चिकित्सकों का परिचय 11597...India
चिकित्सक11597…भारत यह चिकित्सक एक निपुण शिक्षाविद है। तीन प्रतिष्ठित स्कूलों में प्रिंसिपल रहने के बाद सेवानिवृत हुई है। वह बीएड और एमफिल अंग्रेजी में डिग्री प्राप्त कर चुकी हैं। वंचितों को शिक्षा प्रदान करना उनका स्वभाव रहा है। उनका पहला कार्य एनजीओ की मदद से शाम के समय वंचित बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के कामों को समन्वय करना रहा है। इसके बाद वह दिन में स्कूल में शिक्षा प्रदान करने का कार्य करती थी और उसके बाद उन्होंने इसे अपना व्यवसाय ही बना लिया। लगभग 40 वर्षों तक शिक्षा प्रदान करने का इन्हें अनुभव है। इन्होंने कई वर्षों तक अपने आप को आशा भारत से जोड़कर शिक्षा प्रदान करने का कार्य किया है। शिक्षा के क्षेत्र में इन्होंने आलकोट मेमोरियल स्कूल की मदद की है और बालवाड़ी पाठ्यक्रम (ग्रामीण पूर्वस्कूली के लिए) को समृद्ध किया है। यह सब संस्थाएं वंचित बच्चों और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों के लिए कार्य करती हैं। एक ना भूलने वाली घटना उस समय घटित हुई जब वह 1984 में, युवा हेडमिस्ट्रेस थी। स्कूल में समारोह के दौरान मदद टेरेसा ने उन्हें बुलाया और उनके सिर पर हाथ रख कर आशीर्वाद दिया। वर्ष 2013 में शिक्षा में उनके योगदान के लिए रोटरी क्लब ने उन्हें ‘नेशनल बिल्डर’ का पुरस्कार दिया।
वह अपने बचपन से ही सेवा के यह समर्पित रही हैं, वह बचपन से ही वृद्धा आश्रम में जाती थी। बाद में सेवा के पदाधिकारी की पत्नी होने के कारण उन्होंने सैनिकों के लिए कल्याण केंद्र की स्थापना की। वर्ष 2014 में उन्होंने कुछ समय के लिए विद्या वाहिनी में भी कार्य किया है। उन्होंने आश्रम में रहने वालों के लिए संचार कौशल को बढ़ाने के लिए आध्यात्मिक संगठन भी बनाया है।
उनके पति जो सेना में एक अनुकरणीय ऑफिसर थे, शिर्डी बाबा के अनन्य भक्त थे वह उनकी पूजा में सदैव साथ देती थी। वर्ष 2004 में उनके पति अचेतन अवस्था में चले गए। इस दुर्घटना के फलस्वरूप वह अनायास ही सत्य साईं की धारा में प्रवाहित हो गए। वह अपनी छोटी पुत्री के साथ गुरु पूर्णिमा के अवसर पर वर्ष 2004 में पुट्टपर्थी जाने में कामयाब हो गई। उसी समय से वह स्वामी के मार्गदर्शक हाथों को अपने परिवार के इर्द-गिर्द देखती हैं जो उन्हें व्यवहारिक और आध्यात्मिक स्तर पर आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। भौतिक दुख दर्द और बेबसी को उसने देखा है और झेला है जो उसके पति की मृत्यु तक वर्ष 2006 तक चलाI इस दुर्घटना से उसने दुखियों के दर्द को समझा। यद्यपि उस समय वह अपने घर को संभालने और बच्चों का सहारा बनने में व्यस्त थी।
सितंबर 2015 में वह बेंगलुरु चली गई वहां पर उन्होंने एक क्लीनिक के बाहर एक बोर्ड देखा वृंदावन व्हाइटफील्ड में। इसमें उनका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया जिस पर लिखा था वाईब्रिओनिक क्लीनिक। यह केवल क्षणभंगुर परिचय था। उनकी वास्तविक यात्रा वाईब्रिओनिक्स के साथ 2017 में शुरू हुई जब वाईब्रिओनिक्स वेबसाइट उनके सामने अपने आप खुल गई। वह AVP फरवरी 2018 में बनी सेवानिवृत्ति के कुछ पहले और VP बनी 13 माह के बाद। अभी तक उन्होंने लगभग 1000 रोगियों का उपचार किया है, बहुत प्रकार के रोगों का। इसके अतिरिक्त वह प्रशासनिक कार्यों में भी योगदान करती हैं जब कभी भी आवश्यकता पड़ती है विशेषकर प्रतिलिपि तैयार करने में। वह सदैव चिकित्सक11210 की व्हाइटफील्ड हॉस्पिटल के वैलनेस क्लिनिक में मदद करती रहती हैं और प्रलेखन प्रक्रिया तथा समाचार पत्र के अतिरिक्त कॉलम को लिखने में भी अपना योगदान प्रदान करती हैं।
मार्च 2019 में IASVP की सदस्य बनने के बाद उन्होंने चिकित्सक10354 के साथ अपनी एक टीम बना ली है और उनके साथ वह शिर्डी बाबा बेंगलुरु के मंदिर में उनके साथ रोगियों का उपचार करती हैं। उन्होंने यह महसूस किया है की त्वचा और पाचन तंत्र के रोगी वाईब्रिओनिक्स उपचारों से बेहतर हो जाते हैं, लेकिन फिर कुछ और समस्या सामने आती है। इसका मुख्य कारण उनके मतानुसार उनके रहने के स्थान पर स्वास्थ्य वातावरण का ना होना हो सकता है। वह रोगियों को इस संबंध में आवश्यक सलाह भी देती हैं और उनसे बचने के लिए रेमेडीज भी देती हैं विशेषकर जब जल जनित बीमारियां अनियंत्रित हो जाती हैं। उनके अनुसार कैंप में उपचार लेने वाले रोगियों में से केवल एक तिहाई रोगी ही निर्देशित खुराक का सेवन करते हैं, आवश्यक निर्देशों का पालन करते हैं और समय पर अपनी बोतल को भरवातें हैं, जबकि इन्हीं लोगों को इन से अधिक लाभ प्राप्त होता है। उदाहरण के लिए 2 रोगी जो जीर्ण सोरायसिस से पीड़ित हैं को अप्रत्याशित लाभ हुआ जबकि दूसरे उपचारों से लाभ नहीं हुआ था।
चिकित्सक को अभी भी लाभ की गणना करना सीखना है। कभी-कभी ऐसा होता है कि देखने से लगता है कि रोगी ठीक हो रहा है परंतु रोगी के अंदर कुछ ऐसे सकारात्मक परिवर्तन होते हैं जिनके कारण रोगी रोग मुक्त हो जाता है। वह कहती हैं कि अधिकतर रोगों का कारण संचार तंत्र में अवरोध होता है और उनके मतानुसार CC3.7 Circulation को मिला देने से उपचार शीघ्र होने लगता है। वह रोगी का पूरा विवरण संभाल कर रखती है जिसकी वजह से रोगी को दोबारा आने पर उपचार में सहूलियत होती है। यह विशेषकर उन रोगियों के साथ होता है जिन्हें पुल आउट की समस्या हो जाती है। यह संख्या लगभग 8% होती है।
गुरुओ के कार्य ने उसे यह सिखाया है कि यदि चिकित्सक समर्पण भाव के साथ, बातचीत के समय शांति से समस्याओं को सुनता है और पूर्णतया पल में होने के नाते, रोगी को गहरे स्तर पर जुड़ने में मदद करता है। वह खुद को रोगी के साथ अधिक सहानुभूति रखना चाहती है। वह रोगी के लिए एक अच्छा रोल मॉडल है क्योंकि वह अपने आप को चुस्त-दुरुस्त रखती है। इस हेतु वह प्रतिदिन व्यायाम करती है और संतुलित भोजन करती है। वह हर कार्य को मन लगाकर अच्छी तरह से करती है। वह अपने आपको लाइफ कोच समझती है ना कि एक चिकित्सक। अतः अपने रोगियों को स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक बातें बताती रहती है, यह उनकी प्रकृति ही बन गई है। जो चाहते हैं अपनी जीवनशैली को बदलना (केवल 10℅) उन्हें उसके बारे में भी बतलाती है।
चिकित्सक का अपना मत है कि समाज के हर क्षेत्र के रोगी एलोपैथिक उपचार को पसंद नहीं करते हैं उसके दुष्प्रभावों और जटिलताओं के कारणI अत: वर्तमान समय में ‘वाईब्रिओनिक’ एक आवश्यक ‘उपचार’ बन गया है।
अनुकरणीय उपचार :