Vol 9 अंक 5
सितम्बर/अक्टूबर 2018
मुद्रणीय संस्करण
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डा. जीत के अग्रवाल की कलम से
प्रिय चिकित्सको,
गणेश चतुर्थी के अत्यंत पवित्र दिन पर तुम्हें संदेश लिखते हुये मुझे अत्यंत प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। इस अवसर पर मैं अपने यहूदी भाइयों को भी रोश हाशनाह के अवसर पर बधाई अर्पित करता हूँ! हम लोगों को, इस सार्वभौमिक मिशन जिसमें प्रेम, विशवास और हर धर्म को सम्मान दिया जाता है, के सदस्य होने का गौरव प्राप्त हुआ है। सभी त्यौहारों को समान धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसके फलस्वरूप दैवीय तरंगे चहुँ और फैल जाती हैं तथा हमारे मध्य उपस्थित मतभेदों को कम करके हमें उत्कृष्टता की और अग्रसर करती हैं। यह वास्तव में बहुत ही अद्वितीय और विशेष है!
हमारी हृदयतम प्रार्थनायें केरल राज्य के हमारे भाइयों और बहनों तक पहुँचे जिन्होंने अभूतपूर्व-विपत्तिपूर्ण बाढ़ का सामना किया है और अभी भी सामना कर रहे हैं। हम एक और बड़े तूफान (फ्लोरेंस) को करीब से देख रहे हैं, जो अमेरिका में साउथ कैरोलिना और नॉर्थ कैरोलिना के राज्यों में लैंड फॉल करने वाला है। जैसा कि पहले के समाचार पत्र में कहा जा चुका है कि हम अमेरिका से उन तरंगों का प्रसारण कर रहे हैं जो धरती माँ पर दर्द और कष्टों की पीड़ा को समाप्त करने में सक्षम हैं। इसी की भारत में हमारे चिकित्सक11573...भारत ने पहल शुरू कर दी है। वह अपने दल के वरिष्ठ चिकित्सकों के साथ इन तरंगों का प्रसारण कर रहे हैं, यह कार्य प्रत्येक गुरूवार को निर्बाध रूप से चलाया जा रहा है। प्रसारण की भाँति ही प्रार्थना भी उतनी ही शक्तिशाली होती है। मुझे विश्वास है कि हृदय की गहराईयों से की गई एक छोटी सी प्रार्थना भी अत्यंत लाभप्रद होती है।
प्रशांति निलयम के पुरूष सेवादल भवन में हम माह में 15 दिन वाइब्रोसेवा नियमित रूप से दे रहें हैं। परन्तु महिला सेवा दल भवन में यह नियमित नहीं हैं। मुझे प्रसन्नता है कि गुरू-पूर्णिमा के बाद से दो चिकित्सक, वरिष्ठ चिकित्सक11422...भारत के दिशा निर्देशों के अन्तर्गत नियमित रूप से सप्ताह में तीन दिन तक सेवा कार्य कर रहे हैं। तुम्हें यह जानकर प्रसन्नता होगी कि अधिकांश सेवा दल के सदस्यों को वाइब्रोचिकित्सा में गहन विश्वास है अतः हमारा प्रयास है कि हम अन्य दिनों में भी इस सेवा का विस्तार कर सकें। कोई भी चिकित्सक जो प्रशांति आश्रम में आता है और वह एक सप्ताह तक वाइब्रो सेवा करने का उत्साह रखता हो तो वह हमें सूचित करे। सेवा हेतु [email protected] पर अपना नाम दर्ज करें।
अमेरिका के चिकित्सक03560...USA और उनके दल के सहयोगियों को धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने चिकित्सकों की वेबसाइटों को एक साथ रखने के लिये अत्यधिक समर्पण व कठोर श्रम किया है। यह वेबसाइट अब पूर्ण रूप से क्रियाशील है। किसी भी नये कार्य को करने में कई प्रकार की अड़चनों का सामना करना पड़ता है, उसी प्रकार इस कार्य में भी कई प्रकार की अड़चनों का सामना करना पड़ा है जैसे कि बग्स तथा अन्य कई प्रकार के मुद्दे। मुझे विश्वास है कि तुम्हें इस संबंध में प्रतिदिन निर्देश प्राप्त होते होंगे। हालाँकि यह मुद्दे छोटे हैं और तुम्हें इस वेबसाइट का उपयोग करने में कोई परेशानी नहीं होगी। तुम अपनी व्यक्तिगत जानकारियाँ (फोटो भी) को बदल सकते हो। अपनी मासिक रिपोर्ट भेजते रहो या फिर IASVP की सदस्यता के लिये आवेदन करें। यह सभी वी.पी. और इससे अधिक जानकारी रखने वालों के लिये अनिवार्य है। यदि आपको मासिक रिपोर्ट भेजने में परेशानी होती है तो सलाह हेतु वेबसाइट [email protected] पर सूचना प्रेषित करें।
इस बार मैं तुम्हें एक छोटी सी कहानी, जो बाबा ने गणेश चतुर्थी के अवसर पर जो निस्वार्थ सेवा के महत्व से संबंधित है, सुनाई थी- ‘‘देहली का एक छात्र स्वामी के उद्धबोधन को बड़ी तन्मयता से सुन रहा था, एक दिन वह परीक्षा के लिये महाविद्यालय जा रहा था जो कि प्रातः 8 बजे प्रारम्भ होने वाली थी। मार्ग में उसे एक भिखारी दिखाई दिया। वह बहुत बीमार और कमजोर था जो चलते समय लड़खडा भी रहा था। उस छात्र ने उसको उठाया और हास्पिटल ले जाकर वहाँ भर्ती करा दिया, तब तक 10 बज गये थे। समय देखने पर उसे ज्ञात हुआ कि परीक्षा के लिये पहुँचने में बहुत देर हो चुकी है। उसे विचार आया कि स्वामी स्वंय मेरे व्यवहार की परीक्षा ले रहे हैं। परीक्षा छूट जाने का उसे कोई पछतावा नहीं हुआ। वास्तव में वह बहुत प्रसन्न था और जब वह स्वामी के पास गया तो स्वामी से कहा कि मेरा एक पेपर छूट गया है। मैं इस वर्ष उत्तीर्ण नहीं हो सकूँगा लेकिन अगला वर्ष हमेशा आयेगा। मुझे इसका कोई पछतावा नहीं है क्योंकि मैं आपकी परीक्षा में उत्तीर्ण हो गया हूँ। स्वामी ने कहा- ‘‘चिंता मत करो, तुम अपनी परीक्षा में पास हो गये हो।’’ अगले माह जब परिणाम आया तो वह प्रथम डिवीजन में उत्तीर्ण हो गया था।
छात्र ने परवाह न करते हुये एक अत्यंत महान कार्य किया था, एक गरीब व्यक्ति की मदद् की थी। उसने सोचा यद्यपि मैं सांसारिक परीक्षा में तो फेल हो गया हूँ परन्तु ईश्वरीय परीक्षा में पास हो गया हूँ। ऐसे अनेकों छात्र हैं जो अपने हित की अपेक्षा सेवा कार्य को अधिक महत्व देते हैं। ’’यदि तुम्हारा इस प्रकार का दृष्टिकोण जीवन में रहेगा तो तुम कभी भी असफल नहीं होगे तथा तुम दिव्यता का अनुभव करने में सक्षम हो जाओगे, जब भी तुम कोई कार्य करो तो उसे पूरे मन के साथ करो।’’ – Divine Discourse, Vinayaka Chaturthi, 1-09-2000, Prashanti Nilayam
साईं की प्रेममयी सेवा में
जीत के अग्रवाल
ममप्स 11520...भारत
एक 55 वर्षीय वृद्ध को गर्दन में सूजन और दर्द था (कान के पिछले व नीचे की और) तथा 3 दिनों से बुखार भी था। उसके डाक्टर ने इसका कारण ममप्स होना बताया था। रोगी ने ऐलोपैथिक उपचार लिया था लेकिन थोड़ा ही फायदा हुआ था अतः उसने उपचार बन्द कर दिया।
चिकित्सक ने 2 अप्रैल 2015 को निम्न उपचार दिया:
CC9.2 Infections acute + CC9.4 Children’s diseases + CC15.1 Mental & emotional tonic…TDS
2 दिनों में ही रोगी को 90% आराम मिल गया था। बुखार समाप्त हो गया था दर्द और सूजन में काफी आराम मिल गया था। एक सप्ताह बाद 9 अप्रैल 2015 को दर्द और सूजन भी समाप्त हो गये थे। रोगी को दवा की खुराक को कम करने के लिये कहा गया लेकिन उसने उपचार ही बन्द कर दिया क्योंकि उसे अब कोई तकलीफ नहीं थी और वह पूर्णतया स्वस्थ्य हो गया था।
गुर्दे की पथरी और बालों का झड़ना 03522...Mauritius
27 मई 2015 को एक 27 वर्षीय युवक चिकित्सक के पास गया। वह 2 माह से कमर दर्द से पीड़ित था। पिछले 6 माह से दर्द इतना अधिक बढ़ गया था कि वह दैनिक कार्य करने में भी परेशानी अनुभव करता था। स्कैन करने पर पता चला कि गुर्दे में पथरी है अतः लिथोट्रिप्सी (पथरी को तोड़ने के लिये अल्ट्रासाउन्ड का उपयोग) हेतु उसका नाम प्रतीक्षा सूची में डाल दिया गया। दर्द निवारक औषधि के अलावा वह और उपचार नहीं ले रहा था। वह पिछले 2 वर्षों से अपच और अम्लता से भी पीड़ित था। पाँच माह से उसके बाल अधिक झड़ने लग गये थे तथा बालों में रूसी भी थी। बाल झड़ने से बह बहुत दुखी था क्योंकि सिर पर जगह-जगह खाली स्थान नजर आने लगे थे। उसने रूसी को दूर करने के लिये शैम्पू आयुर्वेदिक तेल और विटामिन की गोलियों का भी सेवन किया परन्तु किसी भी विधि से रोग समाप्त नहीं हुआ। उसको निम्न औषधियाँ दी गई :
गुर्दे की पथरी,अम्लता और अपच के लिये:
#1. CC4.10 Indigestion + CC13.5 Kidney stones + CC15.1 Mental & Emotional tonic…TDS
बाल झड़ने और रूसी के लिये :
#2. CC11.2 Hair problems + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC21.2 Skin infections …TDS
एक माह पश्चात् पीठ दर्द में 50% आराम मिल गया था और अपच और अम्लता में 80% लाभ मिल गया था। परन्तु बालों के झड़ने में कोई लाभ नहीं हुआ था। दो माह पश्चात्, रोगी ने सूचित किया कि बालो के झड़ने में और रूसी में 40% लाभ हो गया है।
लगभग 3 माह पश्चात्, कमर दर्द, अम्लता और अपच की समस्या पूर्णतया समाप्त हो गई थी। 30 अगस्त 2015 को ईकोग्राफी से पता चला कि गुर्दे की पथरी समाप्त हो गई है। रोगी के अनुसार यह सब रोग पूर्णतया समाप्त हो गये थे अतः #1 की खुराक को OD कर दिया गया। जिसका सेवन एक माह तक किया और 1 अक्टूबर 2015 को इसको भी बन्द कर दिया गया। हालांकि, वह अगले 3 महीने के लिए #2 की खुराक को लेते रहा।
उपचार शुरू करने की तिथि से 30 दिसम्बर, 2015, यानि सात माह तक उपचार चला रोगी अब पहचान में नहीं आता था, अब उसके सिर पर बालों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो गई थी। रूसी की समस्या पूर्णतया समाप्त हो गई थी और बालों का झड़ना भी समाप्त हो गया था। अतः #2 की खुराक को एक माह तक OD कर दिया गया तदपुरान्त उसे बन्द कर दिया गया।
कमर-दर्द, अनियमित मासिक धर्म 11595...India
28 फरवरी 2018 को एक 35-वर्षीय महिला ने बाइव्रो चिकित्सक से संपर्क किया। वह 6 माह से कमर दर्द से पीड़ित थी। दर्द सामने से पीछे की ओर जाता था फिर वह बायें पाँव के घुटने तक जाता था। दर्द के दौरान झुनझुनाहट भी होती थी जो शाम तक बढ़ जाती थी। रोगी यह समझती थी कि प्रतिदिन दुपहिया वाहन द्वारा लम्बी दूरी का सफर करना इसका कारण है। उसको अनियमित मासिक धर्म की समस्या काफी दिनों से थी। वह मासिक धर्म की देरी के लिये ऐलोपैथिक दवाओं का सेवन भी करती थी। हाल ही में उसने जाँच करवाई तो मालूम हुआ कि उसके यूटरस में गर्भाशय ग्रीवा शोथ तथा फैब्रोइड है। उसने पूरा ऐलोपैथिक उपचार करवाया। अभी वह किसी भी प्रकार का अन्य उपचार नहीं ले रही थी। वह केवल वाइब्रानिक्स उपचार ही ले रही थी। पानी में।
उसको उपचार हेतु निम्न काम्बोज दिये गये :
CC8.1 Female tonic + CC8.4 Ovaries & Uterus + CC8.8 Menses irregular + CC15.1 Mental & emotional tonic + CC20.1 SMJ tonic + CC20.5 Spine + CC20.7 Fractures...TDS पानी मेंI
एक सप्ताह के बाद रोगी के थोड़ी सी वृद्धि हुई (संभवतया पुल आऊट) कमर दर्द में, दो सप्ताह बाद उसने सूचित किया कि कमर दर्द में 80% तक की कमी हो गई है और मासिक धर्म भी बिना किसी ऐलोपैथिक दवा के नियमित हो गया है। तीन सप्ताह बाद 20 मार्च 2018 तक उसका कमर दर्द बिलकुल ठीक हो गया था अतः खुराक को BD कर दिया गया। अगले दो सप्ताह के बाद खुराक को OD कर दिया गया।
अगस्त 2018 से सावधानी के तौर पर दवा को व OD के रूप में सेवन कर रही है। कमर दर्द फिर नहीं हुआ और मासिक धर्म भी 6 माह से नियमित रूप में हो रहा है।
चिकित्सकीय टिप्पणी : CC20.7 Fractures को झटकों से बचाव की वजह से मिलाया गया था क्योंकि उसको प्रतिदिन दुपहिया वाहन पर आने-जाने में 2 घंटो तक सफर करना होता था।
पैर की ऊँगलियों के मध्य दर्द 11591...India
एक 29 वर्षीय युवती को 6 माह से बायें पाँव के अँगूठे और बाद वाली ऊँगली के मध्य दर्द का अहसास होता था चाहे वह बाईक पर चले या पैदल चले उस स्थान पर सूजन आ जाती थी जिसके कारण असहनीय दर्द होता था। अतः वह इधर-इधर चलने में भी असमर्थ हो गई थी। आराम करने पर दर्द कम हो जाता था।
ऐक्स-रे के द्वारा जाँच करवाने पर भी कोई कारण दिखाई नहीं दिया था, इस कारण वह तनावग्रस्त रहती थी। उसके पति विदेश गये हुये थे, उसको अपने बीमार पिता का भी ध्यान रखना होता था अतः वह अत्यधिक कार्य बोध से भी ग्रसित थी। वह ऐलोपैथिक औषधि या दर्द निवारक औषधि का भी सेवन नहीं करती थीI वह केवल वाइब्रो उपचार पर ही विश्वास करती थी।
2 दिसम्बर 2017 को निम्न काम्बोज उपचार हेतु दिये गये :
CC20.4 Muscles & Supportive tissue…TDS पानी में या विभूति में रोग ग्रस्त क्षेत्र में लगाना।
औषधि को एक दिन सेवन करने से ही दर्द में पूर्ण आराम मिल गया। लेकिन दूसरे दिन ही दर्द फिर उभर गया। अतः उसको उसी दवा का सेवन करते रहने के लिये कहा गया। 19 दिन बाद उसने सूचित किया कि दर्द अब बिलकुल ठीक हो गया है तथा सूजन में भी 100% लाभ मिल गया है।
ऐडीटर की टिप्पणी : बाहृय उपचार के साथ-साथ यदि औषधि का मुख द्वारा सेवन कराया जाता तो परिणाम जल्द प्राप्त होते।
अपवर्तक मिर्गी 11591...India
एक 18 वर्षीय युवक को पिछले वर्षों से प्रतिदिन मिर्गी के झटके अनुभव होते थे, उसने वाइब्रो चिकित्सक से 18 दिसम्बर 2017 को उपचार करने के लिये प्रार्थना की। बीमारी के आक्रमण के कारण वह जैसी भी स्थिति में होता था जमीन पर गिर जाता था। वह प्रतिदिन 4.5 बार मिर्गी के झटके महसूस करता था, यह स्थिति 2 से 3 सैकण्ड तक रहती थी। इसके पश्चात् उसे इस घटना की याद नहीं रहती थी। यह आक्रमण किसी भी समय कहीं पर भी हो जाता था। डॉक्टर्स ने इसको अपवर्तक मिर्गी (ड्रग रेसिसटेन्ट) नाम दिया था। इसके उपचार के लिये उन्होंने ब्रेन सर्जरी की अनुशंसा की थी क्योंकि यह बीमारी अत्यंत घातक थी। ऐलोपैथिक दवाओं का सेवन कर रहा था परन्तु उसका कोई लाभ नहीं हुआ।
उसे निम्न काम्बो दिये गये तथा एलोपैथिक उपचार को सेवन करते रहने की सलाह भी दी:
CC10.1 Emergency + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC18.3 Epilepsy...TDS
बाइव्रो उपचार लेने से पहले तीन दिन तक उसे प्यास बहुत लगी। 5वें दिन से मिर्गी के दौरों की संख्या में कमी आने लगी। 10वें दिन संख्या, एक प्रतिदिन रह गई। 15वें दिन मिर्गी का दौरा नहीं पड़ा। ऐसा 2 वर्षों में पहली बार हुआ।
20वें दिन वह अनर्गल तरीके से बोलने लगा, उसकी ऐलोपैथिक औषधि बदल दी गई थी। वह ना तो खड़े रह सकता था और ना हीं बैठ पाता था और लगातार गिरता रहता था। उसको हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, औषधि बदली गई, तदुपरान्त दूसरे दिन हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई।
25वें दिन के बाद से मिर्गी के दौरे कई माह तक बन्द रहे। उसके पश्चात् उसको 2-3 हफ्तों में कभी-कभी दौरे पड़ते थे लेकिन 2 से 3 सेकण्ड के लिये ही। अगस्त के आखिर से वह दोनों प्रकार की औषीधयों का सेवन कर रहा है। उसे दो माह से मिर्गी का दौरा नहीं पड़ा हैं।
घबराहट 11271...India
एक 43 वर्षीय अध्यापक पिछले 10 वर्षों से आत्मविश्वास में कमी व घबराहट से पीड़ित था। घबराहट इस हद तक बढ़ गई थी कि वह श्याम-पट्ट पर ठीक प्रकार से लिख भी नहीं पाता था, इस कारण उसके व्यवसाय पर भी प्रभाव पड़ रहा था। आत्म विश्वास में कमी इस हद तक हो गई थी कि किसी व्यक्ति के सामने होने पर वह उपस्थिति पंज्जिका में अपने हस्ताक्षर करने से भी डरने लगा था। उसकी लेखन भी अस्पष्ट हो गई थी। डॉक्टर्स ने इसे तंत्रिका सम्बन्धी समस्या के रूप में निदान किया था। उसने कई प्रकार के उपचार लिये परन्तु किसी से समस्या का समाधान नहीं हुआ, अतः उसने वाइब्रो उपचार लेने का मानस बनाया।
11 अक्टूबर 2014 को रोगी को निम्न उपचार दिया गया :
#1. CC18.1 Brain & Memory tonic + CC18.4 Paralysis + CC20.5 Spine…TDS
4 सप्ताह पश्चात् रोगी पहले की अपेक्षा अच्छा महसूस करने लगा था, उसके हस्त लेखन में भी सुधार हुआ था, फिर भी वह आत्म विश्वास में कमी महसूस करता था। 8 नवम्बर 2014 को उसकी औषधियों में परिवर्तन करके निम्न काम्बोज दिये गये:
#2. CC15.2 Psychiatric disorders + CC18.4 Paralysis + CC20.5 Spine…TDS
2 माह तक वाइब्रो उपचार लेने के पश्चात् उसकी हालत में 50% सुधार हो गया था। घबराहट में कमी व आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होने लगी थी। अब पूर्ण आत्मविश्वास से लेखन करने लगा था। और दो माह के पश्चात् सुधार 75% तक हो गया था। 9 मई 2015 तक सुधार 90% हो गया था। जुलाई 2015 तक वह सभी मानसिक विकारों से मुक्त हो गया था अतः खुराक को OD करने के लिये कहा गया लेकिन रोगी ने औषधि TDS के रूप में लेते रहने की इच्छा जाहिर की। अगस्त 2018 तक वह पूर्णतया स्वस्थ्य हो गया था फिर भी उपचार ले रहा है।
ऐडीटर की टिप्पणी: चिकित्सक ने महसूस किया कॉम्बो CC20.5 का मिलाना अनावश्यक था परन्तु रोगी की स्वस्थ्य होने की प्रक्रिया ठीक थी अतः उस काम्बो को मिलाना जारी रखा।
अनिद्रा 03564...Australia
एक 69 वर्षीय महिला दस वर्षों से अनिद्रा की समस्या से ग्रस्त थी। वह उपचार हेतु वाइब्रो चिकित्सक के पास पहुँची। उसका सोने का समय सामान्य तौर पर रात्रि 10 बजे का था। लेकिन एक घंटे के बाद ही उसकी नींद उचट जाती थी, इसके बाद उसको नींद नहीं आती थी अतः वह ऐलोपैथिक नींद की गोली का सेवन कर लेती थी। ऐलौपैथिक गोली के दुष्प्रभाव को महसूस करते हुये उसने स्वयं ही उसका सेवन बन्द कर दिया, 18 फरवरी 2018 से वह वाइब्रो औषधि का सेवन करने से पहले एलोपैथिक दवा नहीं ले रही थी।
उसको निम्न कॉम्बो दिये गये:
#1. CC15.6 Sleep disorders...एक गोली सोने से आधा घंटा पूर्व। यदि नींद न आये तो एक पिल हर दस मिनट के अंतर से एक घंटे तक।
2 दिन तक औषधि का सेवन करने के बाद उसकी नींद में 90% तक सुधार हो गया था। एक गोली के सेवन से ही उसे नींद आने लगी थी और एक घंटे तक उसकी नींद टूटती नहीं थी लेकिन मध्य रात्रि में उसको एक गोली का सेवन करना पड़ता था। 3 माह तक उसी कॉम्बो को लेते रहने से, उसको मध्य रात्रि में गोली की आवश्यकता कभी-कभी ही होती थी।
एक माह पश्चात् जून 2018 में उसे महसूस हुआ कि वह बिलकुल स्वस्थ हो गई है क्योंकि दूसरी खुराक की आवश्यकता (आधा घंटे के बाद) कभी-कभी ही पड़ती थी। मध्य रात्रि में दूसरी खुराक लेने की आवश्यकता कभी-कभी ही होती थी। यदि दूसरी खुराक की जरूरत होती थी तो दवा लेने के बाद तुरंत ही निद्रा आ जाती थी।
चिकित्सक की टिप्पणीःयह रोगी इस दवा से इतना अधिक प्रभावित हुई कि अपने मित्रों को इस दवा के चमत्कारी प्रभाव को बतलाने लगी।
मासिक धर्म का दर्द 11542...India
एक 16 वर्षीय युवती दो वर्षों से मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द से बहुत परेशान थी। दर्द इतना अधिक होता था कि वह तीन दिनों तक अपनी कक्षायों में उपस्थित नहीं हो पाती थी। वह दो वर्षों से ऐलोपैथिक औषधियों ले रही है परन्तु उनसे कोई लाभ नहीं मिला है। मई 2018 को मासिक धर्म के पहले दिन वाइब्रोचिकित्सक के पास पहुँची, उसको निम्न काम्बो दिये गये:
CC8.7 Menses frequent + CC8.8 Menses irregular…TDS
एक खुराक के लेने के एक घंटे बाद दर्द में 100% आराम मिल गया। इस चमत्कारी प्रभाव से वह आश्चर्य चकित हो गई। अगले तीन दिनों तक उसे दर्द नहीं हुआ अतः नियमित रूप से कॉलेज जाने लगी। बताई गई विधि से वह दवा का सेवन करती रही।
अगले माह मासिक धर्म के पहले दिन मामूली सा दर्द हुआ परन्तु व नगण्य था, वह कॉलेज जाने में पूर्णतया सक्षम थी। बाकी के दो दिन में उसे दर्द का अनुभव नहीं हुआ अतः खुराक को OD कर दिया गया जिसको रोगी अगस्त 2018 तक ले रही थी, उसको दर्द भी नहीं हुआ।
स्पोन्डिलाइटिस (कशेरूका संधिशोध) 11542...India
एक 62 वर्षीय पुरूष 6 माह से गर्दन दर्द से पीड़ित होने के कारण उपचार हेतु वाइब्रो चिकित्सक के पास पहुँचा। डॉक्टर की सलाह पर उसने गर्दन में कॉलर पहना हुआ था। उसे निम्न कॉम्बो दिये गये :
CC20.1 SMJ tonic + CC20.3 Arthritis + CC20.5 Spine…6TD
दवा का प्रारम्भ करने के 24 घंटों में ही 25% आराम मिल गया, और तीन दिन के बाद दर्द में 50% आराम आ गया था। दस दिनों के उसे पूर्ण आराम (100%) मिल गया था अतः उसने गर्दन में कॉलर पहनना बन्द कर दिया। औषधि की खुराक को एक माह के लिये OD कर दिया। तदुपरान्त उपचार बन्द कर दिया गया।
पाँव में दर्द 11542...भारत
मई 2018 में एक 70 वर्षीय वृद्ध अपने पैरों में दर्द के उपचार के लिये चिकित्सक के पास पहुँचा। उसे यह शिकायत 3-4 वर्षों से थी। उसे निम्न कॉम्बो दिये गये :
CC10.1 Emergencies + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC20.3 Arthritis + CC20.4 Muscle & Supportive tissue + CC20.5 Spine…6TD
24 घंटों तक उपचार लेने से 100% दर्द से राहत मिल गई। रोगी को प्रतिदिन QDS की खुराक एक माह तक लेते रहने की सलाह दी गई। उसके बाद उसे धीरे-धीरे बन्द कर दिया गया।
ऐडीटर की टिप्पणीः
उपरोक्त प्रकार के अनेको कंकाल संबंधी रोगियों का चिकित्सक ने उपचार सफलतापूर्वक किया है।
रोडेन्ट मीनेस (कृंतक खतरा) 11573...भारत
हर वर्ष चिकित्सक के परिवार को मानसून के समय में (जुलाई से सितम्बर) चूहे और गिलहरी से खतरा बना रहता है। वह हमेशा चूहेदानी का प्रयोग करते हैं, जिससे कि वे अधिक नुकसान न कर सकें लेकिन इस वर्ष एक अनूठी घटना हुई। एक चूहा बहुत ही सक्रिय प्रकृति का था। रात्रि में सोने नहीं देता था और कुछ न कुछ चीज़ों को कुतरता रहता था। वह बहुत बड़ा था, वह चूहेदानी में नहीं समाता था। उन्होंने किसी अन्य प्रकार की युक्ति का उपयोग नहीं किया क्योंकि वह चूहे को नुकसान नहीं पहुँचाना चाहते थे। इस घटना से परेशान चिकित्सक ने वाइब्रोनिक्स को अजमाने का फैसला किया। 26 जुलाई 2018 को उन्होंने एक रिमैडी 150ml पानी में बनाई। उस औषधि में निम्न कॉम्बो को मिलाया गयाः
CC10.1 Emergencies + CC15.2 Psychiatric disorders + CC17.2 Cleansing + CC17.3 Brain & Memory tonic + CC18.5 Neuralgia
इस औषधि की एक बूँद पानी में मिलाई गई। गेहूँ के आटे में 50ml पानी मिलाकर लोई बनाई तथा इससे 5 छोटी-छोटी गोलियाँ बनाकर रसोई घर में पाँच अलग-अलग स्थानों पर रख दी। सुबह न तो गोलियाँ थी और न ही चूहे। अगली रात्रि बहुत शांतिपूर्वक रहीं, ऐसा बहुत दिनों के बाद हुआ। इतना ही नहीं एक माह तक कोई चूहा नजर ही नहीं आया। इसके पश्चात् न तो चूहा नजर आया और न ही अन्य कुतरने वाले जीव। उनको दुबारा लोई बनाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी। यद्यपि उन्होंने सप्ताह में तीन बार दवा का उपयोग करने की योजना बनाई थी!
ऐडीटर की टिप्पणीः
कीट नियंत्रण के लिये विषैले रसायन के बजाय यह एक अच्छा विकल्प है, परन्तु हमें आश्चर्य है कि तुमने CC1.1 Animal tonic का उपयोग क्यों नहीं किया। UK के एक चिकित्सक ने ततैया को भगाने के लिये केवल एक कॉम्बो का उपयोग किया था। 2014 की कांफ्रेन्स पुस्तक के पेज 68 पर इस संबंध में लेख है। चिकित्सक के अनुसार भूलवश ऐसा हो गया था। उसे यह महसूस हो गया था कि इस कॉम्बो का उपयोग करना चाहिये था अतः भविष्य में उसका उपयोग करने का मन बना लिया था। लेकिन उसकी आवश्यकता ही नहीं पड़ी। उसने यह महसूस किया कि चूहे को बहुत दर्द हो रहा था, उसी को दूर करने के लिये उसके सामने जो कुछ भी आता था उसे कुतरने लगता था और उसकी यह तड़प पूरी नहीं हो पाती थी। चिकित्सक ने सोचा कि चूहे को कुछ चाहिये था जो उसकी नसों को आराम पहुँचाये। अति सक्रयिता का यही कारण था, इसलिये उसने उपरोक्त कॉम्बोज़ का चयन किया था।
वात-व्याधि 11594...भारत
एक दस वर्षीय बालिका के पाँवों और हाथों की मांसपेशियों में 5 वर्षों से दर्द की शिकायत रहती थी। यह समस्या दोपहर तथा रात्रि के समय होती थी। सप्ताह में 3 बार तक हो जाया करती थी। खेलने के बाद यह समस्या अधिक बढ़ जाती थी। उसके पिता ने बतलाया कि दर्द इतना अधिक हो जाता है कि मध्य रात्रि में जाग जाती है। उन्होंने बहुत से डाक्टर्स से संपर्क किया परन्तु सभी ने दर्द निवारक दवा लेने की सलाह दी, इनसे केवल अस्थायी आराम ही मिलता था। अन्तिम दो दिनों में दर्द असहनीय हो जाता था। एक बार स्कूल से फोन आया कि उसकी पुत्री को बहुत दर्द हो रहा है और वह स्कूल में दर्द के कारण चिल्ला रही है। उसके अभिभावक बहुत ही चिन्तित हो गये थे। चिकित्सक ने जब बच्ची को देखा तो पाया कि वह बहुत कमजोर थी तथा उसे भूख भी कम लगती थी। वाइब्रो उपचार के दौरान वह कोई अन्य उपचार नहीं ले रही थी।
9 मार्च 2018 को उसको निम्न काम्बो दिये गये:
#1. CC4.1 Digestion tonic + CC12.2 Child tonic + CC15.1 Mental and Emotional tonic + CC17.3 Brain and Memory tonic + CC20.2 SMJ pain + CC20.4 Muscles and Supportive tissue…एक खुराक हर दस मिनट के बाद, 2 घंटों तक उसके पश्चात् 6TD.
दस दिनों के बाद, उसे 90% आराम मिल गया था। उसके अभिवावकों ने दवा को प्रतिदिन 6TD के रूप में लेते रहने के लिये आग्रह किया। एक सप्ताह बाद 26 मार्च 2018 तक दर्द बिलकुल समाप्त हो गया था। उसके स्कूल से भी कोई शिकायत नहीं आई थी। एक माह के बाद दर्द नहीं होने के कारण खुराक को कम करके TDS कर दिया गया। तीन माह के बाद 1 अगस्त को अभिवावको ने उपचार को बन्द करने का मानस बना लिया। 7 सितम्बर 2018 तक वह बच्ची पूर्ण स्वस्थ्य थी। इस बात से उसके अभिवावक बहुत प्रसन्न थे। उसकी माँ लिपोमा और जोड़ो के दर्द के लिये वाइब्रो उपचार ले रही है।
क्रोहन रोग 11594...भारत
आस्ट्रेलिया की एक 62 वर्षीय वृद्धा 7 वर्षों से क्रोहन रोग से पीड़ित थी। रोग के लक्षण थे, तीव्र पेट दर्द, पेट में सूजन, कब्ज और डायरिया के मध्य बार-बार मल त्यागना, थकान, भूख में कमी, धीरे धीरे वजन कम होना। डाक्टर्स ने उनकी बड़ी आंत के एक हिस्से को शल्य क्रिया द्वारा निकाल दिया। यह शल्य क्रिया 2013 में की गई परन्तु इससे भी कोई लाभ नहीं हुआ। डाक्टर्स ने यह भी कहा कि क्रोहन रोग का अभी तक कोई उपचार नहीं है अतः रोगी ने अपनी जीवन शैली में परिवर्तन करना शुरू कर दिया। उसने ध्यान प्रक्रिया, व्यायाम और भोजन पर नियंत्रण करना शुरू कर दिया लेकिन इससे भी रोगी को कोई लाभ नहीं मिला जिससे वह बहुत निराश हो गई थी। जब भारत में वह अपनी सहेली के माध्यम से चिकित्सक से मिली उस समय वह बहुत ही सीमित मात्रा में भोजन ले रही थी। भोजन में केवल तरबूज के 2-3 टुकड़े और एक अन्डे का ऑमलेट ही शामिल था।
10 अप्रैल 2018 को उसे निम्न कॉम्बोज़ से उपचारित किया गया :
#1. CC4.1 Digestion tonic + CC4.4 Constipation + CC4.6 Diarrhoea + CC10.1 Emergencies + CC12.1 Adult tonic+ CC15.1 Mental and emotional tonic…एक खुराक प्रति 10 मिनट के अन्तराल से 2 घंटों तक तथा दूसरे दिन से 6TD.
दूसरे दिन ही लक्षणों में 60% लाभ दृष्टिगोचर हुआ लेकिन पेट की गड़बड़ी में कोई परिवर्त्तन नहीं हुआ था। दस दिनों के पश्चात सभी लक्षण समाप्त हो गये थे अतः खुराक को TDS कर दिया गया। रोगी को जल्दी ही आस्ट्रेलिया लौटना था अतः उसको 6 माह के लिये औषधि दे दी गई। चिकित्सक ने उसे खुराक में परिवर्तन करने की विधि अच्छी तरह से समझा दी थी। एक माह के पश्चात रोगी ने खुराक को OD कर लिया था। 7 जून 2018 को रोगी से ई-मेल के माध्यम से अन्तिम बार संपर्क हुआ, रोगी बिलकुल स्वस्थ हालत में थी। बीमारी का कोई भी लक्षण पुनः नहीं आया था। उसने अपनी खुशी का इजहार अपने मित्रों के साथ यह कहते हुये किया कि भारत की इस बेशकीमती दवा ने कभी न ठीक होने वाले रोग को ठीक कर दिया है।
चिकित्सक की रुपरेखा 11520...भारत
चिकित्सक11520...भारत, ने नैदानिक मनोविज्ञान और प्रबंधन की शिक्षा प्राप्त की है तथा वह कॉर्पोरेट परामर्शदाता के रूप में कार्यरत हैं। वह अधिकतर अपने घर से ही अपने कार्य का संचालन करती हैं इससे वह अपने व्यवसाय और परिवारिक जिम्मेदारी के मध्य संतुलन बनाये रखती है। वर्ष 2012 में वह साई वाइब्रोनिक्स के प्रति आकर्षित हुई। वर्ष 2008 में उनके पति को एक दुर्धटना का सामना करना पड़ा, जिसमें उनके कुल्हे के जोड़ की हड्डी टूट गई थी इससे वह विकलांग की स्थिति में पहुँच गये थे। उन्होंने सभी संभव इलाज करवाये (ऐलोपैथिक, होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक तथा अन्य इलाज) परन्तु किसी से पूर्ण लाभ नहीं मिला। चलने में दूसरे व्यक्ति का सहारा लेना पड़ता था। चिकित्सक की मुलाकात एक अन्य चिकित्सक02860 से हुई और वर्ष 2011 में पति का वाईब्रो उपचार शुरू हुआ। छः माह में ही वॉकर की मदद से अपनी इच्छानुसार चलने-फिरने लग गये। उनकी इस चमत्कारपूर्ण स्वास्थ्य लाभ से वह स्वामी के प्रति आभार से भर गई। उन्होंने तुरंत ही स्वामी की सेवा हेतु वाईब्रोनिक्स का सहारा लेने के लिये प्रण कर लिया।
दिसम्बर 2012 में वह AVP बन गई और फरवरी 2013 में वह VP बन गई तथा फरवरी 2015 में वह SVP बन गई। इसके तुरंत बाद ही उनके पति के टखने की हड्डी टूट गई। उनके बायें पाँव के अस्थि बंधन में चोट व सूजन हो गई थी। उनके पति को वाइब्रो उपचार में पूर्ण विश्वास था अतः चिकित्सक ने स्वंय ही पति का उपचार शुरू कर दिया। 25 दिनों में ही वह पूर्ण स्वस्थ्य हो गये थे। इससे चिकित्सक का स्वामी तथा वाइब्रोनिक्स में विश्वास और भी अधिक गहरा गया।
दिसम्बर 2012 से चिकित्सक ने 3300 रोगियों का उपचार किया है, विशेषकर गरीब, जरूरतमंद वैरीकोस वेन्स, यू.टी.आई. मांस पेशियों की सूजन, फ्रोज़न शोल्डर, फ्रैक्चर, किडनी की पथरी, त्वचा का जलजाना, त्वचा की ऐलर्जी, श्वास संबंधी रोग, अवसाद तथा सामान्य सर्दी जुकाम, खांसी और बुखार। जब भी वह कोई रिमैडी बनाती है और कोई भी बोतल को उठाती है या कार्ड उठाती है तो उसे यह आभास होता है कि जैसे स्वामी ही उसे निर्देश दे रहे है और वइ इस अंतर्ज्ञान के अनुरूप ही काम्बोज़ का चयन कर रही है, इससे वह रिमैडी तीव्रता के साथ कार्य करती है। वह अपनी सफलता का श्रेय वाइब्रो समाचार पत्रों को देती है। वह वेबसाइट पर समाचार पत्रों को पढ़कर अपने आप को अद्यतन बनाये रखती है।
चिकित्सक अपने घर के पौधों को कॉम्बोCC1.2 Plant tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic देकर उन्हें स्वास्थ्य बनाये रखने में प्रसन्नता अनुभव करती है। उसका कहना है कि उसके सभी पौधे पड़ोसियों के पौधों से अधिक हरे-भरे और स्वस्थ्य है। यद्यपि बाहर का तापक्रम 48°C तक बढ़ जाता है। वह उपरोक्त कॉम्बो में CC18.1 Brain disabilities भी मिलाती है जब पौधों को स्थानान्तरण करना होता है। इस कॉम्बो का मिट्टी में छिड़काव किया जाता है। नये पौधों को रोपते समय भी यही क्रिया आपनाई जाती है। उसके बगीचे में जो भी पक्षी और जानवर आते हैं उनके प्रति उसके अन्दर दया के भाव उत्पन्न हो जाते हैं, उनके लिये प्रति दिन जल की व्यवस्था भी करती है। जब से वह AVP बनी है तभी से वह इस जल में CC1.1 Animal tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic मिलाना नहीं भूलती है। इससे उसके बगीचे में आने वाले पक्षियों और जानवरों की संख्या लगातार बढ़ रही है (देखें पिक्चर)
चिकित्सक को वाइब्रो उपचार करने में बहुत आनन्द का अनुभव होता है। वह अपने आप को स्वामी का एक यंत्र मानते हुये कार्य करती रहती है। उसका आत्मविश्वास बढ़ गया है तथा ईश्वर में विश्वास और गहरा गया है। उसका विश्वास है कि यदि यह कार्य ईश्वर को समर्पित करते हुये पवित्र हृदय के साथ किया जाता है तो इस दवा का प्रभाव बढ़ जाता है और आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त होते हैं। उसकी तीव्र प्रार्थना है कि ‘‘प्रत्येक परिवार को एक वाइब्रोचिकित्सक की सेवायें उपलब्ध हों!”
सहभागिता के लियें केसः
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चिकित्सक की रुपरेखा 03522...मॉरीशस
चिकित्सक03522……मारीशॅस विमानन सुरक्षा, मारीशॅस में 16 वर्षों से पेशा करते हैं। वह बचपन से ही स्वामी से जुड़े हुये है और साई संगठन की अनेकों कार्यों में भाग लेते रहे हैं। वाइब्रोनिक उपचार और उसके प्रभाव का अनुभव उन्हें डा॰ जीत अग्रवाल और श्रीमती हेम अग्रवाल का विडियो देखने से हुआ। विडियो देखने से वह इस विद्या से उपचार करने को लिये इतना प्रेरित हो गये कि उन्होंने तुरंत ही वाइब्रो वेबसाइट पर प्रशिक्षण हेतु आवेदन कर दिया। उन्होंने ई-कोर्स के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त किया तथा मार्च 2015 में AVP और जून 2016 में VP बन गये।
उनके अनुसार इस विद्या से उपचार करने के लिये चिकित्सक बनना एक दैवीय उपहार है। एक लम्बे समय से उनकी इच्छा थी कि वे जरूरत मंदों और संकटग्रस्त लोगों की, साई परिवार का सदस्य होने के नाते, मदद कर सकें। वह यह अनुभव करते हैं कि रोगियों की निस्वार्थ भाव व प्रेममयी सेवा करना एक बड़ी जिम्मेदारी का कार्य है। चिकित्सक होने के नाते मुझमें विश्वास जताते हुये, आश्चर्य चकित करने वाला 108CC बॉक्स मुझे दिया गया। उनका वाईब्रोनिक्स की तीव्रता की क्षमता के प्रति विश्वास और भी अधिक गहरा गया जब उन्होंने एक 37 वर्षीय पुरूष का उपचार किया। वह डायरिया से ग्रस्त था जो उसे गले की बीमारी के लिये ऐन्टीबाइटिक उपचार लेने से हो गया था। उस को वाइब्रोनिक्स उपचार द्वारा 24 घंटे के अंदर ही पूर्ण आराम मिल गया था।
उनका मानना है कि अधिकतर रोगी अपने रोग से जल्दी और स्थायी उपचार की कामना रखते हैं लेकिन उनका अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने की ओर ध्यान ही नहीं जाता है। वे अपने अस्वास्थ्य कर आदतों और दिनचर्या को बदलना ही नहीं चाहते हैं जो कि उनके रोग का मुख्य कारण होता है। अतः यह एक चुनौती भरा कार्य है। चिकित्सक को हर संभव प्रयास से रोगी को समझाना आवश्यक है कि क्या उनके हित में है और क्या नहीं। उनमें विश्वास जागृत करना और नियमित रूप से दवा का निश्चित समानुसार सेवन करने के लिये प्रेरित करना भी चिकित्सक का कार्य है।
वह यह मानते हैं कि सभी जीवों में एक ही दैवत्व है, यदि हमारा दृष्टिकोण इस प्रकार का हो जाता है तो हमारे व्यवहार में प्रेम की वृद्धि होती है, हमें सभी रोगियों में उसी दैवत्व का दर्शन होना चाहिये। रोगी की भावनाओं पर हमारे प्रेम का बहुत प्रभाव होता है जिससे ठीक होने की क्रिया तीव्र हो जाती है। चिकित्सक CC15.1 Mental & Emotional tonic को सभी रोगियों को देते हैं जो रोग निवारण के लिये आवश्यक है, इससे उपचार में तीव्रता आ जाती है।
रोगियों का उपचार करने के अलावा हमारे दल के सदस्य भी हैं, वह समाचार पत्रों का फ्रैंच भाषा में अनुवाद भी करते हैं चिकित्सक यह मानते हैं कि वाइब्रोसेवा ने उन्हें हर कार्य को दिल से करना सिखाया है और आध्यात्मिक मार्ग पर चलने में मदद की है। उनके अनुसार, ’’अच्छा कार्य करने का पैमाना रोगियों की संख्या पर निर्भर नहीं होता है, वह इस बात पर निर्भर होता है कि आपने कितनी अच्छी तरह से सेवा की है।’’
सहभागिता के लियें केसः
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प्रश्नोत्तर
1. प्रश्न : यदि कोई व्यक्ति अपने नकरात्मक विचारों को छोड़ने में असमर्थ हो तो क्या वाइब्रो उपचार से वह व्यक्ति इस रोग से बाहर आ सकता है और क्या नकरात्मक विचार रोके जा सकते हैं?
उत्तर : हाँ, वाइब्रो उपचार दोनों का उपचार करने में सक्षम है। बीमारी की अवस्था और नकारात्मक विचारों का आना जो रोगी सकारात्मक विचार धारा के होते हैं वे शीध्र लाभ प्राप्त करते हैं। अतः हमारा पहला प्रयास होता है कि रोगी सकारात्मक हो जाये और सदा आशावादी रहे। हम हमेशा इस बात पर बल देते हैं कि चिकित्सक को इस विद्या में पूर्ण विश्वास होना चाहिये और यह मान लेना चाहिये कि रोगी की समस्याओं का समाधान निश्चय ही होगा। साथ ही यह जानना भी बहुत आवश्यक है कि नकारात्मक विचारों का कारण क्या है? अधिकतर मामलो में डर के अंतर्गत दबी हुई भावनाओं के कारण ऐसा होता है इसके अलावा व्यक्ति की भावनाओं को न समझना (दुतकारना), गुस्सा, दुःख व सदमा भी इसके अन्य कारण हो सकते हैं। चिकित्सक को गहनता के साथ इसकी जानकारी कर लेनी चाहिये तथा कटेगरी 15, 17 एवं 18 से उपयुक्त कॉम्बो का चयन करना चाहिये। यदि रोगी फिर आये और कहे कि फायदा बहुत कम हुआ है तो रोगी के साथ चिकित्सक को बैठकर उसे ढ़ादस बंधाना चाहिये और अन्य योजना बनानी चाहिये। यह सब करने के बाद भी यदि रोगी को कोई लाभ नहीं होता है तो चिकित्सक को धैर्य नहीं खोना चाहिये और न ही वाइब्रो उपचार में अविश्वास करना चाहिये। इसका कारण यह हो सकता है कि रोगी अपनी दमित भावनाओं का प्रकटीकरण करने में असमर्थ हो या फिर पिछले जन्म के कर्मों का प्रभाव हो। अन्त में यही कहा जा सकता है कि ईश्वर ही स्वस्थ करने वाला है वही यह जानता है कि इस जीवन यात्रा में कब और कैसे उसे ठीक करना है। जो लोग ईश्वर में विश्वास करते हैं वह इस बात को मानेंगे जिस प्रकार डॉ० जॉन हिस्लॉप जिन्होंने अपने कैन्सर ग्रस्त शरीर को प्रसन्नता पूर्वक त्याग दिया था, इस बात में विश्वास करते हुये कि मैं शरीर नहीं हूँ और ईश्वर इस बीमारी के साथ हमारे आखिरी कर्मों को समाप्त कर रहे हैं।
यद्यपि कभी-कभी रोग बहुत धीरे-धीरे ठीक होता है इसका कारण होता है शारीरिक कमजोरी जोकि कुपोषण, वातावरणीय प्रभाव, बच्चों का लालन पालन प्रेममय वातावरण में न होना। जब किसी के बचने की उम्मीद न हो, तब प्रसन्नता, स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन का होना संभव नहीं होता है चिकित्सक का मुख्य कार्य रोगी को प्रेम, सकारात्मकता और दिलासा देना होता है।
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2. प्रश्न : गाइनेकोमैस्टिया (पुरूषों में स्तन वृद्धि) के लिये कोई सुझाव, CC14.3 अलावा?
उत्तर: यदि आपके पास 108CC कॉम्बो बॉक्स और वरिष्ठ चिकित्सक का साथ नहीं है तब CC14.3 सबसे अच्छा कॉम्बो है। फिर भी जिनके पास SRHVP है तो वो SR262 Nat Phos 6X…OD को SR381Conium1M…OW के साथ दे सकते हैं। ऐसी समस्या उन लोगों में पाई जाती है जिनका वज़न बहुत अधिक होता है अतः संतुलित भोजन द्वारा वज़न घटाने से भी इसमें मदद मिल सकती है।
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3. प्रश्न : क्या SRHVP चक्र कार्ड को अलग-अलग उपयोग में लेना चाहिये या सभी कार्डस को मिलाकर रेमैडी बना लेनी चाहिये?
उत्तर: चक्र कार्डस को एक साथ मिलाकर रेमैडी नहीं बनाई जा सकती है। उन्हें अलग-अलग ही उपयोग में लेना चाहिये। CM शक्ति और OD खुराक (सोने से पूर्व) लेने पर, चक्र को संतुलित करने में 2 दिन का समय लगता है। चक्र उपचार के समय अन्य दूसरे वाइब्रो काम्बोज़ नहीं देने चाहिये। यदि रोगी पहले से कोई उपचार ले रहा हो तो चक्र उपचार देने से पहले अन्य उपचार को 3 दिन पहले बंद कर देना चाहिये, चक्र के संतुलित हो जाने पर अन्य उपचार को शुरू किया जा सकता है।
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4. प्रश्न : एक दिन में अधिकतम कितनी बार रेमैडी को लिया जा सकता है? कुछ व्यक्ति गोलियों को TDS लेने में भी परेशानी महसूस करते हैं जबकि कुछ लोग 6TD भी लेने को जल्दी स्वस्थ्य होने के लिये, तैयार रहते है। कुछ व्यक्ति औषधि लेने में नियमित नहीं होते है और कहते है कि उपचार प्रभावी नहीं है। ऐसे रोगियों से किस प्रकार का व्यवहार करूँ ?
उत्तर: अधिकतर व्यक्ति जल्दी स्वस्थ्य होना चाहते हैं जबकि रोग उन्हें कई वर्षों से होता है। मनुष्य के भौतिक शरीर के बाहर भी एक घेरा होता है, वाइब्रेशन को शरीर के अन्दर प्रवेश करने से पूर्व पहले बाहरी घेरे में वाइब्रेशन को शक्तिशाली बनना होता है। रोगियों की उम्मीदों का प्रबंध करना तुम्हारे लिये बहुत महत्वपूर्ण है। तुम्हें रोगियों को इस बात के लिये सहमत करा लेना चाहिये कि उपचार से संबंधित सभी निर्देशों को पालन करना रोगी के लिये बहुत आवश्यक हैं क्योंकि इन सभी निर्देशों का पालन करवाना चिकित्सक के कार्यवाही का एक भाग है। नियमित रूप से बताई गई खुराक का सेवन करने से परिणाम जल्दी प्राप्त होते हैं। दवा न लेने से बेहतर है, दवा लेते रहना। एक दिन में खुराक की अधिकतम सीमा 6TD है। 10 मिनट के अन्तराल पर खुराक केवल एक्यूट स्थिति में ली जाती है। हमारे पास कोई भी लिखित प्रमाण नहीं है जो 6TD से अधिक खुराक की अनुशंसा करता हो।
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5. प्रश्न : मेरे पास 3 ऐसे रोगी हैं जिनको सिर में जूँ की समस्या है। उपचार हेतु कौन सा कॉम्बो उपयुक्त रहेगा?
उत्तर: उन्हें कॉम्बो CC11.2 Hair problems…TDS या फिर SR315 Staphysagria…OD मुँह के द्वारा। जूँओ के लिये हानिकारक रसायनयुक्त शैम्पू का अनुमोदन नहीं करते है। इससे अच्छा उपाय है कि इस कॉम्बो को पानी में डालकर दो बार (BD) सिर पर मालिश कर लें और बाद में साधारण तरीके से पानी में धो लें।
दैवीय चिकित्सक का दिव्य सन्देश
‘‘आज हर व्यक्ति हर समय कुछ न कुछ खाता रहता है, उसके बीच में पेय पदार्थ और अन्य स्नैक्स का कई बार सेवन करता रहता है। इस प्रकार वह अपच और अन्य प्रकार की बीमारियों से कैसे बचा रह सकता है? मनुष्य को वहीं भोजन करना चाहिये जो उसको एक कैलोरी प्रति मिनट ऊर्जा प्रदान कर सके। युवाओं को प्रतिदिन 2000 कैलोरी से संतुष्ट हो जाना चाहिये। स्वस्थ्य जीवन के लिये मनुष्य को केवल 1500 कैलोरी प्रति दिन ऊर्जा की आवश्यकता होती है। लेकिन आप जो भोजन करते हैं उससे 5000 कैलोरी प्रतिदिन ऊर्जा प्राप्त होती है। इसका परिणाम यह होता है कि व्यक्ति अपच और अनिद्रा जैसी समस्याओं से घिर जाता है। अनिद्रा से कई प्रकार की बिमारियों का जन्म होता है। अनिद्रा के बारे में परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। यदि सोने से पहले कोई चिन्ता नहीं है तो तुम्हें प्राकृतिक रूप से गहरी नींद आ जायेगी।’’
... Sathya Sai Baba, “The Moving Temple” Summer Showers1990 Chapter 3
http://www.sssbpt.info/summershowers/ss1990/ss1990.pdf
‘‘तुम में से उन भाग्यशाली व्यक्तियों ने जिन्होंने अपने बदकिस्मत भाइयों और बहिनों की सेवा की है, जो मैं अब कह रहा हूँ, के गवाह होंगे। अहं को समाप्त करने और हृदय को वास्तविक प्रेम से भरने के लिये सेवा से बढ़कर कोई अन्य कार्य नहीं है। सेवा कार्य करने वालों की निंदा करना, उनको नीचा दिखाना और हेय दृष्टि से देखने से वे इस लाभ से वंचित रह जाते हैं। सेवा की लहर यदि पृथ्वी पर फैल जाये और सबको अपने आगोश में ले ले तो पृथ्वी पर से घृणा, द्वेष और लालच के ढ़ेर समाप्त हो जायेंगे।’’
... Sathya Sai Baba, “Elephants and the Lion” Discourse 10 September 1969
http://www.sssbpt.ifo/ssspeaks/volume09/sss09-18.pdf
उद्धघोषणाय
उद्धघोषणाय
आगामी कार्यशालाएं*
- भारत दिल्ली NCR: रिफ्रेशर सेमिनार AVP/VP – 22 सितम्बर 2018 and SVP - 23 सितम्बर 2018, सम्पर्क: Dr Sangeeta Srivastava at [email protected] or by telephone at 9811-298-552
- UK लन्दन: राष्ट्रीय वार्षिक रिफ्रेशर सेमिनार 23 सितम्बर 2018, सम्पर्क:Jeram at [email protected] or by telephone at 020-8551 3979
- भारत पुट्टपर्थी: AVP कार्यशाला 18-22 नवम्बर 2018, सम्पर्क: Lalitha at [email protected] or by telephone at 8500-676-092
- भारत पुट्टपर्थी: SVP कार्यशाला 24-28 नवम्बर 2018, सम्पर्क: Hem at [email protected]
- भारत पुट्टपर्थी: केरल के AVPs के लिये VP कार्यशाला 30 नवम्बर & 1 दिसम्बर 2018, सम्पर्क: Padma at [email protected]
- भारत राजस्थान: AVP रिफ्रेशर फरवरी 2019, सम्पर्क: Hem at [email protected]
- भारत पुट्टपर्थी:AVP कार्यशाला 6-10 मार्च 2019, सम्पर्क: Lalitha at [email protected] or by telephone at 8500-676 092
- भारत पुट्टपर्थी: SVP रिफ्रेशर 11-12 मार्च 2019, सम्पर्क: Hem at [email protected]
- भारत पुट्टपर्थी: AVP कार्यशाला 17-21 जुलाई 2019, सम्पर्क: Lalitha at [email protected] or by telephone at 8500-676 092
- भारत पुट्टपर्थी: AVP कार्यशाला 18-22 नवम्बर 2019, सम्पर्क: Lalitha at [email protected] or by telephone at 8500-676-092
- भारत पुट्टपर्थी: SVP कार्यशाला 24-28 नवम्बर 2019, सम्पर्क: Hem at [email protected]
अतिरिक्त
1. स्वास्थय सम्बन्धी विषय
अच्छे स्वास्थ्य के लिये अंकुरित अनाजों का महत्व
‘‘एक बीज को जब बोया जाता है तो उसमें से जीवन प्रस्फुरित होता है, लेकिन जब उसको पकाया जाता है तो जीवन नष्ट हो जाता है। भोजन का अपने वास्तविक रूप में सेवन करने से आयु में वृद्धि होती है। जो भोजन पकाया नहीं जाता है उसमें प्रोटीन की मात्रा सबसे अधिक होती है, मूँग दाल और सोया में प्रोटीन की मात्रा सबसे अधिक होती है।...मटर, फलियाँ और मसूर की दाल को खाने का सबसे अच्छा तरीका है उनको भिगोकर अंकुरित करना। इस प्रकार तुम उनको उनके प्राकृतिक गुणों के साथ सेवन करते हो...” Sathya Sai Baba1
1. बीज ही स्त्रोत है!
हमारे चारों ओर स्थित पौधे बीजों से ही उत्पन्न हुये हैं, आवश्यक बुद्धि और वातावरणीय सहारे के साथ। वैज्ञानिक अभी तक यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि वास्तव में बीज के अन्दर ऐसा क्या परिवर्तन होता है कि उसके अन्दर जीवन का प्रादुर्भाव होने लगता है जो देखने वाले के चित्त को आर्कषित करता है। विशेष जैविक क्रियायें सक्रिय हो जाती हैं जो संजित ऊर्जा को पोषक तत्वों में बदलने लगती हैं जो पौधे स्वस्थ जीवंत पौधे के लिये आवश्यक हैं। वही निष्क्रिय ऊर्जा सक्रिय होकर घर पर ही मनुष्य के लिये उपलब्ध हो जाती है।1,2
2. अंकुरण क्या है?
अंकुरित चीजे बहुत से पोषक तत्वों की खजाना होती है। बीज में से उत्पन्न छोटे-छोटे डंठल ही अंकुरण कहलाये जाते है। यह क्रिया केवल बीज को पानी में कुछ घंटे तक भिगोकर रखने से ही प्रारम्भ हो जाती है।2
3. किन बीजों को अंकुरित किया जा सकता है?
सभी खाने योग्य बीज (साबुत) जैसे कि फलियाँ, दालें, मसूर, मटर को आसानी से अंकुरित किया जा सकता है। विभिन्न देशों में अंकुरित किये जाने वाले बीज हैं - मूँग, चने, गेहूँ, अल्फा-अल्फा, सूर्यमुखी, मैथी, मूंगफली, मूली, गोभी। ये सभी जैविक प्रकृति के होने चाहिये, स्वस्थ तथा ताजा होने चाहिये। उन पर कोई रासायनिक क्रिया नहीं होनी चाहिये, न ही सड़े गले या पकाये हुये होने चाहिये।1,3,4
4. अंकुरित कैसे करें?
घर पर अंकुरित करना बहुत आसान, सस्ता तथा शीध्र करने का तरीका है। छोटे मात्रा से शुरू करें। हमें बीजों को और उनको अंकुरित करने में सफाई का ध्यान रखना चाहिये।1,3,4
- सबसे पहले बीजों को साफ पानी से धोलें फिर उनको एक साफ बर्तन में रख लें।
- बीजों की मात्रा से 3 या 4 गुना पानी डाले और उसे ढ़क दें।
- कुछ समय के लिये कमरे के तापक्रम पर छोड़ दें ताकी बीज पानी को सोख सकें। यह समय बीज की किस्म पर निर्भर होता है। कुछ बीज के लिये यह समय 30 मिनट का ही होता है जबकि सामान्य तौर पर 6-8 घंटे का समय लग जाता है। ठीक प्रकार पानी सोखने की प्रक्रिया से ही बीज में जीवन का संचार शुरू होता है। बहुत देर तक पानी में रखने से बीज सड़ कर किणबित होने लगते है। 6 से 8 घंटे के बाद पानी को बदल देना चाहिये।
- पर्याप्त समय तक पानी सोख लेने के बाद पानी को निकाल देना चाहिये क्योंकि अंकुरण पानी में नहीं होता है। निष्कासित पानी को घर के अन्य़ पौधों में डाला जा सकता है।
- पानी को सोखे हुये बीजों को एक बार साफ पानी से धोले और फिर उनको साफ बर्त्तन में डाल कर जालीदार कपड़े से ढ़क दें जिससे कि बर्त्तन में वायु का आवागमन बना रह सके।
- बर्त्तन को कमरे के तापक्रम पर ऐसे स्थान पर रखें जहाँ सीधे सूरज की रोशनी न पड़ती हो। अंधेरा या कम रोशनी बाला स्थान सबसे उपयुक्त होता है। अंकुर प्रस्फुटित होने के बाद उन्हें धूप में रखा जा सकता है। ऐसा करने से अंकुरित बीजों में क्लोरोफिल बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इसके साथ बहुत से अन्य पदार्थों का भी संश्लेषण प्रारंभ हो जाता है।
- दिन में 2-3 बार उनको धोना चाहिये जिससे कि ये स्वच्छ बने रहें तथा उनको पानी भी मिलता रहे।
- अंकुरण की क्रिया पूरी हो जाने पर उनको भली भाँति धोकर पानी को निकाल दे।
- अंकुरित बीजों के पोषक तत्वों को बचाये रखने के लिये या तो उन्हें उसी समय उपयोग में ले लेना चाहिये या फिर उन्हें फ्रीज़ में रख देना चाहिये।1,3,4
- अंकुरण का समय बीजों की प्रकृति पर निर्भर होता है। धोने की संख्या, पानी का तापक्रम, वातावरण का तापक्रम भी अंकुरण की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। छोटे बीज अंकुरण के लिये 10-12 घंटे का समय लेते हैं (मूंग और बीन्स)। बड़े बीज अंकुरण के लिये 3 से 4 दिन का समय लेते है।
5. अंकुरित ही क्यों?
सभी कच्चे बीजों में उनके अपने स्वाभाविक गुण होते हैं पोषक तत्वो का विरोध करने वाले, एन्जाइम अवरोधक जो शरीर के पोषक तत्वों को अवशोषित और आत्मसात करने से रोकते हैं। अध्ययन के फलस्वरूप इनकी गुणवत्ता बढ़ जाती है विशेषकर पोषक तत्वों जैसे कि खनिज लवणों, विटामिन्स आवश्यक फैटी अम्ल, रेशे, एण्टी-ऑक्सीडेन्ट और एन्जाइम के अवशोषण में। स्टार्च से वायु बनाने का कार्य करने वाले कारकों का भी नाश करते हैं।3,4,6,9
अध्ययन5 से यह भी मालुम हुआ है कि अंकुरित दालों में कैल्शियम और विटामिन C की मात्रा भी बढ़ जाती है। पोषक तत्व विरोधी पदार्थ कम हो जाते हैं तथा प्रोटीन का अवशोषण बढ़ जाता है। एक अन्य अध्ययन7 के अनुसार, बीजों को एक निश्चित समय तक अंकुरित करने से हाइड्रोलायटिक एन्जाइम की क्रियाशीलता बढ़ जाती है, कुछ आवश्यक ऐमीनो अम्ल की मात्रा, कुल शुगर की मात्रा, विटामिन B‐ग्रुप में बढ़ोत्तरी होती है तथा सूखे तत्वों, स्टार्च और पोषकतत्वो के विरोधी तत्व की संख्या में कमी हो जाती है। बीज से संरक्षित प्रोटीन और स्टार्च जल्दी पच जाते है क्योंकि अंकुरण के समय इनका आंशिक जल अपटन हो जाता है। पोषक तत्वों में बढ़ोत्तरी कई बातों पर निर्भर होती है जैसे कि अनाज का प्रकार, बीज की किस्म और अंकुरित बनने का वातावरण। सूखे अनाज में विटामिन नगण्य रूप में होता है लेकिन 7 दिनों के अंकुरण के पश्चात् यह काफी मात्रा में होता है।8
6. अंकुरण के लाभ
ताजा सब्जियों में अंकुरित दाले प्रथम स्थान रखती हैं तथा अकल्पनीय रूप से हमारे लिये लाभकारी होती है1,3,4,6,9,11। इनमें से कुछ का वर्णन निम्न प्रकार से हैः
- तुरंत ही ऊर्जा प्रदान करती है, जीवन युक्त होती है अतः आसानी से पच जाती है और शरीर की ऊर्जा को बनाये रखती है।
- अशुद्धियों को दूर करके रक्त को शुद्ध बनाती है।
- प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाते हैं तथा रक्त के कोषों को फ्री रेडिकल से होने होने वाले नुकसान से बचाते हैं।
- शरीर में अम्ल-क्षार का संतुलन बनाये रखकर पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं।
- इनमें कैलोरी की मात्रा कम होती है अतः मोटापे को कम करते हैं तथा ऊतकों और मांसपेशियों में शक्ति का संचार करते हैं।
- ब्लड प्रैशर को नियमित रखते हैं और हृदय संबंधी बीमारियों में लाभप्रद होते हैं।
- रक्त शर्करा का संतुलन बनाने में सहायक हैं तथा गठिया रोग को समाप्त करते है।
- बढ़ती हुई उम्र की बीमारियों से रक्षा करते हैं।
- मासिक धर्म शुरू होने और मैनोपाज़ के समय में होने वाली तकलीफों में भी आराम दिलाते हैं।
- शरीर की त्वचा, लीवर व अन्य तंत्रों को सुचारू बनाते हैं।
- बहुत सी बीमारियों में यह रामबाण हैं जिनमें कैंसर भी शामिल है। इनमें उपस्थित एण्टीऑक्सीडेंट के कारण यह बहुत उपयोगी होते हैं।
संपूर्ण दृष्टि से, बिना पकाया हुआ अंकुरित अनाज बहुत अच्छी किस्म के पौष्टिक तत्वों का खजाना होते हैं अतः हमारे भोजन का यह एक आवश्यक अंग होना चाहिये। उसमें थोड़ा नमक और नींबू का रस मिलाकर उसे स्वादिष्ट बनाया जा सकता है। इसको सलाद के साथ मिलाया जा सकता है। खाने के पहले या बाद में भी इसे खाया जा सकता है या फिर दोनों भोजनों के बीच में भी स्नैक्स के रूप में खाया जा सकता है।
यदि स्वंय की पसंद या सुविधा या स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण अंकुरित अनाज का सेवन संभव नहीं हो तो पानी में भिगोकर खा लेना ही लाभप्रद होता है। साबुत अनाज, फलीयों, दाले जब रात को भिगोकर पकाई जाती है तो वे अधिक पौष्टिक हो जाती है। मेवों को अंकुरित नहीं करना चाहिये, उन्हें सिर्फ भिगोना चाहिये।4 बादाम को यदि रात भर भिगोकर सबुह छील कर खाने से बहुत लाभ होता है।12
7. सावधानियाँ
- कमजोर इम्यून तंत्र, बच्चों, वृद्ध, गर्भवती महिलाओं को कच्चे अंकुरित बीजों के सेवन से परहेज करना चाहिये। वे उन्हें भाप देकर खा सकते है।13-14
- राजमाँ अंकुरित होने पर विषाक्त हो जाता है अतः उनको पकाकर ही खाना चाहिये।13
- गर्म और नम वातावरण जो अंकुरण के लिये आवश्यक है वह बैक्टीरिया की ग्रोथ के लिये भी उपयुक्त होता है। भोजन विशेषज्ञों के अनुसार6, अंकुरण के समय पर संदूषण की संभावना भी रहती है क्योंकि उस समय जीवित एन्जाइमस विषैले बैक्टीरिया जैसे कि सैलमोनेला और e-coli को जन्म दे सकते हैं। स्वास्थ्य संबंधी सावधानियाँ को रखते हुये भी हमें यह ध्यान रखना चाहिये कि अंकुरित करने के बाद उसे कुछ समय के लिये फ्रिज में रखना चाहिये। फिर उसे 3-4 दिन में खा लेना चाहिये।13-14
References and Links:
- https://www.slideshare.net/jannap/teachings-ofsathyasaibaba The teachings of Sathya Sai Baba on health by Srikanth Sola MD page 10. Also Appendix B.
- https://wonderpolis.org/wonder/how-do-seeds-sprout
- https://articles.mercola.com/sites/articles/archive/2015/02/09/sprouts-nutrition.aspx
- https://draxe.com/sprout
- https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4573095
- https://food.ndtv.com/food-drinks/6-benefits-of-sprouting-and-the-right-way-to-do-it-1691887
- https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/2692609
- https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/23088738
- https://foodfacts.mercola.com/sprouts.html
- www.thefitindian.com/benefits-of-eating-sprouts-in-our-daily-diet
- http://www.sproutnet.com/Resources-Research-on-the-Role-of-Sprouts-in-Wellness-and-Disease-Prevention
- http://www.saibaba.ws/articles/medicaladvices.htm
- https://www.precisionnutrition.com/all-about-sprouting Caution
- http://www.foodsafety.gov/keep/types/fruits/sprouts.html Caution
2. 108CC कॉम्बो की पुस्तक की सूची का परिशिष्ट
108CC कॉम्बो की पुस्तक का प्रकाशन वर्ष 2011 में किया गया था। पिछले सात वर्षों में उसमें कई परिवर्तन/संयोजन किये गये हैं जिनका विवरण नीचे दिया जा रहा है। हमें खेद है कि हम इस परिवर्त्तन को पिछले समाचार पत्र में न दे सके।
Addison's disease 6.1 Adhesions 21.1
Adrenal Gland Deficiency 6.1 Alopecia 11.2+12.4
ASD 3.6+15.5+18.1 Asperger’s 15.5
Autism spectrum disorder 3.6+15.5+18.1 Baldness 11.2+12.4
Blepharitis 7.3 Cholera 4.6+4.10+9.3
Concentration weak 17.3+18.1 Condyloma 8.5/14.2+21.1
Death approaching 15.1 Dengue 9.3+3.1
Down’s syndrome 3.6+18.2 Epithelioma 2.1+2.3+21.1
Extremities painful, circulation 3.7 Eye lashes in-turning 7.1
Eye stye 7.3 Genital cyst/wart, female 8.5+21.1
Genital cyst/wart, male 14.2+21.1 Genital herpes female 8.5+21.8
Genital herpes male 14.2+21.8 Head Injury 10.1+18.1+20.7
Hysteria 15.1 Involuntary semen 14.3
Irritable bladder 13.3 Leucoderma 21.2+21.3+12.4
Lung cancer 2.1+2.3+19.3+19.6 Mycoplasma pneumonia 19.6+19.7
Multiple sclerosis (MS) 18.4 + 12.4 Nose bleed 10.1
Oral Candida 11.5 Plantar fasciitis 20.1+20.4
Polymyalgia Rheum.(PMR) 20.2+20.4+20.5 Prog. Syst. Sclerosis 12.4+15.1+21.2+21.3
Prostate – enlarged 13.1+14.2 Prostatitis 14.2+13.1
PSP Syndrome 7.1+15.1+18.4+18.6 Pulmonary hypertension 3.1+3.6+19.3
Retinitis pigmentosa 7.1+7.2 Salmonella 4.6+4.8
Scars internal 21.1 Sinusitis due to allergy 19.2+4.10
Skin dry 21.1 Spinal Injury 10.1+20.5
Spine – degeneration 20.5 Teething 11.5
Typhoid-recovery stage 9.1+4.11 Vitiligo 12.4+21.2+21.3
Walking pneumonia 19.6+19.7 Zika virus 3.1+9.3
3. AVP कार्यशाला पुट्टपर्थी, भारत 22-26 जुलाई 2018
इस पाचँ दिवसीय कार्यशाला में 9 अभ्यार्थियों ने AVP की सफलतापूर्वक ट्रेनिंग ली। (7 भारत के, जिन्में 2 पुट्टपर्थी* व 2 विदेश के थे। एक अभ्यार्थी थाईलैन्ड का व एक गालोन से था)। भारत के दो चिकित्सक जिन्होंने कई वर्ष पूर्व ट्रेनिंग ले ली थी अपने ज्ञानवर्धन के लिये इस ट्रेनिंग में भाग लिया था। कार्यशाला का संचालन अनुभवी दो चिकित्सकों10375&11422 द्वारा प्रतिदिन परस्पर संवादात्मक रूप से किया गया। यह प्रशिक्षण बहुत ही प्ररेणादायक रहा। वरिष्ठतम चिकित्सक डा. जीत अग्रवाल ने यू.के. से स्काईप के माध्यम से प्रतिभागियों से प्रतिदिन संपर्क बनाये रखा। इस प्रशिक्षण का मुख्य आर्कषण एक जीवंत सत्र था जिसमें चिकित्सक हेम अग्रवाल ने किसी रोग का प्रभावी ढ़ग से विवरण तैयार करना सिखाया। गुरू पूर्णिमा के शुभ अवसर पर उन्होंने स्वामी के समक्ष शपथ दिलवाई।
*इनमें से एक एलौपैथिक डॉक्टर है और दूसरे के पास लंबे समय से वाइब्रो सेवा में कार्यरत उनके पिता जी के साथ काम करने का लंबा अनुभव है। पाठ्यक्रम के पूरा होने के तुरंत बाद, उन्होंने महिलाओं की सेवा दल इमारत में सेवा शुरू कर दी।
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4. AVP कार्यशाला और रिफ्रेशर फ्रांस में 8-10 सितम्बर 2018
फ्रांस के समन्वयक और ट्रेनर01620ने तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया, यह कार्यशाला उनके होने वाले चिकित्सक के घर पर आयोजित की गई। कुल 8 प्रतिभागी थे - 2 नये प्रतिभागी, 5 वर्त्तमान में कार्यरत चिकित्सक तथा नया प्रशिक्षण प्राप्त चिकित्सक03572 थे। गाबोन से (साऊथ अफ्रीका, स्काईप के माध्यम से) थे। दोनो नये प्रतिभागी बहुत ही ध्यान देने वाले और उत्तरदायी थे। कार्यशाला के अन्त में 108CC बॉक्स को ग्रहण करते समय वे बहुत भावुक हो गये थे। वह इतने उत्साही थे कि स्काईप पर डा० अग्रवाल के साथ विदाई के समय बातचीत के दौरान ही दो रोगियों ने दरवाजा खटखटाया। नये चिकित्सको ने उन्हें उपचार दिया। वर्त्तमान में कार्य कर रहे चिकित्सों ने अनुभव किया कि कार्यशाला में आपसी संवाद बहुत उत्साहजनक और ज्ञानवर्धक अनुभव था।
5. तेलंगाना राज्य में वाइब्रोनिक्स, भारत 9 सितम्बर 2018
दो जिलों की संयुक्त बैठक में चिकित्सक11585 को राज्याध्यक्ष और श्री सत्य सेवा संगठन के सभी पदाधिकारियों के समक्ष विचार व्यक्त करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। उस बैठक में अन्य गणमान्य अतिथि थे दोनों जिलों के जिला अध्यक्ष, सभी समितियों समन्वयक तथा अन्य सभी पदाधिकारी। यह स्वामी की कृपा ही थी कि इतने गणमान्य लोगों के समक्ष चिकित्सक ने 25 मिनट तक वाइब्रोनिक्स पर वार्ता जारी रखी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार यह उपचार रोगी के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यत्मिक स्तर पर कार्य करता है। इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है और परिणाम आश्चर्यजनक होते है। उन्होंने जिले में चल रहे मेडिकल कैम्पस के बारे में भी संक्षिप्त ब्यौरा प्रस्तुत किया। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि इन मेडिकल कैम्पस को कहीं भी बड़ी आसानी से आयोजित किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बतलाया कि चिकित्सक11592 के साथ मिलकर सत्य साई मंदिर, पलवोमचा में साप्ताहिक कैम्पस में उपचार किया है। यह वार्ता सुनकर वहाँ उपस्थित सभी पदाधिकारियों के मन में वाइब्रोनिक्स के प्रति रूचि जागृत हो गई। बैठक के पश्चात्, दो चिकित्सकों ने 27 रोगियों का, जिनमें कुछ पदाधिकारी भी थे, का उपचार किया। इस प्रकार वाइब्रो के प्रति रूचि जागरण से राज्य में वाइब्रोनिक्स के विस्तार को बढ़ावा मिलेगा।