साई व्हाइब्रियोनिक्स पत्रिका

" जब आप किसी हतोत्साहित, निराष या रोग ग्रस्त व्यक्ति को देखते हो, वहीं आपका सेवा क्षेत्र है " Sri Sathya Sai Baba
Hands Reaching Out

चिकित्सकों का परिचय 11621...India


 चिकित्सक 11621…भारत 2014 से SSSIHL बृंदावन में बायोसाइंसेज में सहायक प्रोफेसर के रूप में सेवा हैं, वर्तमान में कैंपस समन्वयक भी हैं। उन्होंने अपना पहला दर्शन तब किया जब स्वामी 1989  में कोयम्बटूर में पोदनूर समिति में गये थे। वह बालविकस समूह का हिस्सा थे जिन्होंने नृत्य नाटिका का प्रदर्शन किया जिसके बाद स्वामी ने उन्हें विभूति सर्जित करके दी थी। बाबा ने उन सब के साथ एक फोटो भी खिंचवाई थी। स्वामी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अपने बालविकास गुरुओं से प्रेरित होकर, उन्होंने साईं छात्र बनने की आकांक्षा की। उनकी यह इच्छा उस समय फलीभूत हुई जब उन्होंने स्वामी की संस्था में 1996 में स्नातक स्तर के छात्र के रूप में प्रवेश लिया और वर्ष 2001 में स्नातकोत्तर की उपाधि भी वहीं से प्राप्त की। इसके पश्चात वर्ष 2008 में उन्होंने JNCASR बेंगलुरु से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

अपने छात्र जीवन से ही उन्होंने सेवा गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया था - भजनों में भाग लेते थे और यदा-कदा छोटी वार्ता भी देते थे तथा सत्संग का भी आयोजन करते थे। अभी वह युवाओं के परामर्शदाता है, वह उनके लिए जागरूकता पाठ्यक्रम का संचालन करते हैं, साप्ताहिक तौर पर स्वयं के विकास पर कार्यक्रम आयोजित करते हैं। अभी वह आर्ट्स गैलरी और स्व-निर्भरता टीम और ड्रामा-सेट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। वृंदावन छात्रावास में पारंपरिक एलोपैथिक उपचार के प्रति अरुचि के कारण  उन्होंने स्वामी से प्रार्थना की। वृंदावन में मासिक आयुर्वेदिक शिविर के दौरान वरिष्ठ चिकित्सक केवल एक या दो छात्रों को ही देख पाते थे क्योंकि हर छात्र का मुआयना करने में 20 से 30 मिनट का समय लग जाता था। अत: चिकित्सक ने उस विद्या को सीखने का मन बनाया परंतु इसमें अधिक समय की आवश्यकता होने के कारण वह ऐसा नहीं कर पाए। इस सेवा को करने के लिए उन्हें कोई अच्छा होम्योपैथ भी नजर नहीं आया। लगभग 2 वर्षों के बाद स्वामी से प्रार्थना करने के उपरांत एक ध्यान सत्र के समाप्त होने पर उनकी मुलाकात एक चिकित्सक11595 से हुई, वह ग्रुप के किसी सदस्य को गोलियों  की बोतल दे रहे थे। उन्हें पता चला कि यह वाईब्रिओनिक्स औषधि है जिसे स्वामी के मार्ग निर्देशन में बनाया गया है जो सबसे महत्वपूर्ण बात थी कि रोगी ने कहा कि “यह चमत्कारी है और मुझे इस से तुरंत ही लाभ प्राप्त होता है”। चिकित्सक से उत्साहित होकर उन्होंने वेब साइट पर ढूंढना शुरू कर दिया और प्रशिक्षण हेतु आवेदन कर दिया और उनको प्रवेश दे दिया गया। ई-कोर्स के दौरान ही उन्हें औषधि के प्रभाव का अनुभव हो गया जब उसी चिकित्सक ने उनके छींकने और लगातार गले में संक्रमण का उपचार किया। स्वयं की चिकित्सा से प्रभावित होकर उन्होंने बहुत से छात्रों को जानकारी दी कि वे फोन द्वारा चिकित्सक से परामर्श कर सकते हैं और वह स्वयं औषधि
लेकर वित्तरित कर देंगे।

उन्होंने नवम्बर 2019 में AVP का प्रशिक्षण पुट्टापर्थी में लिया। उन्होंने जो पहली रेमेडी बनाई वह है, CC1.1 Animal tonic + CC1.2 Plant tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic  जिसको उन्होंने स्वामी को उनकी फोटो पर रखकर, पूरे विश्व की शांति के लिए, समर्पित किया था! रोगियों के साथ उनकी सेवा बहुत ही नाटकीय रूप से शुरू हुई, जब वह अपनी कार्यशाला से टैक्सी से लौट रहे थे तो उन्होंने एक दुर्घटना को देखा जिसमें एक महिला अपने पुत्र की बाइक से गिरकर सड़क पर पड़ी हुई थी। वह अर्ध चेतनावस्था में थी, रक्त बह रहा था और दर्द से कराह रही थी। चिकित्सक ने तुरंत ही अपनी जेब में रखी इमरजेंसी औषधि (कार्यशाला में दृढ़ता से अनुशंसित एक अभ्यास) को निकालकर महिला को खिलाई और अपनी टैक्सी से उसे अस्पताल ले गए। वह स्वामी के प्रति अत्यधिक आभारी हैं कि उन्हें अपने पहले रोगी का उपचार करने का अवसर प्राप्त हुआ।

वृंदावन वापस आने के बाद, उन्होंने हॉस्टल में छात्रों की चिकित्सा सेवा शुरू कर दी। बहुत जल्दी छात्रों को इस चमत्कारी औषधि के बारे में जानकारी मिल गई तथा वह चिकित्सक के पास पहुंचने लगे। इस कारण से वह अत्यंत व्यस्त हो गए और इससे उन्हें अवसर मिल गया कि छात्रों को भी वह इस सेवा कार्य से जोड़ दें। उन्होंने 12 छात्रों की एक टीम बनाई और उन्होंने गोलियों को शीशी में डालकर, उपचार लेने के निर्देशनों के साथ, जरूरतमंदों में वितरित करने का काम दे दिया। सामान्य प्रकार के रोगों के लिए रेमेडीज को थोक में बनाया जाने लगा जैसे कि  -दस्त, कब्ज, माइग्रेन, सिरदर्द, बुखार, खांसी और सर्दी। जब कभी भी आपातकालीन आवश्यकता होती तो छात्र चिकित्सक से पूछ कर विशिष्ट कॉम्बो की रेमेडी को रोगी को दे देते थे। इस प्रकार से सामान्य रोगों का उपचार किया जाने लगा।

जनवरी 2020 में वार्षिक खेलकूद के समय सभी छात्र पुट्टपर्थी चले गए। वहां पर दिन भर काम करने के कारण उन्हें सामान्य चोट लग जाती थी। ऐसे समय में वाइब्रॉनिक्स के द्वारा ही उनका उपचार कर दिया जाता था। सभी प्रकार के दर्द का कॉम्बो, CC3.7 Circulation + CC10.1 Emergencies + CC18.5 Neuralgia + CC20.3 Arthritis + CC20.4 Muscles & Supportive tissue + CC20.5 Spine + CC20.7 Fractures का निर्माण किया गया था चिकित्सकों के गुरु11583 के मार्गदर्शन में। इसको सरसों के तेल में मिलाकर, मांसपेशियों में क्रेम्पस और  चोट के लिए, बाह्य उपयोग में लिया जाता था । बाद में इन्हीं पिल्स को पानी में घोलकर प्रभावित क्षेत्र पर छिड़काव कर दिया जाता था। इस कॉम्बो को कई बार उपयोग में लिया गया और इससे उपचार कभी भी असफल नहीं हुआ। चिकित्सक ने एक केस का वर्णन किया जिसमें रोगी रात्रि को 2:00 बजे, उसके टखने में अत्यधिक दर्द होने के कारण उठ जाती थी। पहले जब कभी ऐसा होता था तो वह दर्द निवारक गोली का सेवन कर लेती थी। इस बार उसने 1 दिन पूर्व तैयार की गई रेमेडी को प्रभावित स्थान पर लगा लिया। उसका दर्द 2 मिनट में ही ठीक हो गया! वह इस उपचार से इतनी प्रभावित हुई कि वह अपने पैरों पर इसका आवश्यकता पड़ने पर उपयोग करने लगी और उसने दर्द निवारक गोली का सेवन कर बंद कर दिया। उसके उम्र दराज पिता के लिए तो यह आकर्षण की चीज हो गई थी। वह उन्हें घुटने के दर्द में तुरंत आराम प्रदान कर देती थी। 

चिकित्सक ने एक और रेमेडी तैयार की जो विशेषकर छात्रों के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हुई: Boys Wellbeing combo जो शुरू में एक तृतीय वर्ष के छात्र के लिए तैयार की जिसका आत्मविश्वास अत्यधिक कमजोर पड़ गया था। इस छात्र को गिटार बजाने में महारत थी और उसका चयन, एक ऑर्केस्ट्रा प्रतियोगिता के लिए, एक 15 सदस्यीय टीम में हो गया था । मंच पर कार्यक्रम प्रस्तुत करने का उसका यह प्रथम प्रयास था। उस छात्र ने कहा कि “मैं बहुत नर्वस महसूस कर रहा हूं मेरे हाथों और हथेलियों से पसीना आ रहा है। मेरे लिए गिटार बजाना असंभव लग रहा है। मैं गलती करके पूरी टीम का नुकसान नहीं करना चाहता हूं। मैं अपनी टीम को पराजित होते हुए नहीं देख सकता हूं। मैं क्या करूं”? प्रतियोगिता रविवार को होनी थी और उसको गुरुवार को ‘स्टेज प्रदर्शन के डर’ को दूर करने के लिए रेमेडी दी गई: CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC17.3 Brain & Memory tonic. उसने गिटार इतना अच्छा बजाया कि टीम विजेता बन गई। यह रेमेडी ‘Wellbeing combo’: CC4.1 Digestion tonic + CC12.1 Adult tonic + CC14.1 Male tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC17.3 Brain & Memory tonic का एक अंश थी।जिसके लिए छात्र परीक्षा से पूर्व मांग करते हैं तथा सामूहिक प्रस्तुति के समय भी मांग करते हैं। बाद में इस रेमेडी को थोक में तैयार करके सभी 28 कमरों में एक-एक बोतल रखवा दी गईI कमरे का प्रधान प्रतिदिन पानी में रेमेडी को तैयार करता था और प्रत्येक छात्र को उसका एक घूँट प्रतिदिन लेना आवश्यक था।

अप्रैल 2020 में शैक्षिक सत्र समाप्त होने के कारण छात्र वापस अपने घर जाने की तैयारी कर रहे थे उसी समय कोविड-19 तेजी से फैल रहा था। काफी संख्या में इम्यूनिटी बूस्टर की शीशियां तैयार की गई और उनको छात्रों में उनके परिवार में बांटने के लिए वितरित की गई। उन्हें एक हृदयस्पर्शी घटना की याद आ गई जब एक शीशी छात्र के पिता को कोरियर के द्वारा भेजी गई थी, उनको कोविड-19 के लक्षण थे, बुखार था, सुनने की शक्ति कम हो गई थी और स्वाद भी नहीं आता था और कुछ भी अच्छा नहीं लगता था। वह होम्योपैथिक उपचार ले रहे थे और जिसे उनके पुत्र ने उनको बंद करने के लिए कहा था। उन्होंने इम्यूनिटी बूस्टर खुराक को SOS लेना शुरू कर दिया था, एक घूँट 10 मिनट में 2 घंटे तक रात्रि में और 1 घंटे तक अगली सुबह। 12 घंटे में ही उनके पिता पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गए थे, उन्होंने कहा था कि मुझे कमरे में कपूर की गंध आ रही है। छात्र की मां तो रोने लगी थी जब उन्होंने चिकित्सक को पूरी घटना की जानकारी फोन पर दी थी। इम्यूनिटी बूस्टर को बहुत से लोगों को दिया गया है इस रोग से बचने के लिए और उनका इस रोग से बचाव हुआ है। प्रशिक्षण के दौरान यह बताया गया था कि वाईब्रिओनिक्स से उन लोगों का भी उपचार हो जाता है जिनके बारे में मनुष्यों को अभी तक पता नहीं है जैसे कि कोविड-19 जिसका उपचार इस औषधि द्वारा हो रहा है। 

लॉकडाउन के दौरान जब चिकित्सक पिल्स और बाटल्स प्राप्त नहीं कर सकते थे तो स्थानीय चिकित्सकों ने इसकी भरपाई कर दी और कार्य लगातार चलता रहा। यह कार्य अभी तक निरंतर चल रहा है। औषधि को डाक द्वारा भी भेजा जा रहा है जबकि प्रशिक्षण का कार्य अब वर्चुअल विधि से हो रहा है। वह अब उन चिकित्सकों के साथ कार्य कर रहे हैं जिन्होंने एक अपना नेटवर्क बनाया हुआ है जिसके द्वारा वह औषधि को बाहर भेजते हैं। उन्होंने अपने परिवार वालों, मित्रों और सहयोगियों को भी इस औषधि की जानकारी दी है।

दूसरों की बीमारी और दुखों को देखकर चिकित्सक यह अनुभव करते हैं कि ईश्वर की अथाह कृपा से व्यक्ति समग्र रूप से अधिक स्वास्थ्य-सचेत हो गये है। वह अपने विचारों, शब्दों और कार्यों के प्रति अधिक जागरूक हो गए हैं। इससे उनकी साधना में दिन-प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है। वह यह भी अनुभव करते हैं कि रेमेडी उस समय अधिक असर करती है जब चिकित्सक रोगी के दर्द को अपना दर्द समझे तभी वह दिव्य चैनल का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

चिकित्सक का कहना है कि हमें अक्सर स्वामी के शब्दों को दोहराते रहना चाहिए, “सेवा करो क्योंकि तुमसे प्रेम के साथ आग्रह किया गया है...” 108CC पुस्तक के प्रथम पृष्ठ पर लिखा है आधार का प्रेम से स्पर्श करो वह तुम्हें सेवा और आत्म निरीक्षण का अवसर प्रदान करेगा। वह यह अनुभव भी करते हैं कि साईं वाईब्रिओनिक्स  उनके लिए स्वामी का एक अनुपम उपहार है। अपनी पत्नी के साथ ‘साईं केंद्रित जीवन’ की आकांक्षा को वह स्वामी की कृपा से जी रहे हैं। वह स्वामी के सभी छात्रों की हर प्रकार से मदद कर रहे हैं जिससे कि वह अच्छा नेतृत्व कर सके और आने वाली पीढ़ी के लिए वाइब्रेशन उपचार के लिए मार्गदर्शन कर सकें।

अनुकरणीय उपचार :