साई व्हाइब्रियोनिक्स पत्रिका

" जब आप किसी हतोत्साहित, निराष या रोग ग्रस्त व्यक्ति को देखते हो, वहीं आपका सेवा क्षेत्र है " Sri Sathya Sai Baba
Hands Reaching Out

अम्लता, असंयमिता, श्रोणि की सूजन 11601...India


एक  86-वर्षीय महिला कई प्रकार की जीर्ण बीमारियों से ग्रसित थी। पिछले एक वर्ष से वह सीने में जलन और भोजन के पश्चात् डकारें आने से परेशान थी। वह भोजन को आसानी से नहीं खा पाती थी क्योंकि उसके गले में निरंतर जलन होती रहती थी, भोजन नलिका में भी जलन होती थी। अम्लता की अधिकता के कारण रोगी चिकित्सक के पास 25 सितम्बर 2018 को पहुँची। पिछले एक माह से रात्रि के समय उसका बिस्तर भी गीला हो जाता था। दिन में भी उसको अनैच्छिक रूप से मूत्र हो जाता था, पेट के निचले भाग में दर्द भी होता था। इसका निदान UTI के रूप में किया गया था। गुर्दे में भी संक्रमण बताया था जिसके लिये उसने कुछ समय तक ऐलोपैथिक औषधियों का सेवन किया था। चूंकि उसे कोई आराम नहीं मिल रहा था अतः उसने उनका सेवन बंद कर दिया था। उसने यह भी बतलाया कि 46 वर्ष की आयु तक उसे कई बार हृदयाधात हुआ था तब से वह ऐलोपैथिक औषीधियों का सेवन कर रही है।

चिकित्सक ने उसे निम्न उपचार दिया:

#1. CC3.1 Heart tonic + CC3.7 Circulation + CC4.2 Liver & Gallbladder tonic + CC4.10 Indigestion + CC10.1 Emergencies + CC13.1 Kidney & Bladder tonic + CC13.2 Kidney & Bladder infections + CC13.3 Incontinence + CC15.1 Mental & Emotional tonic…हर दस मिनट के अन्तराल पर पूरे दिन और उसके पश्चात् 6TD 

2 दिनों में ही रोगी की सभी समस्यायें जो अम्लता, बिस्तर का गीला करना, असंयमिता, से संबंधित थी, ठीक हो गई। पेट के दर्द में भी 90% की कमी हो गई थी। 4 दिन पश्चात् 1 अक्टूबर 2018 को रोगी को अचानक पेट के निचले भाग में तीव्र दर्द हुआ और उसको हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा। वह 2 सप्ताह तक ICU में रही जहाँ अनेकों प्रकार के टैस्ट किये गये। डॉक्टर्स ने शल्य क्रिया की सलाह दी परन्तु रोगी इसके प्रति इच्छुक नहीं थी। अतः उसको हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई इस सलाह के साथ कि जब कभी भी दर्द हो तो दर्द निवारक औषधि का सेवन कर लेवें। लेकिन इससे कोई आराम नहीं मिलता था। उसने 20 अक्टूबर 2018 को चिकित्सक से फिर संपर्क किया। चिकित्सक को नहीं पता था कि रोगी को क्या औषधि दी जाये अतः उसने स्वामी से मन की गहराईयों से प्रार्थना की। ध्यान की अवस्था में ही उसे निम्न उपचार देने की प्रेरणा प्राप्त हुई जो कि श्रोणि और उससे संबंधित अंगों के लिये थी:

#2. CC4.3 Appendicitis + CC8.4 Ovaries & Uterus + CC8.5 Vagina & Cervix… हर 10 मिनट के अन्तराल पर एक घंटे तक तत्पश्चात् 6TD

2 दिन के अन्दर ही पेट के निचले भाग का दर्द बिलकुल ठीक हो गया। 5 दिन के बाद खुराक को TDS कर दिया। 8 सप्ताह बाद रोगी ने सूचित किया कि दुबारा दर्द नहीं हुआ। खुराक को OD कर दिया गया जिसे एक सप्ताह बाद बन्द कर दिया गया। 30 दिसम्बर 2018 तक रोगी पूर्णतया रोग मुक्त था।

2 दिन पश्चात् चिकित्सक रख रखाव हेतु निम्न उपचार देना चाहता था:

#3. CC3.1 Heart tonic + CC4.10 Indigestion + CC12.1 Adult tonic…TDS, निवारक उपाय के रूप में।

सम्पादकीय टिप्पणीः चिकित्सक ने हृदय और रक्त संचारक कॉम्बो बचाव की दृष्टि से मिलाये थे क्योंकि पहले हृदयाघात हो चुके थे।