साई व्हाइब्रियोनिक्स पत्रिका

" जब आप किसी हतोत्साहित, निराष या रोग ग्रस्त व्यक्ति को देखते हो, वहीं आपका सेवा क्षेत्र है " Sri Sathya Sai Baba
Hands Reaching Out

दैवीय चिकित्सक का सन्देश

Vol 11 अंक 4
जुलाई/अगस्त 2020


दैवीय चिकित्सक का सन्देश

"सात्विक भोजन केवल  तपस्वियों द्वारा ही लिया जाता है और ऐसा माना जाता है कि इस और ध्यान देने कि आवश्यकता नहीं हैI चूंकि शरीर और दिमाग पराश्रित हैं, कोई भी इसे नजरअंदाज नहीं कर सकता। जैसा भोजन वैसा मन, जैसा मन वैसे विचार, जैसे विचार वैसे कर्मI भोजन एक महत्त्वपूरण घटक है जो व्यक्ति की सजगता का निर्धारण करता है, वही उसके  आलस्य का भी निर्धारण करता है। वही व्यक्ति की चिंताओ, शांति, चमक और नीरसता का निर्धारण करता है।"

... Sathya Sai Baba, “Food and health” Discourse 21 September 1979

 http://www.sssbpt.info/ssspeaks/volume14/sss14-31.pdf

 

 

" सेवा को आगे बढ़ाने के लिए व्यक्ति का समाज के प्रति जागरूकता का होना आवश्यक है। किसी भी व्यक्ति की शौहरत, आराम जो वह पाता है तो वह समाज से ही प्राप्त करता है। वह समाज से ही तृप्ति पाता है। यदि वह समाज की सेवा नहीं करता है तो वह किस की सेवा कर सकता है? केवल आभार व्यक्त करने के लिए उसे समाज की सेवा करनी चाहिए जो कि सभी प्रकार के लाभों के लिए जिम्मेदार है। बिना आभार व्यक्त किए मनुष्य जानवरों से भी गया बीता है।"

... Sathya Sai Baba, “The Spirit Of Service” Discourse 21 November 1988

   http://www.sssbpt.info/ssspeaks/volume21/sss21-31.pdf