साई व्हाइब्रियोनिक्स पत्रिका

" जब आप किसी हतोत्साहित, निराष या रोग ग्रस्त व्यक्ति को देखते हो, वहीं आपका सेवा क्षेत्र है " Sri Sathya Sai Baba
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चिकित्सकों की रूपरेखा 03508...फ्रांस


चिकित्सक03508...फ्रांस, वह एक कुशल एनएसथीसिया की नर्स है। नर्सिंग के क्षेत्र में स्नातकोत्तर डिग्री भी प्राप्त की है। जिसमें एनेस्थिसियोलॉजी में मास्टर डिग्री भी शामिल है। उन्हें ऑपरेशन थिएटर, इंटेंसिव केयर और आपातकालीन सेवाओं में 40 वर्षों का अनुभव है और वह यह सेवाएं पूर्ण समर्पण के साथ अभी भी कर रही है। इन्होंने कई अन्य भाषाएं भी सीखी है, यहां तक कि इन्होंने प्राइवेट पायलट का लाइसेंस भी प्राप्त किया है जिससे कि वे विदेशों में भी मानवता के उद्धार के लिए कार्यों में सहयोग प्रदान कर सके। बचपन से ही मां के निर्देशों के तहत आध्यात्मिक मार्ग पर चल रही है। अपनी मां को अपना प्रथम गुरु मानती है। उन्होंने 15 वर्षों तक मार्शल आर्ट, बुद्धिस्ट फिलासफी का अध्ययन किया है। इससे उनकी आंतरिक शक्ति में बहुत इजाफा हुआ है जोकि उनकी इच्छित व्यवसाय में रोगियों की सेवा करने में बहुत मददगार साबित हुआ है। वह रोगियों की तकलीफों को अच्छी तरह समझती है तथा प्रेम से उनकी देखभाल करती है। स्वामी से उनकी पहली मुलाकात वर्ष 1990 में हुई थी जो एक अविस्मरणीय  यादगार है, यह मुलाकात पुट्टपर्थी में हुई थी। स्वामी जब उसके नजदीक आए और उसको तीव्र निगाहों से देखा तो उसका दिल पिघल गया और वह खुशी से भर गई। अतः उसने अपनी गतिविधियों को और अधिक बढ़ा दिया। वर्ष 1993 में चिकित्सक ने एक 12 वर्षीय बालक को देखा जिसकी उम्र समाप्त होने वाली थी या फिर उसे जीवन पर्यंत विकलांगों का जीवन व्यतीत करना था। उसकी यह हालत उसके सिर में चोट के कारण हुई थी, चोट के पश्चात वह 3 माह तक कोमा में रहा था। उसको चिकित्सक ने विभूति लगाई और भगवान से उसके लिए प्रार्थना की, इससे वह बालक बिल्कुल ठीक हो गया। जो किसी आश्चर्य से कम नहीं था। इससे चिकित्सक के मन में धारणा बनी कि उसे एलोपैथी के अलावा किसी अन्य प्रकार की चिकित्सा पद्धति का ज्ञान होना आवश्यक है। मां को जीर्ण गठिया का रोग था वह कई महीनों तक बिस्तर से उठ नहीं पाई थी। वर्ष 1995 में वह मां को लेकर पुट्टपर्थी आई, जहां उन्हें स्वामी ने आशीर्वाद दिया तथा आयुर्वेदिक उपचार करवाया जिससे वह पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गई। इससे उनकी यह धारणा और भी बलवती हो गई कि वैकल्पिक औषधियों में इतनी उर्जा होती है कि वे रोग मुक्त कर देती है।

2013 में नवंबर माह में वे फिर पुट्टपर्थी आई तथा स्वामी से मन ही मन में भेंट करके पूछा कि संसार की प्रत्येक वस्तु आपकी ही ऊर्जा है तो आप के आश्रम में ऐसी ऊर्जा की औषधि क्यों नहीं है? यह केवल एक संयोग ही नहीं था, तभी उसकी मुलाकात एक भक्त से हुई जो डॉक्टर अग्रवाल से मिलने के लिए आया था। यह वाइब्रॉनिक्स के साथ उनकी पहली मुलाकात थी। यह मुलाकात उनके लौटने से केवल 48 घंटे पहले हुई थी । उनकी नवंबर 2014 की अगली यात्रा के दौरान, उन्होंने AVP की शिक्षा प्राप्त कर ली थी पुट्टपर्थी मेंI 5 वर्ष बाद फ्रांस में उन्होंने SVP की ट्रेनिंग पूरी कर ली थी।

उसने अभ्यास स्वयं पर, परिवार के सदस्यों पर, मित्रों पर और सहयोगियों से शुरू किया। इसके अतिरिक्त पशुओं, पौधों, बगीचों और मकानों पर भी उपचार किया। उसके अधिकतर रोगी उसके निवास स्थान से अत्यधिक दूरी पर रहने के कारण व्यक्तिगत संपर्क नहीं कर पाते हैं, वे मुख्य रूप से फोन से ही संपर्क करते हैं। उसने अपने बहुत से सहयोगियों और परिवारों का विभिन्न रोगों के लिए उपचार किया है और सफलता प्राप्त की हैI जिन लोगों ने नियमों का पूर्ण निष्ठा के साथ पालन किया होता है वे लोग जल्दी रोग मुक्त हो गए और अभी रेमेडीज लेने के लिए आते हैं परंतु जो लोग नियमों का निष्ठा के साथ पालन नहीं करते हैं और अपनी जीवन शैली में बदलाव नहीं करते हैं उनको अधिक लाभ प्राप्त नहीं होता है और वे बीच में ही उपचार छोड़ देते हैं। लेकिन ऐसे लोगों को लाभ तो होता ही है। उदाहरण के लिए उनकी एक सहयोगी को सोरायसिस की शिकायत थी। उनकी 90% त्वचा पर चकत्ते हो गए थे। उन्होंने उपचार तो लिया परंतु बीच में ही छोड़ दिया। वाइब्रॉनिक्स उपचार से उनकी त्वचा पर से 90% चकत्ते ठीक हो गए थे केवल कोहनी पर ही असर रह गया था। इस रोगी ने उपचार को बीच में ही छोड़ दिया था क्योंकि वह अपनी जीवनशैली को बदलने के लिए सहमत नहीं थी। चिकित्सक ने अनुभव किया कि उपचार छोड़ देने के बाद भी 3 वर्ष तक वह चकत्ते वापस नहीं हुए थे!

चिकित्सक ने वर्ष 2015 में स्वामी से प्रार्थना की कि वह किस तरह से वाईब्रिओनिक्स को अपने हॉस्पिटल कार्य में उपयोग कर सकती है। वह अपने कार्यस्थल के वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए मार्गदर्शन चाहती थी। इसके पश्चात वह हीलिंग वाइब्रेशन का छिड़काव करती थी, विशेषकर उन स्थानों पर जहाँ व्यक्तियों का आना-जाना अधिक होता है, जैसे कि स्वागत कक्ष, रिकवरी कक्ष, स्टाफ कक्ष, चेंजिंग कक्ष तथा ऑपरेशन थिएटरI छिड़काव का कार्य रात्रि में सफाई कर्मियों द्वारा सफाई करने में बाद किया जाता था। उसके अनुसार CC10.1 Emergencies + CC17.2 Cleansing, इस कार्य के लिए सबसे उत्तम कांबोज है। लेकिन उसे अपने स्टाफ के मध्य थकान और तनाव नजर आए अतः उसने दूसरे कांबोज को काम में लिया, जो हैं: CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC15.2 Psychiatric disorders इसके पश्चात उसने इन दोनों कांबोज का छिड़काव, कुछ क्षेत्रों में, हर महीने बारी-बारी से शुरू कर दिया और व्यक्तियों की स्थिति के आधार पर, विशिष्ट कॉम्बो का छिड़काव किया, उदाहरण के लिए, CC9.2 Infections acute रोगियों को कीटाणुओं से बचाने के लिए।

रोगियों के व्यवहार और लक्षणों में सकारात्मकता दिखाई देने लगी और इन परिवर्तनों ने चिकित्सक को इस अभ्यास को जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया, जो इन कॉम्बो के छिड़काव का सबसे यादगार अनुभव था। मरीजों और कर्मचारियों दोनों को स्थिर और शांत करने के लिए वह ऑपरेटिंग थियेटर में एनेस्थीसिया शुरू करने से पहले हर दिन छिड़काव करती है। यह उल्लेखनीय है कि 2015-2019 के दौरान 1,000 से अधिक रोगियों को इस उपचारात्मक छिड़काव से लाभ हुआ। वह खुद को, अपने घर और बगीचे की रक्षा करने और शुद्ध करने के लिए छिड़काव का उपयोग करती है, और महत्वपूर्ण नियुक्तियों पर यात्रा के दौरान भी छिड़काव करती है।

SVP के रूप में उसने यह अनुभव किया कि कार्ड सिस्टम का उपयोग करने से उपचार में अधिक गुणवत्ता आ जाती है। एलोपैथिक उपचार में अलग-अलग प्रकार के दर्दों के लिए जिन औषधियों का प्रयोग किया जाता है, उसने अपने ज्ञान के आधार पर उन्हें मशीन के द्वारा पोटेन्टाइज़ड करके एक अलग किट में रख लिया है और वह उनका उपयोग 1 से 10 तक के स्तर वाले  दर्द में उपयोग करती है। उसने अनुभव किया कि इस प्रकार से तैयार की हुई कांबोज अधिक प्रभावशाली है। अत्यंत गहरी अवसाद की स्थिति में उसने कॉम्बो CC15.5 ADD & Autism का सफलतापूर्वक उपयोग किया है। वह अपने वरिष्ठ सहयोगी चिकित्सक02499 की हर सलाह को मानती है केसों के लिए दोनों मिलकर कांबोज का चयन करते हैं। यह तरीका रोगियों के उपचार में बहुत लाभदायक सिद्ध हुआ है।

चिकित्सक इस बात पर यकीन करती है कि वाइब्रॉनिक्स कोई सीमित उपचार नहीं है, यह धीरे-धीरे लगातार उभर कर सामने आ रहा हैI इसके कंपन पूर्णतया मुक्त है जिसके कई मार्ग हो सकते हैं। यह चिकित्सक के व्यक्तिगत अनुभवों और रोग के किस्म पर निर्भर है। जब यह महसूस होता है कि कांबोज रोगी पर असर नहीं कर रही है तो भी यह कभी असफल नहीं होती है, यह अपने स्तर पर कार्य कर रही होती है जो हमें दिखाई नहीं देता है क्योंकि उपचार का बीज तो बो ही दिया गया है! कभी-कभी सरल मिश्रण भी बहुत प्रभावशाली होते हैंI सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपना संबंध ‘स्त्रोत’ से बना कर रखना होता है जो कि प्रैक्टिस का दिल हैI जब हम यह अपेक्षा करते हैं कि स्वामी सुब कुछ करेंगे, तो वह हमें बहुमूल्य मार्गदर्शन देते हैंI वही हैं जो उपचार करते हैंI

चिकित्सक अपने आप को गौरवान्वित समझती है जिससे उसमें विनम्रता बढ़ी है कि उसे एक ऐसी विद्या प्राप्त हुई है जिसे हमने अपने होश हवास में स्वीकार कर लिया है कि यह एक मिशन है जो मानवता की सेवा करने में जुटा हुआ है और दुखियों के दुख दूर करने में लगा है। भगवान श्री सत्य साईं बाबा के दैवीय कंपनो को बीमारों तक पहुंचाने का यह काम बहुत ही जिम्मेदारी का काम है। उनका कहना है कि इस सेवा से उनमें निस्वार्थता और व्यक्तिवाद से मुक्त होने की भावना जागृत हुई है। उसके अनुसार, “रोगी का उपचार स्वयं का उपचार है”।

अनुकरणीय उपचार: