साई व्हाइब्रियोनिक्स पत्रिका

" जब आप किसी हतोत्साहित, निराष या रोग ग्रस्त व्यक्ति को देखते हो, वहीं आपका सेवा क्षेत्र है " Sri Sathya Sai Baba
Hands Reaching Out

दैवीय चिकित्सक का संदेश

Vol 10 अंक 1
जनवरी / फरवरी 2019


भगवान को ध्यान में रखते हुये अच्छे विचार और बातें भी स्वास्थ्य को अच्छा रखती हैं। अपनी आँखों, कानों, जीभ, हाथों और पाँवो को संयम में रखो। हतोत्साहित या उत्तेजित करने वाले साहित्य को मत पढ़ों, फिल्मों को न देखो ये मन को थकाने या उत्तेजित करने वाली होती है। अपने आत्म विश्वास को मत त्यागो, आप दिव्य हैं जो शरीर रूपी खोल में बन्द हैं। संतोष ही सबसे बड़ा शक्ति प्रदाता है, अपने ऊपर लालच की बीमारी को हावी मत होने दो, शक्ति के लिये संतोष रूपी टॉनिक का उपयोग करो, भविष्य में लालच के प्रति आकर्षित मत होना। जीवन रूपी सागर को पार करने के लिये इस शरीर को नाव की भाँति उपयोग करो, भक्ति और अनासक्ति रूपी पतवारों के सहारे से।’’    

... Sathya Sai Baba, “Seaworthy boat » Discourse 12 October 1968    http://www.sssbpt.info/ssspeaks/volume09/sss09-21.pdf

जब हम सेवा कार्य करते हैं, उस समय मात्र अपनी आत्म संतुष्टि की भावना को अपेक्षा सेवा ग्रहण करने वाले की संतुष्टि की भावना होनी चाहिये, यही सेवा सर्वश्रेष्ठ होती है। तुम्हें अपने द्वारा किये कार्यों पर ध्यान देने की आवश्यकता है, कहीं यह दूसरों के लिये असुविधाजनक तो नहीं है। केवल मनुष्यों की सेवा करना ही सेवा नहीं है। जब भी आवश्यकता उत्पन्न हो हमें सभी जीवों की सेवा करनी चाहिये। तुम्हें इस सत्य को स्वीकार करना होगा कि सभी में ईश्वर व्याप्त है। जब यह पवित्र विचार तुम्हारे मन में स्थिर हो जाता है तब की गई सेवा भी पवित्र हो जाती है। बिना इस धारणा और विश्वास से की गई सेवा मात्र अपनी प्रसिद्धि के लिये ही होती है, यह तुम्हारे जीवन को पवित्र नहीं बनाती है।’’

... Sathya Sai Baba, “The Yoga of Selfless Service” Discourse 16November1975       http://media.radiosai.org/journals/vol_13/01AUG15/Sathya-Sai-Speaks-on-The-Yoga-of-Selfless-Service.htm