साई व्हाइब्रियोनिक्स पत्रिका

" जब आप किसी हतोत्साहित, निराष या रोग ग्रस्त व्यक्ति को देखते हो, वहीं आपका सेवा क्षेत्र है " Sri Sathya Sai Baba
Hands Reaching Out

चिकित्सकों की रूपरेखा 11975...भारत


 चिकित्सक11975...भारत , जो कि राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर हैं, एक ग्रहणी है और उनके दो बच्चे हैं। उनका जन्म एक साईं परिवार में हुआ है और अपने अभिभावकों से अत्यधिक प्रेरित है, वह सेवा से जुड़े कार्यों में बचपन से संलग्न है। उनके दानी पिता को स्वामी ने कई बार आशीर्वाद दिया है, उन्होंने इस चिकित्सक को शुरू से ही निस्वार्थ सेवा करने और विनम्र जीवन शैली अपनाने की शिक्षा दी है। वह अपनी मां की बाल विकास कक्षाओं में पूर्ण सहयोग करती है और अब वह स्वयं एक बाल विकास गुरु का कार्य कर रही है। वह अपने पड़ोस के सुविधाहीन बालकों को शिक्षा देती है।स्थानीय साईं सेंटर में सक्रिय कार्य करती हैं। उन्होंने पुट्टपर्थी में होने वाले वार्षिक सेवा के कार्यक्रम में सदैव भाग लिया है और बेंगलुरु के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में जब भी अवसर प्राप्त हुआ है, सेवा दी है।

अप्रैल 2012 में उन्हें वाईब्रिओनिक्स के चमत्कारों की अनुभूति हुई जबकि इस औषधि ने उनकी 12 वर्ष पुरानी अस्थमा की बीमारी को एक ही खुराक में ठीक कर दिया था। इनकी यह बीमारी अनुवांशिकीय थी। उनकी साईं सेंटर के एक वाईब्रिओनिक्स चिकित्सक से उनकी मुलाक़ात हुई (जो पेशे से फिजियोथेरेपिस्ट हैं), उन्होंने देखा कि वह तीव्र श्वास की बीमारी से त्रस्त है तो उन्होंने तुरंत ही वाईब्रिओनिक्स की औषधि बनाई और एक गोली उनके मुंह में डाल दी। उस महिला ने उस  औषधि की शीशी को बस साईं के दरबार में रख दिया और फिर भूल गई। अगले दिन वह सामान्य रूप से सांस ले रही थी। चिकित्सक द्वारा पूछने पर उसने बताया कि वह अब बिल्कुल सामान्य है और औषधि के सेवन करने की आवश्यकता ही नहीं। लेकिन चिकित्सक के आग्रह स्वरूप, उसने वह औषधि OD के रूप में 1 सप्ताह तक ली तथा उसके बाद बंद कर दी। उसको यह समस्या दोबारा उत्पन्न नहीं हुई। इस घटना के फल स्वरुप उसकी इच्छा वाइब्रॉनिक क्षेत्र में आने की हुई। चिकित्सक की मदद से जुलाई 2012 में केरल में जाकर उसने AVP का कोर्स कर लिया। फरवरी 2020 में कर्नाटक में चल रही रिफ्रेशर कोर्स में भाग लेने के बाद उसकी इच्छा VP बनने की हो गई। वह एक मेहनती, विनम्र और शांत चित्त से कार्य  करने वाली महिला है। उन्होंने जून 2020 में VP की ट्रेनिंग लीI
पिछले 8 वर्षों में उन्होंने 1000 से अधिक रोगियों का उपचार कर लिया है। उनके सामान्य रोगों के उपचार में है - गैस की समस्या, साधारण सर्दी जुकाम, दांत दर्द, सिर दर्द, टॉन्सिल्स और शरीर पर रेशेज़, जीर्ण रोगों में है - कैंसर, वेरीकोज वेंस, ह्रदय संबंधी समस्याएं, मधुमेह, हाइपो थायराइड, बांझपन, बालों का झड़ना, एच.आई.वी., किडनी डिसऑर्डर, प्रोस्टेट, बावल सिंड्रोम, एपिलेप्सी, वर्टिगो, अस्थमा, विटिलिगो और एग्जिमा। उसे इस बात से खुशी है कि 80% रोगी पूर्णतया ठीक हो गए, उसे विश्वास है कि इन रोगियों ने इमानदारी से औषधि का सही तरीके से सेवन किया होगा। अन्य रोगियों को फायदा हुआ लेकिन उपचार को बीच में ही छोड़ दिया। उसके अधिकतर रोगियों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। जो रोगी उनके पास नहीं आ पाते हैं उन्हें वह पोस्ट के द्वारा औषधि भिजवा देती है। यह बात अत्यंत महत्वपूर्ण है कि उसने एक सो कैंसर के रोगियों का उपचार किया है। 12 प्रकार के कैंसर का उपचार किया है और कई मामलों में तो कैंसर एडवांस स्टेज का था। 50 रोगी तो पूर्णतया  स्वस्थ हो गए और अब वह केवल बचाव हेतु उपचार ले रहे हैं। 5 अत्यधिक वृद्धावस्था वाले लोग शांतिपूर्वक ईश्वर में लीन हो गएI अन्य रोगियों को लाभ हो रहा है और वे लोग वाइब्रॉनिक उपचार ले रहे हैं। मधुमेह के रोगियों से संबंधित उपचार से वह बहुत उत्साहित हैI 10 ऐसे मधुमेह के रोगी जो इंसुलिन ले रहे थे उनकी इंसुलिन बंद हो गई है। 5 रोगियों ने 7-8 माह के उपचार के बाद इंसुलिन लेना बंद कर दिया था। 5 रोगी अभी भी इंसुलिन ले रहे हैं। अन्य 15 मधुमेह के रोगियों में से 3 रोगियों ने एलोपैथिक उपचार बंद कर दिया है, डॉक्टर के परामर्श के अनुसार, क्योंकि उनके रक्त में शुगर का स्तर सामान्य हो गया था। वे बचाव की दृष्टि से OW के रूप में वाइब्रॉनिक औषधि का सेवन कर रहे हैं। 12 अन्य ऐसे रोगी हैं जिनकी एलोपैथिक खुराक आधी हो गई है। बांझपन के लिए, उसने 15 दंपतियों का उपचार किया है।3 महिलाओं ने तो 1-2 माह में ही गर्भ धारण कर लिया था। सभी महिलाओं का प्रसव सामान्य रूप से हुआ और पूर्ण स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया। 2 महिलाओं को तो स्वामी ने स्वप्न में आशीर्वाद भी दिया और बच्चों के नाम भी सुझाए।

चिकित्सक ने अपने द्वारा किए गए उपचारों में से एक बहुत ही आश्चर्यजनक उपचार के बारे में बतायाI उसके पड़ोस में रहने वाले व्यक्ति के पास एक गाय थी। दिसंबर 2019 में उसने उस गाय को निम्न कॉन्बो दिए: CC1.1 Animal tonic + CC8.1 Female tonic + CC10.1 Emergencies + CC15.1 Mental & Emotional tonic. एक माह पश्चात वह गाय जो प्रतिदिन 4 लीटर दूध देती थी वह 7-8 लीटर दूध देने लगी। यह दूध पहले की अपेक्षा  क्रीमी था और अधिक स्वादिष्ट भी था। वह गाय अभी भी 7-8 लीटर दूध प्रतिदिन दे रही है। एक अन्य केस में एक 60 वर्षीय पुरुष को 20 वर्षों से मिर्गी के दौरे पड़ते थे और 10 वर्षों से रक्तचाप भी था, उसको 8 वर्षों से नींद भी नहीं आती थीI वह एलोपैथिक उपचार लेता था परंतु इससे उसको कोई लाभ नहीं हुआ था। वाइब्रॉनिक उपचार शुरू करने के 2 सप्ताह बाद ही उसके मिर्गी के दौरे बंद हो गए थे, रक्तचाप स्थिर हो गया था और नींद भी अच्छी आने लगी थी अतः उसके डॉक्टर ने नींद की गोलियों को बंद कर दिया और रक्तचाप की औषधि को कम कर दिया। मिर्गी की औषधि को एक दम कम कर दिया गया था।

चिकित्सक यह महसूस करती है कि चिकित्सा शुरू करने के समय मुझको रोगी के रोग के कारण होने वाले कष्ट का एहसास नहीं होता था लेकिन बाद में एक घटना के फलस्वरुप उसके मन में रोगी के कष्ट की अनुभूति होने लगी थी। उसको आश्चर्य होता था कि क्यों बहुत से रोगी माइग्रेन के कारण इतनी अधिक परेशानी महसूस करते हैं। उसके अगले दिन ही उसके सिर में भयंकर दर्द होने लगा जो पूरे दिन बना रहा। तब उसकी समझ में आया कि माइग्रेन के कारण कितनी परेशानी सहन करनी पड़ती है। उसको यह भी नही समझ में आ रहा था कि कुछ लोग थायराइड की बीमारी से कैसे ग्रसित हो जाते हैंI कुछ ही सप्ताहों में उसका वजन बढ़ गया, हर समय नींद आने की समस्या शुरू हो गई थी और हर समय शरीर में आलस्य समाया रहता था। थायराइड की जांच करवाने पर पता चला कि उसका TSH का मान 13-14 mIU/L थाI जबकि सामान्य स्तर 0.4 से 4.0 के मध्य होता है। 2 माह औषधि करने पर ही TSH सामान्य स्तर तक आ गयाI मैं धन्यवाद देती हूं कि यह सब रोग दुबारा नहीं हुए। वह अपनी मां और सास की मधुमेह की बीमारी के कारण आंतरिक रूप से दुखी रहती थी, परंतु बाह्य रूप से बड़े प्यार से उन्हें समझाती थी कि उन्हें अपने खाने पर अंकुश रखना चाहिए और थोड़ी बहुत चहल कदमी भी करनी चाहिए। लेकिन उसको UTI की समस्या हो गई और डॉक्टर द्वारा बताए गए बहुत से परीक्षण करवाने पड़े। उसके लिए यह एक सदमा था कि उसके रक्त में ग्लूकोज का स्तर 400mg/dl हो गया था। उसको 1 सप्ताह तक इंसुलिन लेने की सलाह दी गई और उसके साथ ही अन्य औषधियां भी दी गई लेकिन उसने इनका सेवन करने की अपेक्षा वाइब्रॉनिक्स उपचार लेना बेहतर समझा। 2 सप्ताह के बाद खाली पेट शुगर का स्तर 90mg/dl हो गया तथा रैंडम मान 140-160 mg/dL हो गया। डॉक्टर को विश्वास ही नहीं हुआ कि शुगर का स्तर इतनी जल्दी कैसे कम हो गया था और तब से शुगर स्तर इतना ही बना रहता है।

प्रैक्टिस शुरू करने के समय वह रोगियों को एक निश्चित समय पर ही देखती थी। जनवरी 2015 में उनकी आंखें खोलने वाली एक घटना घटित हुई । वह अपने परिवार के साथ केरल के किसी क्षेत्र में मार्ग भूल गई, जब वह कर्नाटक में अपने निवास स्थान से कहीं जा रहे थे। यह वह स्थान था जहां से अधिकतर रोगी उसके पास उपचार के लिए आते थे। 200 से 300 किलोमीटर की बस के द्वारा यात्रा करके उसके पास समय पर पहुंचने के लिए उनको कितनी परेशानियों का सामना करना होता है, उसको एहसास हो गयाI अतः तभी से उसने निश्चय कर लिया कि पूरे दिन रोगी कभी भी आए तो उसे उपचार दे देना चाहिए। पति उसकी प्रैक्टिस में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करते हैं। वह रोगियों के आराम का पूरा ध्यान रखते हैं। रोगी से साक्षात्कार के समय उस विवरण को नोटबुक में लिखते रहते हैं। वह घर के कामों में भी सहयोग करते रहते हैं, जिससे कि उनकी पत्नी रोगियों का उपचार करने में अपना समय दे सके। उनके कार्य में उनके बच्चे भी पूर्ण सहयोग प्रदान करते हैं। उसके निवास से 56 किलोमीटर दूर एक वृद्ध आश्रम में वह लगभग 100 रोगियों का उपचार करती है। वहां वह 3 माह में एक बार ही जा पाती हैं अतः वह रेमेडीज़ को किसी स्वयंसेवक के हाथ या डाक द्वारा भेज देती हैं। इसके अतिरिक्त,वह वहां के स्थानीय साईं सेंटर द्वारा चलाई जाने वाले मेडिकल कैंप में भी अपनी सेवाएं प्रदान करती हैं।

चिकित्सक का मत है कि वाइब्रॉनिक हमारे जीवन में एक अहम रोल निभाती है। इस सेवा के द्वारा हमें आत्म-संतुष्टि प्राप्त होती है। मुश्किल समय में जब यह निश्चित करना कि कौन सी रेमेडी देनी है तो स्वामी के मार्ग दर्शन के फलस्वरूप वह समस्या सुलझ जाती है। इसके लिए वह स्वामी के आशीर्वाद के प्रति बहुत आभारी है। जब, कृतज्ञता और प्यार से कुछ रोगी अपने “वाइब्रॉनिक्स” बच्चों को उनसे मिलाने के लिए ले आते हैं, उन्हें देख कर मुझे ऐसा महसूस होता है कि उनके चारों ओर एक विशेष ऊर्जा रहती है। प्रैक्टिस के कारण उसकी सोच सकारात्मक हो गई है। उसके पास अनेको धर्मों और जाति के लोग आते हैं। वह उन सब से अनुरोध करती है कि वह रेमेडीज देते समय अपने ईश्वर जिसको वे मानते हो, उनका ध्यान करें। कुछ ईसाई  रोगियों ने बताया कि उन्हें सत्य साईं बाबा में यीशु नजर आए हैं। उन्हें विश्वास है कि यदि चिकित्सक पूरे विश्वास के साथ अपने रोगियों को वाईब्रोनिक्स उपचार करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं तो परिणाम उत्साहवर्धक होते हैं।

अनुकरणीय उपचार: