अतिरिक्त
Vol 11 अंक 6
नवम्बर /दिसम्बर 2020
1. स्वास्थ्य सुझाव
कान कीमती हैं: इनकी देखभाल अच्छी प्रकार करें।
“कानों को भी शुद्ध भोजन की आवश्यकता होती है। इसका अर्थ यह है कि इनका उपयोग हमें पवित्र शब्दों को सुनने में करना चाहिए जो हमें दिव्यता की ओर ले जाने वाले हो। हमें सदैव दूसरों की अच्छी बातें सुननी चाहिए। इस प्रकार से हम अपने कानों की सुरक्षा कर सकते हैं और उन्हें बुरी बातों के प्रदूषण से मुक्त रख सकते हैं। केवल इसी प्रकार हम कानों के द्वारा सात्विक भोजन ग्रहण कर सकते हैं।” …Sathya Sai Baba1
“मेरे कान स्वस्थ रहें जिससे कि मैं पवित्र ध्वनि को सुन सकूं...मैं अपने कानों से प्रचुरता से सुनकर सीख सकूं। (वैदिक प्रार्थना) 2
1. अपने कान के बारे में जानो
1.1 कान बहुत ही शक्तिशाली और संवेदनशील होते हैं: वे ध्वनि की तीव्रता गहराई और दिशा का आसानी से पता लगा लेते हैं। वह ध्वनि की भावना और उसके सूक्ष्म अंतर को भी पहचानने में सक्षम होते हैं। जन्म से पहले ही बच्चे ध्वनि का प्रति उत्तर दे देते हैं। निद्रा की अवस्था में कान सुनते रहते हैं और वे अपनी सफाई स्वयं ही कर लेते हैं (कान के मैल के द्वारा)। स्वाद के संकेतों को मस्तिष्क तक पहुंचाते हैं4 (चेहरे की नस जो स्वाद के लिए जिम्मेदार होती है वह कान के मध्य में होकर जाती है) और शरीर का संतुलन बनाए रखती है।3-6
बाहरी कान फनल के आकार का होता है (पिन्ना) वही ध्वनि को ग्रहण करता है वहां से ध्वनि एक सुरंग द्वारा कान के पर्दे तक पहुंचती है (टिंपैनिक मेंब्रेन) और परदे में कंपन पैदा करती है। इससे जुड़ी तीन हड्डियां होती है बहुत छोटी और कोमल होती हैI (ओसिकल्स ) जो ध्वनि विस्तारक का कार्य करती है। यूसटेकियन नलिका कान के मध्य भाग को जिसमें हवा भरी रहती है गले के पीछे की और जुड़ी होती है, वह दबाव को संतुलित रखती है तथा कफ को बाहर निकाल देती है। एक सर्पिल आकार की नलिका (कोकलिआ) जो कान के अंदर होती है तीन अर्धचंद्राकार नलिकाओं से जुड़ी होती है। जिनमें द्रव भरा होता है(लैबरिन्थ) वे ध्वनि तरंगों को आगे पहुंचाती है तथा मस्तिष्क की संतुलन स्थिति और सिर की स्थिति की सूचनाएं देती है।6
1.2 सामान्य श्रवण सीमा: एक स्वस्थ मनुष्य कम से कम 20Hz (एक पाइप अंग पर सबसे कम पेडल) से अधिकतम 20 kHz की आवृत्ति (ऊपरी आवृत्तियों को सुनने की क्षमता उम्र के साथ कम होने लगती है) की आवाज को सुन सकता हैI हमारी सुनने की क्षमता उन ध्वनियों के लिए अत्यधिक संवेदनशील होती है जिनकी आवृत्ति 1.5 से 5.0 kHz के मध्य होती है। यही आवृत्ति मनुष्य के बोलने की होती है। इसका अर्थ यह हुआ कि यह ध्वनि 0.5 kHz या 10 kHz से अधिक तीव्र है यह मान्यता है।3,7-9
1.3 सुरक्षित और असुरक्षित डेसीबल (डीबी) स्तर: सुनने के लिए सामान्य डेसिबल स्तर 0 से 180db के मध्य होता है। अगर ध्वनि कानों में बजती है तो वह कानो को नुकसान पहुंचाने वाली होती है। कुछ सुरक्षित ध्वनियां हैं - सामान्य रूप से श्वास लेने पर (10dB) चिड़ियों का चहचहाना और पत्तों की खड़खड़ाहट, घड़ी की आवाज (20dB) कानाफूसी (30 dB) रेफ्रिजरेटर की आवाज (40dB) सामान्य वार्तालाप (60dB) और वाशिंग मशीन (70dB)I असुरक्षित ध्वनियां हैं, शहर का ट्रैफिक का शोर (80-85dB कार के अंदर) मशीनों का शोर, हेयर ड्रायर (90dB) कार का हार्न वा खेलकूद (100 से 110dB), एंबुलेंस का सायरन(120 से 130dB), लाइव रॉक बैंड (130dB) हवाई जहाज का उतरना और पटाखे(130 से 160dB), और रॉकेट लॉन्च (180 dB)। 85dB से ऊपर की ध्वनि को असुरक्षित माना जाता है।80 से 90dB की ध्वनि में कई वर्षों तक रहने से तथा 90dB की ध्वनि में 1 घंटे तक रहने से कानों की बहुत क्षति होती है। 110dB से ऊंची ध्वनि में 1 मिनट तक और 130dB की ध्वनि में 1 सेकेंड से भी कम कानों की इतनी क्षति हो जाती है कि उनका उपचार असंभव हो जाता है।3, 8-12
2. कान के विकार
2.1 कम सुनाई देना: उम्र बढ़ने के साथ सुनने में कमी आना एक सामान्य बात है (प्रेस बीक्यूसिस) एक सबसे सामान्य कारण है बाहरी कान में किसी अवरोध का हो जाना, बाहरी मैल जम जाने से (सेरुमेन) हेमेटोमा या कोई बाहरी वस्तु से। इसका उपचार संभव है।12 अन्य कारण है ध्वनिक आघात, दाब अनिघात, (हवा में दबाव के परिवर्तन से) यह गोताखोरों में सामान्य रूप से होता है, सिरकी चोट, कान के संक्रमण, जन्मजात, मेनियर्स रोग, सुनने वाली नलिका में गांठ, जीर्ण रोग या ड्रग्स।10,12
कुछ सूचक: कम सुनाई देने की शुरुआत फोन पर सुनने से होती है। बातचीत को समझाने के लिए व्यक्तियों से दोबारा बोलने के लिए कहा जाता है। शोर के दौरान सुनने में कठिनाई या फिर टीवी के वॉल्यूम को अधिक करना, आसानी से थकान का अनुभव (यह मान्यता है कि उम्र बढ़ने से सुनाई कम देने लगता है) I यदि कोई बच्चा किसी आवाज पर उत्तर नहीं देता है तो उसने देर से बोलना शुरू किया होगा, बोलने में अत्यधिक लड़खड़ाहट या फिर स्कूल में पढ़ाई पर ध्यान नहीं देना, यह सब कम सुनाई देने के लक्षण है।13-14
अनुसंधान द्वारा स्पष्टीकरण: अनुसंधानों से मालूम पड़ा है कि दांया और बांया कान ध्वनि को सुनने में अलग-अलग प्रकार से व्यवहार करते हैं। भाषण और तर्क संबंधी बातें मस्तिष्क के बाएं हेमिस्फीयर से संसाधित होती हैं जो कि दाएं कान से सुनी जाती है जबकि बायां कान से संगीत, भावनात्मक बातें और सहज बोध बातें मस्तिष्क के दाएं हेमिस्फीयर में संसाधित होती हैं। अतः जिन लोगों को बायें कान से कम सुनाई देता है उन्हें भावनात्मक बातों को समझाने में मुश्किल होती है और जिन लोगों को दाएं कान से कम सुनाई देता है वह लोग समस्याओं को नहीं सुलझा पाते हैं।15
2.2 मेनियर्स रोग: यह कान के अंदर का एक विकार है, इसमें कान में दबाव या अवरोध का एहसास होता है। इसके बाद ऐसा प्रतीत होता है कि कान में घंटियां बज रही है। (हिसिंग, गर्जन, स्पंदन, व्होसिंग, चहकते हुए, सीटी बजाना या क्लिक करना), जिसमें यदा-कदा कम सुनाई देना और चक्कर आना (सिर घूमना), कुछ व्यक्ति अपना संतुलन खो देते हैं और गिर जाते हैं, उनको जी मिचलाना उल्टी होना और सुनने की क्षमता में अत्यधिक कमी हो जाती है। जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती जाती है, सुनने की क्षमता में कमी अधिक होती जाती है और संतुलन में बहुत कमी आ जाती है। यह बीमारी यद्यपि घातक तो नहीं है परंतु अशक्त बना देती है। इसका मुख्य कारण तो मालूम नहीं है लेकिन इसके लिए माइग्रेन, कान के अंदर का संक्रमण, सिर में चोट, अनुवांशिकी या एलर्जी हो सकते हैं।
पैरीलिम्फ फिस्टुला, को कभी-कभी मेनियर्स रोग समझ लिया जाता है। यह एक दुर्लभ स्थिति है जो अंदर के कान से द्रव निकल कर बीच के कान, जिसमें हवा होती है, में चला जाता है।16-20
3. कान के संक्रमण
3.1 यूस्टेशियन नलिका का रोग: यह नलिका या सूज जाती है या बंद हो जाती हैं, सर्दी के कारण, फ्लू, साइनस संक्रमण या एलर्जी के कारण, जिससे द्रव बीच के कान में बनने लगता है इसके कारण ऐसा महसूस होता है कि कान भर गया है, ध्वनि सुनाई देती है, ज्वर हो जाता है आदि। निगलने में, उबासी लेने में या जोर से सांस लेने पर नलिका खुल जाती है। सामान्यतया यह अपने आप ठीक हो जाती है बिना किसी उपचार के। इसके कारण मध्य कान में संक्रमण हो जाता है। यह नलिका, बचपन में, छोटी, सिकुड़ी और क्षैतिज होती है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ यह भी बड़ी हो जाती है। कान का संक्रमण छोटी अवस्था में एक सामान्य बात है लेकिन जल्दी ठीक भी हो जाता है। बड़े लोगों में इसका कारण स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं!21,22
3.2 बाहरी, मध्य और आंतरिक कान के संक्रमण22-30
a. ओटिटिस एक्सटर्ना (तैराक के कान): यह बाहरी भाग में कीटाणु जनित संक्रमण है। इसका कारण होता है सूखी त्वचा, दाद, खुजलाना, कान को साफ करने के लिए रुई की स्वाब का उपयोग या देर तक पानी के साथ संपर्क या कान में पानी का चला जाना। विशेष लक्षण हैं खुजली वाले रैशेज, कोमलता, लालिमा, सूजन, हल्का ज्वर और दर्द। कभी-कभी मध्य कान से पस का बहना, कान के पर्दे के छेद में से होकर। यह संक्रमण शायद ही कभी फंगस या वायरस जनित होता है।22,23,24
संक्रामक माय्रिन्जाइटिस: यह अधिकतर जीवाणु जनित होता है। कान के परदे में सूजन के कारण होता है। लक्षण छोटे छोटे छाले और तेज दर्द है।25
b. तीव्र ओटिटिस मीडिया: वायरस या बैक्टीरिया के कारण मध्य कान में सूजन आ जाने से द्रव कान के परदे के पीछे रुक जाता है। सामान्यता, संक्रमण श्वसन तंत्र के कारण उत्पन्न होता है। तीव्र ऑटोसिस मीडिया के कारण बच्चों में वह द्रव मध्य कान में जमा हो जाता है इससे कान के परदे के कंपन में अवरोध उत्पन्न हो जाता है और ध्वनि अंदर नहीं जा पाती है। इसके लक्षण है कान का लालिमा युक्त हो जाना या सूज जाना, ज्वर, कान में लगातार दबाव का एहसास होते रहना, कम सुनाई देना। यदि कोई द्रव निकलता है (otorrhoea), और सूजन भी हो तो यह संकेत है कि वहां पस भर गया है। अधिक बलगम के जमा हो जाने से या म्यूकस के जमा हो जाने से साइनस में, कुछ केसों में कान और गले में भी जमा हो जाता है। यह मध्य कान का “मिडल इयर कैटरह” कहलाता है। यदि कान के पीछे की हड्डी में संक्रमण हो जाता है और सूजन आ जाती है तो यह "मास्टोइडस" है।26-28
c. आंतरिक कान के संक्रमण: वेस्टीबुलर न्यूरोनिटिस (आंतरिक कान के वेस्टिबुलर तंत्रिका की सूजन), का मुख्य कारण वायरल इंफेक्शन होता है। यह अचानक चक्कर आने से होता है। अन्य प्रमुख लक्षण हैं, चक्कर आना, जी घबराना, उल्टी होना। लैबेरिंथाइटिस (वेस्टीबुलर और कोक्लियर दोनों नर्व में सूजन) कारण या तो वायरस या बैक्टीरिया होते हैं, इसके अतिरिक्त लक्षण है कान में दर्द होना, घंटियां बजना, कम सुनाई देना।
हरपीज जोस्टर कान का वायरल संक्रमण होता है जिससे कोक्लियर नर्व प्रभावित हो जाती है तथा चक्कर आना, दर्द और कान, चेहरे और गर्दन पर फफोले हो जाते हैं।24,25,29,30
कान के बाहर और मध्य में होने वाला संक्रमण कम तकलीफ देय होते हैं तथा 1 से 2 हफ्ते तक रहते हैं, बनस्पत अंदर का संक्रमण जो लंबे समय तक रहता है।29 मौसम के अनुसार लक्षणों में परिवर्तन हो जाता है।29
4. कान का आघात/ चोट:
4.1 कान में कीड़े! जब मनुष्य सोया हुआ होता है या फिर उड़ता हुआ कान में कीड़ा चला जाता है। यदि यह बाहर की ओर होता है तो या तो मर जाता है या चलता रहता है आवाज करते हुए या फिर काट लेता है। बच्चे इसकी पहचान नहीं कर पाते हैं। अतः वे कान को मसलते हैं और दर्द के कारण चिल्लाने लगते हैं। धीरे से कान को खींचो, और सिर को थोड़ा टेड़ा करते हुए हिलाओ, कीड़ा बाहर निकल जाएगा। हल्के गर्म तेल की 1-2 बूंदे कान में डालें इससे कीड़े का दम घुट जाएगा फिर उसे गर्म पानी के उपयोग से इसे बाहर निकाल दें।
चेतावनी: कान पर मारे नहीं या कोई वस्तु अंदर ना डालें इससे कीड़ा अंदर चला जाएगा और कान के पर्दे को नुकसान पहुंचाएगा। यदि कीड़ा बाहर नहीं आता है या बार-बार संक्रमण होता है तो डॉक्टर को दिखलाना बेहतर होगा।
बचाव: सोते समय, ट्रेकिंग के समय या घूमने जाने के समय कान में रूई लगा के रखे। कीड़ों को दूर रखने के लिए क्रीम का उपयोग भी किया जा सकता हैI31,32,35
4.2 कान के परदे का फट जाना/ छेद हो जाना: कान में संक्रमण, चोट, ध्वनिक आघात, हवा का दबाव, सिर में चोट, गिर जाना या चांटा लगाना, किसी वस्तु का कान में डालना या अंगुली के नाखून द्वारा कान के परदे में छेद हो जाता है । बच्चों में यह घटनाएं अधिक होती हैं क्योंकि उनके कान कोमल होते हैं। इसके कारण खून बहना, घंटियों की आवाज सुनाई देना, कम सुनाई देना या संतुलन में कमी हो जाना जैसी समस्याएं सामने आ जाती हैं। अधिकतर मामलों में यह स्वत: ही ठीक हो जाता है। लेकिन कभी-कभी इसके कारण बार-बार संक्रमण हो जाता है जिसके लिए उपचार की आवश्यकता होती है।30,32,33-35
4.3 कान के भीतर से चोट लगने और खून बहने पर प्राथमिक उपचार: पूरे कान पर पट्टी बांध देवें । रोगी को करवट से सुला दें जब तक कि मेडिकल उपचार ना मिल जाए। पट्टी के ऊपर ठंडा सेक कर सकते हैं।30,35
4.4 किसी भी इमरजेंसी में न करें: कान से द्रव को आने को ना रोकें और ना ही कान के अंदर से साफ करें। कोई भी तरल कान के अंदर ना डालें, केवल कीड़े को निकालने के लिए मैल को ढीला करने के लिए। किसी भी उपकरण की सहायता से कान में से कुछ भी निकालने का प्रयास ना करें।30,35
5. कान की देखभाल के लिए टिप्स12,30,34-51
- रूई से या उंगली से कान को साफ ना करें (इससे मैल पूरी तरह से निकल जाता है) केवल गीले कपड़े या टिशु पेपर से ही कान के बाहरी भाग को साफ करें। कानों को सूखा रखे। 30,35,36,37
- मैल को कान में ही छोड़ दें।38 कान में जो मैल पैदा होता है वह कान को चिकना रखता है तो गंदगी को अंदर नहीं जाने देता है और संक्रमण से बचाता है और प्राकृतिक रूप से बाहर आता है। चबाने से इसमें मदद मिलती है। यदि मैल अधिक हो जाता है तो उसमें दो-तीन बूंद ऑलिव ऑयल या डॉक्टर द्वारा बताई दवाई ही डालनी चाहिए। इससे मैल ढीला पड़ जाता है और स्वत: ही बाहर निकल जाता है।30,38
- तीव्र शोर से बचें और ईयर प्लग का प्रयोग करें।अनुसंधानों से पता चला है कि कान को 16 घंटे का आराम आवश्यक है, यदि पूरी रात शोर में व्यतीत होती है! कान कभी भी शोर के आदी नहीं हो पाते हैं, धीरे-धीरे इन में नुकसान होता रहता है! यदि एक बार कोक्लीय में संवेदी कोशिकाएँ, जिन्हें बालों की कोशिकाएँ कहा जाता है, नष्ट हो जाती हैं तो वे पुनर्जीवित नहीं होती हैं।34-37
- हवाई यात्रा के समय निगलने में या जमाई लेने से कान के अंदर का दबाव बराबर हो जाता है।30,34,35,37
- दर्द और सूजन के लिए घरेलू उपचार का प्रयोग करने का प्रयास करें जैसे ठंडा या गर्म सेक या गर्म तेल जिसमें लहसुन को पका लिया हो उसको कान की नलिका में डालें।39
- चक्कर आने के लिए सादा अदरक की चाय पिएं।40
- अच्छी जीवन शैली को अपनाए, संतुलित भोजन ग्रहण करें, नित्य घूमने जाएं, व्यायाम और योग करें, ध्यान में बैठे, पर्याप्त आराम करें, सुनने में सुधार आता है और चक्कर नहीं आते।41-50
- नमक का उपयोग कम करें।49,50
- नियमित जांच करवाएं, कोई भी लक्षण नजर आए तो उसे नजरअंदाज ना करें। कभी भी उपचार कराने में हिचकिचायें नहीं। (यदि कम सुनाई देने का उपचार नहीं कराया जाता तो इसका प्रभाव स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है)।37,46
- साईं वाइब्रिओनिक्स ने कान की अनेकों बीमारियों का उपचार आज उपलब्ध कराया है जिसमें प्रमुख हैं, कान में घंटी बजने की आवाज आना, चक्कर आना, कम सुनाई देना, कान का दर्द और संक्रमण।51.
References and Links:
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- Simple home exercises: https://www.neuroequilibrium.in/vertigo-exercises-and-home-remedies/
- Gentle Yoga for better hearing: https://www.captel.com/2018/12/gentle-yoga-exercises-to-promote-better-hearing-infographic/
- Improve hearing: https://www.audicus.com/5-activities-to-improve-your-hearing/
- Nutrition for better hearing: https://campaignforbetterhearing.ca/2016/03/five-foods-to-boost-your-hearing-health/
- https://www.hearinghealthassoc.com/hearing-health-associates-va-blog/2017/3/15/nutrition-and-hearing-top-foods-to-consume-and-avoid
- https://hearinghealthfoundation.org/blogs/how-nutrition-affects-our-hearing
- https://www.hearingwellnessctr.com/nutrition/
- Sai Vibrionics Newsletters: https://vibrionics.org; cases related to ears at https://www.news.vibrionics.org/en/subjects/5
2. प्रेरक उपाख्यान
a. दिव्य माता की रामबाण औषधि 03572… गबोन
एक 33-वर्षीय महिला कमर में अत्यधिक पीड़ा से ग्रसित थी। उसको यह समस्या बचपन से थी। उसके अभिभावकों ने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया था। उस पर पारंपरिक और हर्बल उपचार का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। 20 सितंबर 2020 को वह चिकित्सक के पास पहुंची। चिकित्सक जब रेमेडी बना रहा था उस समय रोगी ने अपने बाएं पांव पर रहस्यमय दबाव महसूस कियाI लेकिन उस पर अधिक ध्यान नहीं दिया। उसी रात को स्वामी सपने में आए वह एक कुर्सी पर बैठे हुए थे। स्वामी ने कहा, “मुझे दुख है कि तुम्हें इतने सालों तक यह दर्द सहन करना पड़ा। तुम अभी जवान हो! डरो मत, मैं तुम्हारा ध्यान रखूंगा। जब रेमेडी बनाई जा रही थी उस समय मैं तुम्हारे पास खड़ा था और मैं तुम्हारी समस्या का समाधान कर रहा था। इसी कारण से तुमने अपने बाएं पांव पर दबाव महसूस किया थाI” स्वामी ने विभूति सृजित की और उसके पूरे शरीर पर छिड़क दी। चकित करने वाली बात यह है कि उसका दर्द 2 दिन में पूरी तरह से ठीक हो गया था! यह एक आश्वासन था कि जब चिकित्सक प्रेम सहित निस्वार्थ भाव से सेवा करता है तो ईश्वर सदा वहां उपस्थित रहते हैं और वही इस उपचार के संचालक है!
b. स्वामी की ऑक्सीजन की कार्यवाही11601...भारत
एक शिर्डी के भक्तों की कोविड-19 से स्वस्थ होने की घटना चिकित्सक की जुबानी - परिवार के मुखिया 73 वर्ष के और उनकी पत्नी 59 वर्ष की और एक पुत्री। 10 सितंबर 2020 को मां को अचानक स्वपन में शिर्डी बाबा दिखाई दिए जो उनकी बगल में खड़े थे। उन्होंने कहा कि “मैं तुम्हें बचाऊँगा”। उसकी समझ नहीं आया कि इसका अर्थ क्या है? 2 दिन बाद वह तीनों कोविड-19 की चपेट में आ गए। उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया गया। लेकिन मां को आईसीयू में जाना पड़ा था। वह सांस लेने में अत्यधिक परेशानी महसूस कर रही थी और उसे नॉन-इनवेसिव वेंटिलेटर पर रखा गया था। कोविड-19 बूस्टर की औषधि को उसी दिन उनको भेज दी गई थी और उसे आवश्यकता अनुसार लेने की हिदायत दे दी गई थी। पिता और पुत्री को 7 घंटे में ही 80% लाभ हो गया था लेकिन मां की तबीयत बहुत खराब हो गई थी, ऑक्सीजन का स्तर बहुत कम हो गया था। दूसरे दिन 23 सितंबर को चिकित्सक ने पहले वाली औषधि में SR304 Oxygen को मिलाकर मां के लिए भेज दी। पुत्री मां के पास बैठी रही और हर घंटे यह औषधि उनको देती रही। आश्चर्यजनक रूप से मां की ऑक्सीजन का स्तर बढ़ने लगा और उसे बरामदे में 30 मिनट तक बैठने की अनुमति भी मिल गई। अगले ही दिन, 25 सितंबर 2020 को तीनों 100% स्वस्थ हो गए थे और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। बाबा ने अपने वचनों का पालन किया था ना केवल मां को बचाकर बल्कि पूरे परिवार को बचाकर।
c. कोई दर्द नहीं, लाभ ही लाभ 11621…भारत
5 मार्च 2015 को एक 33-वर्षीय युवती घर में गिर गई। उसको फ्रैक्चर और दाएं टखने में डिसलोकेशन हो गया थाI डॉक्टर्स ने शल्यक्रिया करके ट्यूबलर प्लेट को पेच की मदद से स्थापित कर दिया। यद्यपि वह चलने में समर्थ हो गई थी लेकिन जमीन पर बैठते समय यह अपने पावों को आलथी-पालथी मार के लंबे समय तक बैठती थी तो वह टांग में सुन्नपन और टखने में हल्का दर्द का अनुभव करती थी। जैसे ही वह खड़ी होती थी उसको सहारे की आवश्यकता पड़ती थी, चलने में। इसमें उसे 1 या 2 मिनट का समय लग जाता था सामान्य स्थिति में आने के लिए। उसने सभी एलोपैथिक औषधियों को बंद कर दिया था क्योंकि उनका कोई प्रभाव नहीं हो रहा था। वह उसी स्थिति में रहना चाहती थी। दिसंबर 2019 में जब वह चिकित्सक से वार्तालाप कर रही थी अपने दर्द युक्त मासिक धर्म के बारे में तो उसने यूं ही टखने के दर्द के बारे में भी जिक्र कर दिया। अतः चिकित्सक ने उसे सभी दर्द निवारक कॉम्बो को दिया (देखें चिकित्सक परिचय में)I...3 से 6 पिल्स को आधी बाल्टी पानी में डालकर पावों को 20 मिनट तक कम से कम एक बार प्रतिदिन रखने के लिए कहा गया और उसी पानी से उस क्षेत्र को मलने के लिए कहा। उसने ऐसा 3 दिन तक किया और 4 वर्ष से जो टखने की समस्या थी वह ठीक हो गई थीI अभी उपचार को 10 महीने हो गए हैं और वह पूर्ण स्वस्थ है।
d. उनके निवास स्थान में चमत्कार 11621…भारत
यह घटनाएं वर्ष 2020 के वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता के दौरान उनके आश्रम पुट्टपर्थी में घटित हुई। एक 40- सदस्यीय टीम नाटक के दृश्य बना रही थी जिसमें निर्माण की सामग्री, मंच की सामग्री और पृष्ठभूमि की सामग्री की तैयारी की जा रही थी। वे लोग प्रातः 7:00 बजे से रात्रि को 10:00 बजे तक रोज काम कर रहे थे। यह बहुत मेहनत का कार्य था और चारों और धूल ही धूल छाई हुई थी। कार्यकर्ताओं की शक्ति बढ़ाने के लिए चिकित्सक ने एक रेमेडी* तैयार की थी। 10 बूंदे उस औषधि की 20 लीटर जल में मिलाया गया, जब उस जल को सेवादलों और छात्रों ने पिया तो ऐसा लगा कि कोमल नारियल का पानी पी रहे हों। जबकि ऐसा कुछ नहीं था चिकित्सक ने केवल कोंबोज़ की बूंदे ही जल में मिलाई थी। सभी को यह महसूस हो रहा था कि यह तो स्वामी की असीम कृपा का फल है जो उन्हें इतनी शक्ति प्रदान कर रहे हैं।
निर्माण के दौरान जब वेल्डिंग का कार्य हो रहा था तो कुछ छात्रों के आंखों में समस्या हो गई थी। चिकित्सक ने CC7.1 Eye tonic + CC7.6 Eye injury + CC10.1 Emergencies को एक सप्रे बोतल में जल मिलाकर, उससे आंखों को धोने के लिए कहा। छात्रों को तुरंत ही ताजा लगने लगा था। यह उनके लिए तुरंत ही आंखों को फिर से तंदुरुस्त बनाने की घटना थी!
पशुओं ने भी इस उपचार के प्रति अपनी संवेदनशीलता प्रदर्शित की। जो पशु अपच के शिकार हो गए थे उन्हें CC1.1 Animal tonic + CC4.8 Gastroenteritis + CC4.10 Indigestion को पानी में मिलाकर दिया गया। दूसरे ही दिन वे सब स्वस्थ हो गए थे।
*CC4.8 Gastroenteritis + CC4.10 Indigestion + CC9.2 Infections acute + CC10.1 Emergencies + CC12.1 Adult tonic + CC14.1 Male tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC17.3 Brain & Memory tonic
3. श्रद्धांजलियां
बड़े दुख के साथ मैं आपको पिछले दो महीनों के भीतर भारत से 6 बहुत ही समर्पित चिकित्सकों की देवलोक गमन की सूचना आप लोगों को दे रहा हूँ, वे लोग वाईब्रिओनिक्स के लिए प्रेरणा के स्त्रोत थे। वे लोग इस अनुकरणीय सेवा के लिए सदैव याद किए जाएंगेI
- डॉ श्याम लाल वर्मा11156 आयु 84 वर्ष, निवासी पंचकूला हरियाणा, अपने अंतिम चरण तक वाईब्रिओनिक्स सेवा करते रहे थे।
- श्री रामचंद्र मेंगजी10245 आयु 80 वर्ष, निवासी सोलापुर महाराष्ट्र, जिन्होंने कई सेवा करने वालों को वाईब्रिओनिक्स सेवा से जोड़ा। वर्ष 2009 में AVP & JVP कार्यशालायें आयोजित की।
- श्री अल्बदी राम नायक10695 आयु 77 वर्ष, पुत्तूर गांव दक्षिण कन्नड़ में, अत्यधिक सक्रिय कार्यकर्ता थे। वह रोगियों का विवरण बहुत ही व्यवस्थित रखते थे अपनी रिपोर्ट को समय पर भेज देते थे।
- श्री लोकनाथ संकेशा10616 आयु 69 वर्ष, निवासी थाने महाराष्ट्र, अपनी अंतिम श्वास तक इस सेवा में लगे रहे। मृत्यु होने के माह में भी अपनी रिपोर्ट उन्होंने भेज दी थी। उन्होंने कई शिविरों का आयोजन किया और सेवा दलों को वैलनेस किट वितरित किए थे।
- श्री प्रभाकर नायडू मारिपी11582 आयु 66 वर्ष, निवासी जगदलपुर, छत्तीसगढ़, इन्होंने दूरस्थ आदिवासी इलाकों में बड़े उत्साह के साथ रोगियों की सेवा का कार्य किया है।जीवन के अंतिम क्षणों तक बहुत से लोगों को IB रेमेडी वितरित की थी।
डॉक्टर सुब्रमण्यम भट्ट पी11971 आयु 59 वर्ष, निवासी कर्नाटक के इदिकुड़ी बंटवाल डीके को तीव्र हृदयाघात हुआ उसके गुरु के जाने के 2 हफ्ते बाद, चिकित्सक10695 जिसने उन्हें वाईब्रीओनिक्स सेवा के लिए प्रेरणा दी थी। केवल 7 वर्षों में उन्होंने 315 शिविर आयोजित किए थे और लगभग 72,320 रोगियों का उपचार किया था अपने आसपास के गांवों में। उनकी पुत्री चिकित्सक11589 उनकी सेवा गतिविधियों को आगे बढ़ा है ।