साई व्हाइब्रियोनिक्स पत्रिका

" जब आप किसी हतोत्साहित, निराष या रोग ग्रस्त व्यक्ति को देखते हो, वहीं आपका सेवा क्षेत्र है " Sri Sathya Sai Baba
Hands Reaching Out

Vol 11 अंक 2
मार्च / अप्रैल 2020
मुद्रणीय संस्करण


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डॉ० जीत के अग्रवाल की कलम से

प्रिय चिकित्सको,

पुट्टपर्थी से महाशिवरात्रि के अवसर पर लिखते हुए मुझे अपार प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। इस पावन उत्सव को यहां आध्यात्मिक उत्थान हेतु वेदों के उच्चारण और 12 घंटों के भजनों के साथ शुरू किया गया। हमारे प्रिय स्वामी के कथन अनुसार, " वर्ष में एक बार शिवरात्रि के बारे में सोचने का लाभ नहीं है। तुम्हें तो अपने समय को पवित्र और दिव्य बनाने के लिए हर रात, हर दिन और हर पल सोचते रहना चाहिए। समय के सिद्धांत के अनुसार, समय ही शिव है। तुम स्वयं भी शिव हो। शिव तत्व के महत्व को समझने का प्रयास करो यही तुम्हारी वास्तविकता है।यह संदेश यद्यपि बहुत सरल है परंतु इसका महत्व बहुत अधिक है। यह हमारे जीवन के, हर क्षण को आध्यात्मिकता से भर देता है,  हमारी सांसों में भर जाता है। इसका महत्व आज के  जीवन  में बहुत बड़ा है क्योंकि हर क्षेत्र में अशांत और उथल-पुथल का माहौल बना हुआ है। इस  समय तो कोरोना वायरस या COVID-19 (WHO ने नाम दिया है)  का प्रकोप छाया हुआ है और इस महामारी से बचने का प्रयास कर रहे हैं। इस अंक के अतिरिक्त भाग में इस महामारी से बचने के लिए सुझाव दिए हैं। मेरे विचार से आध्यात्मिक आचरण को अपनाने तथा अपनी इंद्रियों द्वारा ग्रहण किए गए भोज्य पदार्थ सबसे अच्छे विटामिन हैं जिन्हें  हमें अत्यंत सावधानीपूर्वक ग्रहण करना चाहिए जिससे कि हम इस महामारी से बचे रहें। मैं सभी चिकित्सकों से आग्रह करता हूँ कि वे इस  अंक के अंत में दी गई जानकारी को अपनाकर अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित कर लें। मैंने वॉल्यूम 9 के अंक में (मार्च-अप्रैल 2018) के समाचार पत्र में एक प्रस्ताव का प्रारूप तैयार करने और उस पर आचरण करने का सुझाव दिया था जिसका उद्देश्य वैकल्पिक स्वास्थ्य सेवा का औपचारिक संगठन आधारित सेवा के लिए परामर्श दिया था जिससे कि हमारी सेवाओं को विस्तार मिल सके । मुझे यह बताने में अत्यंत प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है कि मेरे इस आह्वान पर कुछ स्वयंसेवक आगे आए हैं और हमने कुछ मापदंडों के आधार पर एक प्रारूप तैयार कर लिया है जिसमें संपूर्ण कार्यप्रणाली का वर्णन किया गया है (SOPs)। यह प्रारूप बहुत मजबूत व गतिशील है । प्रारूप के अनुसार इसके 9 विभाग है, संचालन और रसद; प्रवेश; शिक्षा; प्रशिक्षण और पदोन्नति; अनुसंधान एवं विकास; समाचार पत्र; IASVP; सूचना प्रौद्योगिकी; ऑडियो-विजुअल और प्रकाशन। प्रत्येक विभाग को अपने विभाग से संबंधित कई विषयों पर कार्य करना होता है वह स्वयं ही अपने विभाग के निर्णय लेने में समर्थ होते हैं। इसके कारण चिकित्सकों को एडमिन सेवा कार्य संभालने का अवसर प्राप्त होने लगा है। जैसे-जैसे हम विस्तार करते जाएंगे हमें अधिक से अधिक अध्यापकों की आवश्यकता होगी (तथा मेंटर्स)। सभी स्तरों पर जैसे कि ई-कोर्स से लेकर SVP स्तर तक हमें उन चिकित्सकों की भी आवश्यकता होगी जिनकी समाचार-पत्र की लेखन कला अच्छी हो और AV विंग के लिये ऑडियो फाइलों से उनकी नकल कर सकें । जो लोग इस कार्य को करने में रुचि रखते हैं, हम उन्हें उचित प्रशिक्षण भी देंगे।

हमारे चिकित्सक विभिन्न स्थानों पर साईं वाईब्रोनिक्स उपचार के शिविर आयोजित करते हैं जिससे अत्यधिक रोगियों को स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। यद्यपि हमारा ध्यान सदैव उच्च श्रेणी के उपचार पर रहता है फिर भी हम अधिक रोगियों को यह सेवा देना चाहते हैं। हम इन सभी गतिविधियों का रिकॉर्ड रखना चाहते हैं और उनके अनुभवों का लाभ चिकित्सकों को देना चाहते हैं । ऐसा करने के लिए हमें शिविरों की गतिविधियों और उनके कार्यकलापों की रिपोर्ट की आवश्यकता होती है साथ ही शिविर के कुछ फोटो, शिविरों की उपादेयता बढ़ाने वाले होंगे । यदि चिकित्सक इन शिविरों का आयोजन करते हैं तो आयोजित करने वाले चिकित्सक  सब जानकारियां प्रेषित कर देते हैं तो यह अति प्रशंसनीय होगा।

ऐसा प्रतीत होता है कि ISAVP सदस्यों के मध्य कुछ भ्रांतियां है कि उन्हें अपने आईडी कार्ड को नवीनीकरण कराना है या नहीं। कृपया ध्यान दें, एक नवीनीकरण अधिसूचना प्राप्त होने पर, हमारी प्रैक्टिशनर्स वेबसाइट पर नियमों और विनियमों को फिर से पढ़ना अनिवार्य है (जैसा कि हम समय-समय पर परिवर्तन करते हैं) और पूर्व में वेबपेज के नीचे स्थित बॉक्स को "चेक" करें उसके बाद ही “सबमिट” बटन को दबाएं।

अंत में मैं आप सब से अनुरोध करता हूं कि आप सब प्रतिदिन कुछ समय निकालकर उन लोगों को धरती माता के प्रति दया का भाव रखते हुए प्रेम और स्वास्थ्यवर्धक ऊर्जा को प्रेषित करें जो कोरोनावायरस, COVID-19 से ग्रसित हैं और हमारे प्रिय स्वामी के इस संदेश को पहुंचाएं, “जब तुम संसार को प्रेममयी दृष्टि से देखोगे तो उन्हें शांति प्राप्त होगी। सभी प्रकार के रोग ठीक हो जाएंगे। अधिकतम रोगों की जन्मस्थली मस्तिष्क ही है। सभी वस्तुओं का एक मनोवैज्ञानिक आधार होता है। जब कोई व्यक्ति यह महसूस करता है कि उसके साथ कुछ गलत हो रहा है तो वह बीमार हो जाता है। स्वस्थ शरीर के लिये स्वस्थ मस्तिष्क का होना आवश्यक है।

“दिन का प्रारंभ प्रेम से करो, प्रेम के साथ दिन बिताओ और दिन का अंत भी प्रेम से करो, यही ईश्वर को प्राप्त करने का साधन है । यदि तुम अपने आप में प्रेम विकसित कर लोगे तो बिमारियां तुम्हारे पास नहीं आ पाएंगी। -- Sathya Sai Baba, Shivrathri Discourse, 17 February 1985.

साईं की प्रेममयी सेवा में

जीत के अग्रवाल

 

डायरिया, श्वास लेने में परेशानी 03542...UK

22 अगस्त 2019 को जब चिकित्सक पेरिस में छुट्टी का आनंद ले रहे थे तो अर्धरात्रि के समय 75 वर्षीया वृद्धा के पति ने उनसे मदद की इच्छा व्यक्त की जो उसी होटल में ठहरे हुए थे जिसमें कि चिकित्सक ठहरे हुए थे। सुबह से ही वह महिला के पेट में ऐंठन, डायरिया, सिरदर्द से पीड़ित थी, कुछ-कुछ श्वास लेने में भी परेशानी हो रही थी । परंतु वह हॉस्पिटल नहीं जाना चाहती थी। चिकित्सक ने तुरंत ही निम्न कॉम्बो को अपनी वैलनेस किट से बना कर दी। 

डायरिया के लिये:
#1. Eat Well + Emergency… हर 10 मिनट पर 1 घंटे तक फिर 1 घंटे के अंतराल के लिए, इसके पश्चात् 6TD

श्वास लेने में परेशानी के लिये :
#2. Breathe Well… उपरोक्त खुराक #1 के सामान की खुराक

प्रातः काल तक रोगी को काफी आराम मिल गया था। उसके पेट में ऐंठन, डायरिया व सिर दर्द की परेशानी नहीं थी।  श्वास में 75% तक का सुधार हुआ था। रोगी के पूर्णतया स्वस्थ होने के बाद, 25 अगस्त को, खुराक को TDS कर दिया गया। तत्पश्चात 2 दिनों के बाद, खुराक को OD कर दिया तथा 29 अगस्त को उपचार को बन्द कर दिया। दंपति अपनी छुट्टियां मनाने के लिए आए थे अतः रोग मुक्त हो जाने के बाद उन्होंने छुट्टियों का पूरा आनंद लिया।

कृतज्ञ दम्पति अभी भी चिकित्सक के साथ संपर्क में रहते हैं। 

 

बृहदान्त्र में अल्सर के साथ कोलाइटिस 03542...UK

मलेशिया की एक 53-वर्षीय महिला 2 वर्षों से पेट में ऐंठन और बार-बार शौच के लिए जाती थी, घर में लगभग 6 बार। जुलाई 2018 को किए निदान में यह पाया गया कि वह आंव से ग्रसित है। कोलोनोस्कोपी से यह मालूम हुआ कि पेट में एक गांठ और सूजन भी है। डॉक्टर के निर्देशानुसार उसने अपनी भोज्य पदार्थों में भी बदलाव कर लिया। ओट्स खाना बंद कर दिया तथा प्रोबायोटिक्स का अधिक सेवन करने लगी थी । जब 13 दिसंबर 2018 को वह वाइब्रो चिकित्सक से पुट्टपर्थी में मिली थी तो उस समय भी उसके पेट में हल्का दर्द हो रहा था और शौच के लिए भी उसे दिन में तीन बार जाना पड़ता था। किसी प्रकार का उपचार नहीं ले रही थी। चिकित्सक ने उसे वाईब्रोनिक्स 2018 पुस्तक में वर्णित निम्न कॉम्बो उपचार हेतु दिए:

NM1 Amoebic Dysentery + NM2 Blood + NM36 War + NM80 Gastro + NM113 Inflammation + OM6 Colon + SR221 Heart Chakra + SR223 Solar Plexus Chakra + SR285 China Off + SR340 Aloe Socotrina + SR415 Terebin + SR473 CN10:Vagus + SR481 Colon Total...TDS

27 दिसंबर 2018 को, रोगी ने मलेशिया से रिपोर्ट किया कि पिछले एक सप्ताह से उसे पेट में दर्द नहीं था और वह दिन में एक या दो बार सामान्य रूप से शौच के लिये जाती है।उपरोक्त कांबोज को 1 माह तक लेने के पश्चात, उसकी खुराक को धीरे-धीरे कम करते हुए फरवरी 2019 के अंत में बंद कर दिया गया। जनवरी 2020 तक रोगी ने चिकित्सक को इस बात की पुष्टि की कि उसे दोबारा उस बीमारी की शिकायत नहीं हुई थी।

यदि 108CC का प्रयोग कर रहें हैं तो देवें : CC4.6 Diarrhoea

 

धुंधली दृष्टि एवं चक्कर आना 01001...India

एक 38-वर्षीया महिला को दिन में कई बार धुंधला दिखाई देने की शिकायत थी और पिछले 3 माह से चक्कर भी आने लगे थे। काम के तनाव के कारण चक्कर बहुत अधिक आने लगते थे। उसकी डॉक्टर ने उस महिला को न्यूरोलॉजिस्ट से मिलने की सलाह दी लेकिन महिला ने उससे ना मिलने का निर्णय ले लिया इसकी बजाय उसने वाइब्रो चिकित्सक से मिलना अधिक उपयुक्त समझा तथा 5 दिसंबर 2018 को चिकित्सक से मिलने गई।

चिकित्सक ने उसे निम्न रेमेडी दी:
NM44 Trigeminal Neuralgia + NM109 Vision + NM22 Liver + SM39 Tension…TDS खाने के लिए तथा आसुत जल में डालकर दो बार आंख में डालने के लिए कहा।

एक माह के पश्चात रोगी ने सूचित किया कि उसे 50% लाभ हुआ है। वह अब पहले की अपेक्षा अच्छी तरह देख सकती है। धुंधलेपन में कमी आ गई है तथा तनाव से चक्करों में वृद्धि नहीं होती है। 6 सप्ताह बाद 20 फरवरी 2019 तक उसकी स्थिति में 100% तक वृद्धि हो गई थी। आंखों में दवा डालना बंद कर दिया गया तथा खाने की औषधि को OD कर दिया गया जिसको उसने 6 माह तक लेना उचित समझा। तत्पश्चात खुराक को 3TW कर दिया गया । फरवरी 2020 तक रोगी बिल्कुल स्वस्थ हो गई थी लेकिन उसने कॉम्बोज़ को 3TW के रूप में लेते रहना ही उचित समझा।

यदि 108CC बॉक्स का प्रयोग कर रहें हैं तो देवें: CC7.1 Eye tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic

 

पांव पर दर्द युक्त फोड़ा 01001...India

चिकित्सक के 49-वर्षीय पति के पांव पर एक फोड़ा हो गया था। 15 दिनों के समय में ही उसने उग्र रूप धारण कर लिया। वह ऐसा नजर आता था जैसे कि एक गेंद है और उसमें मवाद भरा हुआ है।

2 फरवरी 2019 को उसे निम्न औषधि दी गई:

NM16 Drawing…6TD खाने के लिए और ऑलिव ऑयल में मिलाकर 2 बार लगाने के लिए पहले दिन।

दूसरी खुराक लेते समय रोगी ने महसूस किया कि फोड़े की तकलीफ में सुधार हुआ है और फोड़ा बिल्कुल ठीक हो गया था। केवल एक छोटा सा छिद्र नजर आता था। उसको यह भी महसूस हुआ कि फोड़े से निकलने वाले मवाद का पैंट से संपर्क होने के कारण ही उसका पैंट उस स्थान पर गीला था । अगले ही दिन उसकी त्वचा इस प्रकार से दिख रही थी कि मानो वहां कुछ था ही नहीं। खुराक को 3 दिन के लिए TDS कर दिया गया फिर 2 दिन के लिए OD तथा 7 फरवरी 2019 को उपचार बंद कर दिया गया। फरवरी 2020 तक कोई तकलीफ नहीं हुई थी ।

यदि 108CC बॉक्स का प्रयोग कर रहें हैं तो देवें : CC21.11 Wounds & Abrasions

 

ठंड के कारण त्वचा पर लालिमा 02870...USA

एक 63-वर्षीया महिला की पीठ पर लालिमा युक्त रैश हो गए थे। उसको यह शिकायत 15 वर्षों से थी जो सर्दी के मौसम में होती थी यह लालिमा युक्त रैशेज़ पीठ से फैल कर उसके पेट के निचले भाग तक जाते थे तथा त्वचा  घिसाई यंत्र की भांति नजर आती थी। उन में खुजली अधिक सर्दी होने पर बढ़ जाती थी। कभी-कभी यह लक्षण सितंबर माह से ही होने लगते थे। जून में गर्मी हो जाने पर यह रैशेज़  समाप्त हो जाते थे। 3 सितंबर 2015 को जब चिकित्सक को दिखाया गया तो उस समय रोगी किसी भी प्रकार का उपचार नहीं ले रही थी।

उसको निम्न औषधि दी गई:
CC12.1 Adult tonic + CC21.1 Skin tonic + CC21.6 Eczema + CC21.10 Psoriasis…TDS

6 सप्ताह बाद रोगी ने सूचना दी कि उसके शरीर पर रैशेज नहीं है और उसकी त्वचा कांच के सामान चिकनी हो गई है अतः खुराक को BD कर दिया गया। 10 दिनों के बाद रोगी ने सूचना दी कि उसकी पीठ पर खुजली होने लगी है अतः खुराक को फिर से TDS कर दिया गया। इसके बाद उसकी स्थिति में सुधार आने लगा।

13 मार्च 2016 को रोगी ने बताया कि अत्यधिक सर्दी के मौसम में भी उसको कोई तकलीफ नहीं हुई थी और पिछले 4 माह से वह बिल्कुल ठीक है । खुराक को कम करके OD कर दिया गया 1 माह के लिए। इससे भी रोग ने दोबारा आक्रमण नहीं किया, अतः खुराक  को पहले 3TW फिर 2TW और अंत में OW कर दिया गया। OW को 3 माह तक लेने के बाद उपचार को बंद कर दिया गया। माह पश्चात फरवरी 2017 में रोगी ने फिर सूचना दी कि रोग ने उसे बिल्कुल नहीं परेशान किया है और सर्दी के मौसम में भी वे बिल्कुल स्वस्थ रही थी । रोगी के वहां से अन्यत्र चले जाने से उससे फिर संपर्क नहीं हो सका।

 

त्वचा में संक्रमण 11563...India

एक 27-वर्षीय युवती के बाएं टखने पर रैशेज़ 6 माह से थे( देखें चित्र) उस में खुजली और जलन इतनी अधिक होती थी कि वह मुश्किल से दो-तीन घंटे ही सो पाती थी। उसने किसी डॉक्टर से उपचार नहीं करवाया केवल घरेलू नुस्खे से ही काम ले रही थी। फिर उसने वाइब्रो चिकित्सक से 15 अप्रैल 2018 को संपर्क किया जिसने उसे निम्न कॉम्बो उपचार हेतु दिए:

#1. CC12.1 Adult tonic + CC12.4 Autoimmune diseases + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC21.2 Skin infections + CC21.3 Skin allergies + CC21.10 Psoriasis + CC21.11 Wounds & Abrasions…6TD 
#2. CC12.4 Autoimmune diseases + CC21.10 Psoriasis + CC21.11 Wounds & Abrasions…QDS अतिरिक्त वर्जिन ओलिव ऑयल में मिलाकर बाह्य उपयोग हेतु।

12 दिनों के बाद रोगी को रेशेज़ में 50% लाभ हो गया था और जलन में 75% लाभ हो गया था। वह भली-भांति सोने लगी थी। औषधि #1 और #2 की खुराक को TDS कर दिया गया । 3 माह पश्चात 4 अगस्त को उसको 80% तक लाभ हो गया था। (देखें चित्र) अतः खुराक दोनों औषधियों के लिए BD कर दी गई 2 सप्ताह के लिए तत्पश्चात खुराक को OD कर दिया गया।

अपनी इस चिकित्सा के दौरान रोगी ने यह भी बताया कि वह डिंब वाली नली में रेशेदार गांठ व PCOD से भी त्रस्त है और अब उसे अत्यधिक रक्तस्राव व पेट में दर्द है।

अतः उसे अन्य औषधि दी गई:

#3. CC8.7 Menses frequent + CC10.1 Emergencies + CC12.1 Adult tonic…पहले दिन प्रत्येक 1 घंटे के अंतराल पर इसके बाद 3 दिन तक 6TD फिर TDS दी गई । 9 अक्टूबर 2018 को जब वह चिकित्सक से मिलने गई तो उसके मासिक धर्म में रक्त स्त्राव बंद हो चुका था। उसकी त्वचा भी काफी ठीक हो गई थी । अतः औषधि #3 को बंद कर दिया गया और उसके स्थान पर औषधि दी गई जिसमें निम्न कॉम्बो थे:

#4. CC8.8 Menses irregular + CC10.1 Emergencies + CC12.1 Adult tonic…TDS

2 नवंबर 2018 को उसके पांव की त्वचा बिल्कुल ठीक हो गई थी परंतु अब उसे रक्त स्त्राव अत्यधिक तीव्र होने लगा था, साथ ही कमर में और पेट में भी दर्द था । अतः #4 के स्थान पर औषधि #5 दी गई जिसमें निम्न कॉम्बो थे:
#5. CC20.2 SMJ pain + CC20.5 Spine + #3… एक खुराक हर घंटे के बाद पहले दिन फिर 6TD तीन दिन तक तत्पश्चात TDS
14 नवंबर 2018 तक रक्त स्त्राव बंद नहीं होने के कारण उसने एलोपैथिक उपचार के बारे में सोचा।

इस उपचार के दौरान 28 नवंबर 2018 को रोगी ने फिर शिकायत की कि उसके पांव में फोड़ा हो गया है अतः औषधि #1 तथा #2 के स्थान पर निम्न औषधि दी गई जिसमें निम्न कॉम्बो थे:
#6. CC12.4 Autoimmune diseases + CC21.3 Skin allergies + CC21.10 Psoriasis…TDS इसके अतिरिक्त वर्जिन ओलिव ऑयल में मिलाकर बाह्य रूप से उपयोग करने के लिए।
#7. CC12.1 Adult tonic + #6…TDS

9 दिसंबर को उसके पांव में सूजन आ गई अतः#6#7 को निम्न औषधियों से बदल दिया गया:
#8. CC21.11 Wounds & Abrasions + #6…TDS वर्जिन ओलिव ऑयल में मिलाकर बाह्य रूप से उपयोग करने के लिए।
#9. CC10.1 Emergencies + CC21.11 Wounds & Abrasions + #7…TDS

यह देखते हुए कि रोगी को कोई लाभ नहीं हो रहा है, चिकित्सक ने #8#9 को #10 से बदल दिया ।
#10. CC12.4 Autoimmune diseases + CC21.2 Skin infections + CC21.6 Eczema + CC21.11 Wounds & Abrasions…BD खंरोच के लिए, अतिरिक्त वर्जिन ओलिव ऑयल और विभूति के साथ बाह्य उपयोग के लिए।
#11. CC8.1 Female tonic + CC9.2 Infections acute + CC12.1 Adult Tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC21.2 Skin infections + CC21.6 Eczema…हर घंटे पर पहले दिन, तत्पश्चात 6TD दो दिन तक उसके बाद, दिसंबर 30 से TDS

उसकी त्वचा में शनैः शनैः सुधार होना शुरू हो गया था तथा 21 जनवरी 2019 तक फोड़े और सूजन पूर्णतया ठीक हो गए थे, केवल निशान बाकी थे। औषधि #10#11 की खुराक को 2 माह के लिए OD कर दिया गया। उसके अनुमान के अनुसार उसकी त्वचा पूर्णतया ठीक हो गई थी अतः उसने 15 मार्च 2019 से उपचार बंद कर दिया था। जनवरी 2020 तक उसे किसी भी प्रकार की तकलीफ नहीं हुई थी।

 

पेट दर्द 11618...India

एक 47-वर्षीय युवक को पेट के दाएं भाग में रह-रहकर दर्द होता था। यह क्रम पिछले 9 माह से चल रहा था । अत्यधिक कार्यभार होने के कारण वे किसी भी डॉक्टर से संपर्क नहीं कर सका थाI उसने जब वाइब्रो चिकित्सक से 4 अगस्त 2019 को संपर्क किया तो 2 दिन से उसके पेट में लगातार दर्द हो रहा था। मुड़ने पर दर्द अधिक तीव्र हो जाता था। उसने इसके लिए किसी भी प्रकार का कोई उपचार नहीं लिया था।

चिकित्सक ने उपचार हेतु निम्न औषधि दी:

CC4.3 Appendicitis + CC4.10 Indigestion + CC10.1 Emergencies…6TD

अगले दिन ही उसके दर्द की तीव्रता में 20% की कमी आ गई थी। पूरे 1 सप्ताह के बाद 11 अगस्त को उसके दर्द में 90% तक सुधार हो गया था, अब उसको बहुत हल्का दर्द महसूस होता था वह भी व्यायाम करते समय। अतः खुराक को TDS कर दिया गया। जब उसने सूचित किया कि उसे 100% लाभ हो गया है तो 18 अगस्त से खुराक को OD कर दिया गया। दर्द नहीं होने के कारण रोगी ने 29 अगस्त 2019 से उपचार लेना बंद कर दिया। पूछने पर ज्ञात हुआ कि फरवरी 2020 तक उसे दर्द नहीं हुआ था।

 

अम्लता, फूड एलर्जी 11618...India

एक 58-वर्षीया महिला को 8 वर्ष से पेट दर्द की शिकायत होती थी विशेषकर जब भोजन चने और अधिक मिर्च के साथ बनाए जाते थे। एलोपैथिक औषधि से केवल अस्थाई राहत मिलती थी, जैसे ही वह उन औषधियों को बंद कर देती थी तो दर्द वापिस शुरु हो जाता था। वह अधिकतर मिर्च मसाले व चनेयुक्त आहार का सेवन नहीं करती थी। एक बार जब उसको गैस के कारण दर्द और गैस के ऊपर चढ़ने की शिकायत हुई तो उसने उसके लिए किसी भी प्रकार की एलोपैथिक औषधि का सेवन नहीं किया, 3 दिन परेशान होने के बाद उसने वाइब्रो उपचार शुरू किया। यह घटना अगस्त 2019 की है।

13 अगस्त 2019 को चिकित्सक ने उसे निम्न उपचार दिया:

CC4.8 Gastroenteritis + CC4.10 Indigestion + CC10.1 Emergencies + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic…6TD

तीसरे ही दिन उसे 60% लाभ हो गया था तथा एक और सप्ताह बाद सुधार 80% हो गया था। 30 अगस्त को खुराक को कम करके TDS कर दिया गया। 30 अगस्त 2019 को रोगी ने सूचित किया कि अब पूर्णतया ठीक है तो खुराक को OD कर दिया गया तथा 10 सितंबर 2019 को उपचार बंद कर दिया गया। वाइब्रो उपचार करने के बाद रोगी ने अपने आहार में चने और मिर्च मसाले भी खाना शुरू कर दिए थे परंतु उसे कोई तकलीफ नहीं हुई थी। जनवरी 2020 तक उसे कोई तकलीफ नहीं हुई थी।

अनिंद्रा 03582...South Africa

एक 66-वर्षीया वृद्धा पिछले 17 वर्षों से अनिद्रा रोग से पीड़ित थी। वह हर रात्रि को केवल 3 घंटे ही सो पाती थी थी। इस कारण वह आलसी, चिड़चिड़ी और शारीरिक तौर पर कमजोर हो गई थी। वह अपने घरेलू कार्य भी नहीं कर पाती थी। अनिद्रा के लिए उसने कोई उपचार नहीं लिया था।

19 सितंबर 2019 को वह वाइब्रो चिकित्सक के यहां पहुंची, जिसने उसे निम्न उपचार दिया:

CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC15.6 Sleep disorders…सोने से आधा घंटा पूर्व व सोते समय। रात्रि को कभी भी उठने पर अतिरिक्त खुराक ले सकती थी।

उसकी निद्रा का तरीका बदलने लगा तथा 1 सप्ताह बाद उसकी स्थिति में 50% तक का सुधार हो गया था । अब वह 5 घंटे की नींद लेने लगी थी । एक और सप्ताह बाद स्थिति में 80% तक का सुधार हो गया था। अब प्रसन्न रहने लगी थी और कमजोरी भी खत्म हो जाने से वह  अपने दैनिक कार्यों को भी आसानी से करने लगी थी। 3 सप्ताह बाद 10 अक्टूबर 2019 को उसने सूचना दी कि वह पूर्णतया ठीक हो गई है अब एक बच्चे की भांति सोने लगी है और जब वह सो कर उठती है तो एकदम तरोताजा होती है। अब वह 8 से 9 घंटे की नींद लेने लगी थी अतः 8 दिसम्बर को, खुराक को 3TW एक सप्ताह तक उसके बाद OW कर दिया गया फिर 28 दिसंबर 2019 को उपचार बंद कर दिया गया। 25 फरवरी 2020 तक उसे कोई तकलीफ नहीं हुई थी।

 

दु:स्वपन को दूर करना 11601...India

एक 11-वर्षीय बालिका के पांव में बहुत दर्द रहता था विशेषकर जांघ में और पेट के मध्य में, जिसके कारण वे 3 सप्ताह से स्कूल भी नहीं जा पा रही थी। उसकी हालत को देखकर तो यही अनुमान होता था कि उसको मासिक धर्म शुरू होने वाला है। उसकी अभिभावकों ने एलोपैथिक डॉक्टर से भी संपर्क किया था, उसका भी यही अनुमान था कि यह सब मासिक धर्म शुरू होने के ही लक्षण है। औषधियों का कोई प्रभाव नहीं होने के कारण उसके अभिभावक बालिका को वाइब्रो चिकित्सक के पास 3 अगस्त 2018 को, ले गए।

आपसी बातचीत और चिकित्सक के प्रेम पूर्ण व्यवहार से प्रभावित होकर अपनी सारी व्यथा चिकित्सक को बतलाई। उसने बतलाया कि 3 सप्ताह पूर्व उसने एक स्वपन देखा था कि एक सफेद वस्त्र पहने एक महिला उसके पास आई और उसने बालिका के मुंह और सिर पर प्रहार किया और फिर गायब हो गई। दूसरे दिन प्रातः काल से ही उसे यह असहनीय दर्द होने लगा तथा इतनी भयभीत हो गई थी कि सोते समय वह अपनी मां के साथ सोने लगी थी। उसके अभिभावकों को इस बात से बहुत आश्चर्य हुआ क्योंकि वह इस सत्य से अनभिज्ञ थे। बातचीत से पता चला कि उनके निवास से दो मकान छोड़कर एक मकान में एक महिला ने आत्महत्या कर ली थी।

समस्या के कारण को समझकर चिकित्सक ने उसे निम्न उपचार दिया:
CC3.7 Circulation + CC4.8 Gastroenteritis + CC4.10 Indigestion + CC10.1 Emergencies + CC12.2 Child tonic + CC15.2 Psychiatric disorders + CC18.5 Neuralgia + CC20.4 Muscles & Supportive  tissue … हर 10 मिनट के अंतराल पर 1 घंटे तक तदोपरांत 6TD.

उसकी अभिभावकों ने एलोपैथिक उपचार बंद कर दिया था। 3 दिनों के पश्चात 6 अगस्त तक उसके सभी लक्षणों में 50% तक का सुधार हो गया था। उसने स्कूल जाना भी शुरू कर दिया था। खुराक को TDS कर दिया गया। 1 सप्ताह के बाद 13 अगस्त को पुल आउट होने के कारण उसके मुंह पर व हाथों पर रैशेज़ हो गए थे। लेकिन उसे औषधि का सेवन करते रहने का परामर्श दिया गया। 20 अगस्त को बालिका ने सूचना दी कि अब उसके पैरों में व पेट में दर्द नहीं है और ना ही रैशेज है।

27 अगस्त 2018 को उसके पिता ने सूचना दी कि अब उसकी पुत्री पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गई है, प्रतिदिन स्कूल जाती है और परीक्षा की तैयारी कर रही है। जब बोतल की सभी गोलियां समाप्त हो गई तो अभिभावकों ने उपचार बंद कर दिया। 15 फरवरी 2020 तक उस बालिका को समस्या नहीं हुई थी। पुत्री के पिता ने चिकित्सक को धन्यवाद दिया जिनकी वजह से उनकी पुत्री पूर्णतया स्वस्थ हो सकी।


संपादकीय टिप्पणी:  हम चिकित्सक के प्रयास की सराहना करते हैं कि उसमें केवल अनुमान के आधार पर ही उपचार नहीं किया बल्कि रोग के कारण को ढूंढने का प्रयास करके उसका ही उपचार किया। उपचार केवल CC12.2 Child tonic + CC15.2 Psychiatric disorders को देकर किया जा सकता था।

 

चिकित्सकों की रूपरेखा 03542...UK

चिकित्सक03542...UK यह चिकित्सक एक योग्य संरचना अभियंता है। इन्हें यूके में निर्माण उद्योग में 40 वर्ष काम करने का अनुभव है। 2017 में सेवा मुक्त होने से पूर्व इन्होंने एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी में तकनीकी निदेशक के रूप में कार्य किया था। यद्यपि यह बचपन से ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के रहे हैं परंतु 42 वर्ष की आयु में सत्य साईं बाबा की 'मैन ऑफ मिरेकल्स' पुस्तक पढ़ने के बाद उनके हृदय में आध्यात्मिक क्षेत्र में कार्य करने की प्रबल इच्छा जागृत हुई। उसी वर्ष जून 1996 में उन्होंने पुट्टापर्थी की यात्रा की और प्रथम बार स्वामी के दर्शन किए तथा स्वामी के प्रति उनका विश्वास दृढ़ हो गया। वह इतनी उत्साहित हुए कि उन्होंने अपने घर पर भजन करने शुरू कर दिए तथा जो कई वर्षों के बाद साईं गतिविधियों का केंद्र बन गया जो अभी तक चल रहा है। उन्हें कई अवसरों पर स्वामी का आशीर्वाद मिला है, उनके घर पर विभूति का सृजन हुआ है, शहद तथा लिंगम का भी पार्दुभाव हुआ है।फरवरी 2016 में उनके बचपन की इच्छानुसार, उन्हें चिकित्सक बनने का अवसर प्राप्त हुआ जब उन्हें यूट्यूब पर एक वीडियो के द्वारा वाइब्रॉनिक्स के बारे में जानकारी प्राप्त हुई। वह सेवानिवृत्त होने के कगार पर थे।उन्होंने पत्नी सहित वाईब्रोनिक्स प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए आवेदन कर दिया। तथा जून 2016 में AVP बन गए। वह 6 महीने से चल रही खांसी के लिए एलोपैथिक औषधि का सेवन कर रहे थे लेकिन उन्हें कोई लाभ नहीं मिला था। उन्हें आश्चर्य हुआ कि वाईब्रोनिक्स की खुराक लेते ही उनकी खांसी ठीक हो गई थी और दोबारा नहीं हुई। इससे वाईब्रोनिक्स के प्रति उनका विश्वास और दृढ़ हो गया तथा अत्यंत उत्साहित होकर  वाईब्रोनिक्स उपचार के माध्यम से सेवा करने लग गए। नवंबर 2018 में वे पुट्टपर्थी में SVP बन गए।

 

एक माह बाद जब वह स्वदेश के लिए प्रस्थान कर रहे थे तो उनके विभूति के बॉक्स में लिंगम प्रकट हुआ। चिकित्सक ने लगभग 170 रोगियों का उपचार किया है। उनमें से अधिकतर रोगियों को लाभ हुआ है और वे पूर्णतया स्वस्थ हो गए। उनके द्वारा किए गए उपचार से ठीक हुए रोग है- रक्तचाप, वेरीकोज वेन्स, डायरिया, कब्ज, उल्टी, कोलाइटिस,लीवर का सिरोसिस, कान का दर्द, हाइपोथायराइड, फाइब्रॉएड, एंडोमेट्रियोसिस,सर्दी-जुकाम, फ्लू, दांत दर्द, गुर्दे का संक्रमण, अनिंद्रा, तनाव, अवसाद, मिलर फिशर सिंड्रोम, अस्थमा और त्वचा संक्रमण। वह अपने बगीचे में पौधों का उपचार करने में बहुत आनंद प्राप्त करते हैं। इससे उनके बगीचे में सभी पौधे स्वस्थ और कीटाणु रहित रहते हैं, उनमें किसी भी प्रकार का फंगल इन्फेक्शन नहीं होता है।

चिकित्सक को 78 वर्षीय महिला का उपचार करते समय एक बहुत ही चमत्कारपूर्ण अनुभव हुआ। उस महिला के बाएं पैर के निचले पुट्ठे में दर्द रहता था, एलोपैथिक उपचार लेने के बावजूद ढाई माह से परेशानी थी। स्वपन में स्वामी के मार्गदर्शन के बाद वह महिला चिकित्सक के पास पहुंची। 17 मार्च 2018 को चिकित्सक ने साप्ताहिक भजन के पूर्व एक खुराक महिला को दी, चिकित्सक के घर में भजनों के पश्चात रोगी ने बड़ी खुशी के साथ बताया कि उसका पांव दर्द ठीक हो गया है और अब वह बिल्कुल स्वस्थ है। चिकित्सक ने महिला से कहा कि इस औषधि को लेते रहना लेकिन एक माह बाद रोगी ने ओषधि की बोतल को यह कहते हुए वापिस कर दी कि अब वह बिल्कुल स्वस्थ है। उसे विश्वास हो गया था कि एक खुराक से वह बिल्कुल स्वस्थ हो गई है। उसके बाद यह परेशानी दोबारा नहीं हुई! 

चिकित्सक ने एक 30 वर्षीय युवक के मस्तिष्क में रक्त-स्त्राव के बारे में भी बतलाया। वह युवक तंजानिया का रहने वाला था ।रक्त-स्त्राव के कारण बोल नहीं सकता था, पक्षाघात के कारण उसके अंगों की क्रियाशीलता समाप्त हो गई थी, सांस लेने में परेशानी होती थी और निगलना भी असंभव हो गया था। 6 माह तक औषधालय में उपचार कराने के बावजूद भी उसकी स्थिति में कोई अंतर दृष्टिगोचर नहीं हो रहा था। हताशा में फरवरी 2019 को घर ले आया गया। परिवार वालों के अनुरोध पर चिकित्सक ने 22 मार्च 2019 को अनवरत रूप से SM12 Brain and Paralysis औषधि का 2 घंटे तक (If using the 108CC box, give CC18.1 Brain disabilities) ब्रॉड-कास्ट किया। इसके पश्चात कुछ अन्य औषधियों को भी ब्रॉडकास्ट में शामिल कर लिया, क्योंकि रोगी मूत्र संक्रमण, मधुमेह, उक्त रक्तचाप एवं कोलेस्ट्रॉल से भी पीड़ित था। अगले 1-3 माह में मूत्र संक्रमण बिल्कुल ठीक हो गया था और रोगी अपने अंगों को हिलाने डुलाने में समर्थ हो गया था। पहले की अपेक्षा स्वास भी ठीक से लेने लगा था और भोजन भी करने लगा था। 6 माह पश्चात रोगी अपने अंगों को अच्छी तरह से हिलाने लगा था, भोजन भी अपने आप खाने लगा था। यद्यपि उसकी गतिशीलता पूर्ण रूप से सामान्य नहीं हुई थी। इस उपचार से उत्साहित होकर चिकित्सक दूरस्थ उपचार करने लगा ।
उसने अनुभव किया कि जो लोग तनाव और चिंता ग्रस्त रहते हैं उनके उपचार में CC15.1 Mental & Emotional tonic औषधि बहुत प्रभावी होती है। जीर्ण रोगों के उपचार में CC12.4 Autoimmune diseases      को मिलाने से रोगी को लाभ शीघ्र हो जाता है।

बहुत से  वाइब्रॉनिक्स रेमेडीज का उपयोग रोगोंपचार की अपेक्षा रोगों से बचाव के लिए करते हैं। वह एलोपैथिक औषधियों को, उनके दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए, पोटेंटाईज़ करते हैं। चिकित्सक सदैव अपने साथ वैलनेस किट को रखते हैं तथा अपनी यात्रा के दौरान बहुत से व्यक्तियों का उपचार सफलतापूर्वक किया है ।

चिकित्सक का कहना है कि वह रोगियों को काफी समय देते हैं और उनके द्वारा दी गई जानकारी बड़े ध्यानपूर्वक सुनते हैं, इस दौरान वह करुणा और प्रेम से ओतप्रोत रहते हैं। यही कारण है कि रोगी इस उपचार के महत्व को समझ पाते हैं तथा दिए गए निर्देशों का पालन करते हैं। वे साईं वाइब्रॉनिक्स के प्रति बहुत आभारी है जिसने उन्हें इतना सहानुभूतिक बना दिया है। उन्हें अपने अंतर्बोध पर विश्वास है क्योंकि वे यह मानते हैं कि स्वामी उन्हें मार्गदर्शन दे रहे हैं, इस बात का मनन करते हुए ही वह प्रत्येक रोगी का उपचार करते हैं। स्वामी के आशीर्वाद के फलस्वरूप वह विनम्र हो गए हैं और वाइब्रॉनिक्स के उत्थान के लिए वह अपना योगदान देने के लिए कृतसंकल्प है, विशेषकर यूके मेंI

 

अनुकरणीय उपचार:

     डायरिया, श्वसन में तकलीफ
     आंव और पेट में अल्सर

 

चिकित्सकों की रूपरेखा 01001...Uruguay

 चिकित्सक 01001...उरुग्वे, यह चिकित्सक दो छोटे बच्चों की मां हैं तथा प्राकृतिक सौंदर्य प्रसाधन का व्यापार करती हैं। मार्च-अप्रैल 2017 के समाचार पत्र में इनका विवरण पहले दिया जा चुका है, जिसमें इनके स्वामी के और वाइब्रॉनिक्स के संपर्क में आने के चित्ताकर्षक  संयोग के बारे में वर्णन किया गया था। घर तथा व्यापार की जिम्मेदारियों को संभालते हुए भी वह वाइब्रॉनिक सेवा के लिए समय निकाल लेती हैं। जब उनका दूसरा बच्चा मात्र 1 वर्ष का था तो उन्होंने SVP ई-कोर्स कर लिया था। इसके पश्चात स्काइप के माध्यम से 5 दिन की भारत में हुई SVP कार्यशाला में भी भाग लिया था जो कि नवंबर 2018 में हुई थी। वह पांचों दिन पूरी-पूरी रात जागते रहकर यह कार्य करती थी (उरूग्वे में भारत की अपेक्षा समय अंतराल 8:30 घंटे का है) उन्हें एलर्जी थी परंतु उसकी परवाह ना करते हुए उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

SVP बनने के पश्चात उन्होंने विभिन्न रोगों से ग्रसित 40 रोगियों का उपचार किया है। उनके द्वारा उपचारित रोग है - बच्चों में रिफ्लेक्स, मधुमेह, दूरदृष्टि( एक दृष्टि रोग), गर्भाशय में गांठ, मुंह में अल्सर, इम्यूनिटी की कमी, बच्चों में डर, निगलने में कठिनाई और अनिद्रा।

चिकित्सक स्वयं के ठीक होने के लिए वाइब्रॉनिक्स को श्रेय देती हैं। उसकी मासिक धर्म से पूर्व पेट के निचले भाग में दर्द बना रहता था। 1 फरवरी 2019 को उसने अल्ट्रासाउंड टेस्ट करवाया। इससे मालूम हुआ कि उसकी बायीं डिंब ग्रंथि में 6.07cm x 4.09cm की गांठ है। यह एक चिंता पूर्ण स्थिति थी क्योंकि 1999 में उसकी दाईं डिंब ग्रंथि और कुछ भाग बाईं ग्रंथि का शल्य क्रिया द्वारा निकाल दिया गया था, गांठ होने के कारण ही। शल्य क्रिया से बचने के लिए उसने वैकल्पिक उपचार लेने का मानस बना लिया था। अतः डॉक्टर ने उसे 4 माह बाद फिर से अल्ट्रासाउंड परीक्षण करने की सलाह दी। दूसरे दिन से ही उसने CC2.3 Tumours & Growths + CC8.4 Ovaries & Uterus...TDS लेना शुरू कर दिया। पहली खुराक से ही उसे काफी आराम मिला तथा अगले मासिक धर्म के समय दर्द भी नहीं हुआ। 2 सप्ताह बाद अपनी सहज ज्ञान के वशीभूत होकर उसने वाइब्रॉनिक उपचार के साथ-साथ एजिप्तियन एक्यूपंचर भी शुरू कर दिया। यह उपचार प्रति सप्ताह 10 सप्ताह तक लिया। अपनी शेष डिंब ग्रंथि निकलवाने की इच्छुक नहीं थी। 1 जुलाई 2019 को उसने फिर अल्ट्रासाउंड टेस्ट करवाया। टेस्ट के अनुसार डिंब ग्रंथि में कोई गांठ नहीं थी और बिल्कुल स्वस्थ थी। अतः उसने अपनी खुराक को 2 सप्ताह के लिए BD कर लिया, 16 जुलाई 2019 से वह OD के रूप में रेमेडी का सेवन कर रही है जिससे कि उसकी डिंबग्रंथि स्वस्थ रह सके।

वह वाइब्रॉनिक्स कॉम्बो के साथ विभिन्न प्रकार के शोध कार्य के प्रति बहुत उत्साहित है। उसने अपने घर से सभी कॉकरोचों को कॉम्बो CC1.1 Animal tonic + CC17.2 Cleansing का छिड़काव करके 24 घंटों में घर से बाहर कर दिया । इसके अतिरिक्त वह अपने रोगियों के साथ निरंतर संपर्क में रहती है। वाइब्रॉनिक समुदाय में भी वह प्रशासनिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभाती है। वह एक सहायक की मदद से समाचार पत्रिका का अनुवाद स्पेनिश भाषा में करती है। स्पेनिश भाषा बोलने वाले सभी चिकित्सकों का डेटाबेस को आधुनिक बनाती रहती है।वह अपने प्रभाव से सभी व्यक्तियों को जो वर्षों से निष्क्रिय पड़े हुए थे उन्हें सक्रिय बनाया हैं । अभी हाल ही में अपने रोगियों और कुछ अनुवादको के साथ मिलकर एक वीडियो बनाई है जिसका शीर्षक है “इंट्रोडक्शन टू साईं वाइब्रॉनिक्स"। इसे 13 भाषाओं में बनाया गया है। वाइब्रॉनिक्स के बारे में अधिक से अधिक जागृति लाने और विस्तार करने की व्यवस्था करती हैं। चिकित्सक अपने रोगियों से बड़े ही खुशगवार तरीके से मिलती है, वह उनको इस प्रकार से देखती हैं कि उनके अंदर सकारात्मकता बढ़ जाती है, शक्ति बढ़ जाती है तथा उनकी अच्छाइयां एवं स्वास्थ्य अच्छा होने लगता है। रोगी कितना बीमार है इस बात पर वह अधिक ध्यान ना देकर वाइब्रेशनल रेमेडी पर विश्वास के साथ ध्यान देती है और यह विश्वास करती है कि यह रेमेडी रोगी के जीवन को फिर प्रकाशित कर देगी, चाहे परिणाम कुछ भी हो।

वह यह अनुभव करती है कि वाइब्रॉनिक्स के द्वारा ग्रह की वाइब्रेशन फ्रीक्वेंसी बढ़ रही है। और इस पवित्र और दिव्य उपकरणों के माध्यम से हम अपने चारों ओर के वातावरण के साथ अधिक सामंजस्य बनाकर रह सकेंगे। उसकी कल्पना अनुसार, प्रत्येक रेमेडी, प्रत्येक व्यक्तित्व को (व्यक्ति, पशु, पौधे) प्रकाशित करती है। अतः वे पहले की अपेक्षा अधिक प्रकाशमान हो जाते हैं।

चिकित्सक का कहना है कि पूरा ग्रह संक्रमण के अंधकार से प्रकाश की ओर, अहम भाव से एकजुटता और डर से प्रेम की ओर अग्रसर हो रहा है। वाइब्रॉनिक्स इस दिव्य योजना में अपनी भागीदारी निभा रही है। हमें सेवा का अवसर देकर, दूसरों की सेवा नहीं बल्कि हम अपनी ही सेवा करके अपना रूपांतरण करके अपनी वाइब्रेशन फ्रीक्वेंसी को बढ़ा रहे हैं। अतः हमारी प्रतिबद्धता अत्यधिक आवश्यक है। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि हम किस क्षेत्र में भाग ले रहे हैं या हम कितने रोगियों का उपचार कर रहे हैं या हम कितने वर्षों से चिकित्सक के रूप में कार्य कर रहे हैं बल्कि इस बात पर निर्भर है कि हमने अपने हृदय की किस प्रतिबद्धता के फलस्वरूप इस जिम्मेदारी को अंगीकार किया है। सभी चिकित्सकों को उसकी सलाह है कि वे प्रत्येक रोगी से मिलने का आनंद लें। इस भावना के साथ कि यह उनके ठीक होने के लिए नहीं है, बल्कि हमें स्वयं पर दृष्टिपात करने की आवश्यकता है, क्योंकि प्रत्येक रोगी हमें स्वयं को ठीक करने के लिए एक आदर्श दर्पण है।

आज यह चिकित्सक वाइब्रॉनिक्स के प्रति उतना ही आकर्षण रखती है जितना कि उसे 10 वर्ष पूर्व जब इस विद्या का ज्ञान हुआ था। वाइब्रॉनिक्स उसके जीवन का एक प्राकृतिक भाग है जो इस सेवा का आनंद लेने का एक माध्यम है।

अनुकरणीय उपचार:

 

 

प्रश्नोत्तर

 

प्रश्न 1: क्या आप कोरोना वायरस COVID-19 के लिए रोग निरोधी उपचार बताने की कृपा करेंगे। यदि किसी व्यक्ति को इस रोग के होने की संभावना हो तो उसका क्या उपचार होगा?

उत्तर : 108CC बॉक्स में रोग निरोधी उपचार इस प्रकार है: CC4.1 Digestion tonic + CC4.8 Gastroenteritis + CC9.4 Children’s diseases + CC10.1 Emergencies + CC13.1 Kidney & Bladder tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC19.3 Chest Infections chronic + CC19.6 Cough chronic + CC19.7 Throat chronic.

SRHVP के लिये: NM6 Calming + NM76 Dyspnoea + NM113 Inflammation + BR4 Fear + BR14 Lung +  SM26 Immunity + SM27 Infection + SM31 Lung & Chest + SM40 Throat + SR270 Apis Mel + SR271 Arnica 30C + SR272 Arsen Alb 30C + SR277 Bryonia 30C + SR291 Gelsemium 30C + SR298 Lachesis + SR301 Mercurius 30C + SR302 Nux Vom 30C + SR306 Phosphorus 30C + SR385 Eupatorium Perf + SR406 Sabadilla 30C + SR505 Lung. यदि आपके क्षेत्र में यह महामारी नहीं फैली है । यदि बीमारी फैल गई है तो OD के रूप में ले। यदि रोगी व्यस्क है और वह रोग के चपेट में आ सकता है या वायु यान में यात्रा करके आ रहा है तो जिस दिन यात्रा कर रहा है उस दिन और उससे 1 दिन पूर्व भी औषधि का सेवन करें।

यदि कोई व्यक्ति इस रोग से संक्रमित हो गया है तो 6TD की खुराक दें तथा उसे तुरंत ही एलोपैथिक उपचार की सलाह दें। यदि व्यक्ति को इस रोग की पुष्टि हो जाती है तो भी उसे एलोपैथिक उपचार लेते रहना चाहिए।

विस्तृत समाचार के लिए पढ़ें, “अतिरिक्त कॉलम

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प्रश्न 2: नोसोड बनाते समय क्या हमें दस्ताने पहनने चाहिए?

उत्तर : सावधानी हेतु दस्तानो का उपयोग करना चाहिए। शुरुआत में रोगी को सलाह दें कि शरीर से निष्कासित दूषित पदार्थों जैसे कि मूत्र, थूक या पस को शीशी में लेकर आयें तथा शीशी को बाहर से अच्छी तरह धोकर लाएं।
सैंपल वेल को दूषित होने से बचाने के लिए व चिकित्सक को संक्रमण से बचने के लिए, शीशी को प्लास्टिक में लपेट लेना चाहिए जैसे कि चिपकने वाली फिल्म इसके पश्चात ही शीशी को मशीन में रखना चाहिए। सैंपल को सदैव रोगी को वापस दे देना चाहिए जिससे कि वह उसे सुरक्षित स्थान पर फेंक सकेंI

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प्रश्न 3: क्या यह संभव है कि मैं अपने क्रिस्टलीय पेंडेंट को SRHVP मशीन में चार्ज कर सकती हूं, जो कि धातु के तारों से लिपटा हुआ है?

उत्तर : हमारे दृष्टिकोण के हिसाब से किसी भी वैल में धात्विक पदार्थ को नहीं रखना चाहिए क्योंकि धातु में आयरन होने के कारण SRHVP में लंबे समय तक रखने से चुंबक पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इस मामले में पेंडेंट के आसपास की धातु क्रिस्टल में जा रहे वाईब्रेशन को परेशान कर सकती है लेकिन यह SRHVP पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेगी।

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प्रश्न 4: यह कैसे सुनिश्चित करें कि सेवा करते समय अहंकार चुपके से हमारे अंदर प्रवेश न करे और हम पर हावी न हो?

उत्तर : हम नहीं जानते कि अहंकार कब हमारे अंदर प्रवेश कर लेता है और चुपचाप हमारे अंदर कार्य करता रहता है। लेकिन प्रतिदिन यदि हम सुबह उठने से पहले प्रार्थना करने की आदत के साथ-साथ पहले रोगी के साथ बातचीत शुरू करने से पहले नियमित रूप से आत्मनिरीक्षण करें तो अवश्य ही हम एक दिन अपने अहंकार पर विजय पा लेंगे। हमे शरणागत भाव से प्रभु से प्रार्थना करनी चाहिये कि वह हमें इस सेवा के लिये विनम्र यंत्र बनाये। परिचय में 108CC पुस्तक में दी गई प्रार्थना को याद रखें: "हम प्रार्थना करते हैं कि हम आपके प्यार, प्रकाश और हीलिंग ऊर्जा के शुद्ध चैनल हों ताकि हम उन लोगों की मदद कर सकें जो आज हमारे पास आते हैं।" हमें प्रतिदिन यह याद रखना चाहिये कि वाईब्रोनिक्स एक माध्यम है जिससे कि हमे अपने आध्यात्मिक विकास करने का सुअवसर मिला हैI मैनुअल के शीर्षक पृष्ठ के साथ-साथ 108CC पुस्तक में दिए गए स्वामी के संदेश को हमेशा अपने ध्यान में रखे और जमीन से जुड़े रहें अर्थात विनम्र भाव से एक यंत्र की तरह कार्य करें। इस संदेश को हम किसी प्रमुख स्थान पर लगा देवें ताकि हम इसे प्रतिदिन पढ़े एवं अपना आत्मनिरीक्षण करेंI

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प्रश्न 5: क्या मैं निदान से पहले भी संदिग्ध कैंसर का इलाज कर सकता हूं?

उत्तर : हां, आप इससे सम्बंधित अंग के लिए भी रेमेडी दे सकते हैंI वाईब्रोनिक्स की सुंदरता यह है कि यह एक रोगनिरोधी है और शारीरिक स्तर पर लक्षण प्रकट होने से पहले ही ईथर शरीर पर काम करना शुरू कर देती है। कैंसर के लिए निवारक खुराक को हमारे समाचार पत्र, अंक 10 # 6 के प्रश्नोत्तर, प्रश्न 5 का संदर्भ ले सकते हैंI

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प्रश्न 6: थायराइड के लिए रोगी का इलाज कैसे करें जब यह ज्ञात नहीं है कि क्या यह हाइपर या हाइपो-थायराइड है?

उत्तर : एक नैदानिक रिपोर्ट की अनुपस्थिति में, हमें उनके लक्षण और कारण के बारे में ज्ञात करना चाहिये जिससे कि हमें सबसे उपयुक्त कॉम्बो चुनने में आसानी हो सके। हमारे समाचार पत्र अंक 10 #6 में थायरॉयड पर स्वास्थ्य लेख दिया गया है जिसे पढ़ कर आपको काफी मदद मिलेगीI

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प्रश्न 7: रोगी की जीभ पर कॉम्बो की पहली खुराक रखते समय यदि शीशी के ढक्कन का रोगी की जीभ से संपर्क हो जाए या रोगी की लार चिकित्सक की उंगली पर गिर जाए तो क्या करना चाहिए? 

उत्तर : रोगी के मुख में पहली खुराक रखते समय थोड़ी दूरी बनाए रखनी चाहिए । यदि फिर भी हाथ जीभ से संपर्क में आ जाता है तो अपने हाथ को भलीभांति धो लें यदि आप कुछ दूरी से रोगी के मुख मे पिल को नहीं रख रहें है तो आप ढक्कन सहित रोगी को दे देंवें वह स्वयं ही उसको अपने मुख में रख लेगा।

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प्रश्न 8:  क्या रोगी द्वारा प्रतिदिन सुबह-सुबह कपूर वाष्प लेने से उसके द्वारा लिए जा रहे थरथराहट के उपाय में बाधा आएगी?

उत्तर : कपूर की तीव्र गंध वाइब्रॉनिक्स औषधि के प्रभाव को बाधित करेगी। इसकी तेज गंध काफी समय तक बनी रहती है इसलिए इसे कीड़े मारने की गोलियों में मिलाया जाता है कि कीड़े दूर ही रहें। या तो रोगी को कपूर सूघंने  की आदत को छोड़ना पड़ेगा या फिर कम से कम वाइब्रो औषधि को 1 घंटे बाद लेना होगाI

 

दैवीय चिकित्सक का संदेश

“केवल ताजा भोजन करो, बासी भोजन मत करो जो 1 दिन पूर्व बनाया गया हो। भोजन पकाने के लिए तेल एक आवश्यक सामग्री है। डॉक्टरों के मतानुसार अधिक तेल के सेवन से कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है। लेकिन, कुछ हद तक, शरीर को कोलेस्ट्रोल की आवश्यकता भी होती है। अतः वह भोजन मत करो जिसमें तनिक भी तेल की मात्रा ना हो इसलिए तेल रहित भोजन का बहिष्कार करो। हमेशा संतुलित भोजन करो।

...Sathya Sai Baba, “Supreme Bliss Comes From Absolute Wisdom”, Divine Discourse, 1 September 1996 

http://sssbpt.info/ssspeaks/volume29/d960901.pdf 

 

“हमें सदैव दूसरों की सेवा के लिए तत्पर रहना चाहिए। ईश्वर ने हमें यह शरीर इस कार्य के लिए ही दिया है। यह  शरीर केवल खाने-पीने के लिए नहीं दिया गया है, मूल्यवान समय बर्बाद करने के लिए नहीं है। हमें इस सत्य का अनुभव करना चाहिए कि ईश्वर ने हमें यह शरीर दूसरों की सेवा करने के लिए दिया है, उनकी सहायता करने के लिए दिया है। मानवता के लिए सेवा से बढ़कर कोई अन्य कार्य नहीं है। सभी महान व्यक्तियों ने मानवता की सेवा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है। इसलिए तुम्हें अभी से मानवता की सेवा कार्यों में अपना योगदान शुरू कर देना चाहिए। सेवा का महत्व भजनों और साधनाओं से अधिक होता है।"

...Sathya Sai Baba, “Service To Man Is Service To God” ”, Divine Discourse, 1 January 2004 

http://www.sssbpt.info/ssspeaks/volume36/sss37-01.pdf

उद्धघोषणाये

आगामी कार्यशालायें* 

  •   USA रिचमोंड VA: AVP कार्यशाला 3-5 अप्रैल 2020 सम्पर्क  Susan at [email protected]
  •   भारत दिल्ली-NCR: रिफ्रेशर सेमिनार 9-10 मई 2020 सम्पर्क    Dr Sangeeta Srivastava at [email protected] या टेलीफोन द्वारा    9811-298-552
  •   भारत पुट्टपर्थी: AVP कार्यशाला 8-14 July 2020 सम्पर्क Lalitha at [email protected] या टेलीफोन द्वाराt 8500-676-092
  •   भारत पुट्टपर्थी: अनुकरणीय कार्यशाला for SVP batches of 2018-19, 16-17 July 2020 सम्पर्क Hem at [email protected]
  •   UK लन्दन: UK राष्ट्रीय वार्षिक रिफ्रेशर सेमिनार 20 September 2020 सम्पर्कJeram Patel at [email protected]
  •   USA रिचमोंडVA: AVP कार्यशाला 9-11 October 2020 सम्पर्क Susan at [email protected]
  •   भारत पुट्टपर्थी AVP कार्यशाला25 Nov-1 December 2020 सम्पर्कLalitha at [email protected] या टेलीफोन द्वारा 8500-676-092
  •   भारत पुट्टपर्थी: SVP कार्यशाला 3-7 December 2020 सम्पर्क Hem at [email protected]

 * AVP और SVP कार्यशालाएं केवल उन लोगों के लिए हैं जो प्रवेश प्रक्रिया और ई-कोर्स कर चुके हैं। रिफ्रेशर सेमिनार मौजूदा चिकित्सकों के लिए हैं।

अतिरिक्त

  1. स्वास्थ्य सुझाव

COVID-19 – रोकथाम और देखभाल

“केवल मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जो स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझता रहता है। मनुष्यों की अनेकों प्रकार की बीमारियां लगातार बढ़ रही हैं । इसका मुख्य कारण है कि ईश्वर ने मनुष्य के खाने  के लिए जो चीजें बनाई है उन्हें वह उसी रूप में भोजन में नहीं खाता है।”... Sri Sathya Sai Baba1

1.    कोरोना वायरस में नया क्या है?

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कोरोना वायरस, वायरसों के बड़े समूह का वायरस है जो पशुओं और मनुष्यों के मध्य प्रेषित होता रहता है। उनमें से कुछ ऐसे वायरस है जिन्होंने मनुष्य को प्रभावित नहीं किया है। SARS-CoV(गंभीर तीक्ष्ण श्वसन लक्षण) वायरस का सबसे पहले 2003 में आक्रमण हुआ था जिसकी पहचान चीन में की गई थी यह कोरोना  वायरस है जो बिल्लियों से मनुष्य में प्रेषित हुई है ।MERS-COV (मिडिल ईस्ट रेस्पिरेट्री सिंड्रोम) की पहचान 2012 में सऊदी अरब में की गई थी। यह वायरस ऊंट से मनुष्यों में प्रेषित हुआ था। यहां तक की सामान्य जुकाम भी इसी परिवार के कमजोर विषाणु के कारण होता है।22,3,4,5

बांई और नये कोरोना वायरस का चित्र है जिसे कंप्यूटर बायोलॉजिस्ट ने तैयार किया है2

दिसंबर 2019 में चीन में निमोनिया के बहुत सारे मामले हुए, जांच से पता चला कि यह किसी अज्ञात वायरस के कारण हुए हैं तथा प्रारंभ से इसे वर्ष 2019 का नया कोरोना वायरस (2019-nCoV) नाम दिया गया। यह एक तनाव का कारण बन गया यह पहले कभी मनुष्यों में देखा नहीं गया था। संयुक्त राष्ट्र संघ की स्वास्थ्य संस्था ने 11 फरवरी 2020 को घोषणा की कि चीन में जो घातक वायरस पाया गया है उसको “COVID-19” के नाम से जाना जाएगा तथा यह भी कहा गया कि यह एक घातक वायरस है और विश्व के लिए  'बहुत घातक' है और लेकिन इसको रोकना बहुत आवश्यक है। अभी तक इस वायरस के संबंध में जो कुछ भी ज्ञात है, उसमें परिवर्तन संभव है क्योंकि इस संबंध में अभी अनुसंधान चल रहे हैं।.3.4,5,6

विश्व के अनेकों संक्रमण विशेषज्ञों का मत है कि चीन से चला यह वायरस महामारी का रूप ले सकता है और संसार के अनेकों देशों में अपना असर दिखा सकता है “यदि सारे देशों में नहीं”। इस प्रकार की चिंता विश्व स्वास्थ्य संगठन की है। वैज्ञानिकों को यह मालूम नहीं है कि यह वायरस कितना घातक हो सकता है लेकिन यह एक आम सहमति है कि यह महामारी का वायरस मनुष्यों में आसानी से संचारित हो जाता है। इन्फ्लूएंजा की तरह ही फैल रहा है जबकि इसके साथी वायरसों SARS और MERS फैलने की गति बहुत धीमी थी।7

 

2.    COVID-19 के लक्षण

प्रारंभ में इसके लक्षण सामान्य जुकाम और फ्लू की भांति होते हैं। बुखार, सूखी खांसी, सांस लेने की गति में कमी, सांस लेने में परेशानी और कुछ मामलों में पेट दर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान, अधिक कफ (बलगम)  की शिकायत बलगम के साथ रक्त आना (हेमोटाईसिस) और डायरिया। कई मामलों में निमोनिया की शिकायत भी हो सकती है, तीव्र श्वसन सिंड्रोम गुर्दे का फेल होना और यहां तक की मृत्यु। केवल लक्षणों के आधार पर इस वायरस का पता नहीं लगाया जा सकता है। प्रयोगशालाओं में परीक्षणों के आधार पर ही यह पता लग सकता है कि व्यक्ति इस नए वायरस से ग्रसित है।3,4,5,8  पहले जिन व्यक्तियों को इस वायरस ने संक्रमित किया था उनको कोई भी लक्षण नहीं हुए थे। रिपोर्टों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि रोक को बढ़ने में 14 दिन का समय लगता है, यह समय 27 दिन का भी हो सकता है। यदि किसी को इसकी चिंता है तो उसे अपने बलगम की जांच किसी विशेषज्ञ से करा लेनी चाहिए जिससे यह ज्ञात हो सके कि उसके अंदर वायरस है अथवा नहीं है।8,9

 

3.    COVID-19 किस प्रकार फैलता है?

यह पूरी तरह जानना तो अभी बाकी है। परन्तु यदि इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति से कोई व्यक्ति संपर्क में आता है तो यह वायरस दूसरे व्यक्ति को भी संक्रमित कर देता है। इतना ही नहीं बल्कि संक्रमित व्यक्ति की छींक के छींटे भी किसी व्यक्ति को छू जाए तो भी व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित हो जाता है। अतः संक्रमित व्यक्ति की नाक का पानी, थूक, लार या बलगम अन्य व्यक्ति को संक्रमित करने की क्षमता रखते हैं। अभी तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि यह वायु द्वारा फैलता है। यह संक्रमित स्थानों को छूने से भी फैलता है।3,4,5

 

4.    बचाव के तरीके 

      व्यक्तिगत रूप से अच्छी स्वच्छता का पालन करें तथा सरल बचाव के तरीके अपनाएं, अर्थात्::3-5,8,10-14

  • अपने हाथों को साबुन और बहते हुए (या गर्म पानी) से धोएं। यदि आपके हाथों पर कोई गंदगी नजर नहीं आ रही हो तो अल्कोहल आधारित द्रव्य से हाथों को साफ करें। धोने से हाथ पर चिपके वायरस दूर हो जाते हैं। हाथ पोंछनॆ के टॉवल साफ-सुथरे होने चाहिए या हाथ धोने के बाद उन्हें सुखाने के लिए, सिर्फ एक बार उपयोग में लिए जाने वाले तौलिये का उपयोग करें।
  • अपने नाक और मुंह को फलेक्स्ड एल्बो या टिशू या कपड़े से ढके जब आप खांस रहे हो या छींक रहे हो। इनको उपयोग में लेने के बाद तुरंत ही ढ़क्कनदार बास्केट में डाल दें तथा हाथों को तुरंत ही धोलें जिससे कि आप जिस वस्तु को छुए तो संक्रमित न हो जाए।
  • एक दूसरे से 1 मीटर (3 फीट) दूरी बनाए रखें यदि कोई व्यक्ति खांस रहा है या छींक रहा है। खांसते या  छींकते समय निकलने वाली पानी की बूंदे दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकती हैं क्योंकि उनमें वायरस मौजूद रहता है । यदि तुम किसी संक्रमित व्यक्ति के अधिक निकट होते हो तो तुम श्वास के साथ वायरस को ग्रहण कर सकते हो। छूने से या हाथ मिलाने से भी वायरस एक स्थान से दूसरे स्थान तक पलायन कर जाते हैं। पशुओं से बिना आवश्यकता के संपर्क नहीं बनाएं। पशुओं को छूने के बाद हाथों को धो लें। पशुओं के द्वारा विसर्जित पदार्थों को न छुए क्योंकि वह भी संक्रमित हो सकते हैं। बाजार में मिलने वाले इन पदार्थों से भी दूरी बनाए रखें।
  • अपने मुंह, आंख और नाक को न छुंए। हो सकता है कि आपके हाथों ने उन स्थानों को छुआ हो जो संक्रमित है। चेहरे के बाहर की चीजें जैसे कि मोबाइल, लैपटॉप  व उसका माउस, लिफ्ट का बटन, उनके हैंडल्स, मेज़, कुर्सी यह वह स्थान है जो संक्रमित हो सकते हैं।
  • यदि आप स्वस्थ महसूस नहीं कर रहे हैं तो घर पर ही रहिए, यात्राएं मत कीजिए । यदि जाना आवश्यक हो तो यात्रा में पहनने जाने वाले मास्क का उपयोग करें जिसका रंगीन भाग बाहर की ओर है। यदि आपको खांसी बुखार या श्वास लेने में परेशानी का अनुभव हो तो तुरंत ही मेडिकल सहायता लें।
  • आप सहायता प्रदान करने वाले कार्यकर्ता हैं और उसी कक्ष में रहते हैं जिसमें संक्रमित व्यक्ति रहते हैं तो आपको मास्क का उपयोग अवश्य करना चाहिए । एक बार उपयोग में लेने के बाद सुरक्षित स्थान पर फेंक दें तथा हाथों को धोना ना भूले। अकेले मास्क से पूर्ण सुरक्षा नहीं होती है इसके साथ ही अन्य सुरक्षा साधनों का उपयोग भी करना आवश्यक है।8,10
  • नाक में 2 बूंद तिल का तेल डालें। प्रातः काल में ऐसा करने से नासिका छिद्र चिकने हो जाते हैं तथा अवांछनीय गंदगी बाहर निष्कासित हो जाता है यह सूचना भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने दी है जो कि आयुर्वेद विशेषज्ञों द्वारा सुझाई गई है।"11
  • बचाव लिए निम्न का उपयोग करें - Vit-C 3g को कई भागों में, विटामिन D3 2000 IUs, मैग्नीशियम 400 mg जिंक 20 mg, सेलिनियम 100mcg.14

   5.    वाइब्रॉनिक्स द्वारा उपचार

इस वायरस के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। अभी तक इस वायरस से बचाव के लिए कोई भी औषधि या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। अभी तक वायरस से पीड़ित किसी व्यक्ति का उपचार वाइब्रॉनिक्स के द्वारा नहीं हुआ है। किसी भी व्यक्ति को उपचार देने से पूर्व उस व्यक्ति को सलाह दें कि उसे तुरंत ही एलोपैथिक उपचार के लिए जाना चाहिI केवल रोगी को सलाह देना ही काफी नहीं है, चिकित्सक को अपना भी ध्यान रखना चाहिए

जैसा कि यह वायरस एक अज्ञात इकाई है, नई जानकारी दैनिक रूप से प्रवाहित होती है। इसलिए हम अपने कॉम्बो को संशोधित करने जा रहे हैं, यह ध्यान में रखते हुए कि कुछ मरीज़ लक्षणों को बिल्कुल प्रदर्शित नहीं करते हैं और यदि वे करते हैं, तो शायद संक्रमित होने के कई दिनों बाद। हमने एक ही कॉम्बो बनाया है, रोकथाम और उपचार दोनों के लिए और केवल खुराक अलग है। नीचे बताए गए निवारक उपायों को रोगियों और उनके परिवारों को सीधे चिकित्सक द्वारा भेज दिया जा सकता है, जिन्हें डब्ल्यूएचओ और उनके स्थानीय स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा जारी किए गए प्रोटोकॉल और दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करने के लिए रोगियों पर जोर देना चाहिए। उपाय बोतल "इम्यूनिटी बूस्टर" को लेबल करना याद रखें। किसी भी परिस्थिति में इन उपायों को थोक में वितरित नहीं किया जाना चाहिए।
108CC का उपयोग करने बालों के लिए रोग निरोधक CC9.2 Infections acute + CC9.4 Children's diseases + CC13.1 Kidney tonic + CC19.3 Chest infections + CC19.6 Cough chronic + CC19.7 Throat chronic

SRHVP मशीन का उपयोग करने वालों के लिए NM6 Calming + NM76 Dyspnoea + NM113 Inflammation + BR4 Fear + BR14 Lung +  SM26 Immunity + SM27 Infection + SM31 Lung & Chest + SM40 Throat + SR270 Apis Mel + SR271 Arnica 30C + SR272 Arsen Alb 30C + SR277 Bryonia 30C + SR291 Gelsemium 30C + SR298 Lachesis + SR301 Mercurius 30C + SR302 Nux Vom 30C + SR306 Phosphorus 30C + SR385 Eupatorium Perf + SR406 Sabadilla 30C + SR505 Lung.

यदि क्षेत्र में महामारी का प्रकोप नहीं है तो खुराक OD, यदि क्षेत्र में महामारी का प्रभाव है एवम् रोगी वृद्ध है, वह रोग की चपेट में जल्दी आ सकता है तो भी खुराक OD होगी। यदि वायुयान से यात्रा करनी हो तो यात्रा से 1 दिन पूर्व से ही औषधि का सेवन करना शुरू कर दें। यदि किसी व्यक्ति के बारे में शक हो कि वह इस वायरस से संक्रमित है तो उसे उपरोक्त औषधि 6TD की खुराक में दें तथा तुरंत ही मेडिकल सहायता लेने का सुझाव भी दे। यदि इस बात की पुष्टि हो जाती है कि उक्त व्यक्ति संक्रमित है तो भी वाइब्रो उपचार देते रहें यह उपचार एलोपैथिक उपचार के सहायतार्थ है।

COVID-19 वायरस के सामुदायिक प्रसार के खतरे को ध्यान में रखते हुए, अगले निर्देश तक, कोई भी वाइब्रेशनिक्स शिविर नहीं लगाए जाएंगे।

स्वर्ण सूत्र: अपनी जीवनशैली से अपनी इम्यूनिटी को उन्नत करें। भोजन, व्यायाम, धूप का सेवन तथा सब की सुरक्षा हेतु प्रार्थना करने से आप अपनी  इम्यूनिटी को उन्नत कर सकते हैं। अपनी स्वयं की स्वच्छता तथा बचाव के उपाय अपनाएं, डरें नहीं। 

References and Links:

  1. Health, Food, and Spiritual disciplines, Divine Discourse 8 October 1983, Sathya Sai Newsletter, USA, vol 8-4, Sathya Sai Baba Speaks on Food, Sri Sathya Sai Sadhana Trust Publication, December 2018, page55 
  2. Painted picture of novel coronavirus: https://www.forbes.com/sites/evaamsen/2020/02/10/what-does-a-coronavirus-look-like/#3f2c5d753c7f
  3. World Health Organisation site: https://www.who.int/health-topics/coronavirushttps://who.int/emergencies/disease/novel-coronavirus-2019
  4. Q&As on coronavirus: https://www.who.int/news-room/q-a-detail/q-a-coronaviruses
  5. Official statement on virus in China: https://www.youtube.com/watch?v=mgc_K2x-GKA
  6. https://www.who.int/dg/speeches/detail/who-director-general-s-remarks-at-the-media-briefing-on-2019-ncov-on-11-february-2020
  7. Coronavirus pandemic: https://www.nytimes.com/2020/02/02/health/coronavirus-pandemic-china.html
  8. Symptoms: https://www.dw.com/en/coronavirus-cold-or-flu-symptoms-how-to-tell-the-difference/a-52233885
  9. Incubation period: https://www.dw.com/en/how-long-is-the-coronavirus-incubation-period/a-52569944
  10. Protective measures against the new virus: https://www.who.int/emergencies/diseases/novel-coronavirus-2019/advice-for-public
  11. How to use masks: https://www.who.int/emergencies/diseases/novel-coronavirus-2019/advice-for-public/when-and-how-to-use-masks
  12. AYUSH site https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1600895
  13. Measures conveyed through music: https://www.youtube.com/watch?v=mP-mCfo4-f8
  14. Preventive supplements: https://www.peakprosperity.com/forum-topic/supplement-support-against-coronavirus

2. रिफ्रेशर सेमीनार चेन्नई, भारत,18-19 जनवरी 2020

चेन्नई में दो दिवसीय रिफ्रेशर सेमिनार में तमिलनाडु के 14 चिकित्सकों ने भाग लिया (दो ने Zoom के माध्यम से)। यह सेमिनार चिकित्सक11561 में अपने निवास पर चेन्नई में आयोजित किया। कोर्स अध्यापक11422, के अतिरिक्त सेमिनार को एक वरिष्ठ अध्यापक10375 ने भी संबोधित किया,Zoom के माध्यम से ( मॉडल क्लीनिक पर) तथा श्रीमती हेम अग्रवाल ने रोग विवरण पर तथा डॉ॰ जीत अग्रवाल ने भी सेमिनार को संबोधित किया । इस सम्मेलन की प्रमुख विशेषताएं निम्न हैं :

  • प्रत्येक प्रतिभागी ने अपने एक कठिन रोग का विवरण दिया जिस पर, कोर्स अध्यापक के निर्देशन में, विस्तार से विचार-विमर्श किया गया । इस सत्र के बाद एक मॉडल क्लीनिक का प्रदर्शन भी किया गया जिसमें जीर्ण रोग के उपचार के बारे में जानकारी दी गईI

  • केस हिस्ट्री का महत्व तथा उसको प्रस्तुत करने का तरीका बताया गया जिससे कि वे प्रकाशनार्थ श्रेणी में आ जाएं। केस हिस्ट्री लिखने के लिए भी एक सत्र में अभ्यास कराया गया।

  • डॉ. अग्रवाल ने समझाया कि मुश्किल केसों को किस प्रकार सुलझाया जा सकता है। उन्होंने चिकित्सकों को प्रोत्साहित किया कि वे सदैव स्वामी के साथ जुड़े रहे और उनके प्रति अटूट विश्वास बनाए रखें। स्वामी के प्रति समर्पित भाव से कार्य करें और इस बात का ध्यान रखें कि हम तो स्वामी के उपकरण मात्र है वे ही उपचारक हैं। यदि रोगी फिर भी स्वस्थ नहीं होता है तो यह ईश्वर की इच्छा है। उन्होंने बताया कि रोग का मुख्य कारण है दूषित जीवनशैली तथा इस बात पर बल दिया कि "अनासक्ति ही स्वयं चिकित्सा है"। इस हेतु नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों में परिवर्तित करने के लिए उन्होंने हमारे जीवन में व्याप्त स्वामी की स्मृतियों की ओर ध्यान दिलाया। वहां से प्रस्थान करने से पूर्व सभी चिकित्सकों ने अपने ज्ञान की वृद्धि की और विश्वास दिलाया कि वे इस सेवा को समर्पित भाव से करते रहेंगे।      

     

3. रिफ्रेशर सेमीनार, बेंगलुरु, भारत, 8-9 फरवरी 2020

एक अत्यधिक विचार-विमर्श वाले दो दिवसीय रिफ्रेशर कोर्स का आयोजन एक वरिष्ठ चिकित्सक10375 द्वारा बंगलुरु में किया गया कर्नाटक के लगभग 34 चिकित्सकों ने इसमें भाग लिया। इसमें वाइटफील्ड वृंदावन में हुए उपचारों के आधार पर मॉडल क्लीनिक व रोगों के विवरण पर चर्चा हुई। बहुत से चिकित्सकों ने काफी समय पहले प्रशिक्षण लिया था अतः वे अपने ज्ञान वृद्धि के लिए इस सेमिनार में भाग ले रहे थे और अपने सेवा कार्य को करते रहने के लिए मानस बनाया था। इस अवसर के लिए एक संक्षिप्त मैनुअल भी बनाया गया था जिसमें AVP से संबंधित सभी जानकारियां दी गई थी। रोगी के उपचार के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों का वर्णन किया गया था मुख्य रूप से इस बात पर बल दिया गया था कि वाइब्रॉनिक औषधि किस प्रकार से इम्यूनिटी को बढ़ाती है। प्रतिभागियों को रोग का विवरण लिखने और इसके द्वारा प्राप्त लाभों के बारे में भी विस्तार से बताया गया। उनके सफलतम उपचारों को किस प्रकार लिख कर रखना है जिससे कि उनको समाचार पत्रों में प्रकाशन करके समस्त चिकित्सकों के समक्ष प्रस्तुत किया जा सके।

कर्नाटक के SSSSO के राज्याध्यक्ष श्री नागेश दाकप्पा अपने व्यस्ततम क्षणों में से कुछ क्षण निकालकर सेमिनार में पधारे तो सभी चिकित्सकों को अपार प्रसन्नता की अनुभूति हुई, उन्हें यहां बुलाने के लिए विशेष आमंत्रण पत्र भिजवाया गया था। उन्होंने अपने भावुकता पूर्ण संदेश में बतलाया कि किस प्रकार स्वामी ने उन्हें बंगलुरु में वाइब्रॉनिक्स की प्रथम कार्यशाला आयोजित करने का संदेश दिया था। यह कार्यशाला वर्ष 2009 में आयोजित की गई थी तथा वृंदावन में एक क्लीनिक स्थापित करने का आग्रह किया गया था।

डॉ जीत अग्रवाल ने अपने संदेश में सभी चिकित्सकों को प्रेरणा देते हुए कहा कि स्वामी की एक बात पर ध्यान केंद्रित करते हुए इस महान सेवा को अपने रूपांतरण हेतु करते रहो । वाइब्रॉनिक्स एक विशेष प्रकार की सेवा है क्योंकि यह विश्व धीरे-धीरे पूरक चिकित्सा की ओर अग्रसर हो रहा है जिसमें किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि हम डॉक्टर नहीं है और हमें रोगी के उपचार के लिए अधिक प्रयासों की आवश्यकता होती है।
दो चिकित्सकों ने अपने अनुभवों को सबके समक्ष प्रस्तुत किया । उन्होंने मुंह के कैंसर जो कि चौथे स्तर तक पहुंच गया था के उपचार के बारे में विस्तार से बतलाया 2 HIV के रोगियों और एक बच्चा जिसकी रीढ़ की हड्डी दो टुकड़ों में फट गई थी के सफलतम उपचार के बारे में भी जानकारी प्रदान की। सभी चिकित्सकों के 108CC बॉक्स को रिचार्ज किया गया। सभी चिकित्सकों ने अनुभव किया कि ना केवल उनके 108CC बॉक्स को रिचार्ज किया गया है बल्कि वे सभी निस्वार्थ सेवा के लिए भी रिचार्ज हो गए हैं!

 

 

 

Om Sai Ram