साई व्हाइब्रियोनिक्स पत्रिका

" जब आप किसी हतोत्साहित, निराष या रोग ग्रस्त व्यक्ति को देखते हो, वहीं आपका सेवा क्षेत्र है " Sri Sathya Sai Baba
Hands Reaching Out

डॉ० जीत के अग्रवाल की कलम से

Vol 14 अंक 5
सितम्बर/अक्टूबर 2023


प्रिय चिकित्सकों,

मैं सौभाग्यशाली हूं कि मैं आपको ओणम त्योहार के पर्व पर लिख रहा हूं, जिसे केरल के लोग अपने सबसे प्रिय रक्षक, राजा बलि की स्मृति में बहुत खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं। सम्राट बलि अपनी निस्वार्थता और अपनी भूमि के लोगों पर उदारता के लिए प्रसिद्ध हैं। हमारे प्रिय प्रभु ने कहा है, “प्रेमस्वरूपों! पेड़ बिना किसी स्वार्थ के मानव जाति के लाभ के लिए फल देते हैं। नदियाँ दूसरों की मदद के लिए पानी लेकर आती हैं। गायें बिना किसी स्वार्थ के दूसरों की भलाई के लिए दूध देती हैं। मानव शरीर दूसरों की मदद करने के उद्देश्य से दिया गया है”...श्री सत्य साईं बाबा, ओणम प्रवचन, 2 सितंबर 2009।

हम बहुत भाग्यशाली हैं कि हमें स्वामी द्वारा निःस्वार्थ वाईब्रिओनिक्स सेवा करने के उद्देश्य से अपना जीवन जीने का अवसर दिया गया है; विशेषकर, ऐसे समय में जब हमारी वैश्विक आबादी का एक बड़ा हिस्सा शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित है। मुझे आपको यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि पिछले एक वर्ष में, सामूहिक सेवा भाव का एक बड़ा प्रदर्शन करते हुए, पूरे भारत में 1184 वाइब्रो क्लीनिक/शिविर आयोजित किए गए और 36,039 रोगियों का उपचार किया गया है। इन शिविरों में महाराष्ट्र, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और ओडिशा राज्यों के 154 चिकित्सकों ने भाग लिया। हम उन क्षेत्रीय समन्वयकों और चिकित्सकों के निस्वार्थ योगदान को कृतज्ञतापूर्वक स्वीकार करते हैं जो इस विशाल सहयोगी पहल के आयोजन और भाग लेने में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं।

मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि भारतीय राज्यों आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के चिकित्सकों ने इस वर्ष जुलाई में विशाखापत्तनम में अपना पहला राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया। यह एक बेहद सफल पायलट प्रोजेक्ट था जिसमें कई समर्पित चिकित्सकों और उत्साही स्वयंसेवकों को एक साथ आने का सुवसर मिला। हमारा मानना है कि यह भारत के अन्य राज्यों और क्षेत्रों के लिए एक रोल मॉडल के रूप में कार्य करेगा और उम्मीद है कि निकट भविष्य में एक राष्ट्रीय सम्मेलन के रूप में उभरेगा; इस अंक के अतिरिक्त अनुभाग में अधिक विवरण दिया गया है।

हाल ही में मुझे इस बात से अवगत कराया गया है कि कई चिकित्सकों ने समाचार-पत्र में प्रकाशित अपने रोग के उपचार को न देखकर निराशा व्यक्त की है। मैं सभी चिकित्सकों को आश्वस्त करना चाहूंगा कि हमें प्राप्त होने वाले प्रत्येक रोग के उपचार का वाईब्रिओनिक्स मिशन में एक महत्वपूर्ण योगदान है। एकमात्र कारण यह है कि हम सभी रोगोंपचारों को समाचार-पत्र में प्रकाशित करने में असमर्थ हैं, इसका कारण स्थान की कमी है। इस समस्या को हल करने के लिए, हम जल्द ही सभी रोगोंपचारों को वाईब्रिओनिक्स समुदाय को उपलब्ध कराने के लिए अपनी वेबसाइट पर पोस्ट करेंगे। हम अपने परामर्शदाता के एक सदस्य, प्रैक्टिशनर11573 के सुझाव का स्वागत करते हैं कि हम प्रैक्टिशनरों को उनके द्वारा भेजे गए प्रत्येक रोगोंपचारों पर फीडबैक प्रदान करें। हमारी केस हिस्ट्री टीम उचित समय पर इस पहल को लागू करेगी।

हालांकि कोविड-19 का घातक खतरा कम हो गया है, लेकिन नए स्ट्रेन लगातार सामने आ रहे हैं और लोगों को संक्रमित कर रहे हैं। इस गर्मी में EG.5 (एरिस) नामक ओमिक्रॉन का एक नया वंशज फैलना शुरू हो गया है। यह पहले से ही विश्व स्तर पर, विशेष रूप से चीन, UK और USA जैसे देशों में फैलने वाला प्रमुख कोरोनोवायरस सबवेरिएंट है। हालाँकि एरिस सबसे प्रचलित स्ट्रेन बन गया है, लेकिन ऐसा प्रतीत नहीं होता है कि यह महत्वपूर्ण बीमारी का कारण हो सकता है या इससे कोई तत्काल खतरा हो सकता है। अच्छी खबर यह है कि हमारे चिकित्सकों ने इम्यूनिटी बूस्टर (IB) का वितरण जारी रखा है, जिससे पहले ही दस लाख से अधिक लोग लाभान्वित हो चुके हैं।

जैसे-जैसे हम भगवान कृष्ण की जयंती, जन्माष्टमी के आनंदमय त्योहार के करीब आते हैं, आइए हम स्वामी के एक खूबसूरत संदेश पर ध्यान दें, इस उम्मीद में कि यह आपके वाईब्रिओनिक्स अभ्यास को और अधिक सार्थक बनाने में मदद करेगा। “गोपियाँ आध्यात्मिक समर्पण का रहस्य जानती थीं। उनकी पूजा किसी सौदेबाजी की भावना से दूषित नहीं थी। क्योंकि जो मोलभाव करते हैं और लाभ की लालसा रखते हैं, वे वेतन पाने वाले नौकरों के समान हैं, जो मजदूरी के लिए चिल्लाते हैं...परिवार के सदस्य, रिश्तेदार, मित्र बनें। महसूस करें कि आप प्रभु के अपने हैं। तब कार्यकरने से थकावट नहीं होगी; इसे और भी बेहतर तरीके से किया जाएगा; इससे अधिक संतुष्टि मिलेगी; और मज़दूरी? गुरु तुम्हें आनंदमय रखेगा। इससे अधिक कोई और क्या चाह सकता है? बाकी सब उस पर छोड़ दो; वह सबसे अच्छा जानता है; वह सर्वस्व है और उसे पाने का आनंद ही पर्याप्त पुरस्कार है। यही मानव की ख़ुशी का रहस्य है। इन पंक्तियों पर अपना जीवन जियो और तुम्हें कभी दुःख नहीं होगा। कृष्ण कहते हैं: मेरे भक्तों को कभी दुःख नहीं होता"...सत्य साईं बाबा, कृष्ण जयंती, 19 अगस्त 1965।

साई की प्रेममयी सेवा मे 

जीत के. अग्रवाल