दैवीय चिकित्सक का संदेश
Vol 10 अंक 2
मार्च/एप्रैल 2019
‘‘मनुष्य दो प्रकार के रोगों से पीड़ित होता है, शारीरिक और मानसिक जो कि तीन प्रकार की प्रकृति के असंतुलन के कारण होता है वे हैं, वात, पित्त और कफ तथा दूसरा कारण है तीन गुणों में असामनता - शुद्ध, जुनून और कुंठा। इन दोनो प्रकार की बिमारियों के पीछे मुख्य बात है गुणों का अभाव। यदि हम गुणों को अपना लें तो दोनो प्रकार की बिमारियाँ ठीक हो जावेंगी। मानसिक स्वास्थ्य के लिये शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा होना चाहिये और शारीरिक स्वास्थ्य के लिये मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होना चाहिये। दुःख और हानि में धैर्य और उदारता का व्यवहार रखना बहुत आवश्यक है, अपनी सामर्थ के अनुसार किसी का भला करने का उत्साह, ऐसे गुण हैं जो शरीर और मन दोनो को स्वस्थ्य रखते हैं। सेवा करने से जो प्रसन्नता प्राप्त होती है वह शरीर को रोगों से मुक्त रखने में सहायक होती है।” ...Sathya Sai Baba, “The Temple» Discourse 9 September 1959
http://www.sssbpt.info/ssspeaks/volume01/sss01-23.pdf
‘‘प्रत्येक व्यक्ति की प्रतिबद्धता होनी चाहिये कि वह जहाँ कहीं भी किसी की भी सेवा करे कि वह ईश्वर की सेवा कर रहा है क्योंकि ईश्वर सर्वत्र व्याप्त हैं। ऐसी सेवा ही सच्ची साधना है।’’... Sathya Sai Baba, “The Yoga of Selfless Service” Discourse 24November1990
http://www.sssbpt.info/ssspeaks/volume23/sss23-35.pdf