साई व्हाइब्रियोनिक्स पत्रिका

" जब आप किसी हतोत्साहित, निराष या रोग ग्रस्त व्यक्ति को देखते हो, वहीं आपका सेवा क्षेत्र है " Sri Sathya Sai Baba
Hands Reaching Out

Vol 9 अंक 3
मई /जून 2018
मुद्रणीय संस्करण


संपूर्ण आवृत्ति की मुद्रित प्रति हेतु इस पृष्ठ की छपाई करें

डॉ० जीत के अग्रवाल की कलम से

प्रिय चिकित्सको,

मैं अपने कथन का प्रारंभ हमारे प्रिय स्वामी के संदेश से करुंगा, उन लोगों के लिये जो स्वास्थ्य की देखभाल में प्रयासरत हैं। स्वामी ने कहा है “ड़ॉक्टरों द्वारा रोगियों को साहस दिलाना चाहियें और बहुत ही नम्रता के साथ वार्तालाप करना चाहियें, उनसे दया और प्रेम के भाव विस्तारित होने चाहियें जब तुम रोगी का निरिक्षण कर रहे होतें हो तब तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान होनी चाहियें और रोगी के साथ तुम्हारा व्यवहार मृदु होना चाहियें’’... सत्य साई संदेश 6  फरवरी 1993। मैं यह विश्वास रखता हूँ कि हम सभी वाइब्रो चिकित्सक होने के नाते जागरुकता के उच्च स्तर को बनायें रखेंगे तथा यह सुनिश्चित करेंगे कि रोगी के साथ हमारे वार्तालाप में दिव्य प्रेम की झलक आभाषित है। इस भावना से किया गया उपचार रोगी के सम्पूर्ण उपचार में रुपांतरित हो जायेगा। इस भावना को हमें ह्दयागम कर लेना चाहियें!

आध्यात्मिकता वाइब्रोनिक्स का मुख्य मूल सिद्धान्त है। यह हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करने के साथ ही रोगमुक्त भी करती है। स्वामी ने आध्यात्मिकता के लिये पाँच गुण बतायें हैं सत्य, धर्म (सही आचरण), शांति और अहिंसा और हमने इन्हें अपना लिया है। इन गुणों को अपने जीवन में धारण करने से ही हम आध्यात्मिक व्यक्ति कहलायें जा सकतें हैं। और तभी हम एक अच्छे वाइब्रो चिकित्सक बन सकते हैं।

यह कहा जाता है कि रोकथाम का एक औंस इलाज के एक पौंड से बेहतर होता है हम इस कथन पर अधिक जोर नहीं डाल सकतें हैं। यद्यपि हमारे पास अनौपचारिक सूचना है कि बहुत से चिकित्सक रोग की रोकथाम पर विशेष बल देते हैं जिससे कि रोग असाध्य न हो जाये। हमारे पास लिखित में ऐसा कोई प्रमाण नहीं है। मै विनम्रता पूर्वक सभी चिकित्सको से अपील करता हूँ कि वे रोग की रोकथाम के लियें अपने अनुभवों का लिखित दस्तावेज भेजने का श्रम अवश्य करें। रोग की रोकथाम के लिये किये गये कुछ सफलपूवर्क केस और सुझाव हमें प्राप्त हुये हैं कुछ का विवरण निम्न प्रकार से हैं, CC6.3 Diabetes के लिये, 40 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिये, बढ़ती उम्र के साथ मधुमेह के रोगियों की सख्यां बढ़ रही है। 60 वर्ष और उससे अधिक आयु वालों में प्रोस्टेट ग्रंथि की वृद्धि को रोकने के लिये CC14.2 Prostrate तथा उन लोगों के लिये जिनके परिवार में कैंसर वशांनुगत है CC2.1 Cancer के रोग की रोकथाम के लिये उपयोग किया जाता है। इस प्रकार से रोगी की मेडिकल और परिवारिक इतिहास की जानकारी के आधार पर रोग निरोधक औषधि का चयन करके उपचार करना चाहियें जिससे कि  रोग असाध्य रुप न ले ले।

यद्यपि हमने अपने पिछले समाचार पत्र में चिकित्सको से अनुरोध किया था कि वे अपनी मासिक रिपोर्ट ऑनलाइन से प्रेषित कर दें परन्तु पिछले दो माह से चिकित्सकों की संख्या में कमी आ रही है जो अपनी मासिक रिपोर्ट भेजतें हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि बहुत से चिकित्सकों को वेबसाइट पर अपनी रिपोर्ट व अपनी  सेवा अवधि को लॉग-इन करने में परेशानी अनुभव हो रही है। इस परेशानी से मुक्ति के लिये हमने एक अतिरिक्त ई-मेल ऐड्रेस [email protected] को प्रारंभ किया है। जिन चिकित्सकों को ऑन-लाइन रिपोर्ट भेजने में कठिनाई अनुभव होती है वे इस ई-मेल ऐड्रेस पर रिपोर्ट भेज सकतें हैं। या फिर, एक अन्तरिम उपाय के रूप में, आप अपनी रिपोर्ट को अपने समन्वयक को एस.एम.एस या फोन से दे सकते हैं।

अपने चिकित्सको का आधार बढ़ाने के उद्धेश्य से उन सभी AVP से अनुरोध करता हूँ कि जिन्होंने 3 माह का अनुभव प्राप्त कर लिया है, वे VP स्तर के प्रशिक्षण हेतु [email protected] पर  आवेदन करें और IASVP के सदस्य बन जायें। सभी VP व उच्च स्तर के व्यक्तियों के लिये IASVP का सदस्य बनना अब अनिवार्य हो गया है।

जबकि हमारा ग्रह अनेकां पीड़ाओं को सहन कर रहा है, हमारा वाईब्रो मिशन अनुकूल रुप से बढ़ता जा रहा है। आधुनिकीकरण की दोड़ के कारण व्यक्ति, पेड़-पौधे और पशु सभी ग्रस्त हो रहें हैं, ऐसी स्थिति में वाईब्रोनिक्स उन्हें सान्तवना प्रदान करने व उपचार करने के कार्य में लगा हुआ है। यह प्रसन्नता प्रदान करने वाली बात है कि जहाँ आवश्यक्ता होती है, हम वहाँ अपना प्रभाव डालने के लिये समर्थ हो गयें हैं। मैं पूर्ण इमानदारी से प्रार्थना करता हूँ कि हमारा व्यक्तिगत अभ्यास प्रोत्साहित होता रहे और हमारी पहुँच बढ़ती रहे जिससे कि हम सभी को प्रसन्नता प्रदान कर सकें!

साईं की प्रेममयी सेवा में

जीत के अग्रवाल

 

गुहेरी 11583...India

28 नवम्बर 2016 को एक 40 वर्षीय महिला ने जैसे ही अपनी दायीं आखँ पर गुहेरी होने के लक्षण, अचानक खुजली, जलन, पानी आना और आखँ में ललाई, ज्ञात हुये उसने उपचार हेतु चिकित्सक से सम्पर्क किया। यह समस्या 10 वर्ष पहले शुरु हुई थी और 6 माह पश्चात् फिर से उभर जाती थी। हर बार, ऐलौपैथिक चिकित्सक ऐन्टीबायोटिक्स दे देते थे और समस्या दो सप्ताह में ठीक हो जाती थी।

उसको निम्न औषधि दी गईः
CC7.3 Eye infections…एक खुराक 10 मिनिट के अन्तराल से 2 घंटे तक, उसके उपरान्त 6TD

पहले दिन के उपचार के पश्चात् रोग के लक्षणों में 40% तक का सुधार हो गया था। उसके 2 दिन के पश्चात् सुधार 80% हो गया था अतः खुराक को TDS कर दिया गया। कुल 5 दिनो के उपचार से रोगी रोग से पूर्णतया मुक्त हो गई थी। अतः उपचार को बन्द कर दिया गया। यह ध्यान देने योग्य बात है कि इस उपचार के दौरान रोगी ने किसी अन्य प्रकार का उपचार नहीं लिया था। ऐलोपैथिक उपचार से रोगी को ठीक होने में औसतन 10-14 दिन का समय लगता था अपने परिवार वालों के उपचार के लिय चिकित्सक के यहाँ जाने पर उसने बताया है, गुहेरी दुबारा नही हुई!

सम्पादकीय टिप्पणी:  इस केस में यद्यपि रोगी को पूर्ण आराम मिल गया था फिर भी उपचार को एकदम बन्द नही कर देना चाहिये। इस प्रकार की जीर्ण समस्याओं में उपचार को धीरे धीरे खुराक को कम करते हुये बन्द करना चाहिये।

 

Mouth ulcers 11583...India

For the past few years, a boy aged 10 years would develop painful mouth ulcers caused by examination stress. The doctor always prescribed vitamin-B complex tablets to be taken during the examination period. This did help but only temporarily and the problem always came back during exams.

On 19 December 2016, the mother brought her son, with severe pain in his mouth due to ulceration, to the practitioner who gave the following combo:
CC11.5 Mouth infections + CC17.3 Brain & Memory tonic…6TD

After 6 days, the boy reported 100% improvement, so the dosage was reduced to TDS and after 3 days, the remedy was discontinued. However, the mother wanted to give a prophylactic dose of the remedy during exams; this he is given at OD during examinations only and he does not take any other medication.

The mother is in contact with the practitioner for her own treatment. She reported in April 2018 that her son did not have any incidence of mouth ulcers even during exams after his treatment in Dec 2016.

Skin metastases from cancer 01448...Germany

A 58-year-old woman approached the practitioner for treatment of skin metastases from cancer. Other than her maternal aunt who died from cancer, there was no history of cancer in her family. However the patient herself was diagnosed with breast cancer in April 2011 when her left breast was surgically removed. She refused chemotherapy due to fear of side effects but underwent radiotherapy between June to Aug 2011 after which she felt fine for 3½ years. In January 2015 she experienced pain and noticeable lumps with tenderness in the surgically removed breast area and around her neck. This was diagnosed as skin metastases for which she was prescribed chemotherapy along with 8 sessions of Kadcyla infusion, one every 3 weeks. After three painful infusions, each lasting 1½ hours, she met with the practitioner who gave her the following on 27 July 2015:

#1.  CC10.1 Emergencies + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC18.1 Brain disabilities…TDS

#2. CC2.1 Cancers + CC2.2 Cancer pain + BR16 Female + SR528 Skin…TDS

#3. SR559 Anti Chemotherapy…6TD for 4 weeks

Within 2 weeks, the lumps diminished by 50% in size and number, so she cancelled the remaining chemotherapy infusion appointments. She did not take any other allopathic drugs. After three months of treatment, the lumps had disappeared and the pain and tenderness had reduced by 50%. By 31 January 2016, all her symptoms had gone and the patient felt 100% better. She continued #1 and #2. About six months later, she could take care of her daily needs by herself and continued to be free of all symptoms. As of November 2017, she was taking the remedies TDS and intends to take them for five years. She has not needed any chemotherapy nor is she taking any allopathic medication. The doctor monitors her every 6 months and all her blood values are normal.

 

 

Bubbles in uterus, infertility 11585...India

A 31-year-old female with a 6-year-old daughter was trying to conceive again for the past two years. For over six months, she took allopathic medicines which caused several side effects such as stomach pain, tiredness and vomiting. Moreover, she did not conceive. So two months ago the doctor had ordered an ultrasound scan which revealed bubbles/watery blisters in her uterus. For this, she was again prescribed allopathic medication which she took with a lot of hesitation due to her past unpleasant experience. Within a week, when the same side effects surfaced, she discontinued the treatment. Her mother who was a beneficiary of vibrionics, encouraged her daughter to take vibro treatment.

On 22 July 2017 the practitioner gave the following remedy:
#1. CC2.3 Tumours & Growths + CC8.2 Pregnancy tonic + CC8.4 Ovaries & Uterus + CC10.1 Emergencies + CC12.1 Adult tonic…TDS

During her follow-up after a month, she was completely cured of bubbles in her uterus as confirmed by her doctor. She continued #1

After a week on 1 September, she had missed her period and got herself tested for pregnancy. To her great astonishment, her doctor confirmed that she was pregnant. Over the following seven weeks, #1 was tapered down to OD

On 20 October, the combo was changed to:
#2. CC8.2 Pregnancy tonic…OD

She took #2 throughout her pregnancy and gave birth to a baby girl on 14 April 2018. The mother and baby are both healthy and happy. #2 was discontinued on 15 May 2018. When the practitioner met them, she expressed her deepest gratitude to vibrionics and our beloved Swami. 

Chronic sinusitis 01768...Greece

A 58-year-old female had suffered from chronic sinusitis every winter for four months (November to February) for more than 15 years. She would have a runny, stuffy nose and pressure behind the eyes and the cheeks.

She tried several medicines. Though she would get some relief but she could never get rid of these symptoms completely.

On 4 February 2017, she was given the following combo:
NM99 Sinus + OM23 Sinus  + BR15 Sinus Balance + SM35 Sinus  + SR219 Brow + SR452 Adenoids + SR512 Nasal Mucous Membrane + SR527 Sinus Paranasal + CC19.5 Sinusitis…TDS

After two months of taking the remedy, she was 100% free of all symptoms. There was no recurrence of this condition even during the next winter season, as confirmed by the patient when the practitioner met her in March 2018.

Varicose Veins 01768...Greece

A 42-year-old college principal had varicose veins for 7 years. The veins in his legs were swollen and were dark black in colour. When he visited the practitioner, these were extremely painful and one vein had swollen so much that it burst open. As it had bled, it had been bandaged and had turned into an ulcer. The patient did not have diabetes and he hadn’t pursued any other treatment. 

On 23 May 2017, he was given the following remedy:
#1. CC3.1 Heart tonic + CC3.7 circulation + CC21.11 Wounds & Abrasions...6TD for 3 days then TDS

The practitioner was out of the country for two months so there was no contact with the patient but he continued with the remedy. On his return in July 2017, the patient reported that the ulcer had disappeared completely within one week. After two months of vibrionics treatment his overall condition had improved by 80% both in terms of pain and swelling.

As now there was no need for CC21.11 Wounds & Abrasions the remedy was changed to:
#2. CC3.1 Heart tonic + CC3.7 circulation...OD

The practitioner went abroad again and met the patient in February 2018. He was informed that all the swelling and pain had gone long ago and the remedy had been stopped. During a further review in May 2018, the patient confirmed and that he never took any other medication, there has been no recurrence of the condition and he is absolutely fine.

Editor’s comment:
When a practitioner is going away for an extended period of time,  it’s best for him to arrange for his patients to be attended to by another nearby practitioner. Check with the Country Coordinator for practitioners’ details OR if within India, write to the healerInfo team at: 
[email protected]

 

Triple fracture in forearm with bone graft 03558...France

On 12 November 2017, a 64-year-old retired male doctor was knocked down by a car while he was just sitting on his motor bike. He sustained a fractured pelvis and serious injuries to his right arm. He was taken to the hospital but he also wanted to receive vibrionics treatment. An operation was planned for 15 November to fix the shattered bones and this will also remove the ugly bump in his wrist. The patient was very anxious about the operation.

He was given the following combo: 
#1. NM59 Pain + SR348 Cortisone + Potentised paracetamol 200C + CC10.1 Emergencies + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC18.5 Neuralgia + CC20.7 Fractures + CC21.11 Wounds & Abrasions…QDS in water except during hospital stay when he could take pills. 

On 8 December, the patient reported that vibrionics was helping him. The pain had almost disappeared despite the major surgery and there was 30% improvement overall. The big incisions in his wrist had healed well. Since he had taken analgesics only for a few days, and afterwards only vibrionics, he concluded there was a very good therapeutic effect from the vibrionics remedy.

The practitioner excluded the 1st four remedies from #1 and instead gave: 
#2. CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC18.5 Neuralgia + CC20.7 Fractures + CC21.11 Wounds & Abrasions…TDS  

A month later, on 9 January 2018, the patient reported a further 30% improvement, although the ulna was still not strong enough. The dosage of #2 was reduced to BD for three weeks, then to OD for a further three weeks. 

By 10 February the bone consolidation was complete, only the scars remained. He did not have to wear a splint any longer and was advised to take precautions such as avoiding strong movements, and not to put heavy strain on that limb for 1-2 months. He was very happy to show his right forearm perfectly healed and his wrist perfectly smooth without that ugly bump reminding him of the accident.

Patient’s testimonial:
On 15 November 2017 I was operated on a triple osteotomy with a bone lengthening, a treatment for pseudarthrosis with vicious calluses on the two bones of my right forearm. With an iliac bone graft and one centimeter lengthening of both radius and ulna (bone bridge filled with the iliac bone grafts). I was administered relevant vibrionics treatment all along by my practitioner. I complied with it scrupulously as prescribed until today (10 February 2018). I am now taking the last pills prescribed OD. The bone consolidation was complete within three months. Whereas a no-consolidation might have been expected with such a graft, the X-ray shows a bone consolidation corresponding to a six month period of immobilisation, therefore with vibrionics treatment it is at least a three months’ substantial benefit! The immobilisation was achieved with closed resin for three months too. I have written this to testify how efficient vibrionics therapy is; other factors that benefited the healing are: muscular training with immobilisation and a sound healthy diet. I have enclosed the X-rays of my fractured wrist before surgery and after treatment.

Dysphagia 01001...Uruguay

For the past one year this 8-year-old girl had difficulty in swallowing her food as it would get stuck in her throat. Somehow she managed to eat by sipping lots of water even though it was difficult and painful. The patient was fearful and nervous at every meal due to the fear of choking. So she could not enjoy her meals. These episodes occurred daily. She had not taken any treatment.

On 15 February 2018, she was given the following remedy.
CC4.2 Liver & Gallbladder tonic + CC4.4 Constipation + CC4.10 Indigestion + CC10.1 Emergencies + CC12.2 Child tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic… BD in water

After taking just one dose, she had no difficulty in swallowing and has been enjoying her meals ever since. In March 2018 the child was continuing to take the remedy at BD

Patient’s comments:
I feel very happy because this medicine healed me. I don´t suffer anymore while eating. Earlier I had to hold a glass of water during the meals because I was afraid food would get stuck in my throat. 

Her teacher’s recent comments: The girl is not anxious anymore and in fact she is a calmer child now. She is an example to other kids in her class; she assists her peers in solving problems. She never had the problem with swallowing food again.

Depression, dyspepsia and constipation 11581...India

A 64-year-old woman became anxious and depressed due to sudden death of her husband in 1990.  Due to anxiety, she developed psychological imbalance resulting into dyspepsia and constipation and she went through all these for 15 long years.  She is non-diabetic and non-hypertensive.  She had been taking allopathic medications for depression, flatulence, acidity, and constipation. Due to continued usage for several years, it appeared she had become immune to the above medicines. She looked pale and had no enthusiasm in life. The son brought the patient to the practitioner who gave her moral strength and encouraged her to have faith in God which would certainly help. The patient was very cooperative and agreed to take remedies as prescribed.

On 23 June 2017, she was given:
# 1.  CC4.1 Digestion tonic + CC4.2 Liver & Gallbladder tonic + CC4.4 Constipation + CC4.10 Indigestion + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic…TDS

#2. CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC15.2 Psychiatric disorders + CC15.6 Sleep disorders + CC17.2 Cleansing + CC17.3 Brain & Memory tonic…TDS

After one month, the patient felt 40% improvement in her emotional health. So she stopped taking all allopathic medicines. She continued #1 and #2 for 3 months.  

On 6 October 2017, she reported 100% improvement in her emotional health and 80% relief in dyspepsia and constipation. The dosage of #2 was reduced to BD until 3 Feb 18 and then to OD for a month. On 3 March, it was reduced to OW before stopping the remedy on 9 May 2018. 

In the case of dyspepsia, there was further improvement to 90% after one month, so the dosage of #1 was reduced to BD which she was continuing due to fear of relapse until her visit on 9 May,. The patient was feeling healthier both physically as well as mentally and this has inspired her to make changes to her lifestyle. 

 

Psoriatic arthritis 11590...India

A 33-year-old woman developed a psoriatic patch on her scalp seven years ago, one year after the birth of her autistic son. The patient associated her illness with the mental trauma of bringing up an autistic child. She used an allopathic ointment for 4 years which prevented the progression of the lesion on the scalp but then 3 years ago, new lesions appeared on her neck and hands and after another 2 years, on her legs. The lesions had crusts which resulted in itching. During winter, her condition got aggravated as the skin became very dry. Occasionally she used a steroid ointment when itching became unbearable.

Additionally, she had ruptured ectopic gestation 1½ years back and she developed arthritis soon after this episode. So she started getting knee pain with swelling and hip joint pain. One month ago, the pain spread to her elbow joint. All these 7 years, she had also been experiencing disturbed sleep.

On 7 Jan 2018, she was given the following combos:
#1. CC10.1 Emergencies + CC15.2 Psychiatric disorders + CC20.3 Arthritis + CC21.10 Psoriasis…TDS
#2. CC10.1 Emergencies + CC21.10 Psoriasis…TDS 
in water for local application
#3. CC15.6 Sleep disorders…OD before bedtime

She was not on any other treatment. After a week, the patient reported 30% relief in joint pains and 20% in itching and crusts and she was sleeping well.

One month after treatment she felt 90% improvement in joint pains, there was no swelling on the knees, the size of the lesions on the neck, hands and legs had reduced by 50% and itching and crusts had completely disappeared from all lesions.  In another 2 months, the joint pain had totally vanished and the lesions were down by 70%. No new lesions appeared. As of 15 May 2018, the patient is 100% comfortable and very happy and wants to continue remedy at TDS. Initially she was reluctant to take vibro remedy for her son but now after her own recovery, she has requested vibro treatment for him!

Irregular menses 11589...India

A 32-year-old female consulted the practitioner for the treatment of irregular menses which she had ever since puberty. These were characterised by heavy bleeding extending to 9-10 days, bad odour and menstrual cramps. Moreover, she experienced delayed menstrual cycle extending to 40-45 days as against the usual 28 days. She used allopathic, ayurvedic and homoeopathic medications at various times but without success.

On 19 July 2017, she was given:
CC3.7 Circulation + CC8.1 Female tonic + CC8.8 Menses Irregular + CC15.1 Mental & Emotional tonic…TDS in water

After starting the remedy the patient reported abdominal pain (possible pullout) but she felt improvement in her menstrual pain. Within 3 months, all her symptoms had completely gone and bleeding became normal lasting 4-5 days. The same dosage was continued for another two months after which the menstrual cycle also got regularised to 28 days. Hence the dosage was now reduced to BD for two months and then to OD which she is currently continuing as prophylactic. 

 

Examination stress 11590...India

A 17-year-old medical student was extremely stressed due to her forthcoming final examinations. She was studying long hours but for the past two weeks she was having difficulty in remembering what she read.  When she consulted the practitioner on 1 Dec 2017, she complained of disturbed sleep, lack of concentration and poor memory due to stress.

She was given the following combo:
CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC17.3 Brain & Memory tonic…TDS in water

On the very first day of taking the remedy, the patient slept well. She could concentrate better and study well for the next 25 days and completed her exams with a stress-free mind. She was also confident in recollecting all answers during her exams and she passed with a first class.

The patient took the remedy during the entire course of exams and then the remedy was tapered to OD before stopping on 31 December 2017.

Practitioner profiles 11583...India

Practitioner 11583...India was born into a family of doctors. Passionate about teaching, she did her doctorate in chemistry and until recently was an associate professor in an engineering college. She came into Swami’s fold in 1995 and started visiting Puttaparthi every year from 1998 to assist her mother, a gynaecologist, at the annual medical camp held during Swami’s birthday. Her desire to do medical seva got wings when she heard about vibrionics and its zero side effects from her cousin who was a practitioner. She read through the vibrionics website and the newsletters, became convinced that Sai Vibrionics would deepen her connection with Swami, enrolled immediately into the course, and became an AVP in November 2016.

She feels fortunate that the mentoring system was introduced just when she qualified. She attributes her growth as a practitioner to the invaluable guidance and encouragement imparted by her mentor10375. In her own words ‘being mentored for a few months on a daily basis was a real blessing’. Soon, in July 2017, she became a VP and has herself been mentoring a fresh practitioner from November 2017. So far she has successfully treated over 300 patients with various conditions, both acute and chronic, such as cold, flu, sinusitis, skin allergies, gastritis, psoriasis and cancer. 

The practitioner demonstrates the effectiveness of CC7.3 Eye infections. She tried this common combo on herself, more than a year back, for recurrent stye and was cured within a week, with no recurrence. 

A 7-year-old boy came to her with acute pain and inflammation and a red spot from a blood clot in the eyeball, soon after an injury while playing. He did not go for any other treatment. Pain and inflammation was reduced in three days and the red scar disappeared within a week. 

In another interesting case she treated a 32-year-old man suffering from sleep apnoea, extreme fatigue, and periods of shallow breathing followed by loud snoring during sleep for 6 years. He did not get any relief from allopathic treatment.  He was given CC10.1 Emergencies + CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC19.3 Chest infections chronic during the day and CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC15.6 Sleep disorders before going to bed. He was not on any other medication while taking the vibrations. The patient reported 50% improvement in all the symptoms within a month and 90% improvement in two months. After five months, just prior to emigrating to Germany, the patient reported recurrence of his symptoms as he had been irregular in taking the remedies. Determined to be regular this time, he restarted the treatment. The patient’s family reported that he became 90% better in all respects within 2 months and continued to get refills in Germany.

The practitioner has found that CC9.2 Infections acute + CC19.2 Respiratory allergies made in sterile water, to be used as nasal drops, brings great relief to patients with nasal congestion. She recommends spraying CC15.2 Psychiatric disorders + CC17.2 Cleansing remedy in water at home or work place to protect oneself from negative energies and entities. She found CC17.2 Cleansing to be highly beneficial in treating polycystic ovarian disease (PCOD) and thyroid.

In her wellness kit, the practitioner carries an additional combo CC12.1 Adult tonic + CC15.1 Mental & Emotional tonic + CC17.3 Brain & Memory tonic which is wonderful for treating students with examination stress. She herself takes CC17.2 Cleansing…TDS to minimize the harmful effects of chemicals she gets exposed to in the chemistry lab. She has found that using CC10.1 Emergencies in water to wash the acid burnt skin of her students in the lab to counter the accidental spills brings instant relief without even leaving a scar .

She has joined a team of practitioners doing vibrionics seva in “Shivam”, Swami’s abode in Hyderabad. This weekly clinic, started in December 2017, has treated 300 patients within three months. The experience of working in this clinic with senior practitioners has enriched her knowledge, she states. The practitioner has taken a temporary break from professional teaching to attend to her pressing domestic commitments and to focus on vibrionics. She is part of the database updating team and is preparing herself to move to the next level of SVP.

The practitioner is finding fulfilment and incomparable joy in vibrionics seva. It has deepened her faith that ‘God is the Master Healer and the Doer” and has helped her to practice with greater vigour and calmness. She is filled with gratitude for the precious vibrionics gift she has been bestowed with, which has transformed the environment around her from negative to positive. Her daily prayer to Swami is: “Let vibrionics continue to expand its services to encompass all the needy in the world! Let more and more people enjoy this self-transforming therapy”. 

Cases to share:

 

चिकित्सकों की रूपरेखा 10831...India

चिकित्सक10831...भारत यह चिकित्सक पशु चिकित्सा विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री धारक हैं, 37 वर्ष सरकारी संस्था में कार्य करने के बाद वह सहायक प्रोफेसर के पद से वर्ष 2002 में सेवा निवृत हुये हैं, वहाँ उन्होंने पशु चिकित्सक के रुप में कार्य किया था। यद्यपि वह 1985 से ही स्वामी के संपर्क में रहें हैं, लेकिन सेवा दल के सक्रिय सदस्य के रुप में वर्ष 2003 से ही कार्यरत हैं। जब भी पुट्टपर्थी में सेवा करने का अवसर मिलता है तो वे पर्थी यात्रा अवश्य करतें हैं। सितम्बर 2009 में सेवा के दौरान उन्हें एक मित्र से वाइब्रोनिक्स के बारे में जानकारी प्रप्त हुई। वह यह अनुभव करते हैं कि स्वामी के आर्शीवाद के फलस्वरुप ही उन्हें वाइब्रो प्रशिक्षण के लिये सोलापुर, महाराष्ट्र में अवसर प्राप्त हुआ, अगले माह ही वह AVP बन गयें। उस समय के नियमानुसार उन्होंने 54CC बाक्स की मदद से चिकित्सा का कार्य शुरू कर दिया।

प्रारंभ में बहुत कम रोगियों के आने के कारण उन्होंने स्वामी से इस संदर्भ में दखल देने की प्रार्थना की। शीघ्र ही उन्हें रोगियों के उपचार करने का अवसर प्राप्त हो गया। रोगियों में बहुत से रोगी मानसिक समस्याओं से घिरे होते थे। फिर उन्होंने एक बड़ी कम्पनी के कर्मियों का उपचार करना शुरू कर दिया। दिहाड़ी पर काम करने वाले यह कर्मी चिकित्सा के लियें न तो अवकाश ले पाते थे और न ही उपचार का खर्चा उठा पाने में समर्थ थे। उनकी सेवा करने में उन्हें अपार प्रसन्नता मिलती थी। वर्ष 2010 से उन्होंने शिर्डी मन्दिर में गुरुवार को सुबह और शाम उपचार करना शुरू कर दिया जनवरी 2011 में VP बन जाने और 108CC बाक्स को मिल जाने से उनके उपचार की गति तीव्र हो गई। नजदीक की गऊशाला की गायों की चिकित्सा भी करने लगे, वहाँ प्रति सप्ताह दो बार जाते थे। वहाँ वह उन लोगों का भी उपचार करते थे जो वहाँ गाय का पूजन करने के लिये आते थेI

उनकी प्रैक्टिस में एक खुशनुमा मोड़ उस समय आया जब भारत के विभिन्न राज्यों से आये स्वयं सेवको के दल का प्रशातिनिलयम सेवा दल भवन में वाइब्रोनिक्स विधि से उपचार करने का स्वर्णिम अवसर प्राप्त हुआ, वे वहाँ अप्रैल 2014 से नियमित रुप से प्रातः एवं सायं सेवा देते हैं। वह इस कार्य के लिये माह में औसतन 15 दिन पर्थी में दोनो समय उपचार करने के लिये जाते हैं। यह उनके लिये विशेष स्थिति है क्योंकि उन्हे अपने परम आदरणीय स्वामी के निवास पर सेवा करने का अवसर प्राप्त होता है। इससे उन्हे विभिन्न प्रजातियों के विभिन्न प्रकार के रोगों का उपचार करने का अनुभव प्राप्त होता है। उनके रोगियों में बहुत से ऐलौपैथिक डाक्टर्स भी होते हैं जो इस उपचार की सफलता से प्रेरित होकर अपने रोगियों, सम्बन्धियों, मित्रो को वाइब्रो उपचार की न केवल जानकारी देते हैं बल्कि मैडिकल रिर्पोट देकर उनकी सहायता भी करतें हैं। पशु विज्ञानी होने के कारण, वह स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं को  बड़ी आसानी से समझ जातें हैं और रोगी को शीघ्र ही रोग से निजात दिला देते हैं।

वे हैदराबादी निवासी हैं और शिर्ड़ी मंदिर में प्रति माह वाइब्रो सेवा के लिये जाते हैं साथ ही गऊशाला में भी जातें हैं। वर्ष में दो बार प्रशांति सेवा के लिये भी जाते हैं। वह प्रशांति में रखरखाव और स्वच्छता दल के सक्रिय सदस्य हैं।

तीव्र रोगों से पीड़ित व्यक्तियों के उपचार के लिये वह सदैव अपने साथ वैलनेस किट रखतें हैं जिससे कि उनका उपचार तुरंत किया जा सके। वह उनके साथ हुई एक दिलचस्प घटना के बारे में बतातें हैं कि एक बार वह सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के मुख्य गेट पर रात्रि के समय अपने कार्य का निर्वाह कर रहे थे तो वहाँ पर एक कुत्ता लड़खड़ाता एवं दर्द से तड़पता हुआ आया। उन्होंने उसे मूव वैल नामक कॉम्बो पानी में डालकर दिया, उसने उस कॉम्बो का चार बार नियमित अंतराल पर सेवन किया। आधा घंटा बीतते ही, वह बिना लड़खड़ाये दौड़ कर वहाँ से चला गया।

बारंबार होने वाली स्किन ऐलर्जी, श्वसन संबधी रोग, और तनाव से ग्रसित रोगियों के लिये वह CC17.2 Cleansing कॉम्बो को देने की सलाह देते हैं। उनके अनुभव से, CC12.4 Autoimmune diseases कॉम्बो सोरायसिस, पार्किन्स ड़िजीज व रोग के अज्ञात कारण के लिये बहुत प्रभावी है।

चिकित्सक 108CC कॉम्बो बॉक्स के सेवा कार्य से संतुष्ट है, इससे उसे अच्छी सफलतायें प्राप्त हो रहीं हैं अतः वह SVP के स्तर को प्राप्त करने के लिये इच्छुक नहीं हैं। फिर भी, वह अपने साथ बचाव के लिये कुछ औषधियाँ जैसे कि बैच फ्लावर, जिसे वरिष्ठ चिकित्सक ने तैयार किया है, रखते हैं जिससे कि मानसिक समस्याओं से पीड़ित रोगियों को तुरन्त उपचार दिया जा सके। उन्होंने निम्न रोगों के उपचार में पूर्ण सफलता प्राप्त की है, आत्म विश्वास में कमी, अकड़, अत्यधिक नकारात्मकता, अत्यधिक डर, अवसाद। उनके अनुसार, वाइब्रोनिक्स ने उन्हें वास्तविक सेवा  को समझने का अवसर प्रदान किया है, उनके व्यवहार में करूणा का भाव जाग्रित हुआ है। इसी वजह से वह अपने रोगियों की स्वामी के प्रति समर्पित होकर बड़े प्रेम के साथ सेवा करते हैं। वह इस बात पर भी बल देतें हैं कि यदि किसी व्यक्ति की लम्बे समय तक सेवा करने की इच्छा हो तो साई वाइब्रोनिक्स उसके लिये आर्शीवाद स्वरुप है!

 

प्रश्नोत्तर

1. प्रश्न: यदि कोई गंभीर रोगी (श्वसन में तकलीफ, अत्यधिक रक्त स्त्राव या गंभीर चोट) मेरे पास उपचार के लिये आये तो क्या मुझे उसको ऐलोपैथिक उपचार के लिये डॉक्टर के पास भेज देना चाहिये?

उत्तर: यदि यह एक आपातकालीन स्थिति है या रोगी बहुत गंभीर अवस्था में है तो पहले तुम्हें उपयुक्त वाइब्रो रेमेडी देकर उसे ऐलोपैथिक उपचार के लिये निकटस्थ डॉक्टर के पास या हॉस्पिटल भेज देना चाहिये।

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2.  प्रश्न: क्या किसी रोग के निदान के पूर्व भी उसकी संभावनाओं के आधार पर उपचार करना उचित होगा?

उत्तर: हाँ, ऐसा किया जा सकता है क्योंकि वाइब्रो रेमेडी पूर्णतया दुष्प्रभावित होती हैं। वास्तव में सभी रेमेडीज़ सुरक्षा प्रदान करने वाली होतीं हैं। यदि निदान के फलस्वरुप रोग की पुष्टि हो जाती है तो यह रेमेडी कार्य करना शुरु कर देती है।

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3.   प्रश्न: मैं अपने अल्सरेटिव कोलाइटिस के रोगी की सेवा किस प्रकार करू? उसको न तो CC4.6 Diarrhoea से कोई लाभ हो रहा है और न ही पोटेनटाइज्ड Prednisolone (एक स्टेरायॅड) से लाभ हो रहा है। वर्तमान में वह प्रैडनीसोलोन का सेवन कर रहा है।

उत्तर: कुछ चिकित्सको का यह अनुभव है कि रोगी के मल से 1M नोसोड इस रोग में अत्यंत प्रभावी है। अब हम 200C के स्थान पर 1M पोटेन्सी का परामर्श देते हैं। तुम्हारे अनुभव का हम स्वागत करेंगे। चेतावनीः रोगी के किसी भी विकृत पदार्थ को फेंकने में पूर्ण सावधानी बरतें।

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4.  प्रश्न: मैं SRHVP मशीन पर SR341 Alfalfa + SM39 Tension तैयार कर रहा था। पहले एक बूँद अल्कोहल का उपयोग करते हुये पहले मैने SR341 Alfalfa  200C  पर बनाया, उसके पश्चात् SM39 को बनाने के लिये डायल को 10MM पोटेन्सी के लिये, (1)000 सैट कर दिया, जो कि तनाव के लिये आवश्यक है। चूँकि उदासीनीकरण के लिये भी ड़ायल को (1)000 पर स्थापित किया जाता है तो मेरा संदेह यह है कि क्या ऐसा करने से पहले तैयार की गई अल्फा अल्फा रेमेडी को उदासीन कर देगी?

उत्तर: तुमको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि यह क्रिया पहले दिये गये वाईब्रेशन को उदासीन नहीं करेगी क्योंकि (1)000 पोटेन्सी के सैटिंग के समय बॉटल वैल में नहीं होती है। बॉटल को वेल में रखने से पहले SM39 के कार्ड को स्लॉट में डालो, अब इस कार्ड की वाईब्रेशन अलकोहल की बूँद में समा जायेगी!

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5.  प्रश्न: क्या, जिस कमरे में वाईब्रो औषधियाँ और उनसे सम्बन्धित सामान रखा हो वहाँ रुम फ्रेशनर को प्लग में लगाया जा सकता है?

उत्तर: ताजी हवा सबसे उत्तम होती है। यदि तम्हें रुम फ्रेशनर का उपयोग करना आवश्यक हो तो तुम प्राकृतिक, वायु धुन्ध रहित फुहार या शुद्ध धातुरहित अगरबत्ती का उपयोग कर सकते हो। या फिर कोई सुगंधित इत्र का भी उपयोग कर सकते हो प्लगइन वाले फ्रेशनर संशलेशित होते हैं और वे न तो कमरे में रहने वालो के लिये और न ही वाइब्रेशन के लिये लाभप्रद होतें हैं।

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6.  प्रश्न: क्या बालों के नोसोड के सेवन के दौरान सम्पूर्ण स्वास्थ्य में भी लाभ होता है?

 उत्तर: हाँ! बालों की समस्याओं के लिये बालों के नोसोड का सेवन करने से सम्पूर्ण स्वास्थ्य पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है क्योंकि चाहे वह मनुष्य हो या पशु, सभी गुण बालों में मौजूद होते हैं।

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7.  प्रश्न: किस उम्र तक CC12.2 Child tonic दिया जा सकता है और CC12.1 Adult tonic किस उम्र से दिया जाना चाहिये?

उत्तर: यह बच्चे के स्वास्थ्य और उसके विकास के आधार पर निश्चित किया जाता है। यह स्थापित सत्य है कि यौवनारंभ के पूर्व तक Child tonic देना चाहियें उसके बाद Adult tonic दिया जाना चाहिये। सभी बच्चों के लिये किशोरावस्था समान नहीं होती है। एडल्ट टॉनिक शुरु करने से पहले BR16 Female/BR17 Male को 3 माह तक देने से अधिक लाभ होता है। पहले माह तक BD तथा अगले दो माह तक OD की खुराक रात्रि के समय दी जानी चाहियें।

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8.  प्रश्न: यदि कोई रोगी एक से अधिक कॉम्बोज का सेवन करता हो तो क्या उन कॉम्बोज को एक साथ पानी में मिलाकर दिया जा सकता है? यदि ऐसा है तो दो कॉम्बोज को लेने में 5 मिनट का अंतराल क्यों रखा गया है?

उत्तर: पहले हमने अंतराल रखने की अनुशंसा इस आधार पर की थी कि उतने समय में शरीर के प्रभावित भाग में कॅाम्बो अवशोषित हो जाती है। परन्तु हमारे व्यापक अनुभव के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि यदि कॅाम्बोज की खुराक समान है तो उन्हे एक साथ पानी में मिलाकर लिया जा सकता है उनके प्रभाव में फर्क नहीं पड़ेगा। इस बात को ध्यान में रखते हुये कि रोगी कम से कम बॉटल लेना चाहता है, हम यह सलाह देते हैं कि अधिकतर कॉम्बोज और रेमेडीज़़ को एक साथ लिया जा सकता है। अधिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से गहरा प्रभाव ड़ालने वाली रेमेडीज़/कॉम्बोज जैसे कि मियास्म, नोसोड या शारीरिक रेमेडीज जो दिमाग और भावनाओं पर गहरा प्रभाव डाने वाली होतीं हैं (जिन्हें सामान्य 200C पोटेन्सी में लिया जा सकता है) को अन्य कॉम्बोज के साथ नहीं मिलाना चाहियें। 30 मिनट का अन्तराल सुरक्षित रहता है।

 

दैवीय चिकित्सक का सन्देश

“सबसे बड़ा रोग (चैन की अनुपस्थिति) शांति की अनुपस्थिति है मन में शांति होती है तो शरीर स्वस्थ्य रहता है। हर मनुष्य अच्छा स्वास्थ्य पाना चाहता है। अतः उसे अपनी भावनाओं पर ध्यान देना चाहिये। अनुभूति और प्रयोजन व्यक्ति को उत्तेजित करते हैं। जिस प्रकार तुम कपड़े को साफ करने के लिये धोते हो, उसी प्रकार तुम्हें अपने मन को भी बार-बार धोना चाहिये जिससे कि उसमें से कुत्सित विचार निष्कासित हो जायें अन्यथा ये विचार मन में एकत्रित होते रहेंगे और फिर वह ’’आदत’’, बन जायेंगे, यह धोबी और कपड़े दोनो के लिये नुकसान दायक होगा। तुम्हारा प्रतिदिन का यह काम होना चाहियें कि तुम्हारे मन पर कुत्सित विचार न जम पायें; अर्थात तुम्हें उन लोगों के संपर्क में रहना चाहियें जहाँ कुत्सित विचार उत्पन्न नही होते हैं। झूठ, अन्याय, अनुशासन हीनता, अत्याचार, घृणा, यह सब गंदगी हैं। सत्य, धर्म, शांति, प्रेम (सदाचरण, शांति, प्रेम) शु़द्ध तत्व हैं। यदि तुम इन शब्दों से युक्त वायु को श्रवसित करते हो तो तुम्हारा मन बुरे कीटाणुओं से सुरक्षित रहेगा और तुम मानसिक रुप से दृढ़ और शारीरिक रुप से बलशाली रहोगे।”     

... Sathya Sai Baba, “The Best Tonic” Discourse 21 September 1960 http://www.sssbpt.info/ssspeaks/volume01/sss01-28.pdf

 

“इस संसार में समकालीन सशरीर अवतार का होना एक आसामान्य घटना है...स्वामी आगे कहते हैं कि अवतार के साथ रहते हुये भी सशरीर अवतार को न पहचानना भी एक दुर्लभ बात है...और इससे भी दुर्लभ यह बात है कि यह अवतार मनुष्य में स्थित ईश्वर से प्रेम करता है। इस संसार में भगवान की सेवा करने का अवसर मिलना सबसे अधिक दुर्लभ है।”

... Sathya Sai Baba, Conversations with Students in Kodaikanal http://www.theprasanthireporter.org/2013/07/follow-his-footprints/

 

उद्घोषणायें

 उद्घोषणायें

आगामी कार्यशालायें  

  • यू.एस.ए. Richmond VA: AVP कार्यशाला 22-24 जून 2018, सम्पर्क:Susan at [email protected]
  • भारत पुट्टपर्थी: AVP कार्यशाला 22-26 जुलाई  2018, सम्पर्क: Lalitha at [email protected] or by telephone at 8500-676 092
  • फ्रांस Perpignan: AVP कार्यशाला और रिफ्रेशर सेमिनार 8-10 सितम्बर 2018, सम्पर्क: Danielle at [email protected]
  • भारत पुट्टपर्थी: AVP कार्यशाला 18-22 नवम्बर 2018, सम्पर्क: Lalitha at [email protected] or by telephone at 8500-676 092
  • भारत पुट्टपर्थी: SVP कार्यशाला 24-28 नवम्बर 2018, सम्पर्क: Hem at [email protected]