साई व्हाइब्रियोनिक्स पत्रिका

" जब आप किसी हतोत्साहित, निराष या रोग ग्रस्त व्यक्ति को देखते हो, वहीं आपका सेवा क्षेत्र है " Sri Sathya Sai Baba
Hands Reaching Out

डॉ० जीत के अग्रवाल की कलम से

Vol 10 अंक 3
मई/जून 2019


प्रिय चिकित्सकों,

हमारे प्रिय भगवान बाबा के आराधना दिवस पर लिखते हुये मुझे अपार प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है इस दिवस को विश्व मानव मूल्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। एक माह से आराधना दिवस तक आध्यात्मिक साधना के विषयों पर चर्चायें होती रही जिन पर चल कर हम अपने हृदयों को निर्मल बना सकें और हमारा रूपान्तरण हो सके यह चर्चाये भक्तगणों के मध्य प्रेम और क्षमाशीलता जैसे गुणों को अपनाने के बारे में ही होती रही। प्रशांति निलयम में इस दिन भगवान बाबा के संदेश का विषय भी रूपान्तरण के संबंध में ही था। हम भी यह विश्वास करते है कि एक वाइब्रो चिकित्सक में भी प्रेम और क्षमाशीलता के गुणों का होना आवश्यक है, इन्हीं गुणों के कारण वह निस्वार्थ सेवा कर सकेगा। मुख्य बात तो यह है कि वाइब्रो सेवा करने से व्यक्ति तथाकथित अंतरों से ऊपर उठकर अपना रूपांतरण करने में सक्षम हो जाता है। स्वामी कहते हैं ‘‘जीवन रूपी समुद्र को पार करने के लिये तपस्या करना तीर्थ यात्रायें करना, शास्त्रों का अध्ययन करना, जप करना ही काफी नहीं हैं, इसको पार करने के लिये सेवा करना आवश्यक है,.......प्रत्येक व्यक्ति की सेवा यह समझ कर करों कि उसमें भी वही भगवान हैं जो तुम्हारे अन्दर हैं’’...Sathya Sai Speaks, vol 35. आइये हम सब इस बात को अपने हृदयों और मस्तिष्क में अंकित कर लें।

हम भाग्यशाली हैं कि हम बहुत से उन चिकित्सकों के साथ कार्य कर रहे हैं जो स्वामी के उक्त संदेशानुसार चल रहे हैं। मैं बड़े दुःख के साथ आप लोगों को सूचित कर रहा हूँ कि हमारे दो दिग्गज चिकित्सक डा० नन्द अग्रवाल10608…भारत 9 अप्रैल 2019 को और श्रीमती जोजा मेन्टस01159…क्रोशिया16 अप्रैल 2019 को स्वामी के चरणों में विलीन हो गये हैं। हमारी वाइब्रो मिशन में दोनो ही उच्च कोटि का नेतृत्व प्रदान करने वाले थे। डा० नन्द अग्रवाल वर्ष 2012 से ही वरिष्ठ चिकित्सक का कार्य अपनी धर्म पत्नी02817...भारत, के साथ बैंगलोर और मुंबई में कर रहे थे। उन्होंने यहाँ पर कई प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन किया था। धर्म क्षेत्र और अपने घर पर रोगियों की चिकित्सा करते थे और दोनों ही स्थानों पर रोगियों की बढ़ती संख्या एक उदाहरण थी। व्यक्तिगत तौर पर मैंने एक करीबी दोस्त और निष्ठावान साथी को खो दिया है। जोजा मिन्टस एक समर्पित दयालु चिकित्सक थी। वह 1999 से ही यह कार्य कर रही थी। वह क्रोशिया के SSIO नेशनल काऊंसिल की अध्यक्ष थी। पेनक्रिया के कैंसर से बड़ी हिम्मत के साथ जुझते हुये उन्होंने अपने प्राण त्याग दिये। साई संगठन और वाइब्रो सेवा में अपने अनुपम उदाहरण से वे सदैव याद की जाती रहेगी।

वैश्विक स्तर पर होने वाली स्थानीय मासिक बैठकों में मुझे एक स्वस्थ और बढ़ती हुई प्रवृत्ति का अनुभव हुआ है। मैं इस उत्साह अभियान और प्रतिबद्धता को देखकर बहुत प्रोत्साहित हुआ हूँ। ये चिकित्सक इन बैठकों का आयोजन करते हैं उसमें विचारों को आदान प्रदान करतें हैं। जहाँ इस प्रकार की बैठकों का आयोजन संभव नहीं होता है उसके लिये हमें इन्टरनेट प्रोद्योगिकी का उपयोग करना चाहिये। (स्काईप या अन्य कोई साधन जिससे मुलाकात हो जाये) और हमारे बीच की भौतिक दूरी समाप्त हो जाये। मैं चिकित्सकों को एक सलाह देना चाहता हूँ कि प्रत्येक बैठक से पहले किसी एक विषय का चयन करके जिस पर बैठक में चर्चा की जानी है। सभी चिकित्सक पूरी तैयारी के साथ उसमें भाग लें तथा अपने अनुभवों का आदान प्रदान करें। इससे बैठकों की उपयोगिता बढ़ जावेगी। इसके बाद व्यापक रूप से वाइब्रोनिक्स समुदाय के साथ साझा की जाने वाली चर्चाओं और निष्कर्षों का सारांश दिया जाना चाहिए।

कार्यशालाओं के संचालन के समय मैंने यह महसूस किया है कि चिकित्सकों में वाइब्रो प्रैक्टिस के प्रति रूझान बढ़ रहा है और अपनी उन्नति के लिये विभिन्न तकनीकी गतिविधियों को सीखने की जिज्ञासा बढ़ रही है (रूपांतरण की बढ़ने की प्रवृत्ति)। यह एक अच्छा संकेत है। यद्यपि हम जानते हैं कि सकारात्मक विचारों से हम में क्षमाशीलता, प्रेम, दया तथा सहनशीलता के गुण आ जाते हैं और उपचार करते समय यह चिकित्सक पर प्रभावी रहते हैं। मैं यह विश्वास करता हूँ कि जब हम सचेतन मन और सकारात्मक विचारों के साथ उपचार करते हैं तो आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त होते हैं। एक मशहूर बौद्ध महंत Thich Nhat Hanh के अनुसार, ’’हमारी उपस्थिति ही दूसरों के लिये सबसे मूल्यवान उपहार होता है। जब हम किसी को सच्चेतनमन से प्रेम करेंगे तो वह फूल की तरह खिल उठेगा।’’

निकट भविष्य में ईश्वरम्मा दिवस आने वाला है, हमें प्रयास करना चाहिये कि जो भी हमारे संपर्क में आये उसे हम मातृभाव से प्रेम करें। तुम सभी प्रसन्न रहो!

साईं की प्रेममयी सेवा में

जीत के अग्रवाल