साई व्हाइब्रियोनिक्स पत्रिका

" जब आप किसी हतोत्साहित, निराष या रोग ग्रस्त व्यक्ति को देखते हो, वहीं आपका सेवा क्षेत्र है " Sri Sathya Sai Baba
Hands Reaching Out

डॉ० जीत के अग्रवाल की कलम से

Vol 11 अंक 4
जुलाई/अगस्त 2020


प्रिय चिकित्सकों,

सभी साईं भक्तों के लिए गुरु पूर्णिमा एक बहुत ही पावन दिवस है और इस अवसर पर तुम्हें संबोधित करते हुए अत्यंत प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है। यह वाईब्रिओनिक्स मिशन के व्यक्तियों लिए एक उदासीन दिवस है। जब स्वामी अपने दैहिक रूप में थे तो हम उनको अपनी वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते थे और एक केक भी प्रस्तुत करते थे जिसको वे काटकर सभी भक्तों में वितरित करने के लिए दे देते थे। जिसको सभी भक्त प्रसाद के रूप में ग्रहण करते थे। सामाजिक दूरी बनाए रखने का प्रशांति निलयम में कड़ाई से पालन किया जाता है, लेकिन इसके बावजूद प्रार्थना करने की तीव्रता यहां अत्यधिक हो गई है। संसार  के सभी स्थानों से यहां भक्त आकर प्रार्थनाएं करते हैं और आपसी विचार विमर्श ऑनलाइन माध्यम से करने में संलग्न रहते हैं। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। स्वामी ने कहा है, "ईश्वर के नाम का जप करते रहो, यही कार्य तुम्हें सभी प्रकार की विपत्तियों से बचाकर रखेगी। जिस प्रकार वायु हर स्थान पर मौजूद रहती है, उसी प्रकार ईश्वर भी हर स्थान पर मौजूद रहते हैं, वह तुम्हारे अंदर, तुम्हारे साथ तुम्हारे चारों ओर ऊपर और नीचे उपस्थित रहते हैं। इसलिए तुम्हें सदैव दिव्यता के साथ समन्वय बनाए रखना चाहिए। …Sathya Sai Baba, Guru Poornima Discourse, 21-7-2005, Prasanthi Nilayam.यह बात सभी चिकित्सकों और रोगियों के लिए बहुत उपयोगी है विशेषकर इस अभूतपूर्व समय में।

जैसा कि तुम सभी को विदित है कि कोविड-19 ने पूरे विश्व में विनाश का तांडव मचा रखा है, यह लीला सभी व्यक्तिगत, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर प्रभावी है। दुर्भाग्यवश इस महामारी का प्रभाव आम जनता पर सबसे अधिक है जिनके पास पर्याप्त बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाएं नहीं है। जबकि चिकित्सक के लिए यह संभव नहीं है कि वह रोगी से मिल सके और उसका उपचार कर सके फिर भी मुझे यह सूचना देते हुए हर्ष हो रहा है कि हमारे SVPs ने आगे बढ़कर ब्रॉडकास्टिंग के जरिए से विश्व को और कोविड-19 से ग्रस्त रोगियों को उपचार देने का कार्य किया है। हमारे अन्य चिकित्सक भी पोस्ट के द्वारा उपचार की औषधि भेज रहे हैं।

मुझे आपके साथ साझा करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि इस परिस्थिति में बहुत से चिकित्सकों को घर से सुविधा देने के कार्य में बाधा पड़ी है, परंतु इसके कारण आभासी बैठकों की गति में तीव्रता आई है। कर्नाटक का उदाहरण लें, जहां चिकित्सक पहले 15 दिनों में ऑनलाइन विधि से अपने ज्ञान की वृद्धि करते थे, वे अब हमारे पुराने समाचार पत्रों के आधार पर और 108CC पुस्तक में दी गई उपचार विधि पर विचार विमर्श करने लगे हैं। समन्वयक12051 के अनुसार इस प्रकार की ऑनलाइन बैठको से चिकित्सकों को सभी कोणों से अपनी ज्ञान वृद्धि के लिए अवसर प्राप्त हुआ है। वह सभी विषयों का गहनता के साथ अध्ययन करने लगे हैं और उसी दृष्टिकोण से प्रश्न करने लगे हैं।

मैं तहे दिल से कामना करता हूँ कि चिकित्सक मिलकर पूलिंग और पेयरिंग करके एक ऐसी रणनीति बनाएं जो इस आपातकालीन स्थिति में उनकी मदद कर सके और आपसी ज्ञान को बढ़ाने और लागू करने में एक दूसरे की मदद कर सके। उदाहरण के लिए फ्रांसीसी भाषा बोलने वाले जो फ्रांस और गाबोन में रहते हैं वे उन लोगों के साथ पेयरिंग कर रहे हैं जिनका संचार कौशल तो अच्छा है परंतु दूसरों की तुलना में उनका भाषा ज्ञान/ प्रशासनिक ज्ञान कम हैI फ्रांस के समन्वयकों ने ऑनलाइन बैठकों की आवृति बढ़ा दी है, 3 माह के बजाय 1 माह कर दी हैI

विश्व भर से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर यह दिल को खुश कर देने वाली बात है कि जिन व्यक्तियों को कोविड-19 जैसे लक्षण थे या जो इस रोग के पॉजिटिव थे उन्हें हमारी औषधि को 2-3 दिन तक लेने में ही लाभ हो गया था। मैं उन सभी चिकित्सकों के प्रति आभार प्रकट करता हूँ जिनके अथक समर्पण और प्रयासों से इस बूस्टर औषधि का वितरण व उपचार किया गया है। चिकित्सकों के इस सक्रिय दृष्टिकोण और श्री सत्य साईं सेवा संगठन के सहयोग से ही हम यह उपलब्धि प्राप्त कर सके हैंI भारत में हमने 34500 इम्यूनिटी बूस्टर औषधि का वितरण पिछले माह के अंत तक कर दिया था और लगभग 103500 लोगों को लाभ हुआ, पिछले दो महीनों में 40% की वृद्धि हुई। चिकित्सक11604 इस औषधि को तैयार करते हैं तथा उसको सेवादल, आश्रम में शेड्स में रह रहे व्यक्तियों और आश्रम में रह रहे व्यक्तियों तक इसे पहुंचाते हैं। वह अपने पिता चिकित्सक00759 के पद चिन्हों, जो 27 मई 2020 को, 98 वर्ष की आयु में, स्वामी में समा गए थे,सेवा कार्य कर रही है। वह एक बहुत ही समर्पित चिकित्सक थे और जीवन के अंतिम समय तक सक्रिय रहे थे। उनकी खुशनुमा यादें हमारे दिलों में सदैव बनी रहेगी। पिछले 20 वर्षों में पुट्टापर्थी में बहुत सारे लोगों का उपचार किया था।

मैंने सुना है कि अगले 2 माह भी संकटपूर्ण रहने वाले हैं क्योंकि यह वायरस परिवर्तनशील है और ऊपरी केंद्र बदलता रहता है । हमें सदैव सचेत रहने की आवश्यकता है जिससे कि यह अधिक प्रसार नहीं कर सके और उन लोगों का उपचार भी करना है जो लोग इस महामारी से त्रस्त है। लेकिन हमारी अनुसंधान टीम लगातार इस पर नजर रखे हुए हैं तथा इसके परिवर्तनशील व्यवहार और प्रसार पर रोक लगाने के लिए प्रयत्नशील है। हमारी अनुसंधान टीम ऐसा करने में सक्षम है क्योंकि वे लोग निरंतर केस हिस्ट्री और प्राप्त सूचनाओं का अध्ययन करते रहते हैं। यह सूचनाएं समस्त विश्व से प्राप्त होती रहती हैं। मेरा सभी चिकित्सकों से अनुरोध है कि वे लगातार सूचनाएं प्रेषित करते रहें तथा परिणामों से भी सूचित करें चाहे वह कितने भी साधारण हों।

मैं तुम्हें यह सूचना भी देना चाहता हूं कि 5 जुलाई की इस पावन बेला के अवसर पर हम अपनी नई वेबसाइट http://vibrionics.org को एक नए रूप में प्रस्तुत करने जा रहे हैं। हम अपने चिकित्सक03518 के प्रति आभार प्रकट करते हैं जिनके अथक समर्पण, रचनात्मकता और कठोर परिश्रम के फलस्वरूप उपलब्धि प्राप्त हो रही है। इनके साथ ही सहयोगी चिकित्सकों11964,03560 & 03531 के प्रति भी हम इनके प्रयासों की सराहना करते हैं और अपना आभार प्रकट करते हैं।

साईं की प्रेममयी सेवा में रत

जीत के. अग्रवाल