Vol 11 अंक 5
सितम्बर/अक्टूबर 2020
मुद्रणीय संस्करण
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डॉ० जीत के अग्रवाल की कलम से
प्रिय चिकित्सको,
पिछले माह से इस वर्ष के त्योहारों की शुरुआत हुई है। यह शुरुआत गुरु पूर्णिमा से हुई उसके पश्चात जन्माष्टमी (भगवन श्री कृष्ण का जन्म) और दस दिन पूर्व हमने गणेश चतुर्थी का उत्सव (बाधाओं को दूर करने वाले गणेश) मनाया और कल ही ओणम का सुंदर केरल त्योहार अपने समापन पर पहुंचा। यह वास्तव में वर्ष का एक सुंदर समय है - एक बहुत खुशी और उत्साह, सकारात्मक कंपन और दिव्य ऊर्जा से ओत-प्रोत है। महामारी के प्रकोप से समुदायों में एकत्रित होने में तथा बड़े आयोजनों में लोगों के एकत्रित होने में, प्रशांति निलियम में भी अवरोध उत्पन्न किया है फिर भी यह खुशी का समय है। इससे बेहतर कोई और समय नहीं हो सकता है जब हम पूर्णतया अपने को उनके कार्यों के लिए समर्पित कर दें। स्वामी कहते हैं “ओणम का यह संदेश है कि इस समय प्रभु को अपने अहंकार को पूर्णतया समर्पण कर देने से उनको प्राप्त किया जा सकता हैI जब हृदय शुद्ध होता है, तो प्रभु उसमें निवास करता है और मनुष्य को स्वयं मार्गदर्शन देता है। ” - सत्य साईं बाबा प्रवचन, प्रशांति निलयम, 7 सितंबर, 1984। मेरी दृष्टि से अहं को समर्पित करने का इससे अच्छा कोई साधन नहीं हो सकता कि हम अपने आपको निस्वार्थ भाव से दया और प्रेम से ओतप्रोत निस्वार्थ सेवा कार्यों से जोड़ दें, जैसे कि वाईब्रिओनिक्स सेवा।
मैं इस समाचार पत्र के माध्यम से आप लोगों तक दुनिया भर में वाईब्रिओनिक्स से संबंधित नवीनतम जानकारियाँ पहुँचाने के लिए बहुत उत्सुक हूं।
मुझे तुम्हें यह बताते हुए अत्यधिक प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है कि हमारे सभी कोर्सेज डिजिटल हो गए हैं। यह हमारे लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। अब हम अपने भावी छात्रों तक आसानी से पहुँच सकते हैं और हम अपने कोर्स को दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुँचा सकते हैं। माइक्रोसॉफ्ट टीम के सदस्यों के साथ मिलकर हम अब ऑनलाइन कार्यशालाओं को चला रहें हैं। प्रारंभ में हमने सभी कोर्सज को अंग्रेजी में तैयार कर लिया है और हम आशा करते हैं कि भविष्य में हम अन्य भाषाओं में भी इसे तैयार कर लेंगे।
हमें आशा है कि आपने हमारे वेबसाइट के बदले रूप को देखा होगा। हम यहां कुछ अतिरिक्त सूचनाएं दे रहे हैं जिससे कि इनके बारे में आप आसानी से समझ सकेंगे और जल्दी सीख सकेंगे। इन परिवर्तनों को माह सितंबर के अंत तक लागू करने का लक्ष्य हैं।
- सभी रोग विवरणों को 21 मुख्य श्रेणियों में रखा जाएगाI
- हमारे समाचार पत्रों में प्रकाशित सभी स्वास्थ्य लेखों को अनुक्रमित और लिंक किया जाएगा।
- स्मार्टफोन उपयोगकर्ता आसानी से इंटरफ़ेस का प्रयोग कर सकेंगे।
आप सभी जानते हैं कि प्रभावी औषधि की खोज एक निरंतर चलने वाली क्रिया है। हमारी रिसर्च टीम नवीनतम आंकड़ों और चिकित्सकों द्वारा भेजे गये केस विवरणों पर पूर्णतया निर्भर रहती हैI (नवीनतम अपडेट के लिए, इस मुद्दे के अतिरिक्त कॉलम # 3 का संदर्भ लें)। । COVID-19 के लिए एक अत्यधिक प्रभावी उपाय विकसित करने की प्रक्रिया अलग नहीं है। अधिकांश वायरस डीएनए वायरस हैं; हालांकि, COVID-19 एक आरएनए वायरस है जिससे तेजी से उत्परिवर्तन और विकसित होने का खतरा है। अतः हमारे लिए यह अति आवश्यक हो जाता है कि हमें जटिल या साधारण उपचारों के लिए उपयोग में लिए कॉम्बोस के बारे में निरंतर सूचना मिलती रहे। इस नए वायरस के बारे में इतना कुछ है जिसके बारे में हमें जानकारी ही नहीं है यद्यपि कुछ क्षेत्रों में यह महामारी फैल रही है और कुछ क्षेत्रों में दोबारा यह प्रभावी होने लगा है। आप लोगों से आग्रह पूर्वक निवेदन करता हूं कि आप अपने सुरक्षा उपायों को त्यागें नहीं तथा सभी सावधानियों को पहले की तरह उपयोग में लेते रहें। क्योंकि हम कोविड-19 को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं मुझे यह बताते हुए अत्यंत हर्ष की अनुभूति हो रही है कि स्वामी के आशीर्वाद से कोविड-19 के लिए बनाई गई इम्युनिटी बूस्टर का वितरण निरंतर बढ़ रहा है।यह बढ़ोतरी 30% तक हो गई है तथा यह 1,80,000 व्यक्तियों तक वितरित की जा चुकी है, केवल भारत में ही। यह आंकड़ा एक मील के पत्थर के समान है, इसके लिए मैं अपने सभी चिकित्सकों को धन्यवाद अर्पित करता हूँ कि आप लोगों के अथक प्रयास और निस्वार्थ सेवा के प्रति समर्पण से यह कार्य संभव हुआ है।
IASVP की सदस्यता लेने के लिए वीपी होना आवश्यक है। हाल ही में दिल्ली NCR के चिकित्सक11573 ने अग्रगामी परियोजना शुरू की है जिसके अंतर्गत सभी योग्य चिकित्सकों को IASVP की सदस्यता लेने के लिए उत्साहित किया जा सकेगा। मुझे सूचना देते हुए प्रसन्नता है कि इस योजना को इसमें आशानुरूप सफलता मिल रही है। मैं इस योजना को पूरे विश्व में लागू करना चाहता हूं जिससे कि सभी योग्य चिकित्सक, स्वामी के जन्म दिवस 23 नवंबर तक जो कि स्वामी का 95वां जन्मदिवस है, IASVP के सदस्य बन जाएं।
मैं सभी IASVP सदस्यों को याद दिलाना चाहता हूं कि वे अपने नाम के ठीक बाद अपने ईमेल हस्ताक्षर (ईमेल के अंत में) में "सदस्य IASVP" का उल्लेख करें। इसके अलावा, संगठन में एक समान मानकों को लागू करने की दृष्टि से, सचिव IASVP सभी IASVP सदस्यों के लिए हमारे मानकीकृत विजिटिंग कार्ड को ईमेल करने की प्रक्रिया में है। यदि आपको विजिटिंग कार्ड डिज़ाइन नहीं मिला है, तो कृपया [email protected] पर ईमेल के माध्यम से सीधे सचिव IASVP को अपना अनुरोध भेजें।
एक चिकित्सक को अपने रोगियों के लिए एक रोल मॉडल बनने की आवश्यकता होती है, जो उन्हें स्वस्थ जीवनशैली - मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक और सभी आध्यात्मिक रूप से ऊपर उठाने के लिए प्रेरित करता है। मैं सभी चिकित्सकों से आग्रह करता हूं उनको स्वयं भी आनंद, तनावमुक्त और स्वास्थ्यवर्धक जीवनशैली अपनानी चाहिए। मुझे विश्वास है कि हमारे पत्र के “अतिरिक्त” कॉलम में छपने वाले मेरे असंख्य लेखो ने आप सभी के जीवन को प्रभावित किया होगा। मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि आप इन लेखों की जानकारी अपने रोगियों, मित्रों व परिवार के सदस्य को भी दें और लिंक प्रदान करें। यह न केवल उन्हें प्रसन्नता देंगे बल्कि हमारे वेबसाइट के माध्यम से वाईब्रिओनिक्स के बारे में अधिकाधिक जानकारी देने का अवसर प्रदान करेगें। मैं सभी चिकित्सकों से अनुरोध करता हूं कि यदि उनके पास इस प्रकार के कोई सुझाव या विचार हो तो मुझे निम्न पत्ते पर भेजने का कष्ट करें [email protected] जिस पर हमारी समाचार पत्र टीम उचित निर्णय ले सके।
मुझे विश्वास है कि हम स्वर्णिम युग में प्रवेश कर चुके हैं। इस महामारी में हमें वह अवसर प्रदान किया है कि हम अपने आस पास के निवासियों की सेवा कर सकें और आत्म मंथन कर सकें और अपने अंदर स्थित दिव्यता का अनुभव कर सकें। आओ हम सब मिलकर इस कार्य को करने के लिए एकजुट हो जाएं और प्रत्येक दिन को आध्यात्मिकता से सराबोर कर दें और यह सिद्ध कर दें कि इस पृथ्वी पर बड़े पैमाने पर बदलाव भी किया जा सकता है। हमारी यह पृथ्वी प्रेम से जुड़ी हुई है। इसी के साथ में आप लोगों के लिए अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूँ और प्रार्थना करता हूँ की आप सभी को ढेर सारे प्रेम के साथ वाईब्रिओनिक्स के माध्यम से लोगों की सेवा करने का अवसर प्राप्त हो। इतना कुछ हम इस अपेक्षाकृत नए वायरस के बारे में नहीं जानते हैं, यद्यपि कुछ क्षेत्रों में यह महामारी फैल रही है और कुछ क्षेत्रों में दोबारा यह प्रभावी होने लगा है। आप लोगों से आग्रह पूर्वक निवेदन करता हूं कि आप अपने सुरक्षा उपायों को त्यागें नहीं तथा सभी सावधानियों को पहले की तरह उपयोग में लेते रहें। क्योंकि हम कोविड-19 को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं मुझे यह बताते हुए अत्यंत हर्ष की अनुभूति हो रही है कि स्वामी के आशीर्वाद से कोविड-19 के लिए बनाई गई इम्युनिटी बूस्टर का वितरण निरंतर बढ़ रहा है।यह बढ़ोतरी 30% तक हो गई है तथा यह 1,80,000 व्यक्तियों तक वितरित की जा चुकी है, केवल भारत में ही। यह आंकड़ा एक मील के पत्थर के समान है, इसके लिए मैं अपने सभी चिकित्सकों को धन्यवाद अर्पित करता हूँ कि आप लोगों के अथक प्रयास और निस्वार्थ सेवा के प्रति समर्पण से यह कार्य संभव हुआ है।
साईं की प्रेममयी सेवा में रत
जीत के. अग्रवाल
अनिद्रा 00814...Croatia
चिकित्सक से पहचान वाली एक 65-वर्षीय महिला जो पिछले 1 वर्ष से अनिद्रा रोग से पीड़ित थी ने चिकित्सक से संपर्क किया। वह रात्रि को 2 घंटे से अधिक नहीं सो पाती थी। इस वजह से बहुत तनाव में रहती थी, वह परेशान, बेचैन और चिंतित रहती थी जो कि उसके अनुरूप नहीं था क्योंकि उसकी बहुत स्वस्थ जीवन शैली थी; उसने जीवित ना रहने का मन बना लिया था। उन्हें 10 सितंबर 2019 को निम्न औषधि दी गई:
#1. CC15.1 Mental & Emotional tonic…TDS
#2. CC15.6 Sleep disorders…सोने से आधा घंटा पूर्वI
#2 की 3 खुराक 10 मिनट के अंतर पर लेने से उस रात वह 8 घंटे तक सोई। दूसरी रात को वह बिल्कुल भी नहीं सो सकीI तीसरी रात, वह टीवी देखते हुए सोफे पर ही सो गई थी बिना औषधि के सेवन के। केवल 2 दिनों तक औषधि का सेवन करने के बाद उसको प्रतिदिन समय पर नींद आने लगी थी और वह सामान्य हो गई थी। 2 सप्ताह बाद जब वह मिलने आई तो पहले की अपेक्षा ठीक लग रही थी। तनाव के कारण को वह बता सकती थी परंतु उसने उसे नहीं बताया। चिकित्सक ने अनुमान लगाया कि वह 60% तक स्वस्थ हो गई थी मानसिक तौर पर। औषधि #2 का 2 दिन बाद ही सेवन बंद कर दिया था। लेकिन वह प्रतिदिन ठीक प्रकार से सो रही थी। उसको औषधि #1 को नियमित रूप से लेते रहने के लिए कहा गया तथा औषधि #2 को भी शुरू करने के लिए कहा गया। एक माह बाद उसकी मानसिक स्थिति में 80% तक सुधार हो गया था अतः #1औषधि की खुराक को BD कर दिया गया। दुबारा जब वह 19 दिसंबर 2019 को मिले तो वह शत-प्रतिशत सामान्य नजर आ रही थी और अपने तनाव के बारे में बात करने की इच्छुक थी (परिवार से संबंधित) अतः #1 की खुराक को OD कर दिया गया। उसमें जीने के प्रति इच्छा जागृत हो गई थी और उसकी अन्य इच्छाएं भी जागृत होने लगी थी। यहां तक कि 65 वर्ष की आयु में भी उसमें अपनी नई फार्मेसी खोली। दोनों औषधियों को 1 मार्च 2020 तक बंद कर दिया गया। जुलाई 2020 तक वह बिल्कुल स्वस्थ थी।
क्रोहन रोग 00814...Croatia
एक 47-वर्षीय पुरुष मल में रक्त और पेट में दर्द की शिकायत लेकर आया। वह 23 वर्ष पूर्व संबंध विच्छेद के बाद क्रोहन रोग से ग्रसित हुआ था और उनके सबसे अच्छे दोस्त की भी मौत हो गई थी। दो बार लगातार उसकी पेरीअनल फिस्टुला की शल्य चिकित्सा की गई थी और फिर छोटी आंत टूटने के कारण। डॉक्टर ने उसे सालाज़ोपाइरिन (आंत्र रोग के लिए सूजन रोघी) औषधि के सेवन करने के लिए कहा था, जिसे उसने 15 वर्षों तक लेकर बंद कर दिया था क्योंकि इससे उसको लाभ नहीं हो रहा था। वह पोषक तत्वों की खुराक का सेवन कर रहा था जैसा कि क्रोहन के रोगी करते हैं।
23 दिसंबर 2019 को चिकित्सक ने उसे निम्न औषधि दी:
#1. CC4.6 Diarrhoea + CC15.1 Mental & Emotional tonic…TDS
उसके स्वास्थ्य में बहुत जल्दी सुधार हुआ और केवल 2 सप्ताह में ही उसकी स्थिति में 50% का सुधार हो गया था। लेकिन अगले एक माह तक उसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं होने से चिकित्सक ने औषधि को और प्रभावी बनाने के लिए 1 फरवरी 2020 को #1 को बढ़ा कर निम्न औषधि दी:
#2. CC12.1 Adult tonic + CC14.1 Male tonic + #1…TDS
एक महीने के भीतर, सुधार 80% हो गया। मल में रक्त आना बंद हो गया था, दर्द भी कम हो गया था और उसकी निजी जिंदगी में भी सुधार हो गया था। अतः #2 की खुराक को कम करके OD कर दिया गया। वह अभी भी सप्लीमेंट का उपयोग कर रहा थाI यह सप्लीमेंट सामान्य भोजन की तुलना में सस्ते पड़ते थे। 20 जुलाई तक वह औषधि को OD रूप में ही ले रहा था ।यदि वह कोई खुराक लेना भूल जाता था तो वह बहुत बेचैनी अनुभव करता था।
बांझपन 02444...India
एक दम्पति, एक 35 वर्षीय पुरुष और उसकी 32 वर्षीय पत्नी, शादी के 14 वर्षों तक किसी बच्चे की आशा करते रहे थे यद्यपि उन्होंने 2-3 वर्ष तक प्रत्येक होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक और एलोपैथिक उपचार भी करवाया था। वे गोवा के समुद्र तट पर एक छोटी सी दुकान चलाते थे, वहीं पर उनकी मुलाकात चिकित्सक से हुई थी जो वहां छुट्टियां बिताने के लिए गए थे। 14 सितंबर 2017 को चिकित्सक ने उन्हें निम्न औषधियां दी:
पति:
SR232 Pearl + SR343 Argent Nit + CC14.1 Male tonic + CC14.3 Male infertility + CC15.1 Mental & Emotional tonic...BD
पत्नी:
SR232 Pearl + SR343 Argent Nit + CC8.1 Female tonic + CC8.4 Ovaries & Uterus + CC 15.1 Mental & Emotional tonic...BD
दोनों को 4 माह के लिए दवाई दी गई। दवाई खत्म होने के बाद भी उन्होंने चिकित्सक से संपर्क नहीं किया। अगले वर्ष नवम्बर 2018 में वह चिकित्सक छुट्टियां मनाने जब गोवा आए तो वह उस दंपति से मिले तो उस दंपत्ति ने उन्हें 3 माह का एक बच्चा उनके गोद में दिया और यह विश्वास दिलाया कि यह बच्चा वाईब्रिओनिक्स के प्रभाव से ही पैदा हुआ है। उन्होंने प्रसन्नता पूर्वक बतलाया कि उसकी पत्नी एक बार फिर मां बनने वाली है!!!
यदि 108CC बॉक्स का उपयोग कर रहे हैं, तो पत्नी के लिए दें: CC14.1 Male tonic + CC14.3 Male Infertility + CC15.1 Mental & Emotional tonic
108CC बॉक्स का उपयोग करने पर, पति के लिए दें: CC8.1 Female tonic + CC8.4 Ovaries & Uterus + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC15.4 Eating disorders
हर्निया 02444...India
फ्रांस के एक 47 वर्षीय पुरुष को 2 वर्ष से दर्द युक्त हर्निया था जो कि लगभग 1 इंच व्यास का था। यह पुरुष के पेट और जांघ के बीच बाएं और था। यह एक कुरूप गुब्बारे की तरह फैल रहा था। डॉक्टर ने कहा था कि इसकी शल्यक्रिया करनी पड़ेगी जिसके लिए उसने मना कर दिया था। रोगी ने चिकित्सक से 11 जून 2020 को संपर्क किया, चिकित्सक ने उसे निम्न उपचार दिया:
NM96 Scar Tissue + SR356 Plumbum Met + CC4.9 Hernia + CC14.1 Male tonic...6TDपानी में
3 दिन के पश्चात रोगी ने बताया कि दर्द समाप्त हो गया है और हर्निया का आकार भी छोटा हो गया है। दसवें दिन जब उनकी मुलाकात हुई चिकित्सक को पता चला कि हर्निया पूरी तरह से समाप्त हो गया है और दर्द भी दुबारा नहीं हुआ है। बिल्कुल स्वस्थ होने के बाद, वह व्यक्ति 1 सप्ताह रुक कर फ्रांस वापस चला गया।
यदि 108CC बॉक्स का उपयोग कर रहे हैं, तो दें: CC4.9 Hernia + CC14.1 Male tonic + CC21.1 Skin tonic
कब्ज 02444...India
एक 60-वर्षीय आयरिश व्यक्ति बचपन से ही कब्ज रोग से पीड़ित था। वह दो-तीन दिन बाद ही मल त्यागने के लिए जाता था वह भी बहुत मुश्किल से होता था। उसने एलोपैथी उपचार 1 वर्ष तक लिया होम्योपैथी उपचार 2 वर्ष तक लिया और आयुर्वेदिक उपचार 5 वर्ष तक लिया। लेकिन किसी से भी उसे लाभ नहीं हुआ।जब वह छोटी यात्रा पर भारत आए, तो यात्रा और आहार में बदलाव के कारण उनकी हालत और अधिक बिगड़ जाती थी। 3 दिन तक भी मल त्याग नहीं पाता था। अतः रोगी चिकित्सक के पास 12 फरवरी 2019 को उपचार के लिए पहुंचा। चिकित्सक ने उसे निम्न औषधि दी:
SR356 Plumbum Met + CC4.4 Constipation + CC14.2 Prostate + CC15.1 Mental & Emotional tonic...BD
भारत में वह चिकित्सक के पास ही किसी मकान में रहता था और कई बार वह रोज ही मिलते रहते थे। अगले दिन, रोगी ने चिकित्सक को बताया कि उसका पेट एकदम साफ हो गया है बिना किसी परेशानी के। 3 दिन के बाद, वह विशेष रूप से चिकित्सक को यह बताने के लिए आया कि कई सालों में पहली बार वह प्रतिदिन मल त्यागने के लिए जा रहा है, यह सब वाईब्रिओनिक्स उपचार के कारण ही संभव हुआ है। उसने काफी अधिक मात्रा में औषधि देने के लिए कहा क्योंकि वह अगले दिन ही आयरलैंड जाने वाला था। चिकित्सक ने उसके लिए एक बड़ी बोतल में छह माह की दवा तैयार कर दी थी और उसे यहां से विदा किया।
यदि 108CC बॉक्स का उपयोग करते हैं, तो दें: CC4.4 Constipation + CC4.10 Indigestion + CC14.2 Prostate + CC15.1 Mental & Emotional tonic
श्वसन संबंधी एलर्जी, स्तंभन दोष 11964...India
पिछले 4 वर्षों से एक 31-वर्षीय पुरुष पूरे साल बहती नाक, छींकने और गले की खराश के कारण परेशान रहता था। जिसके कारण वह हर समय थकान महसूस करता था। मौसम में परिवर्तन से यह लक्षण और तीव्र हो जाते थे। वह इसके उपचार के लिए सिट्रीज़ीन या एलेग्रा जैसे एंटीहिस्टामाइन का सेवन करता था परंतु इससे उसको अस्थाई लाभ ही प्राप्त होता था। 24 सितंबर 2016 को, रोगी ने चिकित्सक से संपर्क किया तथा उसे निम्न औषधि दी गई:
#1. CC9.2 Infections acute + CC10.1 Emergencies + CC12.4 Autoimmune diseases...TDS
रोगी को तुरंत ही वहां से जाना पड़ गया। 5 माह बाद जब वह वापस आया तो उसे गंभीर खांसी, सीने में जलन, साइनस और आंतरायिक बुखार की शिकायत हुई, जो कि हाल ही में विकसित हुई थी। उन्होंने पुष्टि की कि उपरोक्त उपाय #1 ने इतनी अच्छी तरह से काम किया है कि उनकी अनुपस्थिति के दौरान उन्हें 100% राहत मिली। 2 मार्च 2017 को, चिकित्सक ने उसे श्वसन एलर्जी के लिए निम्न औषधि दी:
#2. CC9.2 Infections acute + CC19.2 Respiratory allergies + CC19.3 Chest infections chronic + CC19.5 Sinusitis + CC19.6 Cough chronic...QDS
2 सप्ताह में रोगी पूर्णतया स्वस्थ हो गया लेकिन औषधि को शनैः शनैः कम करना भूल गया, अत्यधिक कार्यभार होने के कारण वह औषधि का सेवन करना भी भूल गया। अतः 2 माह पश्चात, सभी लक्षण पुनः प्रकट हो गए, केवल बुखार ही नहीं हुआ। 15 मई को उसको पुनः दवाई दी गई तथा सावधानियों का सख्ती से पालन करने और ठीक होने के बाद दवा की खुराक को कम करते हुए दवा के सेवन को बंद करने के लिए कहा गया। रोगी ने निर्देशों का पालन करने के लिए विश्वास दिलाया। उसे निम्न औषधि दी गई:
#3. CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC19.3 Chest infections chronic + CC19.6 Cough chronic...TDS
12 दिन बाद, 27 मई 2017 को उसने 100% लाभ हो जाने की सूचना दी। #3 की खुराक को 1 सप्ताह तक TDS लेने की सलाह दी गई और उसको अगले दो माह में कम करते हुए बंद करने की सलाह दी गई। उसको दुबारा कोई लक्षण प्रकट नहीं हुए।
इस सफलता के बाद उसने अपनी अन्य समस्याओं के लिए उपचार लेने का मानस बना लिया जैसे कि इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और देरी से डिस्चार्ज और कम स्पर्म की समस्या। 2 वर्ष पूर्व उसका विवाह हुआ था। उसने विभिन्न एलोपैथिक, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक उपचार भी लिए परंतु उनसे अस्थाई लाभ ही हुआ था। 27 जुलाई 2017 को रोगी अत्यधिक अवसाद में था और बेबस थाI उसने अपने सभी यौन रोगों से संबंधित उपचार बंद कर दिए। चिकित्सक ने उसे निम्न उपचार दिया:
#4. CC14.1 Male tonic + CC14.3 Male infertility + CC15.1 Mental & Emotional tonic...TDS
3 सितंबर को रोगी ने सूचना दी कि उसको कोई लाभ नहीं हुआ है । अतः #4 को बदलकर #5 औषधि दी गई।
#5. CC17.2 Cleansing...TDS
3 सप्ताह बाद, 23 सितंबर को उसको तनाव कम था लेकिन और कोई परिवर्तन नहीं हुआ था। अतः चिकित्सक ने उसे मियास्म देने का मन बना लिया। उसको केवल एक खुराक #6. SR249 Medorrhinum 1M दी गई।
1 माह बाद 23 अक्टूबर को रोगी को 25% लाभ हुआI उसी दिन उसे उससे उच्च खुराक 50M दी गईI इसके पश्चात तीसरी खुराक CM, 22 नवंबर को दी गई। अब उसे 100% लाभ हो चुका था और उस दंपति ने अपना दूसरा हनीमून गोवा में मनाया। रोगी की चिकित्सक से मुलाकात अप्रैल 2018 में हुई। उसकी पत्नी 6 सप्ताह की गर्भवती थी। उसने एक स्वस्थ बालक को 31 दिसंबर 2018 को जन्म दिया।
19 अगस्त 2017 को रोगी की 27-वर्षीय पत्नी ने बताया कि उसे हर समय हल्के बुखार की शिकायत रहती है। यह समस्या उसे पिछले 10 वर्षों से है, आंखों के नीचे भारीपन और कभी-कभी सिरदर्द की शिकायत भी रहती है। उसने कई डॉक्टर से सलाह ली और काफी परीक्षण भी करवाए सिटी स्कैन भी करवाया परंतु नतीजा शून्य ही रहा। जब चिकित्सक के पास आई तो उसने सभी प्रकार के उपचार बंद कर दिए थे और अपने आप को भाग्य के भरोसे छोड़ दिया था। उसको निम्न औषधि दी गई:
CC8.1 Female tonic + CC9.2 Infections acute + CC10.1 Emergencies + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic...TDS
8 सप्ताह के उपचार से बुखार, सिर दर्द और आंखों का भारीपन ठीक हो गया था। खुराक को अगले 4 माह के दौरान शनैः शनैः कम कर दिया गया तथा दिसंबर 2017 में उपचार को बंद कर दिया गया। आज की तारीख तक वह पूर्णतया स्वस्थ है।
13 अगस्त 2018 को पुरुष रोगी से प्राप्त प्रशंसा पत्र:
वाईब्रिओनिक्स के साथ मेरे कुछ आश्चर्यजनक परिणामों के बारे में, मैं कुछ अपने विचार व्यक्त करना चाहता हूं। मुझे मौसम परिवर्तन और कुछ अन्य कारणों से एलर्जी हो जाती थी। 3 से 4 वर्षों तक मेरी नाक सदैव बहती रहती थी, गले में खराश रहती थी, यह सब पूरे वर्ष भर चलता रहता था। मैंने बहुत प्रकार की औषधियों का सेवन किया था, कुछ तो बहुत उच्च श्रेणी की खुराक ली थी, जो कि एंटीबायोटिक्स थी। एलर्जी के लिए टीकाकरण भी करवाया था। तभी मुझे वाइब्रॉनिक्स के चिकित्सक के बारे में मालूम हुआ। उनके द्वारा दी गई पिल्स का मुझ पर चमत्कारी प्रभाव हुआ और मैं बहुत शीघ्रता से स्वस्थ होने लगा तथा वे लक्षण मुझे दोबारा नहीं हुए। फिर भी मैं उन पिल्स को सदैव अपने पास रखता था। और गले में हल्की खुजली होने पर भी मैं औषधि ले लेता था और यह हर बार काम करती है। मैं अपनी पुरानी लैंगिक समस्याओं से भी मुक्त हो गया था और अब मेरी पत्नी 6 माह के गर्भ से है। उसको भी हल्के बुखार की समस्या रहती थी (99-100F) थकान महसूस होती थी पिछले 9 से 10 सालों से। उसने कई डॉक्टरों से सलाह ली, बहुत से परीक्षण करवाएं, सिटी स्कैन भी करवाया लेकिन कोई भी डॉक्टर उसका इलाज नहीं कर पाया लेकिन वाइब्रॉनिक्स औषधि से वह पूर्णतया स्वस्थ हो गई है।
अंकल और आंटी, आप लोगों की निस्वार्थ सेवा भाव से बहुत प्रभावित हूं तथा आपको धन्यवाद ज्ञापित करता हूं। आपने हमारे जीवन को पूर्णतया बदल दिया है। आप लोग दिन-रात लोगों को जीवन दान देने में संलग्न रहते हो। यह एक आश्चर्य से कम नहीं है वह भी बिना किसी मूल्य के। आप के निदान के प्रति में नतमस्तक हूं। आपके आशीर्वाद के फल स्वरुप मैं यह जीवन जी पा रहा हूँ!
मूत्र असंयम 11624...India
एक 82-वर्षीय पुरुष को मूत्र पर कंट्रोल नहीं रहता था, वह 4 वर्षों से पीड़ित था तथा डॉक्टर ने इसके लिए प्रोस्टेट का बढ़ जाना बताया था। उसको औषधि Dynapres दी गई जिससे उसको कुछ अस्थाई लाभ प्राप्त हुआ लेकिन इसके दुष्प्रभावों के कारण उसने इसे केवल 3 माह के बाद ही बंद कर दिया था। वह किसी प्रकार अपनी इसी अवस्था के साथ जीवन निर्वाह कर रहा था। 5 माह पूर्व इस अवस्था में और बढ़ोतरी हो गई। पिछले माह उसकी स्थिति बहुत अधिक खराब हो गई थी। दिन में उसे सात आठ बार और रात्रि में पांच छह बार मूत्र के लिए जाना पड़ता था जो उसकी नींद में भी बाधा डालता था। वह मूत्र में नियंत्रण नहीं रख पाता था। वॉशरूम तक जाते जाते उसका मूत्र निकल जाता था। इसी प्रकार रात्रि में भी उसका बिस्तर गीला हो जाता था।
10 वर्ष पूर्व, उनके कूल्हे की हड्डी टूट जाने के कारण शल्यक्रिया हुई थी। 4 वर्षों से वह घुटने के दर्द से भी पीड़ित थे। इन सब कारणों से वह मानसिक रूप से अस्वस्थ रहने लगा थे। अपनी पत्नी की बीमारी के कारण उन्हें भूख भी नहीं लगती थी। एक माह में ही उनका 2 kg. वजन कम हो गया था। चिकित्सक ने सबसे पहले उनका मूत्र नियंत्रण का उपचार करने का मानस बना लिया था। 29 फरवरी 2020 को चिकित्सक ने उसे निम्न औषधि दी:
#1. CC13.3 Incontinence + CC14.2 Prostate + CC18.5 Neuralgia…6TD
3 दिन बाद ही रोगी की पुत्री ने सूचना दी कि अब उसके पिता वॉशरूम तक पहुंचने तक मूत्र पर नियंत्रण रख पा रहे हैं। बिस्तर भी गीला नहीं होता है परंतु उन्हें थकान बहुत रहती है। औषधि #1 को कम कर दिया गया तथा कमजोरी के लिए उन्हें #2. CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental and Emotional tonic…TDS दिया गयाI
1 सप्ताह में ही 9 मार्च को पुत्री ने सूचित किया कि उनके पित्ता की मूत्र पर नियंत्रण की समस्या दूर हो गई है। वह अच्छी तरह से खाने लगे हैं और भूख भी लगने लगी है। अतः #1 और #2 की खुराक BD कर दी गई 2 सप्ताह के लिए, उसके पश्चात OD, 2 सप्ताह के लिए। रोगी ने 7 अप्रैल 2020 से उपचार बंद कर दिया।
उनकी पुत्री चिकित्सक से अक्सर मिलती रहती है। अब उनका पूरा परिवार वाईब्रिओनिक्स औषधि का सेवन करता है। अगस्त 2020 तक रोगी बिल्कुल स्वस्थ महसूस कर रहा था। नींद और मूत्र की समस्या नहीं थी।
लैरींगाइटिस (स्वर यंत्र प्रदाह) 11561...India
एक 38-वर्षीय महिला चिकित्सक के पास अपने स्वर यंत्र में प्रदाह और दर्द के उपचार के लिए पहुंची। यह लक्षण वर्ष 2011 के अंतिम दिनों में अधिक उभरे जब उसने संगीत का प्रशिक्षण लेना शुरू किया। उसके बाद से यह समस्या बढ़ती ही गई। अधिक समय तक अभ्यास करने पर समस्या बहुत बढ़ जाती थी। उनके ENT के विशेषज्ञ ने लैरींगोस्कोपी से परीक्षण करके बतलाया कि उन्हें लैरींगाइटिस है। उसके लिए एलोपैथिक औषधि दे दी और संगीत के अभ्यास करने के लिए मनाही कर दी। इससे उसको अस्थाई लाभ ही हुआ और इसलिये उसने घरेलू उपचार कुछ महीनों के लिए कियाI अतः वह गाने के लिए असमर्थ हो गई थी। वर्ष 2015 में उसने एक आयुर्वेदिक डॉक्टर से उपचार करवाया जिसने उसे कुछ औषधियां दी और कुछ परिवर्तन भोजन में भी किए। गाने के लिए मना कर दिया। उसने इन निर्देशों को 8 माह तक पालन किया। इससे यद्यपि उसे लाभ तो हुआ लेकिन फिर से गायन शुरू करने से यह समस्या फिर खड़ी हो गई। उसने स्वर विशेषज्ञ से भी सलाह ली लेकिन लाभ अस्थाई ही हुआ।
16 अक्टूबर 2017 को उसने वाईब्रिओनिक्स उपचार के लिए मानस बनाया। 2 दिन से उसके गले में बहुत दर्द था और खराश भी बहुत अधिक थी। गायन से प्रतिबंधित होने के कारण वह काफी उदास महसूस कर रही थी, भूख भी कम हो गई थी और वह अपने बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति चिंतित रहने लगी थी। चिकित्सक ने उसे ढांढस बंधाते हुए शांत रहने के लिए कहा और जब चिन्तित हो तो धीरे-धीरे पानी पीने के लिए कहा और कुछ प्राणायाम भी बतलाए। चिकित्सक ने उसे निम्न औषधि भी दी:
#1. CC4.1 Digestion tonic + CC10.1 Emergencies + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC19.7 Throat chronic…6TD
1 सप्ताह बाद रोगी को गले के दर्द में 10% लाभ हुआ। 16 सप्ताह बाद, 3 फरवरी 2018 को उसको अपनी आवाज में 50% लाभ नजर आया तथा 70% लाभ गले के दर्द में हुआ। चूंकि लाभ बहुत धीरे-धीरे हो रहा था, अतः चिकित्सक ने रोगी के पूर्व इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त की। उसे यह मालूम हुआ कि बचपन में सिर को धोने के बाद भारीपन हो जाता था और बलगम भी आता था। आयुर्वेदिक डॉक्टर ने धूल से एलर्जी भी बतलाई थी तथा और लैक्टोज एलर्जी के कारण उसको एसिड रिफ्लक्स हो जाता था, जिसके कारण से गले में और स्वर में खराश हो जाती थी। औषधि में थोड़ा परिवर्तन किया गया जो उसकी पिछली बीमारी पर प्रभावी हो।
2. CC4.10 Indigestion + CC9.2 Infections acute + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC19.2 Respiratory allergies + CC19.3 Chest infection chronic + CC19.5 Sinusitis + CC19.7 Throat chronic…6TD
5 सप्ताह के बाद, वह बड़ी प्रसन्न मुद्रा में आई, उसके गले का दर्द ठीक हो गया था और गले की खराश, अम्लता और भूख में 80% का लाभ हो गया था। 23 अप्रैल 2018 तक वह पूर्णतया स्वस्थ हो गई थी । खुराक को TDS कर दिया गया। वह अपनी गायन कक्षा और मंच पर वापसी से बहुत प्रसन्न थी।
8 अगस्त 2018 को, उसने अपनी ख़ुशी जाहिर करते हुए बताया कि वह आराम से जी # स्केल में पूरे एक घंटे का संगीत कार्यक्रम कर सकी। उसने तहे दिल से वाईब्रिओनिक्स का शुक्रिया अदा किया। चिकित्सक ने औषधि की खुराक को 5 महीने में धीरे-धीरे कम कर के जनवरी 2019 में बंद कर देने के लिए कहा। 27 फरवरी 2019 को उसको CC12.1 Adult tonic तथा एक माह बाद CC17.2 Cleansing देने की अनुशंसा की गई जिसे उसे पूरे वर्ष भर एकांतर रूप से लेना था। जून 2020 तक उसे कोई भी लक्षण दुबारा प्रकट नहीं हुआ था। वह अपनी पुत्री के उपचार के लिए चिकित्सक के पास आती रहती है।
क्रोनिक बर्पींग, घुटकी (ओएसोफेगस) में जलन 11603...India
एक 37-वर्षीय पुरुष 3 वर्षों से पूरे दिन बर्पिंग से परेशान रहता था और खाने की नली में जलन होती रहती थी विशेषकर रात्रि के समय जिससे रात को नींद भी ठीक से नहीं आती थी। रोगी ने 2 माह तक आयुर्वेदिक उपचार भी लिया था परंतु कोई लाभ नहीं हुआ था। 13 नवंबर 2018 को युवक ने वाइब्रो चिकित्सक का उपचार शुरू किया था और उसे निम्न औषधि दी गई:
CC4.10 Indigestion + CC15.1 Mental & Emotional tonic...6TD
3 दिन पश्चात, उसको 90% का लाभ हो गया था, दोनों ही बर्पिंग और बर्निंग समस्याओं में और वह अच्छी तरह से सो सकता था। अतः खुराक को TDS कर किया गया। 30 नवंबर को, 2 सप्ताह के बाद, रोगी को दोनों लक्षणों से 100% का लाभ हुआ। अतः खुराक को OD कर दिया गया, 2 सप्ताह के लिए। इसके पश्चात 3TW 1 सप्ताह के लिए तथा OW 1 सप्ताह के लिए। 28 दिसंबर 2018 को औषधि को बंद कर दिया गया।
3 माह के बाद, 25 मार्च 2019 को फिर से बर्पिंग की शिकायत होने लगी पर पहले की अपेक्षा कम थी लेकिन गले में जलन की शिकायत नहीं थी। चिकित्सक ने वही रेमेडी TDS रूप में दी। 2 सप्ताह बाद बर्पिंग बंद हो गई। अतः खुराक को OD कर दिया गया। रोगी ने निश्चय किया कि वह इस रेमेडी को कई माह तक लेता रहेगा तथा उसको 21 अक्टूबर 2019 को बंद किया। कोविड-19 के लिए, जब वह इम्यूनिटी बूस्टर लेने के लिए आया तब उसने बतलाया कि अब वह पूर्ण रुप से ठीक है और कोई भी लक्षण दुबारा नहीं प्रकट हुआ है।
खुजली 11561...India
एक 11-वर्षीय लड़की को पहली बार अपने पूरे शरीर पर बहुत खुजली शिकायत हुई। इससे उसके शरीर पर भूरे गुलाबी रंग के रैशेज़ पड़ जाते थे। कारण अज्ञात था परन्तु उसके डॉक्टर ने उसे फंगल इन्फेक्शन का नाम दिया था। इसके लिए उसने एलोपैथिक औषधि का 2 सप्ताह तक सेवन किया लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ थाI अतः उसने उसका सेवन बंद कर दिया। वह लड़की मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ थी। वह 1 महीने पहले से ही इस बीमारी से त्रस्त थी जब उसकी मां उसे चिकित्सक के पास 21 September 2017 को ले कर आईI चिकित्सक ने उसे निम्न औषधि दी:
#1. CC21.3 Skin allergies + CC21.6 Eczema + CC21.7 Fungus + CC21.10 Psoriasis...TDS शुद्ध नारियल के तेल में बाह्य उपयोग के लिए।
चिकित्सक को यह मालूम था कि आंतों में कीड़े होने के कारण भी खुजली होती है: यह बात उसे उसकी मां ने बताई थी और उसकी पुत्री को वह कीड़े समाप्त करने वाली दवा भी अतिदेय थी। अतः चिकित्सक ने कीड़ों को समाप्त करने की औषधि भी मिला दी: #2. CC4.6 Diarrhoea + #1...6TD खाने के लिएI
रोगी दिन भर में 1 लीटर से भी कम पानी पीती थी और मीठे की शौकीन थी। चिकित्सक ने उसे 2-3 लीटर पानी प्रतिदिन पीने के लिए कहा। रोगी की मां चिकित्सक से प्रतिदिन मिलती रहती थी। 24 घंटे के अंदर की खुजली में 40% की राहत मिल गई थी परंतु रैशेज में कोई अंतर नहीं पड़ा था। दूसरे दिन खुजली में 90% तक का लाभ हो गया और रेशैज़ में भी 50% तक का लाभ हो गया था। 3 दिन के बाद, खुजली बिल्कुल समाप्त हो गई थी और रेशैज़ में भी 70% का लाभ हो गया था। अतः औषधि #2 की खुराक को 3 दिन के लिए TDS कर दिया गया तत्पश्चात उसे OD कर दिया गया। 3 अक्टूबर तक रेशैज़ भी पूर्णतया ठीक हो गए थे। अतः #2 की खुराक को 1 माह के लिए OW करके उपचार बंद कर दिया गया। औषधि #1 को तेल समाप्त होने तक चलने दिया गया। मई 2020 तक उसको कोई भी परेशानी नहीं हुई थी।
जोड़ो का दर्द -चिकनगुनिया के बाद 11622...India
12 मार्च 2020 को एक 32-वर्षीय महिला चिकित्सक के पास उपचार हेतु पहुंची, वह जोड़ों में दर्द, शरीर में दर्द, सिर दर्द और अत्यधिक थकान से पीड़ित थी। उसे 4 वर्ष पहले चिकनगुनिया हुआ था जिससे उसको जोड़ों में सूजन, दर्द, बुखार और सिर दर्द भी था। उसने एलोपैथिक उपचार करवाया था। 1 वर्ष बाद उसको टाइफाइड हो गया था तथा तेज बुखार भी था। इसका उपचार भी अस्पताल में हुआ था। उसके बाद से ही उसको हर माह यह लक्षण प्रकट हो जाते थे और उसे एलोपैथिक उपचार लेना पड़ता था। कुछ समय के लिए उसे आराम मिल जाता था लेकिन समस्या समाप्त नहीं हुई थी। अतः इस बार उसने वाईब्रिओनिक्स उपचार लेने का मानस बनाया। शिक्षक ने यह भी अनुमान लगाया कि वह अवसाद की स्थिति में थी और उसमें आत्मविश्वास की भी कमी थी। चिकित्सक ने उसे निम्न औषधि दी:
CC9.2 Infections acute + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC20.2 SMJ pain…TDS
2 सप्ताह बाद, रोगी को 80% लाभ हो गया था, वह प्रसन्न नजर आ रही थी। 2 अप्रैल को उसने सूचना दी कि वे पूर्णतया स्वस्थ हो गई है। खुराक को BD कर दिया गया,1 सप्ताह के लिए तदुपरांत उसको OD कर दिया गया। 16 अप्रैल 2020 तक वह युवती अपने सभी कार्य करने लगी थीI अतः उसने औषधि का सेवन बंद कर दिया।
जुलाई 2020 तक उसे कोई भी लक्षण दुबारा नहीं हुए। वह प्रसन्न है और उसका जीवन स्तर भी उच्च हो गया है।
मनोरोग संबंधी विकार 11592...India
वर्ष 2017 में, एक 40 वर्षीय महिला चिकित्सक के पास पहुंची। वह बहुत परेशान थी, इसका कारण था अन्जान भय, सदैव उदासी और बिना कारण के रोनाI मृत्यु के समाचार को सुनकर ही वह सिहर उठती थी। एंबुलेंस की आवाज सुनकर भी वह घबरा जाती थी। वह सिर के ऊपर की नसों में तनाव महसूस करती थी जिसके कारण उसे सिर दर्द हो जाता था। उसमें आत्मविश्वास की बहुत कमी थी। उसको यह समस्या 2006 में शुरू हुई थी और उसका कोई कारण नहीं था। जब लक्षण तीव्र हो गए तो वह कमजोरी महसूस करने लगी फिर भी वह अपने दैनिक कार्य किसी प्रकार करती रही थी।
अगस्त 2006 में एक न्यूरो सर्जन ने उसके सिर का सीटी स्कैन करने के लिए कहा था परंतु इससे कोई असामान्यता नहीं मिली। सिर दर्द और कमजोरी के लिए औषधियां लिख दी गई जिसे उसने 2 वर्ष तक लिया लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ बल्कि जो अस्थाई लाभ हुआ था वह भी इन औषधियों के दुष्प्रभाव के कारण समाप्त हो गया था। जुलाई 2008 में, उसको पेट के दाएं और दर्द महसूस होने लगा था। गैस और डकार की समस्याएं शाम को और रात्रि को होने लगी थी। इसके अतिरिक्त उसको दाएं कान में घंटी की आवाज भी आने लगी थी, उनसे एक विशिष्ट प्रकार की गूंज भी हफ्ते में तीन चार बार सुनाई देने लगी थीI उसने दवाओं के होने वाले दुष्प्रभावों के कारण, ENT विशेषज्ञ से मिलने के लिए मना कर दिया था। इसकी बजाय उसने होम्योपैथिक उपचार, मानसिक समस्याओं एवं कानों में गूँज की समस्या के लिये, लेना शुरू कर दिया था। इस उपचार से भी कोई लाभ ना होने के कारण 2 माह बाद उपचार बंद कर दिया गया। अक्टूबर 2008 में उसके चिकित्सक ने अवसाद के रूप में स्थिति का निदान किया और उसको प्लेसिडा देना शुरू किया। इस औषधि को वह जुलाई 2014 तक लेती रही जब तक कि भारत सरकार ने उस पर पाबंदी नहीं लगा दी थी।इस औषधि के सेवन से वह दिन भर सोते रहने की इच्छा करती थी। वह अपने कानों की समस्या को किसी प्रकार सहन करती रही थी।
प्लेसिडा को बंद कर देने के बाद उसकी मानसिक स्थिति और अधिक बिगड़ गई और वर्ष 2014 में उसे फिर से मानसिक रोग विशेषज्ञ के पास जाना पड़ा। उसने उन्हें MDD-XR 100 mg OD अवसाद के लिए और Happi-D गोली गैस की समस्या के लिए दी। एक भी बार भूल से औषधि छूट जाने पर उसकी स्थिति बहुत खराब हो जाती थी। इन औषधियों का सेवन करने के 2 वर्ष बाद, उसे हवा में लात चलाने की आदत पड़ गई। डॉक्टर इसके लिए उसे कोई अन्य औषधि देने में असमर्थ था बल्कि औषधियां बंद नहीं करने की चेतावनी भी दे दी थी क्योंकि दवाओं को बंद करने के बाद गंभीर परिणाम होने की संभावना थी। अत: रोगी के पति ने चिकित्सक (उसका मित्र) से संपर्क किया जिसने उन्हें निम्न औषधि दी:
#1. CC3.7 Circulation + CC4.10 Indigestion + CC5.3 Meniere’s disease + CC12.1 Adult tonic + CC15.2 Psychiatric disorders...TDS
एक माह बाद उसको सभी लक्षणों में 50% तक का लाभ दृष्टिगोचर हुआ - डर, उदासी, बिना बात के चिल्लाना, सिरदर्द, पावों की बेचैनी, कानों में झनझनाहट और गैस। एक और माह बाद उसकी गैस और कान की समस्याएं समाप्त हो गई थी जबकि दूसरे लक्षणों में धीरे-धीरे सुधार हुआ। अगले 10 माह में, नवंबर 2018 के अंत तक वह पूर्णतया स्वस्थ हो गई थी। वह अब कमजोरी महसूस नहीं कर रही थी और उसमें आत्मविश्वास भी जागृत हो गया था। अतः उसकी डॉक्टर ने गोली Happi-D को बन्द कर दिया तथा औषधि MDD-XR से 50 mg की मात्रा कर दी थी। 2 सप्ताह बाद, 10 जनवरी 2019 को, इसे 25mg कर के अंत में बंद कर दिया था। 16 जनवरी 2019 को पुनः सिर दर्द और लात चलाने की समस्याएं (लगभग 30%) शुरू हो गई। अतः वरिष्ठ चिकित्सक 11585...भारत ने औषधि #1 को को निम्न औषधि में बदल दिया:
शांत करने के लिए:
#2. NM6 Calming + NM25 Shock + NM95 Rescue Plus...TDS
सिरदर्द के लिए:
#3. NM44 Trigeminal Neuralgia + NM85 Headache-BP...TDS
2 सप्ताह में ही उसका डर समाप्त हो गया था और लात मारने की आदत में 50% सुधार हो गया था। फरवरी के अंत में, औषधियों के सेवन करते रहने से 1 माह में ही उसकी सारी समस्याएं ठीक हो गई थी। औषधि #3 की खुराक को OD कर दिया गयाI चूंकि वह कोई भी एलोपैथिक औषधि का सेवन नहीं कर रही थी अतः औषधि #2 की खुराक को भी, मई के अंत में केवल तीन महीने बाद ही, OD कर दिया गयाI औषधि #3 की खुराक को, जून के अन्त तक OW कर दिया गया और अगस्त 2019 के अन्त तक इसका सेवन बंद कर दिया गयाI फिर भी रोगी औषधि #2 का OD में सेवन कर रही है। जून 2020 तक उसे कोई भी लक्षण दुबारा नहीं हुए हैं।
यदि 108CC बॉक्स का उपयोग कर रहे हैं, तो # 2 के लिए दें: CC15.1 Mental & Emotional tonic; #3: CC11.3 Headaches + CC11.4 Migraines
चिकित्सकों का परिचय 00814...India
चिकित्सक 00814…क्रोएशिया यह चिकित्सक एक फार्मासिस्ट है जिन्हें अपने कार्य का 40 वर्षों का अनुभव प्राप्त है। वह सदैव "वैकल्पिक चिकित्सा" में रुचि लेती रही है। इसलिए इन्होंने होम्योपैथी का प्रशिक्षण प्राप्त किया था। चिकित्सक को साईं बाबा के बारे में 1989 में जानकारी पुस्तक "मैन ऑफ मिरेकल्स" पढ़कर हुई। वह बड़ी श्रद्धा के साथ उनसे प्रार्थना करने लगी और कई बार वह उनके स्वपन में आएI उसके पश्चात 1991 में वह साईं सेवा संगठन की सक्रिय सदस्य बन गई, वह भजनों में शामिल होने लगी। वर्ष 1991 से 1995 तक क्रोएशिया में स्वतंत्रता की लड़ाई में उन्हें कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा लेकिन इससे उन्हें साईं संगठन के माध्यम से सेवा के महत्वपूर्ण अवसर भी प्राप्त हुए। 1994 में उन्होंने SSE (बाल विकास) गुरु के रूप में भी कार्य किया। उनकी भारत की पहली यात्रा के दौरान व्हाइटफील्ड जनरल हॉस्पिटल में 1 माह तक सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ।
1997 की पुट्टपर्थी की यात्रा में साईं वाईब्रिओनिक्स के बारे में जानकारी मिली वह भी एक क्रोशिया के भक्त के माध्यम से। कुछ आवश्यक सूचनाओं के साथ डॉ. अग्रवाल से SRHVP मशीन उसी वर्ष प्राप्त हो गई। व्यापार और घरेलू कार्यो के कारण लगभग 20 वर्षों तक वह मशीन का उपयोग नहीं कर सकी। वह कहती हैं कि सबसे बड़ा आश्चर्य यह था कि बाबा उन्हें भूले नहीं थे यद्यपि उसने वाईब्रिओनिक्स प्रैक्टिस की उपेक्षा कर दी थी। सितंबर 2019 में उन्होंने उसे दूसरा अवसर तब दिया, जब क्रोशिया में वाईब्रिओनिक्स की कार्यशाला आयोजित की गई थी। यह कार्यशाला 20 वर्षों के बाद श्रीमती और डॉ. अग्रवाल द्वारा आयोजित की गई थीI उन्होंने उसे दिव्यता का एक संकेत समझकर VP और रिफ्रेशर कोर्स के लिए ऑनलाइन फॉर्म भर दिया। मैंने इस कार्यशाला में प्रशिक्षण लेकर 108CC बॉक्स प्राप्त किया और अपना अभ्यास फिर से शुरू किया। उसके बाद से मैंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
चिकित्सक ने बताया कि जैसे ही वह अपना प्रशिक्षण पूर्ण करके वापस आई तो बस स्टेशन पर ही उसे पहला रोगी मिल गया, वह उसकी मित्र ही थी और वह उसे वहां लेने के लिए आयी थी। उसके घुटनों में तीव्र दर्द था। वह 1 दिन पूर्व ही छुट्टियां बिताकर वापस आई थीI उसके फिजियोथैरेपिस्ट ने उसको एक माह तक उपचार दिया था जिससे उसको कोई लाभ नहीं हुआ था। चिकित्सक ने उसे वहीं पर निम्न औषधि दी, CC10.1 Emergencies + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC20.4 Muscles and Supportive tissue...TDS नए प्राप्त 108CC बॉक्स का उपयोग करकेI दूसरे दिन तक उसके दर्द में 50% तक की कमी आ गई थी। इससे रोगी बहुत अधिक प्रभावित हो गई थी अतः उसने उसे अपनी अन्य समस्याएं भी बतलाई। उसके पश्चात उसने अपने मित्रों और मिलने वालों का उपचार किया।
इसी वर्ष मार्च में एक प्रोजेक्ट आया, “प्रोजेक्ट लैवंडर”I इस चिकित्सक का व्यक्तियों, पशुओं और पौधों के बारे में बहुत दया भाव था, उसने महसूस किया कि उसके शहर की इको क्षेत्र में लगभग 850 लैवंडर झाड़ियां हैं और लगभग 100 ऑलिव पेड़ है। मुख्य तौर पर खुशबू वाली झाड़ियों की अवस्था ठीक नहीं थी। वह स्थानीय अधिकारियों के पास गई और उनसे प्रार्थना की कि उस क्षेत्र की झाड़ियों की दशा अच्छी नहीं है वह स्वयं उनकी देखभाल करना चाहती है। आश्चर्य हुआ कि स्थानीय अधिकारियों ने ना केवल उसकी प्रार्थना को स्वीकार कर लिया था बल्कि 4 स्वयं सेवकों की सेवाएं भी प्रदान कर दी थी।
चिकित्सक ने एक रेमेडी तैयार की जिसमें CC1.2 Plant tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC21.7 Fungus को मिलाया। पहली बार उसने 8 गोलियों को 1 लीटर पानी में घोला। इसके बाद उसने इस पानी को 50 लीटर पानी में डाल दिया। यह पानी पूरी टीम द्वारा झाड़ियों में दिन में एक बार डाला जाने लगा। इसके पश्चात आसानी के लिए प्रत्येक रेमेडी की 8-8 बूंदे 1 लीटर जल में मिलाई तत्पश्चात इस जल को 50 लीटर जल में मिला दिया। यह कार्यक्रम उसने 8 मार्च 2020 को शुरू किया था और तीन सप्ताह बाद 27 मार्च 2020 तक समाप्त कर देना था क्योकि महामारी के कारण लोक डाउन हो गया। चिकित्सक इस बात से निराश हुई परंतु इसे भी स्वामी की इच्छा जानते हुए स्वीकार कर लिया था। जब कर्फ्यू खत्म हुआ तो टीम ने उसी क्षेत्र का मुआयना किया तो उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ कि वे झाड़ियां पूरी तरह से लहलहा रही थी (देखें फोटो) वह सभी झाड़ियां पूर्ण रूप से स्वस्थ थी। स्थानीय अधिकारी इस दृश्य को देखकर आश्चर्यचकित रह गए। उन्होंने तुरंत ही निर्णय लिया कि अगले तीन-चार माह तक ऑलिव के पेड़ों की भी देखरेख की जानी चाहिए। चिकित्सक का कहना है कि वह इस कार्य में अभी भी नौसिखिया है और कोई विशेष सूत्र का उपयोग नहीं करती है, केवल कॉम्बो के मिश्रण को झाड़ियों में देती हूं। वह अपने कार्य में निपुणता लाने के लिए समाचार पत्रों का अध्ययन करती है, दूसरे चिकित्सकों की नकल करती है और अपने मेंटर और वाइब्रो चिकित्सकों से सलाह मशविरा करती रहती है। जीवन का यह पहला कार्य था जिसमें उसने टीमवर्क के साथ कार्य किया था।
अन्य व्यक्तियों की मदद करने में एक विशिष्ट संतुष्टि का अनुभव करती है। व्यक्तियों के अतिरिक्त पशुओं और पौधों की सेवा करने में भी उसे आत्म संतुष्टि का बोध होता है। उसका मानना है कि साईं वाईब्रिओनिक्स ने मुझे इतना कुछ दिया है जो मेरी पूर्ण सेवाकाल में फार्मासिस्ट के रूप में नहीं मिला था।
अनुकरणीय उपचार
चिकित्सकों का परिचय 02444...India
चिकित्सक 02444…भारत इस चिकित्सक का मूल स्थान अमेरिका है। उसने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से 2 वर्ष का वास्तुशिल्प का अध्ययन किया है लेकिन वह 1971 में मरीन कॉर्प में चले गए। वियतनाम उनका ध्येय था जहां हेलीकॉप्टर पर एयर रेडियो ऑपरेटर का कार्य करते थे लेकिन जल्दी ही वह लिम्फेटिककार्सिनोमा से ग्रसित हो गए और 1973 में उनकी शल्य चिकित्सा होनी थी। इसके पश्चात नेवी हॉस्पिटल में कई चक्रों में उनकी कीमोथेरेपी की गई। वहां से उन्हें छुट्टी दे दी गई और बताया गया कि उनके जीवित रहने की 30℅ उम्मीद हैI उनको 100% अपंगता की पेंशन मिलने लगी। तथा पांच बार विश्व में कहीं भी जाने के लिए निशुल्क यात्रा सुविधा भी दी गई। 1977 में वह नेपाल गए इस उम्मीद से कि वहां कोई उपचार मिल जाए। वहां पर उनका पांव पूर्ण रूप से लकवा ग्रस्त हो गया। काठमांडू में उन्हें पहला चिकित्सक डॉक्टर झा के रूप में मिला। डॉक्टर झा एक वैदिक ब्राह्मण योगी थे। उन्होंने नेपाल के राजघराने के व्यक्तियों का भी उपचार किया था। एक माह में ही उनका पैर सामान्य स्थिति में आ गया था। इससे प्रभावित होकर उसने वहां 5 वर्षों तक निवास किया और इस दौरान इस वैदिक आर्युवैदिक प्राकृतिक उपचार का प्रशिक्षण प्राप्त किया तथा डॉक्टर के क्लीनिक में मदद भी की। इस विद्या में पारंगत हो जाने और आत्मविश्वास प्राप्त हो जाने के पश्चात रोगियों का निशुल्क उपचार करना शुरू कर दिया। वहां उन्होंने पुस्तक भी लिखी जिसका नाम है, “टेंपरामेंट हीलिंग विद होम्योपैथिक जेमस्टोनस"I इसी समय उनका कार्सिनोमा बिल्कुल ठीक हो गया था।
अगले 20 वर्षों तक उन्होंने उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्रों और कोलकाता, गोवा और नेपाल की यात्राएं की तथा वहां के लोगों को निशुल्क उपचार दिया। उन्होंने स्वयं बहुत साधारण जीवन यापन किया। यह भी उनकी साधना का एक भाग था। सीधे-साधे जीवन यापन का उनके हृदय पर बहुत प्रभाव पड़ा उन्हें उन क्षणों की याद आती रहती है जिन्हे उन्होंने उन शांत चित्त साधुओं के साथ व्यतीत किया था। आध्यात्मिक अभ्यास में शांति के महत्व को उन्होंने स्वयं महसूस किया था जो कि बहुत आवश्यक है। उनके पास आने वाले रोगियों की संख्या के साथ-साथ उनके ज्ञान में भी वृद्धि होती गई। उनके अनेकों रोगियों ने व्यसन की आदतों जैसे कि सिगरेट पीना, शराब पीना और अत्यधिक भोजन करने की आदतों को छोड़ दिया था। उन्होंने स्वयं भी व्यसन की आदतों को छोड़ दिया, इस बात का अभ्यास जो कुछ भी कहो उस पर स्वयं भी चलोI दूसरों के दुखों को दूर करने से तुम्हारे दुख अपने आप कम हो जाते हैं।.
वर्ष 2001 में वह कुंभ मेले में भाग लेने के लिए वाराणसी गए थे। वहां 60 लाख व्यक्ति आए थे जिनमें लाखों साधु सम्मिलित हुए थे। गंगा नदी के किनारे बैठ कर होम्योपैथिक दवाओं का निशुल्क वितरण किया था। वहीं पर उनकी मुलाकात एक साईं भक्त से हुई जिसने उन्हें डॉ अग्रवाल के बारे में जानकारी दी, जो इसी प्रकार की निशुल्क सेवा प्रदान करते हैं। बाबा के आश्रम में 2003 में वाइब्रो क्लीनिक पर पहुंचे तो वहां उन्होंने वाईब्रिओनिक्स की कक्षाओं में प्रशिक्षण लिया तथा व्यस्त क्लीनिक में सेवा का कार्य भी किया और कई माह तक वहां सेवा करके उन्होंने वाईब्रिओनिक्स का प्रशिक्षण भी पूरा किया। वहां प्राप्त अनुभवों ने उनके लिए कई नए मार्ग खोल दिए। उन्होंने अनुभव किया कि उपचार के यह दो माध्यम टेम्परामेंट चिकित्सा और वाईब्रिओनिक्स चिकित्सा एक दूसरे के संगत है। दोनों ही उपचार कंपनो पर आधारित है जो उन बातों को सिद्ध करता है जो उन्होंने वेदों में पड़ी थी।
एक दिन वह डॉक्टर अग्रवाल के कहने पर साईं बाबा के दर्शन के लिए गए। वहां पर उन्हें ऐसा प्रतीत हुआ जैसे कि साईं बाबा सूक्ष्म रूप में उनके जीवन में उनके साथ हैं। यह प्रथम दर्शन का उन पर प्रभाव था। उनको याद आया कि वे जब 4 वर्ष की आयु के थे, उनकी मां उन्हें चिड़ियाघर दिखाने के लिए ले गई थी वहां पर उन्होंने साईं बाबा की फोटो को दीवार पर टंगा हुआ देखा था जो कि बहुत आकर्षक थी। उनकी काले रंग की मुखाकृति बहुत ही सुंदर लग रही थी। उनको देखने पर वहां से दृष्टि हटती ही नहीं थी। एकाएक फोटो जीवंत हो उठी और स्वामी ने उनकी ओर देखा। उन्होंने कहा कि स्वामी के पास आना उनके जीवन का एक मोड़ था ऐसी लगता था कि जैसे उनका दूसरा जन्म हुआ है। वह इस बात से सहमत हैं कि यह केवल स्वामी की कृपा और उनका असीम प्रेम है जिसने उन्हें आध्यात्मिक धारणा का अनुवाद करने के लिए प्रेरित किया। उन्हें अनेकों बार ऐसा प्रतीत होता है कि स्वामी उसे बताते हैं कि मैं लगातार तुम्हें देखता रहता हूं और प्रोत्साहित करता रहता हूं कि तुम सेवा के द्वारा स्वयं का और व्यक्तियों का हृदय परिवर्तन करते रहो। वर्ष 2004 में उन्होंने अपनी पहली पुस्तक का संशोधित संस्करण का कार्य पूरा किया लेकिन जब उसे स्वामी को दिया गया तो उन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया।
5 वर्षों तक 2006 से 2010 तक वह हर वर्ष हिमालय पर्वत के क्षेत्र मणिकरण जाते थे। गर्मी के मौसम में वह वहां दो-तीन माह तक रहते थेI वहां वह चिकित्सा शिवरों का आयोजन करते थे जिनमें 20-30 रोगियों का प्रतिदिन उपचार करते थे। इस समय का वह अपनी पुस्तक को संशोधित करने के लिए उपयोग करते थे। 13 मार्च 2009 का दिन उनकी जीवन का एक मील का पत्थर है जब स्वामी ने उनकी पुस्तक को आशीर्वाद दिया था। वह यह अनुभव करते हैं कि स्वामी हमारे जीवन में अपने विविध स्वरूपों में मौजूद रहते हैं और इस उपचार को वह बहुत प्रभावशाली मानते हैं तथा आने वाले समय में यह वाईब्रिओनिक्स उपचार अत्यंत प्रभावशाली रहने वाला है क्योंकि स्वामी के मार्गदर्शन में कुछ भी गलत नहीं हो सकता है। वह बहुत प्रसन्न है कि उन्हें लोगों की सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ है विशेषकर साईं भक्तों का। वह हमेशा अपने आप को प्रेरित महसूस करते हैं, जब रोगी आश्चर्यजनक रूप से ठीक हो जाता है यह जानते हुए भी कि स्वामी ही उसका उपचार कर रहे हैं मुझे तो केवल एक उपकरण बनाया हुआ है। यह बात उसे यह आश्वासन देती है कि स्वामी उससे प्रसन्न है।
इसके आलावा, एक समय उनके घर में बाबा के चित्र से अनवरत विभूति आ रही थी। जो रोगी उपचार के लिए औषधि लेने आए थे वह सभी विभूति को भी अपने साथ ले जा रहे थे यह सोच कर कि इससे उनकी पीड़ा जल्दी ठीक हो जाएगी। ब्रॉडकास्टिंग के भी आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त होते हैं। मैं शुरू करने से पहले स्वामी से पूछता हूं कि कौन सा कॉन्बो देना है तो जैसे ही मैं बॉक्स का ढक्कन ऊपर की ओर खोलता हूं तो वह शीशी अपने आप ही ढक्कन के सहारे से ऊपर उठ जाती है।
स्वभाव उपचार के अपने ज्ञान का उपयोग करते हुए, वह रत्नों (SR226 से SR234) और धातुओं (SR273, SR359, SR383, आदि) का उपयोग करके चक्रों को संतुलित करके उपचार शुरू करते हैं। उन्होंने यह अनुभव किया कि रत्न रूबी आंखों की समस्याओं के लिए बहुत प्रभावशाली हैI यह निम्न रक्तचाप और पाचन संबंधी विकारों में भी बहुत उपयोगी है। उनका कहना है कि कुछ भी असंभव नहीं है। तथ्य यह है कि एक रोगी जो उनके पास आये उसके लिए पर्याप्त कारण है कि वह ध्यान से सुनें और एक पूर्ण इलाज की सुविधा के लिए उचित उपचार प्रदान करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करें। उदाहरण के लिए एक 45 वर्षीय व्यक्ति जो आंतों के कैंसर से ग्रसित था वर्ष 2008 में टर्मिनल के रूप में निदान किया गया था जब डॉक्टरों ने उनकी शल्य क्रिया की लेकिन उसे तुरंत ही बंद कर दिया यह कहते हुए की वह 6 सप्ताह से अधिक नहीं जी सकता है। उसके परिवार के किसी सदस्य ने तो उसके मकान को उसकी पत्नी के नाम पर करवाने के लिए कह दिया और उसे लाल चिमटे से भी जला दिया। चिकित्सक व उसकी पत्नी जो कि काफी अनुभवी थे SVP01228 (वॉल्यूम 7 अंक 1 में दिया जा चुका है) ने उनके कैंसर का उपचार किया तथा साथ ही जली हुई त्वचा का भी उपचार किया। वह व्यक्ति 12 वर्ष बाद भी अभी जीवित है और प्रसन्न और स्वस्थ है!
पिछले 17 वर्षों के दौरान, पुट्टपर्थी के आवास में उनको बहुत से भक्तों का उपचार करने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ है जो विदेशों से यहां स्वामी के दर्शन के लिए आते हैं। हाल ही में एक डॉक्टर सामान्य हॉस्पिटल से नियमित रूप से उनके पास कुछ रोगियों को उपचार हेतु लाते थे जिन्हें एलोपैथिक उपचार से कोई लाभ नहीं होता था और वे रोगी उपचार की अन्य प्राणलियों से हताश हो गए थे। उन रोगियों को इस वाईब्रिओनिक्स उपचार से ठीक होते हुए देखकर उन्हें अत्यंत प्रसन्नता होती थी। वह अपनी पत्नी के साथ चिकित्सा शिवरों का भी आयोजन करते हैं। यह शिविर स्थानीय स्कूलों में (देखें चित्र) वृद्ध व्यक्तियों के घर पर और रेलवे स्टेशन पर स्वामी के जन्मदिन पर वार्षिक कैंप आयोजित करते हैं। यह क्रम 10 वर्षों से चल रहा है।(चित्र देखें) उन्होंने कई स्कूली बच्चों का बड़े कृमि संक्रमण का इलाज किया है। साथ में उन्होंने 30,000 से अधिक रोगियों का इलाज किया है - एक जबरदस्त सेवा! समय के साथ उन्होंने पाया कि दुनिया में हर किसी को चिकित्सा की आवश्यकता है, चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक।
दोनों पति-पत्नी ने यह सूचना दी है कि सभी रोगी लाभ प्राप्त कर रहे हैं। कोरोना-19 वायरस अब पुट्टपर्थी में भी पहुंच गया है। अधिक से अधिक व्यक्ति इम्यूनिटी बूस्टर औषधि का उपयोग कर रहे हैं जिसके कारण हमारे चिकित्सक अत्यधिक व्यस्त हो गए हैं। चिकित्सक यह महसूस करते हैं कि साईं वाइब्रिओनिक एक सबसे सुन्दर सेवा है जो व्यक्ति को आत्मज्ञान का बोध कराती है। अपने संदेश को स्वामी के इन शब्दों के साथ समाप्त करते हैं, “लव ऑल सर्व ऑल”
अनुकरणीय उपचार
प्रश्नोत्तर
प्र1. क्या एक मां जो कोविड-19 की पॉजिटिव है, वह अपने बच्चे को स्तनपान करा सकती है?
उ. मां के स्तनपान कराने से बच्चे की इम्युनिटी बढ़ती है जो बच्चे के लिए बहुत आवश्यक है हम बच्चे का दूध छुड़ाने की सिफारिश नहीं करते हैं। इसके बजाय, इम्यूनिटी बूस्टर औषधि को बच्चे की मां को सेवन कराने से हम दोनों मां और बच्चे की रक्षा करते हैं। अध्ययनों और परीक्षणों के आधार पर WHO ने स्तनपान कराने की सहमति प्रदान की है जो मां कोविड-19 परीक्षण में पॉजिटिव पाई गई है। अधिकतर परीक्षणों से यह ज्ञात हुआ है कि मां के दूध में वायरल के लक्षण नहीं पाए गए हैं।
Visit https://www.who.int/newsroom/commentaries/detail/breastfeeding-and-covid-19
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प्र2. समाचार पत्र के वॉल्यूम 7 अंक #2, के अनुसार, मैं फलों और सब्जियों को नमक और सिरके के पानी में 20 मिनट तक रखने के बाद ताजा पानी से साफ करती हूं। COVID-19 की वर्तमान असाधारण स्थिति में कृपया सलाह दें, अगर मुझे फलों, सब्जियों और अन्य किराने का सामान संभालने के लिए कोई अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए?
उ. कोविड-19 का प्रसार व्यक्ति से व्यक्ति में होता है, छूने से, खांसने से, छींकने से या संक्रमित व्यक्ति के बैठने के स्थान पर बैठने से। व्यक्ति के शरीर के बाहर, वायरस कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों में टूट जाता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह धरातल जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आया था, किस प्रकार का है। यदि तुम्हारे पास हाल ही में खरीदे गए सामान हैं तो उन्हें कुछ देर बाहर ही रहने दें। सामान को खरीदने/वितरित के बाद अपने हाथों को साबुन से धो लें। यह सिद्ध हो चुका है कि वायरस शरीर के बाहर कुछ ही घंटों में टूट कर बिखर जाता है। धरातल की किस्म के आधार पर कुछ ही घंटों में वायरस नष्ट हो जाता है। भोजन को पकाने से भी वायरस नष्ट हो जाता है। अधिक जानकारी के लिए देखें https://medical.mit.edu/covid-19-updates/2020/06/can-i-get-virus-grocery-delivery
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प्र3. किसी उपचार में प्रार्थना की क्या उपयोगिता है?
उ. उपचार में प्रार्थना प्रेरक के रूप में कार्य करती है, इससे उपचार में ईश्वर का अनुग्रह शीघ्र प्राप्त होता है। स्वामी कहते हैं कि ईश्वर की कृपा वर्षा की भांति होती है जो सभी व्यक्तियों पर समान रूप से गिरती है। यदि हमारा बर्तन उल्टा रखा हुआ है तो हमें जल की प्राप्ति नहीं होती है। प्रार्थना वर्षा के जल को एकत्रित करने के सामान है। एक रोगी जो कि रोग के कारण व्यथित है वह इस स्थिति में ना हो कि वह प्रार्थना कर सके ऐसी स्थिति में चिकित्सक द्वारा की गई प्रार्थना (पूर्ण विश्वास और प्रेम के साथ) रोगी के उपचार में अत्यंत लाभकारी होती है। एक त्रिभुज के सामान है जहां चिकित्सक को ईश्वर का अनुग्रह प्राप्त होता है और रोगी तक पहुंच जाता है। रोगी को यह सलाह भी दी जानी चाहिए कि औषधि का सेवन करते समय ईश्वर से प्रार्थना अवश्य की जाएI
"प्रार्थना और ध्यान को समय बिताने का साधन मत समझो जैसा कि शैतान और बंद दिमाग वाले व्यक्ति समझते हैं, उन्हें कसकर पकड़े रहो वही तुम्हें नष्ट होने से बचा सकते हैं।”…Sri Sathya Sai Baba - Divine Discourse, 25 Nov 1964
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प्र4. वाईब्रिओनिक्स से जुड़ने से पूर्व मैं मैग्नेट थेरेपी से उपचार करता था। क्या यह उचित होगा कि जिस अलमारी में 108CC बॉक्स रखा है उसी में मैग्नेट भी रख दूं?
उ. दोनों को एक साथ नहीं रखना चाहिए। यद्यपि 108CC बॉक्स की सभी औषधियों को NM45 Atomic Radiation + SR324 X-Ray, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक विकिरण के द्वारा बचाया गया है, फिर भी इन औषधियों को लंबे समय तक रेडिएशन से बचा कर रखा जाना चाहिए। शक्तिशाली मैग्नेट, इलेक्ट्रिक मोटर, (बिजली के पंखे की तरह, जिसमे शक्तिशाली विद्युत चुम्बकों का उपयोग होता है), SRHVP मशीन, टीवी, माइक्रोवेव, कंप्यूटर और मोबाइल, ये सभी शक्तिशाली इलेक्ट्रोमैग्नेट होते हैं। इसके अलावा, वॉल्यूम 7 #1 और वॉल्यूम 8 #4 देखें।
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प्र5. क्या फलों, सब्जियों और विटामिनों से बना एक नोसोड* को शारीरिक भोजन के विकल्प के रूप में लिया जा सकता है, क्योंकि अच्छे स्वास्थ्य के लिए कुछ खाद्य पदार्थों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो काफी महंगी हैं।
उ. फलों और सब्जियों को SRHVP में पोटेन्टाइज़ करके अथवा इनमें उपस्थित पोषक तत्वों को और अधिक शक्तिशाली बनाने और एलर्जी को दूर करने के लिए ऐसा किया जा सकता है। भोजन का पोटेन्टाइज़ रूप अपनी ऊर्जा का सिग्नेचर रखते हैं। शरीर की ऊर्जा के असंतुलन को तो ठीक किया जा सकता है, भौतिक शरीर को अंगों के कार्य करने के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। संतुलित आहार लेना ज़रूरी है लेकिन प्रचारित किए जा रहे विदेशी फलों और सब्जियों को खाना आवश्यक नहीं है। भगवान स्थानीय रूप से विकसित मौसमी फलों और सब्जियों में आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है।
*संयोग से यह नोसोड शब्द का सही उपयोग नहीं है। नोसोड एक औषधि है जो कि व्यक्ति या पशुओं के बीमार सारांश को पोटेन्टाइज़ करके बनाई जाती है।
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प्र6. वॉल्यूम 11 # 2 में, यह सलाह दी गई है कि रुग्ण पदार्थ को संभालने के दौरान हाथों में दस्ताने पहनना आवश्यक है। क्या हमें इसी नियम का पालन करना चाहिए जब हम भोज्य सामग्री को पोटेन्टाइज़ करते हैं?
उ. यह एक सामान्य नियम है कि हम रोगी को सैंपल लाने के लिए कहते हैं (चाहे वह भोज्य पदार्थ हो, कोई एलर्जन हो या कोई औषधि हो) जो स्वच्छ और जीवाणु रहित हो और SRHVP मशीन के सैम्पल वेल में रखे जाने लायक हो। इस स्थिति में पदार्थ को हाथ से छूने का प्रश्न ही नहीं उठता है। यह सिर्फ चिकित्सक की पार संदूषण की रोकथाम के लिए है। वह शीशी जिसमें पदार्थ लाया जाता है को प्लास्टिक से अच्छे से लपेट लेना चाहिए, सैम्पल वैल में रखने से पूर्व दस्ताने पहनना आवश्यक नहीं है।
दिव्य चिकित्सक का सन्देश
"औषधियों के बारे में वर्तमान धारणा है कि औषधि की इस बीमारी में क्या वैधता है और लाभ हैI इसका उपयोग इलाज के साथ समाप्त हो जाता है। लेकिन इस दृष्टिकोण को बदलना होगा। दवा का उपयोग यह देखने के लिए किया जाता है कि कोई बीमार नहीं पड़े, इतना ना उठाओ कि वह फिर गिर पड़े, जैसे सत्य का उद्देश्य है कि इस प्रकार जियो कि दुबारा जन्म ना हो।”
...Sathya Sai Baba, “The Doctor’s Profession” Discourse, September 1980 http://www.sssbpt.info/ssspeaks/volume14/sss14-53.pdf
“जो सेवा आप करते हैं उसका पुरस्कार आपको मिलना चाहिए, न केवल आपकी संतुष्टि के लिए बल्कि उन लोगों की संतुष्टि के लिए जिनकी आप सेवा कर रहे हो। जब तुम किसी की सेवा कर रहे हो और उसको संतुष्टि की प्राप्ति नहीं होती है तो ऐसी तुम्हारी उमंग और उत्साह का क्या फायदा है? तुम्हारा ध्येय होना चाहिए कि सेवा प्राप्त करने वाले को पूर्ण संतुष्टि प्राप्त हो। केवल बैठकर यह चर्चा मत करो जो कार्य तुम्हें दिया गया था उसे तुमने पूरा कर दिया है, बल्कि यह खोजने का प्रयास करो कि तुम्हारी द्वारा किए गए सेवा का कार्य वास्तव में सार्थक है या नहीं, क्या यह कार्य बड़ी समझदारी से उस व्यक्ति की विशेष परिस्थितियों को देखते हुये सौंपा गया है जिसकी उन्हें आवश्यकता है।”
...Sathya Sai Baba, “No Bumps, No Jumps”, 3rd All India Conference of SSS Seva Dal, 14 November 1975
http://www.sssbpt.info/ssspeaks/volume13/sss13-18.pdf
घोषणाएं
आगामी कार्यशालाएं *
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फ्रांस (और बेनिन और गैबॉन): वर्चुअल एवीपी कार्यशाला साप्ताहिक सत्र सितम्बर-नवंबर 2020 (पूर्ण विवरण प्रतिभागियों को सूचित किया जाएगा) Danielle से संपर्क करें [email protected] पर
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यूके लंदन: यूके नेशनल एनुअल रिफ्रेशर वर्चुअल सेमिनार 20 सितंबर 2020, जेरम पटेल से संपर्क करें [email protected] पर
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यूएसए रिचमंड वीए: वर्चुअल एवीपी कार्यशाला साप्ताहिक सत्र सितम्बर-नवंबर 2020 (पूर्ण विवरण प्रतिभागियों को सूचित किया जाएगा), [email protected] पर सुसान से संपर्क करें
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भारत पुट्टपर्थी: एवीपी वर्कशॉप ** 25 नवंबर -1 दिसंबर 2020 को ललिता से [email protected] पर संपर्क करें या टेलीफोन द्वारा 8500-676-092 पर
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भारत पुट्टपर्थी: एसवीपी कार्यशाला ** 3-7 दिसंबर 2020 को हेम से [email protected] पर संपर्क करेंI
* एवीपी और एसवीपी कार्यशालाएं केवल उन लोगों के लिए हैं जो प्रवेश प्रक्रिया और ई-कोर्स से गुजर चुके हैं। रिफ्रेशर सेमिनार मौजूदा चिकित्सकों के लिए हैं।
**परिवर्तन के अधीन
अतिरिक्त
स्वास्थ्य सुझाव
1. सब्जियां – अपने तरीके से खाएं!
"बीमार स्वास्थ्य के मुख्य कारण क्या हैं? ...अपने भोजन को स्वादिष्ट बनाने और अपनी अन्य इंद्रियों को संतुष्ट रखने के लिए मनुष्य प्रकृति द्वारा प्राप्त वस्तुओं के अवयवों और गुणों में परिवर्तन कर देता है। उन्हें उबालता है, तलता है उसमें उपस्थित तत्वों के अनुपात को भी बदल देता है। इससे उसमें उपस्थित पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। "भोजन की आदतों के बारे में सतर्क रहें ... बिना पकी हुई या आधी पकी हुई सब्जियाँ और हरे पत्ते वाले भोज्य पदार्थ सेहत के लिए अच्छे हैं।"…Sathya Sai Baba1
1. सब्जी क्या है?
यह किसी भी वनस्पति पौधे का वह भाग है जिन्हें भोजन के रूप में खाया जा सकता है, फलों को छोड़कर जिन्हें हर व्यक्ति जानता है। मोटे तौर पर यह पौधों की जड़, शाखाएं और कंद, तना या डंठल या फूल, पत्तेदार हरी सब्जी और वनस्पति फल आदि को सब्जियों के रूप में सेवन किया जाता है, जिसमें स्क्वैश, लौकी, फली और कुछ अधपक्के फल शामिल हैं।2
2. सब्जियों के लाभ और उपयोग
लाभ: अध्ययनों से मालूम हुआ है कि लगभग सभी सब्जियां कैलोरी में कम हैं, विटामिंस (A, K, B और C) से भरपूर होती हैं । इनमें खनिज़, आहार योग्य रेशे, रोगों से लड़ने की क्षमता और एंटी ऑक्सीडेंट भी होते हैं। यह प्राकृतिक रूप से क्षारीय होती हैं, इनमें पानी की मात्रा भी अधिक होती है विशेषकर हरे पत्तों में, कुछ के जड़ों में और पत्तेदार सब्जियों में। अतः यह शरीर को डीटॉक्सिफाई कर सकती हैं, शरीर के सभी अंगो और तंत्रों को ऊर्जा की आपूर्ति करती हैं, इम्यूनिटी को बढ़ाने वाले होती हैं तथा पुरानी और जानलेवा बीमारियों को रोक सकती हैं और उनका इलाज कर सकती हैं। विशेषकर रक्त दबाव, मधुमेह, रक्ताल्पता और शारीरिक वजन को नियंत्रित किया जा सकता है तथा कैंसर हृदयाघात, श्वसन संबंधी समस्याएं, संक्रमण आदि को रोका जा सकता है। संक्षेप में सब्जियां सर्वोत्तम प्राकृतिक औषधि है।इसके अतिरिक्त व्यक्ति स्वस्थ और ऊर्जावान रहता है तथा उसका चेहरा प्राकृतिक रूप से दमकता रहता है!3-8
उपयोग: स्थानीय मौसम के अनुकूल ताजी सब्जियां ही खरीदें। कुछ का सेवन कच्चे रूप में ही किया जा सकता है जैसे कि ककड़ी, खीरा कुछ कच्ची और पक्की हुई सेवन की जाती है (कुछ पोषक तत्वों के भली-भांति अवशोषण के कारण) जैसे कि ब्रोकली, गाजर, टमाटर, शिमला मिर्च, पालक और आलू अधिक लाभकारी होते हैं जब वह पकाई हुई स्थिति में होते हैं। पकाने के समय, तापमान और पानी की मात्रा को कम ही रखें। भाप में पकाएं या थोड़ा पकाएं, बजाए उबालने के ग्रिल करें तलने की अपेक्षा सोटे करें। जिनकी पाचन शक्ति कमजोर होती है उन्हें कच्ची सब्जियां माफिक नहीं आती है।3-8
सेवन की मात्रा: 250-300 ग्राम या ढाई कप सब्जियां प्रतिदिन सावधानीपूर्वक लें। विभिन्न सब्जियों का मिश्रण, कच्ची, रसदार या पकी हुई। एक संतुलन बनाए रखें। उदाहरण के लिए चावल और शकरकंद को एक साथ ना खाएं, हमेशा ही एक ही प्रकार की जड़ और पत्तियां नहीं खाएं। समय-समय पर स्वाद अनुसार और मूड के अनुसार चयन करें!3-9
सब्जियों को धोना बहुत महत्वपूर्ण है: बिना धोए हुई सब्जियां दिमाग में कीड़े पैदा कर सकती हैं। पहले अपने हाथों को अच्छे ढंग से धोए फिर सब्जियों को जल के पानी से धोएं जिससे कि उन पर चिपकी धूल या हानिकारक कीटाणु अलग हो जाएं।.
20 मिनट तक इन सब्जियों को हल्के गर्म जल में जिसमें खाने का सोडा मिला हो डुबोकर रखें या फिर नमक और सिरके में डुबोएं। इसके पश्चात उन्हें बहते हुए पानी से धोएं। खुरदरी और कड़ी सब्जियों को ब्रश से रगड़े।3,8,10
सब्जियों को ताजा रखना: सबसे अच्छा उपाय तो आवश्यकता अनुसार ही ताजा सब्जियां खरीदें। टमाटर, प्याज, शकरकंद, मक्का को फ्रीज़र में या रेफ्रिजरेटर में ना रखें। सर्दियों में सख्त सब्जी जैसे कि काशीफल को ऐसे स्थान पर रखें जो ठंडा हो, हवा आती हो । यदि रेफ्रिजरेटर आवश्यक ही हो तो हरी सब्जियों को प्लास्टिक बैग में या बर्तन में रखेंI टमाटरों को बैग में पेपर टॉवल के ऊपर रखें। हरी पत्तेदार सब्जियों को पेपर टॉवल में लपेट कर फिर उनको प्लास्टिक बैग में रखें यदि वह मुरझा रही हों। सलाद के पत्तों और हरी सब्जियों को बरफ के पानी से धोकर ताजा बनाएं। कुछ सब्जियों को काट कर फ्रिज में भी रखा जाता है।2,3,8,11
पूरे विश्व में 1000 से भी अधिक प्रकार की सब्जियों को उगाया जाता है। हम लगभग 50 सामान्य सब्जियों को कवर कर रहे हैं, उनके भारतीय नाम कोष्ठक में दिए गए हैं।
3. जड़ें, कंद और बल्ब सब्जियां
3.1 चुकंदर (चकुंदर): गहरे रंग की और स्वाद में मीठी होती है। यह खिलाड़ियों के लिए बहुत फायदेमंद होती है, यह रक्तचाप को कम करने में बहुत लाभकारी है। कुछ ही घंटों में रक्तचाप कम हो जाता है, विशेषकर सिस्टोलिक रक्तचापI यह संज्ञानात्मक गुणों को बढ़ाती है। इसके रस को गाढ़ा करके सिर मे लगाने से लीख और जुंए निकल जाते हैं। हरे रंग की चुकंदर को पालक की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।12
सावधानी: जिन्हें गठिया और किडनी स्टोन हो वे इसका उपयोग ना करें।12
3.2 गाजर (गाजर): यह बीटा कैरोटीन का एक उत्तम स्त्रोत है। विटामिन A, C और E बच्चों में अंधेपन और अधिक उम्र के व्यक्तियों में मांसपेशिय विकार को दूर करती हैं। ल्यूकेमिया, फेफड़ों और कोलन कैंसर में भी अत्यधिक उपयोगी है, दातों बालों और त्वचा को स्वस्थ बनाती है।13
परसनीप (चकुंदर): यह सफेद गाजर की भांति नजर आती है तथा फोलेट का स्त्रोत है। यह जन्मजात त्रुटियों और मसूड़ों के लिए अति उपयोगी है।
सावधानी: इसके पत्तों और फूलों का उपयोग नहीं करना चाहिए। इसमें टॉक्सिक रस होता है जिससे भारी जलन हो सकती है।14
3.3 मूली (मूली): यह रक्त की pH स्तर को सामान्य रखने में उपयोगी है, श्वसन नली को स्वच्छ बनाती है, कफ और सर्दी से रक्षा करती है। पीलिया रोग में लाभकारी है, मूत्र विकार और ऑस्टियो आर्थराइटिस में भी लाभकारी है। शरीर को हाइड्रेट बनाए रखती हैं, त्वचा के रूखेपन को दूर करती है, फोड़े, फुंसियों में भी लाभकारी है। इसके पत्तों का सेवन किया जा सकता है और बीजों को ल्यूकोडरमा से निजात पाने के लिए उपयोग में लिया जा सकता है।15
सावधानी: पाचन तंत्र में जलन पैदा कर सकती है गैस और डकार की समस्याएं हो सकती हैं। गाल स्टोन होने पर इसका उपयोग ना करें।15
3.4 शलजम / सेलेरियाक (शलगम): पेट के अल्सर को ठीक करती है, गले की खराश को ठीक करती है, पीलिया और हेपेटाइटिस में गुणकारी है। किडनी स्टोन को दूर करती है।16
रुतबागा: गोभी और शलगम का यह क्रॉस ब्रीड है। शलगम से थोड़ा बड़ा और मीठा होता है।
जीकामा: शलगम से अधिक मीठा और पौष्टिक होता है।.16
सावधानी: थायराइड की समस्या वाले इसका उपयोग ना करें।16
3.5 शकरकंद (शकरकंद): सामान्य आलू की तुलना में विटामिन ए में अधिक है, यह आँखों के लिए उत्कृष्ट है। स्टार्ची और मीठा, इसका मजा नमकीन और मीठे दोनों व्यंजनों में लिया जा सकता हैI17
सावधानी: गुर्दे की पथरी होने पर परहेज करें, अगर डायबिटिक हो तो संयम से लें।17
3.6 आलू (आलू): हर समय उपयोग में ली जाने वाली सब्जी है। छिलके सहित इसका उपयोग करने से यह अत्यंत लाभकारी है। इसको अधिक तेल में नहीं चलना चाहिए। यह स्नायु तंत्र को मजबूत बनाता है, हृदय को स्वस्थ रखता है, हड्डियों को मजबूत बनाता हैI खिलाड़ियों को धैर्य और प्रदर्शन की शक्ति प्रदान करता है।18
कसावा: आलू की अपेक्षा अधिक प्रोटीन और ऊर्जा का स्त्रोत है। इसमें अपोषक तत्व होते हैं अतः इसका उपयोग छीलकर ही करना चाहिए। पानी में डुबोकर रखना चाहिए। इसके लाभ प्राप्त करने के लिए इसको पकाना आवश्यक है।(कच्चा खाने पर टॉक्सिक प्रभाव पड़ता है।) 19
3.7 हाथी पैर यम (सूरन/जिमिकंद): इसकी त्वचा कठोर होती है। यह कफ को कम करने वाला है, श्वसन नली की सफाई कर देता है। बाइल की मात्रा को बढ़ाकर पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है। बढ़ती उम्र के बच्चों के लिए विशेष लाभदायक।20
सावधानी: एक बार कट जाने के बाद, त्वचा व गले में जलन पैदा कर सकता है, अतः इसको पानी के अंदर डुबोकर रखना चाहिए, इसको सिरके, नींबू या इमली के साथ उबालना चाहिएI20
3.8 टैरो रूट/कोलोकेसिया (अरबी):, विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों का खजाना है, इसमें फाइबर और प्रतिरोधी स्टार्च होता है। इसको व इसके पत्तों को पका कर खाना चाहिए।21
3.9 प्याज़(प्याज़): यह सबसे उत्तम डिटॉक्सिफायर है। यह खून के थक्के नहीं बनने देता और कीड़े मकोड़े के दंश का उपचार करता है। इसके अतिरिक्त मस्सों, ठंड के कारण हाथों और पैरों में खुजली, श्वसन की समस्याओं, सर्दी जुकाम और फ्लू में भी लाभकारी है। पीले, लाल और सफेद प्याज की तुलना में, विदालिया और शोलोट जैसे मीठे पोषक तत्वों का कम प्रतिशत है।22
सावधानी: यदि इसको खाने से सीने में जलन होती है या फिर पाचन तंत्र खराब होता है तो इसे नहीं खायेंI22
3.10 स्प्रिंग प्याज / स्कैलियन (प्याज पेट्टा): यह जवान प्याज होते हैं, इनमे फॉलेट की मात्रा अधिक होती है, विटामिन और कैल्शियम भी अधिक होता है इसको सजावट के लिए उपयोग किया जाता है। इनको कच्चा भी खाया जा सकता है। लीक के समान (हरे प्याज के पत्तों में गंध कम होती है और विटामिन ए अधिक होता है।) और चाइव्स (दूधिया, कम पोषक तत्वों के साथ, लेकिन चोलीन (choline) का एक उत्कृष्ट स्रोत जो शरीर के चयापचय और भ्रूण के विकास में अत्यंत लाभकारी होता है।) 23
4. स्टेम और फूल सब्जियां
4.1 कोहलबी (नॉकहोल): गांठ गोभी, एक अन्य प्रकार की गोभी। स्वाद में ब्रोकली के तने के जैसी लेकिन नरम और मीठी होती है। इसके तने के अलावा इसे संपूर्ण रूप से खाया जा सकता है। इसका एक कप हमारे दिनभर की विटामिन सी की 100% भरपाई कर देता है।24
4.2 शतावरी (शतावरी): यह ब्रोकोली की तुलना में विटामिन में कम है, लेकिन लोहे और तांबे का एक बेहतर स्रोत है। यह एक अत्यधिक मूत्र वर्धक है। यह सूजन को और मूत्र विकारों को दूर करता है और शांति प्रदान करने वाला होता है।25
4.3 पत्तागोभी (पत्तागोभी): हरी पत्ता गोभी को तल के खाने से अधिक स्वस्थ वर्धक होती हैं। लाल गोभी को सलाद के रूप में पसंद किया जाता है। इसमें 10 गुना विटामिन ए पाया जाता है और हरी पत्ता गोभी की तुलना में दोगुना लोह तत्व होता है लेकिन विटामिन के की मात्रा केवल आधी होती है।26
ब्रसेल्स स्प्राउट्स: यह आकार में थोड़े छोटे होते हैं और इसमें पोषक तत्व समान होते हैं। भूनने या तलने पर इसका स्वाद बढ़ जाता है। अधिक पकाने पर या उबालने पर यह बदबूदार हो जाती है।27
कोलार्ड साग (हाक) और बोक चॉय: हरा कोलार्ड, विटामिन से भरपूर होते हैं। शरीर से गंदगी को दूर करते हैं, हड्डियों को मजबूत बनाते हैं, आंखों की रोशनी को बढ़ाते हैं।28
आटिचोक: एक लीवर टॉनिक माना जाता है, इसकी पत्तियां अति पौष्टिक होती हैं।29
4.4 ब्रोकोली: कैंसर की रोकथाम के लिए यह सुपर फूड के रूप में जाना जाता है। हड्डियों को मजबूती प्रदान करने वाला होता है और हर प्रकार से स्वास्थ्यवर्धक है। ताजा खाने पर यह अत्यंत पोषण देने वाला होता है। भाप में पकाने से पहले हमें इसे धोना चाहिए।30
4.5 फूलगोभी (फूल गोबी): इसमें विटामिन और खनिज पदार्थ अत्यधिक मात्रा में होते हैं। याददाश्त बढ़ाने के लिए सर्वोत्तम है।31
सावधानी: किडनी या गठिया की समस्याओं में इसे उपयोग नहीं करना चाहिए। रक्त को पतला करने वाली दवाई खाने वाले भी इसे ना खाएं, यदि खाते हैं तो केवल अल्प मात्रा में।31
5. पत्तेदार साग
5.1 पालक (पलक): यह मैग्नीशियम के सर्वोत्तम स्रोतों में से एक है। जब पकाया जाता है, तो इसके पोषक तत्व बढ़ जाते हैं, लेकिन कुछ एंटीन्यूट्रिएंट्स के कारण इसमें मौजूद आयरन और कैल्शियम अवशोषित नहीं होते हैंI32
लेट्यूस (सलाद पाटा): इसमें पोषक तत्व कम होते हैं पर पानी की अधिकता होती है इसी वजह से यह शरीर को हाइड्रेट रखता हैI32
अरुगुला /रॉकेट: अधिक घनत्व वाले तत्वों से भरा होता है। बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक होता है।33
जलकुंभी: यह ओमेगा 3 फैटी एसिड से युक्त होता है, हृदय के लिए लाभदायक है, यह एक बारहमासी पौधा है यह स्वयं उन स्थानों पर उग जाता है जहां सदैव पानी बहता रहता है। उपयोग में लाने से पूर्व इसको पानी से धोना आवश्यक है।34
सरसों का साग (सरसों का साग): , पालक के समान ही होता है लेकिन उसकी तुलना से अधिक चरपरा होता है।35
केल (करम साग): पोषक तत्वों में यह पालक के समान ही है। इसमें विटामिन प्रचुर मात्रा में होते हैं। कच्चा ही खाया जाता है। समूदी में यह भाप का पका होता है या फिर हल्के से तला जाता है।36
5.2 मोरिंगा/ड्रमस्टिक (सहजन): एक आश्चर्यजनक पेड़ है। दही के मुकाबले इसमें दोगुना प्रोटीन, केले के मुकाबले 3 गुना पोटैशियम, और गाजर से 4 गुना विटामिन ए और कैल्शियम की मात्रा गाय के दूध के मुकाबले होता है, संतरे के मुकाबले 7 गुना विटामिन सी होता है। परंपरागत रूप से यह खाना पकाने और औषधि बनाने के काम में आता है यह रक्त को शुद्ध करता है, सूजन को कम करता है, हार्मोन असंतुलन और कुपोषण को ठीक करता है, उम्र के प्रभाव को कम करता है, एनीमिया की रोकथाम करता है। रक्त में शर्करा को संतुलित करता है तथा त्वचा संबंधी रोगों को दूर करता है।37
सावधानी: जो दवाओं पर हैं, वे अपने चिकित्सक से परामर्श करें।37
5.3 मेथी (मेथी) की पत्तियां: इस में आयरन की मात्रा अधिक होती है, अन्य खनिज पदार्थ भी प्रचुर मात्रा में होते हैं। यह पाचन तंत्र को सुचारू बनाती है तथा मधुमेह में भी लाभकारी है। भोजन में मिलाने से यह उन्हें सुगंधित बनाती है।38
6. फल जैसी सब्जियां जैसे लौकी, स्क्वैश और फली
6.1 एवोकैडो/मक्खन फल: अत्यधिक पोटेशियम युक्त हृदय के लिए लाभप्रद। यह जीर्ण रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है। एक बार काटने पर इस पर नींबू का रस निचोड़ने से यह ताजा बना रहता है।39
6.2 बेल/मीठी मिर्च (शिमला मिर्च): यह कई प्रकार के रंगों की होती है। यह विभिन्न प्रकार से उपयोग में ली जा सकती है। एक मध्यम आकार की मिर्च हमारी दैनिक आवश्यकताओं विटामिन ए और सी को पूरा कर देती है। यह सामान्य जुकाम को लेकर कैंसर तक में बहुत प्रभावी है। गर्भवती स्त्रियों के लिए बहुत उपयोगी है। इसको सलाद या किसी अन्य भोज्य पदार्थ के साथ मिश्रित किया जा सकता है।40
6.3 टमाटर (टमाटर): प्रतिदिन एक कच्चा टमाटर कोलोन कैंसर को रोक सकता है। इसके अलावा, यह फाइटोन्यूट्रिएंट लाइकोपीन के सबसे अच्छे स्रोतों में से एक है जो प्रतिरक्षा को बढ़ाता है और कैंसर के ट्यूमर के विकास को रोकता है। जब टमाटर पकाया जाता है और एवोकैडो, जैतून या नारियल का तेल, नट, और बीज जैसे वसा युक्त भोजन के साथ सेवन किया जाता है, तो लाइकोपीन अधिक जैव-उपलब्ध होता है।41
सावधानी: अमल प्रतिवाह तथा जोड़ों तथा मांसपेशियों में दर्द वाले रोगियों को इसका सेवन नहीं करना चाहियेI41
6.4 ककड़ी (खीरा): रसयुक्त, ठंडा और कुरकुरा सबसे अच्छा कच्चा खाए जाने वाला वनस्पति है। यह उपचारात्मक और मूत्र वर्धक है। आंखों के पांस की सूजन को कम करने वाला है, आयु के प्रभाव को कम करता है, रक्त को शुद्ध करके उसे छारीय बनाता है, निर्जलीकरण को रोकता है, कब्ज को दूर करता है तथा शरीर के ताप को अधिक बढ़ने नहीं देता है। आंखों पर इसके टुकड़ों को रखने से आंखों में ताजगी आती है।42
6.5 कद्दू (सीताफल/ कद्दू): यह जीवंत शीतकालीन स्क्वैश आंखों के लिए उत्कृष्ट है और मोटापे को रोकता है। इसके बीज नींद की गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैंI43
जुकीनी (तुरई): उच्च पानी की मात्रा के साथ विटामिन सी से भरपूर, एक ग्रीष्मकालीन स्क्वैश पचाने में आसान हैI44
6.6 ऐश लौकी/शीतकालीन तरबूज/सफेद कद्दू (पेट्ठा): यह एक अद्वितीय औषधीय फल है। यह अधिकतर चीन और भारत में खाया जाता हैI वातावरण से यह घृणात्मक ऊर्जा को निष्कासित कर देता है। एक ग्लास इसका रस प्रातः काल पीने से शरीर को ठंडा रखता है और ऊर्जावान रखकर क्षमता को बढ़ाता है। नसों को शांत रखता है। इसके सेवन से फोड़े फुंसी, बवासीर और कब्ज दूर होते हैं।45
सावधानी: सांस की बीमारी के लिए अतिसंवेदनशील लोगों को इसे शहद या काली मिर्च के साथ मिलाना चाहिए।45
6.7 करेला/कडवा तरबूज (करेला): मधुमेह, गठिया, पीलिया और गुर्दे की पथरी का इलाज कर सकता है और मासिक धर्म को नियमित कर सकता है। इसके अलावा, मलेरिया, वायरस, एचआईवी/एड्स और कुष्ठ रोग का इलाज और रोकथाम कर सकता हैं, और रुमेटाइड गठिया सहित ऑटोइम्यून विकारों के प्रबंधन में मदद कर सकता है।46
सावधानी: गर्भवती स्त्रियों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए और जो लोग मधुमेह के लिए औषधियों का सेवन करते हैं उनको भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।शल्य चिकित्सा के बाद पूर्ण स्वस्थ होने तक सेवन नहीं करना चाहिए। 46
6.8 बोतल लौकी/कैलाश (लौकी): पेट के स्वास्थ्य के लिए इसका सेवन अत्यंत लाभकारी है। यह सब्जी और मिठाई दोनों को बनाने में काम आती है। यदि यह कड़वी हो तो इसका सेवन नहीं करना चाहिए।47
6.9 इसी तरह के लाभ के साथ कुछ अन्य उत्कृष्ट लौकी:
आइवी लौकी/कोकीन (कुंदरू); भारतीय स्क्वैश/राउंड बेबी कद्दू (टिंडा); एनोरेक्सिया के लिए अच्छा माना जाने वाला गरीब आदमी की सब्जी के रूप में जाना जाने वाला लौकी (परवल); रिज लौकी (तोरई); और सांप लौकी (चिचिंडा) जो कि पित्त को ठीक कर सकता है। (खराब पाचन, पेट में दर्द, कब्ज और अत्यधिक पेट फूलना)I48-52
6.10 ऑबर्जिन/ बैंगन/बैंगन(बैंगुन): इसकी बैंगनी त्वचा में एक दुर्लभ एंटीऑक्सिडेंट Nasunin होता है जो मस्तिष्क कोशिका झिल्ली की रक्षा करता है53
सावधानी: कम लोहे के स्तर, गुर्दे की समस्या, गाउट या एलर्जी वाले लोगों के लिए उपयुक्त नहीं है। इसके पत्ते और कंद विषाक्त होते हैं और इनका सेवन नहीं करना चाहिए53
6.11 ओकरा/लेडीज फिंगर (भिंडी): ओमेगा-3 और ओमेग -6 फैटी एसिड से भरपूर, यह अत्यधिक पौष्टिक होती है, अंदर से चिपचिपी होती है। यह यादाश्त को बढ़ाने और सिर दर्द में लाभकारी है।54
6.12 ग्रीन/फ्रेंच बीन्स (फलियन): कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट,प्रोटीन और फाइबर से भरपूर लेकिन सोडियम में कम,यह एक पौष्टिक भोजन है,मधुमेह में लाभकारी हैIअध्ययनों से सूचनाके आधार पर यह एचआईवी को रोकनेमें समर्थ है।55
सावधानी: मूत्र की समस्या होने पर इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।55
6.13 हरी मटर (मटर): प्रोटीन और फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है। लेकिन इसमें पोष्टिक रोधी तत्व होने के कारण पाचन तंत्र की गड़बड़ी हो सकती है, अतः हमेशा पका कर ही खाएं।56
6.14 हरी मिर्च (हरि मिर्च): भारतीय और थाई देशों की मुख्य सब्जी। विटामिन-सी, आयरन और कैपसैसिन से भरपूर, यह रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है और तालु को उत्तेजित करता है।57
6.15 स्वीट कॉर्न/मक्का (मक्का): एक स्टार्ट युक्त वनस्पति(वनस्पति रूप से एक फल, एक अनाज भी), यह अत्यधिक रेशेदार, पौष्टिक, लस मुक्त और फायदेमंद है, अगर इसका आनुवांशिक रूप से संशोधन नहीं किया जाता हैI58
सावधानी: यह पेट में जाकर फूल सकती है जिसके कारण पेट दर्द हो सकता है, यदि किसी का पाचन तंत्र संवेदनशील है।58
6.16 कुछ कच्चे फल जो कई प्रकार से स्वास्थ्यवर्धक होते हैं, सब्जियों की तरह: (कटहल) इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए और अच्छी नींद के लिए। (पपीता) पाचन तंत्र के लिए, त्वचा के लिए, संक्रमण से बचाव के लिए तथा मासिक धर्म के दर्द के लिएI पपीते की पत्तियों का उपयोग ज्वर को कम करने के लिए किया जाता है। (कच्चा केला) फूल और तने सहित, इस में अत्यधिक मात्रा में रेशा होता है। यह मस्तिष्क, किडनी और कई बीमारियों में लाभप्रद है।59-61
6.17 मशरूम (छत्रक): यह एक प्राकृतिक उपयोगी फंगस है (यद्यपि यह सब्जियों की तरह से खाया जाता है)I यह एक शक्तिशाली कैंसर रोधी है और इम्यूनिटी को बढ़ाने वाला है। विटामिन बी का स्त्रोत है। मस्तिष्क, हृदय और थायराइड में लाभप्रद है।62
सावधानी: इसे किसी अच्छे और परिचित स्थान से ही खरीदना चाहिए। जंगली मशरूम अत्यधिक टॉक्सिक होती है।62
सारांश: सब्जियां हमारे दैनिक जीवन का एक आवश्यक अंग होनी चाहिए लेकिन इसकी अधिकता पाचन तंत्र की परेशानियों को बढ़ा सकती है। परंतु इनका उपयोग संतुलित रूप में ही किया जाना चाहिए। सोच समझकर अपने शरीर की क्षमता के अनुसार ही इनका सेवन करना चाहिए।3-8
References and Links:
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62. Mushroom: https://draxe.com/nutrition/mushroom-nutrition-benefits/
2. एक किस्सा – चिकित्सक का चमत्कारी अनुभव11601… भारत
संपूर्ण-श्रद्धा और विश्वास से सिर में लगी चोट ठीक हो जाती हैI
18 फरवरी 2020 को, शाम 5 बजे के आसपास, क्लिनिक की शुरुआत से पहले अपने घर के बरामदे को साफ करते समय, चिकित्सक फिसल कर पीठ के बल गिर गई। उसके रोने की आवाज़ सुनकर, उसकी बहनें दौड़ती हुई आईं और उन्होंने देखा कि वह खून से लथपथ नीचे गिरी हुई है और उसके मुख से, "साईराम, साईराम, साईराम ..." का उच्चारण लगातार 20 मिनट तक जारी रहा परन्तु वह अपने पूरे होश-हवास में नहीं थीI इसी दौरान 5 रोगी अंदर आ कर बैठे हुए थेI बहनों ने ध्यान से उसे व्हीलचेयर पर बैठाया और नजदीक के अस्पताल में ले जाने के लिए गाड़ी की व्यवस्था की।
यह सब चल ही रहा था कि अंदर बैठे पांच रोगी बाहर आएI रोगियों में से अपने अच्छे मित्र को देखकर चिकित्सक की याददाश्त वापस आ गई। अपनी स्थिति को देखते हुए उसने हॉस्पिटल जाने से इंकार कर दिया और अपने 108CC बॉक्स को ले आने के लिए कहा। अपनी रेमेडी बनाई*, एक खुराक खाई लेकिन उल्टी हो गई। स्वामी में पूर्ण विश्वास रखते हुए उसने दूसरी खुराक खाई और उसने नारियल के तेल में मिलाकर भी औषधि तैयार कर ली। जैसे ही इस औषधि को सिर पर लगाया गया खून रुक गया। इस हालत में भी, उसने 5 में से 3 रोगियों को जो बहुत दूर से आए थे, उनका उपचार किया। उनमें से एक महिला गर्भवती थी। दूसरे सभी जो चिकित्सक के घर के पास ही रहते थे, दूसरे दिन आने के लिए कहते हुए चले गए। दूसरे दिन, परिवार के सदस्यों के जोर देने पर उनकी बहन उन्हें श्री सत्य साईं अस्पताल में ले गई, वहां उन्होंने डांटते हुए कहा कि तुम्हें इन्हें तुरंत ही लेकर आना चाहिए था, यह सिर की चोट थी। नर्स ने घाव के आसपास के बालों को काट कर अलग किया जिससे कि घाव में टांके लगाए जा सके। ड्यूटी पर उपस्थित डॉक्टर ने देखा तो अनुभव किया कि घाव तो बहुत गहरा है परंतु वह ठीक होने लगा है और टांके लगाने की आवश्यकता नहीं है। उस डॉक्टर ने उन्हें वरिष्ठ न्यूरो सर्जन के पास और विश्लेषण के लिए भेज दिया। वरिष्ठ सर्जन ने कई परीक्षण करवाएं साथ ही सिटी स्कैन भी कराया। मेडिकल स्टाफ को बहुत आश्चर्य हुआ कि यह 3 इंच गहरा घाव बगैर टांकों के स्वत: ही ठीक हो गया है और अंदर कोई भी रक्त के थक्के नहीं है, ना ही किसी प्रकार का फ्रेकचर या ब्रेन इंजरी हैI सिर पर पट्टी बांधकर उन्हें घर भेज दिया गया। उन्हें किसी प्रकार की एलोपैथिक औषधि नहीं दी गईI ब्लड टेस्ट से मालूम हुआ कि रक्त में शर्करा की मात्रा अधिक है और रक्तचाप भी बढ़ा हुआ है (डॉक्टर ने सोचा कि शायद उनके नीचे गिरने के कारण ऐसा हुआ है), इसके लिए औषधियां दी गई परंतु दर्द के लिए उसे किसी औषधि की आवश्यकता नहीं थी। 1 सप्ताह तक इन औषधियों का सेवन करने के बाद उसने इन्हें बंद कर दिया परंतु वाईब्रिओनिक्स औषधि को एक माह तक लेती रही। इसके साथ ही स्वामी द्वारा सृजित हल्दी को वह घाव पर कभी-कभी लगा लेती थी। वह अब पूर्ण रूप से स्वस्थ है। उनका यह मानना है कि उनके जीवन का यह सबसे बड़ा चमत्कार है। स्वामी के प्रति नतमस्तक हैं स्वामी के प्रति और उनकी वाईब्रिओनिक्स के प्रति आभारी हैं।
*CC3.2 Bleeding disorders + CC3.7 Circulation + CC10.1 Emergencies + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC18.5 Neuralgia + CC20.7 Fractures + CC21.11 Wounds & Abrasions
3. कोविड-19 अपडेट
13 अप्रैल 2020 से हमने निम्न कंबोज का उपयोग इस रोग से सुरक्षा के लिए उपयोग किया है:
CC4.1 Digestion tonic + CC4.8 Gastroenteritis + CC9.4 Children’s diseases + CC10.1 Emergencies + CC13.1 Kidney & Bladder tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC19.3 Chest Infections chronic + CC19.6 Cough chronic + CC19.7 Throat chronic
उनके लिए जिनके पास 108CC बॉक्स नहीं है, लेकिन SRHVP मशीन है: NM6 Calming + NM76 Dyspnoea + NM113 Inflammation + BR4 Fear + BR14 Lung + SM26 Immunity + SM27 Infection + SM31 Lung & Chest + SM40 Throat + SR270 Apis Mel + SR271 Arnica 30C + SR272 Arsen Alb 30C + SR277 Bryonia 30C + SR291 Gelsemium 30C + SR298 Lachesis + SR301 Mercurius 30C + SR302 Nux Vom 30C + SR306 Phosphorus 30C + SR385 Eupatorium Perf + SR406 Sabadilla 30C + SR505 Lung
वायरस के म्युटेट होने के कारण हमारी अनुसंधान टीम ने इसको संशोधित किया है जो निम्न है:CC4.1 Digestion tonic + CC4.2 Liver & Gallbladder tonic + CC9.2 Infections acute + CC9.4 Children’s diseases + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC19.3 Chest Infections chronic + CC19.6 Cough chronic + CC19.7 Throat chronic
उनके लिए जिनके पास 108CC बॉक्स नहीं है, लेकिन SRHVP मशीन है: NM6 Calming + BR4 Fear + BR9 Digestion + BR10 Fever & Infection + BR14 Lung + SM26 Immunity + SM27 Infection + SM31 Lung & Chest + SM40 Throat + SR271 Arnica 30C + SR272 Arsen Alb 30C + SR291 Gelsemium 200C + SR302 Nux Vom 30C
दोनों ही केसों में खुराक पहले की तरह ही है। सुबह उठने पर बचाव की दृष्टि से OD; संभावित संक्रमण (हल्के लक्षण जैसे की हल्की खांसी) में TDSI कोविड-19 के निदान होने पर,रोगी के लिए एक खुराक हर घंटे 6 घंटे तक, इसके पश्चात 6TD; सुधार होने पर खुराक को QDS - TDS - BD – OD धीरे-धीरे कर देना चाहियेI किसी भी एलोपैथिक उपचार को जारी रखा जाना चाहिए और किसी भी समय हतोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए।
आरोग्य लाभ: जब कोई रोगी ठीक हो गया हो लेकिन कमजोरी महसूस करता है और थकान महसूस करता है तो उसे निम्न कोंबो दें जब तक कि वह पूर्ण रूप से स्वस्थ ना हो जाए:
CC4.1 Digestion tonic + CC11.3 Headaches + CC19.7 Throat chronic
उनके लिए जिनके पास 108CC बॉक्स नहीं है, लेकिन SRHVP मशीन है: NM75 Debility + BR9 Digestion + BR10 Fever & Infection + SM31 Lung & Chest + SM24 Glandular + SM40 Throat
दोनों के लिए खुराक: बिस्तर पर जाने से पहले रात में OD, जबकि जागने पर इम्युनिटी बूस्टर OD जारी रखना।
उन लोगों की सुविधा के लिए जिनके पास 13 अप्रैल 20 का पिछला कॉम्बो पहले से ही अल्कोहल में बना है, वे बस अपनी मौजूदा बोतल में निम्नलिखित जोड़ सकते हैं: CC4.2 Liver & Gallbladder tonic + CC9.2 Infections acute.
उनके लिए जिनके पास 108CC बॉक्स नहीं है, लेकिन SRHVP मशीन है: BR9 Digestion + BR10 Fever & Infection