दैवीय चिकित्सक का दिव्य सन्देश
Vol 14 अंक 5
सितम्बर/अक्टूबर 2023
“आपको सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिये। सात्विक भोजन ग्रहण करने से आप सात्विक विचारों को विकसित करने में सक्षम होंगे। और, सात्विक विचारों को विकसित करके, आप सात्विक कर्म करने में सक्षम होंगे... आपको कभी-कभी संदेह हो सकता है कि आपको ऐसा सात्विक भोजन नहीं मिलेगा। मैं इस विचार से बिल्कुल भी सहमत नहीं हूं. क्या तुम्हें सब्जियाँ और खाने योग्य हरी पत्तियाँ प्रचुर मात्रा में नहीं मिलतीं? वास्तव में, जिस क्षण आप अपनी माँ के गर्भ से पैदा होते हैं, आप अपनी माँ के दूध या गाय के दूध पर जीवित रहते हैं और फलते-फूलते हैं। क्या यह सात्विक भोजन नहीं है? क्या आप शाकाहारी भोजन पर नहीं रह सकते…?”
...Sathya Sai Baba, “Cultivate Satvic Qualities Right from Childhood” Divine Discourse 22 October 2005
https://www.sssbpt.info/ssspeaks/volume38/sss38-17.pdf
“जो व्यक्ति सेवा करता है, वास्तव में अपनी ही सेवा करता है; जब आप दूसरे की सेवा करते हैं तो आप स्वयं की सेवा करते हैं। आप दूसरे की सेवा करते हैं क्योंकि उसका कष्ट आपको पीड़ा देता है और उससे छुटकारा पाकर आप स्वयं को उस पीड़ा से बचाना चाहते हैं। जब तक आपको वह पीड़ा नहीं होगी, आपकी सेवा खोखली और निष्ठाहीन होगी।” …Sathya Sai Baba, Seva as Sadhana, Divine Discourse, Bombay, 6 November, 1967