसे कार्य करने में बहुत परेशानी होती थी। अतः डॉक्टर ने उसे ब्रूफेन 400 mg BD और कोर्टिसोन 10 mg OD दिया, और फिजियोथेरेपी कराने की अनुशंसा की। उसने 40 सत्रों में अल्ट्रा साउंड थेरेपी करवाई लेकिन कोई लाभ उसे प्राप्त नहीं हुआ।
बल्कि उसके चेहरे पर लाल चकत्ते उभर आए तथा त्वचा में खुजली और जलन भी शुरू हो गई । 2012 में इसका निदान एक्ने रोसैशिया किया गया था। कभी-कभी वहां सूजन भी हो जाती थी। वह cortisone क्रीम का उपयोग कर रही थी तथा curacane10mg OD की औषधि का सेवन भी कर रही थी। 3 साल तक एलोपैथिक उपचार से उसको कोई लाभ नहीं हुआ थाI
उसके जीवन में चारों ओर का तनाव भी था जिसमें परिवारिक, नौकरी और उसकी मां की 25 वर्ष पहले हुई मृत्यु का योगदान भी था। उसके तनाव पर ध्यान न देने के कारण वह अवसाद में रहती थी अतः वह मदद के लिए बेकरार रहती थी। 29 सितंबर 2015 को वह वाइब्रो चिकित्सक के पास पहुंची जिसने उसको निम्न उपचार दिया:
तनाव और एक्ने के लिए :
#1. CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC21.2 Skin infections…TDS
दर्द युक्त टेनडोनाइटिस के लिए:
#2. CC20.1 SMJ tonic + CC20.2 SMJ pain + CC20.4 Muscles & Supportive tissue…QDS
इन औषधियों के साथ-साथ वह अपनी सभी प्रकार की एलोपैथिक दवाइयां भी लेती रही।.
30 अक्टूबर 2015 को उसने बताया कि तनाव में अब 50% की कमी हो गई है। और अंदर से वह बेहतर महसूस कर रही है। सभी प्रकार के दर्द भी 30% तक कम हो गए हैं। एक्ने की समस्या में भी 40% की कमी हो गई है।
26 नवंबर 2015 को उसने रेडियो और इकोग्राफी करवाई, उससे पता चला कि जोड़ों में कैल्शियम जमा हो गया है जो पहले मालूम नहीं था। 4 दिन बाद 30 नवंबर को उसने बताया कि एक्ने की समस्या से थोड़ा आराम मिला है लेकिन अन्य लक्षणों में कोई फर्क नहीं पड़ा है। इसके अतिरिक्त वह अब थकान महसूस करने लगी है और नवंबर के शुरुआत से ही गर्दन में दर्द रहने लगा है।
उसकी थकान के लिए #1 में #3 को बढ़ा दिया गया:
#3. CC3.1 Heart tonic + #1…TDS
जोड़ों के दर्द में राहत के लिए #2 को बढ़ाकर #4 कर दिया गया:
#4. CC18.5 Neuralgia + CC20.3 Arthritis + CC20.5 Spine + #2…QDS; इसके अलावा बादाम के तेल में #4 को मिलाकर दिन में दो बार जोड़ो, गर्दन और हाथों पर लगाने की सलाह दी गई।
फरवरी 2016 को उसने बताया कि गर्दन के दर्द में अब पूर्णतया आराम है। 60% एक्ने में आराम है तथा घुटनों और हाथों में 70% आराम है और उसकी मानसिक स्तिथि में भी आराम हैI वह अपने बाजुओं को उठा सकती थी परन्तु पूर्णतया नहीं; अतः उसने फिर से फिजियोथैरेपी सत्रों में जाना शुरू कर दिया।
5 अप्रैल 2016 को, रोगी महिला जो एक हॉस्पिटल में शल्य कक्ष के फर्श की सफाई करने का कार्य करती थी। दुर्घटनावश सानिक्लेर (sanicler) के आक्रामक वाष्प के संपर्क में आ गई तथा उसकी चेहरे की त्वचा लाल हो गई। उसने ना तो डॉक्टर को दिखाया और ना ही किसी प्रकार की औषधि का सेवन कियाI
8 अप्रैल 2016 को #3 को बंद करके औषधि #5 दी गई।
त्वचा के लिए:
#5. CC3.7 Circulation + CC21.1 Skin tonic + CC21.2 Skin infections + CC21.3 Skin allergies + CC21.4 Stings & Bites…TDS और बादाम के तेल में दो बार बाहरी उपयोग के लिए। उसने Cortisone क्रीम का उपयोग बंद कर दिया था, इससे त्वचा पर जलन होने लगती थी।
मानसिक स्थिति और शारीरिक शक्ति के लिए:
#6. CC3.1 Heart tonic + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic…TDS
टेनडोनाइटिस और जोड़ों की गतिशीलता के लिए, # 4 बढ़ाया गया था:
#7. CC20.7 Fractures + #4…TDS
एक माह में ही सभी प्रकार के दर्दों में 90% सुधार हो गया था और वह दोनों हाथों को आसानी से उठाने लगी थी। उसकी फिजियोथैरेपिस्ट को भी आश्चर्य हुआ कि इतनी जल्दी इतना आराम कैसे आ गया। उसने फिजियो के यहां जाना भी बंद कर दिया। उसने भी वाईब्रो औषधियों का सेवन करते रहने की सलाह भी दीI वह महिला अब करवट के बल आराम से सोने लगी थी। उसके अवसाद, चेहरे पर एक्ने और जलन में 80℅ का लाभ हो गया था।
सभी तीनों औषधियां #5, #6 और #7 को चालू रखा गया TDS रूप में, अगले 3 माह तक 30 जुलाई 2016 को उसकी सूचना के आधार पर उसे सभी लक्षणों में शत प्रतिशत लाभ हो गया था। औषधियों को कम करने की श्रंखला में इन तीनों औषधियों को बंद करके एक नई औषधि #8 दी गई।
#8. CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC20.3 Arthritis + CC20.4 Muscles & Supportive tissue + CC20.5 Spine + CC21.2 Skin infections + CC21.3 Skin allergies…BD 3 महीनों के लिए तत्पश्चात OD 2 माह के लिए।
इसी बीच उसने सभी एलोपैथिक औषधियों को बंद कर दिया था डॉक्टर की सलाह के अनुरूप सितंबर 2016 तक। केवल cortisone10mg को जनवरी 2017 में बंद किया गया। औषधि #8 को अब OW कर दिया गया था।
मई 2019 तक उसको जोड़ों में कोई परेशानी नहीं हुई थी और अब भारी चीजों को आसानी से उठा सकने में समर्थ हो गई थी। उसके चेहरे पर चमक आ गई थी और चेहरे की त्वचा में निखार आ गया था। वह शारीरिक और मानसिक रूप से पूर्ण स्वस्थ महसूस कर रही थी। वाइब्रॉनिक्स उसके जीवन की एक आवश्यकता बन गई थी। मार्च 2020 में रोगी ने सूचित किया कि कोई भी लक्षण दुबारा नहीं हुआ है तथा औषधि #8 को OW के रूप में सेवन कर रही है।
रोगी का प्रशंसा पत्र:
4 वर्ष पूर्व मैंने अपने सहयोगी से टेंडइनाइटिस के बारे में बात की थीI अपनी बाहों को ऊंचा उठाना संभव नहीं रहा था मैं अब वाइब्रॉनिक्स का धन्यवाद करना चाहती हूं कि मैं अपनी बाहों को उसी प्रकार से उठा सकती हूं जैसे कभी दर्द था ही नहीं। मेरा जीवन बहुत आवेशपूर्ण था लेकिन मानसिक औषधि से सब ठीक हो गया था। मैं वास्तव में अब बहुत अच्छा महसूस कर रही हूं। औषधि से मेरे चेहरे की त्वचा पर निखार आ गया है जो मेरे लिए बहुत शर्मनाक था । आपको बहुत धन्यवाद, आप रोगी का बहुत ध्यान रखते हो, जो यह जानता है कि रोगी को किस प्रकार सलाह देनी है I मैं अपनी बाहों का उपयोग करके परिपूर्ण हूँ, शांत हूं और प्रसन्न हूँ। आपके हर व्यवहार के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
घुटने का उपास्थि घाव, क्वाड्रिसेप्स चोट 03508...France
वर्ष 2012 में, एक 25-वर्षीय युवक जो फुटबॉल का खिलाड़ी था को घुटने में दर्द का एहसास होने लगा। फुटबॉल के खिलाड़ी होने के कारण वह अपने घुटनों का उपयोग अधिक करता था, 7 वर्ष की आयु से ही। घुटने का एम.आई.आर कराने पर मालूम हुआ कि उसके घुटने में घाव है। नवंबर 2015 तक, अत्यधिक दर्द के कारण लंगड़ाने लगा था। उनके डॉक्टर ने दर्द के लिए paracetamol 1g TDS और tramadol 50 mg BD दिया था। इन दर्द निवारको से केवल अस्थाई लाभ ही मिला। उसने 2 माह तक फिजियोथैरेपी भी करवाई तथा 3 सत्रों तक ओस्टियोपेथी करवाई लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। अतः उसे फुटबॉल खेलना बंद कर देना पड़ा। 15 मई 2016 को वह वाइब्रो चिकित्सक के पास पहुंचा। उस समय वह काफी लंगड़ा रहा था और दर्द भी अधिक हो रहा था।
चिकित्सक ने उसे निम्न औषधि दी
#1. CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC20.1 SMJ tonic + CC20.2 SMJ pain + CC20.3 Arthritis + CC20.4 Muscles & Supportive tissue…QDS 1 हफ्ते के लिए तदुपरांत TDS
#2. CC18.5 Neuralgia + CC20.1 SMJ tonic + CC20.2 SMJ pain + CC20.4 Muscles & Supportive tissue + CC20.7 Fractures…BD बादाम के तेल में मिलाकर बाहरी उपयोग के लिए।
उसने वाइब्रो औषधियों के साथ दर्द निवारक औषधियों का सेवन भी जारी रखा। पहले 1 माह के उपचार से उसे 50% का लाभ हो गया था दर्द में और लंगड़ाने में। एक और माह के उपचार से वह शत-प्रतिशत ठीक हो गया था। अतः 20 जुलाई को #1 की खुराक को BD कर दिया गया इसी प्रकार औषधि #2 को भी कम कर दिया गया। दोनों दर्द निवारक औषधियों को भी OD कर दिया गया। उसने फिर से खेलना शुरू कर दिया था। शुरू में उसने घुटने में थोड़ी सी जकड़न महसूस की थी। 31 अगस्त को उसमें दर्द निवारक औषधियों का सेवन बंद कर दिया। सितंबर में फुटबॉल सत्र का प्रारंभ हुआ जिसमें उसने पूरे उत्साह से भाग लिया। उसे दर्द का भी एहसास नहीं हुआ। 30 सितंबर को #1 व #2 की खुराक को OD कर दिया गया।
नवंबर में खेल के मैदान में एक दुर्घटना में उसकी बाई क्वाड्रीसेप की मांसपेशी टूट गई। जांघ में सूजन आ गई थी और तीव्र वेदना भी थी। पांव पर मैदान में उसके कोच द्वारा घाव पर पट्टी बांध दी गई थी और उसे आराम करने की सलाह दी गई थी। 11 नवंबर को औषधि #1 की खुराक को बढ़ाकर 6TD कर दिया गया 3 दिन के लिए, और उसके पश्चात् QDS तीन दिन के लिए, तदुपरांत TDS,जबकि #2 को बढ़ाकर BD कर दिया गया। उसने अन्य कोई उपचार नहीं लिया। 1 माह के पश्चात सूजन बिल्कुल ठीक हो गई थी और दर्द और चलने-फिरने में भी 80% लाभ हो गया था। अतः 15 दिसंबर 2016 को #1 की खुराक को BD कर दिया गया।
17 जनवरी 2017 तक दर्द पूरी तरह ठीक हो गया था। औषधि #1 व #2 की खुराक को भी कम करके OD कर दिया गया। एक माह पश्चात #2 को बंद कर दिया गयाI 17 मार्च को औषधि #1 खुराक को कम करते हुए 10 मई 2017 को बंद कर दिया गया।
दिसंबर 2019 तक उसे यह तकलीफ दुबारा नहीं हुई थी। वह प्रतिदिन दौड़ लगाता है और फुटबॉल खेल कर अपना शौक पूरा करता है।
कोविड-19 00512...Slovenia
नर्सों की कमी के कारण, इस 45-वर्षीय दंत विभाग की नर्स को एक सेवानिवृत्ति घर की व्यवस्था के लिए नियुक्त कर दिया गया। 2 दिन में ही वहां 6 संक्रमित व्यक्ति (कोविड-19 से) आ गए। 14 अप्रैल 2020 को लगातार 13 घंटों की 4 दिन तक ड्यूटी करने पर उसको 1 दिन का आराम दिया गया। वह बहुत थक गई थी और शाम तक वह बिल्कुल शक्तिहीन हो गई थी। उसकी पीठ में दर्द था और उसे सर्दी का प्रभाव भी हो गया था लेकिन फिर भी उसे यह अहसास नहीं हुआ कि वह बीमार है। शाम के समय उसके शरीर का तापक्रम 37.6C (99.68*F) था।
15 अप्रैल को टेस्ट कराने पर मालूम हुआ कि वह कोविड-19 से संक्रमित है। वह डर गई थी और आशंकित थी कि उस पर कोविड-19 से संक्रमित होने का कलंक लग जाएगा। सेवानिवृत्ति घर के नजदीक ही एक होटल में उसके रुकने की व्यवस्था की गई जहां शाम के वक्त नर्स रुक जाती थी। उसकी एक सहयोगी ने जो कोविड-19 से सुरक्षा के लिए, इस महामारी की शुरुआत से ही, वाइब्रॉनिक्स औषधि का सेवन करती थी, उसे वाइब्रॉनिक्स औषधि के सेवन की सलाह दी। परंतु डरी हुई होने के कारण उसने मना कर दिया। उसमें आत्महत्या की प्रवृत्ति जाग उठी अतः उसका उपचार एक साइकोलॉजिस्ट से करवाया गया। डॉक्टर ने उसे Lexaruin नामक औषधि दी जो डर और चिंता निवारक थी।
अगले 6 दिन तक एक बुरे सपने के सामान थे। उसे रोज ही 38C (104*F) तापक्रम हो जाता था। वह अपना अधिकतर समय बिस्तर पर ही गुजारती थी। उसके सिर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, गले में चोकिंग रहती थी। उसे ऐसा प्रतीत होता था कि जैसे कोई उसके सीने पर भार है। वह गंध और स्वाद की भावना खो चुकी थी। 23 अप्रैल को उसको अभी भी बुखार था, गला रूंध गया था, खांसी तेज आने लगी थी हालाँकि उसका रक्तचाप और ऑक्सीजन की आपूर्ति सामान्य थी।
अगले 11 दिन तक उसे तेज़ बुखार रहा, जोड़ों में दर्द और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। गले में खराश, खांसी तथा भूख का ना लगना तथा बोलने में तकलीफ होना, यह समस्याएं भी हो गई थी। 4 मई को एक बार फिर टेस्ट किया गया जो पॉजिटिव आया। वह अब और डर गई थी अतः उसने वाइब्रो चिकित्सक से संपर्क बनाने का इरादा कर लिया।
चिकित्सक ने पेंडुलम की मदद से स्वामी से संपर्क किया तथा उसे महसूस हुआ कि रोगी पर संक्रमण का बहुत अधिक प्रभाव है। 5 मई 2020 को उसने रोगी को निम्न औषधि दी:
NM2 Blood + NM6 Calming + NM45 Atomic Radiation + NM76 Dyspnoea + NM90 Nutrition + NM113 Inflammation + NM116 Malaria Extra Strength + OM15 Kidneys + OM17 Liver-Gallbladder + BR4 Fear + BR14 Lung + SM6 Stress + SM13 Cancer + SM14 Chemical Poison + SM26 Immunity + SM27 Infection + SM30 Life (AIDS) + SM31 Lung & Chest + SM40 Throat + SM41 Uplift + SR264 Silicea + SR270 Apis Mel + SR301 Mercurius + SR302 Nux Vomica + SR306 Phosphorus + SR385 Eupatorium Perf + SR406 Sabadilla + SR424 Chicory + SR477 Capillary + SR505 Lung + SR507 Lymphatic Organ + SR535 Thymus Gland…6TD 4 दिन तक तत्पश्चात OD *
दूसरे ही दिन वह बिल्कुल शांत थी। 7 मई को वह अच्छे मूड में थी तथा दो बार चहल कदमी के लिए गई। एक बार फिर टेस्ट किया गया। इस बार टेस्ट नेगेटिव आया। दूसरे दिन फिर टेस्ट किया गया, इस बार भी टेस्ट नेगेटिव आया। उसके परिवार वाले सभी बहुत प्रसन्न हुए और उसी शाम को वह घर वापस चली गई।
रोगी का प्रशंसा पत्र:
मेरे लिए व्यतीत किए गए समय के लिए मैं धन्यवाद देती हूँ। मुझे प्रतिदिन बुलाया गया और मेरी स्तिथि के बारे में जानकारी ली गई। जानती हूं कि यह सब आपने अपने लिए नहीं किया था। मुझे मालूम है कि मैं ट्यूब के साथ हॉस्पिटल में जाती और शायद वही मृत्यु भी हो जाती। मै और मेरे परिवार वाले हृदय से आपके आभारी हैं और आपकी सेवाओं के लिए धन्यवाद ज्ञापित करते हैं।
संपादकीय टिप्पणी:
इस चिकित्सक ने बहुत से जटिल रोगों का उपचार किया है और इस बात से आश्वस्त हैं कि कोविड-19 के रोगी केवल 2 दिन में ही स्वस्थ हो सकते हैं।
* जिनके पास 108CC बॉक्स है, कृपया पहले से प्रकाशित कोविड -19 उपाय का उपयोग करें।
गर्भावस्था में कोविड-19 03572...Gabon
एक 33-वर्षीय महिला जो 4 माह की गर्भवती थी, चिकित्सक के पास उपचार के लिए पहुंची। वह युवती एक दम पीली पड़ गई थी और बहुत थकी हुई नजर आ रही थी। उसको कोविड-19 के लक्षण थे - कम श्वास लेना और थकान। वह 10 मीटर भी चल नहीं पाती थी। ठीक से सांस लेने के लिए उसे रुकना पड़ता था I इसके 1 दिन पहले उसकी मां भी कोविड-19 संक्रमित निकली थी। वह हॉस्पिटल में भर्ती थी। इस कारण वह भयभीत थी क्योंकि वह अपनी मां के साथ रहती थी और उन्हीं के कमरे में सोती थी। वह भी हॉस्पिटल गई थी लेकिन सुविधाओं के अभाव में उसे वापस घर भेज दिया गया था। अतः वह अत्यंत निराश थी।
24 मई 2020 को चिकित्सक ने उसे निम्न औषधि दी:
#1. CC4.1 Digestion tonic + CC4.8 Gastroenteritis + CC9.4 Children’s diseases + CC10.1 Emergencies + CC13.1 Kidney & Bladder tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC19.3 Chest infections chronic + CC19.6 Cough chronic + CC19.7 Throat chronic… हर घंटे में एक खुराक, 6 घंटे तक उसके बाद 6TD फिर TDS तबीयत ठीक होने पर। जैसे कि यह विदित है कि गर्भ में बच्चे पर वायरस का असर होता है चिकित्सक ने एक कॉम्बो बच्चे की सुरक्षा के लिए भी दियाI
#2. CC3.1 Heart tonic + CC8.2 Pregnancy tonic + CC8.9 Morning sickness + CC12.1 Adult tonic…TDS
2 दिन बाद 26 मई को, रोगी ने बताया कि अब उसे थकान महसूस नहीं होती है और श्वास की शार्टनैस भी ठीक हो गई है। सुरक्षा की दृष्टि से उसको औषधि #1 जून के अंत तक लेने को कहा गया और जब तक यह महामारी समाप्त ना हो जाए औषधि को OD के रूप में लेते रहना है। औषधि #2 को प्रसव होने तक लेना है।
कोविड-19 02799...UK
12 मार्च 2020 के आसपास एक 50-वर्षीय महिला को अत्यधिक सिर दर्द रहने लगा, आंखों से पानी भी आता था और खुजली भी होती थी। अगले 3 दिनों में शरीर में दर्द, थोड़ा बुखार, सूखी खांसी, कम भूख, गंध और स्वाद का मालूम ना होना और अत्यधिक थकान जैसे लक्षण प्रकट होने लगे। बचपन से ही अस्थमैटिक होने के कारण वह ब्रान्कोडाईलेटर पर थी क्योंकि उसे बहुत जल्दी खांसी जुकाम हो जाता था। लक्षणों से यह जाहिर था कि वह कोविड-19 से संक्रमित है अतः उसने किसी डॉक्टर से संपर्क भी नहीं किया था इसके बजाय सामाजिक समाचारों के अनुसार उसने पेरासिटामोल का सेवन शुरू कर दिया जिससे बुखार कम हो जाता था। प्रातः काल में गर्म पानी में नींबू पानी पीती थी और दिन भर मसालों और शहद से बनाया तरल का सेवन करती रहती थी। शीघ्र ही उसके पति को भी इस प्रकार के लक्षण हो गए। 16 मार्च को जब उसका तापक्रम 103*F पहुंचा तो उन्हें डर लगने लगा। उसे बहुत बुरा लगने लगा था तथा एक परिचित के कहने पर उसने चिकित्सक को फोन किया। 24 घंटों के अंदर ही उसके द्वार पर औषधियों की 2 शीशियां उन्हें दे दी गई।
कोविड-19 से बचाव के लिए:
#1. CC9.2 Infections acute + CC9.3 Tropical diseases + CC9.4 Children’s diseases + CC10.1 Emergencies + CC13.1 Kidney & Bladder tonic + CC19.1 Chest tonic + CC19.2 Respiratory allergies + CC19.3 Chest infections chronic + CC19.6 Cough chronic + CC19.7 Throat chronic…6TD
सूजन के लिए:
#2. Prednisolone potentised at 10M & CM…QDS
उसने औषधियों का सेवन शुरू कर दिया तुरंत ही, 17 मार्च 2020 को। अगली सुबह ही उसे सभी लक्षणों में सुधार आने लगा। 24 मार्च तक सभी लक्षणों में 80% तक का सुधार हो गया था। केवल थोड़ी सी सूखी खांसी, और थोड़ी थकान महसूस हो रही थी। स्वाद और गंध ना आने की शिकायत अभी भी बाकी थी। 5 अप्रैल 2020 तक वह 100% ठीक हो गई थी। औषधि #1 व #2 की खुराक को TDS कर दिया गया। 2 सप्ताह में सभी औषधियां समाप्त हो गई।
रोगी का प्रशंसा पत्र: हमें चिकित्सक द्वारा 20 घंटों में ही उपचार मिल गया था। इसके लिए धन्यवाद पर्याप्त नहीं हैI
संपादकीय टिप्पणी: कोविड-19 के उपचार के बाद, बचाव की दृष्टि से औषधि को OD के रूप में दिया जाना चाहिए था, महामारी के समाप्त होने तक।
खांसी, कोविड-19 के बाद 11613...India
एक 55-वर्षीय महिला खांसी, सिर दर्द, व स्वादहीनता के लक्षणों से 29 अप्रैल 2020 से परेशान थी। 3 दिन के उपचार के बाद डॉक्टर ने उसे छुट्टी दे दी थी। वह सभी लक्षणों से मुक्त हो चुकी थी केवल स्वादहीनता बाकी रह गई थी और सामान्य असहजता भी बाकी रह गई थी। जब उसके पड़ोसी जिसकी वह देखभाल कर रही थी का परीक्षण किया गया तो कोविड-19 से संक्रमित पाया गया। उसने भी, 6 मई को, अपना टेस्ट करवाया तो वह भी संक्रमित निकलीI उसको तुरंत ही एक खाली मकान में क्वॉरेंटाइन कर दिया गया और उसे एंटीबायोटिक और एंटीवायरल उपचार देना शुरू कर दिया गया 5 दिनों के लिए। इसके अलावा वह हेल्थ सप्लीमेंट्स भी लेने लगी, मसालों और गुड़ का काढ़ा भी पीने लगी, दिन में दो बार। 11 मई को शाम के समय उसको खांसी चलती थी सिर में दाएं और सिर दर्द भी था जिसके लिए उसके पति ने वाइब्रॉनिक्स उपचार लिया। चिकित्सक ने उसे बचाव की दृष्टि से दी जाने वाली औषधि दे दी:
CC4.1 Digestion tonic + CC4.8 Gastroenteritis + CC9.4 Children’s diseases + CC10.1 Emergencies + CC13.1 Kidney & Bladder tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC19.3 Chest infections chronic + CC19.6 Cough chronic + CC19.7 Throat chronic…एक खुराक हर 10 मिनट पर 2 घंटे तक तत्पश्चात 6TD,4 दिन तक।
अगले ही दिन से उसकी खांसी ठीक हो गई थी और वह बिल्कुल स्वस्थ हो गई थी। 15 मई को परीक्षण करवाने पर वह नेगेटिव आया। अतः खुराक को 4 दिन के लिए TDS कर दिया गया उसके पश्चात BD महामारी के समाप्त होने तक।
प्लांटार फासिसाइटिस, कब्ज़ 11613...India
एक 44 वर्षीय महिला,वर्ष 2009 से, अत्यधिक कब्ज से परेशान थी। एलोपैथिक औषधियों से केवल अस्थाई लाभ होता था। कई वर्षों तक उसने आयुर्वेदिक औषधियों का भी सेवन किया (त्रिफला) लेकिन परिणाम शून्य ही रहा। पिछले 4 वर्षों से उसको सुबह के समय एड़ियों के नीचे दर्द भी रहने लगा था। पिछले 4 माह से दर्द इतना अधिक हो गया था कि वह अपना सामान्य कार्य भी नहीं कर पाती थी। डॉक्टर ने इस बीमारी का निदान प्लांतर फेसिाइटिस के रूप में किया। अक्टूबर 2019 को दर्द की तीव्रता के कारण चिकित्सक ने उसे निम्न औषधि दी:
प्लांटार फासिसाइटिस के लिए:
#1. CC20.4 Muscles & supportive tissue…TDS
2 सप्ताह के बाद लगभग 20% लाभ हुआ जो 4 सप्ताह में बढ़कर 50% हो गया। 16 नवंबर 2019 को चिकित्सक ने औषधि #1 को तेल में मिलाकर दो बार बाहरी उपयोग के लिए दी। खाने के लिए उसने #1 में निम्न उपचार मिला दिया:
#2. CC3.7 Circulation + CC15.1 Mental & Emotional tonic + #1…TDS
रोगी ने बताया कि उसको और अधिक कब्ज हो गया है अतः कब्ज के लिए उसे निम्न औषधि दी गई :
कब्ज के लिये:
#3. CC4.4 Constipation…6TD 3 दिन के लिए फिर TDS.
20 दिसंबर 2019 को 80% लाभ था दोनों ही समस्याओं में और 18 जनवरी 2020 तक वह बिल्कुल स्वस्थ हो गई थी। अतः #3 की खुराक हर हफ्ते कम करती गई OD,3TW, 2TW,OW और 15 फरवरी को बंद कर दी। औषधि #1 व #2 की खुराक को भी 15 दिनों के बाद काम करते हुए 14 मार्च को बंद कर दिया । जून 2020 तक उसे दोबारा यह परेशानी नहीं हुई थी।
चिकित्सकों की रूपरेखा 11975...भारत
चिकित्सक11975...भारत , जो कि राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर हैं, एक ग्रहणी है और उनके दो बच्चे हैं। उनका जन्म एक साईं परिवार में हुआ है और अपने अभिभावकों से अत्यधिक प्रेरित है, वह सेवा से जुड़े कार्यों में बचपन से संलग्न है। उनके दानी पिता को स्वामी ने कई बार आशीर्वाद दिया है, उन्होंने इस चिकित्सक को शुरू से ही निस्वार्थ सेवा करने और विनम्र जीवन शैली अपनाने की शिक्षा दी है। वह अपनी मां की बाल विकास कक्षाओं में पूर्ण सहयोग करती है और अब वह स्वयं एक बाल विकास गुरु का कार्य कर रही है। वह अपने पड़ोस के सुविधाहीन बालकों को शिक्षा देती है।स्थानीय साईं सेंटर में सक्रिय कार्य करती हैं। उन्होंने पुट्टपर्थी में होने वाले वार्षिक सेवा के कार्यक्रम में सदैव भाग लिया है और बेंगलुरु के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में जब भी अवसर प्राप्त हुआ है, सेवा दी है।
अप्रैल 2012 में उन्हें वाईब्रिओनिक्स के चमत्कारों की अनुभूति हुई जबकि इस औषधि ने उनकी 12 वर्ष पुरानी अस्थमा की बीमारी को एक ही खुराक में ठीक कर दिया था। इनकी यह बीमारी अनुवांशिकीय थी। उनकी साईं सेंटर के एक वाईब्रिओनिक्स चिकित्सक से उनकी मुलाक़ात हुई (जो पेशे से फिजियोथेरेपिस्ट हैं), उन्होंने देखा कि वह तीव्र श्वास की बीमारी से त्रस्त है तो उन्होंने तुरंत ही वाईब्रिओनिक्स की औषधि बनाई और एक गोली उनके मुंह में डाल दी। उस महिला ने उस औषधि की शीशी को बस साईं के दरबार में रख दिया और फिर भूल गई। अगले दिन वह सामान्य रूप से सांस ले रही थी। चिकित्सक द्वारा पूछने पर उसने बताया कि वह अब बिल्कुल सामान्य है और औषधि के सेवन करने की आवश्यकता ही नहीं। लेकिन चिकित्सक के आग्रह स्वरूप, उसने वह औषधि OD के रूप में 1 सप्ताह तक ली तथा उसके बाद बंद कर दी। उसको यह समस्या दोबारा उत्पन्न नहीं हुई। इस घटना के फल स्वरुप उसकी इच्छा वाइब्रॉनिक क्षेत्र में आने की हुई। चिकित्सक की मदद से जुलाई 2012 में केरल में जाकर उसने AVP का कोर्स कर लिया। फरवरी 2020 में कर्नाटक में चल रही रिफ्रेशर कोर्स में भाग लेने के बाद उसकी इच्छा VP बनने की हो गई। वह एक मेहनती, विनम्र और शांत चित्त से कार्य करने वाली महिला है। उन्होंने जून 2020 में VP की ट्रेनिंग लीI
पिछले 8 वर्षों में उन्होंने 1000 से अधिक रोगियों का उपचार कर लिया है। उनके सामान्य रोगों के उपचार में है - गैस की समस्या, साधारण सर्दी जुकाम, दांत दर्द, सिर दर्द, टॉन्सिल्स और शरीर पर रेशेज़, जीर्ण रोगों में है - कैंसर, वेरीकोज वेंस, ह्रदय संबंधी समस्याएं, मधुमेह, हाइपो थायराइड, बांझपन, बालों का झड़ना, एच.आई.वी., किडनी डिसऑर्डर, प्रोस्टेट, बावल सिंड्रोम, एपिलेप्सी, वर्टिगो, अस्थमा, विटिलिगो और एग्जिमा। उसे इस बात से खुशी है कि 80% रोगी पूर्णतया ठीक हो गए, उसे विश्वास है कि इन रोगियों ने इमानदारी से औषधि का सही तरीके से सेवन किया होगा। अन्य रोगियों को फायदा हुआ लेकिन उपचार को बीच में ही छोड़ दिया। उसके अधिकतर रोगियों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। जो रोगी उनके पास नहीं आ पाते हैं उन्हें वह पोस्ट के द्वारा औषधि भिजवा देती है। यह बात अत्यंत महत्वपूर्ण है कि उसने एक सो कैंसर के रोगियों का उपचार किया है। 12 प्रकार के कैंसर का उपचार किया है और कई मामलों में तो कैंसर एडवांस स्टेज का था। 50 रोगी तो पूर्णतया स्वस्थ हो गए और अब वह केवल बचाव हेतु उपचार ले रहे हैं। 5 अत्यधिक वृद्धावस्था वाले लोग शांतिपूर्वक ईश्वर में लीन हो गएI अन्य रोगियों को लाभ हो रहा है और वे लोग वाइब्रॉनिक उपचार ले रहे हैं। मधुमेह के रोगियों से संबंधित उपचार से वह बहुत उत्साहित हैI 10 ऐसे मधुमेह के रोगी जो इंसुलिन ले रहे थे उनकी इंसुलिन बंद हो गई है। 5 रोगियों ने 7-8 माह के उपचार के बाद इंसुलिन लेना बंद कर दिया था। 5 रोगी अभी भी इंसुलिन ले रहे हैं। अन्य 15 मधुमेह के रोगियों में से 3 रोगियों ने एलोपैथिक उपचार बंद कर दिया है, डॉक्टर के परामर्श के अनुसार, क्योंकि उनके रक्त में शुगर का स्तर सामान्य हो गया था। वे बचाव की दृष्टि से OW के रूप में वाइब्रॉनिक औषधि का सेवन कर रहे हैं। 12 अन्य ऐसे रोगी हैं जिनकी एलोपैथिक खुराक आधी हो गई है। बांझपन के लिए, उसने 15 दंपतियों का उपचार किया है।3 महिलाओं ने तो 1-2 माह में ही गर्भ धारण कर लिया था। सभी महिलाओं का प्रसव सामान्य रूप से हुआ और पूर्ण स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया। 2 महिलाओं को तो स्वामी ने स्वप्न में आशीर्वाद भी दिया और बच्चों के नाम भी सुझाए।
चिकित्सक ने अपने द्वारा किए गए उपचारों में से एक बहुत ही आश्चर्यजनक उपचार के बारे में बतायाI उसके पड़ोस में रहने वाले व्यक्ति के पास एक गाय थी। दिसंबर 2019 में उसने उस गाय को निम्न कॉन्बो दिए: CC1.1 Animal tonic + CC8.1 Female tonic + CC10.1 Emergencies + CC15.1 Mental & Emotional tonic. एक माह पश्चात वह गाय जो प्रतिदिन 4 लीटर दूध देती थी वह 7-8 लीटर दूध देने लगी। यह दूध पहले की अपेक्षा क्रीमी था और अधिक स्वादिष्ट भी था। वह गाय अभी भी 7-8 लीटर दूध प्रतिदिन दे रही है। एक अन्य केस में एक 60 वर्षीय पुरुष को 20 वर्षों से मिर्गी के दौरे पड़ते थे और 10 वर्षों से रक्तचाप भी था, उसको 8 वर्षों से नींद भी नहीं आती थीI वह एलोपैथिक उपचार लेता था परंतु इससे उसको कोई लाभ नहीं हुआ था। वाइब्रॉनिक उपचार शुरू करने के 2 सप्ताह बाद ही उसके मिर्गी के दौरे बंद हो गए थे, रक्तचाप स्थिर हो गया था और नींद भी अच्छी आने लगी थी अतः उसके डॉक्टर ने नींद की गोलियों को बंद कर दिया और रक्तचाप की औषधि को कम कर दिया। मिर्गी की औषधि को एक दम कम कर दिया गया था।
चिकित्सक यह महसूस करती है कि चिकित्सा शुरू करने के समय मुझको रोगी के रोग के कारण होने वाले कष्ट का एहसास नहीं होता था लेकिन बाद में एक घटना के फलस्वरुप उसके मन में रोगी के कष्ट की अनुभूति होने लगी थी। उसको आश्चर्य होता था कि क्यों बहुत से रोगी माइग्रेन के कारण इतनी अधिक परेशानी महसूस करते हैं। उसके अगले दिन ही उसके सिर में भयंकर दर्द होने लगा जो पूरे दिन बना रहा। तब उसकी समझ में आया कि माइग्रेन के कारण कितनी परेशानी सहन करनी पड़ती है। उसको यह भी नही समझ में आ रहा था कि कुछ लोग थायराइड की बीमारी से कैसे ग्रसित हो जाते हैंI कुछ ही सप्ताहों में उसका वजन बढ़ गया, हर समय नींद आने की समस्या शुरू हो गई थी और हर समय शरीर में आलस्य समाया रहता था। थायराइड की जांच करवाने पर पता चला कि उसका TSH का मान 13-14 mIU/L थाI जबकि सामान्य स्तर 0.4 से 4.0 के मध्य होता है। 2 माह औषधि करने पर ही TSH सामान्य स्तर तक आ गयाI मैं धन्यवाद देती हूं कि यह सब रोग दुबारा नहीं हुए। वह अपनी मां और सास की मधुमेह की बीमारी के कारण आंतरिक रूप से दुखी रहती थी, परंतु बाह्य रूप से बड़े प्यार से उन्हें समझाती थी कि उन्हें अपने खाने पर अंकुश रखना चाहिए और थोड़ी बहुत चहल कदमी भी करनी चाहिए। लेकिन उसको UTI की समस्या हो गई और डॉक्टर द्वारा बताए गए बहुत से परीक्षण करवाने पड़े। उसके लिए यह एक सदमा था कि उसके रक्त में ग्लूकोज का स्तर 400mg/dl हो गया था। उसको 1 सप्ताह तक इंसुलिन लेने की सलाह दी गई और उसके साथ ही अन्य औषधियां भी दी गई लेकिन उसने इनका सेवन करने की अपेक्षा वाइब्रॉनिक्स उपचार लेना बेहतर समझा। 2 सप्ताह के बाद खाली पेट शुगर का स्तर 90mg/dl हो गया तथा रैंडम मान 140-160 mg/dL हो गया। डॉक्टर को विश्वास ही नहीं हुआ कि शुगर का स्तर इतनी जल्दी कैसे कम हो गया था और तब से शुगर स्तर इतना ही बना रहता है।
प्रैक्टिस शुरू करने के समय वह रोगियों को एक निश्चित समय पर ही देखती थी। जनवरी 2015 में उनकी आंखें खोलने वाली एक घटना घटित हुई । वह अपने परिवार के साथ केरल के किसी क्षेत्र में मार्ग भूल गई, जब वह कर्नाटक में अपने निवास स्थान से कहीं जा रहे थे। यह वह स्थान था जहां से अधिकतर रोगी उसके पास उपचार के लिए आते थे। 200 से 300 किलोमीटर की बस के द्वारा यात्रा करके उसके पास समय पर पहुंचने के लिए उनको कितनी परेशानियों का सामना करना होता है, उसको एहसास हो गयाI अतः तभी से उसने निश्चय कर लिया कि पूरे दिन रोगी कभी भी आए तो उसे उपचार दे देना चाहिए। पति उसकी प्रैक्टिस में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करते हैं। वह रोगियों के आराम का पूरा ध्यान रखते हैं। रोगी से साक्षात्कार के समय उस विवरण को नोटबुक में लिखते रहते हैं। वह घर के कामों में भी सहयोग करते रहते हैं, जिससे कि उनकी पत्नी रोगियों का उपचार करने में अपना समय दे सके। उनके कार्य में उनके बच्चे भी पूर्ण सहयोग प्रदान करते हैं। उसके निवास से 56 किलोमीटर दूर एक वृद्ध आश्रम में वह लगभग 100 रोगियों का उपचार करती है। वहां वह 3 माह में एक बार ही जा पाती हैं अतः वह रेमेडीज़ को किसी स्वयंसेवक के हाथ या डाक द्वारा भेज देती हैं। इसके अतिरिक्त,वह वहां के स्थानीय साईं सेंटर द्वारा चलाई जाने वाले मेडिकल कैंप में भी अपनी सेवाएं प्रदान करती हैं।
चिकित्सक का मत है कि वाइब्रॉनिक हमारे जीवन में एक अहम रोल निभाती है। इस सेवा के द्वारा हमें आत्म-संतुष्टि प्राप्त होती है। मुश्किल समय में जब यह निश्चित करना कि कौन सी रेमेडी देनी है तो स्वामी के मार्ग दर्शन के फलस्वरूप वह समस्या सुलझ जाती है। इसके लिए वह स्वामी के आशीर्वाद के प्रति बहुत आभारी है। जब, कृतज्ञता और प्यार से कुछ रोगी अपने “वाइब्रॉनिक्स” बच्चों को उनसे मिलाने के लिए ले आते हैं, उन्हें देख कर मुझे ऐसा महसूस होता है कि उनके चारों ओर एक विशेष ऊर्जा रहती है। प्रैक्टिस के कारण उसकी सोच सकारात्मक हो गई है। उसके पास अनेको धर्मों और जाति के लोग आते हैं। वह उन सब से अनुरोध करती है कि वह रेमेडीज देते समय अपने ईश्वर जिसको वे मानते हो, उनका ध्यान करें। कुछ ईसाई रोगियों ने बताया कि उन्हें सत्य साईं बाबा में यीशु नजर आए हैं। उन्हें विश्वास है कि यदि चिकित्सक पूरे विश्वास के साथ अपने रोगियों को वाईब्रोनिक्स उपचार करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं तो परिणाम उत्साहवर्धक होते हैं।
अनुकरणीय उपचार:
चिकित्सकों की रूपरेखा 03508...फ्रांस
चिकित्सक03508...फ्रांस, वह एक कुशल एनएसथीसिया की नर्स है। नर्सिंग के क्षेत्र में स्नातकोत्तर डिग्री भी प्राप्त की है। जिसमें एनेस्थिसियोलॉजी में मास्टर डिग्री भी शामिल है। उन्हें ऑपरेशन थिएटर, इंटेंसिव केयर और आपातकालीन सेवाओं में 40 वर्षों का अनुभव है और वह यह सेवाएं पूर्ण समर्पण के साथ अभी भी कर रही है। इन्होंने कई अन्य भाषाएं भी सीखी है, यहां तक कि इन्होंने प्राइवेट पायलट का लाइसेंस भी प्राप्त किया है जिससे कि वे विदेशों में भी मानवता के उद्धार के लिए कार्यों में सहयोग प्रदान कर सके। बचपन से ही मां के निर्देशों के तहत आध्यात्मिक मार्ग पर चल रही है। अपनी मां को अपना प्रथम गुरु मानती है। उन्होंने 15 वर्षों तक मार्शल आर्ट, बुद्धिस्ट फिलासफी का अध्ययन किया है। इससे उनकी आंतरिक शक्ति में बहुत इजाफा हुआ है जोकि उनकी इच्छित व्यवसाय में रोगियों की सेवा करने में बहुत मददगार साबित हुआ है। वह रोगियों की तकलीफों को अच्छी तरह समझती है तथा प्रेम से उनकी देखभाल करती है। स्वामी से उनकी पहली मुलाकात वर्ष 1990 में हुई थी जो एक अविस्मरणीय यादगार है, यह मुलाकात पुट्टपर्थी में हुई थी। स्वामी जब उसके नजदीक आए और उसको तीव्र निगाहों से देखा तो उसका दिल पिघल गया और वह खुशी से भर गई। अतः उसने अपनी गतिविधियों को और अधिक बढ़ा दिया। वर्ष 1993 में चिकित्सक ने एक 12 वर्षीय बालक को देखा जिसकी उम्र समाप्त होने वाली थी या फिर उसे जीवन पर्यंत विकलांगों का जीवन व्यतीत करना था। उसकी यह हालत उसके सिर में चोट के कारण हुई थी, चोट के पश्चात वह 3 माह तक कोमा में रहा था। उसको चिकित्सक ने विभूति लगाई और भगवान से उसके लिए प्रार्थना की, इससे वह बालक बिल्कुल ठीक हो गया। जो किसी आश्चर्य से कम नहीं था। इससे चिकित्सक के मन में धारणा बनी कि उसे एलोपैथी के अलावा किसी अन्य प्रकार की चिकित्सा पद्धति का ज्ञान होना आवश्यक है। मां को जीर्ण गठिया का रोग था वह कई महीनों तक बिस्तर से उठ नहीं पाई थी। वर्ष 1995 में वह मां को लेकर पुट्टपर्थी आई, जहां उन्हें स्वामी ने आशीर्वाद दिया तथा आयुर्वेदिक उपचार करवाया जिससे वह पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गई। इससे उनकी यह धारणा और भी बलवती हो गई कि वैकल्पिक औषधियों में इतनी उर्जा होती है कि वे रोग मुक्त कर देती है।
2013 में नवंबर माह में वे फिर पुट्टपर्थी आई तथा स्वामी से मन ही मन में भेंट करके पूछा कि संसार की प्रत्येक वस्तु आपकी ही ऊर्जा है तो आप के आश्रम में ऐसी ऊर्जा की औषधि क्यों नहीं है? यह केवल एक संयोग ही नहीं था, तभी उसकी मुलाकात एक भक्त से हुई जो डॉक्टर अग्रवाल से मिलने के लिए आया था। यह वाइब्रॉनिक्स के साथ उनकी पहली मुलाकात थी। यह मुलाकात उनके लौटने से केवल 48 घंटे पहले हुई थी । उनकी नवंबर 2014 की अगली यात्रा के दौरान, उन्होंने AVP की शिक्षा प्राप्त कर ली थी पुट्टपर्थी मेंI 5 वर्ष बाद फ्रांस में उन्होंने SVP की ट्रेनिंग पूरी कर ली थी।
उसने अभ्यास स्वयं पर, परिवार के सदस्यों पर, मित्रों पर और सहयोगियों से शुरू किया। इसके अतिरिक्त पशुओं, पौधों, बगीचों और मकानों पर भी उपचार किया। उसके अधिकतर रोगी उसके निवास स्थान से अत्यधिक दूरी पर रहने के कारण व्यक्तिगत संपर्क नहीं कर पाते हैं, वे मुख्य रूप से फोन से ही संपर्क करते हैं। उसने अपने बहुत से सहयोगियों और परिवारों का विभिन्न रोगों के लिए उपचार किया है और सफलता प्राप्त की हैI जिन लोगों ने नियमों का पूर्ण निष्ठा के साथ पालन किया होता है वे लोग जल्दी रोग मुक्त हो गए और अभी रेमेडीज लेने के लिए आते हैं परंतु जो लोग नियमों का निष्ठा के साथ पालन नहीं करते हैं और अपनी जीवन शैली में बदलाव नहीं करते हैं उनको अधिक लाभ प्राप्त नहीं होता है और वे बीच में ही उपचार छोड़ देते हैं। लेकिन ऐसे लोगों को लाभ तो होता ही है। उदाहरण के लिए उनकी एक सहयोगी को सोरायसिस की शिकायत थी। उनकी 90% त्वचा पर चकत्ते हो गए थे। उन्होंने उपचार तो लिया परंतु बीच में ही छोड़ दिया। वाइब्रॉनिक्स उपचार से उनकी त्वचा पर से 90% चकत्ते ठीक हो गए थे केवल कोहनी पर ही असर रह गया था। इस रोगी ने उपचार को बीच में ही छोड़ दिया था क्योंकि वह अपनी जीवनशैली को बदलने के लिए सहमत नहीं थी। चिकित्सक ने अनुभव किया कि उपचार छोड़ देने के बाद भी 3 वर्ष तक वह चकत्ते वापस नहीं हुए थे!
चिकित्सक ने वर्ष 2015 में स्वामी से प्रार्थना की कि वह किस तरह से वाईब्रिओनिक्स को अपने हॉस्पिटल कार्य में उपयोग कर सकती है। वह अपने कार्यस्थल के वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए मार्गदर्शन चाहती थी। इसके पश्चात वह हीलिंग वाइब्रेशन का छिड़काव करती थी, विशेषकर उन स्थानों पर जहाँ व्यक्तियों का आना-जाना अधिक होता है, जैसे कि स्वागत कक्ष, रिकवरी कक्ष, स्टाफ कक्ष, चेंजिंग कक्ष तथा ऑपरेशन थिएटरI छिड़काव का कार्य रात्रि में सफाई कर्मियों द्वारा सफाई करने में बाद किया जाता था। उसके अनुसार CC10.1 Emergencies + CC17.2 Cleansing, इस कार्य के लिए सबसे उत्तम कांबोज है। लेकिन उसे अपने स्टाफ के मध्य थकान और तनाव नजर आए अतः उसने दूसरे कांबोज को काम में लिया, जो हैं: CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC15.2 Psychiatric disorders इसके पश्चात उसने इन दोनों कांबोज का छिड़काव, कुछ क्षेत्रों में, हर महीने बारी-बारी से शुरू कर दिया और व्यक्तियों की स्थिति के आधार पर, विशिष्ट कॉम्बो का छिड़काव किया, उदाहरण के लिए, CC9.2 Infections acute रोगियों को कीटाणुओं से बचाने के लिए।
रोगियों के व्यवहार और लक्षणों में सकारात्मकता दिखाई देने लगी और इन परिवर्तनों ने चिकित्सक को इस अभ्यास को जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया, जो इन कॉम्बो के छिड़काव का सबसे यादगार अनुभव था। मरीजों और कर्मचारियों दोनों को स्थिर और शांत करने के लिए वह ऑपरेटिंग थियेटर में एनेस्थीसिया शुरू करने से पहले हर दिन छिड़काव करती है। यह उल्लेखनीय है कि 2015-2019 के दौरान 1,000 से अधिक रोगियों को इस उपचारात्मक छिड़काव से लाभ हुआ। वह खुद को, अपने घर और बगीचे की रक्षा करने और शुद्ध करने के लिए छिड़काव का उपयोग करती है, और महत्वपूर्ण नियुक्तियों पर यात्रा के दौरान भी छिड़काव करती है।
SVP के रूप में उसने यह अनुभव किया कि कार्ड सिस्टम का उपयोग करने से उपचार में अधिक गुणवत्ता आ जाती है। एलोपैथिक उपचार में अलग-अलग प्रकार के दर्दों के लिए जिन औषधियों का प्रयोग किया जाता है, उसने अपने ज्ञान के आधार पर उन्हें मशीन के द्वारा पोटेन्टाइज़ड करके एक अलग किट में रख लिया है और वह उनका उपयोग 1 से 10 तक के स्तर वाले दर्द में उपयोग करती है। उसने अनुभव किया कि इस प्रकार से तैयार की हुई कांबोज अधिक प्रभावशाली है। अत्यंत गहरी अवसाद की स्थिति में उसने कॉम्बो CC15.5 ADD & Autism का सफलतापूर्वक उपयोग किया है। वह अपने वरिष्ठ सहयोगी चिकित्सक02499 की हर सलाह को मानती है केसों के लिए दोनों मिलकर कांबोज का चयन करते हैं। यह तरीका रोगियों के उपचार में बहुत लाभदायक सिद्ध हुआ है।
चिकित्सक इस बात पर यकीन करती है कि वाइब्रॉनिक्स कोई सीमित उपचार नहीं है, यह धीरे-धीरे लगातार उभर कर सामने आ रहा हैI इसके कंपन पूर्णतया मुक्त है जिसके कई मार्ग हो सकते हैं। यह चिकित्सक के व्यक्तिगत अनुभवों और रोग के किस्म पर निर्भर है। जब यह महसूस होता है कि कांबोज रोगी पर असर नहीं कर रही है तो भी यह कभी असफल नहीं होती है, यह अपने स्तर पर कार्य कर रही होती है जो हमें दिखाई नहीं देता है क्योंकि उपचार का बीज तो बो ही दिया गया है! कभी-कभी सरल मिश्रण भी बहुत प्रभावशाली होते हैंI सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपना संबंध ‘स्त्रोत’ से बना कर रखना होता है जो कि प्रैक्टिस का दिल हैI जब हम यह अपेक्षा करते हैं कि स्वामी सुब कुछ करेंगे, तो वह हमें बहुमूल्य मार्गदर्शन देते हैंI वही हैं जो उपचार करते हैंI
चिकित्सक अपने आप को गौरवान्वित समझती है जिससे उसमें विनम्रता बढ़ी है कि उसे एक ऐसी विद्या प्राप्त हुई है जिसे हमने अपने होश हवास में स्वीकार कर लिया है कि यह एक मिशन है जो मानवता की सेवा करने में जुटा हुआ है और दुखियों के दुख दूर करने में लगा है। भगवान श्री सत्य साईं बाबा के दैवीय कंपनो को बीमारों तक पहुंचाने का यह काम बहुत ही जिम्मेदारी का काम है। उनका कहना है कि इस सेवा से उनमें निस्वार्थता और व्यक्तिवाद से मुक्त होने की भावना जागृत हुई है। उसके अनुसार, “रोगी का उपचार स्वयं का उपचार है”।
अनुकरणीय उपचार:
- द्विपक्षीय कैल्सीफाइड टेंडोनाइटिस, मुँहासे rosacea, चेहरे की जलन
- घुटने का कार्टिलेज घाव, क्वाड्रिसेप्स की चोट
प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. मेरे समुदाय में कुछ लोग बचाव के लिए वाइब्रॉनिक औषधि का सेवन करना चाहते हैं लेकिन वह पहले से ही होम्योपैथिक ले रहे हैं जो कि स्थानीय स्तर पर बांटी गई थी। क्या वे दोनों साथ में ले सकते हैं?
उत्तर 1: कोविड-19 के रोकथाम के लिए वाइब्रॉनिक्स औषधि बहुत कारगर सिद्ध हुई है। यदि व्यक्ति इस औषधि को लेने के लिए तैयार है तो होम्योपैथी दवा को छोड़ने के 3 दिन बाद से इस औषधि का सेवन कर सकता है। अधिक जानकारी के लिए देखे समाचार पत्र का वॉल्यूम 10 #4, दोनों दवाइयां एक साथ लेने की अनुशंसा नहीं है। अन्य जानकारी हेतु देखें समाचार पत्र वॉल्यूम 11 #2 (मार्च-अप्रैल 2020)
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प्रश्न 2. इम्यूनिटी बूस्टर को बचाव की दृष्टि से OD रूप में ली जाती है। क्या मैं पहले दिन हर दस मिनट के बाद 1 घंटे तक लेकर फिर OD रूप में सेवन कराऊं तो क्या यह बिना लक्षण वाले व्यक्ति के लिए लाभप्रद होगा?
उत्तर 2: यदि लक्षण नहीं है तो पहले दिन अतिरिक्त खुराक की कोई आवश्यकता नहीं है।
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प्रश्न 3. कोविड-19 इम्यूनिटी बूस्टर को अधिक मात्रा में बनाने के लिए सबसे अच्छा तरीका क्या है?
उत्तर 3: किसी भी रेमिडी को बनाने के लिए औषधि की 15 बूंदें एक पैकेट (0.5 kg/16 oz) में किसी अधातु के बर्तन में डाल दे (2/3 से अधिक भरा हुआ नहीं हो) और उसे हिलाएं 8 की आकृति बनाते हुए। वितरण करने के लिए, हाथ लगाए बिना पिल्स को छोटी शीशियों में भर ले।
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प्रश्न 4. दूरस्थ उपचार के लिए एक बार रेमेडी को बनाकर और रोगी को ब्रॉडकास्टिंग करने के बाद क्या मैं उसी रेमेडी से दूसरे व्यक्ति का उसी रोग के लिए उपचार कर सकता हूं?
उत्तर 4: हां! तुम कर सकते हो यदि वह रेमेडी दूसरे व्यक्ति के लिए उपयुक्त है तोI यदि रेमेडी नोसोड है तो यह संभव नहीं है क्योंकि नोसोड किसी व्यक्ति विशेष के लिए ही बनाई जाती है। इस बात का भी ध्यान रखना आवश्यक है कि एक बार रेमेडी को सैंपल वेल में रख देने से उसकी पोटेंसी बदल जाती है। यह केवल ब्राडकास्टिंग के लिये उपयुक्त है या इसकी प्रतिलिपि ही बनाई जा सकती है।
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प्रश्न 5: यदि किसी व्यक्ति की एक ही किडनी है तो क्या मैं उसकी किडनी को और अधिक क्रियाशील बना सकता हूं?
उत्तर 5: हां! वाइब्रॉनिक्स रेमेडी से उसकी किडनी को शक्तिशाली बनाया जा सकता है और यह औषधि काल्पनिक किडनी को भी क्रियाशील बना सकती है। यह लापता किडनी का सूक्ष्म पहलू है। वैसे एक किडनी ही व्यक्ति के रक्त को शुद्ध कर सकती है जिससे वह सामान्य जीवन जी सके।
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प्रश्न 6. स्वपरायण बच्चे के माता-पिता को हमें क्या सलाह या आश्वासन देना चाहिए? या फिर हमें कह देना चाहिए कि “विश्वास रखो और प्रार्थना करो”?
उत्तर 6: यद्यपि हमें ऐसे अभिभावकों के साथ मिलना और दया की भावना के साथ पेश आना चाहिए परंतु पहले तुम्हें अभिभावकों के साथ फोन से बच्चे से संबंधित सभी लक्षणों की जानकारी ले लेनी चाहिए। इसके पश्चात् उस पर गौर किया जाना चाहिए और ऑटिज्म के सभी प्रकार के पहलुओं पर गंभीरता से विचार करना चाहिए, अभिभावकों से मिलने के पूर्व जिससे कि तुम उन्हें विशेष सुझाव दे सको। अभिभावकों को यह समझ लेने चाहिये कि जितनी जल्दी उपचार शुरू हो जाए तो रोग में भी उतनी जल्दी प्रभाव दिखना शुरू हो जाता है। यदि हम
ऑटिज्म में मदद नहीं कर पाते हैं तब भी हम बहुत से लक्षणों जैसे की कब्ज, अनिद्रा, मिर्गी, अति चंचलता, एलर्जी, संक्रमण आदि का उपचार कर सकते हैं। अभिभावकों को यह सलाह दी जानी चाहिए कि आप जिस स्थिति में हैं वह किसी बेतरकीब मौके के कारण नहीं है लेकिन इसके पीछे कुछ कारण हैंI यह जीवन के कुछ ऐसे पाठ हैं जिन्हें सीखना आवश्यक है जिससे कि हम ऐसा दृष्टिकोण अपना सके जो ना केवल बच्चों को सहारा दे बल्कि ऐसे बच्चों के साथ किस प्रकार का व्यवहार किया जाना चाहिए जो कि स्वयं की भावनाओं के उथल-पुथल से जूझ रहा हो। तुम उनसे कहो कि उन्हें बच्चे को हिम्मत दिलाते रहना चाहिए और किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से रोग का उपचार कराना चाहिए।
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प्रश्न 7. क्या हमें लक्षणों के आधार पर रोगी का निदान करके उसे वाइब्रॉनिक्स उपचार के साथ-साथ एलोपैथिक उपचार करने का परामर्श देना चाहिए?
उत्तर 7: नहीं, क्योंकि हम योग्य चिकित्सक नहीं है, हमें किसी भी प्रकार के निदान करने की आवश्यकता नहीं है। हमें लक्षणों के आधार पर ही वाइब्रो रेमेडी से उपचार करना चाहिए। यदि रोगी निदान की रिपोर्ट लाता है तो उससे हमें सही काम्बो को चुनने में मदद मिलती है। यदि हमें लगे कि रोग गंभीर है तो रोगी से कहें कि वह एलोपैथिक डॉक्टर से परामर्श करे।
दैवीय चिकित्सक का सन्देश
दैवीय चिकित्सक का सन्देश
"सात्विक भोजन केवल तपस्वियों द्वारा ही लिया जाता है और ऐसा माना जाता है कि इस और ध्यान देने कि आवश्यकता नहीं हैI चूंकि शरीर और दिमाग पराश्रित हैं, कोई भी इसे नजरअंदाज नहीं कर सकता। जैसा भोजन वैसा मन, जैसा मन वैसे विचार, जैसे विचार वैसे कर्मI भोजन एक महत्त्वपूरण घटक है जो व्यक्ति की सजगता का निर्धारण करता है, वही उसके आलस्य का भी निर्धारण करता है। वही व्यक्ति की चिंताओ, शांति, चमक और नीरसता का निर्धारण करता है।"
... Sathya Sai Baba, “Food and health” Discourse 21 September 1979
http://www.sssbpt.info/ssspeaks/volume14/sss14-31.pdf
" सेवा को आगे बढ़ाने के लिए व्यक्ति का समाज के प्रति जागरूकता का होना आवश्यक है। किसी भी व्यक्ति की शौहरत, आराम जो वह पाता है तो वह समाज से ही प्राप्त करता है। वह समाज से ही तृप्ति पाता है। यदि वह समाज की सेवा नहीं करता है तो वह किस की सेवा कर सकता है? केवल आभार व्यक्त करने के लिए उसे समाज की सेवा करनी चाहिए जो कि सभी प्रकार के लाभों के लिए जिम्मेदार है। बिना आभार व्यक्त किए मनुष्य जानवरों से भी गया बीता है।"
... Sathya Sai Baba, “The Spirit Of Service” Discourse 21 November 1988
http://www.sssbpt.info/ssspeaks/volume21/sss21-31.pdf
उद्घोषणायें
उद्घोषणायें
आगामी कार्यशालाएँ:
- भारत पुट्टपर्थी: वर्चुअल एवीपी वर्कशॉप, साप्ताहिक सत्र सितम्बर-नवंबर 2020 (प्रतिभागियों को पूरी जानकारी दी जाएगी), ललिता से [email protected] पर संपर्क करें या टेलीफोन पर 8500-676-092 पर संपर्क करेI
- यूके लन्दन: यूके नेशनल वार्षिक रिफ्रेशरवार्ता सेमिनार 20 सितंबर 2020, जेरम पटेल से [email protected]पर संपर्क करेंI
- यूएसए रिचमंड वीए: वर्चुअल एवीपी वर्कशॉप साप्ताहिक सत्र सितंबर-नवंबर 2020 (प्रतिभागियों को पूरी जानकारी दी जाएगी), [email protected] पर सुसान से संपर्क करेंI
- भारत पुट्टपर्थी: एवीपी वर्कशॉप 25 नवंबर -1 दिसंबर 2020 ललिता से [email protected] पर संपर्क करें या 8500-676-092 पर टेलीफोन करेंI
- भारत पुट्टपर्थी: एसवीपी वर्कशॉप 3-7 दिसंबर 2020 हेम से [email protected] पर संपर्क करेंI
* एवीपी और एसवीपी कार्यशालाएं केवल उन व्यक्तियों के लिए है जिन्होंने प्रवेश प्रक्रिया और ई कोर्स में भाग लिया है। रिफ्रेशर सेमिनार सिर्फ वर्तमान चिकित्सकों के लिए ही है।
** परिवर्तन के अधीन
- India Puttaparthi: Virtual AVP Workshop, weekly sessions Sep-Nov 2020(full details will be intimated to participants),contact Lalitha at [email protected] or by telephone at 8500-676-092
- UK London: UK National Annual RefresherVirtual Seminar 20 Sep 2020, contact Jeram Patel at [email protected]
- USA Richmond VA: Virtual AVP Workshop weekly sessions Sep-Nov 2020(full details will be intimated to participants) contact Susan at [email protected]
- India Puttaparthi: AVP Workshop** 25 Nov-1 Dec 2020 contact Lalitha at [email protected] or by telephone at 8500-676-092
- India Puttaparthi: SVP Workshop** 3-7 Dec 2020 contact Hem at [email protected]
* AVP and SVP workshops are only for those who have undergone the admission process and the e-course. Refresher seminars are for existing practitioners.
**Subject to change
अतिरिक्त
1. स्वास्थ्य सुझाव
आंखें बहुमूल्य हैं: इनका अच्छी तरह से ध्यान रखना चाहिए।
" कुछ भी बुरा मत देखो; जो अच्छा है वही देखो। तभी तुम्हारी आंखें शक्ति प्राप्त कर सकेंगी जिससे कि वह दिव्य लौकिक रूप को देख सकें।"… Sathya Sai Baba1
“सभी इन्द्रियों में दृष्टि सबसे आनंदमई होती है... अंधे होने से बदतर एकमात्र चीज है कि दृष्टि होते हुये भी कुछ दिखाई ना देना।"…Helen Keller (Deaf-Blind American Author & Activist)
1. अपनी आँखों को जानें
1.1 सबसे नाजुक, जटिल और संवेदनशील शरीर का अंग है आंखें। आंखें हमें बहुमूल्य दृष्टि प्रदान करती है, प्रकाश की भावना,रंग, रूप और गति के बारे में बताती हैं। इसके अतिरिक्त यह शरीर की जैविक घड़ी को सही रखती है। आंखों की दोनों गोल पुतलियां हड्डीदार साकेट में रहती हैं और बाहर से यह पलकों और भौहों से सुरक्षित रहती हैं। आंखों पर आंसुओं की परत भी इनकी सुरक्षा में अपना योगदान करती है। प्रत्येक आंख की गतिशीलता 6 मांसपेशियों द्वारा नियंत्रित होती है जो कि पुतलियों के चारों ओर स्थित होती है। प्रकाश की किरणें पुतली में से होकर गुजरती है जिनको कॉर्निया और लेंस के द्वारा फोकस किया जाता है और रेटिना पर छवि का अंकन हो जाता है।
रेटिना में लाखों प्रकाश संवेदनशील कोशिकाएं होती हैं जो छवि को नसों के आवेग में परिवर्तित कर देती हैं। यह आवेग आप्टिक नर्व के साथ दिमाग तक पहुंचती है जहां यह संसाधित होकर आकृति में बदल जाती हैं।2-4
1.2 सामान्य दृष्टि क्या होती है?:एक “20/20” (फीट में) या “6/6” (मीटर में) की दृष्टि सामान्यत: सामान्य दृष्टि कहलाती है यद्यपि यह पूर्णतया दोष रहित नहीं है।ऊपर वाला नंबर दर्शाता है आंख की जांच के समय कितनी दूरी से परीक्षण किया गया है। इसके लिए स्नलन चार्ट का उपयोग किया जाता है। नीचे वाला नंबर दर्शाता है कि व्यक्ति कितनी अच्छी तरह से चार्ट को 6 मीटर की दूरी से पढ़ सकता है। यदि किसी व्यक्ति की दृष्टि 6/9 है तो इसका यह तात्पर्य है कि वह व्यक्ति 6 मीटर की दूरी से जितना स्पष्ट पढ़ सकता है, एक स्वस्थ व सामान्य दृष्टि वाला व्यक्ति 9 मीटर की दूरी से उसी स्पष्टता से पड़ सकता है।5,6
1.3 नार्मल आई प्रेशर क्या होता है?: आई प्रेशर को इंट्राऑकुलर प्रेशर या IOP भी कहते हैं। यह आंख में उपस्थित तरल पदार्थ का प्रैशर होता है।जबकि औसत IOP 15 mmHg होता है जबकि सामान्य प्रैशर कहीं अधिक होता है 10 से 21 के मध्य। 90% व्यक्तियों में प्रैशर इसी सीमा में रहता है। यह कई कारकों पर निर्भर होता है जैसे कि आयु, रक्तचाप, पल्स रेट और अप्रवर्तक त्रुटिI IOP यदि 21 से अधिक होता है तो इसे जोखिम भरा माना जाता है।7,8
1.4 आंखों की समस्याओं का कारण संक्रमण, अनुवांशिक विकास या जन्म से, उपेक्षा, दुर्घटना या आंखों का दुरुपयोग भी हो सकता है।
2. आंखों का संक्रमण
2.1 संक्रमण तब होता है जब हानिकारक सूक्ष्मजीव (बैक्टीरिया, कवक या वायरस) या बाहरी कण आंख या उसके ऊतकों के किसी भी हिस्से पर आक्रमण करते हैं।9-13
2.2 संक्रामक संक्रमण: सबसे सामान्य है आंख आना (आंखों में ललाई): आमतौर पर यह वायरल संक्रमण होता है लेकिन कीटाणु जनित भी हो सकता है। सामान्य लक्षण जो यकायक ही दृष्टिगोचर होने लगते हैं वे हैं आंखों का लाल हो जाना, खुजली प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता, जलन, कीचड़ का होना, किसी वस्तु के होने का एहसास (जैसे की रेत, ग्रेन आदि), पलकों पर सूजन (कभी-कभी दर्द भी होता है), देखने में धुंधलापनI ट्रेकोमा एक अन्य बहुत ही अधिक संक्रामक संक्रमण है जो कीटाणु जनित होता है। यह कहीं कहीं ही होता है।9-12
2.3 असंक्रामक संक्रमण यह एलर्जी पैदा करने वाले पदार्थों या किसी रसायन के आंखों में पड़ जाने से होता है। विषाक्त वाष्प इसका कारण हो सकती है। कोई भी जलन पैदा करने वाला पदार्थ, लगातार कांटेक्ट लेंस का उपयोग करनाI किसी भी कारण से आंखों का लाल हो जाना, सूजन, खुजली होना, अत्यधिक पानी का आना साथ ही जुकाम और नाक से पानी बहना। यह सभी कारक इस प्रकार की श्रेणी में आते हैं। फफूंद का संक्रमण बहुत कम होता है। संक्रमण के लिए अन्य कारक हैं जैसे कि कैरेटाइटिस (बैक्टीरिया द्वारा कॉर्निया में सूजन या फिर वायरस के द्वारा या पानी में पैरासाइट्स की उपस्थिति); युवाइटिस (वायरस द्वारा उत्पन्न जैसे कि हर्पिस लेकिन सामान्यतया यह ऑटोइम्यून डिसऑर्डर के द्वारा होता है जैसे कि गठिया या लुपस)I आंखों की पलकों या त्वचा पर गुहेरी या पलक की ग्रंथि में गांठ (फुंसी के समान एक दर्दनाक गांठ) और chalazion (स्त्राव के एकत्रित हो जाने पर दर्द वाली गांठ); तथा कार्निया संबंधी अल्सर जो कि बैक्टीरिया या वायरस या फंगल संक्रमण के कारण हो सकते हैं।9,10,13
3. आंखों की समस्याएं/ दोष
3.1 सामान्य दुराग्रही दोष: मायोपिया - दूरस्थ वस्तुओं को देखने की अक्षमता जो बचपन से ही शुरू हो जाती है।
हाइपर मेट्रोपिया (दीर्घ दृष्टि) की वस्तुओं को देखने की असमर्थताI यह पुतलियों के छोटे आकार के कारण होता हैI ऐस्टिंगमैटिस्म (दृष्टि वैषम्य) इससे दूर और पास की वस्तुएं विकृत नजर आती हैं इसका कारण है कार्निया का अनियमित होना। जरा दूर दृष्टि - 40 वर्ष की आयु के पश्चात एक हाथ की दूरी की वस्तुओं को देखने, पढ़ने मैं असमर्थता ।14,15
3.2 मोतियाबिंद - आंख के पर्दे पर धीरे-धीरे एक परत का चढ़ना जिसकी वजह से आंख के लचीलेपन में कमी आ जाती है, पारदर्शिता कम हो जाती है और उम्र के बढ़ने के साथ हावी हो जाती है। इसके कारण आंख से( एक या दोनों) देखने की क्षमता में कमी हो जाती है। लक्षण - रंगों का फीका पड़ना या पीला पड़ना, धुंधलापन, दोहरी दृष्टि, चश्मे का बार-बार बदलना, प्रकाश के चारों ओर खाली-खाली दिखाई देना, तेज प्रकाश से परेशानी, पढ़ने में परेशानी, गाड़ी चलाने में परेशानी, रात्रि में देखने में परेशानी। उम्र के आलावा, पोषक तत्वों में कमी,आनुवांशिक विकार, कुछ चिकित्सा स्थितियां जैसे मधुमेह या आंख की पूर्व चोट के कारण शल्यक्रिया। विकिरण के संपर्क में आना,अधिक समय तक स्टेरॉयड का सेवन, लोगों की उपस्थिति जैसे कि मधुमेह या रेडिएशन से संसर्ग, ट्रामा या व्यसनों के कारण भी यह हो जाता है।16
3.3 ग्लूकोमा (आंख का रोग) - यह एक ऐसा रोग है जिसमें आप्टिक नर्व बिगड़ती जाती है और उस को नुकसान पहुंचता है या तो इसकी संवेदनशीलता के कारण या फिर इसमें रक्त की पूर्ति कम होने के कारण। इसके बहुत से लक्षण हैं, अधिकतर आंख में दबाव के बढ़ जाने से सामने की तरफ का तरल पदार्थ बहुत अधिक बन जाता है या जाम होने के कारण वह बाहर निकल नहीं पाता है। यह प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है और इसके कोई लक्षण भी दिखाई नहीं देते हैं। सामान्य लक्षण प्रकट होता है उसमें काले धब्बे कभी-कभी प्रकट होते हैं दोनों आंखों में तथा टनल विजन काफी बढ़ चुकी होती है। कुछ अवस्थाओं में धुंधलापन नजर आने लगता है और देखने में धुंधलापन रहता है। तेज़ प्रकाश में ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि गोलाकार इंद्रधनुष दिखाई दे रहा हो। आंखों में तेज दर्द होता है और सिर दर्द होता है, आंखें लाल हो जाती हैं, उल्टी का आभास होता है और यकायक दृष्टि गायब हो जाती है I दृष्टि के चले जाना प्रतिवर्ती प्रक्रिया नहीं होती है किसी भी उपचार से। अतः 60 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों में यह अंधेपन का एक कारण है ।17,18
3.4 रेटिनल डिसऑर्डर: रेटिनल समस्याओं में मुख्य समस्या है मैकुलर डिजनरेशन( चक्षु अध:पतन) और रेटिनल आंसू या अलगावI इसके लक्षण हैं - बहुत से नए फ्लोटर (धागे के सामान काले धब्बे), दृश्य क्षेत्र के किनारों पर चमकती रोशनी, विकृत दृश्य, कभी ऐसा लगता है कि एक भूरा पर्दा आंखों के सामने आ गया। रेटिनल डिटैचमेंट दर्द रहित होता है जब तक कि उसमें कोई चोट ना लगी हो और यह अचानक ही हो जाती है कुछ ही घंटों या दिनों में। जिन लोगों के रक्त में ग्लूकोज का स्तर अनियंत्रित होता है या बहुत अधिक होता है उनको डायबीटिक रेटिनोपैथी की संभावना अधिक हो जाती है।19,20
3.5 अन्य नेत्र विकार: कुछ बहुत कम/ अनुवांशिक विकारों में है रात्रि का अंधापन या कलर का अंधापन जब कोई व्यक्ति लाल-हरे और कभी-कभी नीला-पीला रंग में भेद नहीं कर पाता है।19,21
भेंगापन आंख का एक और विकार है जिसमें आंख की पुतली का संरेखन ठीक से नहीं होता है और अलग-अलग दिशाओं में इंगित करती हैं, एक ही समय पर एक ही बिंदु पर देखने में असमर्थता होती है। इसका सही कारण ज्ञात नहीं है। इस से आंख में आलसीपन आ जाता है क्योंकि इस प्रकार की आंख से प्राप्त सूचनाओं का दिमाग अवहेलना कर देता है।22
“सूखी आंख” का रोग उस वक्त उत्पन्न हो जाता है जब आंसू आंखों को ठीक प्रकार से चिकना नहीं कर पाते हैं। उम्र बढ़ने के साथ यह बीमारी बढ़ने लगती है। इसका अन्य कारण है ऑटोइम्यून बीमारी या कुछ औषधियां जैसे कि एंटी हिस्टामिन या धुयें या वायु का वातावरण। विशिष्ट लक्षण हैं, चुभन-जलन, आंखों का गुलाबी होना, आंख में लगातार असहजता या आंखों से पानी आना।23
“आंखों से पानी आना” चिंता का विषय बन जाता है जब आंसू लगातार बहते रहते हैं और थोड़ा दर्द भी होता है I दृष्टि में परिवर्तन के साथ ऐसा प्रतीत होता है कि आंख में कुछ चला गया है जो बाहर नहीं निकलता है।24
कुछ समस्याएं जैसे कि आंखों की पलकों का हिलना, फूली हुई आंखें और काले घेरों का होना यह बताता है कि पर्याप्त आराम, तनाव या अनुचित भोजन और जीवनशैली सही नहीं है।25,26
3.6 डिजिटल आई स्ट्रेन - एक उभरता स्वास्थ्य मुद्दा: डिजिटल उपकरणों का उपयोग करने वाले 90% से अधिक लोग आंखों के तनाव का अनुभव करते हैं। ज्यादातर आंखों के लक्षणों हैं - थकी हुई आंखें, सूखी आंखें, धुंधलापन, जलन, आंखों में ललाई तथा दोहरी दृष्टि है। सामान्य गैर-ओकुलर लक्षणों में गर्दन में जकड़न, थकान, सिर दर्द, पीठ में दर्द शामिल है। पलकों के झपकने की गति कम होकर 5-9 प्रति मिनट रह जाती है जबकि सामान्य गति 10 से 16 प्रति मिनट होती है।27-29
4. अपनी आंखों को चोट से बचाएं
4.1 आंख की चोट: सामान्य चोटें हैं: आंख का छिलना (कॉर्निया का घर्षण) किसी औजार या पालतू जानवर के द्वारा, बाहरी वस्तु का आंख में प्रवेश, रसायनिक चोट अम्ल या क्षार के द्वारा या वाष्प द्वारा आंखों पर प्रभाव, अन्य वाष्पो का प्रभाव या रेडिएशन; काली आंखें या किसी चोट या कटने से सूजनI जिनके सामान्य लक्षण है, आंख में या उसके पीछे दर्द, पलकों में ऐंठन, एक आंख से अविरल रूप से आंसू का बहना, दृष्टि में बदलाव या दृष्टिहीनता, आंखों में रक्त का दिखना या आंखों से रक्त स्त्रावI30
4.2 प्राथमिक उपचार एवं चिकित्सीय देखभाल: तुरंत ही किसी “आंखों के आपातकालीन” हॉस्पिटल में उपचार के लिए जाएं परंतु उसके पूर्व कुछ साधारण उपाय कर लेना उचित होता है।31-33
· बार-बार पलको को झपकाने से रेत आदि पदार्थ बाहर आ जाते हैं।
· धीरे से अपनी पलकों को खोले और किसी बाहरी वस्तु को बाहर निकालने के लिए साफ पानी से आंखों को धोयें। धीरे से किसी भी बाहरी कण को दूर करने के लिए ऊपरी पलक को निचली पलक पर खींचें।
· यदि आंख में कोई रसायन चला गया हो तो, तुरंत संपर्क लेंस हटा दें। प्रभावित आंख को नीचे करने के लिए सिर को आँख की तरफ झुकाएं, ताकि आंखों पर पानी के छींटे मारते समय पतला रासायनिक तरल चेहरे की दूसरी आंख की तरफ न चला जाये। 15-20 मिनट तक धोने के पश्चात्, रोगी को अस्पताल ले जाते समय आंख के ऊपर एक साफ पैड रख दें।
· यदि घाव या पंचर हुआ है तो पानी से ना धोएं इसके बजाए आंख के ऊपर सुरक्षा कवर रखें जैसे कि साफ आईपैड या घाव पर तिमारदारी वाली पट्टी रखें बिना आंख में किसी दबाव के डालें।
· अगर आंख पर कोई आघात लगा हो तो उस पर सावधानीपूर्वक ठंडी पट्टी रखें या उसे हल्के से दबाए बिना जो़र लगाए जिससे कि दर्द और सूजन में राहत मिल सकेI
4.3 चोट के पश्चात् जो नहीं करना चाहिए: सिर को इधर उधर ना हिलाएं, आंखों को इधर उधर ना घुमाएं, उन्हें मसले नहीं और ना ही उंगलियों या कपड़े से छुएं। अपने आप उपचार ना करें।31-33
5. स्वस्थ आंखों के लिए उपचार के तरीके
5.1 अच्छी स्वच्छता जैसे हाथों को अक्सर धोते रहना, आंखों को ना मसलना तथा साफ तोलिए का उपयोग संक्रमण से बचाता है।10-13
5.2 अपनी आंखों को सुदृढ़ बनाएं: आंखों को आराम देने के कुछ उपाय निम्न है:26,34-40
· पामिंग, हथेली के खाली भाग को आंखों पर सावधानी से रखें (बंद आंखों पर)। सभी प्रकार के प्रकाश को बंद कर दें, आराम से बैठ जाएं और अपना ध्यान श्वांस प्रक्रिया पर केंद्रित करें और आंखों को 5-10 मिनट तक आराम दें, दिन में दो बार करें। अधिक बार करने पर 1-2 मिनट का समय काफी होता है।34,36-38
· चारों उंगलियों को एक साथ रखते हुए उनसे आंखों को हल्के से दबाए। कुछ देर तक दबाए रखें फिर हटा ले। कुछ सेकंड के लिए आंखों को खोलो और बंद करें, इसको 5 बार दोहराएं। भौहों को हाथ से मसाज करने से भी लाभ होता है। 36-38
· सुबह जल्दी उठकर धूप में, 5 -10 मिनट के लिए, आंखें बंद करके बैठने से भी लाभ होता है। यह क्रिया शाम के समय भी की जा सकती है जब धूप अधिक ना हो।34,36,37
· आंखों को इधर-उधर और ऊपर-नीचे करना, दाएं-बाएं पुतली को घुमाना, फोकस कम या अधिक करना, आंखों को जल्दी-जल्दी झपकाना, खाली दीवार को देखते हुए आंखों को धीरे-धीरे झपकाना ऐसी क्रियाएं हैं जिन से आंखें सुदृढ़ होती हैं।36-39
· सोने से पूर्व किसी वनस्पति तेल या बादाम के तेल से काले घेरों पर कोमलता से मालिश करें।26
· आंखों के व्यायाम के बाद या जब कोई तनाव महसूस होता है तो कोल्ड कंप्रेस करें। एक ककड़ी या कच्चे आलू या चाय की थैली के ठंडे स्लाइस का उपयोग कर सकते हैं।40
· किसी के मार्गदर्शन में,तैराकी करना, पैदल चलना,योगासन और गर्दन और कंधे के व्यायाम करने से परिसंचरण में सुधार होगा और आंखों को पोषण मिलेगा।
5.3 आंखों के अनुकूल आहार: एक संतुलित आहार जिसमें विटामिन A, C, D और E तथा ओमेगा-3 फैटी एसिड प्रचुर मात्रा में हों तथा कुछ मात्रा में खनिज जिंक आंखों को स्वस्थ रखते हैं। यह सब प्रचुरता से ताजे फलों, वनस्पतियों विशेषकर हरी पत्ती वाली और मेवों और बीजों में उपलब्ध होते हैं।35,41-43
6. आंखों की देखभाल हेतु सुझाव: हम कभी भी किसी भी आयु में अपनी दृष्टि में सुधार ला सकते हैं
6.1 सक्रिय जीवन शैली, पर्याप्त आराम, संतुलित आहार, पर्याप्त पानी का सेवन, बैठने का सही तरीका सीधी स्थिति विशेषकर जब डिजिटल उपकरणों का उपयोग कर रहे हों, नियमित व्यायाम, निजी स्वच्छता, ताजी हवा और सबसे ऊपर आरामदेह शरीर और दिमाग की स्थिति, यह सब आंखों की समस्याओं को दूर रखती है।17,34-40,44-45
6.2 कुछ सालों पश्चात् आंखों की पूर्ण जांच करवानी चाहियेI बच्चों की 6 माह और 3 वर्ष की आयु में जांच करवानी चाहिये। इसके उपरांत 6-17 वर्ष के बीच हर वर्ष जांच करानी चाहिए। व्यसकों को 40 से कम आयु तक हर 5 से 10 वर्ष में जांच करानी चाहिए। 54 वर्ष वालों को 2-4 वर्ष के अंतराल पर और अधिक उम्र होने पर अक्सर जांच कराते रहना चाहिए। जल्दी निदान करने से अंधेपन की स्थिति से मुक्ति मिल जाती है।17, 44-45
6.3 अपने परिवार के इतिहास के बारे में जानकारी रखो, जोखिमों के बारे में जानकारी लेना बहुत आवश्यक है। जहां भी आवश्यकता हो चश्मे का उपयोग करो। यदि दृष्टि में कोई परिवर्तन नजर आए तो तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करो। जो लोग मायोपिया, मधुमेह, हृदय संबंधी रोग या जिन को दिल का दौरा पड़ चुका है, कांटेक्ट लेंस का उपयोग करते हैं, ऐसे लोगों को विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।17-44
6.4 20-20-20 नियम का पालन करना उन व्यक्तियों के लिए बहुत आवश्यक है जो डिजिटल उपकरणों का उपयोग करते हैं: इससे आंखों पर अधिक जोर नहीं पड़ता है। हर 20 मिनट के बाद ब्रेक ले लेना चाहिए और किसी वस्तु की ओर देखना चाहिए जो 20 फीट की दूरी पर हो, 20 सेकंड तक। आंखों की देखभाल की ऐप को डाउनलोड करके रखें जो आपको याद दिलाता रहेगा। प्रकाश का भी ध्यान रखना आवश्यक है, अधिक चमक नहीं होनी चाहिए। डिजिटल उपकरणों की डिस्प्ले सेटिंग को भलीभांति समायोजित करें।46-48
References and Links:
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4. https://kidshealth.org/en/kids/eyes.html
5. 20/20 vision: https://www.allaboutvision.com/en-in/eye-exam/2020-vision/
6. 20/10 vision: https://www.nvisioncenters.com/lasik/20-10-vision/
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14. Refractive errors: https://www.nei.nih.gov/learn-about-eye-health/eye-conditions-and-diseases/refractive-errors
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16. Cataract: https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/cataracts/symptoms-causes/syc-20353790
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18. https://www.glaucoma.org/gleams/what-are-the-symptoms-of-glaucoma.php
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23. Dry eye: https://www.aoa.org/patients-and-public/eye-and-vision-problems/glossary-of-eye-and-vision-conditions/dry-eye
24. Watering eyes: https://www.health.com/condition/eye-health/watery-eyes?slide=6f6f7ac5-f902-4822-ab25-fce2aad58c5a#6f6f7ac5-f902-4822-ab25-fce2aad58c5a
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29. Digital eye strain: https://medpharm.co.za/eye-strain-the-new-affliction-of-the-digital-generation/
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32. First aid tips: https://www.stjohn.org.nz/first-aid/first-aid-library/eye-injuries/
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36. Eye exercises for perfect eyesight: https://eyecare.sriaurobindoashram.org/resources/School_For_Perfect_Eyesight.pdf
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42. Eye friendly diet: https://www.allaboutvision.com/nutrition/nutrition_summary.htm; https://www.allaboutvision.com/en-in/conditions/cataracts/
43. Importance of Zinc for vision: https://www.aoa.org/patients-and-public/caring-for-your-vision/diet-and-nutrition/zinc
44. Protect eyes: https://www.allaboutvision.com/en-in/vision-by-age/ways-to-protect/
45. Prevent blindness & care for infants: https://www.healthline.com/health/blindness
46. Prevent digital eye strain: Follow 20-20-20 rule says a study; https://www.medicalnewstoday.com/articles/321536
47. How to prevent eye strain from gadgets: https://gadgets.ndtv.com/laptops/features/how-to-prevent-eye-strain-when-using-a-computer-575879
48. Prevent digital eye strain: https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/eyestrain/diagnosis-treatment/drc-20372403
2. कोविड-19 की घटना का विवरण
#1.चिकित्सक के रोगी का एक प्रेरक अनुभव00512… स्लोवेनिया
मैं एक नर्स हूं और स्लोवेनिया के वृद्ध आश्रम में कार्य करती हूं तथा कोविड-19 का उपचार लेती हूं। 27 मार्च को आश्रम में यह वायरस नजर आया और तीव्रता से फैल गया। इससे 53 लोग प्रभावित हुए जिनमें से 30 लोगों ने कुछ सप्ताह में ही घुटने टेक दिए। अब वहां मेरे अलावा कोई दूसरी नर्स नहीं थी जो मेरे साथ कार्य कर सके। वृद्ध आश्रम पूर्णतया पतनावस्था में आ गया थाI स्लोवेनिया के 5 हेल्थ सेंटर और 3 अस्पताल बचाव के लिए आगे आए। यहां तक कि मेडिकल और नर्सिंग कॉलेज के छात्र 2 शहरों से बचाव के कार्य में मदद के लिए आए। दुर्भाग्यवश उनमें से कुछ इस वायरस से संक्रमित थे। मैंने उनको इम्यूनिटी बूस्टर की औषधि जो मैं सेवन कर रही थी, उनको दी। मेरे कुछ साथियों ने उसे स्वीकार करके सेवन करना शुरू कर दिया, वे सभी जल्द ही संक्रमण मुक्त हो गए। वहां के अधिकारी वर्ग के व्यक्तियों ने उस भयानक स्थिति में इसका सेवन करने से इंकार कर दिया। चूंकि मैं इस महामारी के केंद्र पर रह रही थी तो मैंने अपनी बेटी, सहयोगियों और रिश्तेदारों से दूरी बना ली और पास के होटल में ही रहने लगी। यह बहुत मुश्किल था परंतु मैं उन सब से केवल फोन पर ही मुलाकात 8 हफ्तों तक करती रही। मुझे डॉक्टर के साथ सभी निवासियों के पास जाना पड़ता था। शाम को मैं अपने होटल से ही आने वाले स्टाफ को फोन, टेक्स्ट या वीडियो कॉल पर मार्गदर्शन देती थी। मुझे उनके रहने और खाने की व्यवस्था की देखरेख करनी पड़ती थी। यह कार्य बहुत ही मुश्किल, तनावपूर्ण और थकाने वाला था। कार्य करने की समय-सारिणी भी बहुत चुनौतीपूर्ण थीI
प्रमुख बात यह है कि इस कठिन समय में जिस को भुला देना असंभव है लेकिन मैं पूर्णतया सुरक्षित रही जिसका पूरा श्रेय इम्यूनिटी बूस्टर को है जिसने मुझे बचाए रखा और मेरे स्वास्थ्य की रक्षा भी की। जैसा कि मैं अब लिख रही हूं कि मैं चिकित्सक के प्रति बहुत आभारी हूं जिसको, अपनी मदद के लिए, कभी भी बुला सकती थी। ‘धन्यवाद’ शब्द आपके सहयोग के लिए काफी नहीं है “जो कुछ भी आपने मेरे लिए किया! मैं आपसे बहुत प्रेम करती हूं”।
#2. एक अमेरिकन बुजुर्ग व्यक्ति से प्राप्त ईमेल द्वारा प्रतिक्रिया
कोविड-19 के लिये नयी वाइब्रोनिक्स बूस्टर की पहली खुराक लेते ही मैं इसके अद्भुत प्रभाव से चकित हो गया। मैंने, विभिन्न स्थानों (अंगों) पर अपने शरीर में, पिछले 5 वर्षों में, जहां भी चोट लगी थी जैसे कि मूत्राशय, कूल्हे, छोटी आंतें और सिर की गंभीर चोट, जो कि प्रमुख है, लगातार संवेदना महसूस की। मैं स्पष्ट रूप से औषधि के प्रभाव को महसूस कर रहा था। व्यक्तिगत रूप से हर स्थान पर कई मिनटों तक उसके प्रभाव को महसूस करता रहा। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि इसका प्रभाव मेरी मानसिकता और दिमाग पर भी पड़ा था। मैंने दो शक्तिशाली और हार्दिक भावनात्मक संवेदनाओं को महसूस किया और आशा करने लगा कि पुराने आघातों से छुटकारा मिल जाएगा जो कि बहुत दर्द भरे अनुभव थे। केवल समय ही बताएगा वास्तविक उपचार की स्थिति को, लेकिन कॉम्बो ने एक प्रभावशाली ढंग से कार्य किया जिसने मेरी सभी स्वास्थ्य समस्याओं का पता लगाया हैI
3. वर्चुअल रिफ्रेशर कार्यशाला 8-12 मई, 2020 - दिल्ली-एनसीआर वाइब्रोनिक्स टीम की एक पहल
इस आयोजित कार्यशाला में 40 चिकित्सकों ने भाग लिया जो एक बड़ी सफलता थी।
कार्यशाला के प्रथम दिवस पर पूरे वाइब्रॉनिक्स कोर्स के आधार पर एक मनोरंजक प्रश्नोत्तरी का आयोजन एक शिक्षक11422 द्वारा किया गया। इसमें भाग लेने वाले चिकित्सकों को समाचार पत्रों को पढ़ना था तथा नवीनतम समाचार पत्रों के क्षेत्र में होने वाली प्रगतियों के बारे में सूचना देनी थी। दूसरे दिन उपचार द्वारा मिली सफलता के बारे में अध्यापक और दिल्ली एनसीआर के समन्वयक02859 के मार्ग निर्देशन में विचार विमर्श किया गया। जितने भी चिकित्सक वहां थे, उन्होंने वाइब्रॉनिक्स के प्रति आभार प्रदर्शित किया। उन लोगों ने इस बात पर भी बल दिया कि सफल केसों को एक फॉर्मेट में लिखा जाए, रोगियों के उन अंगों का साथ में फोटो भी रखा जाए जो रोग से ग्रसित था, जहां कहीं भी यह संभव हो और रेमेडी को कम करने की प्रक्रिया पालन करेंI तीसरे दिन चिकित्सक11964 ने कार्य का संचालन किया तथा चिकित्सकों ने अपने अपने विचारों द्वारा सब को बतलाया कि किस प्रकार वाईब्रिओनिक्स ने उनके जीवन को रूपांतरित किया है। जैसे-जैसे कार्यशाला आगे बढ़ती गई, एक चिकित्सक इस बात का साक्षी है कि उसने इस प्रणाली का हिस्सा होने के नाते कितने ही लोगों के दिलों को विनम्रता, और सामाजिक जिम्मेदारी से सेवा के लिए प्रेरित कर दिया है। चौथे दिन वाईब्रिओनिक्स की संगठनात्मक संरचना और आगे के लिए रास्ता अपनाने के बारे में चर्चा की गई। सभी को IASVP की सदस्यता लेने के लिए प्रेरित किया गयाI यह अब सभी के लिए आवश्यक है।
श्रीमती हेम और डॉ. अग्रवाल पांचवें दिन कार्यशाला में पहुंच कर बहुत प्रसन्न हुए। श्रीमती हेम ने कोविड-19 से संबंधित प्रश्नों के उत्तर दिए। उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर कुछ सुझाव भी दिए। इसके अतिरिक्त उन्होंने केस हिस्ट्री लिखने के लिए एक जांच सूची भी प्रदान की जिसके आधार पर उस केस हिस्ट्री को प्रकाशित करने के लिए भेजा जा सके, अंतिम संस्करण तैयार करने के पहले। स्वामी की सतर्क नजरों के समक्ष डॉक्टर अग्रवाल ने वाईब्रिओनिक्स के विकास के बारे में चर्चा की। उन्होंने वाईब्रिओनिक्स के रिसर्च कार्यक्रम के बारे में भी एक विहंगम दृश्य प्रस्तुत किया । एक रिसर्च और वैलनेस सेंटर की पुट्टपर्थी में स्थापना,जो कि अगले 2 वर्षों में तैयार हो जाएगा, के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने चिकित्सकों से आग्रह किया कि उन्हें नियमित रूप से समाचार पत्रों, कोर्स की पुस्तकों और कान्फ्रेंस की पुस्तक को पढ़ते रहना चाहिए। उन्होंने बार-बार दोहराया कि हमें स्वामी पर अपना ध्यान केंद्रित रखना चाहिए जिससे कि चिकित्सक उपचार में अपना पूरा ध्यान लगा सके। स्वामी के आशीर्वाद के फलस्वरुप यह कार्यशाला अनुभव प्राप्त करने के लिए एक अच्छा मंच साबित हुआ।
कार्यशाला के प्रथम दिवस पर पूरे वाइब्रॉनिक्स कोर्स के आधार पर एक मनोरंजक प्रश्नोत्तरी का आयोजन एक शिक्षक11422 द्वारा किया गया। इसमें भाग लेने वाले चिकित्सकों को समाचार पत्रों को पढ़ना था तथा नवीनतम समाचार पत्रों के क्षेत्र में होने वाली प्रगतियों के बारे में सूचना देनी थी। दूसरे दिन उपचार द्वारा मिली सफलता के बारे में अध्यापक और दिल्ली एनसीआर के समन्वयक02859 के मार्ग निर्देशन में विचार विमर्श किया गया। जितने भी चिकित्सक वहां थे, उन्होंने वाइब्रॉनिक्स के प्रति आभार प्रदर्शित किया। उन लोगों ने इस बात पर भी बल दिया कि सफल केसों को एक फॉर्मेट में लिखा जाए, रोगियों के उन अंगों का साथ में फोटो भी रखा जाए जो रोग से ग्रसित था, जहां कहीं भी यह संभव हो और रेमेडी को कम करने की प्रक्रिया पालन करेंI तीसरे दिन चिकित्सक11964 ने कार्य का संचालन किया तथा चिकित्सकों ने अपने अपने विचारों द्वारा सब को बतलाया कि किस प्रकार वाईब्रिओनिक्स ने उनके जीवन को रूपांतरित किया है। जैसे-जैसे कार्यशाला आगे बढ़ती गई, एक चिकित्सक इस बात का साक्षी है कि उसने इस प्रणाली का हिस्सा होने के नाते कितने ही लोगों के दिलों को विनम्रता, और सामाजिक जिम्मेदारी से सेवा के लिए प्रेरित कर दिया है। चौथे दिन वाईब्रिओनिक्स की संगठनात्मक संरचना और आगे के लिए रास्ता अपनाने के बारे में चर्चा की गई। सभी को IASVP की सदस्यता लेने के लिए प्रेरित किया गयाI यह अब सभी के लिए आवश्यक है।
श्रीमती हेम और डॉ. अग्रवाल पांचवें दिन कार्यशाला में पहुंच कर बहुत प्रसन्न हुए। श्रीमती हेम ने कोविड-19 से संबंधित प्रश्नों के उत्तर दिए। उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर कुछ सुझाव भी दिए। इसके अतिरिक्त उन्होंने केस हिस्ट्री लिखने के लिए एक जांच सूची भी प्रदान की जिसके आधार पर उस केस हिस्ट्री को प्रकाशित करने के लिए भेजा जा सके, अंतिम संस्करण तैयार करने के पहले। स्वामी की सतर्क नजरों के समक्ष डॉक्टर अग्रवाल ने वाईब्रिओनिक्स के विकास के बारे में चर्चा की। उन्होंने वाईब्रिओनिक्स के रिसर्च कार्यक्रम के बारे में भी एक विहंगम दृश्य प्रस्तुत किया । एक रिसर्च और वैलनेस सेंटर की पुट्टपर्थी में स्थापना,जो कि अगले 2 वर्षों में तैयार हो जाएगा, के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने चिकित्सकों से आग्रह किया कि उन्हें नियमित रूप से समाचार पत्रों, कोर्स की पुस्तकों और कान्फ्रेंस की पुस्तक को पढ़ते रहना चाहिए। उन्होंने बार-बार दोहराया कि हमें स्वामी पर अपना ध्यान केंद्रित रखना चाहिए जिससे कि चिकित्सक उपचार में अपना पूरा ध्यान लगा सके। स्वामी के आशीर्वाद के फलस्वरुप यह कार्यशाला अनुभव प्राप्त करने के लिए एक अच्छा मंच साबित हुआ।