साई व्हाइब्रियोनिक्स पत्रिका

" जब आप किसी हतोत्साहित, निराष या रोग ग्रस्त व्यक्ति को देखते हो, वहीं आपका सेवा क्षेत्र है " Sri Sathya Sai Baba
Hands Reaching Out

Practitioner Profile 11587...India


चिकित्सक11587…भारत  श्रम कल्याण और मानव संसाधन प्रबन्धन में स्नात्तकोत्तर हैं। उनका जन्म आध्यात्मिक विचार वाले परिवार में हुआ था। वे बचपन से ही सामाजिक सेवा कार्यों से जुड़े रहे हैं। उनके निवास स्थान के पड़ोस में होने वाले भजनो के कारण से 1974 में स्वामी की ओर आकर्षित हुये। 1979 में बैंगलोर में स्थानान्तरित होने के बाद उन्हें स्वामी के मंत्रमुग्ध करने वाले दर्शन पुट्टापर्थी और व्हाइट फील्ड में हुये। धीरे-धीरे छुट्टियों में और विशेष पर्वों पर साई संगठन के कार्यों में भाग लेने लग गये। 2001 में सेवा निवृति के पश्चात् वे पूर्णतया साई सेवा में डूब गये।

चिकित्सक गत 30 वर्षों से ज्योतिष का कार्य कर रहे हैं और सभी को निशुल्क सलाह देते हैं। उन्होंने इस विद्या को अपने पिता से सीखा था जिन्हें उन्होंने बचपन में ही खो दिया था। उनकी इच्छा थी कि जिस किसी को भी अपनी समस्याओं से मुक्ति पानी हो, उसको वे निःशुल्क मदद करें। उन्होंने रेकी की भी शिक्षा प्राप्त की थी, उसके पश्चात् 1993-94 में होम्योपेथी की शिक्षा प्राप्त की परन्तु पारिवारिक कारणों से वे परीक्षा नहीं दे पाये। उनके दामद द्वारा वाइब्रोनिक्स की जानकारी मिलने पर उन्होंने तुरंत ही इसके लिये आवेदन कर दिया। उनके दामाद को मार्च 2017 में कार्यशाला में भाग लेना था परन्तु दुर्भाग्यवश उनका देहावसान हो गया। इस भावनात्मक दुर्धटना के बावजूद वाइब्रोकोर्स करते रहे और जुलाई 2017 में AVP बन गये, फरवरी 2018 में वे VP बन गये। वह अन्य किसी भी प्रकार की उपचार विधि का उपयोग नहीं करते हैं लेकिन ज्योतिष विद्या से वह लोगों की मदद करते रहते हैं।

VP बनने के बाद वह एक वर्ष तक अपने पुत्र के पास अमेरिका में रहे जहाँ वह हर 2 वर्ष में जाते हैं। शुरू-शुरू में वहाँ के स्थानीय लोगों और भारतीय परिचितो को वाइब्रोनिक्स के प्रति विश्वास दिलाने में कठिनाई का सामना करना पड़ा फिर भी वहाँ पर उनके रहने के समय में उन्होंने 120 रोगियों का उपचार किया इस कार्य में वहाँ के सलाहकार10375 तथा अमेरिका और कनाडा के समन्वयक01339 ने उनकी पूरी मदद की।

जून 2018 में भारत में आने के बाद उनके पास आने वाले रोगियों के उपचार के साथ ही वह दूरस्थ स्थानों पर रहने वाले रोगियों को डाक द्वारा दवाई भेजने लगे। वह अपने निवास स्थान के पास स्थित दो आध्यात्मिक केन्द्रों पर सेवा हेतु जाने लगे। एक अन्य गाँव जो उनके निवास के समीप था वहाँ साप्ताहिक रूप से जाकर रोगियों का उपचार करते हैं। उनके द्वारा उपचारित रोगियों में अधिकतर पाचन संबंधी रोग, त्वचा की एलर्जी, संक्रमण, दाँत दर्द और जोड़ों के दर्द से पीड़ित व्यक्ति होते हैं। एक रोगी जो दस दिन से टिनिटस रोग से ग्रस्त था वह चार दिनों में ही बिलकुल ठीक हो गया। उसको उन्होंने 30ml ऑलिव आइॅल में CC5.3 Meniere’s disease की बूँद डालकर कान में दो बार डालने के लिये दी थी। वह कैंसर के रोगियों को दर्द कम करने के लिये,अस्थमा और माइग्रेन रोगो के लिये भी उपचार देते रहते हैं। उनका मानना है कि कुछ रोगी बिलकुल स्वस्थ हो सकते है यदि वे दो बार उपचार को लेकर पूर्ण कर लें। वे इस बात से दुःखी है कि अधिकत्तर रोगी थोड़ा आराम मिलते ही उपचार बन्द कर देते है। भारत आने के बाद उन्होंने लगभग 275 रोगियों का उपचार किया है।

चिकित्सक जहाँ कहीं भी जाते है, कार्यशाला में दिये गये निर्देषों के अनुसार, वे सदैव अपने साथ वैलनैस किट रखते हैं, । इससे उनमें आत्म-विश्वास बढ़ जाता है और वह आवश्यकतानुसार मदद करने के लिये तैयार रहते हैं। वह समाचार पत्रों से अपने आप को नवीनतम जानकारियों का ज्ञान रखते है। चिकित्सकों के डाटा-बेस को नवीनतम बनाये रखने वाली टीम के सक्रिय सदस्य हैं। वह स्वामी को आभार प्रकट करते हैं कि स्वामी ने उन्हें सेवा करने हेतु वाइब्रोनिक्स के माध्यम से सुनहरा अवसर प्रदान किया है। वह हर कदम पर स्वामी के मार्गदर्शन में कार्य करते हैं। वह अपनी उन्नति के लिये समय पर मेन्टर के उत्साहित करने को मानते हैं। वह महसूस करते हैं कि वाइब्रोनिक्स ने उनके जीवन के हर पहलू को रूपान्तरित कर दिया है। वह रोगी को उपचार देने से पूर्व प्रार्थना करते हैं और रोगी के साथ बड़े धैर्य और प्रेम से वार्तालाप करते हैं। वह कहते हैं कि प्रेम और दया के भाव से रोगियों से बात करने से ही आधी बिमारी ठीक हो जाती है। वह अपने रोगियों को समय पर भोजन करने, पर्याप्त मात्रा में पानी पीने और अच्छी नींद लेने की हिदायते देना कभी नहीं भूलते हैं।

अनुसरण योग्य उपचार: