अतिरिक्त
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स्वास्थ्य सुझाव
अच्छी नीद के लिये!
“रात्रि के समय हर व्यक्ति को अच्छी नींद आनी चाहियें।1 अधिक समय तक सोने से याददाश्त में कमी आनी शुरू हो जाती है। अतः याददाश्त में कमी आयु बढ़ने से नहीं होती है, बल्कि यह समय से अधिक सोने से आती है।2”…Sri Sathya Sai Baba
हर रात्रि, जब मैं सोता हूँ, तो मैं मृत्यु को प्राप्त होता हूँ। अगली सुबह जब मैं उठता हूँ, तो मैं फिर से जन्म लेता हूँ …Mahatma Gandhi
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सोना महत्वपूर्ण है3-6
सोना हमें अत्यधिक प्रिय है। यह एक आवश्यक्ता है न कि ऐश्वर्य।3 प्रातः जब हम उठतें हैं तो बड़े शांत होतें हैं तथा ताजगी का अनुभव करते हैं, “हम कहते हैं कि अच्छी नीद आई”। नींद हमारे जीवन की हर घटना को प्रभावित करती है। यह हमारे रुप, व्यवहार, ग्रहणशीलता और काम करने में परिलक्षित होती हैं।4 इसके महत्व का आभास हमें उस समय होता है जब हमे नींद ठीक से नहीं आती है।5 नींद से सम्बधित तरह-तरह के विचार हमारे मन मे उत्पन्न होते रहते हैं।6 हमें अपनी आंतरिक घड़ी के बारे में जानकारी होनी चाहियें और जब हम सोतें हैं तब क्या होता है।
2. अपनी नींद के चक्र को समझो3,4,6-8
अच्छी नींद के चार चक्र होते हैं। चक्र 1 पहले चरण में जागृत एवं नींद आने वाली अवस्था में होते हैं। चक्र 2 - दूसरे चरण में आस पास से असंबद्ध हो जातें हैं; श्वसन, बीपी व ह्दय गति धीमी हो जाती है तथा शारीरिक तापक्रम भी कम हो जाता है, तब हमारा संसार से संबंध नही रहता है और हम तीसरे चरण में प्रवेश करते हैं।चक्र 3 - तीसरे चरण में हम गहन निद्रावस्था में होते हैं (जिसे हम SWS स्लोवेव स्लीप भी कहते हैं)।7 इस अवस्था में हमारा शरीर और दिमाग विश्राम की स्थिति में होते हैं और रक्त मांस पेशियों में भ्रमण करने लग जाता है। यह चरण शारीरिक शक्ति और ऊर्जा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होता है, इसके साथ ही यह हार्मोनो के नियमन, प्रतिरक्षा तंत्र को शक्तिशाली बनाने और विकास (शारीरिक) के लिये भी बहुत आवश्यक हैं। चक्र 4 इसे REM (Rapid Eye Movement) भी कहते हैं। आँखों की पुतलियों का तेजी से घूमना संज्ञानात्मक सूचनाओं और याददाश्त के लिये अति आवश्यक है। इस अवस्था में हमारा दिमाग एक सूची तैयार करता है तथा गत दिवस की घटनाओं को निष्कासित करता है, आवांछित प्र करणों को निष्कासित करके याददाश्त को बढा़ता है, मूड़ को ठीक करके सतर्क करता है। स्वप्न भी अक्सर इसी अवस्था में आतें हैं। कम नीद लेने का सबसे अधिक प्रभाव रेम पर पड़ता है।
इन चारो चक्रों की पुनरावर्ती 3 से 4 बार तक होती है। पूर्ण निद्रा की अवस्था में प्रत्येक चक्र में चारों की अवधि 60-90 मिनिट की होती है। गहन निद्रा हमारी कुल निद्रा की 20% होती है, रात्रि के प्रथम चरण में इसकी अवधि अधिक होती है। जैसे-जैसे रात्रि बढ़ती है वैसे वैसे ही रेम स्लीप भी बढ़ती जाती है। नींद के चक्र का सटीक वैज्ञानिक आधार नहीं है, अलग अलग व्यक्तियों के लियें यह समान नहीं होती है, और न ही उसी व्यक्ति के लिये सभी रात्रियों के लिये समान होती है। यह व्यक्ति के चारो ओर व्याप्त वातावरण, जीवन शैली, स्वास्थ्य की अवस्था पर निर्भर होती है।
3. कितनी नींद पर्याप्त होती है2,6,9-12
न तो कम सोना चाहिये और न ही अधिक। सभी के लिये ’’एक समान सूत्र’’ निश्चित नहीं किया जा सकता है। शिशुओं के लिये 22 घंटों की नींद आवश्यक है, शिशु के विकास के साथ साथ इसमें कमी आती जाती है। 5-12 वर्ष के बालक के लिये 10 घंटों की नींद आवश्यक है, 32 वर्ष की आयु तक 7-8 घंटों की नींद की आवश्यक्ता होती है2, यह इस बात पर भी निर्भर है कि वह किस प्रकार का कार्य करता है, बढ़ती आयु और जीवन में शांति से नींद की लय में परिवर्तन हो जाता है, हमें इस क्षेत्र में अनुसंधान करने की आवश्यक्ता है और शरीर को ही अपनी आवश्यक्ता को निर्धारित करने देना चाहिये कि पर्याप्त नींद कितने घंटों की हो।6,9,10
पर्याप्त नींद के घंटों के साथ यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि सोने और उठनें का समय समान रहे।11-12 भारतीय परम्परा के अनुसार स्वस्थ्य तथा आंतरिक घड़ी की लय बनाये रखने के लिये रात्रि को 9.30 बजे सो जाना चाहियें और प्रातः4.30 बजे उठ जाना चाहियें।2 छात्रों पर किये गये एक अध्य्यन के अनुसार नियमित सोने और उठने के समय का पालन करने से हम चुस्त रहते हैं, इससे हमारी कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।11-12
आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधानों से बात ज्ञात हुई है कि हमें आंतरिक घड़ी के अनुसार चलना चाहिये।13-15 शरीर क्रिया विज्ञान/औषधि के तीन नोबेल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिको ने वर्ष 2017 में आंतरिक जैविक घड़ी, जिसे सर्कडियन लय भी कहते हैं, के रहस्य का पता लगाया है। उन्होंनें उन जीन को खोज कर अलग कर लिया है जो सर्कडियन लय को कायम रखते हैं। हमारे दिन भर के क्रिया कलापों के अनुसार आंतरिक घड़ी अपने आप को व्यवस्थित कर लेती है, यह पृथ्वी के दिन और रात को लय के साथ अपने आप को उत्तम परिशुद्धता के साथ संयोजन कर लेती हैं। मौलिक रुप से यह हमारी श्वसन क्रिया के समान ही है, यह हमारे महत्वपूर्ण कार्यो जैसे कि हमारा व्यवहार, हार्मोन स्तर, निद्रा चक्र, शारीरिक तापमान और चयापचय नियमित करती है। जब बाहरी वातावरण और आंतरिक घड़ी की अस्थायी तौर पर लय में असंतुलन आ जाता है तो उसका हमारे स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है जैसे कि विमान से यात्रा करने पर थकान का अनुभव करना। हमारी जीवन शैली और हमारी आंतरिक जैव घड़ी, जो बहुत प्रभावी है, में अत्यधिक असंतुलन के कारण ही विभिन्न प्रकार के रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
4. निद्रा के परिपेक्ष्य में समग्र दृष्टिकोण2,10,16-17
एक दृष्टिकोण के अनुसार जीवन को जीने के लिये कम सोना और बचे हुये समय को आराम के साथ बिताना चाहियें। शरीर केवल आराम चाहता है और नींद भी आराम करने का एक साधन है। “आराम” का अर्थ है कि हमारा शरीर ऊर्जा को संतुलित करने का कार्य कर रहा है, ऊर्जा की खपत कम होने से यह शरीर वापस ऊर्जावान हो जाता है। कार्य करते समय भी यदि हम तनाव रहित रहते हैं तो हम थकान महसूस नहीं करते हैं और निद्रा के समय में कमी आ जाती है।
सामान्य व्यक्ति के लिये ऐसा कर पाना बहुत मुशकिल होता है, शरीर के जड़त्व और मन में चलते रहने वाले सांसारिक विचारों के कारण ऐसा होता है। थका हुआ दिमाग और शरीर वाला व्यक्ति तुरंत ही सो जाता है क्योकि शरीर इसे ही आराम के लिये आवश्यक मानता है। नींद की गुणवत्ता को उन्नत करने के लिये हमें अपनी जीवन शैली को उन्नत करना चाहियें। यदि हम अच्छी तरह सोते हैं तो हम अच्छी तरह जीवन व्यतीत कर सकते हैं। शरीर को पूर्ण आराम मिल जाने से हम प्राकृतिक रुप से अपने आप उठ जाते हैं, अलार्म की आवश्यक्ता नहीं पड़ती है।16-17
5. अच्छी तरह सोने व उठने के बारे में सुझाव! 2,3,6,9,10,18-24
*सोने से पूर्व भोजन पच जाना चाहियें। इसका तात्पर्य यह है कि रात्रि के समय किसी भी प्रकार के पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिये जिससे कि शरीर अपने लय को कायम रख सके।3,6,9,18,20
*आंतरिक ऊर्जा को शुद्ध करने और अच्छी निद्रा के लिये सोने से पूर्व स्नान कर लेना चाहियें। ताजा हवा में घूमना उसमें सहयोग प्रदान करता है।6,18
*सोने जाने से पूर्व एक ग्लास पानी पीयें।18
*पलंग के पास किसी भी प्रकार का आधुनिक उपकरण न रखें और न ही कोई भाग दौड़ करें।3,6,9,20
*कमरे के वातावरण को शुद्ध रखने के लिये मोमबत्ती अथवा दीपक जो जैविक तेल और कपास की बत्ती से प्रज्जवलित हो, रख सकते हैं।18
*पाचन क्रिया, ह्दय की क्रिया और लसीक प्रणाली को सुचारु रुप से कार्य करने हेतु बायीं करवट से सोयें। कभी उत्तर दिशा में सिर न रखें, ऐसा करने से पृथ्वी का चुम्बकीय बल रक्त को मस्तिष्क को अग्रसर कर देगा, इससे मस्तिष्क पर दबाव बढ़ जायेगा।18,22,23
*नीद आने पर सो जाओ। कार्य की अधिकता या मीटिंग के कारण देर रात तक जागने की आदत मत बनाओं। दिन भर के कार्यो और गतिविधियों का मन में सोते समय विचार मत करो। यह कार्य आसान हो जाता है यदि सोते समय पढ़ने, ध्यान, जप, आराम से गहरी श्वास या अन्य कोई आध्यात्मिक गतिविधि जो हमारी अंतः चेतना के अनुरुप हो, करतें हैं। सोतें समय यह विचार करे कि कोई निश्चय पूर्वक यह नहीं जानता है कि अगली सुबह वह जागेगा या नहीं, क्योंकी लाखों लोग इस पृथ्वी को प्रतिदिन छोड़कर चले जातें हैं, इसीलिये सभी प्रकार के विचारों को मस्तिष्क से निष्कासित कर दो।2,18,20
*सोने और उठने का समय निर्धारित करो।6,9,19,24
*मुस्कान के साथ उठो। उठते ही अपनी हथेलियों को आपस में रगड़ कर आँखों पर हथेलियों को रखो, ऐसा करने से नसें जो हाथों तक आ कर समाप्त हो जाती हैं वह प्राकृतिक रुप से कार्यरत हो जाती हैं, फिर दाँयी ओर करवट लेकर उठो जिससे कि ह्दय पर दबाव न पड़े।18,21
*भोजन के उपरान्त दोपहर में वृद्ध व्यक्ति10-20 मिनिट की झपकी ले सकतें हैं, इससे उनका मस्तिष्क और शरीर दिन भर के लिये ऊर्जित हो जाता है। लंच के पश्चात युवाओं को पांच मिनट तक आँखें बंद करके आराम की स्थिति में बैठना चाहियें क्योंकि भोजन के पश्चात् रक्त मस्तिष्क से पाचन प्रणाली की ओर अग्रसर होने लगता है, इससे तंद्रा का अनुभव होता है।2
*उपयुक्त जीवन शैली और भोजन के साथ साथ नियमित आध्ययत्मिक गतिविधियों, जैसे कि शरीर और मन को शांत रखने के लिये तथा जीवन शैली को उन्नत बनाने के लिये ध्यान करना चाहियें।24 इस विधि से शरीर को नींद की आवश्यक्ता में धीरे धीरे कमी आयेगी फलस्वरुप जीवन के उद्देश्य की प्राप्ति के लिये अधिक समय उपलब्ध हो जायेगा।10,17,18,20
6. अनिंद्रा की समस्या से मुक्त होने के लिये उपाय करें 5,25,26
अनिंद्रा से सम्बन्धित लक्षण: कोई भी व्यक्ति इस बात का स्वागत नहीं करेगा कि उसकी कार का ड्राइवर, वायुयान का पायलट या शल्य क्रिया करने वाले ड्राक्टर ने पर्याप्त नींद न ली हो। नींद की कमी का संबंध व्यक्ति के मिजाज, चिडचिड़ापन, क्रोध, अवसाद, सतर्कता, स्पष्टता, विचार करने की शक्ति और कार्य क्षमता से होता है। यदि बकाया चलता रहता है तो व्यक्ति के रोगों की चपेट में आने की संभावना बढ़ जाती है। अग्रणी प्रायोगिक अध्य्यनों से ज्ञात हुआ है कि सोना भी एक महत्वपूर्ण कार्य है। लगातार निद्रा के अभाव से एक दर्दनाक कठिन परीक्षा है-इसके कारण शारीरिक और मानसिक शक्ति का हास होता है जो संज्ञानात्मक गतिविधियों को नुकसान देने वाली होतीं है।25-26
स्लीप डिसऑर्डर 27: हर व्यक्ति को अपनी सीमाओं और नींद की आवश्यक्ता को जानना बहुत जरुरी है और समय रहते अपनी आंतरिक घड़ी के साथ लय मिलाने के लिये आवश्यक कदम उठाये जाने चाहियें। यदि इसको नजर अंदाज कर दिया तो निद्रा संबंधी समस्यायें हो जाती हैं जो किसी भी रुप में उभर सकती है। इसके कुछ उदाहरण हैं जैसे कि नींद का न आना (इनसोमनिया), नींद से संबंधित श्वसन समस्यायें (स्लीप ऐप्नीया, खर्राटे आदि) सोने के समय का आंतरिक घड़ी के साथ लय में न होना। विकार अस्थायी भी हो सकता है जैसे कि जेट लॉग, शिफ्ट डयूटी या फिर आदतें या जीवन शैली या फिर कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या। व्यक्ति को तुरन्त ही चिकित्सक से मिलकर निदान करा कर उपचार लेना चाहिये।
साईं वाईब्रोनिक्स, श्री सत्य साई बाबा द्वारा प्रदत्त आर्शीवाद, एक ऐसी उपचार की पद्धति है जो जेट लॉग व नीद से संबधित विकारों के उपचार में बहुत प्रभावी है। चिकित्सक ‘108 कॉमन कॉम्बोज’ या ‘वाइब्रोनिक्स 2016’ की पुस्तक का उपयोग कर सकतें हैं।
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- How much sleep I need https://www.youtube.com/watch?v=zs3bps_dX9Y
- Sleep is a form of Rest https://www.youtube.com/watch?v=X_fHa73_nOg
- Tips to sleep and wake up well: https://www.youtube.com/watch?v=WPznkcqemo8
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- Why Sleep on left side https://www.youtube.com/watch?v=UbElZBptFZg
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- http://www.sleepeducation.org/sleep-disorders-by-category
2. चेन्नई, भारत में एक दिवसीय स्फूर्तिदायक कार्यशाला 15 अप्रैल 2018
चेन्नई में वाईब्रो अध्यापक11422 ने एक दिवसीय स्फूर्तिदायक कार्यशाला आयेजित की , जिसमें 8 चिकित्सको ने भाग लिया। हर भांति की तरह यहाँ पर आपसी वार्तालाप द्वारा सफल उपचारों के बारे में अपने अनुभवों का आदान-प्रदान किया। उन्हें पहले ही सूचित कर दिया गया था कि वे पिछले 12 वाइब्रो समाचार पत्रों का अध्य्यन करके आयें, उसी के आधार पर एक प्रश्नोत्तरी की प्रतियोगिता भी रखी गई थी। इस अत्यधिक पारस्परिक क्रिया सत्र में प्रश्नों का चयन समाचार पत्रों के प्रश्नोत्तर से किया गया था। यह उस दिन का मुख्य आकर्षण था। स्काईप पर डा. अग्रवाल के साथ वार्तालाप में उन्हें कुछ ज्ञानवर्धक बातों से अवगत कराया जो निम्न हैं:
- मस्तिष्क की बजाय दिल से प्रयासरत रहो।
- पौधों और पशुओं के बारे में सोचो, उनमें बुद्धि की कमी होती है परन्तु वे बाइब्रो उपचार के अच्छे ग्रही होते हैं।
- विश्वसनीय रोगों के उपचार का पूर्ण विवरण लिख लिया है इस बात को सुनिश्चित कर लें। इससे वाईब्रो उपचार को गति मिलती है।
- रोगोपचार लिखते समय स्वामी को ह्दय से स्मरण करें और उनसे पूर्ण भक्ति भाव से प्रार्थना करें।
- हमेशा इस बात को ध्यान में रखो कि रोग से मुक्ति देने वाले तो स्वामी ही हैं, हम तो मात्र उनके उपकरण है
3. AVP इटली में कार्यशाला – योग्यता प्राप्त करने के पश्चात् प्रतिभागियों द्वारा चिंतन
“इटली के विभिन्न प्रांतों से आये प्रतिभागियों के साथ हमने 26 जनवरी 2018 को कोर्स प्रारंभ किया। हम अपनी वाइब्रोनिक्स यात्रा को एक आश्चर्यजनक साहसिक कार्य समझतें हैं। दशकों से हमने औपचारिक रुप से शिक्षा प्राप्त नहीं की थी, और इस उम्र में पढ़ना हमें एक दुष्कर कार्य लगता था। फिर भी शिक्षा की सामग्री, वैद्य और बुद्धिमानी पूर्ण तरीको से शिक्षण प्रदान करने के कार्य ने हमें बहुत प्रभावित किया।
हमें शिक्षकों के प्रेम, उनकी ताजगी और प्रसन्नता से बहुत प्रेरणा प्राप्त हुई। शिक्षक02566...इटली ने न केवल शिक्षा साहित्य को प्रभावशाली ढ़ंग से समझाया बल्कि वाइब्रोनिक्स के प्रति अपने जुनून की झलक को भी पेश किया जिसके कारण ही हमें एक ईमानदार चिकित्सक बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
2 माह तक हम लगातार संपर्क में रहें। हर सप्ताह हमारे शिक्षक पुस्तक का एक अध्याय हमारे पास भेजते थे, इस आशा के साथ कि हम उसको अच्छी तरह से पढ़ें और फिर उसे अपनी अभ्यास पुस्तिका में बार बार लिखें। 2 दिन के पश्चात् वह उस अध्याय से संबंधित प्रश्न हमारे पास भेजते थे और हमें उनका उत्तर देना होता था। हम शुक्रवार और शनिवार को एक दूसरे से स्काइप के माध्यम से संपर्क करते थे। 2 घंटो तक हम अपनी गलतियों का सुधार करते थे, हम साहित्य को अब भलीभांति समझने लगे थें, हम अपने विचारों और योजनाओं को सांझा करते थे। 2 माह के पश्चात् हम एक साथ एकत्रित हुये और हमारी प्रायोगिक शिक्षण प्रारंभ हुआ। हम अपने शिक्षक के साथ पूरे दो दिन तक रहें, इसके अलावा आधा घंटे तक स्काइप के माध्यम से ड़ा अग्रवाल....के साथ रहें, यह एक विलक्षण अनुभव था!!!!!
घर लौटते समय हम बहुत उत्साहित थे। परिणाम बहुत ही उत्कृष्ट थे और हमें उसका पता तुरंत ही चल गया। हमारे लिये वह क्षण बहुत ही आश्चर्यजनक था जब रोगियों ने हमसे उपचार लिया। उनको भी आश्चर्य हो रहा था औषधियों की कोई कीमत नहीं थी और उपचार भी निशुल्क था। हमारी संस्कृति में हर बात के लिये मुल्य चुकाना होता हैं, और हम यह सोच भी नही सकतें कि कोई बिना किसी लाभ के लिये कार्य करेगा। हम इस प्रकार के प्रशिक्षण के लिये आपको धन्यवाद ज्ञापित करते हैं। वाइब्रोनिक्स के निस्वार्थ सेवा से हम पूर्णतः परिचित हो गये हैं।
यह हमारे लिये प्रकृति और दिव्यता की सामंजस्यता के लिये यात्रा की शुरुआत है!
ओम् साईं राम