Vol 11 अंक 6
नवम्बर /दिसम्बर 2020
मुद्रणीय संस्करण
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डॉ. जीत के अग्रवाल की कलम से
प्रिय चिकित्सको,
इस समाचार के साथ मैं आपका दो महत्वपूर्ण बातों की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ जो हमारे लिए मील का पत्थर है। पहला महत्वपूर्ण समाचार यह है कि हमारे प्रिय स्वामी का 95 जन्म दिवस आने वाला है। दूसरा महत्वपूर्ण समाचार वाइब्रिओनिक से संबंधित है। हम पुट्टपर्थी में साईं वाईब्रिओनिक अनुसंधान केंद्र, प्रशिक्षण केंद्र और कल्याणकारी योजनाओं के लिए केंद्र स्थापित करने जा रहे हैं। इसका कार्य शुरू किया जा चुका है लेकिन कोविड-19 अवरोध के कारण यह कार्य 10 माह पीछे चला गया है। स्वामी कहते हैं कि “जो कुछ भी होता है तुम्हारे भले के लिए होता है” ...SSS vol XVII chapter 15. हम यह महसूस करते हैं कि इस देरी ने हमें एक अवसर दिया है कि हम केंद्र के निर्माण संबंधी बातों पर अधिक ध्यान दे सकें जिससे कि केंद्र अनुकूलित आवश्यकताओं के अनुसार पूर्ण सुसज्जित हो सके। हमने पिछले कुछ माह में चिकित्सकों का प्रशिक्षण वर्चुअल माध्यम से किया है। और इस कार्य को भविष्य में करते रहना चाहते हैं। इससे हमें प्रशिक्षण के लिए अधिक स्थान की आवश्यकता नहीं रहेगी।
हम यह आशा करते हैं कि हमारा यह केंद्र 2 वर्ष के अंतराल में पूर्ण रूप से निर्मित हो जाएगा। यह केंद्र ना केवल चिकित्सकों को सुविधाएं उपलब्ध कराएगा बल्कि वाइब्रिओनिक की उन्नति के लिए एवं संगठनात्मक कार्यों के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा - आईटी प्रकाशन, प्रशिक्षण, और रोगियों के उपचार के लिए इसका उपयोग हो सकेगा। मेरे विचार अनुसार इसका संचालन उपचार ट्रस्ट द्वारा किया जाएगा और यह ट्रस्ट नेतृत्व टीम की अनुशंसा के अनुसार कार्य करेगा। यह टीम केंद्र के निर्माण संबंधी कार्यों का देखरेख कर रही है। मेरी जिम्मेदारियों को प्रतिबंध टीम को सौंपने की गतिविधि में, केंद्र की स्थापना, मेरा पहला कदम हैI मैं स्वामी के प्रति अत्यंत आभारी हूं कि उन्होंने मुझे शक्ति और अवसर प्रदान किया कि मैं वाईब्रिओनिक्स का उत्थान कर सकूं। इतना ही नहीं मुझे उन्होंने प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं की उपलब्धि भी करवा दी जिससे कि मैं आगे कार्य कर सकूं। यह कार्यकर्ता सभी क्षेत्रों के और सभी आयु वर्ग के हैं, जिनमे कुछ सेवानिवृत्त लोग हैं, कुछ इंजीनियर हैं तो कुछ शिक्षक अधिकारी है। यह सब 30 वर्ष की आयु से लेकर 87 वर्ष तक की आयु के प्रतिबद्ध कार्यकर्ता है!
दस महीने से, कोविड-19 महामारी का हमारे मन पर बहुत प्रभाव पड़ा है। पूरे संसार में जिसने हाहाकार मचा दिया है। इसका मुख्य कारण है कि इसके कोई लक्षण प्रकट नहीं होते हैं और इसका रूप निरंतर बदलता रहता है। मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि हमें सुरक्षा उपायों में ढील नहीं देनी है और ना ही उन रोगियों को निराश करना चाहिए जो हमारे पास सहायता के लिए आते हैं। मुझे लगता है कि सभी चिकित्सक इस संबंध में नियमित सूचनाएं भेज रहे हैं। अधिकांश लोगों ने जिन्होंने इम्यूनिटी बूस्टर का सेवन किया है इस प्रकोप की चपेट में नहीं आये है और यदि आए भी हैं तो जल्दी स्वस्थ हो गए हैं। अकेले भारत में ही इस औषधि की मांग बहुत बढ़ गई थी। पिछले दो माह में ही इम्यूनिटी बूस्टर की मांग 180,000 हो गई थी। वे लोग इस औषधि का सेवन अगस्त माह से ही लगातार कर रहे हैं। हमारे चिकित्सकों ने 54,000 नए लोगों को इम्यूनिटी बूस्टर का वितरण किया है।
एक अन्य महत्वपूर्ण सूचना है कि हमारी एक और वेबसाइट शुरू हुई है, (https://www.vibrionics.org) इस वर्ष गुरु पूर्णिमा के अवसर पर। इस वेबसाइट को 4 माह में 4000 से अधिक लोगों ने देखा है। उपचार कराने के लिए पूछताछ करने वाले लोगों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। हमने एक और नई श्रंखला शुरू की है वेबसाइट फेज़ दो जिसमें श्रेणीबद्ध तरीके से केस हिस्ट्रीज़ को व्यवस्थित किया गया है। उसमें मन्त्र, यूजर फ्रेंडली मेन्यू और नए सिरे से आर्टिकल सेक्शन को भी शामिल किया गया हैI हमने अपने नए वेब पेज (https://news.vibrionics.org) में सुधार भी किए हैं जिससे कि हमारे समाचार पत्रों का “pdfs” वर्जन डाउनलोड किया जा सकता है। इसको देखने के लिए इस पृष्ठ को किसी भी भाषा में खोज बार में "pdfs" दर्ज करके पहुँचा जा सकता है। मराठी भाषा को भी वेबसाइट से जोड़ा गया है। तमिल भाषी चिकित्सकों के लिए एक और खुशखबरी है कि AVP मैन्युअल का तमिल भाषा में अनुवाद चिकित्सक 11579 & 11580 द्वारा किया गया है और इसे 23 नवंबर 2020 को स्वामी के चरण कमलों में समर्पित किया जाएगाI
मैं सभी चिकित्सकों से आग्रह करता हूं कि वह अपने स्वास्थ्य, आध्यात्मिक और रोगियों के प्रशंसा पत्रों (ऑडियो वीडियो और हस्तलिखित) को नियमित रूप से भेजते रहे। प्रारंभिक चिकित्सकों के लिए एक वीडियो प्रशंसा पत्र चिकित्सक 11601 द्वारा डाला गया है वेबसाइट पर, इसको अवश्य देखें। ऐसे सभी योगदान भी जिसमें वेबसाइट के संबंध में प्रश्न या सुझाव हो तो सीधे ही [email protected] पर भेजें जिससे कि उनका उत्तर तुरंत ही दिया जा सके।
अंत में, मैं तुम्हें स्वामी का प्रसन्नता से रहने का संदेश भेज रहा हूँ। उनका कहना है कि “तुम जो कुछ भी करते हो उसे पूर्ण श्रद्धा (समर्पण) के साथ करो”I प्रसन्नता इस बात में नहीं है कि आप जो पसंद करते हैं, वैसा नहीं कर रहे हैं, लेकिन जो भी आप करते हैं उसे पसंद करते हैं।” कोई कार्य जो प्रेम सहित किया जाता है और जिसे आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा जाता है वह प्रभावी रूप से पूजा में बदल जाता है। हां! यह सही है कि हम अगोचर महामारी के मध्य में है फिर भी स्वामी के शब्द हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं। हमारी वाईब्रिओनिक्स टीम मैदान को छोड़ने वाली नहीं है बल्कि वाइब्रॉनिक सेवा हमें मजबूती के साथ बांधे रखेगी। आइए हम सब मिलकर पहले की अपेक्षा अधिक मजबूत दयालु और समर्पित होकर उभरे और हमारे में और अधिक अध्यात्मिक किरणों का निर्गमन होI
साईं सेवा में रत
जीत के.अग्रवाल
सिरदर्द, साइनोसाइटिस, एलर्जी 11621...India
एक 41-वर्षीय चिकित्सक स्वयं 20 वर्षों से प्रतिदिन सिर दर्द से परेशान रहता था। उसको धूल और पराग से एलर्जी थी। सुबह उठने पर उसे10-12 छींके के एक साथ आती थी। उसका साइनस इतना अधिक सूज जाता था कि नाक से सांस लेना मुश्किल हो जाता था। वर्ष 1998 में विकृत नाक की हड्डी की शल्य क्रिया की गयी लेकिन इसके कारण उसकी नाक बंद नहीं हुई और ना ही सिर दर्द ठीक हुआ हालंकि उसकी घरघराहट कम हो गयी थी जो रोग अनुवांशिक था जो उसे मां से मिला था। वर्षों से, डॉक्टर ने इसके लिए नाक में डालने की दवाइयां, एंटी-हिस्टामिन, एंटी-इन्फ्लेमेटरी और दर्द निवारक औषधि आदि थी लेकिन किसी से भी उसे स्थाई लाभ नहीं हुआ था। सप्ताह में दो बार इन औषधियों को लेना उसके लिए सामान्य बात हो गई थी। वह अपने सिर को गीला करने से डरता था। वह बारिश में या स्विमिंग पूल में नहाते समय इस बात का ध्यान रखता था कि कहीं सिर गीला ना हो जाए। यदि वह आधा घंटा भी भीगा रहता तो उसे सिर दर्द हो जाता था जो तीव्र दर्द निवारक गोली से ही ठीक होता था।
25 नवंबर 2019 को उसने निम्न रेमेडीज का सेवन प्रारंभ किया :
#1. CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC19.2 Respiratory allergies + CC19.5 Sinusitis… एक खुराक प्रत्येक 10 मिनट के अंतराल पर 1 घंटे तक तत्पश्चात 6TD
2 दिन पश्चात, सिर के पिछले भाग में दर्द में थोड़ी कमी हुई थी, जो एक दर्द का एहसास उसे हर समय रहता था लेकिन बन्द नाक में उसे 50% का फायदा हुआ था। 1 सप्ताह बाद दर्द में 30% की कमी हो गई थी, नाक की रुकावट पूरी तरह ठीक हो गई थी और सुबह की छींके बंद हो गई थी।वह एक जगह गया जिसके दौरान वह समुद्र में, पूल में और चार घंटे से अधिक समय तक शॉवर के नीचे रहा था, लेकिन यह एक चमत्कार ही था कि उसकी नाक बंद नहीं हुई थी।
एक माह पश्चात्, जनवरी 2020 के शुरू में सिर दर्द में 80% की कमी हो गई थी इससे उसे OTC औषधियों की आवश्यकता नहीं रह गई थी, इसके अतिरिक्त सभी लक्षण समाप्त हो गए थे। 8 से 14 जनवरी के मध्य उसको अत्यधिक कार्य करना पड़ा था जिसके कारण सिरदर्द फिर उभर गया था।
ऐसी स्थिति के लिए उसने एक इमरजेंसी रेमेडी बनाई थी निम्न कंबोज को मिलाकर:
#2. CC4.10 Indigestion + CC10.1 Emergencies + CC11.3 Headaches + CC11.4 Migraines + CC19.5 Sinusitis… प्रत्येक 10 मिनट में दो घंटे (एसओएस खुराक) तक, जो उन्होंने केवल दो बार लीI
1 मई तक, उसका सिर दर्द पूरी तरह से ठीक हो गया था, नींद भी अच्छी आने लगी थी अतः औषधि #1 की खुराक को OD कर दिया गया और 1 महीने के बाद उसे बंद कर दिया गया। केवल जब कार्यभार अधिक हो जाता था और आधी रात तक कार्य करना पड़ जाता था या फिर एक समय का भोजन छूट जाता था तो सिर दर्द उभर जाता था उस समय #2 की एक या दो खुराक लेने से ठीक हो जाता थाI एक बार जब उसने #2 औषधि को जानबूझकर नहीं लिया तो सिर दर्द फिर से उभर गया जो आधे दिन तक रहा! अब उसने यह गलती करना छोड़ दिया है। जैसे ही उसे दर्द की संभावना होने लगती है वह औषधि #2 का सेवन कर लेता है। 1 जून 2020 से, वह इम्यूनिटी बूस्टर का सेवन कर रहा है।
अक्टूबर 2020 तक उसे कोई तकलीफ नहीं हुई है।
दर्द्युक्त मासिक धर्म 11621...India
एक 32-वर्षीय युवती को वर्ष 2013 से मासिक धर्म में तीव्र दर्द की समस्या हो जाती थी लेकिन वह किसी प्रकार की औषधि नहीं ले रही थी। उसका विवाह पुराने ख्यालों वाले परिवार में हुआ। वहां वह मासिक धर्म के समय किसी भी पवित्र कार्यों में भाग नहीं ले सकती थी। अतः उसने वर्ष 2013 से स्टेरॉयड का सेवन शुरू कर दिया जिससे कि उसका मासिक धर्म आगे खिसक जाए और वह उन सभी कार्यों में भाग ले सके। ऐसा वर्ष में एक या दो बार हो जाया करता था। एलोपैथिक औषधियों के दुष्प्रभाव से परिचित होने के कारण चार वर्ष बाद उसने वर्ष 2017 से स्टेरॉयड का सेवन बंद कर दिया थाI अतः अब मासिक के समय बहुत तेज दर्द होने लगा था। क्रैम्स भी आ जाते थे जो 5 दिन तक रहते थे। रोगी ने इसका कारण स्टेरॉयड को बताया जो वह पहले ले चुकी थी। वह दर्द निवारक गोलियों का भी सेवन नहीं करना चाहती थी इसलिए वह अधिकतर समय आराम ही करती रहती थी।
1 दिसंबर 2019 को उसने चिकित्सक से संपर्क किया। चिकित्सक ने उसे निम्न औषधि डाक द्वारा प्रेषित कर दी:
CC8.4 Ovaries & Uterus + CC8.8 Menses irregular + CC12.1 Adult tonic + CC15.4 Eating disorders…TDS,अंतिम कॉम्बो CC15.4 को इसलिए मिलाया गया था कि उसका वजन अधिक था उसे हर वक्त कुछ न कुछ खाते रहने की आदत थीI
दिसंबर के अंत तक रोगी को 10 से 20% तक का लाभ नजर आया उसको अब क्रैम्स और दर्द कम हो गए थे। अगले एक माह में लाभ का प्रतिशत 30 से 40 हो गया था जो फरवरी तक बढ़कर 80% हो गया था। 1 अप्रैल को रोगी ने बताया कि क्रैम्स और दर्द बीते दिनों की बात हो गई है। अतः खुराक को OD कर दिया गया। 11 मई 2020 को औषधि बंद कर दी गई क्योंकि वजन कम करने के लिए उपचार शुरू कर दिया था। अक्टूबर 2020 तक उसे फिर से दर्द की शिकायत नहीं हुई थी। अब उस के मूड में भी बदलाव नहीं होता था (आश्चर्यजनक घटना) जो उसे मासिक धर्म से पहले ही हो जाया करती थी लेकिन यह बात उसने चिकित्सक को नहीं बतलाई थी!
दाहिनी और का दर्द तथा श्वसन तंत्र की एलर्जी 11597...India
एक 40-वर्षीय महिला के शरीर के दाहिने भाग में तीव्र दर्द होता था। दर्द कंधे से लेकर पांव तक रहता था इसके कारण उसकी निंद्रा में भी गड़बड़ी हो गई थी। डॉक्टर ने उसे दर्द निवारक औषधियां दी परंतु उससे सुबह उनींदापन रहने लगा था, इससे उसके घरेलू कामकाज में बाधा पड़ती थी। फिर भी वह उन औषधियों का सेवन करती रही लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। उसने घरेलू उपचारों से उसे ठीक करने का प्रयास कियाI
परंतु इससे भी कोई लाभ नहीं हुआ। अतः उसने 3 मार्च 2018 को वाईब्रो चिकित्सक से संपर्क किया जिसने उन्हें निम्न रेमेडीज दी:
तेज़ दर्द के लिए :
#1. CC10.1 Emergencies + CC18.5 Neuralgia + CC20.5 Spine…TDS
अनिंद्रा के लिए :
#2. CC15.6 Sleep disorders... सोने से पहलेI आवश्यकता होने पर. हर 10 मिनट के अंतराल पर सोने तकI
9 मार्च को रोगी ने सूचना दी कि उसके दाहिने कंधे और बांह का दर्द तो 70% ठीक हो गया है परंतु पैर का दर्द अभी ठीक नहीं हुआ है। कूल्हे के क्षेत्र में हल्का दर्द और सुन्नपन का एहसास होता है। चिकित्सक ने उन्हें पुल आउट के बारे में बतलाया और कहा कि ऐसे लक्षण यह प्रकट करते हैं कि दवा असर कर रही है। रोगी की हिम्मत बढ़ गई और उसने औषधि लेना जारी रखा। 1 सप्ताह के बाद 17 मार्च को उसको बहुत अच्छी नींद आईI सुन्नपन ठीक हो गया था लेकिन दर्द अभी भी बाकी था।
अतः #1 को निम्न प्रकार से बदल दिया गया था:
#3. CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC20.1 SMJ tonic + CC20.3 Arthritis + #1…TDS
25 मार्च को एक सप्ताह के बाद, # 2 बंद कर दिया गया था। 20 अप्रैल को 5 सप्ताह के बाद, रोगी ने बताया कि उसका दर्द पूर्णतया ठीक हो गया है। 5 मई 2018 तक उसे बिल्कुल कोई दर्द नहीं हुआ था, इसलिए खुराक को एक महीने के लिए OD और फिर एक महीने के लिए OW कर दिया गया था। वह तब से दर्द-मुक्त है।
9 अगस्त 2018 को रोगी फिर आया वह 3 दिन से छींको से परेशान था और सांस लेने में परेशानी हो रही थी जब वह घर की सफाई कर रही थी। यह शिकायत उसे पिछले 8 वर्षों से थी परंतु उसने इस बारे में चिकित्सक को कुछ नहीं बताया था, इसके लिए वह एंटी-हिस्टामिन की गोलियों का सेवन कर रही थी।
इसके लिए उसे निम्न औषधि दी गई:
#1. CC19.1 Chest tonic + CC19.2 Respiratory allergies + CC19.4 Asthma attack… हर 10 मिनट के अंतराल पर 1 घंटे तक। आवश्यकता होने पर यही उपचार फिर करें उसके बाद 6TD
अगली सुबह उसको एक भी छींक नहीं आई। 25 अगस्त को रोगी ने सूचना दी कि उसे अब 80 प्रतिशत आराम हो गया है। अब वह आसानी से श्वास ले सकती है, परंतु छाती में अभी भी भारीपन है। 3 अक्टूबर को 100% लाभ हो गया था अतः खुराक को TDS कर दिया गया।
14 अक्टूबर को रोगी ने बताया कि अब उसे कोई लक्षण नहीं है अतः खुराक को OD कर दिया गया। 5 नवंबर 2018 को रोगी ने सूचना दी कि अब उसकी एलर्जी समाप्त हो गई है, छींके भी समाप्त हो गई हैं, श्वसन तंत्र भी ठीक हो गया है और उसने अपना निवास स्थान भी बदल लिया है। उसने चिकित्सक के लिए एक प्रशंसा पत्र भी भेजा है।
अगस्त 2020 तक, कोई भी लक्षण दोबारा प्रकट नहीं हुआ था।
रोगी का प्रशंसा पत्र: मैं सभी वाइब्रॉनिक्स चिकित्सकों को उनकी महान सेवा के लिए हृदय से आभारी हूं। मैं स्वामी के प्रति और वाइब्रॉनिक्स के प्रति भी हृदय से आभार प्रकट करती हूं। मैं धन्यवाद ज्ञापित करती हूं कि इस औषधि ने मुझे दर्द निवारक गोलियों के सेवन से बचा लिया है। पिछले 8 माह से केमिस्ट के यहां उससे दवा खरीदने के लिए नहीं गई हूँ। इस विचार से मेरा मन हल्का हो जाता है कि आज मेरे शरीर से सभी दुष्प्रभाव वाली औषधियों का निष्कासन हो गया है। धन्यवाद!
चिंता 11597...India
5 मई 2018 को एक 47-वर्षीय महिला ने चिकित्सक से संपर्क किया। उसको हर समय चिंताएं सताती रहती थीI जब कभी भी भावनात्मक रूप से विचलित हो जाती थी तो उसको हर समय ऐसा लगता था कि इसके पीछे कोई चाल है और उसका हृदय भारी हो जाता था। यह लक्षण उसे 2017 दिसंबर में प्रकट हुए थे। यद्यपि उसका मासिक धर्म 3 माह से अनियमित था लेकिन उसने उपचार कराने के बारे में कभी नहीं सोचा था। वह केवल कैल्शियम युक्त औषधि ले रही थी।
उसको चिकित्सक ने निम्न औषधि दी :
#1. CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC18.5 Neuralgia…TDS
15 मई को रोगी में सूचित किया कि अब वह काफी राहत महसूस कर रही है। वह 70% लाभ का उपभोग कर चुकी थी और अब काफी समय तक वर्तमान में रहने लगी थी।
5 सप्ताह बाद 20 जून को अनियमित मासिक धर्म के लिए भी रेमेडी जोड़ दी गई:
#2.CC8.1 Female tonic + CC8.8 Menses irregular + #1…TDS
20 जुलाई को रोगी ने बतलाया कि अब वह काफी शांत है और रेमेडीज को नहीं बदलने को कहा। वह हर माह बोतल भरवाने आती थी, परंतु कितना लाभ हुआ है इस बारे में कुछ भी नहीं बताती थी। वह पूर्ण स्वस्थ हो जाने की बात बताने में झिझकती थी।चिकित्सक ने महसूस किया कि रोगी रेमेडी लेने की आदी हो गयी हैI चिकित्सक चाहता था कि रोगी मानसिक तौर पर दृढ़ हो जाए और अपनी प्रतिभा को पहचान सके। चिकित्सक ने रोगी को संगीत और आर्ट कक्षाओं को ज्वाइन करने की सलाह दी। यह बात रोगी को बहुत अच्छी लगी और उसने तुरंत ही संगीत कक्षाओं में जाना शुरू कर दिया।
उसने पूर्ण विश्वास और लगन के साथ औषधि #2 को लेना जारी रखा। 7 नवंबर को उसने हिम्मत करके चिकित्सक को बता दिया कि अब वह पूर्ण रूप से स्वस्थ हो चुकी है। उसकी मासिक धर्म की शिकायत ठीक नहीं हुई थी। उसे इस बात का एहसास था कि मेनोपॉज के कारण शरीर में कुछ परिवर्तन होते हैं अतः वह इसके लिए कोई औषधि नहीं लेना चाहती थी। अगले 5 हफ्तों के दौरान खुराक को धीरे धीरे कम कर दिया गया। 10 दिसंबर 2018 को उपचार बंद कर दिया गया। उसके बाद से रोगी स्वास्थ्य संबंधी हर समस्या के लिए चिकित्सक से सलाह लेती रहती है। अक्टूबर 2020 तक रोगी पूर्ण स्वस्थ थी बहुत सक्रिय है। कोई भी लक्षण दोबारा प्रकट नहीं हुआ है।
अपच, सिरदर्द 11606...India
प्रशिक्षण पूरा होते ही, चिकित्सक ने सबसे पहले अपनी 32-वर्षीय नौकरानी का उपचार किया जो गैस और अम्ल प्रतिवाह से पीड़ित थी, थोड़ी जलन होती थी और पेट में दर्द होता था। यह परेशानी उसे करीब-करीब हर रोज होती थी और यह बीमारी उसे पिछले 4-5 वर्षों से थी। रोगी होते हुए भी उसे कई स्थानों पर काम करने के लिए जाना पड़ता था अपने 4 बच्चों के पालन पोषण के लिए, अतः वह अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पाती थी और ना ही वह भोजन पर ध्यान रख पाती थी। 2 माह पहले उसकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई थी उसके शराबी पति के कारण और उसके सिर में प्रतिदिन दर्द रहने लगा था। कभी-कभी उसका पूरा सिर घूमता रहता था तो कभी एक तरफ ही दर्द होता था।
12 मार्च 2019 को चिकित्सक ने उसे निम्न औषधि दी:
#1. CC4.10 Indigestion + CC11.3 Headaches + C11.4 Migraines + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic…TDS
रोगी को अधिक पानी पीने की सलाह दी गई और आहार में अधिक मात्रा में सब्जियां और फल खाने की हिदायत दी गई। तली हुई चीजों को खाने के लिए मना किया गया और खाना समय पर खाने की हिदायत दी गई। 1 सप्ताह बाद उसे कुछ आराम मिला, परंतु जब वह चिकित्सक के यहां काम करने पहुंची तो उसे चक्कर आने लगे और उसने काम करना बंद कर दिया।
उसे तुरंत ही निम्न औषधि दी गई.
#2. CC10.1 Emergencies… एक खुराक हर 10 मिनट पर 1 घंटे तक। उसके बाद वह सामान्य हो गई अतः #2 को बंद कर दिया गया।
एक हफ्ते बाद रोगी ने बताया कि उसके सभी लक्षणों में शत-प्रतिशत लाभ हो गया है लेकिन सिर दर्द में केवल 80% लाभ ही हुआ है। एक हफ्ते बाद सिर दर्द भी बिल्कुल ठीक हो गया था। 12 अप्रैल 2019 को खुराक को OD कर दिया गया। रोगी खुराक को कम नहीं करना चाहती थी अतः वे औषधि को OD रूप में 2 माह तक लेती रही। जून 2019 को चिकित्सक किसी अन्य क्षेत्र में चले गएI अतः चिकित्सक के यहां का काम छूट गया था। जून 2020 तक रोगी बिल्कुल स्वस्थ थी और कोई भी लक्षण दोबारा प्रकट नहीं हुआ था।
फ्रोजन शोल्डर 11620...India
जून 2019 में एक 53-वर्षीय पुरुष को बायें हाथ में दर्द होने लगा। अगले कुछ माह में दर्द इतना बढ़ गया कि वह अपनी बाहों को उठा भी नहीं पाते थे। 11 अक्टूबर 2019 को उन्होंने न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क किया। क्योंकि वह मधुमेह से भी पीड़ित है अतः संभावना यह थी कि वह फ्रोजन शोल्डर से पीड़ित है अतः डॉक्टर ने उन्हें रक्त का परीक्षण कराने की सलाह दी - HbA1C और FPG (Fasting Plasma Glucose)I दोनों परीक्षणों से यह साबित हो गया कि रक्त में शुगर सामान्य स्तर पर है। उन्हें एक दर्द निवारक औषधि दी गई जिसको उन्होंने 1 सप्ताह तक लिया तथा उन्हें अस्थाई लाभ ही मिला। 3 माह तक उन्होंने फिजियोथैरेपी भी ली परंतु उससे कोई लाभ नहीं हुआ था।
इस दौरान उन्होंने वाइब्रॉनिक्स का प्रशिक्षण पूरा कर लिया था और 2 फरवरी 2020 को वे स्वयं ही चिकित्सक बन गए थे। उन्होंने अपने लिए निम्न रेमेडी बनाई:
CC20.3 Arthritis + CC20.4 Muscles & Supportive tissue…TDS
उन्होंने अन्य कोई औषधि का सेवन नहीं कियाI 2 सप्ताह में, 70% लाभ हो गया था और वह अपनी बाईं भुजा को आसानी से उठाने में समर्थ हो गए थेI 22 फरवरी को दर्द बिल्कुल समाप्त हो गया था और वह अपनी भुजा को चारों ओर घुमाने मे समर्थ हो गए थे। खुराक को OD कर दिया गया 1 सप्ताह के लिए और 1 मार्च को उपचार बंद कर दिया। 31 जुलाई 2020 तक उन्हें यह समस्या फिर नहीं हुई थी।
As of 31 July 2020, his shoulder has been free of pain.
ओरोफेरीन्जियल डिस्फेजिया 11613...India
एक 57-वर्षीय महिला को निगलने में परेशानी होती थी। एक बार मुंह में रखी चीज को निगलने में कठिनाई होती थी। 12 मार्च 2019 को 10 दिन तक परेशान रहने के बाद उसने डॉक्टर से संपर्क किया जिसने उन्हें उक्त रोग की जानकारी दी। उसके मुंह में छाले भी थे। 5 अप्रैल 2019 परीक्षणों के बाद यह मालूम पड़ गया था कि यह मौखिक लिचेन प्लेनस, एक ऑटो-प्रतिरक्षा विकार के रूप में पुष्टि की; इसके लिए भी उपचार दिया गया। 5 महीने बाद मुंह के छाले ठीक हो गए थे और उसके लिए दी गई औषधि को 25 सितंबर 2019 को बंद कर दिया थाI चूंकि डिसफैगिया अभी भी बाकी था, अतः 26 नवंबर 2019 को एंडोस्कोपी की गई। इससे यह पता चला कि एक गांठ रूपी पतली-पतली झिल्ली श्वसन नालिका और ऐसोफागस के मध्य बन गई है। इस झिल्ली को हटाने के लिए शल्य क्रिया की आवश्यकता समझी गई। रोगी ने वाईब्रीओनिक्स उपचार कराना उचित समझा और सभी औषधियां बंद कर दी । उसने 27 नवंबर 2019 को चिकित्सक से संपर्क किया तो वह अपने स्वास्थ्य के बारे में बहुत चिंतित दिखी।
जिसने उसे निम्न औषधि दी:
C4.10 Indigestion + CC12.4 Autoimmune diseases + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC18.4 Paralysis…6TD1 सप्ताह के लिए तदोपरांत TDS
चूंकि ऐसोफागस में भोजन की गति धीमी थी शायद कमजोर मांसपेशियों के कारण अतः CC18.4 Paralysis को मिलाया गया था। 2 सप्ताह बाद 12 दिसंबर को रोगी ने बतलाया कि गले की अवरोध ठीक हो गई है। 5 जनवरी 2020 को खुराक OD कर दी गई 1 माह के लिए, तथा 5 मार्च 2020 को बंद कर दी गई। इसके अतिरिक्त उसको CC12.1 Adult tonic और CC17.2 Cleansing के मासिक चक्र पर रखा गया। सितंबर 2020 तक उसे कोई परेशानी नहीं थी।
चिंता विकार 03576...UK
15 मार्च 2019 को एक 48-वर्षीय पुरुष ने चिकित्सक से पूछा कि क्या वह उसकी मदद कर सकती है। वह पिछले 6 माह से चिंताओं से घिरा हुआ था, थकान महसूस होती थी और मूड भी बदलता रहता थाI रक्त परीक्षण से पता चला कि उसका TSH का स्तर 6.8 mIU/L था (सामान्य स्तर 0.4 से 4.0 होता है) जिससे यह प्रतीत होता था कि वह हाइपोथाइरॉएडिज्म से ग्रसित हो सकता था। डॉक्टर ने उसको कोई औषधि नहीं दी थी। परंतु हर वर्ष TSH के स्तर की जांच कराने के लिए कहा था।
1 सप्ताह के बाद वह चिकित्सक के पास गया और कहा कि कभी-कभी वह बहुत कमी महसूस करता है और अंदर से उसे खालीपन महसूस होता है। उसमें आत्मविश्वास की कमी थी और वह अन्य लोगों से उस तरह से बातचीत नहीं कर पाता था जैसे कि वह पहले किया करता था। भौतिक दृष्टि से उसके पास सब कुछ था एक प्यारा परिवार, सफल व्यापार और आरामदायक जीवन शैली। लेकिन अब वह चिंतायुक्त और चिड़चिड़ा हो गया था। इस वजह से उसकी प्रतिदिन की जीवन शैली में और व्यावसायिक जीवन में बाधाएं उत्पन्न हो गई थी। इस तरह का जीवन निर्वहन पहले नहीं किया था, उस समय भी नहीं जब उसकी बहन की 40 वर्ष में मृत्यु हो गई थी। वह 3 वर्ष पहले, उसकी शादी के 1 दिन पहले, गुजर गई थी, ।वह तनाव में था और समझ नहीं पा रहा था कि ऐसा क्या हो गया जिसकी वजह से वह मानसिक, भावनात्मक और भौतिक रूप से बदल गया था। उसे डर था कि इस वजह से उसका व्यापार उजड़ जाएगाI चिकित्सक को महसूस हुआ कि उसकी बहन की मृत्यु से संबंधित कुछ ऐसे प्रश्न हैं जो कि अभी तक अनुत्तरित है। इससे ही उसकी मानसिक स्थिति खराब हुई है यद्यपि इसके दुष्प्रभावों को उसने महसूस नहीं किया है 6 माह पहले तक। वह मल्टीविटामिंस के अलावा किसी भी प्रकार की औषधि का सेवन नहीं कर रहा था।
23 मार्च 2019 को उसे निम्न औषधि दी गई :
CC6.2 Hypothyroid + CC10.1 Emergencies + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC15.2 Psychiatric disorders…TDS
3 दिन के पश्चात, रोगी को 60% का लाभ मिल गया था। दो अन्य सप्ताह के बाद 10 अप्रैल को पारिवारिक छुट्टी मना रहा था तो उसने 90% लाभ की सूचना दी और कहा कि अब वह पहले की तरह ही महसूस कर रहा है जैसा वह 6 माह पूर्व था। 1 सप्ताह के बाद 19 अप्रैल को वह बहुत उत्साहित था और कहा कि अब वह पूर्णतया ठीक हो गया है और अपने सभी कार्य पहले की तरह करने लगा है। 17 मई को खुराक को BD दिया गया और मध्य-जुलाई तक उपचार को बंद कर दिया गयाI 23 जुलाई, 2019 को TSH स्तर भी 4 mIU/L हो गया था जिससे डॉक्टर भी सहमत था कि स्तर सामान्य हो गया है।
सितंबर 2020 तक रोगी पूर्ण स्वस्थ था और उत्साहित था।
घुटनों का ऑस्टियोआर्थराइटिस 03527...France
एक 72-वर्षीय महिला जो पहले फिजिकल एजुकेशन की अध्यापिका थी और राष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी थी, घुटने की ओस्टियोआर्थराइटिस रोग से परेशान थी। यह समस्या उसको पिछले 15 वर्षों से थी। 7 वर्ष पहले उसके दाहिने घुटने की मनिस्कुस की शल्यक्रिया हुई थीI वह सूजन कम करने के लिए औषधियों का सेवन करती रहती थी। इनका उपयोग उसने 5-6 वर्ष पूर्व बंद कर दिया था क्योंकि यह उसके गुर्दे को नुकसान पहुंचा रही थी। वह दर्द निवारक गोलियों का भी सेवन नहीं करती थी लेकिन फूड सप्लीमेंट लेती थी जैसे कि साइलेशिया, कोलागन, और करक्यूमिनI नवंबर 2017 तक उसके बाएं घुटने में इतना तीव्र दर्द होने लगा कि ना तो वह चल सकती थी और ना ही कार ड्राइव कर सकती थी। वह अपने बाएं घुटने की सर्जरी पर भी विचार कर रही थी।
वह बहुत निराश थी तभी उसने चिकित्सक से 31 मई 2018 को संपर्क किया। चिकित्सक ने उसे निम्न औषधि दी:
#1. NM2 Blood + NM3 Bone Irregularity + NM12 Combination-12 + NM20 Injury + NM22 Liver + NM40 Knees + NM59 Pain + NM63 Back-up(Booster) + NM86 Immunity + BR18 Circulation + BR21 Injury + SR348 Cortisone + SR573 Osteoporosis + potentised Codeine-Doliprane 200C...6TD पानी में।
4 सितंबर तक 20% सुधार हुआ क्योंकि दर्द अब कम हो गया थाI अतः # 1 की खुराक को TDS कर दिया गया था। उसने चिकित्सक को बताया कि उसे इस उपचार में विश्वास था। उन्होंने उसे कुछ सप्लीमेंट लेने की सलाह दी - विटामिन C, D और K2, क्योंकि उनका मानना है कि फ्रांस के अधिकांश वरिष्ठ नागरिकों में इनकी अत्यधिक कमी है। जनवरी 2019 तक उसमें लगभग एक तिहाई सुधार हो गया था।
जैसा कि चिकित्सक ने महसूस किया कि प्रगति बहुत धीमी थी, उन्होंने कॉम्बो को संशोधित किया:
#2. NM3 Bone Irregularity + NM40 Knees + NM59 Pain + OM5 Circulation + BR18 Circulation + SM28 Injury + SM36 Skeletal + SR348 Cortisone + SR573 Osteoporosis + potentised Codeine-Doliprane 200C...TDS पानी में।
अप्रैल तक उसको 80% लाभ हो गया था। जून तक दर्द पूरी तरह ठीक हो गया था। अब वह आराम से चल सकती थी और कार भी चला सकती थी। उसने शल्यक्रिया नहीं करवाई और वाईब्रिओनिक्स के प्रति आभार प्रकट किया। 4 जुलाई से 30 सितंबर 2019 के बीच खुराक को कम करते हुए उपचार को बंद कर दिया। मई 2020 में उसने एक कार्ड भेजा चिकित्सक को जिसमें लिखा था, “मेरा घुटना अभी तक बहुत ठीक है, मैं बहुत खुश हूँ”I सितंबर 2020 के अंत तक जब चिकित्सक ने उसे अपडेट के लिए बुलाया तो उसने कहा कि मुझे अब दर्द नहीं है। यह एक चमत्कार है।
चिकित्सक सभी को यह बतलाना चाहती है कि पोटेनटाईजड दर्द निवारक Codeine-Doliprane (paracetamol) दर्द वाले व्यक्तियों को बहुत लाभ पहुंचाती है।
108CC बॉक्स का उपयोग करने वालों को CC12.1 Adult tonic + CC20.1 SMJ tonic + CC20.2 SMJ Pain + CC20.5 Spine + CC20.6 Osteoporosis देना चाहिए।
दर्दनाक बवासीर 03592...South Africa
एक 50-वर्षीय महिला पिछले 5 वर्षों से दर्द युक्त बवासीर से परेशान थी। उसको कब्ज़ भी रहता था। डॉक्टर ने उसको शल्यक्रिया कराने के लिए कहा था परंतु डर के मारे उसने मना कर दिया। पिछले 3 वर्षो से वह एलोपैथिक औषधियों का सेवन कर लेती थी जब उसको अधिक तकलीफ महसूस होती थी लेकिन इससे उसको विशेष लाभ नहीं होता था।
उसने वाईब्रिओनिक्स उपचार कराने का मानस बनाया और 10 अप्रैल 2020 को चिकित्सक से संपर्क किया। चिकित्सक ने उसे निम्न औषधि दी: CC4.4 Constipation…TDS
रोगी अन्य किसी औषधि का सेवन नहीं कर रही थी। 29 अप्रैल को उसको कब्ज़ और दर्द में 25% की कमी महसूस हुई। और दो हफ्तों के बाद 15 मई को उपचार में 50% का लाभ हो गया था। मस्से सूखकर लगभग आधे हो गए थे। अगले 2 सप्ताह में और सूख गए थे। 1 जून को रोगी पूर्ण स्वस्थ हो गई थी। उसको बिल्कुल भी दर्द नहीं हो रहा था। कब्ज और मस्से दोनों ठीक हो गए थे। रोगी का वर्षों पुराना पेट में मरोड़ होना और मासिक धर्म में अत्यधिक रक्त स्त्राव भी ठीक हो गए थे।वह बहुत खुश थीI खुराक को 3 माह के दौरान BD, OD, 3TW और 2TW किया गया। 31 अगस्त 2020 को रोगी ने उपचार बंद कर दिया। यह दर्दयुक्त अनुभव उसकी याददाश्त से ही गायब हो गया था! अक्टूबर 2020 तक रोगी को कोई परेशानी नहीं हुई थी।
बार-बार पाइल्स होना 11615...India
एक 50 वर्षीय महिला के मल में खून आता था तथा उसके गुदा क्षेत्र और पेट में तीव्र दर्द होता था। यह परेशानी उसे 3 सप्ताह से थी। पहली घटना जब हुई थी तो मल में खून नहीं था। उसे बताया गया कि यह मस्सों के कारण है यह घटना 1996 की है। उसने 15 दिन तक होम्योपैथिक उपचार लिया और वह ठीक हो गई थी। यही घटना फिर जून 2017 में हुई। उसने उसी चिकित्सक से उपचार लिया और ठीक हो गई। तीसरी बार यह घटना अगस्त 2019 में हुई। पहले वाली चिकित्सक से मुलाकात ना होने के कारण उसने एलोपैथिक डॉक्टर से संपर्क किया जिसने शल्यक्रिया कराने के लिए कहा। परंतु वह शल्यक्रिया कराना नहीं चाहती थी। अतः उसने अपने आप होम्योपैथिक औषधि Aesculus 200 का सेवन कर लिया। परंतु उसे कोई लाभ नहीं हुआ।
24 अगस्त 2019 को वह वाइब्रो चिकित्सक के पास गई जिसने उसे निम्न औषधि दी:
#1. CC4.4 Constipation + CC4.6 Diarrhoea + CC4.8 Gastroenteritis + CC4.10 Indigestion + CC8.1 Female tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic…हर 10 मिनट के अंतराल पर 1 घंटे तक उसके बाद 6TD
26 अगस्त को रक्त बंद ना होने के कारण और गुदा क्षेत्र में दर्द होने के कारण #1 को संशोधित करके निम्न औषधि दी गई, हालाँकि पेट दर्द में आराम था :
#2. CC3.2 Bleeding disorders + CC20.4 Muscles & Supportive tissue + CC21.11 Wounds & Abrasions + #1… हर 10 मिनट के अंतराल पर 1 घंटे तक उसके बाद 6TD
2 दिन बाद रोगी ने सूचना दी कि रक्त बंद हो गया है और गुदा क्षेत्र का दर्द भी 50% कम हो गया है। 2 सितंबर तक दर्द 90% कम हो गया था, अतः खुराक को TDS कर दिया गया।20 सितंबर तक सभी परेशानियां दूर हो गई थी, अतः खुराक को OD कर दिया गया। 15 अक्टूबर को रोगी ने उपचार को बंद करने का मानस बना लिया। 3 नवंबर को वह चिकित्सक के पास अन्य समस्याओं के लिए गई। उसको कमर दर्द, घुटने में दर्द, सामान्य कमजोरी और अनियमित मासिक धर्म की शिकायत थी।
यह ध्यान रखते हुए कि उसका मासिक बंद होने के कगार पर है और वह पहले ही बंद हो गया है #2 के स्थान पर औषधि #3 दी गई जो इस प्रकार है:
#3. CC3.2 Bleeding disorders + CC4.4 Constipation + CC8.6 Menopause + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC20.4 Muscles & Supportive tissue + CC20.6 Osteoporosis…TDS
16 दिन में ही उसके सारे लक्षण समाप्त हो गए थे अतः 19 नवंबर को औषधि #3 की खुराक को OD कर दिया गया तथा 4 दिसंबर को 2TW कर दिया गया। 2 दिन बाद गुदा क्षेत्र में पुनः दर्द शुरू हो गया अतः खुराक को पुनः TDS कर दिया। 1 सप्ताह के बाद दर्द समाप्त हो गया था। एक माह तक इंतजार करने के बाद कि दर्द फिर से शुरू ना हो जाए, 14 जनवरी 2020 को खुराक को OD कर दिया। फिर 5 सप्ताह के दौरान खुराक को कम करते हुए OW कर दिया गयाI 17 फरवरी 2020 को उसे CC15.1 Mental & Emotional tonic…TDS एक माह तक फिर CC12.1 Adult tonic + CC17.2 Cleansing 1 माह तक। इसी क्रम में इसे 1 वर्ष तक लेना था। औषधि #3 को चालू रखा गया । अक्टूबर 2020 तक वह पूर्ण स्वस्थ थी।
कोविड-19 11613...India
एक 83 वर्षीय पुरुष को 28 वर्षों से अस्थमा की शिकायत थी। वह इन्हेलर और नेबुलाइजर का प्रयोग करता था। वह औषधि imitinab* का भी सेवन करता था (यह एक कीमोथेरेपी औषधि है जो कैंसर सेल को बढ़ने की गति को कम कर देती है।) रक्त कैंसर के लिए जिसका निदान 10 वर्ष पूर्व किया गया था। 12 जुलाई 2020 को उसको 101º F ज्वर हो गया और सांस लेने में भी सामान्य की अपेक्षा परेशानी होने लगी थी। लक्षण 4 दिनों तक बने रहे। उसके परिवार वालों ने पल्स ऑक्सीमीटर से रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा का पता लगाया जो 89 आया। (सामान्य स्तर 95% से 100% तक होता है चूंकि वह अस्थमेटिक था अतः यह स्तर 92% होना चाहिए था।) उसको 16 जुलाई को तुरंत ही हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया वहां उसे ऑक्सीजन दी गई। परीक्षण करवाने पर वह कोविड पॉजिटिव निकला। अतः उसको विटामिन C,जिंक और कैल्शियम की गोलियां दी गई, इसके अलावा प्रतिदिन IV इंजेक्शन भी दिए गए शायद एंटीवायरल के जिसका खुलासा हॉस्पिटल वालों ने नहीं किया।
3 दिन बाद 19 जुलाई 2020 को ज्वर कम होकर 99.5º F हो गया था परंतु ऑक्सीजका स्तर और कम हो गया था 84%I परिवार के किसी सदस्य ने तुरंत ही चिकित्सक से संपर्क किया जिसने उसे इम्यूनिटी बूस्टर दिया:
CC4.1 Digestion tonic + CC4.8 Gastroenteritis + CC9.4 Children’s diseases + CC10.1 Emergencies + CC13.1 Kidney & Bladder tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC19.3 Chest infections chronic + CC19.6 Cough chronic + CC19.7 Throat chronic… हर 10 मिनट के अंतराल पर 2 घंटे तक तत्पश्चात 6TD
अगले ही दिन ज्वर 99º F हो गया था । उनकी पाचन शक्ति बढ़ गई थी और ताकत भी आ गई थी। 3 दिन के बाद, 22 जुलाई को परीक्षण फिर पॉजिटिव आया और ऑक्सीजन लेवल भी 84 प्रतिशत था। अतः उनको ऑक्सीजन दी जाती रही। चार दिन बाद 26 जुलाई को उसका परीक्षण नेगेटिव हो गया था तथा ऑक्सीजन का स्तर 98% हो गया था। उनको हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई थी। डॉक्टर आश्चर्यचकित थे कि जिसे अस्थमा और कैंसर जैसे रोग थे, 83 वर्ष की आयु होते हुये 10 दिन में ही बिल्कुल ठीक हो गया था। 5 अगस्त से खुराक को क्रमशः TDS, BD, OD करते हुए 10 सितंबर 2020 को उपचार बंद कर दिया गया।
चिकित्सकों का परिचय 11621...India
चिकित्सक 11621…भारत 2014 से SSSIHL बृंदावन में बायोसाइंसेज में सहायक प्रोफेसर के रूप में सेवा हैं, वर्तमान में कैंपस समन्वयक भी हैं। उन्होंने अपना पहला दर्शन तब किया जब स्वामी 1989 में कोयम्बटूर में पोदनूर समिति में गये थे। वह बालविकस समूह का हिस्सा थे जिन्होंने नृत्य नाटिका का प्रदर्शन किया जिसके बाद स्वामी ने उन्हें विभूति सर्जित करके दी थी। बाबा ने उन सब के साथ एक फोटो भी खिंचवाई थी। स्वामी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अपने बालविकास गुरुओं से प्रेरित होकर, उन्होंने साईं छात्र बनने की आकांक्षा की। उनकी यह इच्छा उस समय फलीभूत हुई जब उन्होंने स्वामी की संस्था में 1996 में स्नातक स्तर के छात्र के रूप में प्रवेश लिया और वर्ष 2001 में स्नातकोत्तर की उपाधि भी वहीं से प्राप्त की। इसके पश्चात वर्ष 2008 में उन्होंने JNCASR बेंगलुरु से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
अपने छात्र जीवन से ही उन्होंने सेवा गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया था - भजनों में भाग लेते थे और यदा-कदा छोटी वार्ता भी देते थे तथा सत्संग का भी आयोजन करते थे। अभी वह युवाओं के परामर्शदाता है, वह उनके लिए जागरूकता पाठ्यक्रम का संचालन करते हैं, साप्ताहिक तौर पर स्वयं के विकास पर कार्यक्रम आयोजित करते हैं। अभी वह आर्ट्स गैलरी और स्व-निर्भरता टीम और ड्रामा-सेट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। वृंदावन छात्रावास में पारंपरिक एलोपैथिक उपचार के प्रति अरुचि के कारण उन्होंने स्वामी से प्रार्थना की। वृंदावन में मासिक आयुर्वेदिक शिविर के दौरान वरिष्ठ चिकित्सक केवल एक या दो छात्रों को ही देख पाते थे क्योंकि हर छात्र का मुआयना करने में 20 से 30 मिनट का समय लग जाता था। अत: चिकित्सक ने उस विद्या को सीखने का मन बनाया परंतु इसमें अधिक समय की आवश्यकता होने के कारण वह ऐसा नहीं कर पाए। इस सेवा को करने के लिए उन्हें कोई अच्छा होम्योपैथ भी नजर नहीं आया। लगभग 2 वर्षों के बाद स्वामी से प्रार्थना करने के उपरांत एक ध्यान सत्र के समाप्त होने पर उनकी मुलाकात एक चिकित्सक11595 से हुई, वह ग्रुप के किसी सदस्य को गोलियों की बोतल दे रहे थे। उन्हें पता चला कि यह वाईब्रिओनिक्स औषधि है जिसे स्वामी के मार्ग निर्देशन में बनाया गया है जो सबसे महत्वपूर्ण बात थी कि रोगी ने कहा कि “यह चमत्कारी है और मुझे इस से तुरंत ही लाभ प्राप्त होता है”। चिकित्सक से उत्साहित होकर उन्होंने वेब साइट पर ढूंढना शुरू कर दिया और प्रशिक्षण हेतु आवेदन कर दिया और उनको प्रवेश दे दिया गया। ई-कोर्स के दौरान ही उन्हें औषधि के प्रभाव का अनुभव हो गया जब उसी चिकित्सक ने उनके छींकने और लगातार गले में संक्रमण का उपचार किया। स्वयं की चिकित्सा से प्रभावित होकर उन्होंने बहुत से छात्रों को जानकारी दी कि वे फोन द्वारा चिकित्सक से परामर्श कर सकते हैं और वह स्वयं औषधि
लेकर वित्तरित कर देंगे।
उन्होंने नवम्बर 2019 में AVP का प्रशिक्षण पुट्टापर्थी में लिया। उन्होंने जो पहली रेमेडी बनाई वह है, CC1.1 Animal tonic + CC1.2 Plant tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic जिसको उन्होंने स्वामी को उनकी फोटो पर रखकर, पूरे विश्व की शांति के लिए, समर्पित किया था! रोगियों के साथ उनकी सेवा बहुत ही नाटकीय रूप से शुरू हुई, जब वह अपनी कार्यशाला से टैक्सी से लौट रहे थे तो उन्होंने एक दुर्घटना को देखा जिसमें एक महिला अपने पुत्र की बाइक से गिरकर सड़क पर पड़ी हुई थी। वह अर्ध चेतनावस्था में थी, रक्त बह रहा था और दर्द से कराह रही थी। चिकित्सक ने तुरंत ही अपनी जेब में रखी इमरजेंसी औषधि (कार्यशाला में दृढ़ता से अनुशंसित एक अभ्यास) को निकालकर महिला को खिलाई और अपनी टैक्सी से उसे अस्पताल ले गए। वह स्वामी के प्रति अत्यधिक आभारी हैं कि उन्हें अपने पहले रोगी का उपचार करने का अवसर प्राप्त हुआ।
वृंदावन वापस आने के बाद, उन्होंने हॉस्टल में छात्रों की चिकित्सा सेवा शुरू कर दी। बहुत जल्दी छात्रों को इस चमत्कारी औषधि के बारे में जानकारी मिल गई तथा वह चिकित्सक के पास पहुंचने लगे। इस कारण से वह अत्यंत व्यस्त हो गए और इससे उन्हें अवसर मिल गया कि छात्रों को भी वह इस सेवा कार्य से जोड़ दें। उन्होंने 12 छात्रों की एक टीम बनाई और उन्होंने गोलियों को शीशी में डालकर, उपचार लेने के निर्देशनों के साथ, जरूरतमंदों में वितरित करने का काम दे दिया। सामान्य प्रकार के रोगों के लिए रेमेडीज को थोक में बनाया जाने लगा जैसे कि -दस्त, कब्ज, माइग्रेन, सिरदर्द, बुखार, खांसी और सर्दी। जब कभी भी आपातकालीन आवश्यकता होती तो छात्र चिकित्सक से पूछ कर विशिष्ट कॉम्बो की रेमेडी को रोगी को दे देते थे। इस प्रकार से सामान्य रोगों का उपचार किया जाने लगा।
जनवरी 2020 में वार्षिक खेलकूद के समय सभी छात्र पुट्टपर्थी चले गए। वहां पर दिन भर काम करने के कारण उन्हें सामान्य चोट लग जाती थी। ऐसे समय में वाइब्रॉनिक्स के द्वारा ही उनका उपचार कर दिया जाता था। सभी प्रकार के दर्द का कॉम्बो, CC3.7 Circulation + CC10.1 Emergencies + CC18.5 Neuralgia + CC20.3 Arthritis + CC20.4 Muscles & Supportive tissue + CC20.5 Spine + CC20.7 Fractures का निर्माण किया गया था चिकित्सकों के गुरु11583 के मार्गदर्शन में। इसको सरसों के तेल में मिलाकर, मांसपेशियों में क्रेम्पस और चोट के लिए, बाह्य उपयोग में लिया जाता था । बाद में इन्हीं पिल्स को पानी में घोलकर प्रभावित क्षेत्र पर छिड़काव कर दिया जाता था। इस कॉम्बो को कई बार उपयोग में लिया गया और इससे उपचार कभी भी असफल नहीं हुआ। चिकित्सक ने एक केस का वर्णन किया जिसमें रोगी रात्रि को 2:00 बजे, उसके टखने में अत्यधिक दर्द होने के कारण उठ जाती थी। पहले जब कभी ऐसा होता था तो वह दर्द निवारक गोली का सेवन कर लेती थी। इस बार उसने 1 दिन पूर्व तैयार की गई रेमेडी को प्रभावित स्थान पर लगा लिया। उसका दर्द 2 मिनट में ही ठीक हो गया! वह इस उपचार से इतनी प्रभावित हुई कि वह अपने पैरों पर इसका आवश्यकता पड़ने पर उपयोग करने लगी और उसने दर्द निवारक गोली का सेवन कर बंद कर दिया। उसके उम्र दराज पिता के लिए तो यह आकर्षण की चीज हो गई थी। वह उन्हें घुटने के दर्द में तुरंत आराम प्रदान कर देती थी।
चिकित्सक ने एक और रेमेडी तैयार की जो विशेषकर छात्रों के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हुई: Boys Wellbeing combo जो शुरू में एक तृतीय वर्ष के छात्र के लिए तैयार की जिसका आत्मविश्वास अत्यधिक कमजोर पड़ गया था। इस छात्र को गिटार बजाने में महारत थी और उसका चयन, एक ऑर्केस्ट्रा प्रतियोगिता के लिए, एक 15 सदस्यीय टीम में हो गया था । मंच पर कार्यक्रम प्रस्तुत करने का उसका यह प्रथम प्रयास था। उस छात्र ने कहा कि “मैं बहुत नर्वस महसूस कर रहा हूं मेरे हाथों और हथेलियों से पसीना आ रहा है। मेरे लिए गिटार बजाना असंभव लग रहा है। मैं गलती करके पूरी टीम का नुकसान नहीं करना चाहता हूं। मैं अपनी टीम को पराजित होते हुए नहीं देख सकता हूं। मैं क्या करूं”? प्रतियोगिता रविवार को होनी थी और उसको गुरुवार को ‘स्टेज प्रदर्शन के डर’ को दूर करने के लिए रेमेडी दी गई: CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC17.3 Brain & Memory tonic. उसने गिटार इतना अच्छा बजाया कि टीम विजेता बन गई। यह रेमेडी ‘Wellbeing combo’: CC4.1 Digestion tonic + CC12.1 Adult tonic + CC14.1 Male tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC17.3 Brain & Memory tonic का एक अंश थी।जिसके लिए छात्र परीक्षा से पूर्व मांग करते हैं तथा सामूहिक प्रस्तुति के समय भी मांग करते हैं। बाद में इस रेमेडी को थोक में तैयार करके सभी 28 कमरों में एक-एक बोतल रखवा दी गईI कमरे का प्रधान प्रतिदिन पानी में रेमेडी को तैयार करता था और प्रत्येक छात्र को उसका एक घूँट प्रतिदिन लेना आवश्यक था।
अप्रैल 2020 में शैक्षिक सत्र समाप्त होने के कारण छात्र वापस अपने घर जाने की तैयारी कर रहे थे उसी समय कोविड-19 तेजी से फैल रहा था। काफी संख्या में इम्यूनिटी बूस्टर की शीशियां तैयार की गई और उनको छात्रों में उनके परिवार में बांटने के लिए वितरित की गई। उन्हें एक हृदयस्पर्शी घटना की याद आ गई जब एक शीशी छात्र के पिता को कोरियर के द्वारा भेजी गई थी, उनको कोविड-19 के लक्षण थे, बुखार था, सुनने की शक्ति कम हो गई थी और स्वाद भी नहीं आता था और कुछ भी अच्छा नहीं लगता था। वह होम्योपैथिक उपचार ले रहे थे और जिसे उनके पुत्र ने उनको बंद करने के लिए कहा था। उन्होंने इम्यूनिटी बूस्टर खुराक को SOS लेना शुरू कर दिया था, एक घूँट 10 मिनट में 2 घंटे तक रात्रि में और 1 घंटे तक अगली सुबह। 12 घंटे में ही उनके पिता पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गए थे, उन्होंने कहा था कि मुझे कमरे में कपूर की गंध आ रही है। छात्र की मां तो रोने लगी थी जब उन्होंने चिकित्सक को पूरी घटना की जानकारी फोन पर दी थी। इम्यूनिटी बूस्टर को बहुत से लोगों को दिया गया है इस रोग से बचने के लिए और उनका इस रोग से बचाव हुआ है। प्रशिक्षण के दौरान यह बताया गया था कि वाईब्रिओनिक्स से उन लोगों का भी उपचार हो जाता है जिनके बारे में मनुष्यों को अभी तक पता नहीं है जैसे कि कोविड-19 जिसका उपचार इस औषधि द्वारा हो रहा है।
लॉकडाउन के दौरान जब चिकित्सक पिल्स और बाटल्स प्राप्त नहीं कर सकते थे तो स्थानीय चिकित्सकों ने इसकी भरपाई कर दी और कार्य लगातार चलता रहा। यह कार्य अभी तक निरंतर चल रहा है। औषधि को डाक द्वारा भी भेजा जा रहा है जबकि प्रशिक्षण का कार्य अब वर्चुअल विधि से हो रहा है। वह अब उन चिकित्सकों के साथ कार्य कर रहे हैं जिन्होंने एक अपना नेटवर्क बनाया हुआ है जिसके द्वारा वह औषधि को बाहर भेजते हैं। उन्होंने अपने परिवार वालों, मित्रों और सहयोगियों को भी इस औषधि की जानकारी दी है।
दूसरों की बीमारी और दुखों को देखकर चिकित्सक यह अनुभव करते हैं कि ईश्वर की अथाह कृपा से व्यक्ति समग्र रूप से अधिक स्वास्थ्य-सचेत हो गये है। वह अपने विचारों, शब्दों और कार्यों के प्रति अधिक जागरूक हो गए हैं। इससे उनकी साधना में दिन-प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है। वह यह भी अनुभव करते हैं कि रेमेडी उस समय अधिक असर करती है जब चिकित्सक रोगी के दर्द को अपना दर्द समझे तभी वह दिव्य चैनल का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
चिकित्सक का कहना है कि हमें अक्सर स्वामी के शब्दों को दोहराते रहना चाहिए, “सेवा करो क्योंकि तुमसे प्रेम के साथ आग्रह किया गया है...” 108CC पुस्तक के प्रथम पृष्ठ पर लिखा है आधार का प्रेम से स्पर्श करो वह तुम्हें सेवा और आत्म निरीक्षण का अवसर प्रदान करेगा। वह यह अनुभव भी करते हैं कि साईं वाईब्रिओनिक्स उनके लिए स्वामी का एक अनुपम उपहार है। अपनी पत्नी के साथ ‘साईं केंद्रित जीवन’ की आकांक्षा को वह स्वामी की कृपा से जी रहे हैं। वह स्वामी के सभी छात्रों की हर प्रकार से मदद कर रहे हैं जिससे कि वह अच्छा नेतृत्व कर सके और आने वाली पीढ़ी के लिए वाइब्रेशन उपचार के लिए मार्गदर्शन कर सकें।
अनुकरणीय उपचार :
चिकित्सकों का परिचय 11597...India
चिकित्सक11597…भारत यह चिकित्सक एक निपुण शिक्षाविद है। तीन प्रतिष्ठित स्कूलों में प्रिंसिपल रहने के बाद सेवानिवृत हुई है। वह बीएड और एमफिल अंग्रेजी में डिग्री प्राप्त कर चुकी हैं। वंचितों को शिक्षा प्रदान करना उनका स्वभाव रहा है। उनका पहला कार्य एनजीओ की मदद से शाम के समय वंचित बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के कामों को समन्वय करना रहा है। इसके बाद वह दिन में स्कूल में शिक्षा प्रदान करने का कार्य करती थी और उसके बाद उन्होंने इसे अपना व्यवसाय ही बना लिया। लगभग 40 वर्षों तक शिक्षा प्रदान करने का इन्हें अनुभव है। इन्होंने कई वर्षों तक अपने आप को आशा भारत से जोड़कर शिक्षा प्रदान करने का कार्य किया है। शिक्षा के क्षेत्र में इन्होंने आलकोट मेमोरियल स्कूल की मदद की है और बालवाड़ी पाठ्यक्रम (ग्रामीण पूर्वस्कूली के लिए) को समृद्ध किया है। यह सब संस्थाएं वंचित बच्चों और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों के लिए कार्य करती हैं। एक ना भूलने वाली घटना उस समय घटित हुई जब वह 1984 में, युवा हेडमिस्ट्रेस थी। स्कूल में समारोह के दौरान मदद टेरेसा ने उन्हें बुलाया और उनके सिर पर हाथ रख कर आशीर्वाद दिया। वर्ष 2013 में शिक्षा में उनके योगदान के लिए रोटरी क्लब ने उन्हें ‘नेशनल बिल्डर’ का पुरस्कार दिया।
वह अपने बचपन से ही सेवा के यह समर्पित रही हैं, वह बचपन से ही वृद्धा आश्रम में जाती थी। बाद में सेवा के पदाधिकारी की पत्नी होने के कारण उन्होंने सैनिकों के लिए कल्याण केंद्र की स्थापना की। वर्ष 2014 में उन्होंने कुछ समय के लिए विद्या वाहिनी में भी कार्य किया है। उन्होंने आश्रम में रहने वालों के लिए संचार कौशल को बढ़ाने के लिए आध्यात्मिक संगठन भी बनाया है।
उनके पति जो सेना में एक अनुकरणीय ऑफिसर थे, शिर्डी बाबा के अनन्य भक्त थे वह उनकी पूजा में सदैव साथ देती थी। वर्ष 2004 में उनके पति अचेतन अवस्था में चले गए। इस दुर्घटना के फलस्वरूप वह अनायास ही सत्य साईं की धारा में प्रवाहित हो गए। वह अपनी छोटी पुत्री के साथ गुरु पूर्णिमा के अवसर पर वर्ष 2004 में पुट्टपर्थी जाने में कामयाब हो गई। उसी समय से वह स्वामी के मार्गदर्शक हाथों को अपने परिवार के इर्द-गिर्द देखती हैं जो उन्हें व्यवहारिक और आध्यात्मिक स्तर पर आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। भौतिक दुख दर्द और बेबसी को उसने देखा है और झेला है जो उसके पति की मृत्यु तक वर्ष 2006 तक चलाI इस दुर्घटना से उसने दुखियों के दर्द को समझा। यद्यपि उस समय वह अपने घर को संभालने और बच्चों का सहारा बनने में व्यस्त थी।
सितंबर 2015 में वह बेंगलुरु चली गई वहां पर उन्होंने एक क्लीनिक के बाहर एक बोर्ड देखा वृंदावन व्हाइटफील्ड में। इसमें उनका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया जिस पर लिखा था वाईब्रिओनिक क्लीनिक। यह केवल क्षणभंगुर परिचय था। उनकी वास्तविक यात्रा वाईब्रिओनिक्स के साथ 2017 में शुरू हुई जब वाईब्रिओनिक्स वेबसाइट उनके सामने अपने आप खुल गई। वह AVP फरवरी 2018 में बनी सेवानिवृत्ति के कुछ पहले और VP बनी 13 माह के बाद। अभी तक उन्होंने लगभग 1000 रोगियों का उपचार किया है, बहुत प्रकार के रोगों का। इसके अतिरिक्त वह प्रशासनिक कार्यों में भी योगदान करती हैं जब कभी भी आवश्यकता पड़ती है विशेषकर प्रतिलिपि तैयार करने में। वह सदैव चिकित्सक11210 की व्हाइटफील्ड हॉस्पिटल के वैलनेस क्लिनिक में मदद करती रहती हैं और प्रलेखन प्रक्रिया तथा समाचार पत्र के अतिरिक्त कॉलम को लिखने में भी अपना योगदान प्रदान करती हैं।
मार्च 2019 में IASVP की सदस्य बनने के बाद उन्होंने चिकित्सक10354 के साथ अपनी एक टीम बना ली है और उनके साथ वह शिर्डी बाबा बेंगलुरु के मंदिर में उनके साथ रोगियों का उपचार करती हैं। उन्होंने यह महसूस किया है की त्वचा और पाचन तंत्र के रोगी वाईब्रिओनिक्स उपचारों से बेहतर हो जाते हैं, लेकिन फिर कुछ और समस्या सामने आती है। इसका मुख्य कारण उनके मतानुसार उनके रहने के स्थान पर स्वास्थ्य वातावरण का ना होना हो सकता है। वह रोगियों को इस संबंध में आवश्यक सलाह भी देती हैं और उनसे बचने के लिए रेमेडीज भी देती हैं विशेषकर जब जल जनित बीमारियां अनियंत्रित हो जाती हैं। उनके अनुसार कैंप में उपचार लेने वाले रोगियों में से केवल एक तिहाई रोगी ही निर्देशित खुराक का सेवन करते हैं, आवश्यक निर्देशों का पालन करते हैं और समय पर अपनी बोतल को भरवातें हैं, जबकि इन्हीं लोगों को इन से अधिक लाभ प्राप्त होता है। उदाहरण के लिए 2 रोगी जो जीर्ण सोरायसिस से पीड़ित हैं को अप्रत्याशित लाभ हुआ जबकि दूसरे उपचारों से लाभ नहीं हुआ था।
चिकित्सक को अभी भी लाभ की गणना करना सीखना है। कभी-कभी ऐसा होता है कि देखने से लगता है कि रोगी ठीक हो रहा है परंतु रोगी के अंदर कुछ ऐसे सकारात्मक परिवर्तन होते हैं जिनके कारण रोगी रोग मुक्त हो जाता है। वह कहती हैं कि अधिकतर रोगों का कारण संचार तंत्र में अवरोध होता है और उनके मतानुसार CC3.7 Circulation को मिला देने से उपचार शीघ्र होने लगता है। वह रोगी का पूरा विवरण संभाल कर रखती है जिसकी वजह से रोगी को दोबारा आने पर उपचार में सहूलियत होती है। यह विशेषकर उन रोगियों के साथ होता है जिन्हें पुल आउट की समस्या हो जाती है। यह संख्या लगभग 8% होती है।
गुरुओ के कार्य ने उसे यह सिखाया है कि यदि चिकित्सक समर्पण भाव के साथ, बातचीत के समय शांति से समस्याओं को सुनता है और पूर्णतया पल में होने के नाते, रोगी को गहरे स्तर पर जुड़ने में मदद करता है। वह खुद को रोगी के साथ अधिक सहानुभूति रखना चाहती है। वह रोगी के लिए एक अच्छा रोल मॉडल है क्योंकि वह अपने आप को चुस्त-दुरुस्त रखती है। इस हेतु वह प्रतिदिन व्यायाम करती है और संतुलित भोजन करती है। वह हर कार्य को मन लगाकर अच्छी तरह से करती है। वह अपने आपको लाइफ कोच समझती है ना कि एक चिकित्सक। अतः अपने रोगियों को स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक बातें बताती रहती है, यह उनकी प्रकृति ही बन गई है। जो चाहते हैं अपनी जीवनशैली को बदलना (केवल 10℅) उन्हें उसके बारे में भी बतलाती है।
चिकित्सक का अपना मत है कि समाज के हर क्षेत्र के रोगी एलोपैथिक उपचार को पसंद नहीं करते हैं उसके दुष्प्रभावों और जटिलताओं के कारणI अत: वर्तमान समय में ‘वाईब्रिओनिक’ एक आवश्यक ‘उपचार’ बन गया है।
अनुकरणीय उपचार :
प्रश्नोत्तर
प्र.1. क्या इम्यूनिटी बूस्टर उस रोगी को दिया जा सकता है जो ऑटोइम्यून रोग जैसे कि रूमेटाइड अर्थराइटिस या सोरायसिस से पीड़ित है? ऐसे रोगों में रोगी इम्यूनिटी कम करने की औषधियों का सेवन भी कर सकता है?
उ. हाँ, रोगी सुरक्षित रूप से इम्यूनिटी बूस्टर का सेवन कर सकता है। इस दवा में वायरस जिन अंगों पर प्रभाव डालता है उसी के अनुसार काम्बोज को मिलाया गया है। यह बूस्टर उन अंगों को शक्ति प्रदान करता है जो वायरस से प्रभावित होते हैं। हां यह ईथर स्तर पर इम्यूनिटी को बढ़ाता है जो कोविड और कीटाणु आदि वायरस से सुरक्षा प्रदान करता है। इसलिए इम्यूनिटी बूस्टर इम्यूनोसपरेसिव उपचार में भौतिक स्तर पर कोई अवरोध पैदा नहीं करता है। कुछ चिकित्सकों से ऐसी सूचनाएं प्राप्त हुई है जिसमें गठिया से प्रभावित लोगों को इम्यूनिटी बूस्टर दिया गया लेकिन उसका कोई दुष्प्रभाव नहीं हुआ।
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प्र.2. क्या कोविड के लिए दिए गये इम्यूनिटी बूस्टर से पुल आउट हो सकता है?
उ. हाँ, सिद्धांत की दृष्टि से। क्योंकि कॉन्बो अन्य औषधियों के समान ही एक औषधि है। लेकिन पुल आउट की संभावना, तीव्र कोविड के साथ, बहुत कम होती हैI यदि इम्यूनिटी बूस्टर को बचाव की दृष्टि से दिया जाता है तो पुल आउट (अत्यधिक कम संभावना) सिर दर्द या थकान के रूप में सामने आ सकता है जो 2 दिन से अधिक नहीं रहता है। इम्यूनिटी बूस्टर को OD रूप में देते रहे।
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प्र.3. मेरे पास 108 सीसी बॉक्स 2 वर्षों से है। इसको रिचार्ज करने की आवश्यकता है। मेरे निकट कोई भी चिकित्सक नहीं है। मैं क्या करूं?
उ. वाइब्रेशन को दो और वर्षों तक सक्रिय रखा जा सकता है। प्रत्येक बोतल को अपने दाएं हाथ में पकड़े और उसको बाई हथेली पर 9 बार, प्रार्थना करते हुए, ठकठकायें, जो वाइब्रेशन अक्रिय हो गए हैं वे फिर से, 6 माह के लिए, सक्रिय हो जाएंगे। इस तरीके को 4 बार रिपीट किया जा सकता है। अपने बॉक्स को रेडिएशन से दूर रख कर उसकी सुरक्षा करें और यह भी सुनिश्चित करें कि बोतल सूख ना जाए। हर 3 माह में प्रत्येक बोतल की जांच करें। औषधि कम होने पर उसको फिर से भर दे।
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प्र.4. जो लोग भारत जाते हैं मैं उन्हीं के द्वारा अल्कोहल की बोतल मंगवाता हूं। कुछ बॉटल सूखने लगी है और कोई भी व्यक्ति भारत जाने वाला नहीं है, मैं क्या करूं?
उ. हम एथिल अल्कोहल >96% प्रतिशत शुद्धता का उपयोग करते हैं। कुछ देशों में ग्रेन अल्कोहल शुद्ध अवस्था का मिल जाता है। यदि यह भी संभव नहीं हो तो आप साफ शराब का उपयोग कर सकते हैं जैसे कि जिन, वोडका (45% एल्कोहल) अस्थाई रूप से। कम शुद्धता वाले अल्कोहल के साथ परेशानी यह है कि जब उसे गोलियों में डाला जाता है आसानी से वाष्पित नहीं हो पाती हैं विशेषकर जब हम एक ही बोतल में कई काम्बोज मिलाते हैं तो गोलियां पिलपिली हो जाती हैं। इस समस्या से बचने के लिए एक खाली शीशी में प्रत्येक काम्बो की एक-एक बूंद डालें फिर इस मिश्रण में से एक बूंद गोलियों में डालकर रेमेडी तैयार करें। इसी प्रकार का प्रश्न समाचार पत्र सितंबर/ अक्टूबर 2014, वॉल्यूम 5,#5.1, में पूछा गया थाI
चेतावनी! उपचार बनाने के लिए हमें अल्ट्रा अल्कोहल, या मिथाइल अल्कोहल का उपयोग नहीं करना चाहिए, जिसे आमतौर पर रबिंग अल्कोहल के रूप में जाना जाता है, क्योंकि दोनों आंतरिक रूप से लिए जाने पर जहरीले होते हैं। केवल एथिल अल्कोहल का उपयोग करें, जिसे इथेनॉल भी कहा जाता है।
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प्र.5. क्या मैं पोटेनटाईज़ करने से पूर्व पिसी हुई औषधियों के मिश्रण या कोई एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों में एथिल अल्कोहल के स्थान पर जल का उपयोग कर सकता हूँ?
उ. हाँ, तुम जल का उपयोग कर सकते हो परंतु यह शुद्ध होना चाहिए, बॉटल का या उबालकर ठंडा किया हुआ जल। महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस पदार्थ को पोटेनटाईज़ करना है वह बर्तन के तले को छू रहा हो और या जल/ अल्कोहल में कुछ हद तक घुल जाए। अगर यह घुलता नहीं है केवल ऊपरी सतह पर तैरता रहता है तब पदार्थ को उसी रूप में लो।
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प्र.6. मेरे रोगी को विक्स को सूंघने या शरीर पर मलते रहने की आदत है। क्या यह ऐसा करता रह सकता है जब वह वाइब्रॉनिक्स औषधि का सेवन कर रहा हो?
उ. विक्स वेपरब का उपयोग अधिकतर महिलाएं अपने बच्चों पर करती हैं उनको सर्दी खांसी से बचाने के लिए, इसमें कपूर होता है इसके अतिरिक्त इसमें मेंथाल और यूकेलिप्टस का तेल भी होता है। इस प्रकार की तीव्र गंध युक्त पदार्थ बहुत से वाईब्रेशन्स को प्रभावित कर सकते हैं। अच्छा यही है कि विक्स वेपरब और ऐसी अन्य बाम (जैसे कि अमृतांजन तथा अन्य नामों से अन्य देशों में) का वाइब्रॉनिक्स औषधि लेते समय प्रयोग ना करें। यदि रोगी फिर भी इनका उपयोग करना चाहता है तो 1 घंटे का अंतराल रखे।
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प्र.7. वाइब्रेशन कितने समय तक नारियल तेल, पेट्रोलियम जेली, ऑलिव ऑयल, विभूति या कार्न पाउडर में रह सकते हैं?
उ. शुगर पिल्स की भांति ही इनमे वाइब्रेशन 6 माह तक रह सकते हैं बशर्ते की रेमेडी को सावधानी से रेडिएशन से बचा के रखा गया हो।
दैवीय सन्देश
"स्वास्थ्य और प्रसन्नता साथ-साथ रहते हैं। यदि स्वास्थ्य खराब हो तो प्रसन्नता की कल्पना करना भी व्यर्थ है। श्रुतियों के अनुसार मनुष्य का एक आवश्यक गुण है अच्छा स्वास्थ्य। बिना अच्छे स्वास्थ्य के वह जीवन में चारों लक्ष्यों में से किसी को भी प्राप्त नहीं कर सकता है। यह चार लक्ष्य हैं, सही कार्य करना, सही विचार करना, सही तरीके से धन कमाना और अंत में सबसे मुक्ति पा लेना। स्वस्थ दिमाग के लिए शरीर का स्वस्थ होना आवश्यक है। यह एक दूसरे पर निर्भर होते हैं। यह विश्व दिमाग का प्रतिबिंब है। गहरी निद्रा अवस्था में जब दिमाग कार्य नहीं करता होता है तो विश्व का भी कोई अस्तित्व नहीं होता है। इसलिए दिमाग का स्वस्थ होना अति आवश्यक है।"
...Sathya Sai Baba, “The Doctor’s Profession” Discourse, September 1980 http://www.sssbpt.info/ssspeaks/volume14/sss14-53.pdf
"अनुभूति प्राप्ति के लिए निर्धारित 9 कदमों में से पहला कदम सेवा का है। इसलिए तुम्हें पूरी ईमानदारी से इसका स्वागत करना चाहिए। इसमें वृद्धों की सेवा, बीमारों, अपंगो और निराश व्यक्तियों की सेवा करना आवश्यक है। हाथ में फल का होना पहला कदम है उसको खाना और पचाना दूसरा कदम है जिसके द्वारा आप स्वस्थ एवं प्रसन्न होंगे। इसी प्रकार स्कार्फ और बैच भी प्रसन्नता के चिन्ह है जो तुम्हारी पहुंच में है जब तुम वास्तविक सेवा करते हो। तुम्हारी सेवा का मूल्यांकन तुम्हारे व्यवहार (मानसिक) के आधार पर किया जाएगा। इसलिए जो भी कार्य दिया जाए उसे पूरे जोश, समझदारी और श्रद्धा के साथ पूरा करो। सेवा में कोई छोटा या बड़ा नहीं होता है। साईं के लिए सब बराबर हैं तुम किसी की भी सेवा करो साईं उसे स्वीकार करते हैं।”
...Sathya Sai Baba, “No Bumps, No Jumps”, 3rd All India Conference of SSS Seva Dal,14 November 1975 http://www.sssbpt.info/ssspeaks/volume13/sss13-18.pdf
घोषणाएं
आगामी कार्यशालाएं*
- यूएसए: वर्चुअल AVP रिफ्रेशर** 16-17 जनवरी 2021, दो आधे दिन, (विवरण प्रतिभागियों को सूचित किया जाएगा) [email protected] पर सुसान से संपर्क करेंI
- यूएसए: वर्चुअल एवीपी वर्कशॉप ** साप्ताहिक सत्र अप्रैल-जून 2021 [email protected] पर सुसान से संपर्क करेंI
- भारत पुट्टपर्थी: वर्चुअल एवीपी कार्यशाला साप्ताहिक सत्र जनवरी-मार्च 2021 13-14 मार्च 2021 को पुट्टपर्थी में एक व्यावहारिक कार्यशाला के साथ समापन (विवरण प्रतिभागियों को सूचित किया जाएगा), [email protected] पर ललिता से संपर्क करें या 8500-676-092 पर टेलीफोन द्वारा
- भारत पुट्टपर्थी: एवीपी वर्कशॉप** 25-31 जुलाई 2021 को ललिता से [email protected] पर संपर्क करें या 8500-676-092 पर टेलीफोन द्वारा
- भारत पुट्टपर्थी: एवीपी वर्कशॉप** 25 नवंबर -1 दिसंबर 2021 को ललिता से [email protected] पर संपर्क करें या टेलीफोन द्वारा 8500-676-092
- भारत पुट्टपर्थी: एसवीपी कार्यशाला** 3-7 दिसंबर 2021 को हेम से [email protected] पर संपर्क करें
* एवीपी और एसवीपी कार्यशालाएं केवल उन लोगों के लिए हैं जो प्रवेश प्रक्रिया और ई-कोर्स से गुजर चुके हैं। रिफ्रेशर सेमिनार मौजूदा चिकित्सकों के लिए हैं।
**परिवर्तन के अधीन
अतिरिक्त
1. स्वास्थ्य सुझाव
कान कीमती हैं: इनकी देखभाल अच्छी प्रकार करें।
“कानों को भी शुद्ध भोजन की आवश्यकता होती है। इसका अर्थ यह है कि इनका उपयोग हमें पवित्र शब्दों को सुनने में करना चाहिए जो हमें दिव्यता की ओर ले जाने वाले हो। हमें सदैव दूसरों की अच्छी बातें सुननी चाहिए। इस प्रकार से हम अपने कानों की सुरक्षा कर सकते हैं और उन्हें बुरी बातों के प्रदूषण से मुक्त रख सकते हैं। केवल इसी प्रकार हम कानों के द्वारा सात्विक भोजन ग्रहण कर सकते हैं।” …Sathya Sai Baba1
“मेरे कान स्वस्थ रहें जिससे कि मैं पवित्र ध्वनि को सुन सकूं...मैं अपने कानों से प्रचुरता से सुनकर सीख सकूं। (वैदिक प्रार्थना) 2
1. अपने कान के बारे में जानो
1.1 कान बहुत ही शक्तिशाली और संवेदनशील होते हैं: वे ध्वनि की तीव्रता गहराई और दिशा का आसानी से पता लगा लेते हैं। वह ध्वनि की भावना और उसके सूक्ष्म अंतर को भी पहचानने में सक्षम होते हैं। जन्म से पहले ही बच्चे ध्वनि का प्रति उत्तर दे देते हैं। निद्रा की अवस्था में कान सुनते रहते हैं और वे अपनी सफाई स्वयं ही कर लेते हैं (कान के मैल के द्वारा)। स्वाद के संकेतों को मस्तिष्क तक पहुंचाते हैं4 (चेहरे की नस जो स्वाद के लिए जिम्मेदार होती है वह कान के मध्य में होकर जाती है) और शरीर का संतुलन बनाए रखती है।3-6
बाहरी कान फनल के आकार का होता है (पिन्ना) वही ध्वनि को ग्रहण करता है वहां से ध्वनि एक सुरंग द्वारा कान के पर्दे तक पहुंचती है (टिंपैनिक मेंब्रेन) और परदे में कंपन पैदा करती है। इससे जुड़ी तीन हड्डियां होती है बहुत छोटी और कोमल होती हैI (ओसिकल्स ) जो ध्वनि विस्तारक का कार्य करती है। यूसटेकियन नलिका कान के मध्य भाग को जिसमें हवा भरी रहती है गले के पीछे की और जुड़ी होती है, वह दबाव को संतुलित रखती है तथा कफ को बाहर निकाल देती है। एक सर्पिल आकार की नलिका (कोकलिआ) जो कान के अंदर होती है तीन अर्धचंद्राकार नलिकाओं से जुड़ी होती है। जिनमें द्रव भरा होता है(लैबरिन्थ) वे ध्वनि तरंगों को आगे पहुंचाती है तथा मस्तिष्क की संतुलन स्थिति और सिर की स्थिति की सूचनाएं देती है।6
1.2 सामान्य श्रवण सीमा: एक स्वस्थ मनुष्य कम से कम 20Hz (एक पाइप अंग पर सबसे कम पेडल) से अधिकतम 20 kHz की आवृत्ति (ऊपरी आवृत्तियों को सुनने की क्षमता उम्र के साथ कम होने लगती है) की आवाज को सुन सकता हैI हमारी सुनने की क्षमता उन ध्वनियों के लिए अत्यधिक संवेदनशील होती है जिनकी आवृत्ति 1.5 से 5.0 kHz के मध्य होती है। यही आवृत्ति मनुष्य के बोलने की होती है। इसका अर्थ यह हुआ कि यह ध्वनि 0.5 kHz या 10 kHz से अधिक तीव्र है यह मान्यता है।3,7-9
1.3 सुरक्षित और असुरक्षित डेसीबल (डीबी) स्तर: सुनने के लिए सामान्य डेसिबल स्तर 0 से 180db के मध्य होता है। अगर ध्वनि कानों में बजती है तो वह कानो को नुकसान पहुंचाने वाली होती है। कुछ सुरक्षित ध्वनियां हैं - सामान्य रूप से श्वास लेने पर (10dB) चिड़ियों का चहचहाना और पत्तों की खड़खड़ाहट, घड़ी की आवाज (20dB) कानाफूसी (30 dB) रेफ्रिजरेटर की आवाज (40dB) सामान्य वार्तालाप (60dB) और वाशिंग मशीन (70dB)I असुरक्षित ध्वनियां हैं, शहर का ट्रैफिक का शोर (80-85dB कार के अंदर) मशीनों का शोर, हेयर ड्रायर (90dB) कार का हार्न वा खेलकूद (100 से 110dB), एंबुलेंस का सायरन(120 से 130dB), लाइव रॉक बैंड (130dB) हवाई जहाज का उतरना और पटाखे(130 से 160dB), और रॉकेट लॉन्च (180 dB)। 85dB से ऊपर की ध्वनि को असुरक्षित माना जाता है।80 से 90dB की ध्वनि में कई वर्षों तक रहने से तथा 90dB की ध्वनि में 1 घंटे तक रहने से कानों की बहुत क्षति होती है। 110dB से ऊंची ध्वनि में 1 मिनट तक और 130dB की ध्वनि में 1 सेकेंड से भी कम कानों की इतनी क्षति हो जाती है कि उनका उपचार असंभव हो जाता है।3, 8-12
2. कान के विकार
2.1 कम सुनाई देना: उम्र बढ़ने के साथ सुनने में कमी आना एक सामान्य बात है (प्रेस बीक्यूसिस) एक सबसे सामान्य कारण है बाहरी कान में किसी अवरोध का हो जाना, बाहरी मैल जम जाने से (सेरुमेन) हेमेटोमा या कोई बाहरी वस्तु से। इसका उपचार संभव है।12 अन्य कारण है ध्वनिक आघात, दाब अनिघात, (हवा में दबाव के परिवर्तन से) यह गोताखोरों में सामान्य रूप से होता है, सिरकी चोट, कान के संक्रमण, जन्मजात, मेनियर्स रोग, सुनने वाली नलिका में गांठ, जीर्ण रोग या ड्रग्स।10,12
कुछ सूचक: कम सुनाई देने की शुरुआत फोन पर सुनने से होती है। बातचीत को समझाने के लिए व्यक्तियों से दोबारा बोलने के लिए कहा जाता है। शोर के दौरान सुनने में कठिनाई या फिर टीवी के वॉल्यूम को अधिक करना, आसानी से थकान का अनुभव (यह मान्यता है कि उम्र बढ़ने से सुनाई कम देने लगता है) I यदि कोई बच्चा किसी आवाज पर उत्तर नहीं देता है तो उसने देर से बोलना शुरू किया होगा, बोलने में अत्यधिक लड़खड़ाहट या फिर स्कूल में पढ़ाई पर ध्यान नहीं देना, यह सब कम सुनाई देने के लक्षण है।13-14
अनुसंधान द्वारा स्पष्टीकरण: अनुसंधानों से मालूम पड़ा है कि दांया और बांया कान ध्वनि को सुनने में अलग-अलग प्रकार से व्यवहार करते हैं। भाषण और तर्क संबंधी बातें मस्तिष्क के बाएं हेमिस्फीयर से संसाधित होती हैं जो कि दाएं कान से सुनी जाती है जबकि बायां कान से संगीत, भावनात्मक बातें और सहज बोध बातें मस्तिष्क के दाएं हेमिस्फीयर में संसाधित होती हैं। अतः जिन लोगों को बायें कान से कम सुनाई देता है उन्हें भावनात्मक बातों को समझाने में मुश्किल होती है और जिन लोगों को दाएं कान से कम सुनाई देता है वह लोग समस्याओं को नहीं सुलझा पाते हैं।15
2.2 मेनियर्स रोग: यह कान के अंदर का एक विकार है, इसमें कान में दबाव या अवरोध का एहसास होता है। इसके बाद ऐसा प्रतीत होता है कि कान में घंटियां बज रही है। (हिसिंग, गर्जन, स्पंदन, व्होसिंग, चहकते हुए, सीटी बजाना या क्लिक करना), जिसमें यदा-कदा कम सुनाई देना और चक्कर आना (सिर घूमना), कुछ व्यक्ति अपना संतुलन खो देते हैं और गिर जाते हैं, उनको जी मिचलाना उल्टी होना और सुनने की क्षमता में अत्यधिक कमी हो जाती है। जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती जाती है, सुनने की क्षमता में कमी अधिक होती जाती है और संतुलन में बहुत कमी आ जाती है। यह बीमारी यद्यपि घातक तो नहीं है परंतु अशक्त बना देती है। इसका मुख्य कारण तो मालूम नहीं है लेकिन इसके लिए माइग्रेन, कान के अंदर का संक्रमण, सिर में चोट, अनुवांशिकी या एलर्जी हो सकते हैं।
पैरीलिम्फ फिस्टुला, को कभी-कभी मेनियर्स रोग समझ लिया जाता है। यह एक दुर्लभ स्थिति है जो अंदर के कान से द्रव निकल कर बीच के कान, जिसमें हवा होती है, में चला जाता है।16-20
3. कान के संक्रमण
3.1 यूस्टेशियन नलिका का रोग: यह नलिका या सूज जाती है या बंद हो जाती हैं, सर्दी के कारण, फ्लू, साइनस संक्रमण या एलर्जी के कारण, जिससे द्रव बीच के कान में बनने लगता है इसके कारण ऐसा महसूस होता है कि कान भर गया है, ध्वनि सुनाई देती है, ज्वर हो जाता है आदि। निगलने में, उबासी लेने में या जोर से सांस लेने पर नलिका खुल जाती है। सामान्यतया यह अपने आप ठीक हो जाती है बिना किसी उपचार के। इसके कारण मध्य कान में संक्रमण हो जाता है। यह नलिका, बचपन में, छोटी, सिकुड़ी और क्षैतिज होती है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ यह भी बड़ी हो जाती है। कान का संक्रमण छोटी अवस्था में एक सामान्य बात है लेकिन जल्दी ठीक भी हो जाता है। बड़े लोगों में इसका कारण स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं!21,22
3.2 बाहरी, मध्य और आंतरिक कान के संक्रमण22-30
a. ओटिटिस एक्सटर्ना (तैराक के कान): यह बाहरी भाग में कीटाणु जनित संक्रमण है। इसका कारण होता है सूखी त्वचा, दाद, खुजलाना, कान को साफ करने के लिए रुई की स्वाब का उपयोग या देर तक पानी के साथ संपर्क या कान में पानी का चला जाना। विशेष लक्षण हैं खुजली वाले रैशेज, कोमलता, लालिमा, सूजन, हल्का ज्वर और दर्द। कभी-कभी मध्य कान से पस का बहना, कान के पर्दे के छेद में से होकर। यह संक्रमण शायद ही कभी फंगस या वायरस जनित होता है।22,23,24
संक्रामक माय्रिन्जाइटिस: यह अधिकतर जीवाणु जनित होता है। कान के परदे में सूजन के कारण होता है। लक्षण छोटे छोटे छाले और तेज दर्द है।25
b. तीव्र ओटिटिस मीडिया: वायरस या बैक्टीरिया के कारण मध्य कान में सूजन आ जाने से द्रव कान के परदे के पीछे रुक जाता है। सामान्यता, संक्रमण श्वसन तंत्र के कारण उत्पन्न होता है। तीव्र ऑटोसिस मीडिया के कारण बच्चों में वह द्रव मध्य कान में जमा हो जाता है इससे कान के परदे के कंपन में अवरोध उत्पन्न हो जाता है और ध्वनि अंदर नहीं जा पाती है। इसके लक्षण है कान का लालिमा युक्त हो जाना या सूज जाना, ज्वर, कान में लगातार दबाव का एहसास होते रहना, कम सुनाई देना। यदि कोई द्रव निकलता है (otorrhoea), और सूजन भी हो तो यह संकेत है कि वहां पस भर गया है। अधिक बलगम के जमा हो जाने से या म्यूकस के जमा हो जाने से साइनस में, कुछ केसों में कान और गले में भी जमा हो जाता है। यह मध्य कान का “मिडल इयर कैटरह” कहलाता है। यदि कान के पीछे की हड्डी में संक्रमण हो जाता है और सूजन आ जाती है तो यह "मास्टोइडस" है।26-28
c. आंतरिक कान के संक्रमण: वेस्टीबुलर न्यूरोनिटिस (आंतरिक कान के वेस्टिबुलर तंत्रिका की सूजन), का मुख्य कारण वायरल इंफेक्शन होता है। यह अचानक चक्कर आने से होता है। अन्य प्रमुख लक्षण हैं, चक्कर आना, जी घबराना, उल्टी होना। लैबेरिंथाइटिस (वेस्टीबुलर और कोक्लियर दोनों नर्व में सूजन) कारण या तो वायरस या बैक्टीरिया होते हैं, इसके अतिरिक्त लक्षण है कान में दर्द होना, घंटियां बजना, कम सुनाई देना।
हरपीज जोस्टर कान का वायरल संक्रमण होता है जिससे कोक्लियर नर्व प्रभावित हो जाती है तथा चक्कर आना, दर्द और कान, चेहरे और गर्दन पर फफोले हो जाते हैं।24,25,29,30
कान के बाहर और मध्य में होने वाला संक्रमण कम तकलीफ देय होते हैं तथा 1 से 2 हफ्ते तक रहते हैं, बनस्पत अंदर का संक्रमण जो लंबे समय तक रहता है।29 मौसम के अनुसार लक्षणों में परिवर्तन हो जाता है।29
4. कान का आघात/ चोट:
4.1 कान में कीड़े! जब मनुष्य सोया हुआ होता है या फिर उड़ता हुआ कान में कीड़ा चला जाता है। यदि यह बाहर की ओर होता है तो या तो मर जाता है या चलता रहता है आवाज करते हुए या फिर काट लेता है। बच्चे इसकी पहचान नहीं कर पाते हैं। अतः वे कान को मसलते हैं और दर्द के कारण चिल्लाने लगते हैं। धीरे से कान को खींचो, और सिर को थोड़ा टेड़ा करते हुए हिलाओ, कीड़ा बाहर निकल जाएगा। हल्के गर्म तेल की 1-2 बूंदे कान में डालें इससे कीड़े का दम घुट जाएगा फिर उसे गर्म पानी के उपयोग से इसे बाहर निकाल दें।
चेतावनी: कान पर मारे नहीं या कोई वस्तु अंदर ना डालें इससे कीड़ा अंदर चला जाएगा और कान के पर्दे को नुकसान पहुंचाएगा। यदि कीड़ा बाहर नहीं आता है या बार-बार संक्रमण होता है तो डॉक्टर को दिखलाना बेहतर होगा।
बचाव: सोते समय, ट्रेकिंग के समय या घूमने जाने के समय कान में रूई लगा के रखे। कीड़ों को दूर रखने के लिए क्रीम का उपयोग भी किया जा सकता हैI31,32,35
4.2 कान के परदे का फट जाना/ छेद हो जाना: कान में संक्रमण, चोट, ध्वनिक आघात, हवा का दबाव, सिर में चोट, गिर जाना या चांटा लगाना, किसी वस्तु का कान में डालना या अंगुली के नाखून द्वारा कान के परदे में छेद हो जाता है । बच्चों में यह घटनाएं अधिक होती हैं क्योंकि उनके कान कोमल होते हैं। इसके कारण खून बहना, घंटियों की आवाज सुनाई देना, कम सुनाई देना या संतुलन में कमी हो जाना जैसी समस्याएं सामने आ जाती हैं। अधिकतर मामलों में यह स्वत: ही ठीक हो जाता है। लेकिन कभी-कभी इसके कारण बार-बार संक्रमण हो जाता है जिसके लिए उपचार की आवश्यकता होती है।30,32,33-35
4.3 कान के भीतर से चोट लगने और खून बहने पर प्राथमिक उपचार: पूरे कान पर पट्टी बांध देवें । रोगी को करवट से सुला दें जब तक कि मेडिकल उपचार ना मिल जाए। पट्टी के ऊपर ठंडा सेक कर सकते हैं।30,35
4.4 किसी भी इमरजेंसी में न करें: कान से द्रव को आने को ना रोकें और ना ही कान के अंदर से साफ करें। कोई भी तरल कान के अंदर ना डालें, केवल कीड़े को निकालने के लिए मैल को ढीला करने के लिए। किसी भी उपकरण की सहायता से कान में से कुछ भी निकालने का प्रयास ना करें।30,35
5. कान की देखभाल के लिए टिप्स12,30,34-51
- रूई से या उंगली से कान को साफ ना करें (इससे मैल पूरी तरह से निकल जाता है) केवल गीले कपड़े या टिशु पेपर से ही कान के बाहरी भाग को साफ करें। कानों को सूखा रखे। 30,35,36,37
- मैल को कान में ही छोड़ दें।38 कान में जो मैल पैदा होता है वह कान को चिकना रखता है तो गंदगी को अंदर नहीं जाने देता है और संक्रमण से बचाता है और प्राकृतिक रूप से बाहर आता है। चबाने से इसमें मदद मिलती है। यदि मैल अधिक हो जाता है तो उसमें दो-तीन बूंद ऑलिव ऑयल या डॉक्टर द्वारा बताई दवाई ही डालनी चाहिए। इससे मैल ढीला पड़ जाता है और स्वत: ही बाहर निकल जाता है।30,38
- तीव्र शोर से बचें और ईयर प्लग का प्रयोग करें।अनुसंधानों से पता चला है कि कान को 16 घंटे का आराम आवश्यक है, यदि पूरी रात शोर में व्यतीत होती है! कान कभी भी शोर के आदी नहीं हो पाते हैं, धीरे-धीरे इन में नुकसान होता रहता है! यदि एक बार कोक्लीय में संवेदी कोशिकाएँ, जिन्हें बालों की कोशिकाएँ कहा जाता है, नष्ट हो जाती हैं तो वे पुनर्जीवित नहीं होती हैं।34-37
- हवाई यात्रा के समय निगलने में या जमाई लेने से कान के अंदर का दबाव बराबर हो जाता है।30,34,35,37
- दर्द और सूजन के लिए घरेलू उपचार का प्रयोग करने का प्रयास करें जैसे ठंडा या गर्म सेक या गर्म तेल जिसमें लहसुन को पका लिया हो उसको कान की नलिका में डालें।39
- चक्कर आने के लिए सादा अदरक की चाय पिएं।40
- अच्छी जीवन शैली को अपनाए, संतुलित भोजन ग्रहण करें, नित्य घूमने जाएं, व्यायाम और योग करें, ध्यान में बैठे, पर्याप्त आराम करें, सुनने में सुधार आता है और चक्कर नहीं आते।41-50
- नमक का उपयोग कम करें।49,50
- नियमित जांच करवाएं, कोई भी लक्षण नजर आए तो उसे नजरअंदाज ना करें। कभी भी उपचार कराने में हिचकिचायें नहीं। (यदि कम सुनाई देने का उपचार नहीं कराया जाता तो इसका प्रभाव स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है)।37,46
- साईं वाइब्रिओनिक्स ने कान की अनेकों बीमारियों का उपचार आज उपलब्ध कराया है जिसमें प्रमुख हैं, कान में घंटी बजने की आवाज आना, चक्कर आना, कम सुनाई देना, कान का दर्द और संक्रमण।51.
References and Links:
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- https://www.hearinghealthassoc.com/hearing-health-associates-va-blog/2017/3/15/nutrition-and-hearing-top-foods-to-consume-and-avoid
- https://hearinghealthfoundation.org/blogs/how-nutrition-affects-our-hearing
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- Sai Vibrionics Newsletters: https://vibrionics.org; cases related to ears at https://www.news.vibrionics.org/en/subjects/5
2. प्रेरक उपाख्यान
a. दिव्य माता की रामबाण औषधि 03572… गबोन
एक 33-वर्षीय महिला कमर में अत्यधिक पीड़ा से ग्रसित थी। उसको यह समस्या बचपन से थी। उसके अभिभावकों ने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया था। उस पर पारंपरिक और हर्बल उपचार का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। 20 सितंबर 2020 को वह चिकित्सक के पास पहुंची। चिकित्सक जब रेमेडी बना रहा था उस समय रोगी ने अपने बाएं पांव पर रहस्यमय दबाव महसूस कियाI लेकिन उस पर अधिक ध्यान नहीं दिया। उसी रात को स्वामी सपने में आए वह एक कुर्सी पर बैठे हुए थे। स्वामी ने कहा, “मुझे दुख है कि तुम्हें इतने सालों तक यह दर्द सहन करना पड़ा। तुम अभी जवान हो! डरो मत, मैं तुम्हारा ध्यान रखूंगा। जब रेमेडी बनाई जा रही थी उस समय मैं तुम्हारे पास खड़ा था और मैं तुम्हारी समस्या का समाधान कर रहा था। इसी कारण से तुमने अपने बाएं पांव पर दबाव महसूस किया थाI” स्वामी ने विभूति सृजित की और उसके पूरे शरीर पर छिड़क दी। चकित करने वाली बात यह है कि उसका दर्द 2 दिन में पूरी तरह से ठीक हो गया था! यह एक आश्वासन था कि जब चिकित्सक प्रेम सहित निस्वार्थ भाव से सेवा करता है तो ईश्वर सदा वहां उपस्थित रहते हैं और वही इस उपचार के संचालक है!
b. स्वामी की ऑक्सीजन की कार्यवाही11601...भारत
एक शिर्डी के भक्तों की कोविड-19 से स्वस्थ होने की घटना चिकित्सक की जुबानी - परिवार के मुखिया 73 वर्ष के और उनकी पत्नी 59 वर्ष की और एक पुत्री। 10 सितंबर 2020 को मां को अचानक स्वपन में शिर्डी बाबा दिखाई दिए जो उनकी बगल में खड़े थे। उन्होंने कहा कि “मैं तुम्हें बचाऊँगा”। उसकी समझ नहीं आया कि इसका अर्थ क्या है? 2 दिन बाद वह तीनों कोविड-19 की चपेट में आ गए। उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया गया। लेकिन मां को आईसीयू में जाना पड़ा था। वह सांस लेने में अत्यधिक परेशानी महसूस कर रही थी और उसे नॉन-इनवेसिव वेंटिलेटर पर रखा गया था। कोविड-19 बूस्टर की औषधि को उसी दिन उनको भेज दी गई थी और उसे आवश्यकता अनुसार लेने की हिदायत दे दी गई थी। पिता और पुत्री को 7 घंटे में ही 80% लाभ हो गया था लेकिन मां की तबीयत बहुत खराब हो गई थी, ऑक्सीजन का स्तर बहुत कम हो गया था। दूसरे दिन 23 सितंबर को चिकित्सक ने पहले वाली औषधि में SR304 Oxygen को मिलाकर मां के लिए भेज दी। पुत्री मां के पास बैठी रही और हर घंटे यह औषधि उनको देती रही। आश्चर्यजनक रूप से मां की ऑक्सीजन का स्तर बढ़ने लगा और उसे बरामदे में 30 मिनट तक बैठने की अनुमति भी मिल गई। अगले ही दिन, 25 सितंबर 2020 को तीनों 100% स्वस्थ हो गए थे और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। बाबा ने अपने वचनों का पालन किया था ना केवल मां को बचाकर बल्कि पूरे परिवार को बचाकर।
c. कोई दर्द नहीं, लाभ ही लाभ 11621…भारत
5 मार्च 2015 को एक 33-वर्षीय युवती घर में गिर गई। उसको फ्रैक्चर और दाएं टखने में डिसलोकेशन हो गया थाI डॉक्टर्स ने शल्यक्रिया करके ट्यूबलर प्लेट को पेच की मदद से स्थापित कर दिया। यद्यपि वह चलने में समर्थ हो गई थी लेकिन जमीन पर बैठते समय यह अपने पावों को आलथी-पालथी मार के लंबे समय तक बैठती थी तो वह टांग में सुन्नपन और टखने में हल्का दर्द का अनुभव करती थी। जैसे ही वह खड़ी होती थी उसको सहारे की आवश्यकता पड़ती थी, चलने में। इसमें उसे 1 या 2 मिनट का समय लग जाता था सामान्य स्थिति में आने के लिए। उसने सभी एलोपैथिक औषधियों को बंद कर दिया था क्योंकि उनका कोई प्रभाव नहीं हो रहा था। वह उसी स्थिति में रहना चाहती थी। दिसंबर 2019 में जब वह चिकित्सक से वार्तालाप कर रही थी अपने दर्द युक्त मासिक धर्म के बारे में तो उसने यूं ही टखने के दर्द के बारे में भी जिक्र कर दिया। अतः चिकित्सक ने उसे सभी दर्द निवारक कॉम्बो को दिया (देखें चिकित्सक परिचय में)I...3 से 6 पिल्स को आधी बाल्टी पानी में डालकर पावों को 20 मिनट तक कम से कम एक बार प्रतिदिन रखने के लिए कहा गया और उसी पानी से उस क्षेत्र को मलने के लिए कहा। उसने ऐसा 3 दिन तक किया और 4 वर्ष से जो टखने की समस्या थी वह ठीक हो गई थीI अभी उपचार को 10 महीने हो गए हैं और वह पूर्ण स्वस्थ है।
d. उनके निवास स्थान में चमत्कार 11621…भारत
यह घटनाएं वर्ष 2020 के वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता के दौरान उनके आश्रम पुट्टपर्थी में घटित हुई। एक 40- सदस्यीय टीम नाटक के दृश्य बना रही थी जिसमें निर्माण की सामग्री, मंच की सामग्री और पृष्ठभूमि की सामग्री की तैयारी की जा रही थी। वे लोग प्रातः 7:00 बजे से रात्रि को 10:00 बजे तक रोज काम कर रहे थे। यह बहुत मेहनत का कार्य था और चारों और धूल ही धूल छाई हुई थी। कार्यकर्ताओं की शक्ति बढ़ाने के लिए चिकित्सक ने एक रेमेडी* तैयार की थी। 10 बूंदे उस औषधि की 20 लीटर जल में मिलाया गया, जब उस जल को सेवादलों और छात्रों ने पिया तो ऐसा लगा कि कोमल नारियल का पानी पी रहे हों। जबकि ऐसा कुछ नहीं था चिकित्सक ने केवल कोंबोज़ की बूंदे ही जल में मिलाई थी। सभी को यह महसूस हो रहा था कि यह तो स्वामी की असीम कृपा का फल है जो उन्हें इतनी शक्ति प्रदान कर रहे हैं।
निर्माण के दौरान जब वेल्डिंग का कार्य हो रहा था तो कुछ छात्रों के आंखों में समस्या हो गई थी। चिकित्सक ने CC7.1 Eye tonic + CC7.6 Eye injury + CC10.1 Emergencies को एक सप्रे बोतल में जल मिलाकर, उससे आंखों को धोने के लिए कहा। छात्रों को तुरंत ही ताजा लगने लगा था। यह उनके लिए तुरंत ही आंखों को फिर से तंदुरुस्त बनाने की घटना थी!
पशुओं ने भी इस उपचार के प्रति अपनी संवेदनशीलता प्रदर्शित की। जो पशु अपच के शिकार हो गए थे उन्हें CC1.1 Animal tonic + CC4.8 Gastroenteritis + CC4.10 Indigestion को पानी में मिलाकर दिया गया। दूसरे ही दिन वे सब स्वस्थ हो गए थे।
*CC4.8 Gastroenteritis + CC4.10 Indigestion + CC9.2 Infections acute + CC10.1 Emergencies + CC12.1 Adult tonic + CC14.1 Male tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC17.3 Brain & Memory tonic
3. श्रद्धांजलियां
बड़े दुख के साथ मैं आपको पिछले दो महीनों के भीतर भारत से 6 बहुत ही समर्पित चिकित्सकों की देवलोक गमन की सूचना आप लोगों को दे रहा हूँ, वे लोग वाईब्रिओनिक्स के लिए प्रेरणा के स्त्रोत थे। वे लोग इस अनुकरणीय सेवा के लिए सदैव याद किए जाएंगेI
- डॉ श्याम लाल वर्मा11156 आयु 84 वर्ष, निवासी पंचकूला हरियाणा, अपने अंतिम चरण तक वाईब्रिओनिक्स सेवा करते रहे थे।
- श्री रामचंद्र मेंगजी10245 आयु 80 वर्ष, निवासी सोलापुर महाराष्ट्र, जिन्होंने कई सेवा करने वालों को वाईब्रिओनिक्स सेवा से जोड़ा। वर्ष 2009 में AVP & JVP कार्यशालायें आयोजित की।
- श्री अल्बदी राम नायक10695 आयु 77 वर्ष, पुत्तूर गांव दक्षिण कन्नड़ में, अत्यधिक सक्रिय कार्यकर्ता थे। वह रोगियों का विवरण बहुत ही व्यवस्थित रखते थे अपनी रिपोर्ट को समय पर भेज देते थे।
- श्री लोकनाथ संकेशा10616 आयु 69 वर्ष, निवासी थाने महाराष्ट्र, अपनी अंतिम श्वास तक इस सेवा में लगे रहे। मृत्यु होने के माह में भी अपनी रिपोर्ट उन्होंने भेज दी थी। उन्होंने कई शिविरों का आयोजन किया और सेवा दलों को वैलनेस किट वितरित किए थे।
- श्री प्रभाकर नायडू मारिपी11582 आयु 66 वर्ष, निवासी जगदलपुर, छत्तीसगढ़, इन्होंने दूरस्थ आदिवासी इलाकों में बड़े उत्साह के साथ रोगियों की सेवा का कार्य किया है।जीवन के अंतिम क्षणों तक बहुत से लोगों को IB रेमेडी वितरित की थी।
डॉक्टर सुब्रमण्यम भट्ट पी11971 आयु 59 वर्ष, निवासी कर्नाटक के इदिकुड़ी बंटवाल डीके को तीव्र हृदयाघात हुआ उसके गुरु के जाने के 2 हफ्ते बाद, चिकित्सक10695 जिसने उन्हें वाईब्रीओनिक्स सेवा के लिए प्रेरणा दी थी। केवल 7 वर्षों में उन्होंने 315 शिविर आयोजित किए थे और लगभग 72,320 रोगियों का उपचार किया था अपने आसपास के गांवों में। उनकी पुत्री चिकित्सक11589 उनकी सेवा गतिविधियों को आगे बढ़ा है ।