साई व्हाइब्रियोनिक्स पत्रिका

" जब आप किसी हतोत्साहित, निराष या रोग ग्रस्त व्यक्ति को देखते हो, वहीं आपका सेवा क्षेत्र है " Sri Sathya Sai Baba
Hands Reaching Out

डॉ० जीत के अग्रवाल की कलम से

Vol 11 अंक 2
मार्च / अप्रैल 2020


प्रिय चिकित्सको,

पुट्टपर्थी से महाशिवरात्रि के अवसर पर लिखते हुए मुझे अपार प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। इस पावन उत्सव को यहां आध्यात्मिक उत्थान हेतु वेदों के उच्चारण और 12 घंटों के भजनों के साथ शुरू किया गया। हमारे प्रिय स्वामी के कथन अनुसार, " वर्ष में एक बार शिवरात्रि के बारे में सोचने का लाभ नहीं है। तुम्हें तो अपने समय को पवित्र और दिव्य बनाने के लिए हर रात, हर दिन और हर पल सोचते रहना चाहिए। समय के सिद्धांत के अनुसार, समय ही शिव है। तुम स्वयं भी शिव हो। शिव तत्व के महत्व को समझने का प्रयास करो यही तुम्हारी वास्तविकता है।यह संदेश यद्यपि बहुत सरल है परंतु इसका महत्व बहुत अधिक है। यह हमारे जीवन के, हर क्षण को आध्यात्मिकता से भर देता है,  हमारी सांसों में भर जाता है। इसका महत्व आज के  जीवन  में बहुत बड़ा है क्योंकि हर क्षेत्र में अशांत और उथल-पुथल का माहौल बना हुआ है। इस  समय तो कोरोना वायरस या COVID-19 (WHO ने नाम दिया है)  का प्रकोप छाया हुआ है और इस महामारी से बचने का प्रयास कर रहे हैं। इस अंक के अतिरिक्त भाग में इस महामारी से बचने के लिए सुझाव दिए हैं। मेरे विचार से आध्यात्मिक आचरण को अपनाने तथा अपनी इंद्रियों द्वारा ग्रहण किए गए भोज्य पदार्थ सबसे अच्छे विटामिन हैं जिन्हें  हमें अत्यंत सावधानीपूर्वक ग्रहण करना चाहिए जिससे कि हम इस महामारी से बचे रहें। मैं सभी चिकित्सकों से आग्रह करता हूँ कि वे इस  अंक के अंत में दी गई जानकारी को अपनाकर अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित कर लें। मैंने वॉल्यूम 9 के अंक में (मार्च-अप्रैल 2018) के समाचार पत्र में एक प्रस्ताव का प्रारूप तैयार करने और उस पर आचरण करने का सुझाव दिया था जिसका उद्देश्य वैकल्पिक स्वास्थ्य सेवा का औपचारिक संगठन आधारित सेवा के लिए परामर्श दिया था जिससे कि हमारी सेवाओं को विस्तार मिल सके । मुझे यह बताने में अत्यंत प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है कि मेरे इस आह्वान पर कुछ स्वयंसेवक आगे आए हैं और हमने कुछ मापदंडों के आधार पर एक प्रारूप तैयार कर लिया है जिसमें संपूर्ण कार्यप्रणाली का वर्णन किया गया है (SOPs)। यह प्रारूप बहुत मजबूत व गतिशील है । प्रारूप के अनुसार इसके 9 विभाग है, संचालन और रसद; प्रवेश; शिक्षा; प्रशिक्षण और पदोन्नति; अनुसंधान एवं विकास; समाचार पत्र; IASVP; सूचना प्रौद्योगिकी; ऑडियो-विजुअल और प्रकाशन। प्रत्येक विभाग को अपने विभाग से संबंधित कई विषयों पर कार्य करना होता है वह स्वयं ही अपने विभाग के निर्णय लेने में समर्थ होते हैं। इसके कारण चिकित्सकों को एडमिन सेवा कार्य संभालने का अवसर प्राप्त होने लगा है। जैसे-जैसे हम विस्तार करते जाएंगे हमें अधिक से अधिक अध्यापकों की आवश्यकता होगी (तथा मेंटर्स)। सभी स्तरों पर जैसे कि ई-कोर्स से लेकर SVP स्तर तक हमें उन चिकित्सकों की भी आवश्यकता होगी जिनकी समाचार-पत्र की लेखन कला अच्छी हो और AV विंग के लिये ऑडियो फाइलों से उनकी नकल कर सकें । जो लोग इस कार्य को करने में रुचि रखते हैं, हम उन्हें उचित प्रशिक्षण भी देंगे।

हमारे चिकित्सक विभिन्न स्थानों पर साईं वाईब्रोनिक्स उपचार के शिविर आयोजित करते हैं जिससे अत्यधिक रोगियों को स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। यद्यपि हमारा ध्यान सदैव उच्च श्रेणी के उपचार पर रहता है फिर भी हम अधिक रोगियों को यह सेवा देना चाहते हैं। हम इन सभी गतिविधियों का रिकॉर्ड रखना चाहते हैं और उनके अनुभवों का लाभ चिकित्सकों को देना चाहते हैं । ऐसा करने के लिए हमें शिविरों की गतिविधियों और उनके कार्यकलापों की रिपोर्ट की आवश्यकता होती है साथ ही शिविर के कुछ फोटो, शिविरों की उपादेयता बढ़ाने वाले होंगे । यदि चिकित्सक इन शिविरों का आयोजन करते हैं तो आयोजित करने वाले चिकित्सक  सब जानकारियां प्रेषित कर देते हैं तो यह अति प्रशंसनीय होगा।

ऐसा प्रतीत होता है कि ISAVP सदस्यों के मध्य कुछ भ्रांतियां है कि उन्हें अपने आईडी कार्ड को नवीनीकरण कराना है या नहीं। कृपया ध्यान दें, एक नवीनीकरण अधिसूचना प्राप्त होने पर, हमारी प्रैक्टिशनर्स वेबसाइट पर नियमों और विनियमों को फिर से पढ़ना अनिवार्य है (जैसा कि हम समय-समय पर परिवर्तन करते हैं) और पूर्व में वेबपेज के नीचे स्थित बॉक्स को "चेक" करें उसके बाद ही “सबमिट” बटन को दबाएं।

अंत में मैं आप सब से अनुरोध करता हूं कि आप सब प्रतिदिन कुछ समय निकालकर उन लोगों को धरती माता के प्रति दया का भाव रखते हुए प्रेम और स्वास्थ्यवर्धक ऊर्जा को प्रेषित करें जो कोरोनावायरस, COVID-19 से ग्रसित हैं और हमारे प्रिय स्वामी के इस संदेश को पहुंचाएं, “जब तुम संसार को प्रेममयी दृष्टि से देखोगे तो उन्हें शांति प्राप्त होगी। सभी प्रकार के रोग ठीक हो जाएंगे। अधिकतम रोगों की जन्मस्थली मस्तिष्क ही है। सभी वस्तुओं का एक मनोवैज्ञानिक आधार होता है। जब कोई व्यक्ति यह महसूस करता है कि उसके साथ कुछ गलत हो रहा है तो वह बीमार हो जाता है। स्वस्थ शरीर के लिये स्वस्थ मस्तिष्क का होना आवश्यक है।

“दिन का प्रारंभ प्रेम से करो, प्रेम के साथ दिन बिताओ और दिन का अंत भी प्रेम से करो, यही ईश्वर को प्राप्त करने का साधन है । यदि तुम अपने आप में प्रेम विकसित कर लोगे तो बिमारियां तुम्हारे पास नहीं आ पाएंगी। -- Sathya Sai Baba, Shivrathri Discourse, 17 February 1985.

साईं की प्रेममयी सेवा में

जीत के अग्रवाल