चिकित्सकों की रूपरेखा 10354...भारत
चिकित्सक10354...भारत यह चिकित्सक एक योग्य केमिकल इंजीनियर है। इन्होंने केमिकल प्लांट डिजाइनिंग में स्नातकोत्तर किया है। उन्हें आईटी कंपनी में कार्य करने का 25 वर्ष का अनुभव है। उन्होंने वर्ष 2012 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी । उनका रुझान रियल एस्टेट के क्षेत्र में कार्य करने का है और वह बंगलोर में पिछले 6 वर्षों से यही कार्य कर रहे हैं।
2002 में वह मस्कट में अधिकारिक कार्य से गए थे । वहां उनके मित्र उन्हें साईं भजन में ले गए थे, यह भजन इन्हें बहुत अच्छे लगे। इन्होंने साईं बाबा से संबंधित पुस्तकों का अध्यन शुरू किया और वह उन्हें ईश्वर मानने लगे थे। 1 वर्ष में ही वह जहां भी गए साईं संगठन की गतिविधियों में सक्रिय रुप से कार्य करने लगे। वह महाराष्ट्र के सेवा दल के साथ हर वर्ष पुट्टपर्थी भी जाने लगे। पुणे साईं समूह से प्रेरित होकर कर उन्होंने अपने कई अन्य साथियों के साथ वाईब्रोनिक्स कोर्स में प्रवेश लिया। यह घटना 2008 की है।
दिसंबर 2008 में AVP व अक्टूबर 2009 में VP के प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद पुणे के आसपास स्वास्थ्य केंद्रों में जाकर सेवाएं देने लगे। बाद में काम के दबाव के कारण वह वाईब्रोनिक्स सेवा के लिए अलग से समय नहीं दे सके और कुछ वर्षों तक वह यह सेवा नहीं कर सके। वर्ष 2018 में उनकी पुनः इस सेवा को शुरू करने की इच्छा हुई। डॉ अग्रवाल के सुझाव के अनुसार उन्होंने पुट्टपर्थी में आयोजित रिफ्रेशर कोर्स में ऑनलाइन माध्यम से भाग लिया।
अगले माह से ही उन्होंने शिरडी साई मंदिर पर लोगों का वृहस्पति वार के दिन उपचार शुरु कर दिया। कुछ माह बाद, एक अन्य चिकित्सक11597 ने, उनको मदद करना शुरू कर दिया। वह शिरडी साई मंदिर में शाम के समय दोनों मिलकर 60-70 रोगियों का उपचार कर लेते थे। यह रोगी अधिकांश रूप से दूरस्थ स्थानों के होते थे। जैसे-जैसे यह रोगी ठीक हो जाते थे अन्य रोगियों को भी इस उपचार के बारे में बतलाते थे। चिकित्सकों के अनुसार, यह सफलता वाइब्रॉनिक्स की उपचारक क्षमता तथा साईं मंदिर के प्रभाव के कारण थी। 21 फरवरी 2020 को शिवरात्रि के अवसर पर उन्होंने अकेले ही दूसरे दिन सुबह तक रोगियों का उपचार किया था। साईं संगठन द्वारा दूरस्थ क्षेत्रों में आयोजित कैंपों में नियमित रूप से सेवाएं देते हैं, यह कैंप माह के अंतिम रविवार को आयोजित किए जाते हैं।
चिकित्सक ने यह भी बताया कि कुछ रोगियों को स्वपन में शिर्डी साईं मंदिर में जाने के लिए भगवान द्वारा निर्देशित किया गया था । उदाहरण स्वरूप :
- एक 11 वर्षीय बालक जो कि थायराइड के कारण बोलने में असमर्थ था, मई 2019 में यह स्वपन देखने के तुरंत बाद ही, चिकित्सक के पास बच्चे को उपचार के लिए लाया गया। उसकी मां ने कई हॉस्पिटल में उपचार पर काफी पैसा खर्च कर दिया था। केवल 2 माह के उपचार से, उसकी तबीयत में 60℅ का सुधार हो गया था। मार्च 2020 तक उसे 80% का लाभ हो गया था। उसका वाइब्रॉनिक्स उपचार अभी भी चल रहा है।
- एक 39-वर्षीय महिला को स्वपन में सभी महंगी दवाइयों को बंद करने के लिए कहा गया जिनको वह महिला और उसके दो बच्चे ले रहे थे। उनसे शिरडी मंदिर में जाने के लिए कहा गया और वहां के वाइब्रो उपचार लेने के लिए कहा गया। 3 सप्ताह के उपचार से ही उसका 10 वर्ष पुराना माइग्रेन ठीक हो गया था, अपच और अनिद्रा रोग भी ठीक हो गए थे। इसी प्रकार उसकी पुत्री और पुत्र भी अपनी-अपनी जीर्ण समस्याओं से 95% मुक्त हो गए थे। वे अभी शेष 5℅ के लिए उपचार ले रहे हैं।
उन्होंने अब तक 4000 रोगों का उपचार कर लिया है। बहुत से रोगियों को उपचार से काफी लाभ प्राप्त हुआ है विशेषकर उच्च रक्तचाप और मधुमेह के रोगी; अन्य लाभार्थी जिनको अपने अपने रोगों से लाभ मिला है, उनके रोगों के नाम हैं, बवासीर, गैस्ट्रोएंट्राइटिस, अनियमित महावारी, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOD), ल्यूकोरिया, बालों का झड़ना, माइग्रेन, गुर्दे की पथरी, हे-फीवर, श्वसन परेशानी, एपिलेप्सी एवं मांसपेशियों में दर्द तथा एलर्जी।
चिकित्सक के कुछ दिलचस्प उपचार:
- दो महिलाओं को तीन-चार बार गर्भपात हो चुका था, पिछले 2 वर्षों में। पांच माह के बाद उन्हें गर्भाधान हुआ और अब स्वस्थ बच्चों की मां हैंI
- एक 30-वर्षीय मजदूर जो मकान बनाने का कार्य करता था कई प्रकार के रोगों से ग्रस्त था। उसके रोग थे, बवासीर, पेट में अल्सर और गैस। वह 3 वर्षों से अधिक समय से इन रोगों से ग्रसित था। वाइब्रो चिकित्सक से मुलाकात से पहले वह कई हॉस्पिटल में उपचार करवा चुका था परंतु कोई लाभ नहीं हुआ था। 3 माह के उपचार के बाद में इन सभी रोगों से मुक्त हो चुका था।
- मधुमेह टाइप-2 के 7 रोगियों ने 6 माह तक उपचार लिया जिसके पश्चात फिर उन्होंने अपने डॉ के निर्देशन में एलोपैथिक दवा को कम करना शुरू कर दिया। 3 माह बाद उन्होंने एलोपैथिक दवा बंद कर दी और अब 1 वर्ष से केवल वाइब्रो उपचार ले रहे हैं; उनके शरीर में शुगर का स्तर सामान्य बना हुआ है।
- उनके कुछ टाइप-1 मधुमेह के रोगी यद्यपि इंसुलिन ले रहे हैं, वे उपचार के बाद काफी अच्छा महसूस करते हैं।
मांसपेशियों में दर्द, जले हुए स्थान, फटी एड़ियां, बिना संक्रमण वाले घाव, त्वचा पर चकत्तो के लिए वह पिल्स के अलावा जल्द आराम के लिए पेट्रोलियम जेली में विभूति मिलाकर बाह्य उपयोग के लिए देते हैं, बालों की समस्याओं और गंजेपन के लिए रेमेडी को नारियल के तेल में बना कर देते हैं, जिसे सिर की त्वचा पर मालिश के रूप में लगाना होता है, इससे उनके रोगियों को बहुत लाभ मिला है। जिन बच्चों को CC12.2 Child tonic + CC17.3 Brain & Memory tonic दिया 2 माह तक, तो उनका पढ़ाई में प्रदर्शन अच्छा रहा था जिन्होंने 9 माह तक दवाई का सेवन किया था उनका प्रदर्शन ना केवल पढ़ाई में बल्कि और सामान्य व्यवहार में उत्कृष्ट हो गया था। चिकित्सक ने यह भी बतलाया कि वर्ष 2018 की महामारी डेंगू के दौरान उनके 260 रोगियों में से किसी को भी इस बीमारी के दौरान खतरा पैदा नहीं हुआ था, जिनको CC9.2 Infections acute + CC9.3 Tropical diseases + CC9.4 Children’s diseases,दिया गया था। जबकि उनके क्षेत्र में इसका प्रकोप चरम पर था। मार्च 2020 में, वह रेमेडी ‘इम्यूनिटी बूस्टर’ 300 परिवारों को दे रहे हैं, COVID-19 से मुक्त रहने के लिए; इसके साथ ही वह स्वस्थ रहने हेतु निर्देश भी देते रहते हैं।
कम समय में अधिक रोगियों के उपचार के लिए वह ‘वैलनेस किट’ का उपयोग करते हैंI उन्होंने वैलनेस किट का विकसित रूप तैयार किया है; ‘वैलनेस किट’ की रेमेडीज में कुछ और रेमेडीज मिलाकर जो कि सामान्यतया रोगियों को लाभ प्रदान करती है। रोगी की उम्र और स्थिति को देखते हुए रोगी को सांत्वना देते हुए, जीवन शैली में बदलाव की अनुशंसा करते हैं। उनके सुझावों में होते हैं; पानी की व्यवस्था, स्वस्थ आहार जिनमें ताजी सब्जियां एवं फल, प्रोसेसड खाने की वर्जना, नित्य पैदल चलना और अपनी समस्याओं को स्वामी के चरणों में रखना। उनका अनुभव है कि हमारे पवित्र विचारों के कारण रोग शीघ्र ठीक होते हैं और जीर्ण रोगों की पुनरुत्पत्ति बहुत कम हो जाती है।
उनकी पत्नी, साप्ताहिक क्लिनिक और मासिक कैंप के लिए, उनकी मदद करती है। वह रोगियों को लाइन में व्यवस्थित रखती है और औषधि की पहली खुराक भी रोगी के मुंह में रखती है। रोगियों को अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक सुझाव भी देती है। वह इमानदारी से यह स्वीकार करते हैं कि वह तो स्वामी के उपकरण मात्र हैं और उनके जीवन का उद्देश्य मानवता की सेवा करना है। भगवान के संदेशानुसार, “मानव सेवा ही माधव सेवा है।”.
अनुकरणीय उपचार:
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