साई व्हाइब्रियोनिक्स पत्रिका

" जब आप किसी हतोत्साहित, निराष या रोग ग्रस्त व्यक्ति को देखते हो, वहीं आपका सेवा क्षेत्र है " Sri Sathya Sai Baba
Hands Reaching Out

डॉ. जीत के अग्रवाल की कलम से

Vol 12 अंक 2
मार्च/अप्रैल,2021


प्रिय चिकित्सको,

ओम नमः शिवाय! आगामी शिवरात्रि के अवसर के लिए सभी को आशीर्वादI स्वामी कहते हैं, “यहाँ व्यक्ति खाने और सोने के लिए नहीं आते हैं; वे तो यहाँ अनुशासनात्मक तरीके से अपनी दिव्यता प्रकट करने के लिए आते हैंI इसलिए उन्हें व्यक्ति के रूप में जाना जाता है और उनमें जो शक्ति निहित है उसे वे यहाँ व्यक्त करते हैं – दैवीय शक्ति ही उन्हें प्रेरित करती हैI इसी उद्देश्य के लिए, वह इस मनुष्य तन में बुद्धिमता पूर्ण ढंग से कार्य को सम्पन्न करते हैं तथा गतिविधियों को सही दिशा में ले जाते हैंI तुम्हें यह कार्य नियमित रूप से नैतिकता के साथ करना चाहिये (धर्म-निष्ठ और कर्म-निष्ठ)I” – Divine Discourse, Shivaratri,1963.

यह सुन्दर शब्द हमारे जीवन का सार हैंI यह शब्द हमें यह याद दिलाते हैं कि वाईब्रिओनिक्स का हमारे जीवन में कितना अधिक महत्व है, हमारा उद्देश्य है कि हम कैसे बुद्धिमतापूर्वक इस कार्य को आगे बढ़ाते हुये अपने भावुक साथियों की अधिक से अधिक सहायता कर सकेंI

एक ऐसी धन्य आत्मा जिसने दिव्य ऊर्जा की इस सुंदर चिंगारी को मूर्त रूप दिया और मानवता की भलाई के लिए इसका इस्तेमाल किया, उनका नाम है स्वामी आनंदाI यह अत्यन्त दुःख की बात है कि स्वामीजी हमसे विदा हो गये और उन्होंने 24 जनवरी को 84 वर्ष की आयु में समाधि ले लीI स्वामी नारायणी जी (माताजी) के साथ, स्वामी आनंदा जी ने उपचार के लिए अद्भुत पुस्तक का सह-लेखन किया जो वाईब्रिओनिक्स प्रणाली का आधार है। उन्होंने माता जी की आध्यात्मिक यात्रा में बहुत मदद की और सरल, व्यापक और प्रभावी रूप से एक क्रांतिकारी प्रणाली की स्थापना की जो कि दिव्य उर्जा के वाईब्रेशन्स पर आधारित थीI इस प्रणाली को श्री सत्य साईं बाबा का आशीर्वाद और अनुग्रह प्राप्त था जिनके प्रताप से ही साईं वाईब्रिओनिक्स विकसित हुआI वर्ष 2014 में आयोजित प्रथम अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के अवसर पर जब स्वामीजी ने अपनी उपस्थिति से हमें गौरवान्वित किया, तो हम बहुत धन्य हुए। हम स्वामीजी को हमेशा सादगी और विनम्रता के प्रतीक के रूप में कृतज्ञता के साथ याद करेंगे।

एक वर्ष पूर्व हमने संगठन की औपचारिक रूप-रेखा प्रस्तुत की थी (जैसा कि वॉल्यूम 11 # 2 Mar-Apr 2020 में घोषणा की गई है), हमने अब अपने भूतपूर्व मासिक रिपोर्ट समन्वयकों को क्षेत्रीय समन्वयक (RCs) बना दिया है। पहले उनका कार्य केवल रिपोर्ट को एकत्रित करके अपलोड करने का था लेकिन अब उन्हें अधिक जिम्मेदारियां सौंपी गई हैI वे अब अपने-अपने क्षेत्रों में वाईब्रिओनिक्स क्षेत्र में हो रहे विकास की अगुवाई भी करेंगेI वे IASVP विंग डायरेक्टर और ज़मीनी स्तर पर कार्य कर रहे चिकित्सकों के साथ मिलकर कार्य करेंगेI मुझे यह बताते हुये प्रसन्नता हो रही है कि भारत के 24 क्षेत्रीय समन्वयकों ने पहले ही अपने द्विमासिक वर्चुअल सम्मेलन का आयोजन कर लिया हैं। इन सम्मेलनों से चिकित्सकों को आपसी सम्बन्ध बढ़ाने में मदद मिली हैI इससे उनको, एक ही स्थल पर,  डेटा संग्रह के लिए प्रेरणा देने, रिपोर्टिंग प्रक्रियाओं को व्यवस्थित करने, केस हिस्ट्री को लिखने में, IASVP में चिकित्सकों के नामांकन और इम्यूनिटी बूस्टर (IB) के वितरित करने के कार्य में, बहुत मदद मिली हैI       

जहाँ तक इम्युनिटी बूस्टर का प्रश्न है दुनियांभर में कोविड-19 की समस्या कम हो रही है लेकिन यह समस्या अभी पूर्णरूप से समाप्त नहीं हुई हैI यधपि वैक्सीनेशन की प्रक्रिया पूरे विश्व में जोर-शोर से चलाई जा रही है फिर भी वायरस के नये स्ट्रेन की उत्त्पत्ति से इंकार नहीं किया जा सकता है, हमें इसके प्रभाव का अध्ययन करना हैI अतः हमने जो गति IB के वितरण की अपनाई है उसको अभी बनाये रखना है और IB के सेवन को वैक्सीनेशन के बाद भी जारी रखना हैI कुछ चिकित्सकों ने यह जानना चाहा है कि वैक्सीनेशन के उपरांत होने वाले दुष्प्रभावों को किस प्रकार दूर किया जा सकता हैI हमने इसका उत्तर ‘प्रश्नोत्तर कॉलम’ में दिया है, इसके अतिरिक्त इसी अंक के ‘अतिरिक्त कॉलम’ #2 में इस सम्बन्ध में चर्चा की हैI हमने कोविड-19 के बचाव और उपचार के लिए कुछ काम्बोज बतलाएं हैंI    

हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि आंध्र प्रदेश, भारत में ‘स्प्रेड द वर्ड’ अभियान शुरू हो चुका है। हमारी वाईब्रिओनिक्स टीम 6 फरवरी 2021 को अनंतपुर में जूनियर कॉलेज फॉर वीमेन के प्रिंसिपल और अन्य फैकल्टी से मिली। इसके बाद चिकित्सक12051&02696  द्वारा 500 छात्रों की एक सभा में वाईब्रिओनिक्स के बारे में परिचय कराया  गया और जागरूकता अभियान वार्तालाप हुआI स्कूल अधिकारियों के निमंत्रण पर, छात्रों को गुरुवार 11 फरवरी को एक ओर वार्ता प्रस्तुत की गई। श्रोतागणों की रूचि इतनी अधिक थी कि हमने वार्ता के लिए 15-20 मिनट की  अवधि निर्धारित की थी, लेकिन यह कार्यक्रम डेढ़ घंटे तक चला! चिकित्सक12051 एक टीम बनाने की तैयारी कर रहें हैं जिससे हमारे प्रयासों में तेज़ी आ सकेI यह टीम अन्य स्कूलों और वृद्धाश्रमों में जाकर इसकी जानकारी देंगेI यह टीम आंध्रप्रदेश और कर्नाटक के लिए कार्य करेगीI

मुझे आपको यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि पहले जो AVP कार्यशालायें आयोजित होती थी, उसके स्थान पर अब वर्चुअल कार्यशालायें ही आयोजित की जाएंगी। दूरस्थ शिक्षा के इस विकल्प ने हमें कई शिक्षकों की प्रतिभा को दूरी और यात्रा से उपजी तार्किक बाधाओं को सुलझाने के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में अवसर दिया है। हमारे संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के समन्वयक द्वारा अप्रैल से जुलाई और सितम्बर से लेकर नवंबर तक पहली दो वर्चुअल AVP कार्यशालाएं आयोजित की गईं। उन महान सफलताओं के बाद, भारत में पहली नौ सप्ताह की AVP वर्चुअल वर्कशॉप 9 जनवरी 2021 को दो वरिष्ठ शिक्षकों द्वारा शुरू की गई जिसका समापन पुट्टपर्थी में 2-दिवसीय कार्यशाला के साथ होना है। इस प्रकार की कार्यशाला को आयोजित करने के लिए काफी सोच-समझकर कार्यक्रम बनाया गया है, जिससे कि यह कार्यशालाएं व्यापक और संवादात्मक, बीच-बीच में प्रदर्शन, रोल-प्ले और विश्व के योग्य चिकित्सकों द्वारा उनके  रोगियों, जानवरों और पौधों के इलाज के अपने समृद्ध अनुभवों के बारे में जान सकेंगे।

पिछले कुछ माहों में हमने पहली बार साईं वाईब्रिओनिक्स की सेवा में एक और रिकॉर्ड स्थापित किया है। अक्टूबर 2020 में, हमें चुनौतीपूर्ण उपचार प्रदान करने का अवसर मिला जिसमे हमें लगभग 10,000 सैनिकों को दवाइयाँ भेजने को कहा गया जो बर्फीले क्षेत्रों में विभिन्न स्थानों पर तैनात, भारी मानसिक और भावनात्मक तनाव में थे। हमारी अनुसन्धान टीम ने उनके लिए एक विशेष कॉम्बो तैयार किया था। उनसे प्राप्त समाचारों के अनुसार, हमारा यह प्रयास पूर्ण सफल रहाI जिन्होंने भी इस औषधि का सेवन किया उन्हें बहुत लाभ प्राप्त हुआI इसकी अधिक जानकारी इस समाचार पत्र के "अतिरिक्त" # 4 में दी गई हैI

मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, अंत में, मैं आप सभी को आनंदमय महा शिवरात्रि की शुभकामनाएं देता हूँ। मैं प्रार्थना करता हूँ कि हम सभी शिवमय हो जाएं और इस पृथ्वी पर आनन्दमय जीवनयापन कर सकें। स्वामी के स्वयं के शब्दों में, हम सभी "इस दुर्लभ अवसर का उपयोग करें, यह अनूठा अवसर हमे कई जन्मों के बाद अपने आप को सुधारने के लिए मिला है।" - दिव्य प्रवचन, शिवरात्रि, 1965।

साईं सेवा में रत
जीत के.अग्रवाल