साई व्हाइब्रियोनिक्स पत्रिका

" जब आप किसी हतोत्साहित, निराष या रोग ग्रस्त व्यक्ति को देखते हो, वहीं आपका सेवा क्षेत्र है " Sri Sathya Sai Baba
Hands Reaching Out

Vol 10 अंक 1
जनवरी / फरवरी 2019
मुद्रणीय संस्करण


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डॉ०जीत के अग्रवाल की कलम से

प्रिय चिकित्सकों,

वर्ष 2018 को विदा करने के पश्चात् वर्ष 2019 का हम स्वागत करते हैं, तुम सभी का इस नव वर्ष में स्वागत है! वर्ष 2018 हमारे लिये मील का पत्थर साबित हुआ है, हमने इस वर्ष में बहुत सी उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं और बहुत सी अभी बाकी हैं, जिन्हें हमें प्राप्त करना है। यह समय लक्ष्य निर्धारण का है - अपने लिये भी और चिकित्सीय कार्य के लिये भी। मेरा सभी चिकित्सकों से विनम्र अनुरोध है कि अपने लिये कम से कम एक लक्ष्य निर्धारण अवश्य करें - जो आपके स्वयं के लिये और हमारे इस मिशन की उन्नति के लिये हो।

वर्ष 2018  में प्राप्त की गई उपलब्धियों का विवरण निम्न है :

  1. तीनो वेब साईटों (Vibrionics.org, newsletter site and practitioners’ site) को उन्नत करके उन्हें सुव्यवस्थित कर दिया गया है।
  2. नये उम्मीदवारों के लिये आवेदन करने और उनकी जाँच करने के लिये ऐसे प्रयास किये गये हैं कि केवल उत्तम गुणवत्ता वाले अभ्यार्थियों का ही चयन हो सके न कि अधिकतम संख्या का चयन हो। (जब स्वामी भौतिक स्वरूप में थे, उस समय मुझे को व्यक्तिगत तौर पर वाइब्रोनिक्स के बारे में चर्चा करते हुये यह शिक्षा दी थी।) इसके साथ ही नये SVPs के लिये एक नयी उच्च सीमा का निर्धारण किया गया है जिसके अन्तर्गत प्रशासनिक कार्य करने की अनिवार्यता को लागू किया गया है।
  3. एक केन्द्रीय नेतृत्व वाले दल जिसमें समर्पित और कार्य को पूर्ण करने वाले SVPs को शामिल किया गया है, की पहचान कर ली गई है जो इस संस्था के विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन करेंगे जैसे कि प्रशिक्षण, विकास, अनुसंधान, प्रकाशन आदि। अगामी सभी AVP के लिये सलाह देने के लिये भी व्यवस्था की गई है जब तक कि ये सभी VP नहीं बन जाते हैं।
  4. सभी AVP और SVP के लिये नयी नियमावली तैयार कर ली गई है तथा SVPs के लिये वाइब्रोनिक्स गाइड के 2018 संस्करण का कार्य भी पूरा हो गया है। 108CC पुस्तक का भी पर्याप्त परिवर्धन किया गया है।
  5. SSSIHMS (व्हाईटफील्ड, बैंगलूर) और प्रशांतिनिलयम के पुरूष और महिला सेवा दल भवनों में नियमित रूप से वाइब्रो क्लीनिक चलाये जा रहे हैं। ये वहाँ भलीभाँति स्थापित हो गये हैं।
  6. उपचार हेतु हमने दो अतिशक्तिशाली नेटवर्क तैयार किये हैं-भारत में औषधियों को भेजने हेतु एक केन्द्रीय दल बनाया है जबकि विश्व स्तर पर उपचार करने के लिये यू.एस.में ब्राडकास्टिंग नेटवर्क की स्थापना की गई है।
  7. हमने भूमि माता को हीलिंग वाइब्रेशन भेजने की योजना भी शुरू कर दी है। इसके प्रभाव को चिकित्सकों ने अनुभव करना शुरू कर दिया है।

कुछ रचनात्मक पहल हम 2019 में करने जा रहे हैं,वे निम्न हैं :

  1. वाइब्रोनिक्स पुस्तक का अन्य भाषाओं में अनुवाद (जैसे कि हिन्दी, तेलगु, तमिल) जिससे कि वाइब्रनिक्स का फैलाव दूरस्थ प्रदेशों तक हो सके।  2 AVP पुस्तकों का मराठी में अनुवाद हो चुका है।
  2. अनुसंधान योजनाओं पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। एक पर कार्य चल रहा है, वह है गर्भावस्था के दौरान होने वाले अवसाद पर वाइब्रोनिक्स औषधियों का प्रभाव दूसरी योजना शीध्र ही शुरू होने वाली हैं जिसमें मधुमेह से संबंधित अनुसंधान किये जायेंगे।
  3. वाइब्रोनिक्स को बढ़ावा देने के लिये सहभागिता दल की संरचना ‌-  इसके अन्तर्गत चिकित्सक समय-समय  पर आपस में मिलेंगे तथा आपस में समाचार पत्रों के विषयों में सफलता पूर्वक किये गये उपचारों  एवं  रोगों का वृत्तांत आदि पर आपस में चर्चायें करेगे जो कि हमारे कार्य क्षेत्र का महत्वपूर्ण अंग है। इस सबसे ऊपर है आपसी संबंधों में प्रगाढ़ता जिससे हमें नैतिक समर्थन प्राप्त होगा।
  4. हमें अपने डाटा बेस को पूर्णतया बदलना होगा जिससे कि उसमें केवल सक्रिय चिकित्सकों का ही नाम हो। इस ओर काफी प्रयास किये जा चुके हैं परन्तु इस संबंध में अभी बहुत कुछ करना बाकी है।

मैं तुम्हें हमारे प्रिय भगवान का एक प्रबल परन्तु उत्साहित करने वाला एक संदेश यहाँ देना चाहूँगा “अधिकत्तर मनुष्य यह चाहते हैं कि नया साल उन्हें खुशियाँ और समृद्धि देने वाला हो लेकिन नया साल तुम्हें पिछले वर्ष में किये गये कार्यों का फल देने वाला होता है। पूर्व में किये गये कार्यों के लिये प्रायश्चित करने के लिये नव वर्ष में तुम्हें पवित्र गुणों को अपनाना चाहिये और अपने आपको पवित्र कार्यों में संलग्न कर देना चाहिये। हर परिस्थिति में तुम्हारी भावनायें आदर्श होनी चाहिये, तुम्हारे सभी कार्य दूसरो की भलाई के लिये होने चाहिये।”– Sathya Sai Baba, Divine Discourse, 1 January 2001, Prasanthi Nilayam.

आइये हम सब अपने प्रिय साईं के इन शब्दों को अपने हृदय में धारण कर ले, इस नववर्ष में, और अपनी प्रतिबद्धता को सहयोग की भावना से नववर्ष को बेहतरीन बनाये।

साईं की प्रेममयी सेवा में

जीत के अग्रवाल

 

 

माइग्रेन 11586...India

एक 34-वर्षीय महिला 10 वर्षों से अपने सिर के बायें भाग में दर्द से पीड़ित थी। हर बार यह दर्द 2 घंटे तक रहता था। आई.टी में कार्यरत होने के कारण उसे दिन भर कम्प्यूटर पर कार्य करना पड़ता था। वह इस दर्द के कारण भयभीत रहती थी और जब भी आवश्यकता पड़ती थी वह दर्द निवारण गोली का सेवन कर लेती थी। उसकी माँ को खाँसी में वाइब्रो उपचार से बहुत जल्दी लाभ हो गया था इसी से प्रेरित होकर उसने वाइब्रो उपचार लेने का मानस बना लिया। 8 फरवरी 2018 को उसे निम्न उपचार दिया गया :

CC11.3 Headaches + CC11.4 Migraines + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic…TDS

एक सप्ताह बाद उसने बतलाया कि इस औषधि की पहली खुराक लेने के बाद एक भी बार सिर दर्द नहीं हुआ है। चिकित्सक ने उसे औषधि को TDS रूप में ही लेते रहने की सलाह दी। एक माह बाद उसकी औषधि को गलत स्थान पर रख दिया गया लेकिन तब तक रोगी 2 माह के लिये जर्मनी चली गई। इस दौरान उसे साप्ताहिक रूप से कभी-कभी सिर दर्द की शिकायत हो जाती थी परन्तु कुछ समय के लिये ही। स्वदेश लौटने पर चिकित्सक ने वही औषधि 20 मई 2018 को दी।

2 माह तक औषधि का सेवन करने के बाद केवल सिर को धोने के बाद ही दर्द का अहसास होता था अन्यथा सिर दर्द नहीं होता था। केवल एक बार तीव्र सिर दर्द हुआ जो एक घंटे तक रहा। इस दौरान उसने किसी भी दर्द निवारण का सेवन नहीं किया। 5 माह बाद खुराक को BD  कर दिया गया। हर बार सिर धोने के पश्चात् कुछ समय के लिये सिर दर्द हो जाता था। अब उसको सिर दर्द होने का भय समाप्त हो गया था अतः कम्प्यूटर पर आराम से कार्य करती थी। अगले दो सप्ताह के पश्चात् सिर दर्द पूर्णतया समाप्त हो गया था अतः खुराक को OD कर दिया गया। 6 दिसम्बर  2018 को उनकी माता जी का देहान्त हो गया और परम्परा के अनुसार उन्हें कई बार सिर धोना पड़ा। उन्हें कोई सिर दर्द नहीं हुआ। 23 दिसम्बर  2018 को खुराक को कम करने से पहले OD  एक माह तक लेने की सलाह दी गई। इसके पश्चात् एक वर्ष तक cleansing और immunity की औषधियों को वैकल्पिक रूप से लेते रहने के लिये वह सहमत हो गई जिससे कि रोग दुबारा न हो सके।

 

निम्न रक्तचाप, थकान 11586...India

42 वर्षीय एक खाती की पिछले 20 वर्षों से निम्न रक्तचाप की शिकायत थी, एक साल से वह थकान भी महसूस करने लगा था। वह रक्त चाप के लिये ऐलोपैथिक औषधियों का सेवन कर रहा था परन्तु उनका कोई प्रभाव नहीं हो रहा था। उसने अपना खाती का काम कुछ समय के लिये बन्द कर दिया था और अब वह सुबह अखबार बाँटने लग गया था। यह कार्य वह 24 अत्यधिक ऊँचे भवनों में करता था। इस कार्य के दौरान वह पेशाब करने भी नहीं जा पाता था अतः वह पेट में दर्द भी महसूस करने लगा था। उसके भोजन का समय भी अनियमित था और थोड़े-थोड़े समय के अन्तराल पर चाय पीता रहता था वह पान खाने का आदी था और हर समय पान चबाता रहता था।

10 मई 2017 को उसे निम्न औषधि दी गई 

CC3.2 Bleeding disorders + CC4.1 Digestion tonic + CC12.1 Adult tonic + CC13.1 Kidney & Bladder tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC18.1 Brain disabilities…TDS

दो सप्ताह के बाद उसने बतलाया कि अब उसे थकान महसूस नहीं होती है। एक और सप्ताह के बाद उसका रक्त चाप भी सामान्य हो गया था अतः उसके डाक्टर ने उसकी निम्न रक्त चाप की औषधि को बन्द कर दिया। वाइब्रोचिकित्सक ने वाइब्रो औषधि को OD रूप में एक माह तक लेने की सलाह दी। जल्द ही उसकी बार-बार चाय पीने की आदत छूट गई तथा भोजन भी समयानुसार करने लगा। अखबार बाँटने के साथ-साथ वह अपना खाती का कार्य भी करने लगा। उसने चिकित्सक के पास दवा लेने के लिये आना बन्द कर दिया यह कहते हुये कि अब वह बिलकुल स्वस्थ्य हो गया है। दिसम्बर 2018 तक उसका रक्त चाप सामान्य था तथा वह बिलकुल स्वस्थ्य महसूस कर रहा था तथा अपना सभी कार्य पूर्ण क्षमता के साथ कर रहा था। वह अभी भी निरंतर पान खाता रहता था और इस आदत को छोड़ना भी नहीं चाहता था।

 

 

कुत्ते को चोट लगना 11586...India

जिस भवन में चिकित्सक रहते थे, उसमें एक आवारा कुत्ता 8  वर्षों से रह रहा था। वह उस भवन की चैकीदारी भी करता था। 2 वर्ष पहले उसे एक मोटर साईकिल ने टक्कर मार दी थी। उसे उस समय प्राथमिक चिकित्सा दे दी गई थी। उसके बाद उसकी कोई देखभाल न होने से उसकी हालत दयनीय हो गई थी। उसकी त्वचा पर चकत्ते पड़ गये थे, वह कुछ भी नहीं खा पाता था।

25 मार्च 2017 को चिकित्सक ने उसे निम्न औषधि का सेवन करवाया :

#1. CC1.1 Animal tonic + CC20.7 Fractures + CC21.1 Skin tonic…BD, उसके पीने के पानी में।  

2 हफ्तों के बाद वह थोड़ा-थोड़ा चलने लगा था और खाने भी लगा था। एक और सप्ताह के बाद उसकी त्वचा में कोई प्रभाव न होने से चिकित्सक ने #1 में विभूति मिलाकर उसके नहाने के पानी में मिला दी और उसके पश्चात् उसको उसकी त्वचा पर भी लगा दिया, फिर भी उसकी त्वचा पर कोई प्रभाव नहीं हुआ अतः #1 के स्थान पर निम्न औषधि तैयार की और उसके पीने के पानी में मिला दिया :   

#2. CC1.1 Animal tonic + CC10.1 Emergencies + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC18.1 Brain disabilities + CC20.3 Arthritis + CC20.4 Muscles & Supportive tissue + CC20.5 Spine + CC21.1 Skin tonic + CC21.11 Wounds & Abrasions…BD

एक सप्ताह में ही त्वचा में सुधार होने लगा और उसे भूख भी लगने लगी थी। औषधि को #2, को देने के 7 सप्ताह के बाद वह बिलकुल स्वस्थ्य हो गया था। औषधि को चार सप्ताह तक OD रूप में चालू रखा गया तदुपरान्त उपचार बन्द कर दिया गया। दिसम्बर 2018 तक वह बिलकुल स्वस्थ्य था।

 

 

असंयमिता, शुष्क मुँह, उच्च रक्त चाप 10001...India

एक 79-वर्षीय महिला बहुमूत्रता कभी-कभी जलन के साथ पिछले  6 माह से ग्रसित थी। उसकी जीभ यकायक शुष्क हो जाती थी, लाल भी हो जाती थी तथा दिन में एक या दोबार बोलने की क्षमता भी प्रभावित हो जाती थी। 

27 अप्रैल 2018 को उसको निम्न उपचार दिया गया:

#1. CC11.5 Mouth infections + CC13.3 Incontinence + CC15.1 Mental & Emotional tonic…TDS

उसके सभी लक्षण दो सप्ताह के उपचार से ठीक हो गये। खुराक को धीरे-धीरे कम करके OW  कर दिया गया एक माह में, उसके पश्चात उपचार बन्द कर दिया गया। वह दुबारा 26 मई 2018 को अन्य समस्या को लेकर चिकित्सक के पास पहुँची। उसका रक्त चाप 2  वर्षों से अधिक रहता था यद्यिपि वह ऐलोपैथिक औषधियों का सेवन कर रही थी। उसको निम्न उपचार दिया गया:

#2. CC3.3 High Blood Pressure (BP)…TDS

एक सप्ताह बाद उसने सूचित किया कि पहली बार 2 वर्षों में उसका रक्त चाप सामान्य हुआ है। उसके बाद से यह सामान्य बना हुआ है। दिसम्बर 2018 तक मुँह की शुष्कता और असंयमिता का दुबारा प्रभाव नहीं हुआ है। उसका BP सामान्य बना हुआ है, वह वाइब्रो और ऐलोपैथिक दवाओं का सेवन कर रही है।

 

आँख की पलक पर गाँठ 10001...India

एक 15-वर्षीय बालिका की बायीं आँख की पलक पर 4-5 mm की गाँठ 4 माह से थी। इसके लिये वह ऐलोपैथिक औषधियाँ ले रही थी, आँख में भी एक दवा डालने की थी, परन्तु उनसे कोई लाभ नहीं हुआ।

20 अप्रैल 2018 को उसको निम्न उपचार दिया गया:

CC2.3 Tumours & Growths + CC7.3 Eye infections + CC10.1 Emergencies + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC17.3 Brain & Memory tonic…TDS मौखिक रूप से और BD पानी में बाहरी उपयोग के लिये।

एक माह बाद गांठ आधी हो गई तथा उसकी ललाई भी कम हो गई। दो महीने बाद, आँख बिल्कुल सामान्य हो गई। खुराक को 2  हफ्ते के लिये OD कर दिया गया तत्पश्चात् OW कर दिया गया। वह औषधि को OW के रूप में मार्च  2019 तक अपनी परीक्षा के समय तक लेते रहना चाहती है।

 

सोरायसिस 10001...India

एक 30 वर्षीय महिला के हाथों, पाँवों और हथेलियों में लाल रंग के धब्बे पड़े हुये थे, यह समस्या उसे पिछले 10 वर्षों से थी। केवल हथेलियों में खुजली होती थी। इसका निदान सोरायीसस के रूप में किया गया था परन्तु वह किसी भी प्रकार का उपचार नहीं लेती थी।

12 दिसम्बर 2015 को उसने चिकित्सक से संपर्क किया तब उसे निम्न उपचार दिया गया:

#1. CC10.1 Emergencies + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC21.10 Psoriasis...TDS

15 दिनों के बाद खुजली में तो फायदा हुआ परन्तु धब्बों में कोई कमी नहीं आई। एक माह के पश्चात् चिकित्सक ने #1 को नया रूप दिया। इस बार उसने #1 में CC10.1 नहीं मिलाया।

#2. CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC21.10 Psoriasis...TDS

3 माह के पश्चात् उसकी त्वचा सामान्य हो गई थी। खुराक को धीरे-धीरे कम करते हुये OW कर दिया गया। अगस्त 2016 से वह रख रखाव की दृिष्ट से इसी खुराक का सेवन कर रही है। नवम्बर 2018 में जब उसने चिकित्सक से संपर्क किया तो उसकी त्वचा सामान्य थी।

 

 

जीर्ण साइटिका दर्द 11600...India

चिकित्सक की 75-वर्षीय माँ के दाहिने पाँव में दर्द रहता था, विशेषकर घुटनों में, 10 वर्षों से। आवश्यकता पड़ने पर वे दर्द निवारक औषधि का सेवन कर लेती थी। लेकिन इससे उनकी समस्या का समाधान कुछ समय के लिये ही होता था।

AVP  बनने के तुरंत बाद ही चिकित्सक ने उनका उपचार करने का मानस बना लिया तथा 13 अगस्त 2018 को उन्होंने निम्न उपचार दिया:
#1. CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC20.3 Arthritis…TDS

रोगी ने 3 दिन के बाद 30%  और  7 दिन के बाद 50% आराम होने की सूचना दी। वाइब्रो चिकित्सा शुरू करने के पहले ही दर्द निवारक औषधियों का प्रयोग बन्द कर दिया था।

23 अगस्त 2018 को उनके पीठ में और पूरे पाँव में दर्द बढ़ गया था। औषधि  #1 को तुरंत ही बदल दिया गया:

#2. CC3.7 Circulation + CC18.5 Neuralgia + CC20.4 Muscles & Supportive tissues + CC20.5 Spine + CC20.6 Osteoporosis + #1…TDS

26 अगस्त 2018 को रोगी को सर्दी जुकाम की शिकायत शुरू हो गई अतः उनको निम्न औषधियाँ दी गई:
#3. CC9.2 Infections acute + CC19.6 Cough chronic…TDS

अगले 3 दिनों के बाद रोगी को सर्दी जुकाम में 80% का लाभ हो गया तथा दर्द में भी 50% तक का लाभ हो गया था। #2#3 की खुराक को अब OD कर दिया गया। महीने के अन्त तक 12 सितम्बर को रोगी ने पूर्ण आराम की सूचना दी। दोनों औषधियों की खुराक को कम करना शुरू कर दिया गया पहले 3TW फिर 2TW और अंत में OW  दिसम्बर 2018 तक रोगी औषधि को OW  की खुराक में सेवन कर रही थी। तब तक किसी भी समस्या के लक्षण दुबारा प्रकट नहीं हुये थे।  

सम्पादकीय टिप्पणीः सामान्यता खुराक को कम करने की विधि लक्षणों के समाप्त् होने पर ही की जाती है। इस विशेष जीर्ण रोग के उपचार में खुराक में कमी 50%  रोग के लक्षण समाप्त होते ही शुरू कर दी गई, फिर भी 100%  आराम बहुत जल्दी प्राप्त हो गया।

 

विटलो 03572...Gabon

एक 35-वर्षीय महिला के बायें हाथ की रिंगफिंगर में 3 दिन से अत्यधिक दर्द था। ऊंगली के ऊपरी भाग से नाखून तक सूजन भी थी। इसका निदान विटलो के रूप में किया गया था। उसने किसी भी प्रकार का उपचार नहीं लिया था। चिकित्सक से उसने  5 अगस्त 2018 को संपर्क किया था। उससे प्रश्न किया गया था कि क्या पहले भी इस प्रकार की तकलीफ हुई थी तो उसने बतलाया कि लगभग 20 वर्ष पूर्व भी यह तकलीफ हुई थी तथा दर्द भी बहुत अधिक था।

उसको निम्न उपचार दिया गया:

CC18.5 Neuralgia + CC21.11 Wounds & Abrasions... खुराक हर 10 मिनट के बाद 1 से 2 घंटे तक उसके उपरान्त TDS.

एक घंटे के अन्दर ही उसका दर्द 50%  कम हो गया था। अगले घंटे के अन्त तक दर्द लगभग समाप्त हो गया था। रोगी ने सोचा कि रोग समाप्त हो गया है अतः औषधि का सेवन बन्द कर दिया। लेकिन 3 दिन पश्चात् दर्द पुनः उभर गया। अतः उसने औषधि को TDS  के रूप में लेना शुरू कर दिया। उस रात्रि को उसका दर्द समाप्त हो गया। इस डर से कहीं यह फिर न उभर न जाये, उसने औषधि का सेवन TDS  की खुराक में जारी रखा। 2 सप्ताह के बाद खुराक को OD कर दिया गया। अगले 2 सप्ताह बाद उपचार बन्द कर दिया गया। नवम्बर 2018 तक उसको कोई समस्या नहीं थी।

 

सिर की त्वचा पर फंगस, काला जादू, कमजोर याददाश्त 03572...Gabon

चिकित्सक के 9-वर्षीय पुत्र के सिर की त्वचा पर संक्रमण था जो रूसी के समान दिखाई पड़ता था, इसका फैलाव गर्दन तक था (देखें चित्र) .

इसमें कभी-कभी खुजली भी होती थी। जब भी कोई अभिभावक उसके बालों को संवारता था, रूसी के समान सफेद कण गिरने लगते थे। उसकी गर्दन के दाहिनी और पीछे की ओर तथा सिर के ऊपर बड़े-बड़े दाग भी थे। ये सभी लक्षण तीन वर्ष पूर्व शुरू हो गये थे। उसने कई प्रसिद्ध त्वचा विशेषज्ञों से संपर्क किया था। सिर की त्वचा से लिये गये नमूनों से प्रयोगशालाओं में कोई निष्कर्ष नहीं निकला था। कई प्रकार की ऐलोपैथिक औषधियों से भी कोई लाभ नहीं मिला था। बच्चे को स्कूल में मिले गृह कार्य को करने में परेशानी होती थी और उसमें आत्म विश्वास की कमी हो रही थी। इस वजह से यह विचार उत्पन्न हुआ कि जिस स्थान पर बच्चा रहता है वह किसी काले जादू के प्रभाव में है।

3 अगस्त 2018 को ऐलोपैथिक उपचार बन्द कर दिया गया और वाइब्रो उपचार शुरू किया गया तथा निम्न काम्बोज़ दिये गये: #1. CC11.2 Hair problems + CC15.2 Psychiatric disorders + CC21.7 Fungus…TDS नारियल के तेल में इसमें विभूति मिलाकर त्वचा पर लेप करना था:
#2. CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC17.3 Brain & Memory tonic + #1...QDS

3 सप्ताह के बाद सिर की त्वचा पर जमे सफेद कणों में 50% की कमी हुई परन्तु त्वचा के धब्बे अप्रभाविक रहे। अगले दो सप्ताह के बाद 8 सितम्बर 2018 को चिकित्सक ने यह अनुभव किया कि ठीक होने की प्रक्रिया धीमी पड़ गई है अतः उन्होंने औषधियो #1  व #2  को और अधिक शक्तिशाली बनाकर  #3#4  औषधियों बनाई जिनमें निम्न काम्बोज़ का उपयोग किया गया है:
#3. CC11.1 Hair tonic + CC17.2 Cleansing + CC21.2 Skin infections + CC21.3 Skin allergies + #1…TDS बाहरी उपयोग के लिये।

#4. CC17.3 Brain & Memory tonic + #3...QDS

6 सप्ताह के बाद सफेद कण व धब्बे ठीक हो गये थे (देखे चित्र) अब सिर पर खुजली की समस्या भी दूर हो गई थी। उसकी सीखने व याद रखने की शक्ति आश्चर्यजनक रूप से बहुत बढ़ गई थी। अब वह अपना गृहकार्य प्रसन्नता पूर्वक करने लग गया था। औषधि #3  की खुराक को  6 सप्ताह के लिये OD करके उसे बन्द कर दिया गया। औषधि #4  की खुराक को एक माह के लिये TDS  कर दिया गया उसके पश्चात् दो सप्ताह के लिये OD और फिर OW  किया गया। दिसम्बर 2018 तक बालक को दुबारा लक्षण प्रकट नहीं हुये थे।

दुख, सदमा 11389...India

एक 46 वर्षीय घरेलु सहायक ने 27 अप्रैल 2017 को चिकित्सक से संपर्क किया। वह बहुत ही मायूस थी, उसकी 19-वर्षीय पुत्री 3 दिन पहले भाग गई थी। वह बहुत बड़े सदमें की स्थिति में थी, उसके दुख को किसी भी प्रकार से कम नहीं किया जा सकता था, तीव्र सिर दर्द से भी ग्रसित थी, सांस लेने में परेशानी हो रही थी और ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वह उच्च रक्त चाप से भी पीड़ित थी। परन्तु वह अधिक संवेदनशील नहीं थी, वह कोई औषधि नहीं ले रही थी।

उसको निम्न उपचार दिया गया:
#1. CC3.3 High Blood Pressure + CC10.1 Emergencies...6TD

#2. NM6 Calming + SR327 Walnut...6TD

दूसरे दिन ही उसको सिर दर्द और सांस लेने में 70% लाभ हो गया था। चैथे दिन वह पूर्णतया शांत नजर आ रही थी अतः वह अपने काम पर जाने लगी। जैसी ही वह सामान्य स्थिति में आयी खुराक को TDS कर दिया गया तथा 2 सप्ताह बाद उसे OD कर दिया गया। यद्यपि उसका पुत्री से कोई संपर्क नहीं हुआ था परन्तु अब वह सामान्य स्थिति में आ गई थी अतः उपचार को अगले 2 सप्ताह के बाद बन्द कर दिया गया। 6 माह बाद उसे मालूम हुआ कि उसकी पुत्री ने अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ विवाह कर लिया है और वह बिलकुल ठीक है।A

यदि 108CC काम्बो बाक्स का उपयोग किया जाता तो औषधि #2: CC15.1 Mental & Emotional tonic…6TD

 

 

अम्लता, असंयमिता, श्रोणि की सूजन 11601...India

एक  86-वर्षीय महिला कई प्रकार की जीर्ण बीमारियों से ग्रसित थी। पिछले एक वर्ष से वह सीने में जलन और भोजन के पश्चात् डकारें आने से परेशान थी। वह भोजन को आसानी से नहीं खा पाती थी क्योंकि उसके गले में निरंतर जलन होती रहती थी, भोजन नलिका में भी जलन होती थी। अम्लता की अधिकता के कारण रोगी चिकित्सक के पास 25 सितम्बर 2018 को पहुँची। पिछले एक माह से रात्रि के समय उसका बिस्तर भी गीला हो जाता था। दिन में भी उसको अनैच्छिक रूप से मूत्र हो जाता था, पेट के निचले भाग में दर्द भी होता था। इसका निदान UTI के रूप में किया गया था। गुर्दे में भी संक्रमण बताया था जिसके लिये उसने कुछ समय तक ऐलोपैथिक औषधियों का सेवन किया था। चूंकि उसे कोई आराम नहीं मिल रहा था अतः उसने उनका सेवन बंद कर दिया था। उसने यह भी बतलाया कि 46 वर्ष की आयु तक उसे कई बार हृदयाधात हुआ था तब से वह ऐलोपैथिक औषीधियों का सेवन कर रही है।

चिकित्सक ने उसे निम्न उपचार दिया:

#1. CC3.1 Heart tonic + CC3.7 Circulation + CC4.2 Liver & Gallbladder tonic + CC4.10 Indigestion + CC10.1 Emergencies + CC13.1 Kidney & Bladder tonic + CC13.2 Kidney & Bladder infections + CC13.3 Incontinence + CC15.1 Mental & Emotional tonic…हर दस मिनट के अन्तराल पर पूरे दिन और उसके पश्चात् 6TD 

2 दिनों में ही रोगी की सभी समस्यायें जो अम्लता, बिस्तर का गीला करना, असंयमिता, से संबंधित थी, ठीक हो गई। पेट के दर्द में भी 90% की कमी हो गई थी। 4 दिन पश्चात् 1 अक्टूबर 2018 को रोगी को अचानक पेट के निचले भाग में तीव्र दर्द हुआ और उसको हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा। वह 2 सप्ताह तक ICU में रही जहाँ अनेकों प्रकार के टैस्ट किये गये। डॉक्टर्स ने शल्य क्रिया की सलाह दी परन्तु रोगी इसके प्रति इच्छुक नहीं थी। अतः उसको हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई इस सलाह के साथ कि जब कभी भी दर्द हो तो दर्द निवारक औषधि का सेवन कर लेवें। लेकिन इससे कोई आराम नहीं मिलता था। उसने 20 अक्टूबर 2018 को चिकित्सक से फिर संपर्क किया। चिकित्सक को नहीं पता था कि रोगी को क्या औषधि दी जाये अतः उसने स्वामी से मन की गहराईयों से प्रार्थना की। ध्यान की अवस्था में ही उसे निम्न उपचार देने की प्रेरणा प्राप्त हुई जो कि श्रोणि और उससे संबंधित अंगों के लिये थी:

#2. CC4.3 Appendicitis + CC8.4 Ovaries & Uterus + CC8.5 Vagina & Cervix… हर 10 मिनट के अन्तराल पर एक घंटे तक तत्पश्चात् 6TD

2 दिन के अन्दर ही पेट के निचले भाग का दर्द बिलकुल ठीक हो गया। 5 दिन के बाद खुराक को TDS कर दिया। 8 सप्ताह बाद रोगी ने सूचित किया कि दुबारा दर्द नहीं हुआ। खुराक को OD कर दिया गया जिसे एक सप्ताह बाद बन्द कर दिया गया। 30 दिसम्बर 2018 तक रोगी पूर्णतया रोग मुक्त था।

2 दिन पश्चात् चिकित्सक रख रखाव हेतु निम्न उपचार देना चाहता था:

#3. CC3.1 Heart tonic + CC4.10 Indigestion + CC12.1 Adult tonic…TDS, निवारक उपाय के रूप में।

सम्पादकीय टिप्पणीः चिकित्सक ने हृदय और रक्त संचारक कॉम्बो बचाव की दृष्टि से मिलाये थे क्योंकि पहले हृदयाघात हो चुके थे।

 

भ्रम, असंगत भाषण, संस्थाओं द्वारा कब्जा 03572...Gabon

एक 33-वर्षीय युवक को उसकी बहन चिकित्सक के पास 3 अगस्त 2018 को प्रातः 2 बजे ले कर पहुँची। वह युवक भ्रम का शिकार था, असंगत भाषा बोलता था और रात्रि में सो नहीं पाता था। ये सभी समस्यायें उसको गत 2 सप्ताह से थी। उसके चाल-चलन इतने बेतुके थे कि घर का कोई भी सदस्य रात्रि में ठीक से सो नहीं पाता था। इसलिये इस युवक को उपचार के लिये असामान्य समय में लेकर आना पड़ा। घर पर उसके कारण सभी बच्चों में भय व्याप्त था। रोगी के अनुसार उसके दादा जी की आत्मा ने उस पर अधिकार किया हुआ है जो मुझे परिवार के भेदों को उगलवाने के लिये उकसाती रहती है। इसके कारण परिवार के सभी सदस्य नाराज थे।   

वे युवक को कैथोलिक प्रीस्ट के पास ले गये वहाँ उसने बताया कि युवक नकारात्मक प्रवृत्तियों से ग्रस्त है। वहाँ कोई झाड़-फूंक नहीं किया गया। डाक्टर्स ने भी उसकी जाँच की और अवसाद का इलाज लिख दिया, जिसकी युवक ने केवल एक खुराक का सेवन किया था। उसकी इस दयनीय स्थिति को देखकर उसके नियोक्ता ने भी उसे कुछ दिनों के लिये कार्य मुक्त कर दिया था जिससे कि वह अपना उपचार करवा सके।

रोगी को वाइब्रो उपचार पर पूर्ण विश्वास था, इसके अलावा वह कोई अन्य उपचार के लिये सहमत नहीं था। चिकित्सक ने उसे उपचार हेतु निम्न कोम्बोज़ दिये:
#1.CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC15.2 Psychiatric disorders + CC15.6 Sleep disorders... हर दस मिनट के अंतराल पर 1 घंटे तक इसके पश्चात् 6TD

#2. CC15.2 Psychiatric disorders + CC17.2 Cleansing...6TD पानी में मिला कर रोगी के ऊपर छिड़कने के लिये।

उस रात्रि को रोगी आराम से सोया और दूसरे दिन सुबह-सुबह ही उसने यह अच्छी खबर चिकित्सक को दी। उसकी बहिन ने बतलाया कि उस रात भाई के बोलचाल में पहले जितना बेतुकापन नहीं था। दस दिन के बाद वह अपने काम पर लौट गया और उसके अगले दस दिनों में उसके स्वास्थ्य में  70%  तक का लाभ हो गया था। उसके दो दिन बाद उसके सभी लक्षण समाप्त हो गये थे। अगले 2 सप्ताह में खुराक को कम करके OD कर दिया गया। 8 सितम्बर तक उसके अन्दर आत्मा ने भी बोलना बन्द कर दिया था। उपचार को 20 सितम्बर को बन्द कर दिया गया। दिसम्बर 2018 तक उसको किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा। रोगी बिलकुल स्वस्थ्य था।

 

Practitioner Profile

 चिकित्सक11586...भारत  , एक योग्य बैंक कर्मी है। इन्होंने 24 वर्षों तक भारत में कार्य करने के पश्चात् इन्डोनेशिया में 21 वर्षो तक आर्थिक क्षेत्र में वर्ष 2015 तक कार्य किया है। स्वामी की जीवनी ‘सत्यम सुन्दरम’ का अध्ययन करने के पश्चात् वे 1970 में स्वामी के संपर्क में आये। इसके पश्चात् वे संगठन के विभिन्न कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेने लगे। उन्हें अपने कार्य से भारत के विभिन्न भागों और विदेश में भ्रमण करना पड़ा। स्थानीय केन्द्रों पर संपर्क करके उन्होंने सदैव सेवा कार्य करने का अवसर प्राप्त किया। वर्ष 2010 में जब वे इन्डोनेशिया में थे तो उन्होंने सुना कि स्वामी वेदों के उच्चारण से उत्पन्न कंपन की उपचार क्षमता के बारे में बोलते हैं। अति शीघ्र उन्होंने इसे सीखना और अभ्यास करना शुरू कर दिया। 2 वर्षों में ही उन्होंने घर पर ही उसके प्रभाव को अनुभव कर लिया था। उनके घर के सामने रूद्राक्ष का पेड़ जो वर्षों से बाँझापन से ग्रस्त था उसमें फूल आने लगे। कुछ समय पश्चात् उसमें 20000 रूद्राक्ष प्रकट हो गये। भारत में इन स्द्राक्षों को उन्होंने मंदिरों और अपने आस पास के लोगों में वितरण कर दिया।

वर्ष 2013 में उन्होंने डा॰ जीत व श्रीमति हेम अग्रवाल का विडियो देखा जिससे प्रभावित होकर तथा स्वामी के संदेश "भविष्य की औषधि वाइब्रोनिक्स होगी” को ध्यान में रखते हुये उन्होंने इस विद्या को सीखने का निश्चय कर लिया। वे सेवा से  मई वर्ष 2015 में निवृत हो कर भारत लौट आये। जैसे ही उनकी परिस्थितियाँ अनुकूल हुई उन्होंने वर्ष 2016 में प्रशिक्षण हेतु आवेदन कर दिया। e-कोर्स व कार्यशाला प्रशिक्षण तथा आवश्यक परिक्षायें उर्त्तीण करने के बाद मार्च 2017 में AVP बन गये। अक्टूबर 2017 में वे VP  बन गये। परामर्श प्रक्रिया को पूर्ण करने के बाद नवम्बर 2018 में वे SVP बन गये।

चिकित्सक ने इसका अभ्यास सबसे पहले स्वंय पर तथा पहले से पहचान वाले रोगियों से किया। कुछ घरेलु प्रतिबद्धताओं के कारण उन्हें 4 माह के लिये अपने पुत्र के पास USA जाना पड़ा। वहाँ सिख और हिन्दुओं के मन्दिरों में वाइब्रोनिक्स उपचार के बारे में चर्चाये की तथा वहाँ 72 रोगियों का उपचार किया। 2018 के पुर्वाह्न में वह अपने पुत्र के पास 2 माह के लिये जर्मनी गये। वहाँ भी उन्होंने स्थानीय लोगों को इस उपचार के बारे में बतलाया। उनके पुत्र द्वारा जर्मन भाषा में बोलने के कारण भी विचारों के आदान प्रदान में सहयोग मिला फलस्वरूप वहाँ उन्होंने 26 रोगियों का उपचार करने में सफलता प्राप्त की। हर बार विदेश से लौटते वक्त उन्होंने रोगियों से संबन्धित सभी जानकारियाँ वहाँ के स्थानीय चिकित्सकों को बता दी। जिससे कि वे भविष्य में उनका उपचार नियमित रूप से कर सकें।

अभी तक उन्होंने 480 रोगियों का उपचार किया है, उपचारित रोग है – गठिया, कमर दर्द, जीर्ण खांसी, माइग्रेन, अनिद्रा, वैरीकोस वेन्स, स्किन ऐलर्जी और विटिलिगो, जिनमें उन्हें पूर्ण सफलता प्राप्त हुई है। उनका अनुभव है कि किशोरों और व्यस्कों में इन रोगों का कारण भावनात्मक है। CC15.1 Mental & Emotional tonic को उनकी औषधि में मिला देने से आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त हुये हैं। इसी प्रकार 45 वर्ष की आयु से अधिक आयुवाली महिलाओं की औषधि में CC8.6 Menopause के मिला देने से उनको कमर दर्द से मुक्ति मिल गई। एक अन्य हृदय स्पर्शी केस एक 21 वर्षीय गर्भवती महिला का है। वह अपने परिवार के अत्याधिक तनाव पूर्ण वातावरण के कारण बहुत परेशान थी, उसकी पहली संतान मति मंद थी। वह जिस समय चिकित्सक के पास पहुँची थी। वह गर्भपात कराने का निर्णय कर चुकी थी। CC8.2 Pregnancy tonic ने आश्चर्यजनक रूप से उसे लाभ पहुँचाया। उसका मन शांत हो गया और उसने एक स्वस्थ्य शिशु को जन्म दिया इसी प्रकार के 35 वर्षीय गर्भवती महिला के केस में जो काला जादू से प्रभावित थी को CC15.2 Psychiatric disordersके साथ Pregnancy tonic देने से अप्रत्यशिक्षत लाभ प्राप्त हुआ। 3 माह के पश्चात् उसने एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया।

यह चिकित्सक इस चिकित्सा दल के सदस्य हैं जो उन क्षेत्रो में सेवा देते हैं जहाँ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं है। वे रोगियों के साथ फोन से संपर्क करते हैं तथा औषधियाँ डाक से भेजते हैं। पिछले 6 माह में उन्होंने इस प्रकार से 50 से अधिक रोगियों का उपचार किया है। वह औषधि बनाते समय  साईं गायत्री मंत्र का उच्चारण करते रहते हैं इससे उनकी औषधियाँ और अधिक प्रभावी हो जाती हैं। उनके कथनानुसार बहुत से रोगी अपने स्वास्थ्य के प्रति बहुत उदासीन होते हैं। उपचार से उनको फायदा होने पर भी वे उपचार को बीच में ही छोड़ देते हैं। ऐसे मामलों में वे उन रोगियों के लिये प्रार्थना भी करते हैं। उन्होंने अपनी मातृभूमि को भी वाइब्रेशन देना शुरू कर दिया है, सप्ताह में एक बार।

वह प्रशासकीय कार्य जैसे कि तमिलनाडू के चिकित्सकों का डेटाबेस अपलोड करने में सहयोग देते हैं, उनकी मासिक रिपोर्टो को भी अपलोड करते हैं। वह चेन्नई के साई केन्द्रों पर वात्र्ताओं का आयोजन करते हैं जिससे कि लोगों में जागरूकता बढ़े। इससे लोगों में चिकित्सक बनने की इच्छा जागृत होगी। वह हर संभव प्रयास करते हैं जिससे कि उनके पहचान के व्यक्तियों और मित्रों में वाइब्रेनिक्स सीखने के प्रति उत्साह जागृत हो सके।

वाइब्रोनिक्स का अभ्यास करने के पश्चात् उनके जीवन का उद्देश्य ही बदल गया है। यह उनकी प्रतिबद्धता है कि इसके द्वारा अपने प्रेम को दिन प्रतिदिन कार्यों में परिणित कर सके और स्वामी के इस सन्देश को ‘मानव सेवा ही माधव सेवा है तथा सब से प्रेम करो सब की सेवा करो’ को पूर्ण रूप से साकार कर सकें। वह प्रतिदिन प्रातःकाल की बेला में स्वामी से प्रार्थना करते हैं कि विश्व के समस्त चिकित्सकों पर वह अपने अनुग्रह की वर्षा करते रहें जिससे कि वे शुद्ध प्रेम का चैनल बन सके और जरूरत मंदों की प्रेमयुक्त भाव से सेवा करते रहें।

अनुसरण योग्य उपचार:

Practitioner Profile

Practitioner 10001...India, a graduate in economics with a diploma in labour laws, worked in Mumbai for three years. After marriage she quit her job and started assisting her husband, a lawyer in the field of labour and industry in Pune. She came into Swami’s fold in 1997 after reading “Man of Miracles” by Howard Murphet. Soon she involved herself in seva activities of Sai organization during weekends and holidays.

The practitioner had no idea about vibrionics till she attended the first workshop held in Mumbai in 2007. She had been persuaded by one of the devotees to join. She became the first practitioner of Pune. On the same day, she had to rush to the hospital to see her young nephews who had met with an accident. All the family members were in a state of shock. Her practice began from there. She immediately gave the remedy CC10.1 Emergencies + CC15.1 Mental & Emotional tonic to all the close members of the family. Her faith in vibrionics got established with their encouraging feedback about the effect of the remedy. Within six months she became a VP.

She had special regard for doctors since childhood as she saw them serving patients! Now vibrionics had opened the doors for her to serve selflessly as indeed was her desire. She qualified as SVP in April 2014 after braving cancer in 2012. She took allopathic treatment for a brief period to go through surgery and chemotherapy. After that, she was on vibrionics remedies. 

As a balvikas guru, she used to visit nearby slums to hold classes for the underprivileged. There she started giving remedies to children for memory. The response was awesome. Within a few weeks they could remember their lessons better and started getting good marks in examination. They would not visit doctors for any health problem saying that they had taken medicine from her. Very soon their parents,  grandparents, and neighbours started coming for remedies. Most of them were working as maids and their spouses were running rickshaws. Many of them were addicted to tobacco. Remedies helped 6 women to stop chewing tobacco within 4 months. One alcoholic got rid of his habit within a month. Vibrionics remedy helped those who were keen to kick the habit.  

She treats patients in camps regularly in nearby villages. She has treated more than 9500 patients so far. The illnesses treated successfully are acidity, stomach ulcer, common cold, women and teenage related problems, skin allergies and infections, addictions, and chronic depression. She has also successfully treated patients with allergies from sun, wheat, sugar and jaggery by potentising the allergen. She feels utmost satisfaction when she sees patients getting cured of their chronic ailments.

The practitioner has played an important role in encouraging practitioners in Pune and Nagpur to restart their practice. She helped her teacher and mentor in holding Refresher workshops for them in both the places. The participants were initially hesitant as they could not easily understand English so she gave support by explaining in Marathi. She played a key role in reviewing the translation of the JVP manual and 108CC book from English to Marathi and in printing the manual. She is known in Pune for the humility and love with which she does seva.

She is full of gratitude to Swami for making her a humble instrument to live His message of “Love all and Serve all”. She says that her life has been transformed after becoming a practitioner as she stopped working for worldly benefits and immersed herself wholly in Sai seva. It has helped her to evolve spiritually and become more loving. She feels every household should inspire a member of the family to become a practitioner to be happy in life and to spread happiness!

Cases to share:

प्रश्नोत्तर

1. प्रश्नः यदि मेरी जीवन शैली चिकित्सक के रूप में आदर्श नहीं है और मैं उसका अनुकरण नहीं कर सकता हूँ और मैं उसे रूपांतरण करने में असमर्थ हूँ तो मैं अपने आपको किस प्रकार बदलूँ कि मैं अपने रोगियों के लिये प्रेरणा स्त्रोत बन सकूँ?

   उत्तरः सांसारिक तौर पर कोई भी व्यक्ति दोषहीन नहीं है। लेकिन हमारी दैवीय शक्ति निर्दोष है (इसीलिये स्वामी कहते हैं कि हर व्यक्ति प्रेमावतारहै)। अतः अपने मन को परिवर्तित करो, संकल्प करो और उसका पालन करो। तुम्हें अपना रास्ता मिल जायेगा। ऐसा करने के लिये तुम्हें ईश्वर ने शक्ति प्रदान की है। प्रयासों को ईश्वर सफलता प्रदान करते हैं। परिवर्तन के आनन्द का अनुभव करो। यदि इच्छा बलवती नहीं होगी, यदि परिस्थितियों के सम्मुख तुम झुक जाओगे तो हृदय की गहराई के साथ प्रार्थना करो। यदि आवश्यकता हो तो अपने मित्र या जिस पर तुम्हें विश्वास है उससे चिकित्सक से परामर्श करो और उपयुक्त औषधि शुद्धिकरण के लिये सेवन करो।

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2. प्रश्नः क्या मैं अपने रोगी को पहली खुराक पिल्स के बजाये पानी में दूँ?

   उत्तरः हाँ, यदि समय और परिस्थिति अनुकूल हो। यह एक अच्छा विकल्प है कि प्रथम खुराक पानी में दी जाये। जैसी हम उम्मीद करते हैं कि रोगी औषधि को पानी में ले, यह उसको उस विधि को समझाने में मदद करेगी कि औषधि को पानी में किस प्रकार से लेना है। यह रोगी को घर पर औषधि को पानी में लेने के लिये प्रोत्साहित करेगा। अन्यथा अधिकत्तर रोगी औषधि को जीभ के नीचे रखने में आसानी का अनुभव करते हैं, वह यह भूल जाते हैं कि औषधि पानी में अधिक प्रभावी होती है। यदि तुम्हारे पास बर्तन अतिरिक्त है तो बचे हुये पानी के बर्तन को रोगी को दे देवें। यदि नहीं है तो बचे हुये पानी को पौधों में डाल दें। तुम अपने रोगियों से खाली बॉटल साथ में लाने के लिये कहें।

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3. प्रश्नः क्या यह पेशेवर व उपयुक्त होगा कि रोगी के पास संपर्क करने से पूर्व एक फार्म भेज दिया जाये जिसमें उसके रोग से संबंधित सभी जानकारियाँ प्राप्त हो सकें?

   उत्तरः हाँ, तुम ऐसा कर सकते हो परन्तु इसके पहले तुम्हें रोगी से यह मालूम करना होगा कि ऐसा करने में रोगी को अच्छा लगेगा और वास्तव में फार्म को पूर्णतया भर कर आपके पास प्रेषित करेगा? उसको यह भी समझायें कि फार्म भरने से पहले उसे सोचना पड़ेगा कि उसे क्या-क्या लक्षण है, कब से हैं, घर में आराम है? अपने फार्म को इस तरह का बनायें कि पहली बार में अति संवेदनशील बातों का वर्णन न आये। उसी प्रकार तुम भी सावधानियों को लिखित में दे सकते हो, बातचीत के द्वारा भी सावधानियाँ बताना आवश्यक है। इस प्रकार का नोटिस तुम अपने क्लिनिक या उस स्थान पर जहाँ तुम रोगियों को देखते हो, लगा सकते हो।

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4. प्रश्नः हम रेमेडीज़ को प्लास्टिक की बोतलों में में देते हैं। इस समय पूरे विश्व में एक अभियान चल रहा है प्लास्टिक को न कहो। यह प्लास्टिक कितने समय तक औषधि को नुकसान नहीं पहुँचायेगा या फिर हम कितने समय तक इन बोतलों का उपयोग कर सकते हैं?

   उत्तरः  तुम सच कह रहे हो कि प्लास्टिक का उपयोग नहीं करना चाहिये। यह अभियान निम्न स्तर के प्लास्टिक के लिये हैं जिसका दुबारा उपयोग नहीं किया जा सकता है और वातावरण में प्रदूषण के स्तर को बढ़ा देते हैं। हम काँच की बोतलों का उपयोग कर सकते हैं। परन्तु वे न केवल महँगी होती हैं बल्कि अव्यवहारिक भी है। वह आसानी से टूट जाती है और उनके टुकड़े पिल्स में मिल सकते हैं। हम धातु की बोतलों का भी उपयोग नहीं कर सकते हैं, इनमें वाइब्रेशन बिगड़ जायेंगे। व्यवहारिक दृष्टि से ही हम प्लास्टिक बोतलों का उपयोग करते हैं, जिन्हें होम्योपैथिक की प्रतिष्ठित दुकान से प्राप्त किया जाता है। घर पर रेमेडी को पानी में बना कर काँच के बर्तन में रखा जा सकता है। एक बार इस्तेमाल की हुई प्लास्टिक बोतल को दुबारा उपयोग में नहीं लाना चाहिये। फूड ग्रेड प्लास्टिक बोतलों को उपयोग में लाया जा सकता है। प्लास्टिक बोतलों का उपयोग अधिक व्यवहारिक है न कि विकल्प।

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5. प्रश्नः रोगियों को नाराज़ किये बिना मांसाहार को त्यागने के लिये किस प्रकार कहा जाये?        

   उत्तरः  जब तक हम रोगी के बारे में अच्छी तरह से जानते नहीं है या हमारे संबंध उसके साथ प्रगाढ़ नहीं हैं तब तक हमें इस विषय पर संक्षेप में ही बात करनी चाहिये। एक बार रोगी को वाइब्रोनिक्स के लाभों के बारे में पूर्ण जानकारी मिल जाये तो उसका तुम्हारे प्रति विश्वास बढ़ जायेगा और तुम जो भी कहोगे उसको अपनाने की इच्छा जाग्रत हो जावेगी। आपसी वार्तालाप संवेदनशीलता के साथ होना चाहिये। बाबा के भक्तों को अधिक आसानी से विश्वास दिलाया जा सकता है। स्वामी के द्वारा दिये गये संदेशो को जो स्वास्थ्य और भोजन पर दिये गये हैं, उनके बारे में लिंक दे सकते हो। ईश्वर ने मनुष्य की रचना इस प्रकार से की है कि हम एक लम्बा जीवन जी सकते हैं और स्वस्थ भी रह सकते हैं यदि हम प्राकृतिक तरीके से जीवन यापन करें, शाकाहारी भोजन करके और जहाँ तक संभव हो सके कच्चा भोजन करके।

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6. प्रश्नः कुत्ते द्वारा काटने पर क्या हम व्यक्ति को CC1.1 Animal tonic दे सकते हैं?

   उत्तरः CC10.1 Emergencies सबसे उपयुक्त रेमेडी है, इसमें सभी उचित और चोटों के अनुरूप कार्डस होते हैं। सदमा, टेटेनस और दैवीय संरक्षण के अलावा भी अन्य कार्डस होते हैं। CC1.1 Animal tonic के मिलाने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह ऐनिमल के स्वास्थ्य को बढ़ाने वाला है तथा उनके कीड़ों और रैबीज़ का उपचार करने वाला है। यदि दुर्भाग्यवश CC10.1 उपलब्ध न हो तो CC1.1 से मदद मिल जायेगी।

 

दैवीय चिकित्सक का संदेश

भगवान को ध्यान में रखते हुये अच्छे विचार और बातें भी स्वास्थ्य को अच्छा रखती हैं। अपनी आँखों, कानों, जीभ, हाथों और पाँवो को संयम में रखो। हतोत्साहित या उत्तेजित करने वाले साहित्य को मत पढ़ों, फिल्मों को न देखो ये मन को थकाने या उत्तेजित करने वाली होती है। अपने आत्म विश्वास को मत त्यागो, आप दिव्य हैं जो शरीर रूपी खोल में बन्द हैं। संतोष ही सबसे बड़ा शक्ति प्रदाता है, अपने ऊपर लालच की बीमारी को हावी मत होने दो, शक्ति के लिये संतोष रूपी टॉनिक का उपयोग करो, भविष्य में लालच के प्रति आकर्षित मत होना। जीवन रूपी सागर को पार करने के लिये इस शरीर को नाव की भाँति उपयोग करो, भक्ति और अनासक्ति रूपी पतवारों के सहारे से।’’    

... Sathya Sai Baba, “Seaworthy boat » Discourse 12 October 1968    http://www.sssbpt.info/ssspeaks/volume09/sss09-21.pdf

जब हम सेवा कार्य करते हैं, उस समय मात्र अपनी आत्म संतुष्टि की भावना को अपेक्षा सेवा ग्रहण करने वाले की संतुष्टि की भावना होनी चाहिये, यही सेवा सर्वश्रेष्ठ होती है। तुम्हें अपने द्वारा किये कार्यों पर ध्यान देने की आवश्यकता है, कहीं यह दूसरों के लिये असुविधाजनक तो नहीं है। केवल मनुष्यों की सेवा करना ही सेवा नहीं है। जब भी आवश्यकता उत्पन्न हो हमें सभी जीवों की सेवा करनी चाहिये। तुम्हें इस सत्य को स्वीकार करना होगा कि सभी में ईश्वर व्याप्त है। जब यह पवित्र विचार तुम्हारे मन में स्थिर हो जाता है तब की गई सेवा भी पवित्र हो जाती है। बिना इस धारणा और विश्वास से की गई सेवा मात्र अपनी प्रसिद्धि के लिये ही होती है, यह तुम्हारे जीवन को पवित्र नहीं बनाती है।’’

... Sathya Sai Baba, “The Yoga of Selfless Service” Discourse 16November1975       http://media.radiosai.org/journals/vol_13/01AUG15/Sathya-Sai-Speaks-on-The-Yoga-of-Selfless-Service.htm

 

उद्धघोषणाये

आगामी कार्यशालायें

  • भारत Mumbai (DK): रफ्रेशर सेमिनार 9 फरवरी 2019, संपर्कः Satish Ramaswamy at [email protected] or by telephone at 9869-016 624
  • भारत पुट्टपर्थीः AVP कार्यशाला 6-10 मार्च 2019, संपर्कः Lalitha at [email protected] or by telephone at 8500-676 092
  • फ्रांस Dordogne: SVP कार्यशाला &  रफ्रेशर सेमिनार 16-20 March 2019, संपर्कः Danielle at [email protected]
  • यू.एस.ए. Richmond VA: AVP कार्यशाला 5-7 एप्रिल 2019, संपर्कः Susan at [email protected]
  • भारत पुट्टपर्थीः  AVP कार्यशाला जुलाई 17-21 जुलाई 2019, संपर्कः Lalitha at [email protected] or by telephone at 8500-676 092
  • भारत पुट्टपर्थीः AVP कार्यशाला 18-22 नवम्बर 2019, संपर्कः Lalitha at [email protected] or by telephone at 8500-676-092
  • भारत पुट्टपर्थीः SVP कार्यशाला  24-28 नवम्बर 2019, संपर्कः Hem at [email protected]

अतिरिक्त

1. स्वास्थ्य सुझाव

तन्दुरूस्ती एवं प्रसन्नता के लिये व्यायाम

‘‘स्वस्थ्य दिमाग के लिये मनुष्य को अच्छे स्वास्थ्य की आवश्यकता होती है, जिसमें अच्छे विचार भरे हों।

इस बात को स्वीकार कर लेना चाहिये कि खेलों और संगीत को इस प्रकार परिकल्पित किया गया है कि वे मनुष्य को प्रसन्नता और अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करने वाले होते हैं, लेकिन शारीरिक स्वास्थ्य ही काफी नहीं होता है। मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही आवश्यक होता है। ये दोनो स्थूल शरीर से संबंधित हैं परन्तु इनके अलावा हर व्यक्ति में एक सूक्ष्म शरीर भी होता है। हमें इस सूक्ष्म शरीर को भी भली भांति ध्यान रखना आवश्यक है। इस हेतु हमें आध्यात्मिक व्यायाम करने की आवश्यकता होती है जो हमें दिव्यता का अनुभव कराती है।1’’

1. व्यायाम क्या है?

व्यायाम एक भौतिक कार्य है जो हमारी दैनिक सक्रियता की अपेक्षा अधिक तीव्र और चुनौती पूर्ण होता है।2

2. व्यायाम की आवश्यकता क्यों?

इसका उद्देश्य है, शारीरिक रूप से चुस्त, मानसिक रूप से ताज़गी और फुर्तीला, मनोरंजक, प्रसन्न रहने वाला और स्वंय के साथ सामंजस्य बनाये रखने वाला होना है। इसका आयु, लिंग या शारीरिक गतिविधि से कोई संबंध नहीं है।3,4,5

3. व्यायाम से अनेको लाभ है!  

  • कोई भी व्यायाम जो पर्याप्त तीव्रता के साथ निश्चित समय तक निरंतरता के साथ किया जाता है वह शारीरिक भार, शरीर की चर्बी की प्रतिशतता, हृदय की सहनशीलता एवं शक्ति पर प्रभाव डालता है। व्यायाम से कैलोरी का क्षय होता और भार में कमी होती है। यह मस्तिष्क के रसायनों को उत्तेजित करता है और संज्ञानात्मक कार्यों और मूड़ को उन्नत करता है। यह रूधिर और टिश्यूज में ऑक्सीज़न की बढ़ोत्तरी करता है, पेशियों को शक्तिशाली बनाता है, हृदय और श्वसन तंत्र को सशक्त करता है और शारीरिक क्षमता में बढ़ोतरी करता है। मस्तिष्क में ऐन्डोरफिन्स का स्तर बढ़ने से चिंता और अवसाद को दूर करता है, मूड को अच्छा कर देता है, और अच्छा महसूस करने लगते हैं।3,4,5,6
  • यदि शारीरिक क्रियायें परिवार और मित्रों के साथ की जाती हैं तो वह मनोरंजक होती है और अच्छी निद्रा में सहायक होती हैं। जो महिलायें नियमित रूप से व्यायाम करती हैं उनको गर्भधारण के दौरान तथा बच्चे को जन्म देने के पश्चात् उनको किसी भी प्रकार की उलझनों का सामना नहीं करना पड़ता है।3-5 6 वर्ष की आयु से बड़े बच्चों और किशोरों को व्यायाम से उतना ही लाभ मिलता है जितना कि व्यस्क लोगों की मिलता है।7 व्यायाम करने से जो व्यक्ति बिस्तर तक ही सीमित हो जाते हैं, उनकी उलझने भी कम हो जाती हैं तथा वे जल्दी स्वस्थ हो जाते हैं। व्यायाम से उन लोगों को भी फायदा होता है जो ICU में होते हैं, वे जल्दी स्वस्थ्य होकर शक्तिशाली और प्रसन्न हो जाते हैं।8,9  अपंग व्यक्ति अपनी सामर्थ्य के अनुसार व्यायाम करें तो वे अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं।10
  • व्यायाम से बहुत समस्याओं और बिमारियों से बचाव व उनसे सबंधित व्यवस्था कर सकते हैं, विशेषकर हृदय संबंधी विकार, हृदयाघात, उपापचयी लक्षण, उच्च रक्त चाप, विभिन्न प्रकार के कैन्सर, गठिया एवं दुर्घटनायें। इससे जोड़ों में दर्द और सूजन कम हो जाती है।3-5
  • मघुमेह के प्रबंधन में व्यायाम मील के पत्थर के समान है। व्यायाम करते रहने से मधुमेह का रोग जल्दी नहीं होता है, यह रक्त शर्करा का नियंत्रण करता है तथा मधुमेह से होने वाली जटिलताओं को नहीं होने देता है। कुछ मामलों में व्यायाम और खानपान पर नियंत्रण करने से, बिना औषधियों के, मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है।6
  • अनुसंधानों से यह भी मालुम हुआ है कि व्यायाम करने से बुढ़ापा जल्दी नहीं आता है और कोषीय स्तर बढ़ती उम्र के प्रभाव में कमी होती है।11 हर व्यक्ति को नियमित रूप से निरंतर व्यायाम करते रहने से आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त होते हैं।

4.  पैदल चलना सभी व्यायामों से सरल है!

  • पैदल चलना तालबद्ध, गतिशील और ऐरोबिक (ऑक्सीज़न जीवी) क्रिया है बड़ी कंकालीय मांसपेशियों के लिये, यह आसान और सुरक्षित है। दुर्घटना की आशंका भी बहुत कम होती है। इसमें किसी भी प्रकार का बंधन नहीं होता है और हर आयु वर्ग के लिये उपयोगी है। हर कोई अपनी सामर्थ्य के अनुसार कितनी भी तीव्रता के साथ, बिना हाँफे हुये, चल सकता है।12-13
  • तेज चलना व्यायाम के समान माना गया है, 1989 के ऐतिहासिक निर्णय के अनुसार, कूपर इंस्टीच्यूट ने 13000 व्यक्तियों, पुरूष और महिलाओं, पर अमेरिका में 8 वर्ष तक अध्ययन किया है।14 इससे यह पता चला है कि तेज़ चलना, दौड़ने के सामान हैं जो तनाव, कोलेस्ट्रोल और मधुमेह को कम करता है।4
  • बहुत समय पहले से ही पैदल चलने को औषधि माना जाता रहा है।11 आराम से चलने से मूड ठीक होता है, मानसिक अवस्था में भी सुधार हो जाता है। अनुसंधानो से यह भी मालूम हुआ है कि प्रतिदिन 4000 कदम चलने से वृद्ध व्यक्तियों में संज्ञानात्मक क्रियाओं में वृद्धि होती है।15 प्रातःकाल में ताजी हवा में विचार मग्न होकर घूमना भी एक प्रकार का धीमा व्यायाम है और दिन की शुरूआत करने का शानदार तरीका है। प्रातःकाल खाली पेट नंगे पांव घूमना सबसे अच्छा होता है।
  • भारत में 8 के अनन्त आकार में घूमना एक पुरानी पद्धति है इससे हम स्वस्थ्य रहते हैं और रोगों से भी मुक्त रहते है। 8 के आकार को बनाने के लिये दो गोले जो 6 फीट के व्यास के हों तथा उत्तर-दक्षिण दिशा में हो, को जोड़ दिया जाये। घूमने के लिये यह आकार खुले स्थान पर बनाया जा सकता है। स्वास्थ्य देखभाल  करने वाले अध्यापक और चिकित्सक अनन्तता के पथ पर चलने के लिये पूरे विश्व में इस पद्धति का अनुसरण करने के लिये आग्रह करते हैं क्योंकि इससे व्यक्ति में कौशल का विकास होता हैं।16-20

5. उपयुक्त व्यायाम का चुनाव

  • एक स्वस्थ्य व्यक्ति,एक मध्यम प्रकार की ऐरोबिक क्रियायें जैसे कि तेज़ चलना, दौड़ना, जोगिंग, रस्सी कूदना, साइकिल चलाना, नाचना, बागबानी करना या कोई खेल कर सकता है और करना चाहिये । यह प्रति दिन 20 से  25 मिनट तक करनी चाहिये। या फिर 10 मिनट की जोरदार ऐरोबिक्स जैसे कि वज़न उठाना या शरीर के वजन का व्यायाम, गुरूत्वाकर्षण बल के विपरीत अपने वजन का उपयोग करना।21 यह दोनो प्रकार का इष्टतम संयोजन हो सकता है (मध्यम और तीव्र) अपनी सामर्थ और व्यवसाय के अनुरूप तथा अपने शरीर की क्षमतानुसार।3-5
  • मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों को मध्यम प्रकार के व्यायाम करने की सलाह दी जाती है प्रतिदिन आधा घंटे से एक घंटे तक।6 बच्चे और किशोरों को भी व्यायाम करना या खेलना चाहिये जो मध्यम से तीव्र गति वाला हो सकता है। यह शारीरिक क्षमता को चुनौती देने वाला होना चाहिये। इस दौरान उन्हें जल्दी-जल्दी सांस लेने रहना चाहिये जिससे कि उनका हृदय तंत्र और कंकाल तंत्र और मजबूत बन सके। प्रति दिन यह एक घंटे तक करना चाहिये, छोटे-छोटे टुकड़ों में या एक साथ।7
  • खींचना, यद्यपि यह बहुत आसान क्रिया है, फिर भी यह एक प्रकार  का व्यायाम है, यह उन लोगों के लिये उपयुक्त है जो व्यायाम के लिये समय नहीं निकाल पाते है या फिर अधिक देर तक बैठ कर काम नहीं कर पाते हैं। इस व्यायाम से शरीर में लचीलापन आता है, पोस्चर में सुधार होता है, तनाव तथा दर्द में कमी होती है। यह दिन में कई बार किया जा सकता है, थोड़े-थोड़े अन्तराल पर अपनी दिनचर्या के अनुसार, यहाँ तक कि किसी दिन व्यायाम नहीं किया गया हो। यह शरीर को पूरे दिन आराम देने वाला तथा चुस्त बनाने वाला है।
  • यह अन्य व्यायामों के साथ भी किया जा सकता है, यह प्रतिदिन किये जाने वाले व्यायामों का एक अभिन्न अंग है।  अन्य व्यायामों को करने के पूर्व इसे 3 से 5  मिनिट तक गतिशीलता पूर्वक करने से मांसपेशियाँ व्यायाम के लिये तैयार हो जाती हैं। गतिशीलता पूर्वक व्यायाम करना बहुत आसान होता है, हाथों और पाँवों को हिलाने से मांसपेशियाँ खिंच जाती हैं। इसको अंत में नहीं करना चाहिये। अंत में तो 3 से 5  मिनट तक इसे स्थिर अवस्था में करना चाहिये, प्रत्येक व्यायाम को आधा मिनट तक करना चाहिये। ऐसा माना जाता है कि इनको करने से चोट से बचाव होता है, मांसपेशियों की पीड़ा से बचा जा सकता है, चलने फिरने में सुधार होता है। यह किसी के मार्ग दर्शन में किया जाना चाहिये, योग आसान के अन्तर्गत आते हैं-मुद्रायें, खींचना तथा श्वसन की तकनीक जो शरीर, मन, आत्मा में एकता स्थापित करती है।21
  • व्यायाम कितना करना चाहिये यह व्यक्ति पर निर्भर करता है, जो किसी के लिये कम है वह दूसरे के लिये अधिक हो सकता है। अच्छा यही होगा कि उस व्यायाम का चुनाव करो जिसे करते समय खुशी मिले और नित्य किया जा सके। प्रारंभ में इसे धीरे-धीरे और कोमलता के साथ करना चाहिये और इसकी तीव्रता को धीरे-धीरे ही बढ़ाना चाहिये, समय और बारम्बारता को भी धीरे-धीरे ही बढ़ाना चाहिये। जब शरीर वर्तमान व्यायाम के प्रति अनुकूल हो जाये तो तुम अधिक चुनौती पूर्ण व्यायाम का चयन कर सकते हो, इससे तुम्हारी दिलचस्पी बढ़ेगी और आनन्द उठा सकोगे। इसके लिये तुम्हें किसी फिटनेस एक्सपर्ट से सलाह ले लेनी चाहिये। जिन लोगों को कोई स्वास्थ्य संबंधी बिमारी हो तो उन्हें व्यायाम शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह मशविरा कर लेना चाहिये।2-6
  • खुली ताजी हवा में व्यायाम करना चाहिये जहाँ माँ पृथ्वी और प्रकृति की सुन्दरता तुम्हारे स्तर को उन्नत बना देगी। शरीर और श्वास का ध्यान रखते हुये सावधानी पूर्वक व्यायाम करने से आन्तरिक ऊर्जा में रूपांतरित हो जाती है।1,22-25

6. व्यायाम के मार्ग में बाधाओं को पार करना

हो सकता है कि जिम जाने के लिये सामर्थ्य और सुविधायें उपलब्ध न हो या फिर समय और स्थान का अभाव हो जिससे कि नियमित रूप से व्यायाम किया जा सके। आलसीपन और रूचि का आभाव भी कारण हो सकता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। कुछ भी न करने की अपेक्षा कुछ करना बेहतर होता है। दिन भर सक्रिय रह कर भी हम व्यायाम के लाभों के बीज बो सकते है। उदाहराणार्थ ऐलीवेटर के स्थान पर सीढ़ियों का उपयोग करना, वाहन के बजाये पैदल चलना, घर के कार्यों को करने के लिये मशीनों का उपयोग न करके स्वंय के हाथों से करें, आदि। निरंतरता और सामंजस्यता पूर्वक उत्साह के साथ करना ही इसकी कुंजी है।3-6,26

7. व्यायाम में सावधानियों हेतु सुझाव

  • व्यायाम शुरू करने से पूर्व व्यक्ति को अच्छी तरह से जल का सेवन कर लेना चाहिये।26,27 एक सामान्य गल्ती जो कि की जाती है वह है मांसपेशियों को खींचने से पहले हम उसके लिये तैयारी नहीं करते हैं। बीमार होने पर व्यायाम न करना अच्छी बात है हमें सामर्थ्य से अधिक व्यायाम नहीं करना चाहिये।21
  • जब मांसपेशियों तनाव में हो, जोड़ों में तनाव हो, या फिर हड्डी टूट गई हो तब व्यायाम नहीं करना चाहिये। शरीर के स्वस्थ होने पर ही व्यायाम करना चाहिये। बीमार होने पर भी व्यायाम न करना अच्छी बात है। रक्त में अधिक शर्करा होने या उच्च रक्त चाप होने पर भी व्यायाम नहीं करना चाहिये।6,21
  • दैनिक रूप से व्यायाम शुरू करने से पहले हृदय तनाव परीक्षण करवा लेना चाहिये जिसमें तीव्र ऐरोबिक व्यायाम भी शामिल हो।2-6

चिकित्सक 108CC या SRHVP मशीन की मदद से उपयुक्त रेमेडी बना सकते हैं जो रक्त संचार तंत्र और कंकाल तंत्र को शक्ति प्रदान करें, क्लीसिंग और इमरजैन्सी कॉम्बोज़ भी परेशानी मुक्त व्यायाम में सहायक हैं।

References and Links:

  1. Sathya Sai Baba, The Journey from Physical Fitness to Mental Health, Source: Only God is your true friend, Discourse 6, My dear students, Volume 2 --https://sathyasaiwithstudents.blogspot.com/2014/01/the-journey-from-physical-fitness-to.html#.XBaQ-S2B3WU
  2. What is exercise: https://www.weightlossresources.co.uk/exercise/questions-answers/what-is-exercise.htm
  3. Benefits of exercise: https://www.mayoclinic.org/healthy-lifestyle/fitness/in-depth/exercise/art-20048389
  4. Benefits: https://www.medicalnewstoday.com/articles/153390.php
  5. Benefits: https://www.healthline.com/nutrition/10-benefits-of-exercise
  6. Importance of exercise: https://drmohans.com/exercise-for-diabetes/
  7. Exercise good for children and teenagers: https://www.uofmhealth.org/health-library/aba5595
  8. https://www.news-medical.net/news/20090922/Mild-exercises-for-the-bed-bound-patients-helps-to-combat-muscle-wasting.aspx
  9. https://care24.co.in/blog/exercises-for-bedridden-patients
  10. https://www.allterrainmedical.com/benefits-of-exercise-for-persons-with-disabilities-new/
  11. https://www.psychologytoday.com/intl/blog/the-athletes-way/201703/mayo-clinic-study-identifies-how-exercise-staves-old-age
  12. Walk for health: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/9181668
  13. Walk for fitness: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3490463/
  14. https://www.webmd.com/fitness-exercise/features/is-walking-enough#3
  15. https://www.medicalnewstoday.com/articles/317451.php
  16. Figure 8 walk – an ancient practice https://www.youtube.com/watch?v=N0hALqks-kA
  17. Infinity walking in 8 shape https://www.youtube.com/watch?v=pjKQeVFJVvk
  18. http://www.infinitywalk.org
  19. http://www.infinitywalk.org/medical_professionals.htm
  20. https://www.practo.com/healthfeed/8-walking-a-simple-alternative-daily-routine-33100/post
  21. Body weight Exercises: https://www.youtube.com/watch?v=VkBxPdqczzo
  22. Stretching: https://www.healthline.com/health/benefits-of-stretching
  23. https://seattleyoganews.com/insight-health-habits-sadhguru/
  24. Thich Nhat Hanh, How to Walk, Parallax Press, California, 2015 edition
  25. Eckhart Tolle, The Power of Now – A Guide to Spiritual Enlightenment, 2001 edition, page 92-111
  26. Barriers to exercise: https://www.mayoclinic.org/healthy-lifestyle/fitness/in-depth/fitness/art-20045099
  27. https://www.bupa.co.uk/health-information/exercise-fitness/hydration-exercise
  28. https://isha.sadhguru.org/in/en/wisdom/article/shouldnt-drink-water-during-yoga

 

2. पुट्टपर्थी, भारत, में तीन कार्यशालायें, नवम्बर 2019

 हमेशा की भांति नवम्बर माह AVPs और SVP की कार्यशालाओं के जोश से भरा हुआ था। इन कार्यशालाओं के साथ ही एक दो दिवसीय अतिरिक्त कार्यशाला 17 VPs तथा केरला, कर्नाटक के 2 AVPs के लिये भी आयोजित की गई थी। इनका आयोजन दो वरिष्ठ अध्यापकों10375&11422 ने किया। जोश से भरे इन कार्यक्रमों को डाॅ॰ जीत अग्रवाल और हेम अग्रवाल के प्रेरणादायक प्रवचनों ने और अधिक जोशीला बना दिया। डाॅ॰ अग्रवाल ने वाइब्रोनिक्स के जन्म और उसकी वत्र्तमान स्थिति पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बतलाया कि स्वामी ने किस प्रकार उनके हर कदम पर मार्गदर्शन किया जिससे कि वह आज इस स्थिति तक पहुँच गये है। उन्होंने इस बात पर भी विशेष जोर दिया कि किस प्रकार से चिकित्सकों ने पूर्ण समर्पण की भावना से उनको मिले इस अवसर को पूर्ण निष्ठा के साथ निभाया है। उन्होंने रोगी के पूर्ण विवरण  को किस प्रकार रखा जाये। जिससे कि उससे संबंधित सभी जानकारियाँ आसानी से मिल जायें, के बारे में भी मार्ग दर्शन किया।

कुछ दिनों के गहन प्रशिक्षण के बाद AVPs और SVPs ने आवश्यक योग्यता प्राप्त कर ली। उराग्वे के एक अभ्यार्थी ने skype और WhatsApp के माध्यम से इस प्रशिक्षण में भाग लिया (e-मेल के माध्यम से परीक्षा भी), उसको ऐसा इसलिये करना पड़ा कि उसके पास एक शिशु और एक छोटा बच्चा था जिनकी देखभाल उसे करनी थी, इसीलिये वह पुट्टपर्थी आने में असमर्थ हो गई थी। उसको सीखने की इच्छा इतनी तीव्र थी कि उसने हर सत्र में भाग लिया। यह सत्र सुबह के शुरूआती घंटों में होते थे (अलग-अलग समय क्षेत्र के कारण)। सभी AVPs  और SVPs ने इस विषय ‘‘इस अभ्यास ने किस प्रकार से उनका आंतरिक रूपांतरण किया है’’ पर अपनी अपनी प्रस्तुतियाँ दीं। प्रत्येक SVP ने यह शपथ ली कि वाइब्रोनिक्स के विस्तार हेतु उसे जो जिम्मेदारी सौंपी गई है उसे पूर्ण करेगें।    

 

ओम् साईं राम