Practitioner Profile
चिकित्सक11586...भारत , एक योग्य बैंक कर्मी है। इन्होंने 24 वर्षों तक भारत में कार्य करने के पश्चात् इन्डोनेशिया में 21 वर्षो तक आर्थिक क्षेत्र में वर्ष 2015 तक कार्य किया है। स्वामी की जीवनी ‘सत्यम सुन्दरम’ का अध्ययन करने के पश्चात् वे 1970 में स्वामी के संपर्क में आये। इसके पश्चात् वे संगठन के विभिन्न कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेने लगे। उन्हें अपने कार्य से भारत के विभिन्न भागों और विदेश में भ्रमण करना पड़ा। स्थानीय केन्द्रों पर संपर्क करके उन्होंने सदैव सेवा कार्य करने का अवसर प्राप्त किया। वर्ष 2010 में जब वे इन्डोनेशिया में थे तो उन्होंने सुना कि स्वामी वेदों के उच्चारण से उत्पन्न कंपन की उपचार क्षमता के बारे में बोलते हैं। अति शीघ्र उन्होंने इसे सीखना और अभ्यास करना शुरू कर दिया। 2 वर्षों में ही उन्होंने घर पर ही उसके प्रभाव को अनुभव कर लिया था। उनके घर के सामने रूद्राक्ष का पेड़ जो वर्षों से बाँझापन से ग्रस्त था उसमें फूल आने लगे। कुछ समय पश्चात् उसमें 20000 रूद्राक्ष प्रकट हो गये। भारत में इन स्द्राक्षों को उन्होंने मंदिरों और अपने आस पास के लोगों में वितरण कर दिया।
वर्ष 2013 में उन्होंने डा॰ जीत व श्रीमति हेम अग्रवाल का विडियो देखा जिससे प्रभावित होकर तथा स्वामी के संदेश "भविष्य की औषधि वाइब्रोनिक्स होगी” को ध्यान में रखते हुये उन्होंने इस विद्या को सीखने का निश्चय कर लिया। वे सेवा से मई वर्ष 2015 में निवृत हो कर भारत लौट आये। जैसे ही उनकी परिस्थितियाँ अनुकूल हुई उन्होंने वर्ष 2016 में प्रशिक्षण हेतु आवेदन कर दिया। e-कोर्स व कार्यशाला प्रशिक्षण तथा आवश्यक परिक्षायें उर्त्तीण करने के बाद मार्च 2017 में AVP बन गये। अक्टूबर 2017 में वे VP बन गये। परामर्श प्रक्रिया को पूर्ण करने के बाद नवम्बर 2018 में वे SVP बन गये।
चिकित्सक ने इसका अभ्यास सबसे पहले स्वंय पर तथा पहले से पहचान वाले रोगियों से किया। कुछ घरेलु प्रतिबद्धताओं के कारण उन्हें 4 माह के लिये अपने पुत्र के पास USA जाना पड़ा। वहाँ सिख और हिन्दुओं के मन्दिरों में वाइब्रोनिक्स उपचार के बारे में चर्चाये की तथा वहाँ 72 रोगियों का उपचार किया। 2018 के पुर्वाह्न में वह अपने पुत्र के पास 2 माह के लिये जर्मनी गये। वहाँ भी उन्होंने स्थानीय लोगों को इस उपचार के बारे में बतलाया। उनके पुत्र द्वारा जर्मन भाषा में बोलने के कारण भी विचारों के आदान प्रदान में सहयोग मिला फलस्वरूप वहाँ उन्होंने 26 रोगियों का उपचार करने में सफलता प्राप्त की। हर बार विदेश से लौटते वक्त उन्होंने रोगियों से संबन्धित सभी जानकारियाँ वहाँ के स्थानीय चिकित्सकों को बता दी। जिससे कि वे भविष्य में उनका उपचार नियमित रूप से कर सकें।
अभी तक उन्होंने 480 रोगियों का उपचार किया है, उपचारित रोग है – गठिया, कमर दर्द, जीर्ण खांसी, माइग्रेन, अनिद्रा, वैरीकोस वेन्स, स्किन ऐलर्जी और विटिलिगो, जिनमें उन्हें पूर्ण सफलता प्राप्त हुई है। उनका अनुभव है कि किशोरों और व्यस्कों में इन रोगों का कारण भावनात्मक है। CC15.1 Mental & Emotional tonic को उनकी औषधि में मिला देने से आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त हुये हैं। इसी प्रकार 45 वर्ष की आयु से अधिक आयुवाली महिलाओं की औषधि में CC8.6 Menopause के मिला देने से उनको कमर दर्द से मुक्ति मिल गई। एक अन्य हृदय स्पर्शी केस एक 21 वर्षीय गर्भवती महिला का है। वह अपने परिवार के अत्याधिक तनाव पूर्ण वातावरण के कारण बहुत परेशान थी, उसकी पहली संतान मति मंद थी। वह जिस समय चिकित्सक के पास पहुँची थी। वह गर्भपात कराने का निर्णय कर चुकी थी। CC8.2 Pregnancy tonic ने आश्चर्यजनक रूप से उसे लाभ पहुँचाया। उसका मन शांत हो गया और उसने एक स्वस्थ्य शिशु को जन्म दिया इसी प्रकार के 35 वर्षीय गर्भवती महिला के केस में जो काला जादू से प्रभावित थी को CC15.2 Psychiatric disordersके साथ Pregnancy tonic देने से अप्रत्यशिक्षत लाभ प्राप्त हुआ। 3 माह के पश्चात् उसने एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया।
यह चिकित्सक इस चिकित्सा दल के सदस्य हैं जो उन क्षेत्रो में सेवा देते हैं जहाँ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं है। वे रोगियों के साथ फोन से संपर्क करते हैं तथा औषधियाँ डाक से भेजते हैं। पिछले 6 माह में उन्होंने इस प्रकार से 50 से अधिक रोगियों का उपचार किया है। वह औषधि बनाते समय साईं गायत्री मंत्र का उच्चारण करते रहते हैं इससे उनकी औषधियाँ और अधिक प्रभावी हो जाती हैं। उनके कथनानुसार बहुत से रोगी अपने स्वास्थ्य के प्रति बहुत उदासीन होते हैं। उपचार से उनको फायदा होने पर भी वे उपचार को बीच में ही छोड़ देते हैं। ऐसे मामलों में वे उन रोगियों के लिये प्रार्थना भी करते हैं। उन्होंने अपनी मातृभूमि को भी वाइब्रेशन देना शुरू कर दिया है, सप्ताह में एक बार।
वह प्रशासकीय कार्य जैसे कि तमिलनाडू के चिकित्सकों का डेटाबेस अपलोड करने में सहयोग देते हैं, उनकी मासिक रिपोर्टो को भी अपलोड करते हैं। वह चेन्नई के साई केन्द्रों पर वात्र्ताओं का आयोजन करते हैं जिससे कि लोगों में जागरूकता बढ़े। इससे लोगों में चिकित्सक बनने की इच्छा जागृत होगी। वह हर संभव प्रयास करते हैं जिससे कि उनके पहचान के व्यक्तियों और मित्रों में वाइब्रेनिक्स सीखने के प्रति उत्साह जागृत हो सके।
वाइब्रोनिक्स का अभ्यास करने के पश्चात् उनके जीवन का उद्देश्य ही बदल गया है। यह उनकी प्रतिबद्धता है कि इसके द्वारा अपने प्रेम को दिन प्रतिदिन कार्यों में परिणित कर सके और स्वामी के इस सन्देश को ‘मानव सेवा ही माधव सेवा है तथा सब से प्रेम करो सब की सेवा करो’ को पूर्ण रूप से साकार कर सकें। वह प्रतिदिन प्रातःकाल की बेला में स्वामी से प्रार्थना करते हैं कि विश्व के समस्त चिकित्सकों पर वह अपने अनुग्रह की वर्षा करते रहें जिससे कि वे शुद्ध प्रेम का चैनल बन सके और जरूरत मंदों की प्रेमयुक्त भाव से सेवा करते रहें।