डॉ० जीत के अग्रवाल की कलम से
Vol 11 अंक 3
मई-जून 2020
प्रिय चिकित्सको,
कृतज्ञता से ओतप्रोत तथा विनीत भाव से हम अपने प्रिय स्वामी के चरणों में कोटि-कोटि नमन करते हैं। हमने पिछले माह में ईस्टर, रामनवमी, आराधना महोत्सव जैसे पवित्र त्योहार मनाए हैं। लेकिन इस माह में स्थिति थोड़ी भिन्न है। परंतु एक बात निश्चित है कि हमारे स्वामी इस स्थिति में हमारा बेड़ा पार लगाएंगे। हम इस समय सर्वव्यापी महामारी कोविड-19 का मुकाबला कर रहे है। इस संबंध में स्वामी ने कहा है, “सेवा करने से जो प्रसन्नता शरीर को प्राप्त होती है वह आपको हर प्रकार के रोग से रक्षा करती है।” हम वाइब्रो चिकित्सक इस उक्ति के गवाह है।
जैसे ही हमको सूचना मिली कि कोविड-19 पूरे संसार में व्यापक महामारी के रूप में फैलने वाला है तो तुरंत ही हमारे वरिष्ठ चिकित्सकों ने अनुसंधान और उपचार के क्षेत्रों में अपनी गतिविधियां तेज कर दी थी।
नित नई सूचनाओं के आधार पर हमारे अनुसंधान कार्यकर्ताओ ने इसी प्रकार की बीमारियों के लिए सिद्ध की हुई दवाईयों के आधार पर इस रोग के लिए भी उचित काम्बो का निर्धारण किया। बहुत से देशों के ‘लॉक-डाउन’ में चले जाने के बावजूद हमारे चिकित्सकों ने अपने-अपने देश के नियमों का पालन करते हुए सेवा गतिविधियां जारी रखी। उन्होंने इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में वाईब्रो औषधियां को वितरित करते रहने का जिम्मा निभाया। यह औषधि इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ-साथ रोग के रोकथाम के लिए काफी सफल रही है। हम इसके लिए कोई श्रेय नहीं लेना चाहते हैं - स्वामी कि वह शक्ति है जो इस कार्य को कर रही है। परिणाम बहुत ही संतोषप्रद है! पिछले दो माह से, जिन्होंने वाईब्रोनिक्स औषधियों का सेवन किया है उनसे हमें निरंतर उत्कृष्ट प्रतिक्रियाएं प्राप्त हो रही हैं।
हम बहुत सौभाग्यशाली हैं कि इस बार श्री सत्य साईं संगठन ने हम लोगों का इस संकट की घड़ी में साथ दिया है। मैं अखिल भारतीय संगठन के अध्यक्ष के पास गया था, उन्होंने बड़े विनय पूर्वक पूरी मदद करने का भरोसा दिलाया और उन्होंने तुरंत ही सभी राज्य अध्यक्षों के पास संदेश भिजवाया कि वाइब्रॉनिक्स चिकित्सकों को हर संभव मदद करें। स्वामी की कृपा के कारण पूरे भारत में वाइब्रो चिकित्सकों को पूर्ण समर्थन प्राप्त हुआ है। यह सब चिकित्सक संकट की घड़ी में निस्वार्थ सेवा करने के लिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे। मैं विनय पूर्वक सुझाव देता हूं कि इन चिकित्सकों को अपने स्थानीय साईं संगठन के पदाधिकारियों से संपर्क बनाए रखना चाहिए और उनके सहयोग के लिए आभार जताना चाहिए जिसके कारण साईं भक्तों में वाइब्रॉनिक्स के बारे में जानकारी दी जा सकी है। इस प्रकार से अधिक लोगों तक ‘इम्यूनिटी बूस्टर’ को बांट सकेंगे। इस प्रकार हम अपना छोटा सा योगदान इस रोग से निदान के प्रयास में दे सकेंगे।
चिकित्सक होने के नाते आपने वाइब्रॉनिक्स के आश्चर्यचकित करने वाले परिणाम देखे हैं परंतु आश्चर्य की बात यह है कि जिन्होंने इस औषधि का सेवन किया है उनके परिणाम अत्यधिक राहत देने वाले हैं। हमें इस बात की प्रसन्नता है कि हमने ऐसे लोगों की कहानियां हमारे ‘अतिरिक्त’ वाले कॉलम में प्रस्तुत की हैं। यद्यपि यह महामारी मानवता को बहुत प्रकार से हानि पहुंचा रही है जिनमें मुख्य है, आर्थिक, भावनात्मक, मानसिक, शारीरिक और अधिक मात्रा में देहावसान। परंतु इससे हमें अभूतपूर्व अवसर भी प्राप्त हुआ है कि हम अपने आपको निस्वार्थ सेवा जैसे कार्यों में लगाकर लोगों का भला कर सके! नये रोगियों को बूस्टर डोज देने के बाद उनको और उनके परिवार के सदस्यों का भी ख्याल रखना होगा कि उन में से कोई सदस्य अवसाद तनाव या किसी अन्य रोग से तो ग्रस्त नहीं है जिसके लिए वाइब्रॉनिक्स औषधियां बहुत कारगर सिद्ध होती हैं। पुराने अनुभवों के आधार पर मैं सभी चिकित्सकों को सलाह देता हूं इस प्रकार की महामारी में शुगर पिल्स, एथिल-अल्कोहल और बॉटल्स की अत्यधिक आवश्यकता होती है। अतः हमें उनका समुचित भंडार कर लेना चाहिए।
मैं इस बात से भी चिंतित हूं कि यद्यपि नए रोगियों की संख्या में कमी आ रही है परंतु हमारे यहां लोगों की यह प्रकृति रही है कि और हमारे चिकित्सकों की भी यह प्रकृति है जो नियम बनाए गए हैं इस महामारी से बचने के लिए उनका हम सही तरीके से अनुपालना नहीं करते है। अतः मेरा सब से अनुरोध है कि हम सभी से इन नियमों की अनुपालना में कोई कमी ना रह जाए अन्यथा इसके हमें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। मैं सभी चिकित्सकों से अनुरोध करता हूं कि अपने अभ्यास को उच्चतर बनाएं और अच्छे दर्जे का स्वास्थ्य बनाए रखें और सभी नियमों का पालन करते रहें जिससे कि वह बचे रहें, जब तक कोविड-19 नियंत्रित नहीं हो जाता।
स्वामी ने कहा है, “तुम्हारे प्रतिदिन के कार्यों में निस्वार्थ प्रेम की झलक होनी चाहिए। दिव्यता उसी में से प्रस्फुटित होगी!” - Divine Discourse, Jul 5, 1996. मैं प्रार्थना करता हूं कि वह हमारे माध्यम से ही इस महामारी को रोकने का कार्य कर रहे हैं और हमें स्वस्थ एवं सुरक्षित बनाए हुए हैं। हम सभी समझते हैं कि हम सभी के मन में एक डर समाया हुआ है और वह जीवन के हर पहलू से संबंधित है जैसे कि जीवन, स्वास्थ्य, आपसी संबंध और भविष्य के प्रति अनिश्चितता। ऐसी स्थिति में स्वामी के इन शब्दों को याद कर लेना चाहिए, “जब मैं यहां हूं तो डर किस बात का है”, और हमें इस संदेश को उन सभी लोगों तक पहुंचाना है जो हमारे संपर्क में हैं। जैसे कि रोगी, परिवार, मित्र, पड़ोसी, असहाय और सार्थक तरीके से उनके जीवन में आनंद भरना है।
साईं की प्रेममयी सेवा में
जीत के अग्रवाल