दैवीय चिकित्सक का दिव्य सन्देश
Vol 15 अंक 1
जनवरी/फ़रवरी 2024
“यह सारा दुख मानव जाति के कारण ही है...जैसा कि वे कहते हैं, यह बीमारी 'विटामिन की कमी' के कारण है; विटामिन हैं सत्य, धर्म, शांति और प्रेम (सत्य, धर्म, शांति और दिव्य प्रेम)। उन्हें ले लो और तुम ठीक हो जाओगे; उन्हें अपने चरित्र और आचरण में आत्मसात करें और आप अच्छे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के साथ चमकेंगे।
...Sathya Sai Speaks, Divine Discourse “You are born for your own sake”, 16 Dec 1964, SSS vol 4,chapter 47 https://sssbpt.info/ssspeaks/volume04/sss04-47.pdf
“आप सेवक हैं, सेवा के लिए समर्पित हैं। जिन लोगों की आप सेवा करते हैं वे चाहे आपको धन्यवाद दें या आपको अपमानित करें, आपको सौंपा गया कार्य ख़ुशी से करना चाहिए। क्योंकि, तुम अपनी सेवा कर रहे हो, उनकी नहीं, याद रखो। गुलदस्ते हों या ईंट-पत्थर, उन्हें समान शांति के साथ प्राप्त करें। केवल वे ही जो स्वयं को शरीर के साथ पहचानते हैं, प्रसन्न या दुःखी होते हैं; आपको यह महसूस करना चाहिए कि आप देही हैं, देहा नहीं (स्वयं, शरीर नहीं), जो आपको सर्वोत्तम सेवा करने की शक्ति देगा।’’
...Sathya Sai Speaks, Divine Discourse “The burden of the Badge”, 24 Feb 1965, SSS vol 5,chapter 6 https://sssbpt.info/ssspeaks/volume05/sss05-06.pdf