साई व्हाइब्रियोनिक्स पत्रिका

" जब आप किसी हतोत्साहित, निराष या रोग ग्रस्त व्यक्ति को देखते हो, वहीं आपका सेवा क्षेत्र है " Sri Sathya Sai Baba
Hands Reaching Out

चिकित्सक की रुपरेखा 10767...India


चिकित्सक 10767, इन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त करने के पश्चात मुख्य स्टील प्लांट में कार्य किया है। किसी सहयोगी से प्रोत्साहित होकर, वह स्वामी के संपर्क मे वर्ष 1970 में आएI  जल्दी ही उन्हें स्वामी के दर्शनों का लाभ प्राप्त हो गया। दर्शन लाभ व्हाइट फील्ड में हुआ था। तब से, वे स्थानीय साईं संगठन की सेवा गतिविधियों में कार्य करने लगे जैसे कि भजन, स्टडी सर्कल, नारायण सेवा और साप्ताहिक मेडिकल कैंप। इन सब गतिविधियों में भाग लेने से मानव जीवन का महत्व समझ में आने लगा था।

वर्ष 2005 में, इन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली और बेंगलुरु चले गए। जल्दी ही वहां बाबा के आश्रम वृंदावन में कुछ विशेष जिम्मेदारियां सौंप दी गई। अगस्त 2009 में, एक परिपत्र के द्वारा उन्हें साईं वाईब्रिओनिक्स के प्रशिक्षण के बारे में सूचना प्राप्त हुई। इस वैकल्पिक उपचार के बारे में कुछ भी नहीं जानते हुए भी उन्होंने अपनी आंतरिक आग्रह के कारण इस प्रशिक्षण के लेने का मानस बना लिया और वह AVP बन गए। सप्ताह में 3 दिन तक सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल,जनरल हॉस्पिटल और वृंदावन आश्रम में सेवादल के सदस्य के रूप में, उन्हें साथी सेवादलों के इलाज का अवसर मिला।

उपचार की प्रभावशीलता को देखते हुए, कर्नाटक के विभिन्न हिस्सों के सेवादलों ने उन्हें अपने संबंधित समितियों में वाईब्रो शिविर आयोजित करने के लिए आमंत्रित किया। चिकित्सक इन शिवरों में सेवा करने में इतने व्यस्त हो गये कि एक शिविर में  उन्होंने 110 रोगियों का इलाज किया और वह आधी रात को घर लौटे। 11 दिनों तक चलने वाले एक अन्य शिविर में, उन्होंने कुल 398 रोगियों को देखा। आज भी, कई रोगी उनसे लगातार संपर्क करते रहते हैं और वह उन्हें डाक द्वारा औषधि भेजते हैं। वेलनेस क्लिनिक की शुरुआत से ही यह अपनी सेवा प्रदान कर रहें हैंI कई बार वह इतने भावुक हो गये जब उन्होंने कई रोगियों का इस उपचार में दृढ विश्वास देखा और वह स्वामी के प्रति पूरणतया समर्पित हैंI वह एक केस के बारे में बताते है जो 2-वर्ष के एक बच्चे का था जिसके पूरे शरीर पर दाने हो रहे थेI जब उन्होंने निर्देश दिया कि पुलआउट के कारण यदि खुजली बढ़ जाए तो खुराक को कम कर दें, तो बच्चे के पिता ने तुरंत जवाब दिया "नहीं साहब, यह बहुत अच्छी दवा है, मुझे पता है।" अपनी कृतज्ञता जाहिर करते हुए, कई रोगी उनके पैरों को छूना चाहते हैं और कुछ नियमित रूप से रोगियों को उनके पास भेजते हैं। इससे उन्हें अत्यन्त जिम्मेदारी का एहसास होता है और प्रेरणा मिलती है कि वह सभी रोगियों के साथ अत्यंत सावधानी से व्यवहार करें। वह वाईब्रिओनिक्स समाचार पत्र का कन्नड़ में अनुवाद करने का कार्य भी करते हैं।

उनका कहना है कि अधिकांश मरीज़ स्वस्थ जीवन शैली का पालन नहीं करते हैं, इसलिए वह उन्हें आहार और पानी पीने के बारे में अपने सुझाव देते हैं और उन्हें नियमित व्यायाम करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। चिकित्सक अनुभव करते हैं कि वह भाग्यशाली हैं कि उन्हें इस सेवा का अवसर प्राप्त हुआI जब रोगी मुस्कराते हुए पुनः  अपनी औषधि को लेने आते हैं तो उन्हें बहुत प्रसन्नता मिलती हैI यह अच्छी तरह से जानते हुए कि स्वामी ही सभी उपचार करते हैं, वह सभी चिकित्सकों को परम निवेदन करते है कि वह पूरी तरह से स्वामी को समर्पित हो कर पूरी ईमानदारी के साथ अपने रोगियों की सेवा करें।

अनुकरणीय उपचार: