साई व्हाइब्रियोनिक्स पत्रिका

" जब आप किसी हतोत्साहित, निराष या रोग ग्रस्त व्यक्ति को देखते हो, वहीं आपका सेवा क्षेत्र है " Sri Sathya Sai Baba
Hands Reaching Out

प्रश्नोत्तर

Vol 11 अंक 3
मई-जून 2020


प्रश्न 1: क्या मैं कोविड-19 की दवा लेते हुए अन्य दूसरी जटिल या एक्यूट समस्या के लिए दवा ले सकता हूं?
 

उत्तर : कोविड-19 की रेमेडी को इसी रूप में प्रातः उठते ही लेनी होती है । अन्य बीमारी के लिए दूसरी रेमेडी को 20 मिनट के पश्चात लिया जा सकता है। हम यह जानते हैं कि नोसोड और मियाज्म को लेते वक्त भी हम नियम का पालन करते हैं। जब हमें इनके साथ अन्य रेमेडी को देना भी अत्यावश्यक होता है। हम इस बात को भी मानते रहे हैं कि दो रेमेडीज के बीच का 5 मिनट का अंतर पर्याप्त होता है, परंतु आधुनिकतम अनुसंधानों के फलस्वरूप यह मालूम हुआ है कि 20 मिनट का अंतर ही आदर्श अंतर है।_____________________________________________

प्रश्न 2: तीव्र समस्याओं के लिए मैंने अपने परिवार के सदस्यों को 108CC बॉक्स से एक बूंद रेमेडी को पानी में मिलाकर देने से वह अधिक प्रभावशाली हो जाती है वनस्पति इसके कि पहले पानी में गोलियों को घोलकर दवा बनाई जाए। क्या मैं ऐसा अपने रोगियों के लिए भी कर सकता हूं?

उत्तर: हां, तुम कर सकते हो लेकिन तुम्हें ध्यान रखना होगा कि रेमेडी तभी तक शुद्ध रह सकती है, जब तक की पानी शुद्ध रह सकता है, मान लो 1 सप्ताह। यदि जीर्ण रोगी इसका उपयोग करता है तो उसको तुम्हारे पास हर हफ्ते आना पड़ेगा ।( देखें प्रश्न 3 वॉल्यूम 9#2)
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प्रश्न 3: SRHVP मशीन का तांबे का बर्तन काला पड़ गया है। क्या यह रेमेडीज़ बनाने में कोई बाधा डालता है? क्या मैं इसको किसी और तरीके से साफ कर सकता हूँ?

उत्तर: वैल के काला पड़ जाने से रेमेडीज़ को बनाने में कोई फर्क नहीं पड़ता है। वैसे वैल को समय- समय पर साफ करते रहना चाहिए, एथिल अल्कोहल की कुछ बूंदों और मुलायम सफेद कपड़े की मदद से।

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प्रश्न 4: मैंने हाल ही में स्प्रे बोतल के स्थान पर डिफ्यूजर का उपयोग करना शुरू कर दिया है I CC15.1 को अपने मकान छिड़कने के लिए जिससे कि नकारात्मक ऊर्जा का निष्कासन हो जाए। क्या आप डिफ्यूजर के उपयोग के लिए सहमत हैं?

उत्तर: ऊपरी तौर पर देखा जाए तो डिफ्यूजर के उपयोग में कोई अंतर दिखाई नहीं देता है क्योंकि यह कमरे के बड़े क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है। किसी भी सुगंध को कमरे में फैलाने के लिए डिफ्यूजर का उपयोग अच्छा है। लेकिन औषधि के रूप में जब हम किसी रेमेडी को देते हैं तो उस समय हम स्वामी से प्रार्थना भी करते हैं। यहां प्रार्थना का महत्व रेमेडी से अधिक है। अतः जब हम डिफ्यूजर का उपयोग कर रेमेडी को कमरे में फैलाना चाहते हैं तो डिफ्यूजर जब भी रेमेडी को फैलायेगा तब प्रार्थना नहीं की जा सकती हो जो कि सबसे महत्वपूर्ण पक्ष है। अत: डिफ्यूजर की अपेक्षा छिडकाव ही बेहतर विकल्प है।

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प्रश्न 5: मेरा एक रोगी विदेश में रहता है वह सिस्टमिक लुपस रोग से ग्रसित है। SVP मैन्युअल के अनुसार उसको ब्लड नोसोड देना ही उपयुक्त है । वह ब्लड सैंपल भेजने में असमर्थ है। क्या इसका कोई अन्य उपाय भी है?

उत्तर: हां! इसका उपाय है। ब्लड नोसोड का उपयोग किसी भी सिस्टमेटिक बीमारी को ठीक करने के लिए किया जाता है। शरीर की पूरी जानकारी यदि किसी अन्य अंग में है तो वह है बाल। यद्यपि इसका उपयोग बालों की समस्याओं के लिए किया जाता है लेकिन इनका उपयोग किसी भी सिस्टमिक बीमारी के लिए भी किया जा सकता है। अतः तुम्हारे रोगी के बालों का नोसोड उतना ही प्रभावी होगा जितना कि उसके रक्त का नोसोड।

नोट: जब नोसोड शरीर के रोग ग्रस्त भाग से लिए गए रिसाव से जैसे कि पेशाब, थूक, पस, कान/ नाक/ आंख से लिया जाता है तो शरीर के उसी भाग का  उपचार करता है। रक्त या बाल से तैयार नोसोड भी इस कार्य के लिए उपयोग में लिया जा सकता है, लेकिन विशिष्ट रुग्ण पदार्थ से बना नोसोड बहुत तेज़ी से परिणाम प्राप्त करेगाI
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प्रश्न 6: मैं अपने रोगी के लिए चार एलोपैथिक दवाइयों को पोटेन्टाइज़ करना चाहता हूं। ये अपने दुष्प्रभावों के कारण कुछ समस्याएं पैदा कर रही है। यद्यपि ये औषधियां उसकी समस्याओं के लिए सही औषधियां है। क्या पोटेन्टाईज़ड औषधियों के कारण भी  पुल आउट हो सकता है?

उत्तर: तथ्य यह है कि रोगी की एलोपैथिक औषधियों के दुष्प्रभाव भी अधिक है। पोटेन्टाईज़ड औषधि इन दुष्प्रभावों को कम कर सकती है । ऐसी स्थिति में पुलआउट तो होता ही हैI कभी-कभी यह इतना कम होता है कि पता ही नहीं चलता है जबकि कुछ केसों में यह अत्यधिक होता है। लेकिन इसको पहले से ही जान लेना संभव नहीं होता हैI  अत: सुरक्षित यही है कि पहेली एक डोज़ दो, उसके प्रभाव को देख कर ही खुराक को बढ़ाना उचित रहेगा। यही तरीका ही उस समय अपनाया जाता है जब रोगी का उपचार पोटेन्टाइज़ड ऐलर्जन से किया जाता है।

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प्रश्न 7: यह माना जाता है कि रोग का कारण दिमाग ही होता हैI क्या यह उस समय भी जिम्मेदार होता है जब किसी दुर्घटना के कारण उसे यह रोग लग जाता है जबकि उसके दिमाग में ना तो दुर्घटना का कोई विचार होता है और ना ही उसके कारण उत्पन्न रोग विचार होता है।

उत्तर: जब किसी व्यक्ति की दुर्घटना होती है और उसको चोट लगती है तो यह बात दिमाग में आती है कि हमारा दिमाग इसके लिए जिम्मेदार नहीं हो सकता है। यहां हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारे सभी विचार और भावनाएं हमारे अवचेतन मन में एकत्रित होती रहती है। अवचेतन मन का कोई नकारात्मक विचार दुर्घटना का जिम्मेदार हो सकता है। फलस्वरूप दुर्घटना हो सकती है, चोट लग सकती है।