साई व्हाइब्रियोनिक्स पत्रिका

" जब आप किसी हतोत्साहित, निराष या रोग ग्रस्त व्यक्ति को देखते हो, वहीं आपका सेवा क्षेत्र है " Sri Sathya Sai Baba
Hands Reaching Out

चिकित्सक की रुपरेखा 10741...India


चिकित्सक 10741, 10741 ने बीए की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद 5 वर्षों तक दिव्यजीवन समाज के संयुक्त सचिव के पद पर कार्य किया है लेकिन अब वह एक ग्रहणी हैं। अपनी 12 वर्ष की किशोरावस्था में उन्होंने स्वामी को 1956 में पहली बार देखा था जब वह अपने माता-पिता के साथ थी, जो स्वामी की दिव्यता पर विश्वास करते थे।। स्वामी का संदेश सुनकर वह मंत्र मुग्ध हो गई थी। 1969 में विवाह के पश्चात, वह मुंबई चली गई वहां उनकी सास ने उन्हें बहुत प्रोत्साहन दिया। वह सत्य साईं संगठन में सक्रिय रुप से भजन गायिका के रूप में सम्मिलित हो गई। बाद में वह बाल विकास समन्वयक बन गई। इसके साथ ही वह महिला विंग की विभिन्न गतिविधियों जैसे कि बाल विकास, आध्यात्मिक और सेवा की गतिविधियों का संचालन का कार्य करने लगी। इससे उनको शांति की प्राप्ति हुई और आत्मविश्वास भी बढ़ गया। 1975 में उन्हें पुट्टपर्थी आने के लिए दिव्य संदेश प्राप्त हुआ। 1997 में जब वह बेंगलुरु गई तब भी उनकी सेवा का कार्य चलता रहा था। वहां जाने से उन्हें वृंदावन भजन समूह में भजन गाने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ।

यह चिकित्सक अपने आपको आभारी मानती है कि उसे वाईब्रिओनिक्स सेवा करने के लिए उचित निर्देश मिलते रहे थे। वह 2009 में AVP और उसके 1 वर्ष बाद VP बन गई थी। नियमित रूप से होने वाले रिफ्रेशर कोर्स को वह आवश्यक समझती है इससे चिकित्सकों का आत्मविश्वास बढ़ता है। उन्होंने अपनी समिति सदस्यों का बाल विकास के बच्चों और उनके अभिभावकों का उपचार किया है। इसके अतिरिक्त उन्होंने अपने परिवारिक सदस्यों व मित्रों का भी उपचार किया है। वर्ष 2011 से 2014 तक, व्हाइटफील्ड के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल महिला सेवा दल के सदस्यों का भी उपचार करने का अवसर प्राप्त हुआ है। उन्होंने जिन रोगों का उपचार किया है वह है पाचन तंत्र की समस्याएं, तीव्र छाती में संक्रमण, उष्णकटिबंधीय रोग, श्वसन संबंधी एलर्जी, कंकाल/मांसपेशी/जोड़ों की समस्याएँ  और त्वचा संबंधी कई बिमारियों का सफलतापूर्वक इलाज किया। बहुत सी महिलाएं अपने परिवार के सदस्यों के लिए भी औषधि ले जाती थीं।

इन्होंने अपनी सेवाओं को उस स्कूल तक बढ़ा दिया है जिसमें बाबा के छात्र नियमित रूप से चिकित्सा शिविर आयोजित करते हैं, यह स्कूल वृंदावन आश्रम के पास ही है। उनको जो रोगी उपचार के लिए दिए जाते हैं वे न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से होते हैं जैसे कि एपिलेप्सी, ब्रेन डिसऑर्डर, वर्टिगो और न्यूरेलजिया। सफलता की दर काफी उच्च है और खास करके एपिलेप्सी रोग की सफलता की दर 90- 95% थी। वर्ष 2017 में, जब वैलनेस क्लिनिक की स्थापना हुई थी तब उन्होंने वहां पर चार माह तक सेवा की थी। इसके पश्चात, वहां तक प्रतिदिन जाना बहुत मुश्किल होने के कारण, वह अब केवल आवश्यकता होने पर ही वहां जाती हैं।

उनका कहना है कि वाईब्रिओनिक्स सेवा से उनकी आध्यात्मिक यात्रा में बढ़ोतरी हुई है। वह अपने रूपांतरण में तीन स्तरों पर परिवर्तनों का अनुभव करती है, भौतिक स्वास्थ्य, मानसिक संतुष्टि और आध्यात्मिक संतुलन। वह इस सेवा को विशेष सेवा मानती है क्योंकि किसी भी रोगी को औषधि देते समय वह हृदय से स्वामी से रोगी को स्वस्थ बनाने के लिए प्रार्थना करती है। इस प्रकार निस्वार्थ सेवा करते हुए, बार-बार नामस्मरण से सकारात्मक भाव जागृत हो उठते हैंIजैसे कि स्वामी कहते हैं, “दिल में राम, हाथ में काम”, जिसका अर्थ है, “सिर जंगल में और हाथ समाज में”I

अनुकरणीय उपचार :