डा. जीत के अग्रवाल की कलम से
Vol 9 अंक 5
सितम्बर/अक्टूबर 2018
प्रिय चिकित्सको,
गणेश चतुर्थी के अत्यंत पवित्र दिन पर तुम्हें संदेश लिखते हुये मुझे अत्यंत प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। इस अवसर पर मैं अपने यहूदी भाइयों को भी रोश हाशनाह के अवसर पर बधाई अर्पित करता हूँ! हम लोगों को, इस सार्वभौमिक मिशन जिसमें प्रेम, विशवास और हर धर्म को सम्मान दिया जाता है, के सदस्य होने का गौरव प्राप्त हुआ है। सभी त्यौहारों को समान धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसके फलस्वरूप दैवीय तरंगे चहुँ और फैल जाती हैं तथा हमारे मध्य उपस्थित मतभेदों को कम करके हमें उत्कृष्टता की और अग्रसर करती हैं। यह वास्तव में बहुत ही अद्वितीय और विशेष है!
हमारी हृदयतम प्रार्थनायें केरल राज्य के हमारे भाइयों और बहनों तक पहुँचे जिन्होंने अभूतपूर्व-विपत्तिपूर्ण बाढ़ का सामना किया है और अभी भी सामना कर रहे हैं। हम एक और बड़े तूफान (फ्लोरेंस) को करीब से देख रहे हैं, जो अमेरिका में साउथ कैरोलिना और नॉर्थ कैरोलिना के राज्यों में लैंड फॉल करने वाला है। जैसा कि पहले के समाचार पत्र में कहा जा चुका है कि हम अमेरिका से उन तरंगों का प्रसारण कर रहे हैं जो धरती माँ पर दर्द और कष्टों की पीड़ा को समाप्त करने में सक्षम हैं। इसी की भारत में हमारे चिकित्सक11573...भारत ने पहल शुरू कर दी है। वह अपने दल के वरिष्ठ चिकित्सकों के साथ इन तरंगों का प्रसारण कर रहे हैं, यह कार्य प्रत्येक गुरूवार को निर्बाध रूप से चलाया जा रहा है। प्रसारण की भाँति ही प्रार्थना भी उतनी ही शक्तिशाली होती है। मुझे विश्वास है कि हृदय की गहराईयों से की गई एक छोटी सी प्रार्थना भी अत्यंत लाभप्रद होती है।
प्रशांति निलयम के पुरूष सेवादल भवन में हम माह में 15 दिन वाइब्रोसेवा नियमित रूप से दे रहें हैं। परन्तु महिला सेवा दल भवन में यह नियमित नहीं हैं। मुझे प्रसन्नता है कि गुरू-पूर्णिमा के बाद से दो चिकित्सक, वरिष्ठ चिकित्सक11422...भारत के दिशा निर्देशों के अन्तर्गत नियमित रूप से सप्ताह में तीन दिन तक सेवा कार्य कर रहे हैं। तुम्हें यह जानकर प्रसन्नता होगी कि अधिकांश सेवा दल के सदस्यों को वाइब्रोचिकित्सा में गहन विश्वास है अतः हमारा प्रयास है कि हम अन्य दिनों में भी इस सेवा का विस्तार कर सकें। कोई भी चिकित्सक जो प्रशांति आश्रम में आता है और वह एक सप्ताह तक वाइब्रो सेवा करने का उत्साह रखता हो तो वह हमें सूचित करे। सेवा हेतु [email protected] पर अपना नाम दर्ज करें।
अमेरिका के चिकित्सक03560...USA और उनके दल के सहयोगियों को धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने चिकित्सकों की वेबसाइटों को एक साथ रखने के लिये अत्यधिक समर्पण व कठोर श्रम किया है। यह वेबसाइट अब पूर्ण रूप से क्रियाशील है। किसी भी नये कार्य को करने में कई प्रकार की अड़चनों का सामना करना पड़ता है, उसी प्रकार इस कार्य में भी कई प्रकार की अड़चनों का सामना करना पड़ा है जैसे कि बग्स तथा अन्य कई प्रकार के मुद्दे। मुझे विश्वास है कि तुम्हें इस संबंध में प्रतिदिन निर्देश प्राप्त होते होंगे। हालाँकि यह मुद्दे छोटे हैं और तुम्हें इस वेबसाइट का उपयोग करने में कोई परेशानी नहीं होगी। तुम अपनी व्यक्तिगत जानकारियाँ (फोटो भी) को बदल सकते हो। अपनी मासिक रिपोर्ट भेजते रहो या फिर IASVP की सदस्यता के लिये आवेदन करें। यह सभी वी.पी. और इससे अधिक जानकारी रखने वालों के लिये अनिवार्य है। यदि आपको मासिक रिपोर्ट भेजने में परेशानी होती है तो सलाह हेतु वेबसाइट [email protected] पर सूचना प्रेषित करें।
इस बार मैं तुम्हें एक छोटी सी कहानी, जो बाबा ने गणेश चतुर्थी के अवसर पर जो निस्वार्थ सेवा के महत्व से संबंधित है, सुनाई थी- ‘‘देहली का एक छात्र स्वामी के उद्धबोधन को बड़ी तन्मयता से सुन रहा था, एक दिन वह परीक्षा के लिये महाविद्यालय जा रहा था जो कि प्रातः 8 बजे प्रारम्भ होने वाली थी। मार्ग में उसे एक भिखारी दिखाई दिया। वह बहुत बीमार और कमजोर था जो चलते समय लड़खडा भी रहा था। उस छात्र ने उसको उठाया और हास्पिटल ले जाकर वहाँ भर्ती करा दिया, तब तक 10 बज गये थे। समय देखने पर उसे ज्ञात हुआ कि परीक्षा के लिये पहुँचने में बहुत देर हो चुकी है। उसे विचार आया कि स्वामी स्वंय मेरे व्यवहार की परीक्षा ले रहे हैं। परीक्षा छूट जाने का उसे कोई पछतावा नहीं हुआ। वास्तव में वह बहुत प्रसन्न था और जब वह स्वामी के पास गया तो स्वामी से कहा कि मेरा एक पेपर छूट गया है। मैं इस वर्ष उत्तीर्ण नहीं हो सकूँगा लेकिन अगला वर्ष हमेशा आयेगा। मुझे इसका कोई पछतावा नहीं है क्योंकि मैं आपकी परीक्षा में उत्तीर्ण हो गया हूँ। स्वामी ने कहा- ‘‘चिंता मत करो, तुम अपनी परीक्षा में पास हो गये हो।’’ अगले माह जब परिणाम आया तो वह प्रथम डिवीजन में उत्तीर्ण हो गया था।
छात्र ने परवाह न करते हुये एक अत्यंत महान कार्य किया था, एक गरीब व्यक्ति की मदद् की थी। उसने सोचा यद्यपि मैं सांसारिक परीक्षा में तो फेल हो गया हूँ परन्तु ईश्वरीय परीक्षा में पास हो गया हूँ। ऐसे अनेकों छात्र हैं जो अपने हित की अपेक्षा सेवा कार्य को अधिक महत्व देते हैं। ’’यदि तुम्हारा इस प्रकार का दृष्टिकोण जीवन में रहेगा तो तुम कभी भी असफल नहीं होगे तथा तुम दिव्यता का अनुभव करने में सक्षम हो जाओगे, जब भी तुम कोई कार्य करो तो उसे पूरे मन के साथ करो।’’ – Divine Discourse, Vinayaka Chaturthi, 1-09-2000, Prashanti Nilayam
साईं की प्रेममयी सेवा में
जीत के अग्रवाल